आग्याकारी माँ - 11
वो वीडियो चैट पर आई.. तब सतीश न्यूड था और वो भी सिर्फ़ तौलिया लपेटी हुई थी. जैसे ही सतीश ने उसको अपना चेहरा दिखाया..
वो चौंकते हुए बोली- “तुम”?
उसने तत्काल चैट ऑफ कर दी.
अब आगे…….
तो सतीश नंगा ही उठा और उसके कमरे में चला गया और लाइट जला दी.
वो बोली- “तुम जाओ यहाँ से.. ये सब ग़लत है..!
सतीश- “दीदी प्लीज़.. सिर्फ आज.. फिर कभी नहीं..!
श्वेता- “पागल हो गया क्या तू.. हट दूर..!
सतीश- “नहीं दीदी..!
श्वेता- “यह ग़लत है.. और मैं तेरी बहन हूँ”
सतीश- “नहीं.. आज हम दोनों भाई-बहन नहीं.. एक लड़का और लड़की हैं और हम दोनों को अभी एक-दूसरे की ज़रूरत है.. हम दोनों ने एक-दूसरे का सब कुछ देख लिया है और अगर मैं तुम्हारा भाई नहीं होता.. तो क्या तुम वो सब नहीं करतीं”?
यह बोल कर सतीश श्वेता को चूमने लग गया, सतीश उसके मम्मों को दबाने लग गया.
अब श्वेता का विरोध कम हो गया.
सतीश ने अपनी एक उंगली उसकी चूत पर लगाई.. श्वेता ने उसका हाथ पकड़ लिया और बोली.
श्वेता- “नहीं.. मुझ को अजीब लग रहा है”
सतीश समझ गया था कि दीदी वर्जिन है और अपनी ही सग़ी बहन की सील तोड़ने में बहोत मज़ा आएगा.
श्वेता अब गरम हो चुकी थी.. सतीश का लंड भी अब चूत को सलाम कर रहा था.. लेकिन फिर श्वेता ने उसे अलग कर दिया.
सतीश ने उसे समझाया और कहा- “प्लीज़ दीदी मान जाओ.. हम दोनों को सेक्स की जरूरत है..!
जब सतीश समझा रहा था.. तो वो उसके लंड को ही देख रही थी और तभी सतीश ने उसके हाथ पर अपना हाथ रखा और अपनी तरफ खींचा और उसने गाल पर किस किया.
वो बोली- “यह पाप है.. हम दोनों भाई-बहन हैं और किसी को पता चल गया तो बदनामी हो जाएगी”
सतीश- “किसी को पता नहीं चलेगा.. ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी”.
अब सतीश ने उसके होंठों पर अपने होंठों को रख दिया, वो छूटने की कोशिश करने लगी, सतीश ने ढील नहीं छोड़ी.. कुछ देर में वो भी गरम होने लगी और उसने छूटने की जद्दोजहद भी खत्म कर दी.
तभी सतीश ने उसके स्तनों पर अपना हाथ रखा और उसे सहलाना चालू कर दिया. करीब 15 मिनट तक ऐसा ही चलता रहा.. फिर वो भी साथ देने लगी.
अब वो भी मान गई थी और गले लग गई.. तो सतीश उसके सिर पर हाथ फेरने लगा और उसके कंधे पर किस करने लगा.
उसको भी अच्छा लग रहा था.. अब लंड उसकी चूत के पास स्पर्श हो रहा था. ऐसा लग रहा था कि जैसे सतीश का लंड उसके कपड़े को फाड़ कर चूत में चला जाएगा.
फिर सतीश ने हाथ नीचे ले जाकर उसकी गांड़ को दबाने लगा और स्तनों के ऊपर किस करने लगा.
सतीश ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके स्तनों को दबाने लगा.
वो सिसकरियाँ लेने लगी ‘आआअह.. अहहह..’
सतीश ने मौके का फायदा उठाते हुए उसके तौलिया को हटा दिया.. वो अब उसके सामने ब्रा-पैंटी में थी.
“आह.. , क्या माल लग रही थी.. बता नहीं सकता..!
उसके गोरे बदन पर काली ब्रा और पैन्टी.. आह्ह.. पूछो मत कि क्या दिख रही थी. वो जैसे कोई जन्नत की हूर अप्सरा लग रही थी.
फिर सतीश ने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके स्तन दबाने आरम्भ किए.. वो सिसकारियाँ भरने लगी और ‘आआआहह.. आआहह..’ करने लगी.
धीरे-धीरे सतीश ने उसके पेट पर हाथ फिराते हुए उसकी जाँघों पर हाथों को ले गया और सहलाने लगा.
उसने सतीश का हाथ अपनी जाँघों में दबा लिया और अकड़ गई.
अब सतीश अपने हाथ को पीठ पर ले जाकर सहलाने लगा और गर्दन और स्तनों के ऊपरी भाग पर किस कर रहा था. सतीश ने हाथ को पीछे ब्रा के हुक में फंसा दिया और उसको खोल दिया.
अब ब्रा सिर्फ़ उसके स्तनों पर टिकी हुई थी.. तो सतीश ने अपने मुँह से ही ब्रा को हटा दिया.
जैसे ही सतीश ने ब्रा हटाई.. उसकी दोनों स्तन उसके सामने आ गये.. जिसको देख कर उसके मुँह में पानी आने लगा.
अब तक दीदी को कपड़े के अन्दर या नंगा देखा था.. तो बस लैपटॉप पर ही देखा था.. आज वह सच में उसके सामने थीं.. वो भी पूरी नंगी.
सतीश तो कुछ देर देखता ही रह गया.. नज़दीक से तो वह और भी सेक्सी लग रही थी और उसके गुलाबी निप्पल तो और कयामत ढा रहे थे.. जैसे दो मलाई के ढेर हों.. और उनके ऊपर एक-एक छोटी चेरी रखी हुयी हो.
सतीश ने देर ना करते हुए नंगे स्तनों पर झपट्टा मारा और पूरे स्तन को एक बार में ही अपने मुँह में लेना चाहा.
लेकिन उसके स्तन बड़े थे.. सो नहीं जा पाए.. लेकिन जितना भी गए.. उतने को ही पीने लगा और एक हाथ से दूसरे स्तन के निप्पल को दबाने लगा.. वो तड़प उठी और बोली- “भाई रहने दो ना प्लीज़.. अब और नहीं मैं मर जाऊँगी..”
श्वेता वासना से ‘आआअहह.. आआहह..’ करने लगी. फिर भी सतीश रुका नहीं.. उल्टे सतीश ने पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत पर हाथ रखा और सहलाने लगा.
श्वेता ने अपने भाई का लंड पकड़ लिया और अचानक छोड़ दिया.
सतीश- “क्या हुआ”?
श्वेता- “यह तो बहोत मोटा और बड़ा है.. मेरे अन्दर नहीं जाएगा”
सतीश ने अपना खड़ा हुआ लंड उसके सामने कर दिया और कहा- “इसे किस करो”!
श्वेता- “नहीं मुँह से नहीं होगा..!
सतीश- “कोई बात नहीं.. एक काम करो.. इसको थोड़ा पकड़े हुए ही रहो”
थोड़ा ना-नुकर के बाद श्वेता ने लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी, फिर हल्का सा चूमा भी.. सतीश के लण्ड के मुँह में पानी आने लगा.
अब वह दोनों बिस्तर पर नंगे ही 69 अवस्था में आ गए थे और एक-दूसरे से लिपटे हुए थे. सतीश ने उसकी चूत पर हाथ रखा और एक उंगली अन्दर डाल दी.. वो तड़प उठी और अपने भाई के लंड को ज़ोर से दबा कर पकड़ लिया.
“ऊऊओह गॉड.. क्या सीन था..!
सतीश ने अपना लंड उसके होंठों के पास रखा और मुँह में देने लगा.. कुछ देर मना करने के बाद वो मजे से चूसने लगी और वह उसकी चूत को चूसता रहा और चूत के अन्दर जीभ घुमाता रहा.
इस काम को करते हुए उन्हें 45 मिनट हो गए थे और वो भी झड़ भी चुकी थी. फिर सतीश ने मुँह से लंड निकाल लिया, सतीश ने उसे घोड़ी बनने को कहा.. तो वो डरते हुए घोड़ी बन गई..
सतीश अपने लंड का सुपाडा उसकी चूत पर रगड़ने लगा और श्वेता तड़फ रही थी, उसके मुँह से सिसकारी निकल रही थी.
श्वेता की सिसकारी सुन कर उसे इतना मजा आ रहा था.. जैसे वो बोल रही हो “प्लीज़ जान डाल दो अन्दर.. प्लीज़ भाई चोद दो अपनी बहन को..!
सतीश ने लंड उसकी चूत पर रखा और हल्का सा धक्का लगाया तो लंड अन्दर नहीं गया.. क्योंकि श्वेता की चूत बहोत टाइट थी. वो दर्द से कराह कर आगे को हो गई तो सतीश ने उसके स्तनों को कस कर पकड़ा और थोड़ा ज़ोर से धक्का लगाया.. तो अबकी बार लंड का टोपा चूत में अन्दर फंस गया.
वो दर्द से चिल्ला उठी.. बोली- “प्लीज़ भाई निकाल लो.. वरना मर जाऊँगी.. प्लीज़..भाई”
उसकी आँखों से आँसू निकलने लगे थे.. तभी सतीश ने एक और धक्का लगाया, लंड आधा अन्दर घुस गया और उसके मुँह से ज़ोरदार चीख निकली- “उउउइईई.. मामाआ.. आआह… आआअ मर गई.. आआआहह.."
श्वेता रो रही थी.. सतीश ने उसका मुँह नहीं पकड़ा हुआ था.. क्योंकि घर बंद था और फ्लैट से बाहर आवाज़ नहीं जाती थी.
सतीश ऐसे ही रुका रहा.. उसकी चूत से खून निकल रहा था.. वो आगे की तरफ़ झुकी ताकि छूट सके… लेकिन उसकी इस हरकत से लंड और टाइट हो गया क्योंकि अब उसका मुँह नीचे बिस्तर पर टिका था और घुटने उठे हुए थे.
‘उओ आआहह.. आअहह..’ चिल्ला रही थी और सतीश से लंड को बाहर निकालने के लिए कह रही थी लेकिन उसने उसे नहीं छोड़ा.. वरना वो फिर से अन्दर नहीं डलवाती..
कुछ देर सतीश ऐसे ही रुका रहा और श्वेता के स्तन दबाता रहा. वो कुछ देर बाद नॉर्मल हो गई और सतीश ने धक्के लगाने शुरु कर दिए, धीरे-धीरे पूरा लंड अन्दर डाल दिया..
वो अभी भी दर्द से कराह रही थी लेकिन कुछ ही देर में वो नॉर्मल हो गई और गांड उठा कर अपने भाई का साथ देने लगी.. उसके मुँह से ‘आआहह.. उउऊहह उउउइ.. आअहह..’ की कामुक आवाजें निकलने लगी थीं और ‘छप.. छा..’ की आवाजों से पूरा कमरा गूँज रहा था.
अब सतीश झड़ने ही वाला था और तेज-तेज धक्के लगा रहा था, हर धक्के पर उसके मुँह से ‘आअहह..’ निकलती.
करीब 30 मिनट की लंबी चुदाई के बाद सतीश उसकी चूत मे जड़ तक अपना लंड डालकर झड़ गया. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी.. झड़ने के बाद सतीश उसके ऊपर ही लेट गया और उसे चूमने लगा.
सतीश ने उससे पूछा- “कैसा लगा”?
श्वेता- “पहले बहोत दर्द हुआ.. लेकिन बाद में बहोत मजा आया..!
फिर कुछ देर बाद उन्होंने एक-दूसरे को चूमना चाटना शुरु किया और वह फिर से तैयार हो गए.
वो मना कर रही थी लेकिन गरम होकर मान गई.
उस रात उन्होंने 4 बार चुदाई की.. सुबह वो चल भी नहीं पा रही थी और उसकी चूत सूज गई थी.. तो सतीश बर्फ का टुकड़ा ले कर उसकी चूत की सिकाई करने लगा, तब जा कर कहीं उसकी चूत की सूजन ठीक हुई.
सॉरी दोस्तो पॉपअप की वजह से पोस्ट करने में बहुत मुश्किल हो रही है बाकी कहानियो के अपडेट कल पोस्ट कर दूंगा....सतीश
फिर जब तक श्वेता की सहेली नही आई तब तक हमनें ना दिन देखा ना रात सिर्फ चुदाई करते रहे जैसे तीन दिन बाद दुनिया खत्म हो जायेगी
जब हम तीन दिनों तक एक ही प्रकार की चुदाई करके बोर हो गए थे. श्वेता को कुछ नया करना था. श्वेता सतीश के साथ बी.डी.एस.एम. सेक्स (एक तरह का क्रूर सेक्स) करना चाहती थी. श्वेता सतीश से बोली-
श्वेता-“भाई मैं तुमसे तुम्हारी निजी रखैल बनकर चुदना चाहती हूँ”.
सतीश- “वह तो ठीक है लेकिन तुम्हारी सहेली के रहते ये नहीं होने वाला”.
श्वेता उदास हो गयी. सतीश ने उसका चेहरा पकड़ कर ऊपर किया और श्वेता के होंठों को चूम लिया. श्वेता भी सतीश का साथ देने लगी. फिर उन्होंने रात को एक बार चुदाई की और सो गए.
सुबह नाश्ते की टेबल पर सतीश श्वेता की सहेली से मिला. उसने सतीश को बताया कि वह नानी के यहाँ कोल्हापुर जा रही हैं क्योंकि नानी की तबियत खराब है. वह तीन-चार दिन बाद ही वापस आयेगी.
सतीश ने श्वेता की आँखों में देखा, श्वेता की आंखे खुशी से चमक उठी थी.
सतीश ने उस से पूछा- “कब निकलना है”?
उसका प्लान आज दिन में ही निकलने का था.
श्वेता उठी और किचन में गयी कुछ लाने. सतीश श्वेता के पीछे-पीछे किचेन में गया. सतीश ने उसे पीछे से पकड़ कर उसकी गर्दन पर चूमा और स्तन दबाते हुए बोला- सतीश- “आज कौन बचायेगा जान”?
श्वेता- “बचना किसको है जान! तुम तो बस जल्दी से आओ, मुझ को चोद दो”.
कहकर उसने सतीश के होंठों को चूम लिया.
सतीश फिर सहेली को छोड़ने स्टेशन गया. ट्रेन लेट थी और आते-आते शाम हो गयी. सतीश ने श्वेता को मैसेज किया- तैयार रहना!
सतीश घर पंहुचा तो उसने दरवाजा खोला. वह बिल्कुल नंगी थी. कुछ भी नहीं पहना था. श्वेता के गले में एक पट्टा था. सतीश ने उसे देखते ही गले लगा लिया और श्वेता के होंठों को चूमने लगा. सतीश उसे किस करते हुए बेडरूम में ले गया, उसकी आँखों पर पट्टी बांध दी.
श्वेता के दोनों हाथों को रस्सी से बांध कर पुल-बार (खींचने के लिए) से लटका दिया. सतीश को व्यायाम करना काफी पसंद है तो सतीश ने पुल अप्स करने के लिए कमरे में ही पुल-अप बार लगवा रखा था. उसे इसी हालत में छोड़ कर सतीश बाथरूम में फ्रेश होने के लिए चला गया.
श्वेता आँखें बंद थीं. वह बिल्कुल नंगी बीच कमरे में खड़ी थी. दोनों हाथ एक रस्सी के द्वारा ऊपर पुल-अप बार से बंधे थे. श्वेता अपने रोम-रोम में एक अजीब-सा कम्पन महसूस कर सकती थी. श्वेता को यह बात और भी ज़्यादा उत्तेजित कर रही थी कि अब सतीश उसके साथ अब आगे क्या करेगा.
आधे घंटे से वह ऐसे ही विचारों से उत्तेजित हो रही थी. श्वेता अपने भाई के पहले स्पर्श को याद कर रही थी. इससे श्वेता गर्म होने लगी थी. काफी समय से इसी स्थिति में रहने के कारण उसके हाथों में दर्द भी था. लेकिन इस दर्द में उसे मजा आ रहा था. यह दर्द उसको को और भी उत्तेजित कर रहा था.
करीब 45 मिनट बाद सतीश बाथरूम से निकला. श्वेता मादरजात नंगी कमरे में दोनों हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी. वह काफी उत्तेजित थी. उत्तेजना श्वेता के चेहरे पर साफ दिखाई दे रही थी. सतीश टॉवल लपेटे हुए था. सतीश ने मेज पर रखी स्टिक उठाई. एक पतली सी छड़ी थी. जिसका अगला भाग थोड़ा चपटा था. ये सब सामान श्वेता ने अर्रेंज किया था. उस स्टिक से सतीश ने उसकी पीठ को छुआ तो श्वेता छटपटा सी गयी. सतीश स्टिक को उसकी पीठ पर घुमाते हुए नीचे लाया और श्वेता की उभरी हुयी गांड पर मारा. श्वेता चिहुँक-सी गयी. श्वेता सर ऊपर करके ‘आहह हहह!’ की सिसकारी लेने लगी. श्वेता के चेहरे पर मुस्कान थी.
यहाँ सतीश का उद्देश्य उसे मारना या चोट पहुंचाना नहीं था. वह बस सेक्स के एक नए प्रयोग का मजा ले रहे थे.
सतीश स्टिक को श्वेता के शरीर पर घुमाते हुए आगे लेकर आया और श्वेता के पेट पर हल्के से मारा. श्वेता चिहुँक गयी. नंगे बदन पर रबर की छड़ी सटीक चिपकती थी. ये चोट बड़ी कामुक थी. श्वेता के मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं. सतीश स्टिक को श्वेता के बदन पर घुमाते हुए ऊपर लाया और श्वेता के स्तनों पर धीरे से मारा तो श्वेता चिहुँक उठी जैसा पहली बार किया था.
उसकी सांसें तेज हो गयी. उत्तेजना से श्वेता सिसकारियां भर रही थी. उसका शरीर वासना से तप रहा था. हर एक वार के साथ श्वेता सिसकारियां ले रही थी ‘आहह हहहह … आहहह … ओह्ह … ओह्ह!’
सतीश स्टिक को वैसे ही घुमाते हुए उसकी चूत के पास लाया और उसकी चूत पर फेरने लगा. श्वेता मचल उठी, उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. सतीश के ऐसा करने मात्र से ही श्वेता स्खलित हो गयी. उसका रस स्टिक पे लगा हुआ था. सतीश स्टिक को श्वेता के मुंह के पास ले गया जिसको श्वेता झट से चाट गयी. श्वेता थोड़ी सी शांत हुई.
श्वेता के हाँफने से श्वेता के स्तनों को सतीश ऊपर नीचे होते हुए देख सकता था. श्वेता का गोरा बदन वासना से तप कर लाल पड़ चुका था. सतीश श्वेता के चेहरे पर संतोष का भाव देख सकता था.
उसे इस हालत में देख कर सतीश का लंड भी तन चुका था. सतीश श्वेता के पीछे गया. श्वेता के बालों को पकड़ कर खींचा और उसका सिर ऊपर की तरफ उठ गया. सतीश ने श्वेता के कंधों पर दांत गड़ा कर चुम्बन किया. उसने अपने होंठ भींच लिए, कामुक अंदाज में दबा लिए. शायद उसे मजा आ रहा था. सतीश श्वेता के बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था. उसका बदन एक दम तवे के माफिक गर्म था.
सतीश ने उसे गर्दन पर किस करते हुए श्वेता के हाथ की रस्सी खोली और सतीश उसे इसी हालात मे छोड़ कर किचन में गया. फ्रिज़ से सतीश आइस ट्रे उठा लाया.
श्वेता का रोम-रोम उत्तेजित था. वह पूरी तरह से अपने भाई की स्लेव (सेक्स गुलाम) बन गयी थी. श्वेता को उसका हर एक स्पर्श उन्मादित कर रहा था. यह बिल्कुल अलग अहसास था. श्वेता का पूरा बदन इतना ज्यादा सेंसेटिव हो गया था कि हवा का स्पर्श भी उसे उत्तेजित कर रहा था. श्वेता ने तीन दिन मे कितनी ही बार सेक्स किया था लेकिन यह अहसास कभी नहीं हुआ. वह बस एक भी पल रुके बिना ज़ोरदार चुदाई की कामना कर रही थी. लेकिन उसे सतीश ने कहा था कि अगर पूरा मजा लेना है तो तुम कुछ करोगी नहीं. जो करेगा वह ही करेगा. इसलिए वह कुछ भी नहीं कर रही थी.
सतीश कमरे में वापस आया. श्वेता वहीं फर्श पर घुटने के बल बैठी थी. उसके वापस आने का इंतज़ार कर रही थी. सतिश ने उसे उठाया और श्वेता के हाथों को ऊपर पुल-अप बार पर चौड़ा करके बांध दिया. नीचे श्वेता के दोनों पैरों को भी पुल बार के स्टैंड के सहारे चौड़ा करके बांध दिया ताकि श्वेता हिले डुले ना. सतीश ने आईस क्यूब मुँह में लिया, श्वेता के पेट पर चूमने लगा. श्वेता सिहर सी गयी जैसे श्वेता के बदन में कोई करंट सा दौड़ गया हो. उसे इसका जरा सा अहसास भी नहीं था कि सतिश कुछ ऐसा करने वाला है. श्वेता के फूल की पंखुड़ी की तरह लाल होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी. शायद इससे उसे काफी आनंद आ रहा था.
आइस क्यूब को श्वेता के बदन पर घुमाते हुए सतीश ऊपर की ओर बढ़ रहा था. उसका अंग-अंग टूट रहा था. श्वेता काफी उत्तेजित हो रही थी. श्वेता के चेहरे की मुस्कान गहरी हो रही थी. उसे इस चीज से काफी आराम मिल रहा था. सतीश उसके बदन की खुशबू को महसूस कर पा रहा था. यूँ तो उन्होंने कई बार सेक्स किया है लेकिन यह अहसाह ही कुछ और था.
सतीश आईस क्यूब को श्वेता के स्तनों पर घुमा रहा था. श्वेता के गोरे-गोरे स्तनों पर लाल निशान पड़ चुके थे. आइस का स्पर्श पाते ही श्वेता के निप्पल कड़े हो गए थे.
श्वेता आहहहह … ऊ … ओह … की हल्की सीत्कार ले रही थी. चूंकि उसे किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए मनाही थी इसलिए श्वेता मजबूर थी. नहीं तो अभी तक श्वेता उसको चोदने को कह देती या तो खुद ज़बरदस्ती उसको को पटक कर उसके लौड़े पर चढ़ कर चुद लेती. ऐसा सतीश इसलिए सोच रहा था क्योंकि वह उसको कई बार चोद चुका था और वह श्वेता के हर एक भाव से वाक़िफ़ था. उसका यह भाव सतीश को और भी उत्तेजित कर रहा था.
श्वेता के बदन की खुशबू पाकर सतीश का लंड फिर से खड़ा होने लगा था जोकि एक बार पहले ही झड़ चुका था. सतीश उसकी गर्दन के पास था. सतीश उसकी गर्म सांसों को महसूस कर सकता था. श्वेता के बाद सतीश श्वेता के होंठों पर पहुंचा और श्वेता आइस क्यूब को जीभ निकाल कर चाटने लगी. उसकी आँखों पर पट्टी थी. सतीश को इतना पास पाकर उसने सतीश को चूमना चाहा लेकिन सतीश श्वेता के माथे पर चुम्बन करते हुए जल्दी से पीछे हट गया.
सतीश स्टिक को वैसे ही घुमाते हुए उसकी चूत के पास लाया और उसकी चूत पर फेरने लगा. श्वेता मचल उठी, उसकी चूत पानी छोड़ रही थी. सतीश के ऐसा करने मात्र से ही श्वेता स्खलित हो गयी. उसका रस स्टिक पे लगा हुआ था. सतीश स्टिक को श्वेता के मुंह के पास ले गया जिसको श्वेता झट से चाट गयी. श्वेता थोड़ी सी शांत हुई.
श्वेता के हाँफने से श्वेता के स्तनों को सतीश ऊपर नीचे होते हुए देख सकता था. श्वेता का गोरा बदन वासना से तप कर लाल पड़ चुका था. सतीश श्वेता के चेहरे पर संतोष का भाव देख सकता था.
उसे इस हालत में देख कर सतीश का लंड भी तन चुका था. सतीश श्वेता के पीछे गया. श्वेता के बालों को पकड़ कर खींचा और उसका सिर ऊपर की तरफ उठ गया. सतीश ने श्वेता के कंधों पर दांत गड़ा कर चुम्बन किया. उसने अपने होंठ भींच लिए, कामुक अंदाज में दबा लिए. शायद उसे मजा आ रहा था. सतीश श्वेता के बदन की गर्मी को महसूस कर सकता था. उसका बदन एक दम तवे के माफिक गर्म था.
सतीश ने उसे गर्दन पर किस करते हुए श्वेता के हाथ की रस्सी खोली और सतीश उसे इसी हालात मे छोड़ कर किचन में गया. फ्रिज़ से सतीश आइस ट्रे उठा लाया.
श्वेता का रोम-रोम उत्तेजित था. वह पूरी तरह से अपने भाई की स्लेव (सेक्स गुलाम) बन गयी थी. श्वेता को उसका हर एक स्पर्श उन्मादित कर रहा था. यह बिल्कुल अलग अहसास था. श्वेता का पूरा बदन इतना ज्यादा सेंसेटिव हो गया था कि हवा का स्पर्श भी उसे उत्तेजित कर रहा था. श्वेता ने तीन दिन मे कितनी ही बार सेक्स किया था लेकिन यह अहसास कभी नहीं हुआ. वह बस एक भी पल रुके बिना ज़ोरदार चुदाई की कामना कर रही थी. लेकिन उसे सतीश ने कहा था कि अगर पूरा मजा लेना है तो तुम कुछ करोगी नहीं. जो करेगा वह ही करेगा. इसलिए वह कुछ भी नहीं कर रही थी.
सतीश कमरे में वापस आया. श्वेता वहीं फर्श पर घुटने के बल बैठी थी. उसके वापस आने का इंतज़ार कर रही थी. सतिश ने उसे उठाया और श्वेता के हाथों को ऊपर पुल-अप बार पर चौड़ा करके बांध दिया. नीचे श्वेता के दोनों पैरों को भी पुल बार के स्टैंड के सहारे चौड़ा करके बांध दिया ताकि श्वेता हिले डुले ना. सतीश ने आईस क्यूब मुँह में लिया, श्वेता के पेट पर चूमने लगा. श्वेता सिहर सी गयी जैसे श्वेता के बदन में कोई करंट सा दौड़ गया हो. उसे इसका जरा सा अहसास भी नहीं था कि सतिश कुछ ऐसा करने वाला है. श्वेता के फूल की पंखुड़ी की तरह लाल होंठों पर एक हल्की सी मुस्कान थी. शायद इससे उसे काफी आनंद आ रहा था.
आइस क्यूब को श्वेता के बदन पर घुमाते हुए सतीश ऊपर की ओर बढ़ रहा था. उसका अंग-अंग टूट रहा था. श्वेता काफी उत्तेजित हो रही थी. श्वेता के चेहरे की मुस्कान गहरी हो रही थी. उसे इस चीज से काफी आराम मिल रहा था. सतीश उसके बदन की खुशबू को महसूस कर पा रहा था. यूँ तो उन्होंने कई बार सेक्स किया है लेकिन यह अहसाह ही कुछ और था.
सतीश आईस क्यूब को श्वेता के स्तनों पर घुमा रहा था. श्वेता के गोरे-गोरे स्तनों पर लाल निशान पड़ चुके थे. आइस का स्पर्श पाते ही श्वेता के निप्पल कड़े हो गए थे.
श्वेता आहहहह … ऊ … ओह … की हल्की सीत्कार ले रही थी. चूंकि उसे किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया के लिए मनाही थी इसलिए श्वेता मजबूर थी. नहीं तो अभी तक श्वेता उसको चोदने को कह देती या तो खुद ज़बरदस्ती उसको को पटक कर उसके लौड़े पर चढ़ कर चुद लेती. ऐसा सतीश इसलिए सोच रहा था क्योंकि वह उसको कई बार चोद चुका था और वह श्वेता के हर एक भाव से वाक़िफ़ था. उसका यह भाव सतीश को और भी उत्तेजित कर रहा था.
श्वेता के बदन की खुशबू पाकर सतीश का लंड फिर से खड़ा होने लगा था जोकि एक बार पहले ही झड़ चुका था. सतीश उसकी गर्दन के पास था. सतीश उसकी गर्म सांसों को महसूस कर सकता था. श्वेता के बाद सतीश श्वेता के होंठों पर पहुंचा और श्वेता आइस क्यूब को जीभ निकाल कर चाटने लगी. उसकी आँखों पर पट्टी थी. सतीश को इतना पास पाकर उसने सतीश को चूमना चाहा लेकिन सतीश श्वेता के माथे पर चुम्बन करते हुए जल्दी से पीछे हट गया.
फिर सतीश उसे स्मूच करते हुए श्वेता के सीने के भाग पर किस करते हुए स्तनों की तरफ बढ़ा. श्वेता के स्तन एकदम कड़क थे. उठे हुए सुडौल, जैसे किसी पॉर्न स्टार के होते हैं.
सतीश श्वेता के दूधों को पीने लगा. श्वेता आह्ह-आह्ह करती हुई कह रही थी ‘चोद दो भाई प्लीज … चोद दो मुझे’
सतीश एक झटके में ऊपर गया और उसकी आँखों की पट्टी हटा दी. श्वेता एकदम से चिहुँक गयी. जैसे उसकी जान में जान आ गयी हो. उसकी आँखें वासना के नशे में एकदम लाल हो चुकी थीं. चेहरे पर एक हब्शी भाव था जोकि अक्सर सेक्स करते समय दिखता था.
उसको देख के ऐसा लग रहा था कि श्वेता चाहती है कि कोई आकर बस उसे चोद दे.
सतीश ने श्वेता के होंठों को चूमना चालू किया. श्वेता आँखें बंद करके सतीश का साथ दे रही थी. एक हाथ से सतीश नीचे श्वेता के स्तनों को रगड़ रहा था. आँखें बंद करके अपनी स्तनों को मसलवाने का श्वेता पूरा मजा ले रही थी.
सतीश ने अपने होंठ अलग किये, उसने आँखें खोलीं और सतीश की आँखों में देख कर बोली
“फ़क मी भाई … प्लीज फ़क मी!’
श्वेता सतीश से चुदाई की मिन्नतें कर रही थी. सतीश ने श्वेता के स्तन दबाते हुए बोला-
“इतनी जल्दी क्या है जान …”
और फिर सतीश श्वेता के स्तन चूसने में लग गया. श्वेता आँखें बंद करके सिसकारियां लेने लगी.
“आहहहहह … आहहहह … आहहह … आहह”! चोदो भाई मैं तुम्हारी दीवानी हूँ आज चोद के भुर्ता बना दो मेरी चूत का”.
सतीश अपने काम में लगा हुआ था. सतीश जोर-जोर से बॉब्स चूस रहा था जैसे कुँवारे स्तनों में से आज दूध निकाल देगा. श्वेता सिसकारियां लिए जा रही थी, सतीश को गालियां बक रही थी, सतीश से अब चुदाई की विनती कर रही थी.
उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए सतीश अपने काम में लगा हुआ था. सतीश श्वेता के पेट पर किस करता हुआ नीचे आया. श्वेता के दोनों पैर सतीश ने चौड़े करके बांधे हुए थे. उसकी उभरी हुई चूत पाव रोटी की तरह फूली हुई बिल्कुल चिकनी, साफ … जैसे चूत न हो संगमरमर हो. बिल्कुल मखमल. उसकी चूत से बहता हुआ रस उसकी जांघों पर आ रहा था.
सतीश उस रस को चूसता हुआ चूत तक पहुंचा. हालाँकि ये चूत सतीश ने कई बार चाटी है लेकिन आज की बात ही कुछ और थी. मन कर रहा था इसमें समा जाये. सतीश पूरी की पूरी चूत एक ही बार में मुँह में लेने की कोशिश करने लगा.
श्वेता तिलमिला गयी, सतीश के होंठों और जीभ का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर बोली- श्वेता- “चोदो भाई! भाई अब चोद दो ना … क्यों तड़पा रहा है?
लेकिन सतीश जानता था कि यही तो मजा है इस सेक्स का. इसीलिए सतीश अपने काम में लगा हुआ था. श्वेता की गांड को पकड़ कर अपना पूरा मुँह उसकी चूत में घुसा रहा था. सतीश जीभ को अंदर तक घुसा कर उसकी चूत की दीवारों को चाट रहा था.
श्वेता जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी- भाई मेरी जान … तूम भाई नहीं, मेरी जान हो. मैं तेरी रंडी हूँ. अपनी रंडी की चूत पूरी खा जा. भाई मैं तेरे मुंह में झड़ना चाहती हूँ. भाई जिन्दगी भर रंडी बन के रहूंगी तेरी. आहह … आहह चोद, चाट, खा जा पूरी खा जा … पूरा रस पी ले. आज के बाद यह तेरी अपनी चूत है. जब मन करे चोद लेना. खा जा मेरी जान. खा जा अपनी बहन की चूत को … मेरा बहनचोद भाई, खा अपनी बहन की चूत!
श्वेता के इस बर्ताव से सतीश भी काफी उत्तेजित हो गया और जीभ से उसकी चूत की चुदाई करने लगा. श्वेता गांड उठा कर चूत सतीश के मुँह में देने की कोशिश करने लगी. सतीश के मुंह में ही झड़ गई. सतीश ने उसकी चूत से निकले हुए रस का कतरा-कतरा पी लिया जैसे प्रोटीन शेक हो वह. जो मजा उसका रस पीने का था, मानो जैसे सतीश को कुछ बहुमूल्य चीज मिल गयी हो. बहुत ही अनमोल. सतीश ने चाट-चाट कर उसकी बुर भी साफ की.
फिर सतीश ऊपर उठा, सतीश ने श्वेता के हाथ खोल दिये. हाथ खुलते ही श्वेता सतीश के ऊपर चढ़ गई. सतीश बेड पर आ गिरा और श्वेता सतीश के होंठों को चूसने-काटने लगी. श्वेता ऐसे होंठ चूस रही थी जैसे उनको खा जायेगी. श्वेता गले तक जीभ उतार कर होंठ चूस रही थी. श्वेता सतीश के ऊपर थी. श्वेता के घुटने मुड़े हुए थे. सतीश की छाती पर बैठ कर ऐसे चूस रही थी जैसे बरसों बाद मिला हो.
अचानक से श्वेता अलग हुई और सतीश के फेस को अपने फेस से सटा लिया और आँखें बंद कर लीं. सतीश को भी एक अजीब सा अहसास हुआ. सतीश भी वैसे ही पड़ा रहा. श्वेता की सांसों को अपने चेहरे पर टकराते हुए महसूस करने लगा. श्वेता के चहरे को महसूस करना एक अलग अहसास था.
फिर सतीश उठा और बोला- “चलो घोड़ी बन जाओ. असली काम तो अभी बाकी है”.
श्वेता मुस्कुरायी और बोली- “हाँ मेरे घोड़े” …
सतीश के होंठों को चूम कर श्वेता सतीश से अलग हुई और घोड़ी बन गयी. सतीश ने उसकी गर्दन पकड़ कर एक ही झटके में अंदर लंड डाल दिया. श्वेता जोर से चिल्लाई. उसे दर्द हुआ. लेकिन श्वेता कुछ नहीं बोली.
लंड को अंदर उसकी चूत में घुसाने के बाद सतीश ने उसकी चूत को चोदना शुरू कर दिया. आह्ह … बहुत मजा आया इतनी देर की तड़प के बाद. जितनी प्यासी श्वेता थी उतनी ही प्यास सतीश के अंदर भी लगी हुई थी उसकी चूत को चोदने की. बहुत मजा आ रहा था जब उसकी चूत में लंड गया. सतीश उसे चोदता रहा.
सतीश श्वेता के बाल पकड़ कर उसे पीछे से चोद रहा था. श्वेता जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी- “आहह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह आहहह हहह हम्म … आआ …”
फिर सतीश ने उसे उठाया और बेड पर एक-एक पैर रखवा कर खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी नंगी पीठ से सट कर श्वेता के स्तनों को दबाते हुए धक्के लगाने लगा. बीच में उसकी गर्दन को चूम लेता तो कभी कान को हल्के से काट लेता. कभी श्वेता के गालों को चूमता.
श्वेता बस आंखें मूंदे, दांतों को भींचे चुदाई का मजा ले रही थी. फिर श्वेता मुँह पीछे करके सतीश के होंठों को चूसने लगी. सतीश भी उसका साथ देने लगा. कुछ देर इस आसन में चोदने के बाद सतीश ने उसे पास रखी स्टडी टेबल पर लिटा दिया और पीछे से चोदने लगा. श्वेता सिर को टेबल में दबाये हुए तेज तेज सिसकारियां ले रही थी. पूरे घर में “आहहह … ओह … आहहह … आहहह …” फच-फच की आवाजें गूँज रही थीं.
सतीश को जब लगा कि वह झड़ने वाला है तो सतीश ने उससे पूछा- “क्या करना है”?
श्वेता बिना कुछ बोले अचानक से मुड़ी, सतीश को धकेल कर कुर्सी पर बिठा दिया, सतीश का लंड मुंह में ले लिया और एक दो बार चूसने के बाद ही सतीश श्वेता के मुंह में और फिर श्वेता के चेहरे पर झड़ गया.
उसने सतीश को दिखा कर उंगली से निकाल-निकाल कर हर एक कतरा पीया सतीश के रस का. फिर उठी और सतीश के गोद में आ कर बैठ गयी. सतीश के होंठों पर किस किया.
सतीश ने उससे पूछा- “मैं अंदर नहीं झड़ सकता ना”?
श्वेता हँस कर बोली- “तुम मेरे जिस्म में किसी भी जगह झड़ सकते हो क्योंकि तुम मेरी जान हो”.
इतना बोल कर उसने सतीश के माथे पर किस किया और सतीश का सिर सीने में दबा कर सतीश को अपने स्तनों में समा लिया.
सेक्स के बाद लड़की से ऐसे गले लगने का अहसास ही कुछ और होता है. सतीश कुछ देर उसकी बांहों में ऐसे ही पड़ा रहा. मन कर रहा था कि श्वेता के नंगे बदन पर रात भर ऐसे ही पड़ा रहूँ. लेकिन अब नींद आना शुरू हो गई थी. बदन में सुस्ती छाने लगी थी. फिर कुछ देर बाद श्वेता उठी और बाथरूम में चली गयी.
रात काफी हो गयी थी तो सतीश सोने चला गया. श्वेता बाथरूम से वापस आयी. सतीश के सीने पर सिर रख कर चिपक के सो गई. सतीश ने भी उसे बांहों में लिया और नींद कब आ गयी पता ही नहीं चला.
सतीश सुबह उठा तो श्वेता उस के पास नहीं थी. शायद श्वेता जल्दी उठ गई होगी. सतीश फ्रेश होकर हॉल मे बैठा था. श्वेता नाश्ता लेकर आयी. वह उस समय बिल्कुल नंगी थी. श्वेता के हाथ में एक ट्रे में कॉफी थी. श्वेता सतीश के पास आकर सतीश से नाश्ता करने के लिए कहने लगी.
सतीश ने श्वेता की चूत की तरफ देखा. चूत कल की तरह बिल्कुल चिकनी और बाल रहित थी. पता ही नहीं चल रहा था कि कल रात को ही इस चूत को उसने बुरी तरह से चोदा है. श्वेता के सेक्सी बदन की जितनी तारीफ करे उतनी कम लगती है.
उसको सतीश इससे पहले कितनी ही बार चोद चुका है मगर जब भी उसको ऐसे नंगी देखता है तो लगता है कि वह पहली बार उसको नंगी देख रहा है. उसका सेक्सी गोरा बदन किसी पॉर्न स्टार से कम नहीं है. उसे देखते ही सतीश के लंड में हलचल होने लगती है. सतीश खुद को बहुत किस्मत वाला मानता है कि उसको श्वेता के साथ सेक्स करने का मजा मिलता है.
सतीश श्वेता के नंगे बदन को देख रहा था. रात की चुदाई के बाद नींद पूरी हो चुकी थी और श्वेता के बदन में एक नई ऊर्जा भर चुकी थी. उसी का नतीजा था कि श्वेता के नंगे बदने से सतीश की नजरें हट ही नहीं रही थीं.
श्वेता के स्तन तने हुए थे. सतीश ने अंडरवियर पहना हुआ था और श्वेता के उभरे हुए स्तनो के बीच में तने हुए श्वेता के निप्पल देख कर सतीश का लंड सतीश के अंडवियर में फिर से खड़ा होना शुरू हो गया.
श्वेता अंडरवियर में तन रहे सतीश के लंड को देख कर स्माइल करने लगी. सतीश की टांगें फैली हुई थीं और बीच में अंडरवियर था केवल. उस के अंदर सतीश का लंड टाइट होकर अपनी शेप में आने लगा था.
सतीश कुछ और करता इससे पहले ही श्वेता सतीश के पास बेड पर आकर बैठ गई. उसने ट्रे को बेड पर रखा और उसके बगल में आकर बैठ गई. श्वेता के स्तन हिल रहे थे. इधर-उधर डोल रहे थे. बेड पर बैठने के बाद उसकी सेक्सी चूत और भी मस्त लग रही थी.
श्वेता सतीश की तरफ देख रही थी. सतीश उसकी तरफ देख रहा था. उसकी नजर एक बार सतीश के अंडरवियर पर जा रही थी और फिर ऊपर आ जाती थी. सतीश की नजर श्वेता के स्तनो से फिसल कर उसकी चूत पर चली जाती थी और फिर ऊपर आ जाती थी.
सतीश- “तुम तो सिर्फ कॉफ़ी लायी हो”?
श्वेता ने ट्रे से ब्रैड उठाया और सतीश से बोली-
श्वेता- “आज मैं ही तुम्हारा नाश्ता हूँ जान, आ जाओ, खा लो मुझे”
इतना कहकर श्वेता ने जैम की शीशी उठा ली.
सतीश ने देखा कि श्वेता अपने नंगे स्तनो पर जैम लगा रही थी. सतीश मुस्कुराया और उसे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया और ब्रेकफ़ास्ट करने लगा. श्वेता मादक सिसकारियां भर रही थी. सतीश जब भी श्वेता के स्तनो से जैम चूसता श्वेता सिर को ऊपर उठा कर आँख बंद किये हुए होंठ भींच कर मजे लेने लगती. ऐसे ही सतीश ने अपना ब्रेकफास्ट किया.
सतीश- “चलो हो गया नाश्ता”.
उसने कामुक अंदाज में एक मुस्कराहट के साथ सतीश को देखा
श्वेता- “अभी कहाँ मेरी जान”!
श्वेता उठी और जैम की बोतल उठा कर कमरे से बाहर निकल गई. सतीश भी श्वेता के पीछे-पीछे चल पड़ा. हॉल में जाकर वह डाइनिंग टेबल पर अपने पैर चौड़े करके बैठ गयी. उसकी बुर सतीश के मुँह के बिल्कुल सामने थी. उसने टेबल से जैम की बोतल ली और ढ़ेर सारा जैम अपनी चूत पर लगा लिया.
सतीश ने उसकी आँखों में देखा और मुस्कुराया और अपना मुंह उसकी चूत में लगा दिया.
जीभ का स्पर्श पाते ही श्वेता चिहुँक उठी. उसने एक हल्की मीठी सी सिसकारी ली- “उम्म्ह… अहह… हय… याह… आम्म … हह आहह हह्ह”!
वह आँखें बंद करके मजे लेने लगी. सतीश जोर-जोर से उसकी चूत को चूसने लगा. उसकी सिसकारियां तेज होने लगीं.
हॉल में डाइनिंग टेबल पर बिल्कुल नंगी बैठी हुई श्वेता सतीश से अपनी सेक्सी चूत चटवा रही थी. सतीश भी अंडवियर में ही था. उन्हें किसी का डर नहीं था. वह घर में बिल्कुल अकेले थे.
सतीश ने एक सेकेंड के लिए देखा तो उसकी आँखें बंद थीं और वह सिर ऊपर किये वासना की गहराइयों में गोते लगा रही थी. श्वेता के हाथ श्वेता के बालों में थे जिससे कि श्वेता के आर्मिपिट्स दिख रहे थे.
इस हालत से सतीश को कल का सीन याद आ गया. जब सतीश कल श्वेता के आर्मपिट्स को चाट रहा था. कल रात पहली बार सतीश ने किसी लड़की के साथ ऐसा किया था. उसे वासना विभूत ऐसे हालात में देख कर सतीश पगला गया और उसकी चूत जोर-जोर से चूसने लगा. जैम तथा श्वेता के चूत रस की मिली हुई खुशबू सतीश को पागल कर रही थी.
उसकी सिसकारियां तेज होने लगी, सतीश का सिर श्वेता अपनी बुर पर दबाने लगी. कुछ ही पल में उसका बदन अकड़ने लगा और श्वेता फव्वारे के साथ झड़ने लगी. सतीश उसकी चूत के रस को पी गया.
श्वेता कुछ देर के बाद शांत हुई.
सतीश ने उठा कर उसे वहीं डाइनिंग टेबल पर ही आधा लिटा दिया. श्वेता कमर से ऊपर तक डाइनिंग टेबल पर लेटी हुई थी. कमर से नीचे अपने पैरों पर खड़ी थी. हाथ आगे की तरफ किये डाइनिंग टेबल के उस छोर को पकड़े हुई थी. श्वेता के गांड हवा में उठे हुये थी.
सतीश ने श्वेता के गांड पर चपत लगाना चालू किया. सतीश जोर-जोर से चपत लगता और पूछता- “कैसा लग रहा है”?
श्वेता- “ईट्स वन्डरफुल भाई”
सतीश-“डु यू वांट मोर?”
श्वेता- “यस प्लीज भाई”!
हर वार के साथ श्वेता चिहुँक जाती. श्वेता के मुंह से आह! निकल जाती.
सतीश को पता था उसे दर्द हो रहा है लेकिन सतीश आश्चर्यचकित था कि श्वेता के चेहरे पर कोई दुःख का भाव ही नहीं था. श्वेता दांतों को भींचे हुए आँखें बंद किये हुए आनंद ले रही थी. उसका यह रूप सतीश को और भी उत्साहित कर रहा था. सतीश के द्वारा चपत लगाने से श्वेता की गांड बिल्कुल लाल हो गई थी. सतीश उसे इस हालत में देख कर इतना उत्तेजित हो गया कि झटके से सतीश ने अपना अंडर वेअर निकाला और उसकी गर्दन को पकड़ कर पीछे टेबल पर दबा दिया.
पहली बार में ही पूरा लंड डाल दिया उसकी चूत में जिससे श्वेता कराह उठी. उसे दर्द हुआ लेकिन उसने कुछ नहीं बोला. धक्का इतना तेज था कि श्वेता टेबल पर आगे खिसक गयी थी. सतीश ने धक्के लगाने चालू किये. उसने सिसकारियां लेना चालू किया. श्वेता जोर-जोर से सिसकारियां ले रही थी.
“आहहहह … उहह”! की आवाजें पूरे हॉल में गूंज रही थीं. उसकी मखमली पीठ सतीश के सामने थी. गोरी चमड़ी सूरज की हल्की सी रौशनी में संगमरमर की तरह चमक रही थी.
सतीश अचानक से रुका और श्वेता के पीठ पर हाथ फेरते हुए आगे की तरफ झुका. अचानक धक्के रुक जाने से उसने पीछे मुड़ के थोड़ी परेशानी के भाव से सतीश को देखा. सतीश ने श्वेता के कानों में धीरे से कहा “इसी अवस्था में रहना, हिलना मत”!
उसने हामी में सिर हिलाया.
सतीश उसे वहीं हॉल में डाइनिंग टेबल पर नंगी छोड़ कर श्वेता के बेड रूम में गया जहाँ कल रात सतीश ने उसकी चुदाई की थी. वहां से सतीश ने पतली सी रस्सी ली जिससे सतीश ने उसे कल बांधा था. फिर सतीश वापस हॉल में आ गया. सतीश के आने तक श्वेता वैसे ही डाइनिंग टेबल पर पड़ी थी. गांड को हवा में उठाये, अध-लेटी अवस्था में. जाते ही सतीश ने लंड उसकी चूत में डाल दिया. श्वेता की तो जैसे जान में जान आ गयी हो वैसे चिहुँक उठी. सतीश आगे झुका और श्वेता के कान में धीरे से बोला- “मजे के लिए तैयार हो जाओ”
सतीश ने हल्के से उसकी पीठ पर रस्सी से मारा, श्वेता सिहर गयी. श्वेता के चेहरे पर एक क़ातिल सी मुस्कान थी. सतीश को आज तक नहीं पता चला उसे इस दर्द में मजा कैसे आता था. लेकिन सतीश श्वेता के इस अंदाज़ से उत्तेजित काफी हो जाता था.
उसकी पीठ पर जब सतीश रस्सी से मारता तो श्वेता और भी कामुक अंदाज में वासना से कराह उठती.
होंठ भींच के कहती- “और मारो भाई”
हर एक वार के साथ उसकी आह! निकल रही थी. उसकी आह में बहुत ही ज्यादा उत्तेजना थी. सतीश उसकी चूत में लंड डाले हुए उसकी पीठ पर हल्के कोड़े बरसा रहा था. हालांकि सतीश इस बात का पूरा ध्यान रख रहा था कि उसे चोट न लगे क्योंकि सतीश श्वेता से बहुत प्यार करता था. यह क्रिया सिर्फ उत्तेजना मात्र के लिए थी.
इस क्रिया से श्वेता भी काफी उत्तेजित हो रही थी. उत्तेजना से श्वेता कामुक सिसकारियाँ ले रही थी- “आहह! ओह्ह! ओह्ह! येस्स! … वन मोर! यस”! जैसी आवाजें निकल रही थी.
सतीश और भी उत्तेजित हो रहा था.
हालाँकि सतीश का वार इतना तेज नहीं था फिर भी जब रस्सी उसकी मखमली कोमल पीठ पर पड़ती तो अपने पीछे हल्का सा लाल निशान छोड़ जाती. जोकि कुछ देर में गायब हो जाता. हर वार पर श्वेता के मुँह से एक कामुक आहह निकलती जो सतीश के जिस्म को रोमाँचित कर रही थी. बीच-बीच में सतीश उसकी पीठ को चूम लेता. कभी जीभ फेर देता. उसे इससे काफी आनंद मिलता.
हर चोट के साथ चुम्बन की क्रिया चल रही थी. सतीश ने कोड़े बरसाना बंद करके धक्के लगाना चालू किया. उसकी कामुक सिसकारियाँ कमरे में गूँजने लगी ‘आहह … आह … उहह … ओहहह … ओ माय गॉड यस! यस यस यस फ़क मी! चोदो मुझे भाई! मेरे राजा … चोद के भुर्ता बना दो मेरी चूत का! यस! आहहह … ओह … उम्म ओ यस”!
श्वेता टेबल पर कुहनी रख कर उचक के चूत चुदवा रही थी. सतीश उसकी नंगी पीठ को अपने बदन से सटा कर धक्के लगा रहा था.
अचानक सतीश ने धक्के लगाते हुए उसकी गर्दन पकड़ कर टेबल पर दबा दिया. श्वेता टेबल पर पसर गयी, उसकी पीठ सामने आ गयी. सतीश ने धक्के लगाते हुए श्वेता के पीठ पर रस्सी के कोड़े बरसाना चालू कर दिया.
लेकिन यहाँ ध्यान देने वाली बात है कि सतीश के कोड़ों का वार बस इतना था कि श्वेता उत्तेजित हो. सतीश को उसे चोट पहुंचाने का कोई इरादा नहीं था.
इस दौरान पहली बार श्वेता के चेहरे पर सतीश को शिकन दिखी. शायद श्वेता इस दोहरे आघात के लिए तैयार नहीं थी. लेकिन श्वेता दर्द में भी कामुक सिसकारियाँ ले रही थी- “आहह आहह … ओहह अहहह आऊच ओहह आह आहह आहहह” की आवाजें कमरे में गूंज रही थी.
जब उसने इस क्रिया को अपना लिया तो श्वेता गांड हिला-हिला के चुदने लग गई.
अचानक लंड उसकी चूत में से फिसलकर एक झटके में निकाला और उसकी गांड में घुस गया. श्वेता की कुंवारी गांड़ मे सतीश का 9 इंच लम्बा और 4 इंच चौड़ा लंड जड़ तक घुस गया श्वेता के मुंह से जोरदार चीख निकल गयी, अचानक हुए इस आघात से श्वेता बिलबिला गयी. उसकी आँखों में आंसू आ गये.
उसने हाथ मेज़ पर पटक-पटक कर रुकने का इशारा किया. मगर सतीश अपनी मस्ती में खोया हुआ था. कुछ देर के बाद जब सतीश ने उसकी हालत पर ध्यान दिया तो सतीश रुका, श्वेता के पास गया. उसकी आँखों में आंसू थे, श्वेता रो रही थी.पर उसने सतीश को लंड बाहर निकालने को नही कहा,सतीश को श्वेता की कुंवारी गांड़ में लंड जाने से बहुत मजा आया
सतीश उसकी गांड में लंड डाले वैसे ही उससे सट कर श्वेता के ऊपर लेटा रहा. उसकी पीठ को सतीश अपने सीने तथा पेट के भागों में महसूस कर सकता था. उसकी पीठ एकदम गर्म हो गयी थी.
उत्तेजित होने के कारण उसकी सांसें बहुत तेज गति के साथ चल रही थीं. सतीश ने उनको सामान्य करने की कोशिश की. श्वेता भी सामान्य होने की कोशिश में लगी हुई थी. सतीश के बदन के स्पर्श से उसे काफी आराम मिला. श्वेता धीरे-धीरे सामान्य होने लगी.
सतीश ने श्वेता के गाल, कानों पर तथा कानों के पीछे गर्दन पर किस करना चालू किया. उसे अच्छा लगने लगा. सतीश के होठो का स्पर्श पाते ही श्वेता फिर गर्म होने लगी. उसने एक हाथ पीछे लाकर सतीश के चेहरे को महसूस करने की कोशिश की. सतीश ने श्वेता के हाथों को चूम लिया.
स्थिति सामान्य पाकर सतीश हल्के-हल्के धक्के लगाने के बारे में सोचने लगा और सतीश स्थिति को भांप कर धीरे से हल्के धक्के लगाने चालू किये.
श्वेता ने सिसकारियाँ लेना शुरू कर दिया- “आहह … उम्म … ओहह … हूम्मम …धीरे भाई धीरे याहहह”
सतीश धीरे धीरे लंड अंदर बाहर करने लगा अब श्वेता को भी मजा आने लगा वह अपनी गांड़ आगे पीछे करने लगी तब सतीश समझ गया अब श्वेता को भी मजा आने लगा है,
सतीश ने धक़्क़े तेज किये तो उसकी सिसकारियाँ तेज होने लगीं.
श्वेता फिर से मजा लेकर चुदने लगी.
सतीश उसे कंधे पर किस करते हुए उठा और हाथ में रखी रस्सी को श्वेता के गले में फंसा कर अपनी तरफ खींचा. श्वेता टेबल के किनारे को प्रतिरोध में पकड़े हुई थी फिर भी कुहनी के बल हल्की सी ऊपर उठी. उसकी नंगी पीठ जो लाल पड़ गयी थी थोड़ी ऊपर उठ गई. उसकी नंगी पीठ कामुक लग रही थी. सतीश ने उसकी पीठ पर किस किया और उसी अवस्था में उसकी गांड चुदाई स्टार्ट कर दी.
कहानी चलती रहेगी.
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