"आग्याकारी माँ"
दोस्तो मैं आपका अपना सतीश नई कहानी स्टार्ट कर रहा हु वैसे दोस्तो आपको इसका नाम कुछ अजीब लग रहा होगा कही माता पिता भी आग्याकारी होते है आग्याकारी तो बच्चे होते है पर यकीन मानिए इस कहानी को यही नाम सही है यह कहानी माँ बेटा भाई बहन के सेक्स के ऊपर आधारित है कैसे एक माँ अपने पति से निराश होकर अपने बेटे के साथ संबंध बनाती है वैसे मेरी बहुत सारी कहानियां पहले से शुरू है पर मैं यह कहानी शुरू करने से अपने आप को नही रोक पा रहा इसमें ही सबकुछ है तो दोस्तो अपनी बकवानी बंद करता हु आप कहानी का मजा लीजिये
………सतीश
पात्रपरिचाय:-
अविनाश- उम्र ४५ वर्ष.
एक बहुत बड़ा बिजनेसमैन, गुड लुकिंग लेकिन गलत संगत मे पड़ने के कारन उसे हैवी ड्रिंकिंग की आदत पड़ गइ... कई बार तो वो इतनी पी लेता की उसे कुछ अपना होश ही नहीं रहता और उसके दोस्त उसे घर तक छोड़ने आते...
सोनाली- उम्र ४०, फिगर- ३४-३०-३६
एक अच्छी पढ़ीलिखी औरत, बहुत ही खूबसूरत और क़ातिलाना सांचे मे ढला हुआ जिस्म, जिसे देख कर बुड्ढे भी जवानी की दुहाई माँगते है जहाँ से वो गुज़रती वहां के लोगो को अपने हुस्न का दीवाना बना देती.. उसने अपना फिगर मेन्टेन करके रखा है योग ओर एक्सरसाइज के द्वारा... कोई भी उसे देख कर ये नहीं कह सकता की उसकी उम्र ४० की होगी, उसकी उम्र ३० साल से भी कम लगती थी..,
उम्र के साथ ही सोनाली की बदन की आग बढ़ती जा रही थि, पर उस आग को शांत करने वाला रोज शराब के नशे मे आता और आते ही बिस्तर पर गिर पडता... और सोनाली ऐसे ही तड़प कर रह जाति, २ साल से ऊपर हो गया था उसे सेक्स करे रोज रात को उसे अपनी उंगलि, और अब कुछ समय से डिलडो से अपने बदन को शांत करना पडता, वो चाहती तो बाहर भी मुह मार सकती थी पर अपनी फॅमिली की इज्जत की बजह से उसने कभी भी बाहर ट्राय नहीं किया... और ऐसे ही अपनी जिस्म की आग को मिटाने की कोशिश करने लगी... पर जिस्म की आग भला हाथ और डिलडो से कभी शांत हुई है... उसके लिए तो एक असली लंड की जरुरत होती है...
श्वेता- उम्र-२०, फिगर- ३4-२८-३4
एक सिंपल लड़की है, जवानी पुरे शबाब पर थि, उसके अंग अंग से जवानी छलकती थी... कॉलेज में हर लड़का उसके पीछे पड़ा था पर वो किसी को भी लिफ्ट नही देती थी... बेचारे सभी लड़के उसके दूध और गांड देख कर आहें भरते रहते है..
सतीश- स्टोरी का हीरो है, अपने डैड की तरह गुड लुकिंग एंड मस्कुलर बॉडी का मालिक जो की उसने जिम मे २ साल की मेहनत से बनाई थी...
उम्र-१९, हाइट-५ फट. ९ इंच और सबसे खास उसका हथियार 9 इंच" लम्बा 4 इंच' मोटा, न जाने अब तक कितनो की सील तोड़ चुका था...
सतीश बहुत चुदक्कड़ किस्म का बंदा था, अगर किसी चुत पर उसके लौडे का दिल आ जाता तो वो उसे ठोंक कर ही रहता...
शिप्रा- उम्र-१८ फिगर- २८-२६-३०
नन्ही चुलबुली सी लडकि, जिस पर अभी अभी जवानी आनी शुरू हुई थी...
------ ----- -------- -------
कहानी के बाकि के किरदार समय आने पर इंट्रोडुस करा दिए जाएंगे...
रात के १२ बज रहे थे, सतीश और शिप्रा अपने अपने रूम मे सो रहे थे जब कि दूसरी तरफ सोनाली अपने रूम मे अपनी चुत की आग को बुजाने मे लगी थी... टेबल लैंप की दूधिया रौशनी मे उसका नंगा दूधिया जिस्म और भी मादक और कामुक लग रहा था... उसके ३४ साइज के वेल शेप्ड मख़मली बॉब्स और उन पर पिंकिश निप्पल जो की अभी तन कर १" के करीब हो गई थी, किसी भी साधू और मुनि का पानी निकालने के लिए काफी था.... और कमरे का दृश्य(सीन) तो किसी मुर्दे को भी जिंदा कर देता, कमरे में सोनाली पूरी नंगी लेटी हुई थि, उसका सुन्दर चेहरा इस समय सेक्स की आग मे झुलस कर लाल पड़ गया था, वो अपने एक हाथ से अपनी चूचियां एक-२ करके मसल रही थि, और दूसरा हाथ निचे उसकी चुत मे ५ इंच" के डिलडो को अंदर बाहर करने मे लगा हुआ था... पुरे रूम मे सोनाली की सिसकियाँ गुंज रही थी.... अब सोनाली तेजी के साथ अपनी चुत मे डिलडो को अंदर बाहर करने लगती है, सिसकियाँ और तेज हो जाती हे, और सोनाली की आँखें भी मजे की अधिक्ता के कारन बंद हो जाती हे.... उसको देख कर कोई भी बता सकता था की अब वो अपने ओर्गास्म की तरफ है... तभी डोर बेल बजती है पर सोनाली उसको इग्नोर करके अपनी मस्ती मे लगी रहती है और हाथ की स्पीड और तेज कर देती है... पर गेट पर खड़े बन्दे को वेट करना शायद पसंद नहीं था तभी तो वो एक के बाद लगतार बेल बजाते जाता है.... बेल के लगातार बजने पर सोनाली ये सोच कर की कही सतीश या शिप्रा मे से कोई न जाग जाए, बड़ी मुस्किल से बेड से उठती है और निचे पड़ी ब्लैक कलर की नाइटी उठा कर पहन लेती है और गेट खोलने चल देती है....
सोनाली- कमीना कही का खुद तो कुछ करता नहीं और जब मे खुद अपनी प्यास बुजा रही हूँ तो भी साला गलत वक़्त पर अपनी गांड मराने आ गया...
वैसे सोनाली कभी गाली नहीं देती थी लेकिन अपने ओर्गास्म पर आकर रह जाने के कारन ग़ुस्से मे उसके मुह से ये वर्ड्स अनायास निकल गए थे... और गुस्सा आना लाज़मी भी है क्योकि
अगर आप किसी लड़की को ओर्गास्म की स्टेज तक लेकर उसे छोड़ दे तो वो आपको गाली ही देगि, प्यार तो नहीं करेगी ना...
सोनाली गेट ओपन करती है, सामने अविनाश ही था रोज की तरह बेहोषी की हालत में... और साथ में उसका दोस्त कम बिज़नेस पार्टनर दुष्यंत था, जो की रोज की तरह उसे घर छोड़ने आया था....
सामने का दृश्य देख कर दुष्यंत की तो आज लॉटरी लग गई थि, क्योकि जो नाइटी सोनाली ने अपने बॉडी पर डाली थी वो सेमि ट्रांसपेरेंट टाइप की थि, और जिसके अंदर उसने कुछ नहीं पहना था, और उस नाइटी मे से उसकी आधी से ज्यादा क्लीवेज नाइटी से एक्सपोस हो रहे थे...
दुश्यंत अपने चेहरे पर कमिनि मुस्कान के साथ- नमस्ते भाभी जि, मेरे लाख समझाने के बाद भी आज फिर ईसने कुछ ज्यादा ही पी ली...
सोनाली उसकी नजर से समझ जाती है की वो उसकी बॉडी को खा जाने वाली नजर से घुर रहा है...
सोनाली थँक्स कहकर अविनाश का हाथ पकड़ कर अपने कंधे मे डाल लेती है और उसे सहारा देते हुए अंदर ले जाने लगती है... सोनाली को अविनाश को अंदर ले जाने मे दिक्कत हो रही थी...
दुश्यंत- अरे भाभी आप क्यों परेशान हो रही हो में छोड़ आता हूँ इसे रूम में... और दुश्यंत आगे बड़कर अविनाश का दूसरा हाथ अपने कंधे पर रखता है, और दूसरा हाथ जानकर उसका दूसरे हाथ (जिधर से सोनाली उसे अपने ऊपर डाले हुए थी ) के कंधे पर रखकर निचे लाते हुए सोनाली की चूचि पर फेर देता है....
ये सब इतनी तेजी से हुआ की न तो सोनाली को कुछ कहने का मौका मिला और न ही कुछ करने का... पर अपने चूचि पर दुश्यंत का हाथ पड़ते ही उसका बदन एक दम सिहर उठता है... और वो उसके तरफ देख कर- नहीं इसकी जरुरत नहीं है में इन्हे खुद ले जाउंगी...
दुश्यंत- एज यु विश्, मैं तो बस आपकी मदद करना चाहता था... और इसी के साथ दुश्यंत अपना हाथ हटाते हुए जान बुज कर सोनाली के दूध को हलके से दबा देता है... सोनाली उसकी इस हरकत पर उसे घूर कर देखती है तो दुश्यंत ऐसे शो करता है की जैसे ये अन्जाने में हुआ हो, और फिर वो सोनाली को गुड नाईट बोलकर निकल जाता है....
सोनाली अविनाश को लेकर अपने रूम की तरफ बढ़ जाती है... और रूम में मे पहुच कर अविनाश को बेड पर लिटा देती है... और फिर में डोर को लॉक करके आती है, फिर अविनाश के शूज और शॉक्स उतार कर उसे ठीकसे बेड पर लिटा देती है... और फिर थोड़ी देर अपनी किस्मत को कोसने के बाद अपनी नाइटी को उतार कर फेक देती है और अपना अधुरा काम पूरा करने में लग जाती है यानी की चुत की खुजली मिटने में, उसके हाथ और चुत में फिर एक जंग छिड़ जाती है...
उसी रात जहाँ एक तरफ सोनाली अपने जिस्म की आग बुजाने में लगी हुई थी... वही दूसरी तरफ लगातार बेल्ल बजने के कारन सतीश की आँख भी खुल गई थि, सतीश को समझते देर न लगी की गेट पर उसके डैड हैं जो की रोज की तरह लेट नाईट ड्रिंक करके आये हे, इसलिये सतीश दोबारा सोने के लिए लेट गया पर बहुत देर ट्राय करने के बाद भी उसे नींद नहीं आई, तभी उसे प्रेशर लगा तो वो उठ कर अपने रूम के टॉयलेट में चला गया और हल्का होने के बाद वापस अपने बेड पर आकर लेट गया, और सोने की कोशिश करने लगा अभी आँख लगने ही वाली थी की उसे जोर की प्यास लगती है, वो अपने बेड की साइड में रखी टेबल पे रखी बोतल को उठता है, पर बोतल बिलकुल खली थि, इसलिए सतीश अपने रूम से निकलकर निचे पानी लेने के लिए चल देता.... सीढ़ियों पे से ही उसकी नजर अपनी माँ के बेडरूम के थोड़े से खुले डोर से आती रौशनी पर पड़ती है...
सतीश- माँ इतनी लेट नाईट लाइट जला कर क्या कर रही हे... खैर मुझे क्या? अभी तो पानी पीलु पहले क्योकि- ये प्यास है बड़ी...
ओर सतीश किचन की तरफ बढ़ जाता है... और पानी पीने के बाद वो सीढ़ियों की तरफ चल देता है... सीढ़ियों और किचन के बीच मे ही उसके माँ डैड का रूम था अभी वो अपने माँ के रूम से जरा सा आगे बड़ा ही था की तभी उसके कान में एक आवाज़ पड़ी और उसके कदम एक दम ठिठक गए और तभी उसे दूसरी आवाज़ सुनाई दि... आवाज हलकी होने के कारन उसे कुछ समझ नहीं आया... पर उसके कदम उसके माँ के रूम की तरफ बढ़ गए और उसने थोड़ेसे खुले डोर को हलके से खोला और फिर अंदर का सिन देख कर उसके होश उड़ गये... उसकी आँखें आस्चर्य की अधिक्ता के कारन फैलती चलि गई... और अभी थोड़ी देर पहले तर किया हुआ गला वापस ऐसे सुक्ख गया जैसे वर्षो का प्यासा हो.....
सामने का दृश्य देख कर उसकी साँसे थम सी गई...
सामने उसकी माँ उसकी आँखों के सामने अपने नंगे जिस्म में वासना का नंगा नाच कर रही थी... एक पल को तो सतीश वहां से हटा पर दूसरे ही पल वो वापस गेट पर आकर अंदर का दृश्य देखने लगा...
सतीश (अपने आप से)- नहीं ये गलत है मुझे अपनी माँ को इस हालत में नहीं देखना चाहिए... वैसे ही सतीशने उनके डोर को बिना नॉक करे खोलकर पाप किया है और अब में माँ को ऐसा देखकर महापाप नहीं कर सकता...
सतीश का हरामी दिमाग- अबे कोई पाप नहीं है बे... सामने का दृश्य देख भूल जा की सामने जो नंगी औरत है वो तेरी माँ है... और बता की आज तक तूने अपनी लाइफ में इतना हसीन जिस्म देखा है... साले देख उसके बॉब्स को कितने बड़े, गोल और सुड़ौल हे... कितना मजा
आएगा जब वो चूचियां तेरे हाथ में होंगीं और तू उन्हें मसल रहा होगा...
सतीश- नहीं मे इस बारे में सोच भी नहीं सकता वो मेरी माँ हे... तुम मुझे बहका रहे हो...
ह. द.(हरामी दीमाग )- अबे ध्यान से देख सामने जो है वो किसी की माँ बहन नहीं हो सकती, वो तो एक लाचार औरत है, जिसका पति उसकी सेक्स की आग को कम नहीं करता... देख इस औरत को इसे देख कर ही लगता है की ये बर्षो से किसी मर्द के स्पर्श को तड़प रही है, बरसो की प्यासी है ये औरत... और देख इसे अगर ये एक इशारा भी कर दे तो लोगो की भीड़ लग जायेगी पर ईसने अपने परिवार की इज्जत के लिए इस आग में झुलसना क़बूल किया... तु इसकी प्यास बुजा सकता है..
सतीश- “मैं... मैं कैसे,.. ये मेरी माँ है”
ह.दी.- “आगे कुछ बोलने से पहले अपने शार्ट में बने टेंट को देख ले...
सतीश अपने शार्ट की तरफ देखता है तो उसे पता चलता है की उसका लंड पूरा खड़ा हो कर उसके शार्ट में टेंट बना रखा है...
सतीश चौकते हुये- ये कैसे खड़ा हो गया, वो भी अपनी माँ को देख कर...
ह.दी- दोस्त लंड की कोई माँ और बहन नहीं होति, इसे बस चुत से मतलब होता है चाहे वो किसी की भी हो... और इसे तुम जितनी जल्दी समझ लोगे उतने ही ज्यादा तुम जिन्दगी को एन्जॉय करोगे.... जैसे की अभी अपनी माँ को देख कर, कर रहे हो...
सतीश- शायद तुम सही कह रहे हो... क्योकि मुझे पता ही नहीं चला की कब मेरा हाथ मेरे लंड को सहलाने लगा...
अब सतीश अंदर का सिन देख के बहुत गरम हो गया था और अपने शार्ट को निचे खिसका देता है, और अपने लंड को हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर देता है... रूम में सोनाली अपने एक हाथ से अपनी चुत में तेजी से डिलडो को अंदर बाहर कर रही थी जबकि दूसरे हाथ से अपनी चुत की क्लीट को रगड रही थी... पूरे रूम में उसके मुह से निकलती सिसकारियां गुंज रही थी जिन्हे सुनकर गेट पर खड़ा सतीश और भी गरम होकर अपने लंड को तेजी से हिलाने लगा... अन्दर सोनाली की आँखे पूरी मस्ती में बंद हो गई थी और वो तेजी से अपनी चुत को चोदने लगि, सोनाली मस्ती में अपने चूतडो को उछाल-२ कर डिलडो को अपने अंदर लेने लगी थी और थोड़ी देर में ही उसका जिस्म अकड जाता है, और उसकी चुत का बंद टूट जाता है, और उससे ढेरसारा कामरस निकलने लगता है...
सतीश की तो हालत ही ख़राब हो गई थी ये सब देख कर, एक पल को उसका मन किया की अभी अंदर जाकर अपनी माँ की चुत में अपना मुह घूसा दे और उसका सारा रस पि जाए, पर उसने अपने आपको रोक लिया क्योकि वो जल्दवाजी करके काम बिगाडना नहीं चाहता था...
अंदर सोनाली का जिस्म अब शांत पड़ गया था और वो अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थि, जिसके कारन उसकी चूचियां ऊपर निचे होने लगी थी... सतीश का तो दीमाग ही ख़राब हो रहा था वो समझ गया की अब अंदर कुछ स्पेशल नहीं होने वाला है, इस्लिये वो शार्ट को ऊपर करके तेजी से अपने रूम की तरफ बढ़ जाता है..
सतीश अपने रूम में पहुच कर तुरंत अपना शार्ट और अंडरवियर उतार कर फेक देता है, और अपने बेड पर लेटकर अपनी आँखे बंद करके अपनी माँ के बारे में सोचते हुए मुट्ठ मारने लगता है, आज उसे मुट्ठ मारने में इतना मज्जा आया जितना की कभी उसे चुत मरके भी नहीं आया था... और थोड़ी देर में ही उसका लंड उलटी कर देता है, आज उसके लंड ने जितना माल गिराया था उतना तो कभी चुदाई करके भी नहीं निकला था, और अब थकन के कारन सतीश की आँखे भारी होने लगती है और वो नंगा ही सो जाता है और खो जाता है खवाबो की हसीं दुनिया में...
सूबह ६ बजे सोनाली की आँख खुलती है, वो अपने बिस्तर से उठती है तो उसका ध्यान अपनी नग्न अवस्थ पर जाता है, वो तुरंत नाइटी उठा कर पहनती है और फिर टाइम देखति है...
सोनाली- है भगवान् ६ बज गये, आज तो मैं बहुत लेट हो गई... और वो तुरंत फ्रेश होने चलि जाती है, और फ्रेश होकर किचन की तरफ बढ़ जाती है... आज नहाने का टाइम उसके पास नहीं था क्योकि उसे सतीश और शिप्रा को जगाना था और उनके लिए लंच भी रेडी करना था...
सोनाली चाय बनाती है और उन्हें कप में डालकर शिप्रा और सतीश के कमरो की तरफ चल देती है,..
सीढ़ियां चड़ते ही पहला रूम शिप्रा का पडता है, फिर उससे लगा हुआ रूम सतीश का और सतीश के रूम के सामने श्वेता का रूम था, पर उस पर अभी टाला लगा हुआ था... क्योकि श्वेता मुम्बई में रहकर अपनी स्टडी कर रही है...
ओर शिप्रा के जस्ट सामने एक कॉमन बाथरूम है, श्वेता के रूम से सटा हुआ,..
सोनाली शिप्रा के रूम में जाकर उसको जगाती है, शिप्रा थोड़ी देर तो कसमसाती है फिर उठ कर अपनी माँ को गुड़ मॉर्निंग बोल कर फ्रेश होने चलि जाती है.
.. सोनाली उसका कप टेबल पर रखकर सतीश के रूम की तरफ बढ़ जाती है...
सतीश अपने रूम में हसीन सपनो की दुनिया में खोया हुआ था... सोनाली सतीश का गेट खोलकर जैसे ही अंदर घुसती है उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हे... सामने सतीश पीठ के बल पूरा नंगा सोया हुआ था... और उसका लंड अपनी पूरी औकात में खड़ा हुआ था.... सोनाली तो उसका मूसल जैसा लंड देख कर अपने मुह पर हाथ रख लेती है उसे तो अपनी आँखों पर विस्वास ही नहीं हो रहा था...
सोनाली- “हे भगवान् किसी का इतना बड़ा भी होता है क्या”...?
लंड को देख कर उसकी साँसे फूलने लगती है और उसकी चुत गिली होने लगती है...
सोनाली- अपनी साड़ी( जो की उसने फ्रेश होने के बाद पहन ली थी ) पर से अपनी चुत को मसलते हुये- हे भगवान् ये मुझे क्या हो रहा है मेरी चुत, अपने बेटे का लंड देखके ही पाणी बहा रही है, ये सब गलत है ऐसा नहीं होना चहिये...
ओर इसी के साथ वो उसके रूम के डोर को बंद करके बाहर आ जाती है... और फिर उसके डोर को नॉक करती है, २ मीनट. तक डोर नॉक होने पर सतीश की आँख खुलती है और उठ कर जब वो अपनी हालत देखता है तो तुरंत अपने कपडे उठाकर पहनता है और फिर गेट खोलता है...
सोनाली गुस्सा दिखाते हुये- कितनी गहरी नींद सोता है पता है मे कितनी देर से गेट नॉक कर रही हु...
सतीश- वो माँ में गहरी नींद में था इसलिये पता नहीं चला... पर माँ आप रोज की तरह मुझे उठाने क्यों नहीं आई...
सोनाली- वो मैंने तेरे गेट को खोला पर ये खुला नहीं तो मैंने सोचा की तूने अंदर से बंद करा होगा,.. इसलिए सतीशने तेरा गेट नॉक किया, चल अब तू फ्रेश होजा मे तेरे लिए दूसरी चाय भिजवाती हु, ये तो पूरा पानी हो गई...
सतीश-“ओके मोम... और वो फ्रेश होने चला जाता है...
सोनाली किचन में आकर दूसरी चाय बनाने रख देती है पर उसके दिमाग में तो अभी भी वही सीन चल रहा था, और वो सतीश के लंड के ख़याल में खो जाती है...
मोँ... माँ कहा खो गई हो आप... और तभी किसी के हिलाये जाने से सोनाली अपनी ख्यालो की दुनिया में से बाहर आ जाती है... सोनाली होश में आती है तो देखति है की सामने शिप्रा तैयार खड़ी है और उसे हिला रही थी...
शिप्रा- कहा खो गई थी माँ अभी सारी चाय निकल जाति, वो तो मे सही टाइम पर आ गई...
सोनाली- “ऊह्ह्... कही भी तो नहीं बेटा, वो बस ऐसे ही कुछ सोचने लगी थी... चल अब तू आ ही गई है तो अपने भाई को चाय दे आ”.,
ओर सोनाली एक कप में चाय डाल कर शिप्रा को दे देती है...
शिप्रा चाय का कप लेकर सतीश के रूम की तरफ अपनी गांड मटकाते हुए चल देती है...
जबकि दूसरी तरफ सतीश सोनाली के जाते ही फ्रेश होने चल देता है... और जल्दी से फ्रेश होने के बाद बाथ लेने लगता है... सारे टाइम सतीश के दिमाग में कल रात वाले सीन किसी मूवी की तरह चल रहे थे, अब सतीश की सोच अपनी माँ को लेकर बदल गई थी और इस बात की गवाही उसका खड़ा लंड दे रहा था... बाथ लेते समय सतीश के दिमाग में एक ख़याल आता है और वो अपने आप से.....
सतीश- यार एक बात समझ नहीं आई, डोर तो खुला था फिर माँ ने ये क्यों कहा की डोर खुला नाहि, वैसे तो वो रोज मुझे उठाने आती थी....
ह.दी.- अबे साले वो तेरा पोपट बना गई, झुट बोल रही थी ओ... जरूर वो चाय लेकर अंदर आई होगी तू घोड़े बेच के सो रहा होगा और उन्होंने तेरा खड़ा लंड देख लिया होगा तो उन्होंने बाहर जाकर गेट नॉक करा होगा...
सतीश- आओ भाई तेरी कमी ही रह गई थी साले हमेशा लंड से ही सोचता है,.. हो सकता है की वाकई में उनसे डोर न खुला हो...
ह.दी.- साले लोडू हो गया है क्या आज से पहले ऐसा हुआ है कभी की वो तुझे उठाने आई हो और डोर न खुला हो तूने तो डोर खोला ही था कितनी आसानी से खुल गया था, कोई तुझ जैसा चूतिया नंदन ही उनकी बात का यकीन करेगा की गेट न खुला हो...
सतीश- पर...
ह.दी.- “पर...वर छोड़ और अब माँ की चुदाई का प्लान बना... अब तो उन्होंने भी लंड देख लिया है... और तू तो जनता ही है की अपने लंड को देख कर तो हर कोई इसे अपनी चुत में लेना चाहता है...
सतीश- तू सच कह रहा है भाई... अब जब वो मेरा लंड देख ही चुकी हैं तो ज्यादा दिनों तक इसे लिए बिना नहीं रह सकती.... अब जलद ही मेरा लंड उनकी चुत की गहराई नापेगा...
ओर इसी के साथ वो अपनी माँ को ख्यालो में ही तरह तरह से चोदते हुए अपना पानी निकाल देता है...
दूसरी तरफ शिप्रा, सतीश के रूम में आती है, सतीश को रूम में न पाकर वो समझ जाती है की सतीश वाशरूम में है, शिप्रा चाय का कप बेड के पास रखी टेबल पर रख देती है, तभी उसकी नजर बेडशीट पर पड़े दाग पर पड़ती है, वैसे निशान कई जगह थे... शिप्रा उन्हें ध्यान से देखति है और फिर उसके चेहरे पर एक अर्थपुर्ण मुस्कान आ जाती है, तभी सतीश का मोबाइल रिंग करता है, शिप्रा मोबाइल उठाती है तो उसे स्क्रीन पर एक मेसेज फ़्लैश होते दिखाइ देता है, जो किसी प्रियंका नाम की लड़की का था... शिप्रा मोबाइल को टेबल पर रख देती है तभी उसके दिमाग में न जाने आता है वो मोबाइल उठकर मेसेज ओपन करती है...
मेसेज- “गुड़ मॉर्निंग जानु आई मिस यु टू”.
मेसेज पढ़कर शिप्रा के फेस पे एक शरारती मुस्कान आ जाती है, और वो इन्बॉक्स में चलि जाती है और मेसेज पड़ने के लिये, पर तभी बाथरूम के गेट खुलने की आवाज सुनकर वो मोबाइल रख देती है...
तभी बाथरूम से सतीश बाहर आता है...उसने इस समय केवल एक टॉवल पहनी हुई थी...उसकी चौडी छाती एक दम चिकनी थी जिस पर पानी की बुँदे साफ़ दिखाइ दे रही थी... सतीश रूम में शिप्रा को देख कर चौक जाता है...
शिप्रा- गुड़ मॉर्निंग सतीश भइया...
सतीश- वेरी गुड़ मॉर्निंग टू यु वैसे तू मेरे रूम में क्या कर रही है....
शिप्रा- मुझे तेरे रूम में आने का कोई शौक नहीं है... वो तो मुझे माँ ने कहा था तुझे चाय देके आने को तो मे आई थी... वैसे बॉडी अच्छी बनाई है तुमने...
सतीश-आई नो बट थँक्स फ़ॉर दी कॉम्प्लिमेंट...
शिप्रा- मुझे पता है तुझे इंग्लिश आती है इस्लिये ज्यादा अंग्रेज बनने की जरुरत नहीं है... और हा बॉडी अच्छी है इसका ये मतलब नहीं है की तू घर में नंग धड़ंग अपनी बॉडी दीखाता फिरेगा...
सतीश- “मे कब नंग धड़ंग घुमता हु....
शिप्रा- “तो इस समय तू क्यों नंगा घूम रहा है...
सतीश- आरे वह तो मैंतो..
ह.दी- अबे लवडू, ये भी तेरा पोपट बना रही है, ये तेरा रूम है तू यहाँ जैसा चाहे घूम सकता है....
शिप्रा- रुक क्यों गया बोल-बोल...
सतीश को ह.दी. की बात समझ मे आ गई थी...
सतीश- “ओये शिप्रा की बच्ची ये मेरा रूम है मे यहाँ जैसे चाहे वैसे घूम सकता हु....
शिप्रा मुह बनाते हुये- हाँ तो घूम ना मैं तुझे कौन सा रोक रही हु... और हाँ चाय पिले वरना फिर कोल्ड टी बन जाएगी....
सतीश जल्दी से कप उठा कर चाय पिने लगता है...
शिप्रा- वैसे एक बात बता ये तेरी बेड शीट पर दाग कैसे पड़े हे....?
सतीश को एकदम फन्दा लग जाता है...
सतीश- आरे ए.. ये तो ओ.. चाय के दाग है, कल चाय इस पर गिर गई थी...
शिप्रा- “तो इसे धुलने को दे दियो... ऐसे गन्दी ये अच्छी नहीं लगती...
सतीश- “दे दूंगा धुलने को अब ये पकड़ कप और मेरा पीछा छोड़ मेरी माँ, मुझे तैयार भी होना है...
शिप्रा कप लेकर चल देती है... और ड़ोर के पास पहुच कर- अरे हाँ छछुन्दर, किसी प्रियंका नाम की बन्दरिया का मेसेज था कह रही थी- गुड़ मॉर्निंग जानु एंड मिस यु टू... ह..ह..ह
सतीश- तूने मेरा सेल छुवा, मे तुझे नही छोडूंगा ...
ओर सतीश शिप्रा के पीछे भगता है, और शिप्रा हस्ते हुए निचे की तरफ भाग जाती है...
सतीश- रुक भगति कहा है छिपकली कही की...
शिप्रा पीछे मुड़कर उसे जीभ दिखाते हुये-“चल... हट छछूंदर कही का....
ओर इसी के साथ शिप्रा भाग कर किचन मे सोनाली के पास पहुच जाती है... और सतीश भी अपने रूम मे पहुच जाता है और तैयार होकर निचे आ जाता है...
निचे डायनिंग टेबल पर शिप्रा बैठि हुई थि, सतीश उसे घुरता हुआ उसके सामने की चेयर पर बैठ जाता है...
शिप्रा अभी भी मुस्कुरा रही थी.. तभी उसके दिमाग मे ना जाने क्या खुराफ़ात सूझती है...
शिप्रा सतीश को चिड़ाते हुये- गुड़ मॉर्निंग जाणु... और हॅसने लगती है...
सतीश- देख शिप्रा मान जा वरना आज तू पिट जायेगी मेरे हाथ से...
शिप्रा- “और मारेगा कौन छछुंदर तू मारेगा मुझे...
सतीश- “आज तू तो गई, आज नहीं छोडूंगा तुझी... आज देखता हूँ तुझे कौन बचायेगा मेरे से...
ओर इसी के साथ वो शिप्रा की तरफ भागता है, और शिप्रा उठकर किचन की तरफ भागति है... और किचन मे सोनाली के पीछे जाकर खड़ी हो जाती है...
शिप्रा- “माँ देखो भाई मुझे मार रहा है...
सोनाली- “सतीश क्यों मार रहा है शिप्रा को...
सतीश- “माँ अब तक तो नहीं मारा पर अब जरूर मारूंगा....
सोनाली- कब सुधरोगे तुम दोनों अब तुम बड़े हो गए हो, अब तो ये शैतानियाँ बंद करो.. सतीश जाओ डायनिंग टेबल पर, मे अभी नास्ता ला रही हु...
सतीश शिप्रा की तरफ देखता है तो वो जीभ दिखा रही थि, जैसे कह रही हो की तू मेरा कुछ नहीं बिगाड सकता... सतीश ग़ुस्से में दिंनिंग टेबल की तरफ बढ़ जाता है...
सतीश के जाते ही शिप्रा सोनाली के गले में हाथ डालकर उसे किस करते हुये- “थैंक यु माँ एंड लव यु टू, यु आर दी बेस्ट माँ ऑफ़ दी वर्ल्ड़...
सोनाली- “ज्यादा मस्का मारने की जरुरत नहीं है, और उसे ज्यादा मत छेड़ा कर वरना फिर मे तुझे रोज नहीं बचा पाउँगी...
ओर फिर वो दोनों नाश्ता लेकर आ जाते हैं और फिर डायनिंग टेबल पर लगा देते हे...
सतीश और शिप्रा नास्ता करने लगते हैं और सोनाली एक कुरसी पर बैठ कर कॉफ़ी पीने लगती है...
शिप्रा- “माँ आप नाश्ता नहीं करोगी...?
सोनाली- “नहीं बेटा वो कल रात देर से सोइ थी इस्लिये आँख जरा लेट खुली तो आज मैं नहा नहीं पाई....
सतीश जानता था की उसकी माँ रात को क्यों लेट सोइ थि, और उसकी आँखों में फिर से रात वाले सीन चलने लगते हे... और उसका लंड जीन्स के अंदर ही अपना सर उठाने लगता है....
अब सतीश सोनाली को तिरछी नजर से देखता है तो उसे अपनी माँ दुनिया की सबसे हसीन औरत लगती है... वो उसके खूबसूरत चेहरे को देखते हुए जब थोड़ा निचे देखता है तो बस देखता ही रह जाता है... येलो कलर के डीप कट ब्लाउज से उसका क्लीवेज साफ़ दिखाइ दे रहा थे... उसकी चूचियां ब्लाउज में बहुत कसी हुई थि, ऐसा लग रहा था की अभी ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आ जाएंगी...
सतीश बहुत मुस्किल से अपने को रोकता है और नाश्ता ख़तम करके शिप्रा के साथ कॉलेज के लिए अपनी बाइक से निकल जाता है, पुरे रस्ते उसका लंड उसे परेशान करता रहा... कॉलेज पहुच ते ही शिप्रा उतर कर अपने क्लास की तरफ बढ़ जाती है, और सतीश पार्किंग( बाइक स्टैंड ) की तरफ बढ़ जाता है, पर आज वो बहुत बेचैन था उसे चुत चाहिए थी.... इसलिए वो अपने जेब से मोबाइल निकाल कर एक नम्बर. डायल करता है...
दूसरी तरफ से कॉल रिसीव होते ही- कहाँ है...
दूसरी तरफ से फीमेल की आवाज आती है- “घर पर हूँ क्यों क्या हुआ”?
सतीश - हाँ सुन आज कॉलेज कैंसिल कर दे, मे आ रहा हुन ५ मीनट. में..
ओर इतना कहकर वो कॉल डिसकनेक्ट कर देता है और अपनी बाइक कॉलेज से बाहर निकाल कर तेजी से चल देता है.....
ओर बाइक सीधे एक घर के आगे जाकर रूकती है... सतीश बाइक को लॉक करके तुरंत आगे बढ़ कर डोर बेल्ल बजाता है, उसकी जीन्स में एक उभार बना हुआ था, जिससे अन्दाजा लगाया जा सकता था की उसका लंड अभी भी खड़ा है...
तभी डोर खुलता है और सामने खड़े शख्स को देख कर उसका मुह खुला का खुला रह जाता है....
दोस्तो अब समय आ गया है कहानी के २ नये कैरेक्टर से आपको इंट्रोडुस करने का....
प्रियंका- उम्र- २० फिगर- ३४-२८-३४
एक बेहद ही खूबसूरत लडकि, पिछले एक महीने से प्रियंका और सतीश रिलेशनशिप में है... सतीश ने एक महीने में ही प्रियंका को अपने लंड की दासी बना लिया है...
नलिनी- उम्र- ४० फिगर- ३८-३२-३८
एक खूबसूरत और हॉट milf, और प्रियंका की माँ, पति विदेश में ही किसी कंपनी में जॉब करते हे, और साल में मुस्किल से २०-३० दिन के लिए आते हे, बेचारी अपनी चुत की आग नकली लंड की सहायता से बुजाति है...
चलिये अब कहानी की तरफ बढ़ते हे...
डोर ख़ुलते ही सतीश की आँखें आश्चर्य की अधिक्ता के कारन खुली की खुली रह जाती है...
उसके सामने एक औरत साड़ी में खड़ी थी जो की पारदर्शी थी और साथ में मैचिंग ब्लाउज जिसे केवल डीप कट कहना गलत होगा क्योकि वो हैवी डीप कट टाइप ब्लाउज था...
सतीश की नजर तो उसके उरोजों पर ही टिक जाती है, वो ब्लाउज कुछ छुपाने के लिए नहीं बल्कि एक्सपोस करने के लिए डिज़ाइन करा गया है, ब्लाउज में से उसका आधे से ज्यादा क्लीवेज और चूचियां दिखाइ दे रही थि, ब्लाउज को ऐसा डिज़ाइन करा गया था की निप्पल के ऊपर के बॉब्स पूरी तरह से एक्सपोस रहे....
सतीश का मुह खुला का खुला रह जाता है और वो एकटक उस औरत के ब्लाउज को फाड़ कर बाहर आने की कोशिश करते बॉब्स को घुरता रह जाता है...
तभी उसके कान में एक जानि पहचानी आवाज सुनाइ देती है...
नलिनी- “आरे सतीश बेटा तुम बाहर क्यों खड़े हो... अन्दर आओ”
सतीश का मुह तो खुला का खुला रह जाता है, जिस औरत को वो इतने देर से घुर रहा था वो कोई और नहीं बल्कि प्रियंका की माँ थी...
सतीश बिना कुछ बोले अंदर आ जाता है, नलिनी गेट बंद कर देती है, उसके होंठो पर भी एक विजयी मुस्कान थी क्युकी इस उम्र में भी उसने एक जवान लड़के के तोते उड़ा दिए थे.....
नलिनी अपने मन में- “कैसे घुर रहा था मेरे बॉब्स को जैसे की अभी अपने हाथो में लेकर निचोड देगा और अपने मुह में लेकर साबुत चबा जायेगा”...
ये सोचते ही नलिनी की चुत पनिया जाती है...
नलिनी- “तुम बैठो में अभी तुम्हारे लिए कॉफ़ी लेकर आती हु”...
ओर नलिनी अपनी हैवी गांड मटकाते हुये किचन की तरफ चल देती है... सतीश का तो उसके चुत्तड़ देख कर और बुरा हाल हो जाता है, उसका लंड जो पहले से ही स्टैंड मोड़ पे था अब जीन्स में उसे परेशानी दे रहा था...
ह.दी.- साला क्या माल है बे, अब तक इसपर नजर क्यों नहीं पड़ी मेरी... आये हाय क्या गांड मटकाती है यार मन कर रहा है की अभी जाकर इसकी गांड में अपना लंड पेल दु...
सतीश- “तुझे ऐसा नहीं लगता की तू आज कल मुझे कुछ ज्यादा ही परेशान करने लगा है”...
ह.दी.- “सतीश परेशान करने नहीं बल्कि तेरे दिमाग में उठ रहे खयालो से तुझे अवगत करने आता हु”....
सतीश- “मेरे दिमाग में ऐसा कोई ख़याल नहीं है, और हाँ ये प्रियंका की माँ है इन्हे चोदने का तो सतीश सपने में भी नहीं सोच सकता”....
ह.दी.- “क्यों बे जब अपनी माँ को चोओर आगे की बात उसके के होंठो में घुट जाती है, सतीश ने एक दम से प्रियंका के सर को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खिंच लिया और अपने जलते हुए लब प्रियंका के लबो पे रख देता है और उसके होठो को चुस्ने लगता है..... प्रियंका सतीश की इस हरकत से चौक जाती है, उसकी आँखे आस्चर्य से फ़ैल जाती हे... आज सतीश पर तो एक अलग ही भुत सवार था वो जंगलियों की तरह प्रियंका के होंठो को चुस रहा था तभी सतीश प्रियंका के होंठो को बाईट करता है, प्रियंका के शरीर में एक दर्द की लहर दौड जाती है.... और प्रियंका उसको पीछे धकेल देती है...
प्रियंका अपने होंठ पर निकल आये खुन को पोछते हुये- “पागल हो गये हो क्या? थोड़ी देर कण्ट्रोल नहीं कर सकते क्या, माँ देख लेती तो”...
सतीश- “क्या करू तुम्हारे जूसी होठ देख कर कण्ट्रोल नहीं हुआ”...
तभी नलिनी कॉफ़ी लेकर आ जाती है...
नलिनी- “क्या बातें हो रही हैं आपस में”..?
सतीश- “कुछ खास नहीं आंटी, बस ऐसे ही नार्मल बात चित हो रही थी... वैसे आप कही बाहर जा रही हैं क्या”...?
नलिनी- “नहीं तो क्यों तुम्हे ऐसा क्यों लगा”...?
सतीश- “नहीं बस ऐसे ही लगा तो पूछ लिया, वैसे आज आप इस साड़ी में काफी स... सुन्दर लग रही है”...
नलिनी- “कहा बेटा अब में बूढी हो गई हु”...
सतीश- “ये आपसे किसने कहा आंटी आप तो इतनी सेक्सी लग रही हो की कोई भी आपको २८ से ज्यादा नहीं कह सकता”...
उसकी बात सुनकर जहा नलिनी के चेहरे पर स्माइल आ जाती है वहि प्रियंका सतीश को घुर कर देखने लगती है...
नलिनी- “हट झूटा कही का शर्म नहीं आती तुझे मेरा मजाक बनाते हुये”....
सतीश- “कसम से आंटी मैं सच कह रहा हु... और आपको यकीन ना हो तो आप ऐसे ही बाहर घुमने चले जाओ, देख लेना हर एक नजर बस आप पर ही टिक जाएगी”....
वैसे ये बात तो नलिनी को पता थी की जिस रोड से वो गुज़रती है वहा पर सब की निगाहें बस उसी पर टिक जाती है पर सतीश के मुह से उसे अपनी तारीफ सुन्ना काफी अच्छा लग रहा था...
सतीश तो पता नहीं अभी नलिनी को कितने चने के झाड़ पर चढाता पर तभी प्रियंका बीच में ही बोल पड़ती है..
प्रियंका- “माँ हम दोनों ऊपर स्टडी करने जा रहे हैं प्लीज् हमे डिस्टर्ब मत करना”...
नलिनी- “ठीक है बेटा तुम जाकर स्टडी करो.... और सतीश थँक्स फॉर दी कम्प्लीमेंट”...
प्रियंका सतीश का हाथ पकड़ कर उसे अपने रूम में ले जाती है... और डोर को अंदर से लॉक करके सतीश की पीठ और हाथ पर घुसे मारते हुये...
प्रियंका- “बेशरम इंसान शर्म नहीं आई तुम्हे मेरी माँ से फ़्लर्ट करते हुये”....
सतीश प्रियंका का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खिंच लेता है जिससे प्रियंका के बॉब्स सीधे सतीश की छाती से जा टकराते हे, और उसके निप्पल सतीश की कठोर छाती से लग दब जाते हैं जिससे प्रियंका के मुह से एक मस्ती भरी आह निकल जाती है...
सतीश प्रियंका की पीठ पर अपने हाथ फेरते हुये
सतीश- “क्या करू यार तेरी माँ लग ही इतनी सेक्सी रही थी, की मे अपने आप को उनकी तारीफ करने से, रोक ही नहीं पाया”....
प्रियंका- “बहुत बड़ा कमीना है तू मेरी माँ पे अपनी बुरी नजर रखता है... तभी तो साला ये आज पहले से ही खड़ा हुआ है”...
प्रियंका सतीश के खड़े लंड को जो की उसे अपनी चुत पर स्कर्ट पे से मह्सुस हो रहा था, अपने हाथ से सहलाने लगती है...
सतीश अब अपने हाथ से उसके चूतडो को मसलते हुये
सतीश- “वैसे इसके खड़े होने के पीछे का राज केवल तेरी माँ ही नही, बल्कि तू भी है, आज तो तू भी गजब का माल लग रही है”...
ओर इसी के साथ सतीश उसके चूतडो को अपने हाथो में लेकर बुरी तरह मसल देता है, जिससे प्रियंका के मुह से एक चीख निकल जाती है....
प्रियंका- “एआइइइ... थोड़ा आराम से सतीश में कही भागे थोड़ी जा रही हु”...
सतीश- “साली भाग के जायगी भी कहा”...
और इसी के साथ सतीश प्रियंका के होठो को अपने होठो में लेकर चुस्ने लगता है....
सतीश आज बहुत बुरी तरह से प्रियंका के होठो को चुस रहा था...
सतीश आज सुबह से ही बहुत उत्तेजित था और उसे अब अपने आपको कण्ट्रोल करना मुस्किल था, सतीश किस तोड़कर पीछे हटता है और फिर टॉप को पकड़ कर निकाल देता है और फिर उसकी स्कर्ट को भी प्रियंका की बॉडी से अलग कर देता है... प्रियंका भी उसका पूरा साथ दे रही थी...
अब प्रियंका केवल रेड कलर की ब्रा और पेन्टी में सतीश के सामने थी... उसके उन्नत वक्ष रेड ब्रा में बहुत ही आकर्षक लग रहे थे... उस समय अगर कोई संन्यासी भी उसे देख लेता तो अपना लंड उसकी चुत में डाल कर उसकी चुदाई कर देता... उसकी नंगी मांसल जांघे बहुत ही सेक्सी लग रही थी... प्रियंका का एक एक अंग प्यार करने लायक था...दने की सोच सकता है तो ये तो फिर भी प्रियंका की माँ है”...
सतीश- “बात तो तू सही कह रहा है”....
ह.दी.- “बात तो मे हमेशा सही कहता हूँ बस तेरे दिमाग मे थोड़ी देर से घुसती है”....
तभी सतीश को एक हाथ अपने कंधे पर मह्सुश होता है और एक अवाज उसके कान में पड़ती है...
“क्या सोच रहे हो सतीश”?
सतीश पीछे मुद कर देखता है... पीछे प्रियंका अपने चेहरे पर एक खूबसूरत सी स्माइल लिए ब्लैक टॉप और स्कर्ट पहने खड़ी थी... उस ब्लैक टॉप में जो की उसकी नैवल से काफी ऊपर ही ख़त्म हो गया था, प्रियंका काफी सेक्सी लग रही थि, उसका गोरा चिकना पेट् और सेक्सी नैवल देख कर तो किसी का भी खड़ा कर देती फिर सतीश तो वैसे ही काफी बड़ा ठरकी था... फिर सतीश की नजर निचे जाती है, प्रियंका ने मिनी स्कर्ट पहनी हुई थी जिससे उसकी गोरी मांसल जांघे दिखाइ दे रही थी...
सतीश अपने लंड को एडजस्ट करते हुये अपने मन में- “साला आज ये माँ बेटी तो मेरा झड़वा कर ही रहेगी”....
अब प्रियंका सतीश के बारबार में आकर बैठ जाती है, और उसके जिस्म की भीनी खुशबू सतीश के दिमाग में बस जाती है....
प्रियंका- “तुमने जवाब नहीं दिया, क्या सोच रहे थे”?...
सतीश उसे कोई जवाब नहीं देता बस उसके पिंक होंठो की तरफ देखता रहता है...
प्रियंका- “ऐसे क्या देख रहे हो”?..
ओर आगे की बात उसके के होंठो में घुट जाती है, सतीश ने एक दम से प्रियंका के सर को पकड़ कर उसे अपनी तरफ खिंच लिया और अपने जलते हुए लब प्रियंका के लबो पे रख देता है और उसके होठो को चुस्ने लगता है..... प्रियंका सतीश की इस हरकत से चौक जाती है, उसकी आँखे आस्चर्य से फ़ैल जाती हे... आज सतीश पर तो एक अलग ही भुत सवार था वो जंगलियों की तरह प्रियंका के होंठो को चुस रहा था तभी सतीश प्रियंका के होंठो को बाईट करता है, प्रियंका के शरीर में एक दर्द की लहर दौड जाती है.... और प्रियंका उसको पीछे धकेल देती है...
प्रियंका अपने होंठ पर निकल आये खुन को पोछते हुये- “पागल हो गये हो क्या? थोड़ी देर कण्ट्रोल नहीं कर सकते क्या, माँ देख लेती तो”...
सतीश- “क्या करू तुम्हारे जूसी होठ देख कर कण्ट्रोल नहीं हुआ”...
तभी नलिनी कॉफ़ी लेकर आ जाती है...
नलिनी- “क्या बातें हो रही हैं आपस में”..?
सतीश- “कुछ खास नहीं आंटी, बस ऐसे ही नार्मल बात चित हो रही थी... वैसे आप कही बाहर जा रही हैं क्या”...?
नलिनी- “नहीं तो क्यों तुम्हे ऐसा क्यों लगा”...?
सतीश- “नहीं बस ऐसे ही लगा तो पूछ लिया, वैसे आज आप इस साड़ी में काफी स... सुन्दर लग रही है”...
नलिनी- “कहा बेटा अब में बूढी हो गई हु”...
सतीश- “ये आपसे किसने कहा आंटी आप तो इतनी सेक्सी लग रही हो की कोई भी आपको २८ से ज्यादा नहीं कह सकता”...
उसकी बात सुनकर जहा नलिनी के चेहरे पर स्माइल आ जाती है वहि प्रियंका सतीश को घुर कर देखने लगती है...
नलिनी- “हट झूटा कही का शर्म नहीं आती तुझे मेरा मजाक बनाते हुये”....
सतीश- “कसम से आंटी मैं सच कह रहा हु... और आपको यकीन ना हो तो आप ऐसे ही बाहर घुमने चले जाओ, देख लेना हर एक नजर बस आप पर ही टिक जाएगी”....
वैसे ये बात तो नलिनी को पता थी की जिस रोड से वो गुज़रती है वहा पर सब की निगाहें बस उसी पर टिक जाती है पर सतीश के मुह से उसे अपनी तारीफ सुन्ना काफी अच्छा लग रहा था...
सतीश तो पता नहीं अभी नलिनी को कितने चने के झाड़ पर चढाता पर तभी प्रियंका बीच में ही बोल पड़ती है..
प्रियंका- “माँ हम दोनों ऊपर स्टडी करने जा रहे हैं प्लीज् हमे डिस्टर्ब मत करना”...
नलिनी- “ठीक है बेटा तुम जाकर स्टडी करो.... और सतीश थँक्स फॉर दी कम्प्लीमेंट”...
प्रियंका सतीश का हाथ पकड़ कर उसे अपने रूम में ले जाती है... और डोर को अंदर से लॉक करके सतीश की पीठ और हाथ पर घुसे मारते हुये...
प्रियंका- “बेशरम इंसान शर्म नहीं आई तुम्हे मेरी माँ से फ़्लर्ट करते हुये”....
सतीश प्रियंका का हाथ पकड़ कर उसे अपनी तरफ खिंच लेता है जिससे प्रियंका के बॉब्स सीधे सतीश की छाती से जा टकराते हे, और उसके निप्पल सतीश की कठोर छाती से लग दब जाते हैं जिससे प्रियंका के मुह से एक मस्ती भरी आह निकल जाती है...
सतीश प्रियंका की पीठ पर अपने हाथ फेरते हुये
सतीश- “क्या करू यार तेरी माँ लग ही इतनी सेक्सी रही थी, की मे अपने आप को उनकी तारीफ करने से, रोक ही नहीं पाया”....
प्रियंका- “बहुत बड़ा कमीना है तू मेरी माँ पे अपनी बुरी नजर रखता है... तभी तो साला ये आज पहले से ही खड़ा हुआ है”...
प्रियंका सतीश के खड़े लंड को जो की उसे अपनी चुत पर स्कर्ट पे से मह्सुस हो रहा था, अपने हाथ से सहलाने लगती है...
सतीश अब अपने हाथ से उसके चूतडो को मसलते हुये
सतीश- “वैसे इसके खड़े होने के पीछे का राज केवल तेरी माँ ही नही, बल्कि तू भी है, आज तो तू भी गजब का माल लग रही है”...
ओर इसी के साथ सतीश उसके चूतडो को अपने हाथो में लेकर बुरी तरह मसल देता है, जिससे प्रियंका के मुह से एक चीख निकल जाती है....
प्रियंका- “एआइइइ... थोड़ा आराम से सतीश में कही भागे थोड़ी जा रही हु”...
सतीश- “साली भाग के जायगी भी कहा”...
और इसी के साथ सतीश प्रियंका के होठो को अपने होठो में लेकर चुस्ने लगता है....
सतीश आज बहुत बुरी तरह से प्रियंका के होठो को चुस रहा था...
सतीश आज सुबह से ही बहुत उत्तेजित था और उसे अब अपने आपको कण्ट्रोल करना मुस्किल था, सतीश किस तोड़कर पीछे हटता है और फिर टॉप को पकड़ कर निकाल देता है और फिर उसकी स्कर्ट को भी प्रियंका की बॉडी से अलग कर देता है... प्रियंका भी उसका पूरा साथ दे रही थी...
अब प्रियंका केवल रेड कलर की ब्रा और पेन्टी में सतीश के सामने थी... उसके उन्नत वक्ष रेड ब्रा में बहुत ही आकर्षक लग रहे थे... उस समय अगर कोई संन्यासी भी उसे देख लेता तो अपना लंड उसकी चुत में डाल कर उसकी चुदाई कर देता... उसकी नंगी मांसल जांघे बहुत ही सेक्सी लग रही थी... प्रियंका का एक एक अंग प्यार करने लायक था...
पर अभी सतीश का मूड ओरल सेक्स करने का बिलकुल भी नहीं था वो तो बस अपने लंड को चुत में डालकर चुदाई करना चाहता था...
ओर वो करता भी ऐसा ही है... सतीश तेजी से उसके ब्रा का हुक खोल कर ब्रा को प्रियंका के बदन से अलग कर देता है... और फिर निचे आकर उसकी पेन्टी को भी निचे खिसका देता है प्रियंका भी अपने पैर उठा कर उसे पेन्टी निकालने में हेल्प करती है... अब प्रियंका सतीश सामने पूरी नुड थी और उसका संगेमर्मर से तराशा गया बदन बहुत ही मादक था... सतीश अब भी उसके किसी अंग को हाथ तक नहीं लगाता...
प्रियंका सतीश के इस रूप से बहुत आस्चर्य चकित थि, सतीश हमेशा ओरल सेक्स करते हुए उसके कपडे उतरता था फिर उसे फ़क करता था पर आज सतीश ओरल सेक्स बिलकुल नहीं कर रहा था...
पता नहीं आज सतीश पर कैसा जुनून सवार था वो प्रियंका को पूरा नंगा करने के बाद अब तेजी से अपने कपडे उतारने सुरु कर देता है....
सतीश अब फुल नुड प्रियंका के सामने था, और उसका लौडा पूरी तरह से खड़ा अब खुली हवा में सांस ले रहा था...
प्रियंका का सबसे प्यारा खिलौना और उसकी सबसे लजीज लोलीपोप अब उसके सामने थी... प्रियंका की आँखों में चमक आ जाती है और वो आगे बड़कर अपने लोलीपोप को पकड़ लेती है....
सतीश- “प्लीज् प्रियंका अभी इस सब का टाइम नहीं है, मैंने अगर अभी चुदाई नहीं की तो मे मर जाऊंगा”...
प्रियंका उसकी बात को समझ कर अपने हाथ बेड के किनारे पर रख कर झुक जाती है, और उसके सामने घोड़ी बन जाती है.... अब प्रियंका की चुत सतीश के सामने थी सतीश आगे बढ़ कर लंड के सुपाडे को उसकी चुत के मुह पर टीका कर एक जोर का धक्का मारता है...
लंड प्रियंका की चुत को फैला कर आधा अंदर चला जाता है और इसी के साथ प्रियंका के मुह से एक दर्द भरी चीख़ निकल जाती है...
प्रियंका- “आआईईईइ.... बहुत दर्द हो रहा है सतीश प्लीज् थोड़ा आराम से... आअह्ह्ह”
प्रियंका की चुत चुदाई का सोच कर और सतीश का लंड देख गिली तो हुई थि, पर इतनी गिली नहीं हुई थी की सतीश का लंड ले सके, और ऊपर से सतीश का लंड भी चिकना नहीं था जिससे वो बहुत कसा हुआ चुत में अंदर गया था..
सतीश प्रियंका के दर्द की परवाह न करते हुए अपना पूरा लंड अंदर पेल देता है.. प्रियंका के मुह से दर्द भरी चीख़ निकल जाती है... पर सतीश तो अब ताबड़तोड़ धक्के मारते हुये प्रियंका की चुदाई करने लगता है...
प्रियंका को अपनी चुत में जलन हो रही थि, और उसकी आँखों से दर्द की अधिक्ता के कारन आँसु निकल आये थे, पर वो सतीश को रुकने को नहीं कहती है....
सतीश अपने लंड को सुपाडे तक बाहर निकाल कर अंदर पेल रहा था... इसी तरह वो अपने लंड को तेजी में अंदर बाहर कर रहा था...
आज तो सतीश दरिन्दा बन गया था वो प्रियंका के दर्द की परवाह किये बिना उसे बुरी तरह से चोद रहा था... सतीश प्रियंका में अपनी माँ सोनाली को देख कर उसकी इतनी ताबड़तोड़ चुदाई कर रहा था...
सतीश प्रियंका के बाल पकड़ लेता है और अपने लंड को पूरी तेजी में अंदर बाहर करने लगता है.... पूरे कमरे में प्रियंका की दर्द भरी चीखें गुंज रही थी...
पर वो चीखें तो सतीश के लिए आग में घी जैसा काम कर रही थी और उसके धक्के में तेजी आ जाती है और १० मीनट की चुदाई करने के बाद उसका लंड चुत में ही अपना माल गिरा देता है...
सूबह से फ़टने को तैयार लंड अब फट पडता है और अपना सारा लावा उगल कर शांत हो जाता है... प्रियंका लंड के चुत से निकलते ही बेड पर पीठ के बल लेट जाती है... सतीश की तो जैसे जान ही निकल गई हो वो भी जाकर प्रियंका के सीने पर अपना सर रख कर लेट जाता है...
सतीश प्रियंका के सीने पर सर रख कर लेट जाता है, प्रियंका और सतीश अपनी उखड़ी हुई साँसों को कण्ट्रोल करने में लगे हुए थे, प्रियंका सतीश के बालों में हाथ फिरा रही थी..... सतीश अब बहुत अच्छा महसुस कर रहा था और अब उसे फील होता है की उसने प्रियंका को कितना दर्द दिया है...
सतीश गर्दन उठकर प्रियंका की तरफ देखता है, प्रियंका की आँखें अभी भी लाल थी जोकि बता रही थी की दर्द की बजह से वो काफी आँसु बहा चुकी हें..... सतीश थोड़ा ऊपर बढ़ कर प्रियंका के होंठो पर एक किस करता है.....
सतीश किस तोड़कर- “आई एम सॉरी”...
प्रियंका बस मुस्कुरा देती है, और सतीश के होंठो को अपने होंठो में लेकर चुस्ने लगती है.... थोड़ी देर ऐसे ही एक दूसरे के होंठ चुस्ने के बाद वो दोनों अलग होते हे....
प्रियंका- “एक बात पुछु”....?
सतीश-“ह्म्मम्”
प्रियंका- “आज तुम्हे हुआ क्या था.... आज से पहले तो तुमने ऐसे सेक्स कभी नहीं किया, पर आज तो ऐसा लग रहा था जैसे, तुम नहीं कोई और ही मेरे साथ सेक्स कर रहा है”...
सतीश कोई जवाब नहीं देता और प्रियंका के दोनों चूचियों को अपने हाथो में लेकर मसलने लगता है और एक निप्पल को अपने मुह में लेकर चुसना स्टार्ट कर देता है..... प्रियंका के मुह से एक दम से सिसकारी फ़ुट पड़ती है....
प्रियंका- “इस्स्स्सस्छ्हःह”
प्रियंका सतीश के सर को अपने चूचि पेर दबाने लगती है और सतीश भी तेजी में उसकी दोनों चूचियों को मसल रहा था और एक एक करके चुस और काट रहा था और इसी के साथ प्रियंका की सिसकारियां भी तेज हो जाती हे.......
प्रियंका- “आआह्ह्ह्हह्ह्ह्..... उफ्फ्”
अब सतीश उसके पेट् पर से अपनी जीभ फिराते हुए नीचे की तरफ बढ्ने लगता है... और उसकी नैवल(नाभि) के पास पहुँच कर थोड़ी देर उसकी गहरी नाभि के चरो तरफ जीभ फिराता है और फिर उसमे अपनी जीभ दाल कर उसे चुस्ने लगता है.... सतीश प्रियंका की नाभि को ऐसे चुस राह था जैसे वो नाभि न होकर चुत को चुस रहा हो....
थोड़ी देर तक नाभि को चुस्ने के बाद सतीश नीचे बढ़ता है और फिर उसकी चुत के सामने आकर रुक जाता है.... थोड़ी देर तक चूत को देखने के बाद वो उसकी क्लीट को अपने मुह में लेकर चुस्ने लगता है..... अब तो प्रियंका का बुरा हाल हो जाता है वो अपना सर इधर उधर पटकने लगती है और अपने दोनों हथेलियों में बेडशीट को पकड़ कर मचलने लगती है.......
सतीश कभी अपनी जीभ उसकी क्लीट पर फिराता और कभी उसे मुह में लेकर चूसता और काटने लागत, प्रियंका की चुत से दरिया बह रहा था.... अब प्रियंका से कण्ट्रोल नहीं होता और वो अपने हाथ से सतीश के बालों को पकड़ कर अपनी चुत पर दबा देता है पर सतीश उसकी चुत को नहीं चुस्ता, प्रियंका ग़ुस्से में सतीश के मुह को अपनी चुत पर घीसने लगती है....
प्रियंका- “ओहः.... सतीश प्ल्ज़ सक इट.... चुसो इसे....
सतीश अब अपनी जीभ निकल कर उसकी चुत पर फिराता है चुत का टिट मिलते ही सतीश अपने होठो में उसकी चुत को लेकर चुस्ने लगता है... प्रियंका की बॉडी अकड जाती है और एक चीख़ के साथ प्रियंका का बांध तूट जाता है.... सतीश प्रियंका के सरे कामरस को पि जाता है....
अब प्रियंका का शरीर शांत पड़ गया था, उसे बहुत मजा आया था इस चुत चूसाई में, वो अब अपनी साँसे कण्ट्रोल कर रही थी....
ईधर सतीश प्रियंका की चुत से एक एक बून्द चाट जाता है..... और फिर अपने हाथो से चुत की दोनों फाकों को फैला कर उसमे अपनी जीभ दाल देता है और अपनी जीभ को अंदर बाहर करने लगता है.... सतीश अपनी जीभ निकल कर अपनी दो उंगलियाँ उसकी चुत में दाल देता है....
प्रियंका- “आह”....
सतीश तेजी से ऊँगली अंदर बाहर करने लगता है और चुत के दाने को अपने होंठो से चुस्ने लगता है....
प्रियंका भी अब गरम होने लगती है.... अब सतीश उठ कर प्रियंका को बेड के किनारे ले आता है.... अब प्रियंका पीठ तक तो बेड पर थी पर उसके पैर बेड से नीचे लटक रहे थे, सतीश जमीन पर खड़े होकर उसके पैरों को ऊपर कन्धो की तरफ फोल्ड कर देता है, प्रियंका अपने पैरों को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर सतीश की हेल्प करती है, अब प्रियंका की कामरस बहति चुत सतीश के सामने थी... प्रियंका की गुलाबी चुत की दोनों फाकें एक दूसरे से चिपकी हुई थि, सतीश अपने लंड का टोपा उसकी चुत पर रख कर उसपर घीसने लगता है...
प्रियंका- “श्... अब और मत तडपाओ जान प्लीज् फ़क मि”...
सतीश- “हिंदी मे बोलो ना डार्लिंग, थोड़ी गालियों के साथ”.....
प्रियंका- “अब लंड चुत मे दाल भी दे भोसडी के, ऐसे खड़े खड़े क्यों अपनी माँ चूदा रहा है”....
सतीश- “तेरी माँ की चोदुं, साली रंडी कही की.... ले मेरा लौडा लंच कर रहा है”....
ओर इसी के साथ सतीश एक ही धक्के मे अपना लंड खुट्टो तक अंदर पेल देता है.... और इसी के साथ प्रियंका की एक दर्द भरी चीख़ निकल जाती है... पर सतीश उसके दर्द की परवाह किये बिना अपना लंड अंदर बाहर करने लगता है.... प्रियंका को दर्द हो रहा था पर वो सतीश को रुक्ने को कहने की जगह उसे और भडकाने लगती है....
प्रियंका-“आह......यमः.... थोड़ा जोर लगा झानटू गांड मे दम नहीं रहा क्या अभी तो बहुत बड़ा चड़ा कर बोल रहा था की मेरी माँ चोद देगा... साले तेरे में दम नहीं की तू मेरी माँ चोद सके.....
सतीश- “साली रंडी आज तेरी चुत का भोसडा न बनाया तो मेरा नाम भी सतीश नहि”...
ओर इसी के साथ सतीश प्रियंका की गर्दन को अपने दोनों हाथो मे पकड़ कर अपने धक्को की स्पीड बड़ा देता है.... “ये ले साली, और ले”......
प्रियंका की चीखे और सिसकियाँ कमरे मे गूँजने लगती है.... सतीश प्रियंका के होंठो को अपने होंठो मे लेकर उन्हें चुसना सुरु कर देता है.... थोड़ी देर होंठ चुस्ने के बाद सतीश जब अपनी गर्दन ऊपर उठता है तो अक्समात उसकी नजर विंडो पर पड़ती है जोकि थोड़ी सी खुली हुई थि, सतीश को वहा पर किसी की परछाई मेहसुस होती है, जब वो ध्यान देता है तो देखता है की खिड़की पर प्रियंका की सेक्सी माँ खड़ी हुई उनकी चुदाई को देख रही थि, पहले तो सतीश की गांड फट जाती है पर जिन नजरो से वो सतीश और प्रियंका की चुदाई देख रही थी उससे सतीश को अन्दाजा हो जाता है की वो काफी प्यासी हे....
कहानी जारी रहेगी

0 टिप्पणियाँ