आग्याकारी माँ - 2
सतीश वहा से अपनी नजरें हटा लेता है और ऐसा शो करता है जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं हो और वो अपनी चुदाई जारी रखता है....
प्रियंका- “आह.... आई एम कमिंग......आह”
प्रियंका इतनी हार्ड चुदाई बरदास्त नहीं कर पाती और थोड़ी देर मे ही वो
पाणी छोड़ देती है........
सतीश- “क्या हुआ मेरी रंडी इतनी जल्दी झड गयी, अभी तो बहुत ताव दिखा रहि थी की मेरे में दम नहि, साली में तो तेरी माँ की चुत का भोसडा बनाने लायक दम रखता हुन, चल उठ और
लौडा चाट कर साफ़ कर मेरा.....
ओर इसी के साथ सतीश अपना लंड बाहर निकाल लेता है, वो कनखियों से
प्रियंका की माँ की हर हरकत पर नजर रखे हुए था, और उसने जानकार
अपणा लंड बाहर निकाला था ताकि अपना
मुसल लंड उसको दिखा कर उसकी चुत की आग और बड़ा सके.... और उसका
सोचना सही था प्रियंका की माँ की नजर
उसके मुसल पर ही अटक गई थि, वो उसको किसी भूखी पर पींजरे में कैद
शेरणी की तरह घुर रही थी जिसका
मन तो कर रहा था की वो अपने शिकार को झपट कर कच्चा चबा
जाये पर पींजरे की सलाख़ों के कारन वो ऐसा करने मे असमर्थ थी....
प्रियंका तुरंत उठ कर उसका मुसल जैसा लंड अपने हाथ मे ले लेती है,
ओर फिर अपनी जीभ निकालकर उसे ऊपर से निचे तक चाट कर उसपर से
अपणे चुत का रस साफ़ कर देती है, फिर
४-५ बार अपने हाथ से स्ट्रोक मारने के बाद फिर से अपने मुह मे
ले लेती है, और उसकी चूसा ई करना शुरू कर देती है.... ये सब देख कर
प्रियंका की माँ के आँखे फटी की फटी रह जाती हैं की कैसे उसकी बेटी इस
मुसल को पूरा अपने मुह में लेकर चूस रही थी.....
सतीश प्रियंका के सर पर हाथ रख कर उसको अपने लंड की तरफ
दबाते हुये- “आह.... क्या चुस्ती है तू साली”....
“ईस मामले में तो तूने प्रोफ़ेशनल रंडी को भी फेल कर दिया”....
चल अब बस कर और बेड पर चढ़ कर घोड़ी बन जा, अब मे तेरी पीछे से लुंगा....
प्रियंका घोड़ी बन जाती है, सतीश उसके पीछे आ जाता है और
पहले प्रियंका की गांड को अपने हाथो से मसलने लगता है....
ओर फिर चटाक से एक झन्नाटे दार थप्पड़
उसकी गांड पर लगा देता है....
प्रियंका-“आई.... क्या कर रहा है हरामि”.....?
सतीश-“हरामी कहती है साली.... अब देख मेरा हरामीपण”....
ओर फिर एक के बाद एक जोरदार थप्पड़ वो उसकी
गांड पर मारते चला जाता है और प्रियंका चिखती जाती है,
प्रियंका की गांड पूरी लाल करने के बाद वो थप्पड़ मारना
बन्द कर देता है... प्रियंका की गांड में दर्द के कारन जलन होने लगती है....
प्रियंका-“आई...उफ...मार डाला कुत्ते”....
सतीश- “देख कैसे बन्दरिया की तरह तेरा पिछवाडा लाल हो गया है”....
पहले सतीश झुक कर अपना मुह प्रियंका की चुत पर लगा
देता है, और उसे चाटने लगता है.... सतीश ये सब
जानकर कर रहा था क्योकि उसे पता था की खिड़की पर खड़ी नलिनी
ये सब देख रही है...
सतीश प्रियंका की क्लीट अपने मुह मे लेकर उसे चुस्ने लगता
ही और फिर अपनी जीभ उसकी चुत से लेकर गांड तक फिराता
हि, गांड के छेद पर सतीश की जीभ पड़ते हि, प्रियंका के मुह
से सिसकि निकल जाती है, इतना दर्द होने के बावजूद
ओ इस चूसाई से मस्ती में आ गई थी....
अब सतीश अपनी जीभ उसकी गुदा-द्वार पर फिराता है और फिर उसके छेद पर
थुक गिरा कर उसके छेद में अपनी जीभ डालकर उसे ढीला करने लगता है
शायद आज उसका मूड कुछ और ही था.... जिसकी भनक प्रियंका को भी लग गई थी....
प्रियंका- “ओह नो.... नहीं सतीश मे वहां पर नहीं करने दूँगी, वहां बहुत दर्द होता है”....
सतीश- “डोन्ट वरि डार्लिंग में वहा पर नहीं करूँगा”
मै तो बस तुम्हे मजे दे रहा था, क्यों तुम्हे अच्छा नहीं लग रहा क्या????.....
प्रियंका-“श्.... बहुत अच्छा लग रहा है सतीश”....
सक इट...सक माय अस्स.......ओह्ह यस लाइक टिट......यमः
सतीश कुछ देर तक और उसकी गांड सक करता है,
उसके बाद वो अपनी पोजीशन ले लेता है और अपने
लंड को प्रियंका की चुत के छेद पे सेट करके एक धक्का
लागता है उसका आधा लंड इस धक्के से प्रियंका की चुत को
खोलते हुए अंदर चला गया था... और बाकि का आधा दूसरे धक्के में
अंदर चला जाता है... और फिर तो एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्के लगने शुरु हो जाते हे....
प्रियंका- “आह.....यमः........फासटर....
सतीश धक्के लगाते हुए अपनी एक ऊँगली से प्रियंका की
गांड को कुरेदने लगता है, थोड़ी देर तक गांड कुरेदने के बाद वो अपनी आधी ऊँगली को उसकी गांड में घुसेड़ देता है,
ओर फिर पूरी ऊँगली उसकी गांड में घुसेड़ कर अंदर बाहर करने लगता है....
प्रियंका इस हमले से चौंक जाती है- आह....”क्या कर रहा है हरामि”....
“हरामी.... मुझे तेरी नियत आज सही नहीं लग रही साले.... आह”
“जाकर अपनी माँ की गांड मारियो मे तुझे अपनी गांड मे लंड नहीं
डालने देणे वाली”........
अपनी माँ के बारे मे सुनकर सतीश की आँखों के सामने सोनाली की सुडोल गांड आ जाती है, और वो अपना लंड चुत में से
निकाल कर प्रियंका की गांड के छेद पे लगा देता है- “साली माँ के बारे मे कहती है”....
“वैसे तो तेरी गांड ना भी मारता पर साली अब तो तेरी गांड जरूर मारूंगा”.....
प्रियंका- “नहीं सतीश.... प्लीज् गांड मे नहि.......आई....ओह…मर गई साले कुत्ते”
प्रियंका की बात ख़तम होने से पहले ही सतीश अपना आधा लंड उसकी गांड मे पेल देता है, दर्द के कारन प्रियंका की चीख़ निकल जाती है वो तो सतीश ने कस कर उसकी
कमर को पकड़ लिया था, क्योकि उसे मालूम था की दर्द के कारन प्रियंका उसकी गिरफ़्त से छूटने का प्रयास करेगि..... और प्रियंका ऐसा कर भी रही थी उसने बहुत कोशिश करी
सतीश की गिरफ़्त से निकलने की पर सब बेकार, आखिर कार सतीश अपना लंड टोपे तक
बाहर निकल कर एक और जोरदार धक्का मारता है और इस बार पूरा लंड उसकी गांड
को चिरता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया था... प्रियंका एक जोरदार चीख मारि और छट पटा कर अपने हाथ इधर उधर फेकने लगी...... और सतीश ने धक्के लगाने सुरु कर दिये....
सतीश पर उसके दर्द का कोई असर नहीं हो रहा था उसकी आँखों के
सामने तो उसकी माँ की गांड थी जिसमे लंड दाल कर वो खूब तेजी से पेल रहा था.....
सतीश को परम आनंद की अनुभुति हो रही थी.... उसका लंड बहुत कसा हुआ प्रियंका की
गांड मे अंदर बाहर हो रहा था.... वो टोपे तक अपने लंड को बाहर निकालता और फिर
तेजी मे जड़ तक अंदर पेल देता, अब प्रियंका को मजे आने लगे थे..... और उसकी दर्द भरी
चीख़ें अब सिस्कियों मे बदल गई थी..
खिड़की पर खड़ी नलिनी को तो अपनी आँखों पर विस्वास ही नही हो रहा था की कैसे उसकी फूल जैसी नाजूक बेटी इतना बड़ा मुसल अपनी गांड
मै लेकर मजे कर रही है... और उसके हाथो की स्पीड और ज्यादा बढ़ जाती है,
जी हाँ नलिनी अपनी चुत में उँगलियाँ घुसेड कर अपनी चुत की आग को ठण्डी
करने मे लगी हुई थि, नलिनी को शक तो बहुत समय से था इन दोनों पर की ये
दोनो बंद कमरे मे स्टडी ही करते है या कुछ और पर वो कभी पता न कर
सकी क्योकि उसे कभी कोई जगह ही न मिली जिससे वो अंदर झाँक सके और रूम भी
साउंड प्रूफ था जिससे आवाज भी बाहर नहीं आती थि, और आज भी वो यही चेक करने
आई थी और किस्मत से उसे आज खिड़की खुली मिल गयी, और जब नलिनी ने वहा से अंदर झांका तो उसके
पेरों तले से जमीन खिसक गई अंदर उसकी बेटी चुद रही थि, उसका शक
सही था, नलिनी को बहुत गुस्सा आता है और वो इन दोनों की क्लास लेने की सोचती है....
नलिनी वहा से हटणा तो
चाहति है, पर अंदर की जबरदस्त चुदाई देख कर वो गरम होने
लगति है और वो वहां से हट्ने की जगह लाइव शो देखने लगती है,
उसकी बर्षो से प्यासी चुत से तो जैसी झरना सा फुट पडता है... और वो
अपनी साड़ी और पेटीकोट को ऊपर उठा
कर अपनी चुत मे ऊँगली दाल कर अंदर का सिन देखते हुए अपनी चुत
की आग को ठण्डा करने लगती है.... और वो अंदर की चुदाई को देखते हुए
४-५ बार झड भी चुकी थि, और अब वो इमेजिन कर रही थी जैसे की सतीश उसकी बेटी
की नहीं बल्कि उसकी चुदाई कर रहा है.....
सतीश वहा से अपनी नजरें हटा लेता है और ऐसा शो करता है जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं हो और वो अपनी चुदाई जारी रखता है....
प्रियंका- “आह.... आई एम कमिंग......आह”
प्रियंका इतनी हार्ड चुदाई बरदास्त नहीं कर पाती और थोड़ी देर मे ही वो
पाणी छोड़ देती है........
सतीश- “क्या हुआ मेरी रंडी इतनी जल्दी झड गयी, अभी तो बहुत ताव दिखा रहि थी की मेरे में दम नहि, साली में तो तेरी माँ की चुत का भोसडा बनाने लायक दम रखता हुन, चल उठ और
लौडा चाट कर साफ़ कर मेरा.....
ओर इसी के साथ सतीश अपना लंड बाहर निकाल लेता है, वो कनखियों से
प्रियंका की माँ की हर हरकत पर नजर रखे हुए था, और उसने जानकार
अपणा लंड बाहर निकाला था ताकि अपना
मुसल लंड उसको दिखा कर उसकी चुत की आग और बड़ा सके.... और उसका
सोचना सही था प्रियंका की माँ की नजर
उसके मुसल पर ही अटक गई थि, वो उसको किसी भूखी पर पींजरे में कैद
शेरणी की तरह घुर रही थी जिसका
मन तो कर रहा था की वो अपने शिकार को झपट कर कच्चा चबा
जाये पर पींजरे की सलाख़ों के कारन वो ऐसा करने मे असमर्थ थी....
प्रियंका तुरंत उठ कर उसका मुसल जैसा लंड अपने हाथ मे ले लेती है,
ओर फिर अपनी जीभ निकालकर उसे ऊपर से निचे तक चाट कर उसपर से
अपणे चुत का रस साफ़ कर देती है, फिर
४-५ बार अपने हाथ से स्ट्रोक मारने के बाद फिर से अपने मुह मे
ले लेती है, और उसकी चूसा ई करना शुरू कर देती है.... ये सब देख कर
प्रियंका की माँ के आँखे फटी की फटी रह जाती हैं की कैसे उसकी बेटी इस
मुसल को पूरा अपने मुह में लेकर चूस रही थी.....
सतीश प्रियंका के सर पर हाथ रख कर उसको अपने लंड की तरफ
दबाते हुये- “आह.... क्या चुस्ती है तू साली”....
“ईस मामले में तो तूने प्रोफ़ेशनल रंडी को भी फेल कर दिया”....
चल अब बस कर और बेड पर चढ़ कर घोड़ी बन जा, अब मे तेरी पीछे से लुंगा....
प्रियंका घोड़ी बन जाती है, सतीश उसके पीछे आ जाता है और
पहले प्रियंका की गांड को अपने हाथो से मसलने लगता है....
ओर फिर चटाक से एक झन्नाटे दार थप्पड़
उसकी गांड पर लगा देता है....
प्रियंका-“आई.... क्या कर रहा है हरामि”.....?
सतीश-“हरामी कहती है साली.... अब देख मेरा हरामीपण”....
ओर फिर एक के बाद एक जोरदार थप्पड़ वो उसकी
गांड पर मारते चला जाता है और प्रियंका चिखती जाती है,
प्रियंका की गांड पूरी लाल करने के बाद वो थप्पड़ मारना
बन्द कर देता है... प्रियंका की गांड में दर्द के कारन जलन होने लगती है....
प्रियंका-“आई...उफ...मार डाला कुत्ते”....
सतीश- “देख कैसे बन्दरिया की तरह तेरा पिछवाडा लाल हो गया है”....
पहले सतीश झुक कर अपना मुह प्रियंका की चुत पर लगा
देता है, और उसे चाटने लगता है.... सतीश ये सब
जानकर कर रहा था क्योकि उसे पता था की खिड़की पर खड़ी नलिनी
ये सब देख रही है...
सतीश प्रियंका की क्लीट अपने मुह मे लेकर उसे चुस्ने लगता
ही और फिर अपनी जीभ उसकी चुत से लेकर गांड तक फिराता
हि, गांड के छेद पर सतीश की जीभ पड़ते हि, प्रियंका के मुह
से सिसकि निकल जाती है, इतना दर्द होने के बावजूद
ओ इस चूसाई से मस्ती में आ गई थी....
अब सतीश अपनी जीभ उसकी गुदा-द्वार पर फिराता है और फिर उसके छेद पर
थुक गिरा कर उसके छेद में अपनी जीभ डालकर उसे ढीला करने लगता है
शायद आज उसका मूड कुछ और ही था.... जिसकी भनक प्रियंका को भी लग गई थी....
प्रियंका- “ओह नो.... नहीं सतीश मे वहां पर नहीं करने दूँगी, वहां बहुत दर्द होता है”....
सतीश- “डोन्ट वरि डार्लिंग में वहा पर नहीं करूँगा”
मै तो बस तुम्हे मजे दे रहा था, क्यों तुम्हे अच्छा नहीं लग रहा क्या????.....
प्रियंका-“श्.... बहुत अच्छा लग रहा है सतीश”....
सक इट...सक माय अस्स.......ओह्ह यस लाइक टिट......यमः
सतीश कुछ देर तक और उसकी गांड सक करता है,
उसके बाद वो अपनी पोजीशन ले लेता है और अपने
लंड को प्रियंका की चुत के छेद पे सेट करके एक धक्का
लागता है उसका आधा लंड इस धक्के से प्रियंका की चुत को
खोलते हुए अंदर चला गया था... और बाकि का आधा दूसरे धक्के में
अंदर चला जाता है... और फिर तो एक के बाद एक ताबड़तोड़ धक्के लगने शुरु हो जाते हे....
प्रियंका- “आह.....यमः........फासटर....
सतीश धक्के लगाते हुए अपनी एक ऊँगली से प्रियंका की
गांड को कुरेदने लगता है, थोड़ी देर तक गांड कुरेदने के बाद वो अपनी आधी ऊँगली को उसकी गांड में घुसेड़ देता है,
ओर फिर पूरी ऊँगली उसकी गांड में घुसेड़ कर अंदर बाहर करने लगता है....
जबकि अंदर प्रियंका मजे मे अपनी गांड हिला हिला कर अपनी गांड मे लंड
ले रही थी-“आअह्हह्ह्ह्हह.....बहुत बड़ा मादरचोद है रे तु... आखिरकार
तूने गांड मे लंड पेल ही दिया,..... ऊम्म्ह.... बहुत मजा आ रहा जान और तेज,......
फ़क माय अस्स...ओहह येस.....हारडर.....यमः”
सतीश तो जैसे सातवे आसमान पर था, वो अपने धक्को की स्पीड और
बढा देता है..... और १० मिनट की चुदाई के बाद सतीश- “मे झरने वाला हूँ प्रियंका”....
प्रियंका- “मे भी सतीश......आंह्’......
ओर फिर सतीश अपना लास्ट शॉट लगा कर अपना लंड गांड मे
पुरा अंदर दाल कर उसमे ही झड़ने लगता है... और इसी के साथ प्रियंका भी अपनी
गंद मे सतीश के माल को मह्सुश कर झड़ने लगती है.......
सतीश अपना सारा माल उसकी गांड मे गिराने के बाद अपना
लंड प्रियंका की गांड से निकाल लेता है और साइड मे बेड पर लुडक जाता है,
ओर अपनी आँखे मुंदकर अपनी साँसे कण्ट्रोल करने लगता है.... प्रियंका भी
सतीश के सीने पर अपना सर
रखकर अपनी उखड़ी साँसे कण्ट्रोल करने लगती है....
थोड़ि देर मे जब सतीश की साँसे क़ाबू मे आती है तो उसे नलिनी का ध्यान आता
ही और वो तिरछी नजर से खिड़की की तरफ देखता है, पर नलिनी तो इनदोनो के
झडने के साथ ही झड गई थी और जब ये दोनों अपनी साँसे कण्ट्रोल करने मे
लगे हुए थे तभी वो वहा से अपने चुत से निकले रस को साफ़ करके निकल लेती है....
सतीश के होंठो पर कुछ सोच कर मुस्कान फैल जाती है.... इधर प्रियंका को जब होश
आता है तो वो अपने सर को सतीश के सीने से हटा कर उसके होंठो पर एक छोटा सा कीस करके- “बहुत गंदे हो तुम्, हमेशा अपने मन की करते रहते हो मेरी तो कोई चिंता ही नहीं है तुम्हे”....
सतीश- “क्यों तुम्हे मजा नहीं आया”....
प्रियंका-“मजा तो बहुत आया पर पहले दर्द भी बहुत हुआ”....
सतीश- “अरे जान इस खेल मे जितना ज्यादा दर्द शुरु मे मिलता है उतना ही मजा बाद मे आता है..... वैसे कल का क्या प्लान है,...
मै सोच रहा था की कल भी एक राउंड हो जाये तो”.....
प्रियंका-“भूल जाओ”....
सतीश- “क्यों क्या हुआ..... नाराज हो मुझसे”...
प्रियंका- “ऐसी बात नहीं है, वो कल मुझे अपनी कजिन की बर्थडे
पार्टी मे जाना है, कल सुबह निकलूँगी और फिर २-३ दिन बाद ही आउंगी”....
सतीश-“२-३ दिन बाद, तो २-३ दिन तक मे क्या करुन्गा”....
प्रियंका-“वही जो पहले करते थे- हस्तमैथुन.... ह... ह.... ह”
सतीश-“अच्छा बहुत मजा आ रहा है न मेरी हालत पर हसले पर जब लौट कर आएगी तो तेरी माँ-बहन एक कर दूँगा”...
पहले दोनों अपने-अपने कपडे पहनते हे, और प्रियंका सतीश को
गुड बाय किस देती है... और सतीश निचे चल देता है और प्रियंका ऊपर जो
धमाचौकडी हुई थी उसके सबुत मिटाने मे लग जाती है....
सतीश जब निचे पहुँचता है तो नलिनी को सोफ़े पर बैठा
पाता है वो कोई मैगज़ीन पड़ रही थी... सतीश को निचे आता
देख नलिनी अपनी मैगज़ीन निचे रखते हुये....
नलिनी- “हो गई स्टडी बेटा”...
सतीश- “जी औंटी”....
नलिनी- “काफी मेहनत कर रहे हो”...
सतीश- “जी वो कुछ प्रॉब्लेम्स काफी टफ थी जिन्हे सोल्व करने मे टाइम लग गया”...
नलिनी- “हु... वो तो मे देख ही रही हूँ की तुम काफी तन्न मन
लगा कर स्टडी कर रहे हो”....
तन पर काफी जोर दिया था नलिनी ने....
सतीश- “क्या करे आंटी अच्छे रिजल्ट के लिए तन्न मन तो लगाना ही पडेगा”...
नलिनी-“हमं....तब तो काफी थक भी जाते होगे, और अब तो और मेहनत करने का दम भी नहीं रहा होगा और न ही तुम्हारी कलम में इतनी इंक़”...
सतीश- “अब इतनी मेहनत करेंगे तो थोड़ी थकन तो होगी ही,....
पर मेहनत करने के लिए मे हमेशा तैयार रहता ह, अभी भी ५-६ घंटे बिना रुके मेहनत कर सकता हु....
और कलम की चिंता मत कीजिये, उसमे इंक की कभी कोई कमी नहीं होति,
ओर अगर इंक निकल भी जाये तो, ५-१० मिनट मे दुबारा भर जाती है”....
नलिनी- “काफी स्टैमिना है तुममे”.....
सतीश- “वो तो आप देख ही चुकी हे.....
नलिनी एक दम शॉक होते हुये- “क्या??? सतीशने कब देख....
सतीश- अरे आज देखा नहीं आपने की आज सतीशने नॉन-स्टॉप २.३० घंटे तक
आपकी बेटी के साथ स्टडी की है”....
नलिनी- “तो कल तो तुम आ ही रहे हो न मेरी बेटी को स्टडी करने”....
सतीश-“कल लेकिन”.....
नलिनी-“लेकिन वेकिन कुछ नहीं कल तुम आ रहे हो, मे चाहती हु की तुम
मेरी बेटी को, एक दम एक्सपर्ट बना दो”....
सतीश- “लेकिन औंटी”....
इससे पहले की सतीश कुछ बोलता उसका हरामी दिमाग उसे चेतने आ जाता है....
ह.दी.- “अबे भोसडी के कब तुझे अकल आयगी, साले जब देखो अपने लंड पे
कुल्हाड़ी मारता रहता है”....
सतीश-“अरे यार अब तू कहा से आ गया, दिमाग चाटने”...
ह.दी.- “दिमाग तेरे पास हो तो चाटूँगा ना, पर भोसडी के तेरे ऊपर के माले मे,
भूसा ही भुसा भरा हुआ है,...... मे तो तुझे ये बताने आया हु, की ये साली तुझे
खुली दावत दे रही है की कल आओ और मेरी फुद्दी मार लो और तू साले लोडुपंती
दिखा रहा है”....
सतीश- “तुझे साले यही सब सूझता है क्या...
ओ मुझसे कल प्रियंका के साथ पढ़ने आने के लिए बोल रही हे, जब्कि वो कल बाहर अपनी कजिन के यहाँ जा रही है”....
ह.दी.- “साले चूतिया, चुतीया नंदन है तु....
अबे लोडु, ये उसकी अम्मा है इसे नहीं पता होगा क्या की इसकी बेटी कल बाहर जा रही है, और वैसे भी ये तुम दोनों को
स्टडी करते हुए देख चुकी की तुम कैसी स्टडी करते हो...
इसलिए लोडु ये तुझे अपनी लौंडिया को पड़वाने नहीं बल्कि अपनी फड़वाने के लिए बुला रही है,... क्योकि कल घर पर कोई
नही होगा, और इससे अच्छा मौका और नहीं हो सकता, इस रंडी के लिए अपनी
चुत मरवाने का”.....
सतीश- “ऊह्ह्ह्हह्ह्.... हाँ ये तो सतीशने सोचा ही नहीं था”....
ह.दी.- “मादरचोद तू सोचता ही कब है”....
नलिनी- “क्या हुआ बेटा क्या सोच रहे हो.... ?
कल आ रहे हो ना मेहनत करने के लिए??
ये बात उसने बहुत ही सेक्सी आवाज मे कही थी
सतीश- “जी मे कल इसी टाइम पर आ जाऊंगा”.....
ओर फिर सतीश वह से निकल जाता है, बाहर आकर टाइम देखता है तो
कॉलेज छूटने मे अभी भी टाइम था.... और वैसे भी वो चुदाई के बाद
काफी थकान मह्सुश कर रहा था, इस्लिये वो बाइक उठाकर सीधा घर की तरफ
चल देता है.....
१५ मिनट मे सतीश की बाइक उसके घर के बाहर पहुँच जाती है....
सतीश के द्वारा की गई मेहनत(चुदाई) के कारन उसके पेट् मे बहुत जोर से
चुहे कुद रहे थे, इस्लिये वो बाइक को स्टैंड पर लगा कर तेजी से गेट की तरफ
बढ़ता है और वो डोर बेल्ल बजाने
ही वाला था की उसकी नजर गेट पर पड़ती है, गेट लॉक नहीं था ये देख सतीश
थोड़ा चौकता है क्योकि अक्सर सोनाली जब भी कोई घर पर नहीं होता था तो गेट
लॉक ही रखती थी......
सतीश अपने मन में हो सकता है की आज ध्यान न दिया हो....
ओर वो गेट को लॉक करके अंदर आ जाता है... वो अपने बैग को सोफ़े
पर पटकता है और अभी वो अपनी माँ को आवाज लगाने ही वाला था की
उसे किसी की सिसकारियों की आवाज सुनाइ पड़ती है... वो इस सिसकि को पहचान सकता था ये सिसकि किसी और की नहीं वल्कि उसकी माँ की ही थी उसे तो अपने कानो पर यकीन ही नहीं होता....
सतीश मन सतीश-तो सब के जाने के बाद माँ किसी गैर मर्द के साथ रंग रलिया करती है, तभी मे कहु की आज गेट कैसे खुला छूट गया,
चुत की आग बुजाने के चक्कर मे गेट भी लॉक करना भूल गई
सतीश ग़ुस्से मे सोनाली के कमरे की तरफ बढ़ता है, सोनाली के मुह से निकलि
सिस्कियाँ उसके अंदर ग़ुस्से की आग को और भड़का रही थी वो सिसकियाँ उसके कानो मे पिघले लोहे की तरह मह्सुश हो रही थि, आज लाइफ मे पहली बार उसे इतना गुस्सा आया था आज उसकी माँ
के साथ जो कोई भी हो उसका क़त्ल होना तय था....... पर रूम के पास पहुँचते ही उसकी आँखें
फ़टी की फटी रह जाती हे....
सामने उसकी माँ पूरी नंगी बेड से अपने दोनों पैर निचे लटकाये लेटी हुई
थी और अपने दोनों हाथो मे अपने बॉब्स को लेकर मसल रही थी और बेड के निचे
उनकी दोनों टांगो के बीच माँ की चुत मे मुह डाले.....??
कहानी अब तक्....
दोस्तो आपने अब तक पडा की कहानी की हीरोइन सोनाली जोकि एक सेक्सी जिस्म की मालिक है और बहुत चुदककड भी पर उसके पति को पिने की बहुत बुरी आदत पड़ गई जिस के कारन अविनाश ने सोनाली के साथ बहुत समय से सेक्स नहि किया था और सेक्स की आग में जलती सोनाली को अपनी आग अपने आप ही शांत करणी पडति, ऐसे ही एक रात जब सोनाली अपने चुत को ठण्ड करने में ब्यस्त थी तब उसका बेटा सतीश उसे अपनी चुत में डिलडो करता हुआ देख लेता है...
सोनाली का सेक्सी जिस्म.देखकर उसका ईमान डोल जाता है और अपनी माँ के नाम की.मुठ लगा कर नंगा ही अपने कमरे में सो जाता है...
कल सुबह जब सोनाली सतीश को चाय देणे आती है तब वो उसका लंड देख कर चौक जाती है उसे यकीन नहि होता की लंड इतना बड़ा भी हो सकता है, उसकी चुत पानी छोड़ने लगती है पर वो अपने पर कण्ट्रोल करती है और फिर डोर को बंद करके फिर से नॉक करती है सतीश अपने कपडे पहनकर डोर खोलता है, सोनाली उसे हाथ मुह धोकर तैयत होने को कहकर शिप्रा अपनी छोटी बेटी को उठाने चलि जाती है और उसे चाय देकर नीचे आ जाती है और फिर सतीश की चाय गरम होने के लिए रख देती है उसका दिमाग सतीश के लंड के ख्यालो म खो जाता है पर शिप्रा के आवाज देणे पर वो होश सतीश आती है और शिप्रा के हाथ सतीश की चाय भिजवा देती है....
सतीश बाथरूम में नहा रहा था और वो अपनी माँ को चोदने का निच्छय कर लेता है उधर सतीश के कमरे में शिप्रा उसकी चादर पर निशान पडे देखति है जिसे देख कर उसके चेहरे पर अर्थपुर्ण मुस्कान आ जाती है तभी सतीश के मोबाइल की टोन बजती है वो उठा कर देखति है किसी प्रियंका नाम की लड़की का मेसेज था...
इतने म सतीश बाथरूम से निकल आता है और फिर उन दोनों की.हलकी फुल्की झडप.होती है फिर शिप्रा सतीश को चिड़ाते हुए भाग जाती है सतीश कपडे पहनकर निचे आता है यहा फिर से शिप्रा से झड़प होती है जिसे सोनाली खतम कर देती है... और नाश्ता लगा देती है नाश्ते के समय भी सतीश अपनी माँ को.ही घूर रहा था फिर नास्ता करके सतीश और शिप्रा कॉलेज के लिए निकल जाता है....
शिप्रा को कॉलेज छोड़कर सतीश प्रियंका के यहां चल देता है जहाँ उसका सामना एक और हॉट milf से होता है जोकि प्रियंका की माँ थी सतीश का लंड तो वैसे ही कल रात वाली बात से जोर मार रहा था और नलिनी को देख कर तो वो और तन गया नलिनी उसे अंदर ले जाती है और फिर प्रियंका आती है प्रियंका भी मस्त हॉट आइटम थी सतीश प्रियंका के सामने ही उसकी माँ से फ्लिर्टिंग करता है प्रियंका उसे अपने कमरे में ले जाती है जहाँ सतीश उसकी धमाके दार चुदाई करता है, नलिनी भी उनकी चुदाई खिड़की में से देख रही थी जिसे सतीश देख लेता है....
नलिनी अपनी बेटी को इतने बड़े मूसल से चुदता देख गरम हो जाती है और अपनी चुत में ऊँगली करके उसे शांत करने लगती है... शांत होने के बाद वो वहाँ से निचे आ जाती है...
उपर सतीश भी प्रियंका की गांड मारने के बाद झड जाता है और प्रियंका से अगले दिन के बारे में पूछता है पर वो मना कर देती है क्युकी उसे बाहर जाना था २-३ दिन के लिये....
सतीश निचे आता है तो नलिनी उसे अगले दिन भी आकर प्रियंका के साथ स्टडी करने के बहाने खुदको चुदवाने का खुला ऑफर देती है जिसे सतीश एक्सेप्ट कर लेता है और अपने घर चल देता है....
विस्तार से पढ़ने के लिए आप पिछले अपडेट पड़ सक्ते है, मैंने आपको काफी संछेप में बताने की कोशिश की पता नहि इसमें मे कितना सफल हुआ और कोई ग़लती हो तो माफ़ करना...
पर रूम के पास पहुँचते ही उसकी आँखें फटी की फटी रह जाती हे....
सामने उसकी माँ पूरी नंगी बेड से अपने दोनों पैर निचे लटकाये लेटी हुई थी और अपने दोनों हाथो मे अपने बॉब्स को लेकर मसल रही थी और बेड के निचे उनकी दोनों टैंगो के बीच में उनकी चुत मे मुह डाले उनके घर की नौकरानी बसंती थी जोकि पूरी तरह से नंगी थी....
बसन्ती उम्र ३५ साल सांवला कलर ३८ के ब्रैस्ट और चौडी काली गांड़....
सतीश का तो बुरा हाल हो गया बसंती अपनी जीभ से उसकी माँ की चुत कुरेद रही थी... और सोनाली की मादक सिसकारी पूरे कमरे म गुंज रही थी... सोनाली अपने होंठो को अपने दाँतो में दबाये अपनी सिसकारियों रोकने की भरपूर कोशिश कर रही थी पर वो ऐसा करने में असमर्थ थी....
ओ अपने दोनों हाथो से अपने दूध मसल रही थी और कभी अपनी उंगलियो में अपनी निप्पल्स को दबा कर मसल देती....
अब सतीश की नजर बसंती पर जाती है उसके दूध निचे लटक रहे थे और उसकी बड़ी गांड पर जाकर सतीश की नजर रुक जाती है उसकी गांड काफी चौडी थी और उसका काला छेद सतीश को साफ़ नजर आ रहा था... सतीश का लौडा पूरी तरह अकड कर तन गया था, वो उसे बाहर निकाल कर मुट्ठ मारना शुरू कर देता है और फिर उसकी नजर गांड से थोड़ी निचे जाती है तो उसे बसंती की चुत दिखाइ देती है, उसकी चुत काले बालो से घिरि हुई थी और एक दम काली.... अंदर दो मस्त घोडियों को इस तरह देख कर उसका लंड लावा उगलने को तैयार हो जाता है सतीश तुरंत अपना रुमाल निकाल कर अपने लौडे पर लगा देता है और उसका लंड सारा माल उसके रुमाल में गिरा देता है... आज ३ बार झड़ने के बाद वो थक गया था इस्लिये वो अपने लंड को वापस अंदर दाल कर जीप बंद करता है, तभी उसकी नजर घडी पर पड़ती है कॉलेज छूटने का टाइम हो गया था उसका मन तो नहि था ये नजारा छोड़कर जाने का पर उसकी मज़बूरी थी क्युकी शिप्रा उसका वेट कर रही थी... वो तुरंत अपना बैग उठाता है और बाहर निकल कर धीरे से दरवाजे को बंद करके निकल जाता है...
ओर थोड़ी देर मे ही वो कॉलेज पहुंच जाता है और शिप्रा का वेट करने लगता है, थोड़ी देर मे ही उसे शिप्रा किसी लड़के के साथ आती दिखाइ देती है उस लड़के को देखते ही सतीश की आँखों मे खून उतर आता है वो सतीश के क्लास का ही लड़का प्रिंस था और इस कॉलेज का सबसे हरामी लड़का भी वो अक्सर भोलि भाली लड़कियों को पटा कर उनके साथ सेक्स करता और फिर उनकी वीडियो बना कर उन्हें ब्लैकमेल करके अपने दोस्तों के आगे भी परोस देता और इस कारन उसकी और सतीश की कई बार लड़ाई भी हो चुकी थी इस कॉलेज में केवल सतीश ही था जिससे प्रिंस नहि उलझना चाहता था, और प्रिंस उससे बदला लेना चाहता था इस्लिये उसने जानकर शिप्रा से दोस्ती की थी.... और शिप्रा ने इसी साल इस कॉलेज मे एडमिशन लिया था इस्लिये उसे उसके बारे में कुछ भी नहि पता था....
सतीश को देख कर प्रिंस शिप्रा से बाई बोल कर चला जाता है.... शिप्रा सतीश के पास आ जाती है,
शिप्रा- “क्या हुआ भैय्या ऐसे मुह फुलाये क्यों खड़े हो?
सतीश- “तू उस लड़के के साथ क्या कर रही थी?
शिप्रा- “वो प्रिंस था भाईया बहुत अच्छा लड़का है, आपकी क्लास में ही तो पडता है वह”
सतीश- “मे जानता हूँ की कितना अच्छा लड़का है वह, तू बस उससे दूर ही रहा कर”....
शिप्रा- “पर भेया”...
सतीश- “पर-वर कुछ नहि सतीशने कहा ना की उससे दूर रहना मतलब उससे दूर रहना”..
सतीश का ख़राब मूड देख कर शिप्रा उससे कुछ नहि कहती और चुप-चाप बाइक पर बैठ जाती है, सतीश घर की तरफ वापस चल देता ह...
शिप्रा मूड चेंज करने के लिये
शिप्रा- “वैसे भाईया आज आप कहा थे?
सतीश- “थे का मतलब? क्लास मे ही था”....
शिप्रा- “झूठ मत बोलो भाईया मे जानती हूँ की आप कॉलेज में नहि थे... अब आप खुद बताते है की मे घर पर माँ को बताऊ”...
सतीश के पास अब कोई ऑप्शन नहि था पर सच तो वो बता नहि सकता था...
सतीश- हाँ वो आज मे दोस्तों के साथ मूवी देखने गया था”....
शिप्रा- “कोण सी?
सतीश को शिप्रा से इस बात की उम्मीद नहि थी वो उसके इस क्वेश्चन से हडबडा जाता है”....
सतीश- “ओ..वह..सतीश..वह”
शिप्रा- “रहने दो भाईया मे जानती हूँ की आप प्रियंका के साथ थे”...
सतीश की तो फट ही गई थी...
सतीश- “तू कुछ ज्यादा ही नहि बोलने लगी है आज कल, चल आज तुझे कॉफ़ी पिलवाता हूँ तू भी क्या याद करेगी की किसी रईश से पाला पड़ा था”....
शिप्रा- “हमं... मुह बंद रखने के लिए रिश्वत पर ऐसा नहि लगता की ये मामला आप कुछ सस्ते मे निपटा रहे हो”...
सतीश- “तो तू बोल मेरी माँ तुझे क्या चाहिये”...
शिप्रा- “अभी तो कॉफ़ी पिलाओँ बाकी बाद मे बताऊंगी”....
शिप्रा सोच रही थी की सतीश उसे डर की वजह से कॉफ़ी पीला रहा है जबकि सतीश चाहता था की सोनाली अपनी प्यास आराम से मिटवा ले और शिप्रा को इस बात का पता भी न चले ....
सतीश कैफ़े कॉफ़ी डे पहुँच कर बाइक स्टैंड पर लगाता है और फिर शिप्रा के साथ अंदर चला जाता है...
अंदर काफी कपल बैठे हुए थे पर सतीश और शिप्रा के एंटर होते ही सबकी नजरे उनपर ही टिक जाती है...
सतीश और शिप्रा के एंटर होते ही सबकी नजरे उनपर टिक जाती है, और टीके भी क्यों न वो दोनों एक खूबसुरत कपल लग रहे थे....
सतीश और शिप्रा जाकर अपनी जगह ग्रहण करते है”
सतीश- “कब से जानती है तू उस लड़के को?
शिप्रा जोकि अपने मोबाइल मे लगी हुई थी....
शिप्रा- “कोण से लड़के को?
सतीश- “प्रिंस को, कब से जानती है उसको?
शिप्रा अभी भी मोबाइल मे लगे हुये- “ह्म्म्म... हो गये ३-४ हफ्ते”...
सतीश-“और तुम मुझे अब बता रही हो”...
शिप्रा कोई जवाब नहि देती और मोबाइल मे लगी रहती है....
सतीश उसके हाथ से मोबाइल छीनते हुये- “मे तुझसे कुछ पूछ रहा हु??
शिप्रा मुह बनाते हुए थोड़े ग़ुस्से मे- “तो क्या मुझे तुम्हे अपनी हर बतानी पडेगी... जब मे तुमसे तुम्हारी प्राइवेट लाइफ के बारे मे नहि पूछती, तो तुम्हे क्यों जलन हो रही है, मेरी भी एक प्राइवेट लाइफ है, और मैं नहि चाहती की कोई मेरी प्राइवेट लाइफ मे इंटरफेर करे”....
शिप्रा ने ये बात इतने जोर से कही थी की सभी लोग उनकी तरफ देखने लगते है...
सतीश को तो यकीन ही नहि हो रहा था की उसकी छोटी बहन उससे इस तरह से बात कर सकती है...
थोड़ी देर तक टेबल पर शान्ति हो जाती ह, इतने मे ही उनकी कॉफ़ी भी आ जाती है...
शिप्रा भी अब अपनी ग़लती पर पछता रही थी....
सतीश- “सॉरी सतीश भूल गया था की तुम्हारी एक प्राइवेट लाइफ भी है”...
सतीश अपनी सीट से उठता है और रूपये टेबल पर रख कर बाहर की और निकल जाता है...
शिप्रा उसे जाते हुये देखति है और फिर ग़ुस्से मे बड़बड़ाते हुये वो भी उसके पीछे तेज कदमो से चलि जाती है....
शिप्रा बाहर निकल कर सतीश को आवाज देती है... पर सतीश बिना सुने अपनी बाइक निकालने के लिए चल देता है...
शिप्रा उसके पीछे चल देती है- “भइया.., भाईया मेरी बात तो सुनो, आई एम सॉरी” उसे जाते हुए देखति रहती है, सतीश थोड़ी आगे जाकर बाइक रोक देता है,
शिप्रा के चेहरे पर हलकी सी स्माइल आ जाती है, और वो भगति हुई सतीश के पास पहुंच कर बाइक पर बैठ जाती है...
शिप्रा- “आई ऍम सॉरी भाई... वो पता नहि अचानक मुझे क्या हुआ, आई डीड नोट वांट तो हार्ट यु”....
सतीश उसे कोई भी जवाब दिए बिना आगे बढ़ जाता है...
शिप्रा पूरे रस्ते उसे मनाती रहती है, पर सतीश उसकी बात का कोई जवाब नहि देता...
सतीश घर के बाहर बाइक को खड़ी करके डोर बेल्ल बजाता है, डोर सोनाली खोलती है, सतीश एक नजर सोनाली को देखता है वो काफी फ्रेश नजर आ रही थि, ऐसा लग रहा था जैसे की वो अभी अभी नहा कर आई हो....
पर तुरंत ही सतीश ग़ुस्से मे अपने कमरे की और चल देता है....
सोनाली उसे आवाज लगाती है पर वो सीधे अपने कमरे मे चला जाता है....
सोनाली अब शिप्रा की तरफ देखति है तो वो भी अपना सर झुकाए अपने कमरे की तरफ बढ़ रही थी....
सोनाली शिप्रा को आवाज देकर रोकती है और शिप्रा के सामने जाकर खड़ी हो जाती है- “ये सतीश को क्या हुआ और तू इतनी उदास क्यों है?
शिप्रा कोई जवाब नहि देती बस मुह लटकाये कड़ी रहती है....
सोनाली- “लगता है आज फिर तुम दोनों ने झगड़ा किया है, तुम लोग कब सुधरोगे, मुझे तो समझ नहि आता”....
शिप्रा चुपचाप अपने कमरे मे चल देती है,
सोनाली- “है भगवान् कब अकल आयेगी इन दोनों को”...
सतीश अपने कमरे मे ग़ुस्से से आग बबूला हो रहा था आज शिप्रा ने उस दो कोडी के लड़के के लिए उससे इतनी बदतमीज़ी से बात करी थी....
उधार शिप्रा अपने रूम मे तकिये मे मुह छुपाये सुबक रही थी उसे अब तक अपनी हरकत का बहोत अफसोश हो रहा था....
ओ जाकर भाई से माफ़ी माँगना चाहती थी पर उसकी हिम्मत नहि हो रही थी....
सतीश फ्रेश होकर अपने कपडे चेंज करता है और फिर नीचे आ जाता है... सोनाली किचन मे थी...
सतीश- “माँ मे अपने दोस्त के यहां जा रहा हूँ अब शाम को आऊंगा”....
सोनाली किचन से बाहर निकलते हुये- “पर लंच तो करता जा”....
पर सतीश नहि रुकता और बाइक निकाल कर बाहर निकल जाता है....
सोनाली- “आखिर हुआ क्या है इस लड़के को”....
सतीश अपनी बाइक से चला जा रहा था.कहा ये उसे भी नहि पता था.... आज उसका मूड पहली बार इतना ऑफ हुआ था....
सतीश १ घंटे तक बाइक को सडको पर युही दौडता रहता है, अब उसके पेट् मे चुहे कुदने लगे थे, पर वो घर भी नहि जाना चाह रहा था.... वो कहि बाहर खाना खा भी लेता पर फिर भी शाम तक का टाइम भी तो पास करना था...
सतीश अपना मोबाइल निकाल कर अपने फ्रेंड सागर को कॉल करता है...
सतीश- “कहा हो बेटा?
सागर- “कहा होंगे बे इस दोपहरी मे, घर पर ही मरा रहे है”...
सतीश- “चल ठीक है मे आ रहा हूँ तेरे पास”...
सागर- “ये भी कोई पुछने की बात है”...
सतीश- “ओके पहुचता हूँ १० मीनट में”
सतीश बाइक सागर के घर की तरफ मोड़ देता है, थोड़ी देर मे ही वो उसके घर पहुच जाता है...
बाइक खड़ी करके सतीश डोर बेल्ल बजाता है, गेट खुलता है और सतीश की सारी टेंशन जैसे काफूर हो गई...
सामने भारती खड़ी थि, सतीश को देखते ही उसके चेहरे पर स्माइल आ जाती है एक प्यारी सी स्माइल देख कर सतीश का मूड फ्रेश हो जाता है,
ओ दोनों एक दूसरे मे खो जाते है, सतीश और भारती एक दूसरे को बचपन से ही पसंद करते थे, दोनों ही एक दूसरे को टूट कर चाहते थे पर दोनों ने कभी इस बात का जिक्र एक दूसरे से नहीं किया था...
सागर- “अब सतीश को अंदर भी बुलाएगी या फिर उसे बाहर ही खड़ा रखने का ईरादा है”...
भारती और सतीश दोनों का ध्यान सागर की तरफ जाता है वो भारती के पास खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था...
भारती- “ओह्ह्ह सॉरी ओ... वो सतीश”...
ओर वो शरमाकर अंदर की तरफ भाग जाती है... सतीश के चेहरे पर स्माइल आ जाती ह....
सागर- “अबे हमसे भी मिल ले कमीने”...
सतीश- “क्यों नहि भाई तुझसे ही तो मिलने आया हु”...
ओर वो आगे बड़कर सागर के गले लग जाता है...
सागर- “मे अच्छे से जानता हूँ की तू किस्से मिलने आया था”...
सतीश-“नहि भाई तू गलत समझ रहा है”....
सागर- “हरामखोर रग रग से वाकिफ हूँ मैं तेरी”...
सतीश सागर की बात पर मुस्कुरा देता है और दोनों सोफ़े पर बैठ जाते है...
सागर- “ह्म्मम्, तो इतने समय बाद तुझे हमारी याद आ ही गयी”....
सतीश- “भाई तुम्हे भुला ही कब था जो तुम्हारी याद आयगी”
सागर- “तो साले इतने समय बाद यहा का रास्ता कैसे भूल गया”....
सतीश- “आरे नहि यार मिलने का मन किया तो चला आया”...
सागर- “चल अच्छा किया जो तू आ गया”....
सतीश- “आंटी नजर नहि आ रही है, कही बाहर गई है क्या???
सागर- “हाँ दूर के रिलेशन मे चाचा है उनके यहा कोई फंक्शन है तो उन्ही के यहाँ गई है डैड के साथ्”...
सतीश-“ओ के”...
सागर- “और घर बार सब कैसे हैं?
सतीश- “सब बढ़िया हैं भाई”...
पहले वो दोनों नॉर्मली बात चित करने लगते है....
थोड़ी देर मे ही भारती कोल्ड ड्रिंक और स्नैक्स लेकर आ जाती है, और टेबल पर रख कर जाने लगती है...
सतीश- “भारती”...
भारती रुक कर सतीश की तरफ देखति है...
सतीश- “तुम भी बैठो ना हमारे साथ”...
भारती सागर की तरफ देखति है सागर हाँ मे गर्दन हिला देता है....
भारती सागर के पास जाकर बैठ जाती है,
कहानी जारी रहेगी

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