आग्याकारी माँ - 12
श्वेता कुछ बोल नहीं पा रही थी. बस कामुक सिसकारियां निकाल करके चुदाई का मजा ले रही थी. उसका सिर सतीश की तरफ उठा हुआ था और आँखें बंद थीं. श्वेता बस गांड में लंड का मजा ले रही थी. श्वेता के माथे पर हल्की सी शिकन थी लेकिन श्वेता के चेहरे से लग रहा था कि उसे मजा आ रहा है.
उसी अवस्था में सतीश ने उसे खड़ा करवाया और पास रखी कुर्सी पर एक पैर रखवा कर दोनों हाथ ऊपर करवा दिए. श्वेता दोनों हाथ ऊपर किये हुए कुर्सी पर पैर रख कर सतीश का लंड अपनी गांड में लिए हुए खड़ी थी. सतीश उसकी पीठ से चिपक गया. हाथ से श्वेता के स्तनों को दबाते हुए श्वेता के कान, गर्दन तथा कंधों के भाग में किस करते हुए उसकी गांड चुदाई करने लगा. इस पोज़ में श्वेता ज्यादा ही कामुक लग रही थी. सतीश उत्तेजित हो कर जोर-जोर से झटके लगाने लगा.
श्वेता देर तक टिक नहीं पाई और स्खलित हो गई. उसकी चूत का रस बह कर उसकी जांघों से होता हुआ टांगों पर आ रहा था. सतीश श्वेता के रस को चखना चाहता था लेकिन इस पोज़ में संतुलन बनाने के लिए उसे पकड़े रहना जरूरी था.
श्वेता एकदम गर्म हो चुकी थी. किसी रंडी की तरह सतीश को गालियां बक रही थी- “चोद बहनचोद … भड़वे, जब देखो मेरी गांड के पीछे पड़ा रहता था. आज मिली है, फाड़ दे इसे … चोद अहह .. आहहह .. आहह … और जोर से चोद … फाड़ दे मेरी गांड”!
श्वेता के मुंह से निकलने वाले ऐसे शब्द सतीश को उत्तेजित कर रहे थे. सतीश ने श्वेता के मुँह के पास उंगली ले जाकर उसे चुप करने का इशारा किया. पहले तो वह सतीश के इशारे को नजरअंदाज करने लगी. फिर सतीश ने उसकी गांड में एक जोर का धक्का दिया और पूरा लंड जड़ तक अंदर घुसा कर फिर से श्वेता के चेहरे के पास उंगली ले जाकर अपने होंठों पर रख कर समझाने की कोशिश की.
अबकी बार उसने सतीश की तरफ ध्यान से देखा. सतीश ने अपने होंठों पर उंगली रखी हुई थी. सतीश का लंड उसकी गांड में फंसा था.
सतीश श्वेता के कानों में बोला- “रिमेम्बर … टूडे यू आर माय स्लट”? (तुम्हें याद है न तुम मेरी रखैल हो आज …)
श्वेता मुस्करा कर चुप हो गयी और गांड चुदाई का मजा लेने लगी.
कुछ देर इसी पोज में चोदने के बाद सतीश ने उसे डाइनिंग टेबल पर बैठा दिया और उसकी चूत से बह रहे रस को पीने लगा. श्वेता आंख बंद करके चूत चटाई का मजा लेने लगी. सतीश उठा और उसी पोज़ में उसकी एक टांग को उठाये एक ही झटके में अपने लंड को उसकी चूत में घुसा दिया.
इस झटके से उसका मुंह खुल गया. सतीश ने मौके का फायदा उठा कर अपनी जीभ डाल कर उसका मुंह टटोल लिया. बड़े ही उत्तेजक तरीके से किस करते हुए उसकी चूत चुदाई करने लगा.
श्वेता भी सतीश का पूरा साथ दे रही थी. आँखें बंद करके होंठ चुसाई का मजा ले रही थी. श्वेता इतने उत्तेजक तरीके से सतीश का होंठ चूस रही थी कि सतीश रोमांचित हो गया था. सतीश ने धक्के तेज कर दिए. सतीश श्वेता के उछलते हुए मम्मों को अपने सीने पर महसूस कर सकता था.
चोदते-चोदते सतीश ने उसे गोद में उठा लिया. श्वेता भी सतीश के गले में बांहें डाले सतीश से एकदम चिपक गयी. उसे वैसे ही लेकर सतीश कुर्सी पर बैठ गया. श्वेता सतीश के गले में बांहें डाले हुए थी. उसने सतीश के चेहरे को अपने स्तनों में दबा लिया और खुद उचक-उचक के चुदने लगी. सतीश श्वेता के स्तनों को अपने चेहरे पर महसूस कर सकता था.
श्वेता के स्तनों से नाश्ते के दौरान लगाए गए जैम की खुशबू आ रही थी जो उसने सतीश को नाश्ते में खिलाया था. यह पोज़ काफी उत्तेजक था.
आप समझ सकते हैं कि सतीश के चेहरे पर श्वेता के स्तन थे जिनमें से मादक मदहोश कर देने वाली खुशबू आ रही थी. श्वेता का कोमल बदन रौंदने के चलते सतीश उसकी कोमलता को पूरे मजे के साथ महसूस करने लगा था. एक तरफ सतीश का मुंह श्वेता के स्तनो पर लगा था और नीचे की तरफ सतीश का लंड उसकी चूत को चोद रहा था.
ऐसी स्थिति में जो आनंद सतीश को आ रहा था आप लोगों को यहाँ पर शब्दों में बता नहीं सकता. उस वक्त ऐसा लग रहा था कि श्वेता कितनी मादक है जो अपने भाई को इतना मजा दे रही है. अगर दुनिया में कोई मजा है तो वह बहन की चुदाई करने में ही है. ऐसा लग रहा था सतीश को उसकी चूत को चोदते हुए.
उसकी चूत में जाते हुए लंड का घर्षण सतीश को उसकी चूत को फाड़ने के लिए मजबूर कर रहा था. सतीश ने श्वेता के स्तनो के निप्पलों को अपने दांतों में पकड़ कर काट लिया और उसकी जोर से एक कामुक सिसकारी निकल गई- “उई मां … आह्ह् … मर गयी”.
श्वेता को तड़पती हुई पाकर सतीश के अंदर जैसे शैतान सा जाग उठा था. जिसके कारण सतीश पूरी ताकत के साथ उसकी चूत में अपने लंड को धकेलने लगा. जितना जोर सतीश से लग सकता था सतीश उसकी चूत में लंड को डालने के लिए लगा रहा था.
इन जोरदार धक्कों का परिणाम यह हुआ कि सतीश को असीम आनंद की प्राप्ति होने लगी. साथ में श्वेता के मुंह से निकलने वाली कामुक सिसकारियाँ और मीठे दर्द भरी आवाज जैसे आग में घी का काम करने लगीं.
सतीश ने ठान लिया कि इसकी चूत को फाड़ ही दूंगा आज. श्वेता के शरीर को थामकर सतीश ने अपनी पूरी ताकत उसकी चूत में झोंक दी. आह्ह … मेरे चोदू भाई … मैं तो मर गई … ऐसे शब्दों के साथ श्वेता बड़बड़ाने लगी.
उसकी ये बातें सतीश को जैसे हवस की धारा में बहाए ले जा रही थीं. सतीश ताबड़तोड़ उसकी चूत को रौंदने लगा और दो तीन मिनट के बाद सतीश के अंदर की सारी ताकत सतीश के लंड में आकर सिमट गई और उस ताकत ने सतीश के वीर्य को बाहर आने पर मजबूर कर दिया. सतीश उससे कस कर चिपक गया और उसकी चूत में ही झड़ गया. वह दोनों काफी देर तक इसी अवस्था में पड़े रहे.
ऐसी गजब की चुदाई सतीश ने श्वेता के साथ पहले कभी नहीं की थी. दोनों को सामान्य होने में दस मिनट से ज्यादा का वक्त लग गया. श्वेता की चूत सूज कर लाल हो चुकी थी. गांड़ फट गई थी गांड़ से बहुत सारा खून निकला था सतीश का वीर्य उसकी चूत से बाहर बहता हुआ दिखाई दे रहा था.
जब दोनों भाई बहन की सांसें सामान्य हो गईं तो सतीश उसे बाँहों में उठा कर बाथरूम में ले गया. श्वेता सतीश की गोद में बिल्कुल नंगी थी. सतीश उसकी आंखों में देख रहा था और श्वेता उस्की आंखों में देख रही थी. दोनों एक दूसरे में जैसे खोये से थे. श्वेता के चेहरे पर संतुष्टि का भाव था.
श्वेता के होंठों पर हल्की सी मुस्कान थी. श्वेता सतीश को ही देख रही थी. उसकी आँखों में सतीश के लिए प्यार था. बेइन्तहा प्यार. सतीश ने गोद में उठाये हुए ही उसको होंठों पर हल्का सा चुम्बन किया. उसने भी आँख बंद करके सतीश का वेलकम किया. फिर बाथरूम में जाकर दोनों साथ में नहाये. सतीश ने उसकी पीठ और गांड पर आइस रगड़ी. उसका दर्द गायब हो गया. इतनी लंबी चुदाई के बाद बेड पर जाते ही दोनों सो गए. श्वेता खाना बनाने की जिद कर रही थी. लेकिन सतीश ने उसे मना कर दिया और उसको अपने बदन से चिपका कर सो गया.
सतीश 12 बजे उठा तो श्वेता कमरे में नहीं थी. सतीश हॉल में आया. किचन में देखा तो श्वेता खाना बना रही थी. सतीश हॉल बैठ कर टीवी देखने लगा.
कुछ देर में श्वेता खाना लेकर आयी. उसने ऊपर सिर्फ पीली कलर की ब्रा पहन रखी थी. नीचे स्कर्ट जैसी कोई मॉडर्न ड्रेस थी. सतीश सिर्फ शॉर्ट्स में था. उसने खाना लगाया. उन्होंने टीवी देखते हुए खाना खाया. फिर श्वेता उसकी गोद में आकर बैठ गयी. सतीश को किस किया और सतीश के सीने में अपना सिर छुपाने लगी. सतीश को ऐसे ही गले लगाये हुए श्वेता टीवी देख रही थी.कुछ देर बाद,
सतीश- “चलो कहीं बाहर घूमने चलते हैं”.
उसने सिर सतीश के सीने में छुपाये वैसे ही पूछा- “कहाँ”?
सतीश- “बाद में डिसाइड करेंगे पहले चलते हैं”.
श्वेता- “ओके”!
श्वेता तैयार होने चली गयी. सतीश गया और पांच मिनट में तैयार होकर वापस आ गया. सतीश ने जा कर श्वेता के कमरे में देखा, श्वेता अभी तक कमरे में ही थी. सतीश हॉल में बैठ कर उसका इन्तजार कर रहा था.
करीब 45 मिनट बाद श्वेता सीढ़ी से उतरते हुए आयी. उसने ब्लू कलर का गाउन पहन रखा था जो श्वेता के पैरों तक घुटने के नीचे तक आ रहा था. आँखों में काजल लगा रखा था. होंठों पे लाल कलर की लिपस्टिक. सुन्दर तो श्वेता पहले से है लेकिन इस अवतार में श्वेता अप्सरा लग रही थी.
सीढ़ी से उतरते हुए श्वेता हॉल में आ रही थी. मानो ऐसा लग रहा था जैसे कोई अप्सरा आसमान से उतर कर उसकी तरफ आ रही हो. उसे देख कर सतीश आश्चर्य के मारे भौंचक्का सा रह गया. श्वेता चलती हुई सतीश के पास आई और बोली- “मुँह तो बंद कर लो मिस्टर”!
यह बात कहकर श्वेता हँसने लगी.
उसकी ये अदा भरी हँसी सतीश को श्वेता के प्यार में पागल कर रही थी. खैर सतीश संभला और खड़ा हुआ, सतीश बोला- “अब चलें मैडम”?
उसने मुस्कराते हुए सतीश के हाथ में हाथ डाला और चलने लगी.
सतीश ने वाइट कलर की टी शर्ट पर ब्लू कलर का ब्लेजर डाल रखा था और नीचे लाइट ब्लू जीन्स. दोनों परफ़ेक्ट कपल लग रहे थे.
सतीश ने बाइक की चाबी उठाई, फिर उसकी तरफ देखा. सोचा इस पटाखे को ऐसे खुले में ले जाना ठीक नहीं. सतीश ने मुस्कराते हुए चाबी को वापस रख दिया. सतीश ने पापा की कार की चाबी ली और चल दिया.
दोनों कार में बातें करते हुए जा रहे थे. दोनों निश्चित कर रहे थे कि हमे कहाँ कहाँ घूमना है. क्या क्या करेंगे.
अचानक सतीश की नजर श्वेता के गले में पड़े नेकलेस पर गयी. थोड़ा अजीब था. ऐसा पहले सतीश ने उसे पहनते नहीं देखा था. वह पतली सी चेन जैसा था. आगे की तरफ दो रिंग एक आकार में बड़ी और दूसरी छोटी, जुड़ी हुई थी.
सतीश ने उससे इशारे से लोकेट के बारे में पूछा तो श्वेता उसे हाथों से छेड़ते हुए सतीश को बताने लगी- “यह तुम्हारी निशानी है मेरे शरीर पर. यह ये बताती है कि मुझ पे बस तुम्हारा अधिकार है. मैं बस तुम्हारे ऑर्डर्स फॉलो करुँगी”.
श्वेता सतीश को बताने लगी कि कैसे बी.डी.एस.एम. में स्लेव (गुलाम) को दिया जाता है. ताकि उसे याद रहे कि उसको मास्टर के प्रति पूरी तरह न्यौछावर रहना है, उसका हर कहना मानना है.
उसकी इतनी विस्तृत जानकारी पर सतीश हैरान था. लेकिन श्वेता के मुँह से ऐसी बातें अच्छी लग रही थी. उसने सतीश को दिखाया कि उस पर सतीश का नाम भी लिखा था. उसने सतीश को अपना ब्रेसलेट दिखाया जिस पर “ऑन्ड बाय सतीश” (सतीश की गुलाम) लिखा हुआ था.
सतीश- “ये सब के सामने मत पहनना”.
श्वेता- ठीक है. लेकिन जब भी हमें अकेले में वक़्त मिलेगा, तुम मुझे इसी रूप में देखोगे”.
सतीश- “ठीक है बाबा”.
सतीश ने गाड़ी एक मल्टीप्लेक्स सिनेमा हाल के सामने रोकी. उसे उतार कर सतीश गाड़ी पार्क करने गया और सतीश ने दो कॉर्नर टिकट भी ले ली. दोनों हॉल में अपनी सीट पर बैठ गए. यह शहर का सबसे अच्छा सिनेमा हॉल था. सतीश उसके के साथ पहले भी यहाँ आ चुका था. यहाँ भीड़ काफी कम होती है. जो लोग होते हैं वह भी किसी से मतलब नहीं रखते. सतीश ने उसके के साथ यहां भी मजे किये थे.
इत्तेफाक से यह वही सीट थी जहाँ वह पिछली बार बैठे थे. सीट पर बैठते ही दोनों ने एक दूसरे को देखा. दोनों को पुरानी बातें याद आ गयी थीं. जब वह पिछली बार यहाँ आये थे, हालाँकि इतनी आजादी नहीं थी क्योंकि दोनों काफी छुपते-छुपाते आये थे.
सतीश के दिमाग में उस दिन का पूरा सीन घूम गया. सतीश ने उसकी तरफ देखा. श्वेता सतीश की तरफ ही देख रही थी. दोनों ने एक साथ स्माइल दी. श्वेता भी वही सोच रही थी जो सतीश सोच रहा था. शरमा कर उसने मुँह नीचे कर लिया. श्वेता अभी भी मुस्करा रही थी.
खैर फिल्म शुरू हुई. दोनों फिल्म देख रहे थे. करीब आधे घंटे बाद सतीश श्वेता के कानों के पास गया और गाल पर किस करके कान में कहा- “चेक योर फ़ोन”! (अपना फोन देखो!)
सतीश ने उसे भेजा था- “हाय स्लट”.
उसने जवाब दिया- “यस मास्टर”!
सतीश – “हाऊ वॉज लास्ट नाईट”? (पिछली रात कैसी बीती?)
श्वेता- “इट वॉज़ वंडरफुल मास्टर”! (बहुत ही अद्भुत मालिक!).
सतीश – “वॉना डू इट अगेन”? (फिर से करना चाहोगी?)
श्वेता- “यस प्लीज मास्टर. ईट्स माइ प्लेजर मास्टर”! (हाँ मालिक जरूर, मुझ को भी इससे खुशी मिलेगी)
सतीश – “यू आर अ गुड स्लट”. (तुम एक अच्छी चुदक्कड़ हो)
श्वेता- “थैंक्स मास्टर …
उसने झुकी नजरों वाली इमोजी के साथ भेजा.
सतीश – “ह्म्म्म”!
सतीश – “व्हाट आर यू वेयरिंग”? (क्या पहन रखा है तुमने)
श्वेता- “गाउन मास्टर”.
सतीश – “आई मीन इनसाइड”? (मतलब अंदर क्या पहन रखा है)
सतीश ने गुस्से वाले इमोंजी के साथ भेजा.
श्वेता- “सॉरी मास्टर! आई ऍम रियली सॉरी, ईट्स ब्रा एंड पैंटी मास्टर” (मुझ को माफ़ कर दीजिए मालिक, मैं ने ब्रा और पैंटी पहन रखी है)
सतीश – “ह्म्म्म! व्हिच कलर”? (किस रंग की?)
श्वेता- “ईट्स रेड मास्टर” (लाल रंग की)
श्वेता- “सॉरी टू डिस्पोइंट यू मास्टर” (आपको गुस्सा दिलाने के लिए माफी चाहती हूँ)
सतीश – “ओके”!
सतीश हॉल में बैठे हुए बगल में बैठी अपनी बहन के साथ सेक्स चैट कर रहा था. इस बात को सोच कर सतीश थोड़ा गर्म होने लगा था. श्वेता के चेहरे पर एक अजीब सा उमंग भरा भाव था. यह सतीश के लिए बिल्कुल नया था. हॉल के अँधेरे में ऐसे बात करने में सतीश को बड़ा मजा आ रहा था.
सतीश ने करीब 5 मिनट बाद उसे फिर से मैसेज किया. श्वेता फिल्म देखने में मशगूल थी. फोन के वाइब्रेट होते ही उसका ध्यान फोन पर गया. झट से मैसेज खोला.
सतीश – “टेक ऑफ यॉर पैंटीज नाउ”! (अपनी पैंटी उतारो अभी)
श्वेता आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी. वह मेरी तरफ ऐसे देख रही थी जैसे उसे मैसेज पर विश्वास नहीं हुआ हो.
सतीश ने उसे फोन की तरफ देखने का इशारा किया.
श्वेता नीचे देख कर कुछ सोचने लगी, फिर कुछ देर बाद टाइप किया- “ओके मास्टर”!
और फोन साइड में रख कर पैंटी निकालने लगी. श्वेता थोड़ा ऊपर हुई. उसने आस-पास देखा, सब फिल्म देखने में मशगूल थे. श्वेता झुकी और एक ही झटके में पैंटी को निकाल दिया. हाथों में पैंटी को लेकर सीधी हुई और आस-पास देखा कि किसी ने देखा तो नहीं.
फिर उसने मोबाइल उठाया- “ईट्स रेडी मास्टर” (यह तैयार है)
सतीश – “गुड … गिव इट टू मी”! (इसे मुझको दे दो)
श्वेता के हाथों से सतीश ने पैंटी ली और नाक पर रख कर लम्बी साँस ली. उसकी चूत की खुशबू को अपने जहन में समा लिया. उसकी पैंटी हल्की गीली हो चुकी थी श्वेता के चूत के रस से. खुशबू अनोखी थी. सतीश ने उसकी पैंटी को जैकेट के पॉकेट में रखा और फिल्म देखने लगा.
कुछ देर में इंटरवल हुआ, दोनों बाहर कुछ खाने के लिए गये.
फिर से फिल्म शुरू हुई. अब सतीश ने कुछ नहीं किया. अब हम बस फिल्म देख रहे थे. फिल्म ख़त्म हुई. हम हॉल से बाहर आये. श्वेता वाशरूम गयी, फिर उसी काम्प्लेक्स के मॉल में शॉपिंग करने गए. दोनों पति-पत्नी की तरह हाथ में हाथ डाले चल रहे थे जैसे श्वेता सतीश के साथ डेट पे आयी हो.
वहाँ पर उन्होंने कुछ शॉपिंग की. श्वेता ने सतीश के लिए 2 टी-शर्ट ली, अपने लिए उसने कुछ नहीं लिया क्योंकि उसे अगले 2 दिनों तक कुछ पहनना ही नहीं था. सिर्फ 5-6 जोड़े ब्रा और पैंटी ली क्योंकि अभी तो उसकी कई बार और पैंटी फटने वाली थी.
सतीश ने तब तक श्वेता के लिए एक सरप्राइज डेट प्लान कर लिया था. सतीश ने एक टेबल बुक कर ली थी. वहां से सतीश उसे सीधे उस रेस्टोरेंट में ले गया जहाँ उनकी डेट थी.
यह एक ओपन रेस्टोरेंट था; 9 बज रहे होंगे; हल्की-हल्की चाँद की रोशनी में यह नजारा काफी सुन्दर लग रहा था.
सतीश के डेट के प्लान से श्वेता काफी खुश हुई. दोनों अपने टेबल की ओर बढे, सतीश ने चेयर खींची, श्वेता सतीश के सामने बैठ गयी.
चाँद की हल्की रोशनी में टेबल पर लगी कैंडल की रोशनी में सतीश श्वेता के चेहरे को देख पा रहा था.
उसकी आँखों में चमक थी.
कुछ भी हो सतीश श्वेता से प्यार बहुत करता था; सतीश ने हाथ आगे ले जाकर श्वेता के हाथों को पकड़ा और चूम लिया.
तब तक वेटर आ गया आर्डर लेकर. उन्होंने एक दूसरे से बात करते हुए डिनर किया. श्वेता बार-बार डांस फ्लोर की तरफ देख रही थी जहाँ कपल्स डांस कर रहे थे. सतीश उठा और रोमांटिक अंदाज में उसका हाथ पकड़ के डांस फ्लोर पर ले गया.
उन्होंने थोड़ा डांस किया. श्वेता बहुत खुश थी. फिर दोनों वहाँ से निकल गए.
सतीश श्वेता के साथ पार्किंग की तरफ बढ़ा. श्वेता आगे-आगे चल रही थी, सतीश श्वेता के पीछे-पीछे. ताकि सतीश श्वेता की मटकती गांड को देख सके. अरे हाँ, हॉल से लेकर अभी तक श्वेता नीचे से नंगी थी. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. ये पता कर पाना थोड़ा मुश्किल था लेकिन किसी मंझे हुए खिलाड़ी के लिए ये बाएं हाथ का खेल था.
श्वेता सतीश के सामने गांड मटका कर चल रही थी. पैंटी नहीं होने की वजह से गांड पर उसका गाउन एकदम चिपक गया था जिसकी वजह से जब श्वेता चलती तो गांड की हलचल को सतीश साफ देख सकता था. सतीश को उसे ऐसे ताड़ने में बड़ा मजा आ रहा था.
गाड़ी के पास पहुंचते ही उसने सतीश को गले लगा लिया और बोली- “आई लव यू भाई! थैंक्यू सो मच! मुझ को स्पेशल फील कराने के लिए”!
सतीश ने उसे गले लगाये हुए ही कान में पूछा- “सिर्फ डेट के लिए”?
श्वेता मुस्कराई और सतीश को सीने पर मुक्के मारते हुए बोली- “इडियट … फोर एवरी थिंग”! (बेवकूफ … हर बात के लिए)
ये सुन कर सतीश ने उसे कस कर गले लगा लिया.
कुछ देर बाद दोनों अलग हुए. श्वेता गाड़ी में बैठ गयी, सतीश ड्राइव करने लगा. श्वेता के चेहरे पर संतुष्टि का भाव था. इसका कारण सतीश को पता था. जिस परिस्थिति में श्वेता सतीश को मिली थी उसे काफी प्यार की जरुरत थी. श्वेता के अधूरे सपने पूरे हो रहे थे. उसे खुश देख के सतीश को अच्छा लग रहा था.
हवा के झोंके से श्वेता के बाल श्वेता के चेहरे पर आ रहे थे.
सतीश ने बालों को श्वेता के चेहरे के ऊपर से हटाया और उससे पूछा- “क्या हुआ”?
श्वेता उसकी तरफ देख के मुस्कुरायी और बोली- “कुछ भी तो नहीं”
लेकिन उसकी आंखें सब बयान कर रही थीं.
सतीश ने गाड़ी साइड में रोकी, उसे अपनी तरफ खींच कर गले से लगा लिया. श्वेता सतीश के सीने से कस कर चिपक गयी. आँखें बंद कर ली उन्होंने.
कुछ समय बाद श्वेता सामान्य हुई, सतीश उससे अलग हुआ.
सतीश को पास में एक कैमिस्ट शॉप दिखी. सतीश ने उसे गाड़ी में रहने को कहा. खुद बाहर निकल आया. सड़क पर गाड़ी पार्क करके कैमिस्ट शॉप पर गया. सतीश ने एक पैक आई-पिल का लिया. इसके अलावा 2-4 डिब्बे अलग-अलग फ्लेवर के कंडोम लिये और वापिस आ गया.
सतीश ने सारा सामान उसे दिया और ड्राइवर सीट पर बैठने लगा.
श्वेता बोली- “ये क्या है”?
सतीश ने बोला- “बिना कंडोम के तुम्हें 2 दिनों से चोद रहा हूँ. कुछ प्रोटेक्शन तो लेना पड़ेगा ना नहीं तो कल को नन्ही ‘श्वेता’ आ गयी तो क्या करूंगा.
श्वेता उसकी बात सुनकर हँसने लगी. सतीश भी हँसने लगा. उसे फिर से हँसती हुई देख कर सतीश को अच्छा लगा.
“फिर ये किस लिए?” उसने कंडोम दिखाते हुए पूछा.
सतीश बोला- “ये दो दिन बाद के लिए जब हमारा ये होलिडे खत्म हो जायेगा”.
सतीश का मतलब उसकी सहेली के वापस आने से था.
श्वेता- “इसकी कोई जरूरत नहीं … मैं इससे काम चला लूँगी”.
श्वेता आई-पिल दिखाते हुए बोली- “तुम बस जो चाहते हो, खुल के करो मेरे साथ, अब मैं सिर्फ तुम्हारी हूँ”.
अपनी बहन को ऐसा बोलते देख सतीश उत्तेजित हो गया. सतीश ने उसे अपनी तरफ खींचा और श्वेता के होंठों पर होंठ रख दिए. श्वेता सतीश का पूरा साथ दे रही थी.
रात के 11:30 बज रहे थे. यह रास्ता शहर के बाहर हो कर जाता था, बिल्कुल सुनसान था. सतीश बीच सड़क पर अपनी श्वेता के होंठ चूस रहा था. क्या मस्त अहसास था.
कुछ देर के बाद उसने सतीश के होंठ छोड़े. सतीश श्वेता के कानों की तरफ गया और कानों पर किस करके बोला- “मास्टर वांट्स योर ब्रा”! (मालिक को तुम्हारी ब्रा चाहिए)
उसने नजरें झुकाये रखी. कामुक भाव श्वेता के चेहरे पर साफ नजर आ रहे थे. उसने हाथ पीछे किया और गाऊन का चेन खोल कर ब्रा का हुक खोल दिया. ब्रा निकाल कर सतीश को देने लगी.
सतीश ने ब्रा श्वेता के हाथों से ली और नाक के पास ले गया. उसमें श्वेता के परफ्यूम की खुशबू आ रही थी. सतीश ने एक लंबी सांस ली और उसे अपने अंदर उतार लिया.
उसकी खुशबू से सतीश को जैसे नशा सा चढ़ गया हो. सतीश मस्त हो गया.
श्वेता हाथ पीछे करके गाउन का चेन बन्द करने लगी तो सतीश ने उसे मना कर दिया. श्वेता के अधखुले गाऊन में उसके स्तन साफ नजर आ रहे थे. स्लीव लेस गाउन में साइड से उसके स्तनों के उभारों को देख सकता था सतीश.
सतीश ने गाड़ी ड्राइव करना स्टार्ट कर दिया. जैसे-जैसे गाड़ी में हलचल होती उसके स्तन भी हिलते. बिना ब्रा के अधनंगे स्तनों को सतीश हिलते हुए देख रहा था. श्वेता बस नजरें झुकाये हुए इसका मजा ले रही थी.
वह घर के गेट पर पहुंचे. उनका घर शहर के बाहर था. आजु बाजू के लोग जल्दी सो जाते थे. काफी सन्नाटा था, अधिकतर बंगलो की लाइटें ऑफ थीं.
सतीश ने गाड़ी रोकी, सतीश ने श्वेता को बोला- “डोंट मूव”! (हिलना मत)
सतीश ने कार के ड्राअर से पट्टा निकाला, कल रात को जो उसने पहना था. कॉलर लेदर का था जिस पर लिखा था ‘प्रॉपर्टी ऑफ़ सतीश' ऐसा श्वेता खुद भी मानती थी.
सतीश को पहले से प्लानिंग किये हुए देख श्वेता मुस्कुराई. उसे देख कर सतीश ने भी स्माइल दी. पार्किंग अंडरग्राउंड थी. एक लाइट जल रही थी.
इतनी ही रोशनी थी कि लोग मुश्किल से सामने वाले को देख पाते. सतीश ने जहाँ गाड़ी पार्क की वहां पर बिल्कुल अँधेरा था. बस गाड़ी की पार्किंग लाइट जल रही थी. सतीश गाड़ी से उतरा और दूसरी तरफ गया. गेट खोल कर उसे बाहर निकाला.
श्वेता के उठते ही उसका गाउन सरक कर पैरों में आ गया. श्वेता घबराई. सतीश ने उसका हाथ पकड़ के कहा- “ईट्स ओके,चिंता मत करो, सब ठीक है”!
श्वेता नॉर्मल हुई. सतीश ने उसका गाउन निकाला और शॉपिंग बैग में डाल दिया. सतीश ने अपनी जैकेट से उसकी ब्रा निकाली. श्वेता के हाथ पीछे ले गया और उसकी ब्रा से बांध दिया. सतीश ने पट्टा श्वेता के गले में पहनाया और उसे चलने का इशारा किया.
श्वेता गांड मटका कर चलने लगी.
सतीश ने शॉपिंग बैग उठाया और श्वेता के पीछे-पीछे चलने लगा.
श्वेता बिलकुल नंगी थी. श्वेता के शरीर पर एक भी कपड़ा नहीं था. सिर्फ तीन ही चीजें पहनी थीं उसने जिन पर लिखा था ‘प्रॉपर्टी ऑफ़ सतीश’ श्वेता के हाथ पीछे बंधे हुए थे. श्वेता सिर झुकाये हल्की सी डरी हुई सतीश के सामने गांड मटकाते हुए चल रही थी. उसने हाई हील्स पहन रखी थी जिससे उसकी गांड ऊपर उठ गई थी. श्वेता की गांड ऐसे लग रहे थे जैसे 2 बलून्स आपस में रगड़ खा रहे हों.
सतीश सारे शॉपिंग बैग्स लिए श्वेता के पीछे-पीछे चल रहा था. श्वेता सीढ़ियों तक पहुंची तब तक सतीश श्वेता के साथ हो लिया. उनका अपार्टमेंट पांच मंजिला था. वह सबसे ऊपर रहते थे.
उसने परेशानी के भाव से सतीश को देखा. सतीश मुस्करा दिया. श्वेता सारा खेल समझ गयी. हल्की सी कामुक मुस्कान के साथ उसने सर फिर से झुका लिया.
ऊपर जाते ही सतीश ने उसे रोक दिया. श्वेता घबराई सतीश ने उसे अपनी तरफ खींचा. श्वेता उस से पीठ के बल एकदम से चिपक गयी. सतीश ने उसकी गर्दन पर अपना दाँत गड़ा दिया. श्वेता आँखें बंद करके सिहर गयी. सतीश ने उसकी नंगी चूचियों को जोर से मसल दिया. श्वेता के मुँह से आहहह निकल गयी. उसने दांत भींच लिए. सतीश ने अब श्वेता के कंधों पर किस करते हुए अपने जैकेट से उसकी पैंटी निकाली और होंठों पे उंगलियाँ फेरते हुए पैंटी श्वेता के मुँह में ठूंस दी.
श्वेता मदहोश हो चुकी थी, बस सिसकारियाँ ले रही थी. सतीश ने उसे गर्दन से पकड़ कर एक बार और खींचा. श्वेता सतीश से बिल्कुल सट गयी. सतीश ने उसे दीवार के सहारे झुका दिया और श्वेता के गांड पर चपत लगाना शुरु किया. सतीश के हर एक वार से श्वेता आगे खिसक जाती थी. उसका मुँह बंद था.
श्वेता कुछ बोल नहीं पा रही थी क्योंकि मुंह में तो सतीश ने ब्रा को ठूंस रखा था. बस हर एक चपत के साथ श्वेता “उम्म्म … हूम्म्म्म…. ऊऊऊऊं … मम्मय्मम …” की आवाजें निकाल रही थी.
दस-बारह जोरदार चपत लगाने के बाद सतीश ने दीवार में चिपका कर उसकी पीठ पर किस करने लगा. उसे अच्छा लगने लगा. श्वेता के बाल पकड़ कर सतीश ने उसे दीवार से चिपका रखा था.
हाई हील्स की वजह से उसकी गांड उभर कर सामने आ गयी थी. सतीश ने इस पोज़ में श्वेता के गांड पर चार पांच चपत लगाये. श्वेता काम वासना से सिहर उठी. श्वेता की गांड लाल हो चुकी थी. सतीश ने श्वेता के गांड पर चुम्बन किया. उसे अच्छा लगा. मार खाने की वजह से श्वेता की गांड और भी सेंसेटिव हो गयी थी. श्वेता के चेहरे पर दर्द भरी काम वासना का भाव था.
लिफ्ट थर्ड फ्लोर पर खुली. सतीश ने शॉपिंग का समान उठाया, बाहर आया. रास्ता बिलकुल साफ था, कोई जगा हुआ नहीं था. न ही इस फ्लोर के बाद किसी के मिलने की आशंका थी. सतीशने उसके हाई हील्स निकाल दिए ताकि सीढ़ी चढ़ने में उसे परेशानी न हो. सीढ़ी लिफ्ट के बगल में ही थी.
श्वेता बिल्कुल नंगी थी. उसके हाथ उसी के ब्रा से पीछे बंधे हुए थे. श्वेता अपनी पैंटी मुँह में लिए सीढ़ियाँ चढ़ रही थीं सतीश उसके पीछे-पीछे था. वह उसकी मटकती हुयी गांड को देख रहा था. श्वेता की गांड किसी फुले हुये बलून की तरह हिल रही थी. उसकी गांड मार की वजह से लाल हो गयी थी.
जब श्वेता सीढ़ी चढ़ने के लिए मुड़ी, क्योंकि उनके अपार्टमेंट की सीढ़ियाँ स्पाइरल हैं, सतीश उसके स्तनों को देख रहा था. जैसे जैसे श्वेता सीढ़ियाँ चढ़ रही थी उसके स्तन भी ऊपर नीचे हो रहे थे. यह दृश्य काफी कामुक था. सतीश का तो लंड खड़ा हो गया था. उसके निप्पल एकदम कड़क हो गए थे. मतलब कि श्वेता वासना की आग में जल रही थी. श्वेता के बॉब्स एकदम सुडौल हैं जैसे किसी पॉर्न एक्ट्रेस के होते हैं. श्वेता जिम भी करती है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है.
श्वेता सर झुकाये सीढ़ियाँ चढ़ रही थी. जैसे ही दोनो फोर्थ फ्लोर पर पहुंचे श्वेता पांचवे फ्लोर के लिए सीढ़ियों की ओर मुड़ी. सतीशने उसे रोका. उसके पास पहुंचा. सतीशने हाथ उसकी पीठ पर रख कर उसे दूसरी तरफ घुमाया और फोर्थ फ्लोर की तरफ चल दिया. श्वेता वैसे ही नंगी हाथ पीछे किये हुए सतीश के साथ चलने लगी. श्वेता थोड़ी सी डरी हुई थी क्योंकि ये कोई होटल नहीं, उसका खुद का घर था. यहाँ सब उसे जानते थे.हा सतीश को ज्यादातर लोग नही जानते क्यों कि सतीश दो सालों बाद यहा आया था.
हालाँकि इस फ्लोर पर कोई रहता नहीं था. सारे फ्लैट्स बंद पड़े थे. सतीश का हाथ उसकी पीठ पर था. सतीश अपने हाथों को सरका कर उसकी गांड पर ले गया और उस पर फेरने लगा. गांड गर्म थी. सतीश ऐसे ही उसके साथ चलने लगा.
फ़िलहाल तो दोनो यहाँ चुदाई भी कर सकते थे. लेकिन श्वेता उसकी बहन है कोई रखैल नहीं, जो जहाँ मन करे चोदे. श्वेता सतीश के लिए बहुत खास थी. सतीशने कभी सपने में नहीं सोचा था कि उसे उसकी ड्रीम गर्ल उसके बहन के रूप में मिलेगी. हालांकि सतीश भारती से प्यार करता था और उसी से शादी करना चाहता था पर जो प्यार और समर्पण उसे श्वेता से मिला था वैसा प्यार और समर्पण शायद ही उसे किसी और से मिले सतीश अब श्वेता से बेहद प्यार करने लगा था.और श्वेता के बिना ज़िन्दगी की कल्पना वह अब नही कर सकता था.
ठंडा मौसम था. जब भी हवा श्वेता के बदन को छू कर निकलती श्वेता हल्की कांप सी जाती थी. दोनो फोर्थ फ्लोर आधा पार कर चुके थे.
श्वेता का डर धीरे धीरे ख़त्म हो रहा था क्योंकि चारों तरफ सन्नाटा था. सतीश उसके हाथ को छोड़ कर आगे हुआ. सतीशने आस पास देखा तो कोई नहीं था. सतीश सीढ़ी के पास पहुंचा. उसने सीढ़ी के पास की लाइट ऑफ कर दी. श्वेता को रोका तो उसने आश्चर्य भरी निगाहों से सतीश को देखा. सतीश अनुमान लगा रहा था कि अब उसकी बहन यही सोच रही होगी कि उसका भाई उसको अब यहीं पर चोदने वाला है. सतीशने मुस्कराते हुए उसे देखा. श्वेता डरी हुई थी. सतीशने उसे घुमाया. उसकी गर्दन पर किस करते हुए आँखों पर पट्टी बांध दी.
यह वही ब्लैक रिबन था जो कल रात सतीशने उसकी आँखों पे बांधी थी. सतीश उसके हाथ पकड़ के सीढ़ियाँ चढने लगा.श्वेता डर से बिल्कुल सहमी हुई थी. वह दोनों अपने फ्लैट के दरवाजे के पास पहुंचे.
उनके फ्लोर पर दो फैमिली रहती थीं. एक वह खुद और एक जोशी अंकल की फैमिली. जोशी अंकल के बेटे की डेस्टिनेशन वेडिंग हो रही थी तो वह एक महीने के लिए आज ही शहर से बाहर गये हुए थे. यह बात सतीश जानता था पर श्वेता नही जानती थी.
पूरे फ्लोर पर सतीश और श्वेता ही थे. सतीशने सामान वहीं रखा. उसे फ्लैट के सामने वाली दिवार पर चिपका कर खड़ा कर दिया. सतीशने पैंटी श्वेता के मुंह से निकाली. श्वेताने लंबी सांस ली. उसकी सांसें तेज थीं. श्वेता डर रही थी. उसका चेहरा पीला पड़ा हुआ था.
सतीश उसके पास गया. उसके होंठों पर किस किया. उसके होंठ कांप रहे थे. श्वेता किस नहीं कर पा रही थी. सतीशने उसके कानों में जाकर धीरे से कहा.
"ट्रस्ट मी,मुझ पर विश्वास करो”
यह सुनकर श्वेता नॉर्मल हुई. सतीशने उसे समय दिया. उसकी सांसें थोड़ी नार्मल हुई. श्वेता का डर कम हुआ. तब तक सतीश का चेहरा श्वेताके चेहरे के पास ही था, वह श्वेता की खुशबू को महसूस कर रहा था. श्वेता की गर्म सांसें सतीश के चेहरे से टकरा रही थी.
वह बस उसके हसीन चहरे को देखे जा रहा था. कितनी खूबसूरत है उसकी बहन.श्वेता की आँखों पर काली पट्टी थी, लाल सुर्ख होंठ, बाल खुले हुए. सतीशने उंगलियों से बालों को सहलाया और सीधा किया. श्वेता को अच्छा लगा, उसने हांफना बंद कर दिया था. सतीशने उसके माथे पर किस कीया तो उसे अच्छा लगा.श्वेता का डर काम हो रहा था अब श्वेता सतीश पर विश्वास कर रही थी. विश्वास तो वह अपने भाई पर अटूट करती थी, नहीं तो कोई लड़की अपने आप को ऐसे ही किसी को समर्पित नहीं करती. सतीशने भी उसका विश्वास अब तक नहीं तोड़ा था. अब सतीश भी उससे उतना ही प्यार करने लगा था.
सतीश इसी स्थिति में पीछे गया और श्वेता के हाथों को खोल दिया. सतीशने उसके कंधे व गर्दन पर चुम्बन बरसा दिए. श्वेता चुपचाप खड़ी थी. थोड़ा डर उसके मन में शायद अभी भी था. जोकि किसी भी लड़की को होना सामान्य था ‘बदनामी का डर’ फिर भी श्वेता सतीश पर विश्वास करके उसका साथ दे रही थी.
सतीशने उसके हाथों को आगे करके फिर से उसकी लाल ब्रा से बांधा और ऊपर कर दिया. सतीशने उसके होठो को चूसना चालू किया. श्वेता भी उसका साथ दे रही थी. सतीशने उसकी गर्दन पर किस किया. श्वेता की सांसें तेज हो रही थीं. इस बार श्वेता की सांसें कामुकता से तेज हो रही थी. डर को श्वेता कुछ देर के लिए भूल चुकी थी.
सतीश उसके बॉब्स पर गया, उसके निप्पल और कड़क स्तन तने हुये थे मोटे गद्देदार … जैसे उनमें दूध भरा हो. सतीश उसकी निप्पल को मुँह में भर कर चूसने लगा. वह उत्तेजित हो रहा था क्योंकि उसकी बहन बिल्कुल नंगी घर के बाहर उस से निप्पल चूसवा रही थी. वह उसके बॉब्स दबा कर चूस रहा था मानो जैसे उनसे दूध निकालने की कोशिश कर रहा हो.
सतीश अचानक से उसके बॉब्स को छोड़ कर ऊपर गया और उससे बोला- "यहीं रुको"
सतीश उसके बॉब्स चूसना चाहता था. लेकिन उसने ऐसा श्वेता को तड़पाने के लिए किया. सतीशने उसे वहीं छोड़ा बरामदे में. शॉपिंग बैग उठाये, गेट खोला और फ्लैट के अंदर चला गया.
सतीशने उसे वहीं छोड़ा बरामदे में. शॉपिंग बैग उठाये, गेट खोला और फ्लैट के अंदर चला गया.
5 मिनट हो गये थे. श्वेता नंगी अपने ही फ्लैट के आगे दीवार के सहारे हाथ ऊपर किये खड़ी थी. उसकी आँखों पर पट्टी थी. वह सब कुछ महसूस कर रही थी. उसका दिमाग हाइपर एक्टिव मोड में था. चारों तरफ सन्नाटा था. श्वेता हवा के स्पर्श को अपने निप्पलों पर महसूस कर पा रही थी. उसके निप्पल बहुत ही सेंसिटिव हो गए थे क्योंकि अभी 5 मिनट पहले उसका भाई उनको बेदर्दी से चूस कर गया था.
ठंडी हवा जब उसके बॉब्स से टकराती तो उसके बदन में झुरझुरी सी पैदा हो जाती, एक अजीब सी वासना की लहर दौड़ जाती श्वेता के नंगे बदन में. ऐसा ही कुछ अहसास श्वेता को तब हो रहा था जब वह सतीश के साथ नंगी गांड लिए मॉल में घूम रही थी. श्वेता को याद आ रहा था कि कैसे उसके भाई ने उसके बॉब्स को बीच सड़क पर नंगा कर दिया था, कैसे पार्किन्ग में सतीशने उसको पूरी नंगी कर दिया, कैसे लिफ्ट में उसकी नंगी गांड पर चपत लगाई.
गांड पर लगी चपत का ख्याल आते ही श्वेता के शरीर में वासना की लहर दौड़ गयी, श्वेताने गांड दीवार से चिपका लि. श्वेता ठंडी दीवार की खुरदरी सतह को अपनी गांड पर महसूस कर पा रही थी. किस तरह से वह नंगी अपने अपार्टमेंट में घूम रही थी. हालाँकि उसका भाई उसके साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर रहा था. ये सब श्वेताकी ही आउट डोर फैंटेसी थी. जो उसने सतीश को बतायी थी.
श्वेताने पहले चुदाई नही की थी वह पहली बार सतीश के साथ ही चुदी थी उसने अपनी वर्जिनिटी अपने भाई को ही सौंपी थी पहले वह बहुत पोर्न देखती थी और जैसा पोर्न में देखा था वह सब वह अब अपने भाई के साथ करना चाहती थी और सतीश भी उसको साथ दे रहा था सतीश ने अब तक बहुत लड़कियों को चोदा था पर जैसा मजा उसे अपनी माँ और बहन के साथ आया था वैसा मजा उसे किसीसे नही मिला था.
फ्लोर की बात याद आते ही श्वेता का ध्यान टूटा. श्वेता को अहसास हुआ कि वह अभी भी तो नँगी है. उसे डर फिर से लगने लगा. बगल में जोशीजी का फ्लैट है. कोई निकल के आ गया तो वह क्या करेगी? श्वेता डर से कांप गयी एक समय के लिए. फिर श्वेता को सतीश की बात याद आयी. उसने कहा था कि वह उस पर भरोसा रखे. श्वेताने मन ही मन खुद से बोला.
"मेरा भाई मुझे दूसरों के सामने नंगी थोड़ी ना करेगा".
अब श्वेता का डर गायब हो गया. कुछ ही पल में वह वापस लिफ्ट में थी. उसे अहसास हो रहा था कि उसका भाई आज उसे थोड़ा ज्यादा जोर से चपत लगा रहा था. शायद श्वेता भी यही चाह रही थी. यह विचार उसे अंदर ही अंदर रोमांचित कर रहा था. श्वेता को याद आ रहा था कि कैसे वह सीढ़ियों पर चढ़ते समय अपने ही बॉब्स को हिलते हुये देख कर उत्तेजित हो रही थी. जब सतीशने उसके गांड पर हाथ फेरा तो वह एक और चपत की कामना कर रही थी.
जब सतीशने उसे लाइट ऑफ़ करके सीढ़ी के पास रोका, तो वह चाह रही थी कि उसका भाई उसे यहीं पटक कर चोदे. वहाँ उसे नँगी गर्म कर आधे बॉब्स चूस के छोड़ दिया सतीश ने. श्वेता को सतीश पर गुस्सा आ रहा था. श्वेता ख्यालों से बाहर आ चुकी थी.
सन्नाटा कायम था. श्वेता अंदाजा लगा रही थी कि उसने बरामदे की लाइट ऑफ कर दी है क्योंकि उसने आँखे खोल के बाहर झांकने की कोशिश की थी.
बाहर चारों तरफ अँधेरा था. बस उनके फ्लैट से हल्की रोशनी आ रही थी.
श्वेता वर्तमान में आयी. चारों तरफ अँधेरा … चिर सन्नाटा. अंतिम आवाज उसने अपने फ्लैट का गेट बन्द होने की सुनी थी. उसके हाथ ऊपर उसके ही ब्रा से बंधे हुए थे. वह दीवार से अपनी नंगी पीठ और गांड सटाये खड़ी थी. श्वेता खुरदरी सतह को महसूस कर सकती थी. खुरदरी दीवार उसके मखमली जिस्म में चुभ रही थी. श्वेता के हाथ ऊपर थे. उसके आर्मपिट से आ रही उसके बदन और परफ्यूम की मिश्रित खुशबू श्वेता के नाक तक पहुँच रही थी.
श्वेता को कल की चुदाई याद आने लगी. कल रात पहली बार किसीने उसके आर्मपिट्स चूसे थे. ऐसा मजा उसे उसके बॉयफ्रेंड ने भी नहीं दिया कभी. यह सब सोच कर वह सोचने लगी कि आज क्या करेगा उसका भाई उसके साथ.
श्वेता इमैजिन कर रही थी कि वह पुल-अप बार से लटकी है. उसका भाई उसके गांड पर जोर-जोर से कौड़े बरसा रहा है. श्वेताने अपने दाँत भींच लिए.
श्वेता ने ध्यान दिया, उत्तेजना में वह अपनी गांड दीवार से रगड़ रही थी. उसकी चूत नीचे गीली हो चुकी थी. उसकी चूत से पानी बह कर नीचे उसकी टांगों पर जा रहा था.
तभी दरवाजा खुलने की आवाज उसके कानों में आयी. श्वेता सहम गयी. उसका सपना टूटा, वह सावधान हो गयी. एक हाथ उसे कमर पर उसे महसूस हुआ. सतीश उसे खींच के अपने साथ ले जाने लगा. “ओह माय गॉड” यह उसका भाई था. यह श्वेता उसके पर्फ्यूम की खुशबू से जान गयी. ये स्पर्श भी उसका जाना पहचाना था. श्वेता सतीशके साथ हो ली. पहले उसे लगा था कि जोशी जी का दरवाजा खुला है.अब उसके जान में जान आयी.
सतीशने सरप्राइज प्लान किया था. इसलिए सतीशने श्वेता को बाहर ही रखा था. जब वह वापस आया तो उसकी बहन नंगी, हाथों को ऊपर किये खड़ी थी. श्वेता गर्म हो चुकी थी. सेक्स का अहसास श्वेता को पागल बना रहा था. सतीशने श्वेता को उसकी नंगी कमर से पकड़ा. सतीश के दरवाजा खोलते ही वह डर गयी थी उसके चेहरे पर डर साफ नज़र आ रहा था. पर अपने भाई का स्पर्श पाकर श्वेता सामान्य हुई. सतीश का स्पर्श श्वेता पहचानती थी.
सतीश उसे कमरे में ले आया. दरवाजा बंद किया. श्वेता हॉल में नंगी हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी. शरीर पर एक भी वस्त्र नहीं. एक फटी हुई ब्रा थी जिससे उसके हाथ बंधे हुए थे. सतीश खड़ा हुआ उसको निहार रहा था.
सतीशने पूरा घर डेकोरेट कर रखा था. हर तरफ कैंडल लाइट्स थी. यह सरप्राइज था जो सतीशने अपनी बहन के लिए प्लान किया था. वह उसके पीछे से उसके पास गया. सतीशने हाथ उसकी कमर पर रखा.श्वेता थोड़ी कसमसाई क्योंकि गर्म तो श्वेता पहले से ही थी.
सतीश का स्पर्श उसे रोमांचित कर रहा था. सतीशने बड़े ही प्यार से उसके जिस्म पर हाथ फेरा और फेरते हुए हाथ ऊपर ले जा रहा था. उसके हाथ श्वेता के बॉब्स तक पहुंचे. सतीश ने पीछे से उसकी नँगी पीठ से सट कर उसे हग किया. श्वेता थोड़ा सिहर सी गयी. श्वेता काफी गर्म हो चुकी थी आज की घटना से. सतीशने उसके बॉब्स अपने हाथ में लिए और उसकी नंगी पीठ से बिल्कुल चिपक गया.
उसके ऐसा करने से श्वेता वासना में डूब गयी. सतीश उसी अवस्था में उसके कंधों पर चूमने लगा. श्वेता के मुंह से कामुक सिसकारी निकली.
"आहह"!
सतीशने चुंबन जारी रखा. वह उसकी गर्दन, कानों, कंधों के भाग में चुंबन कर रहा था. चूमते हुए सतीशने उसकी आंखों की पट्टी अपने मुँह से ही खोल दी, पट्टी गिरते हुये उसके स्तनों पर अटक गयी.
श्वेता आंख बंद किये, सर हल्का सतीश की तरफ घुमाये हुए वासना के सागर में गोते लगा रही थी. सतीश को उसके आधे लाल होंठ दिख रहे थे. श्वेता का मुँह खुला हुआ था. श्वेता
"आहह! उम्म्म"!
की ठंडी आहें भर रही थी. बदन स्थिर था, कोई जल्दबाजी नहीं. हाँ श्वेता अपनी गांड जरूर रगड़ रही थी सतीश के लंड पर.
सतीश चुम्बन करता हुआ कान के पास पंहुचा. सतीशने उसके कान पर किस किया और बोला- "देखो"!
आवाज सुनकर श्वेता की तन्द्रा टूटी. वह वासना के जोश में ये भी भूल गयी थी कि पट्टी नहीं रही है उसकी आँखों पर. उसने आँखें खोलीं जैसे सपने से जागी हो.
कुछ देर लगी श्वेता को वर्तमान में आने में और समझने में. उसने चारों तरफ नजर दौड़ाई. पूरा घर मोमबत्तियों से सजा हुआ था. कमरे में सिर्फ कैंडल्स की सुनहरी रोशनी थी. सारी लाइट्स ऑफ थी. पूरा घर सजा हुआ था. श्वेता नजारा देख कर श्वेता को अपनी ही आँखों पर भरोसा नहीं हो रहा था.
भाई ने ये सब उसके लिए किया था. यह उसका सपना था कि वह अपने चाहने वाले के साथ कैंडल लाइट्स में चुदना चाहती थी. श्वेताने अपनी सब फैंटेसी सतीश को बतायी थी. लेकिन सेक्स के बाद की हुई बातें कौन याद रखता है. पर सतीश अलग था. उसने श्वेता को अहसास दिलाया कि श्वेता उसके लिए कितनी खास है. अपने भाई के लिए प्यार जग गया श्वेता के दिल में. श्वेता बस अब उसके लिए समर्पित हो जाना चाहती थी.
ख़ुशी के कारण श्वेता वासना भूल चुकी थी. श्वेता पीछे मुड़ी, उसने सतीश को बस गले से लगा लिया.
श्वेता सतीश के गले में अपने बंधे हाथ डाल कर गले लगी थी. सतीशने भी उसे कस कर अपनी बाँहों मे जकड़ रखा था. सतीश ने इस कदर उसे अपने आग़ोश में ले लिया था कि श्वेता जमीन से कुछ ऊपर तक हवा में उस से चिपकी हुई थी. सतीशने उसकी गांड पर हाथ रख कर उसे अपने से पूरा चिपका लिया.
श्वेता ने कांपती हुई आवाज में कहा- "आई लव यू भाई! मैं बहुत भाग्यशाली हूँ जो मैंने तुम्हें पाया"
उसकी आवाज कांप रही थी. श्वेता जज़्बाती हो गयी थी.
सतीश ने उसकी पीठ पर हाथ रख कर अपने से और चिपकाते हुए कहा- "आई लव यू टू"!
श्वेता- "आज से मैं पूरी की पूरी तुम्हारी हूँ,
सतीश तुम मुझे बहन समझने की गलती मत करना, आज पूरी तरह से तुम्हें समर्पित हूँ, एक रखैल की तरह चोदो मुझे"
सतीश- "जैसा तुम कहो मेरी जान"!
कहानी चलती रहेगी.

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