पंडित और शीला पार्ट ४ – Aashram Me Chudai

 पंडित और शीला पार्ट ४   – Aashram Me Chudai

पंडित और शीला पार्ट ४   – Aashram Me Chudai

गिरधर के घर से निकल कर पंडित जी ने नूरी को उसके घर के बाहर तक छोड़ा और फिर अपने घर की तरफ चल दिए ..

अगले दिन नूरी अपने शोहर के घर के लिए रवाना हो गयी .

पंडित जी भी जानते थे की अब उनकी दिनचर्या पहले जैसी व्यस्त नहीं रहेगी ..क्योंकि नूरी अपने ससुराल जा चुकी थी और माधवी और रितु को घर पर ही खुलकर चुदाई करने को मिल रही थी .

पंडित जी का अगला दिन बिना चूत मारे बीता ..जो इतने दिनों के बाद पहला मौका था ... पर इतने दिनों तक की लगातार चुदाई के बाद उनका जिस्म चूत मारने की एक मशीन बन चुका था, और चूत ना मिलने से उनके अन्दर एक अजीब सी बेचैनी होने लगी ..ये कैसा केमिकल रिएक्शन हुआ था उनके जिस्म का इतनी चूतें मारकर ..रात भर उन्हें नींद नहीं आई ...आखिरकार उन्हें अपना पहला शिकार शीला ही याद आई पर वो भी कई दिनों से मंदिर नहीं आई थी . उन्होंने निश्चय कर लिया की कल सुबह सब काम मिप्ता कर सबसे पहले उसके घर जायेंगे ..आखिर पता तो चले की वो इतने दिनों से आ क्यों नहीं रही .

सुबह मंदिर के काम निपटा कर पंडित जी शीला के घर की तरफ चल दिए. दरवाजा उसकी माँ ने खोला ..

माँ : "अरे पंडित जी ...आप ..हमारे अहोभाग्य ...आइये ..पधारिये ..''

पंडित जी अन्दर आ गए ..और बैठ गए , शीला कहीं भी दिखाई नहीं दे रही थी .

माँ : "पंडित जी ..आपने तो हमारी बेटी को एक नया जीवन दिया है ...पहले वो इतनी बुझी - २ सी रहती थी, पर जब से आपने पूजा - पाठ करके उसके अन्दर की सोयी हुई आत्मा को जगाया है, वो फिर से जीने लगी है ..आपका धन्यवाद देने के लिए मेरे पास शब्द ही नहीं है ..''

पंडित : "अरे नहीं मांजी ..आप ऐसा मत कहिये ..ये तो मेरा फ़र्ज़ था ..उसकी आत्मा का परमात्मा से मिलन करवाकर मैंने उसके अन्दर सिर्फ चेतना जगाई है ..बाकी तो उसकी खुद की करनी है ..वैसे कई दिनों से वो मंदिर भी नहीं आई ..उसको एक विधि बतानी थी मैंने ..बस उसी के लिए आया था ..''

माँ : "ओहो ...दरअसल ..उसकी तबीयत ठीक नहीं है दो दिनों से ..मैं भी रोज -२ छुट्टी नहीं ले सकती थी स्कूल से ..उसकी छोटी बहन को भी आना था गाँव से ..इसलिए नहीं आई वो ..''

पंडित : "छोटी बहन ...?? पर उसके बारे में कभी बताया नहीं पहले ..वो तो हमेशा कहती है की वो अकेली बेटी है आपकी ." पंडित जी हेरान थे ..

माँ : "अब क्या बताऊ पंडित जी ...वो ...वो ...दरअसल ...''

कहते -२ उसकी माँ का चेहरा लाल सुर्ख होने लगा ..

माँ : "दरअसल ...उसका जन्म शीला के जन्म के 9 सालों के बाद हुआ था ..और घर पर जवान बेटी के रहते हुए मैं फिर से माँ बनने जा रही थी ..इसलिए मैं अपने गाँव चली गयी थी और उसकी डिलीवरी वहीँ करवा कर, उसे अपनी बहन की झोली में डालकर आ गयी थी ..यहाँ शहर में कोई बातें न बनाए , इसलिए किसी को पता नहीं है ..आपसे भी विनती है की आप किसी को मत बताइयेगा ..आपसे तो मैं ये सब छुपा नहीं सकती ..आप तो मन की बातें भी जान लेते हैं ..''

शीला ने शायद पंडित जी की मन की बात जानने वाली बात बता रखी थी अपनी माँ को ..

पंडित जी मन ही मन उसकी उम्र की केलकुलेशन करने लगे ..

अभी शीला लगभग 25 साल की है ..और उसकी बहन 9 साल छोटी है ...यानी ...वाह ..जवानी की देहलीज पर पाँव रख रही योवना होगी वो ..उसको तो देखना ही पड़ेगा ..

पंडित : "अच्छा ...कोई बात नहीं ..आप निश्चिंत रहिये ..मैं किसी से भी इस बात का
नहीं करूँगा ..वैसे शीला है कहाँ ...क्या मैं उसको देख सकता हु ..''

माँ : "हाँ ..हाँ ...क्यों नहीं ..मैं अभी हु उसको ...तब तक मैं आपके लिए पानी भिजवाती हु ..''

और इतना कहकर वो उठी और जोर से आवाज देकर बोली : "अरी कोमल .....ओ कोमल ...जल्दी से एक ठंडा गिलास पानी लेकर आ ...पंडित जी आयें हैं ..''

पंडित मन ही मन उसका नाम सुनकर खुश होने लगे ...नाम कोमल है ..वो भी कोमल होगी ..शीला भी कम नहीं है ..उसकी छोटी बहन तो कमाल होनी चाहिए ..

वो सोच ही रहे थे की ऊपर से भागते हुए क़दमों की आहट सुनकर वो चोकन्ने हो गए ..और उधर ही देखने लगे ..उन्हें पक्का विशवास था की कोमल ही होगी ..

वो कोमल ही थी ..

और जैसे ही वो नीचे आई, पंडित जी की आँखें खुली की खुली रह गयी ...इतनी गोरी चिट्टी लड़की उन्होंने आज तक नहीं देखि थी ..टीके नैन नक्श ..छोटे- २ बूब्स ..टी शर्ट और जींस पहनी हुई थी उसने ...पतले होंठों पर हलकी लिपस्टिक ..शराबी आँखों में काला काजल ..

वो तो किसी भी एंगल से अपनी माँ की बेटी नहीं लग रही थी ..पर हां ...शीला की छोटी बहन जरुर लग रही थी ..

और उसके पीछे -२ शीला भी भागती हुई नीचे आई ..और उसने आते ही कोमल को वापिस ऊपर जाने को कहा ..वो बिना कुछ कहे ऊपर चली गयी .

माँ : "अरे शीला ...तू क्यों आई नीचे ..कोमल को बुलाया था मैंने तो ..तेरी तबीयत ठीक नहीं है ...''

शीला पंडित जी को देखकर हडबडा सी रही थी ...
वो बोली : "जी ..जी ... माँ ...वो ...अब ठीक है ...इसलिए आई .....वो कोमल किचन के काम नहीं करती ...आपको तो पता ही है ..''

इतना कहकर वो जल्दी से किचन में गयी और पानी ले आई .

पंडित जी को उसका व्यवहार अजीब सा लगा ..उसके चेहरे को देखकर लग नहीं रहा था की वो बीमार है ..जरुर कुछ गड़बड़ है ...

माँ : "ये कोमल भी ना ...जैसे - २ जवान हो रही है, आलसी होती जा रही है ..पता नहीं क्या होगा इसका ..मैं देखती हु ..''

इतना कहकर वो ऊपर जाने लगी ..तो शीला ने टोक दिया : "अरे नहीं माँ ...तुम रहने दो ...मैं कर रही हु न ....''

पंडित जी को तो ऐसा प्रतीत हुआ जैसे शीला खुद ये नहीं चाहती की कोमल पंडित जी के सामने आये . पर वो ऐसा क्यों कर रही थी .

उसकी माँ बुदबुदाती हुई अन्दर चली गयी ..

उसके जाते ही शीला पंडित जी के पास आकर बैठ गयी ..वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..

पंडित जी भी बड़े चालाक थे ..उन्होंने शीला से कहा : "क्या बात है शीला ..तुम इतने दिनों से आई नहीं मंदिर में ..तुम्हारी तबीयत तो ठीक लग रही है ...''

शीला : "वो ...बस ....ऐसे ही ....पंडित जी ....''

पंडित : "देखो ...मुझसे कोई बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..जलदो बताओ ...क्या चल रहा है तुम्हारे अन्दर ...''

पर शीला भी कम नहीं थी ...वो बोली : "कक्क ...कुछ नहीं पंडित जी ....वो मेरी तबीयत भी ठीक नहीं थी ..और वो छोटी भी आई हुई थी ..इसलिए ..''

पंडित : "ह्म्म्म ...पर इस छोटी के बारे में तुमने पहले कभी नहीं बताया ...मुझसे छुपा कर रखना चाहती हो क्या ...''

पंडित जी की बात सुनकर वो ऐसे चोंकी जैसे पंडित जी ने उसकी चोरी पकड़ ली हो ..वो फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखती रह गयी, उसके मुंह से कुछ नहीं निकला ..

पंडित जी समझ गए उसकी दुविधा और उसके मंदिर ना आने का कारण ..वो अपनी बहन को पंडित जी के साए से भी बचा कर रखना चाहती थी ..और बचाए भी क्यों ना , वो पंडित जी को पूरी तरह से जान चुकी थी, उनकी चुदाई कई बार देख चुकी थी ..और उनके हुनर से वो अच्छी तरह से वाकीफ थी ..वो जानती थी की पंडित जी की नजरों में अगर उसकी बहन आ गयी तो कहीं पंडित जी उसके साथ भी .....इसलिए जब से कोमल आई थी, वो पंडित जी से मिलने भी नहीं गयी थी ..घर पर भी बीमारी का बहाना बना दिया था ..ताकि उसके घर पर भी कोई ना बोले की कहाँ तो रोज , दिन - रात मंदिर के चक्कर लगाती थी और कहाँ बहन के आते ही सब दिनचर्या बदल गयी .

पर उसे क्या पता था की पंडित जी घर ही आ जायेंगे ..और कोमल को देख भी लेंगे अचानक ..पर पंडित जी तो जैसे अपने मन में कोमल को चोदने का प्लान बना चुके थे ..

पंडित जी की आँखों में छिपे इरादों को भांपकर शीला एक दम से पंडित जी के पैरों में गिर पड़ी : "पंडित जी ....आप जो सोच रहे हैं ..वो भूल जाइये ...वो बच्ची है अभी ...उसे कुछ भी पता नहीं है इन चीजों के बारे में ..आप ....आप ...चिंता मत करिए ..मैं आउंगी अभी ...बस थोड़ी देर में ...आप चलिए ...मैं आती हु आपके कमरे में ....आप जो कहेंगे मैं करुँगी ..जिसके साथ कहेंगे मैं करुँगी ...पर ....पर आप ....कोमल ....के बारे में ....प्लीस ...कुछ न सोचिये ...''

अपनी बहन को बचाने के लिए शीला भावुक सी होकर रोने लगी ....उसके दिल में छुपे बहन के प्रति प्यार को देखकर पंडित जी भी जान गए की अगर जबरदस्ती करी तो शीला भी हाथ से निकल जायेगी ..

वो सोचने लगे ...अपने मन में योजनायें बनाने लगे ...बात अब उनकी आन पर आ गयी थी ..

पंडित जी वहां से निकलकर अपने घर की तरफ चल दिए .

एक बात तो पंडित जी जान ही चुके थे की शीला अपनी छोटी बहन को उनसे बचाना चाहती है ..और उसकी हडबडाहट और रवैय्या देखकर वो सब साफ़ महसूस हो रहा था .

वो घर पहुंचकर नहा धोकर बैठ गए और शीला का इन्तजार करने लगे और उन्हें ज्यादा इन्तजार भी नहीं करना पड़ा शीला लगभग भागती हुई वहां पहुंची और जल्दी से दरवाजा बंद करके अपनी साडी खोलने लगी ..

पेटीकोट और कसे हुए ब्लाउस में वो कमाल की लग रही थी ..पर पंडित जी का इरादा कुछ और था ..वो आराम से बैठे रहे .

शीला ने उनकी तरफ देखा ..और धीरे-२ अपने ब्लाउस के बटन खोलने लगी ..पंडित जी किसी राजा की तरह से बैठकर उसे बेपर्दा होते हुए देख रहे थे ..

ब्लाउस के निकलते ही उसकी ब्लेक और रेड कलर की ब्रा सामने आ गयी ..ये कोई नयी ब्रा थी, पंडित जी ने आजतक नहीं देखि थी ..पर उसे देखकर भी पंडित जी अपनी जगह से हिले नहीं ..वो चुपचाप बैठकर देखते रहे .

उसके बाद जैसे ही शीला ने अपना पेटीकोट नीचे गिराया , पंडित जी खुद गिरते-२ बचे ..उसकी मेचिंग पेंटी थी ....उसकी चूत जिसे उन्होंने ना जाने कितनी बार चूसा था, मारा था ,उसकी पतली सी पेंटी के अन्दर से भी उभर कर ऐसे लश्कारे मार रही थी जैसे हीरे की खान हो अन्दर ..उसकी चूत के बोर्डर पर गाड़े पानी का झरना रुका हुआ सा प्रतीत हो रहा था ..पंडित का मन तो कर रहा था की जाए और उस झरने में नहा ले ..पर अभी उसे थोड़ी अकड़ दिखानी थी ..

सिर्फ ब्रा-पेंटी पहनी हुई शीला किसी सेक्स बम जैसी लग रही थी ...जब से वो आई थी, दोनों के बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी ..और अब ये बात शीला को खटक रही थी ..वो लगभग नंगी होने के कगार पर थी और पंडित जी अपनी जगह से हिले भी नहीं थे ..उसे तो लगा था की पंडित जी उसे ऐसी हालत में देखकर भूखे शेर की तरह उसपर टूट पड़ेंगे ..पर ऐसा हुआ नहीं .

वो धीरे से मुस्कुराती हुई आई और पंडित जी के सामने बेड पर आकर बैठ गयी .


शीला : "क्या हुआ पंडित जी ..आज आप मुझे ऐसी हालत में देखकर भी आराम से बैठे हुए हैं ..''

उसने अपने मोटे-२ मुम्मों की तरफ इशारा करते हुए पंडित जी से कहा ..

पंडित : "तुमने आते ही अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..मैंने कब कहा की आज मैं तुम्हारी चूत मारने के मूड में हु ..''

पंडित जी ने अपनी ईगो दिखाई ..

शीला समझ गयी की पंडित जी कोमल वाली बात को लेकर अभी तक उससे नाराज है ..

शीला : "पंडित जी ..आप समझने की कोशिश करिए ..उसे मैंने अपनी बेटी की तरह पाला है .. और उसकी उम्र ही क्या है अभी ..इसलिए मैंने ये सब किया ...''

पंडित : "पर मैंने तो तुम्हारी बहन का जिक्र भी नहीं किया ..तुम अगर उसकी हिफाजत माँ बनकर करना चाहती हो तो मुझे क्या प्रॉब्लम हो सकती है ..मुझे तो बस इस बात की शिकायत है की तुम इतने दिनों तक आई नहीं मेरे पास ..''

पंडित जी ने बड़ी चालाकी से बात पलटी ..

शीला भी अब निश्चिन्त सी हो गयी ..और मुस्कुराते हुए बोली : "मुझे तो बस उसी बात की चिंता थी ..वर्ना जब से आपसे मिलन हुआ है, उस दिन से रोज मुझे आपका महाराज मेरी रानी के अन्दर चाहिए ..''

वो किसी रंडी की तरह से अपनी टांगो को फेला कर अपनी चूत को पेंटी के ऊपर से ही रगड़ने लगी ..

अब पंडित जी का मनोबल भी टूटता सा दिख रहा था ..

पंडित : "पर फिर भी ..तुम्हे आकर मुझे बताना तो चाहिए था ना ..''

पंडित अभी भी भाव खा रहा था .

शीला ने अपनी ब्रा के दोनों स्ट्रेप अपने कंधे से गिरा दिए ..और पंडित जी की तरफ खिसक आई ..और बोली : " तो मेरी गलती की सजा इन्हें क्यों दे रहे हो आप ...इनका क्या कसूर है इसमें ..''

उसके दोनों सफ़ेद और मोटे मुम्मे छलक कर बाहर निकल आये ..और उनपर लगे हुए भूरे निप्पल अपने हाथों में पकड़कर जैसे ही शीला ने मसला ..वो खुद ही कराह उठी ..शायद आवेश में आकर थोड़े जोर से मसल दिया था उन्हें ..

शीला ने अपनी पेंटी के कपडे को ऊपर से पकड़कर जोर से खींचा तो वो पतला सा होकर चूत की दरार के अन्दर घुस गया ..और चूत के दोनों होंठ पतले कपडे के दोनों तरफ फेलकर फुफकारने लगे ..और वो बोली : "और इसका भी क्या कसूर है ..मेरी नासमझी की सजा इसको पहले से ही मिल रही है ..अब तो ये बर्दाशत नहीं कर पाएगी ..देखिये ..देखिये न ...कैसे आपको देखते ही इसके मुंह में पानी आ गया है ..''

उसकी साँसे तेजी से चलने लगी ..चार दिन का गुबार अन्दर इकठ्ठा हुआ पड़ा था ..वो उसके मुंह की गर्म साँसों और चूत के गाड़े पानी के रूप में बाहर निकलने लगा ..

शीला : "ओह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म ...पंडित जी ......अब और कितना तरसाओगे ....निकालो अपना नाग ...निकालो ना ....''

पंडित जी ने कुछ नहीं कहा और अपनी टाँगे फेला दी शीला के सामने ..

वो किसी बिल्ली की तरह वहां झपटी और आनन् फानन में उनकी धोती और कच्छे को निकाल फेंका ..और जैसे ही उसे सामने पंडित जी का नाग आया, वो उसे अपने मुंह के अन्दर ऐसे ले गयी जैसे ऑक्सीजन का पाईप हो ..और अन्दर लेते ही जोर-२ से साँसे लेते हुए वो उसे चूसने लगी ..

''उम्म्म्म्म्म। ....स्स्स्स्स्स्स ......कितना मिस्स किया है मैंने ये सब .....ये मुझे ही पता है ...पुच्च्छ्ह्ह ....''

पंडित जी की तो जैसे शामत आ गयी थी ..उत्तेजना के ज्वार भाटे में बहकर वो अपने दांतों का भी इस्तेमाल कर रही थी ..जिसकी वजह से पंडित जी को परेशानी हो रही थी ..

पंडित : "उम्म्म्म्म .....धीरे .......दांत मत मारो ....शीला .....अग्ग्ग्ग्ग्ग ह्ह्ह्ह ,,,,,,''

पर वो जंगली बिल्ली कहाँ मानने वाली थी ...उसने अपने प्रहार जारी रखे ..

पंडित जी ने सामने लेटी हुई शीला की चूत की तरफ हाथ बड़ाया और जैसे ही अपनी उँगलियाँ वहां डाली वो पूरी गीली हो गयी ..ऐसा लगा जैसे वो झड गयी हो ..पर ऐसा हुआ नहीं था ..

इतने दिनों के बाद की चुदाई वैसे भी मजेदार होती है ..शीला ने जल्दी से अपनी ब्रा-पेंटी निकाली और उन्हें नीचे फेंक कर वो पंडित जी पर सवार हो गयी ...

और उनके खड़े हुए लंड को जैसे ही उसने अपने हाथों में लेकर अपनी चूत पर लगाया ..उसकी धड़कन इतनी तेजी से चलने लगी की उसकी आवाज पंडित जी को बाहर तक सुनाई दे रही थी ..और एक जोरदार चीख के साथ वो उनके लंड को निगल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .......पंडित ......जीईईईई .............. अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...... चोदो .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....मुझे .......''

पंडित जी ने अपने हाथ ऊपर किये और उसके दोनों खरबूजे अपने हाथों में पकड़कर मसल डाले और जोर-२ से धक्के मारकर उसकी चूत मारने लगे ...

''अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ उम्म्म उम्म्म ........अह्ह्ह्ह ...ऐसे ही .....और तेज .....और तेज .....अह्ह्ह्ह ....और तेज ....''
पंडित जी का रोकेट उसकी चूत में झटके मार रहा था ..और वो अपना मुंह फाड़े उसे अन्दर जाते हुए देख रही थी ..

और तेज धक्के मारने के चक्कर में आज पंडित जी का भी झड़ना शीला के साथ-२ हो गया. ..और दोनों एक साथ चीखते हुए अपने -२ ओर्गास्म को महसूस करके अपने दांत किटकिटाते हुए झड़ने लगे ...

''अह्ह्ह्ह्ह ,,......पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म्म .....मजा आ गया ......अह्ह्ह्ह्ह ....''
पंडित जी के लंड की पिचकारी उसकी चूत में चल गयी थी ..उन्होंने अपना लंड बाहर खींचा और बची हुई एक-दो पिचकारियाँ बाहर भी निकली जो उसकी गांड के केनवास पर बिखर कर एक नयी कलाकृति का निर्माण कर गयी ..

पंडित जी भी बेचारे कुछ बोलने के काबिल नहीं बचे थे ..
उन्होंने अपने लंड को दोबारा अन्दर डाला पर वो फिसलकर बाहर निकल आया और पीछे -२ आया शीला की चूत से ढेर सारा गाडा और सफ़ेद रस ..

उसके बाद शीला ने अपने कपडे समेटे और पहनकर अपने घर की तरफ निकल गयी ..

शाम को पंडित जी अपने कार्यों से निपट कर बाजार की तरफ निकले ..उन्हें कुछ सामान भी लेना था ..

एक बड़े सिनेमाघर के सामने से निकलते हुए उन्हें अचानक वहां कोमल दिखाई दी ..

वो चोंक गए ..वो अकेली थी ..जींस और टी शर्ट में ..सर पर स्कार्फ लपेटा हुआ था ..जो उसके चेहरे को भी छुपा रहा था ..पर पंडित जी उसे देखते ही पहचान गए ..वो छुपकर देखने लगे की वो वहां कर क्या रही है .

वो जहाँ खड़ी थी वहां काफी अन्धेरा था ..और वो दिवार पर लगे हुए पोस्टर को देख रही थी ..शायद किसी मूवी का था जो उस सिनेमाघर में लगी हुई थी ..


पहले तो उन्होंने सोचा की हर जवान लड़के / लड़की की तरह इसे भी शायद फिल्मों का शोंक है ..इसलिए शायद बाजार जाते हुए पोस्टर देखकर रुक गयी होगी ..पर जैसे ही पंडित जी का ध्यान उस पोस्टर पर गया उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..वो एक एडल्ट फिल्म का पोस्टर था ..''जवानी का नशा'' जिसमे हीरो ने हीरोइन को अपनी बाहों में लपेटा हुआ था ..और उसे लिप्स पर किस्स कर रहा था ..दोनों ऊपर से नंगे थे ..

ओहो ...तो ये बात है ...जवान हो रही कोमल को जवानी का नशा चढ़ रहा है ..और वो पोस्टर को देखकर अपने अन्दर की आग और जिज्ञासा शांत कर रही है ..

पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..उन्हें कोमल को पटाने का आईडिया मिल चुका था ..और वो बाहर निकल आये और कोमल की तरफ चल दिए ..

और उसके पीछे जाकर उन्होंने उसे पुकारा : "कोमल ......''

पंडित जी की आवाज सुनते ही कोमल ने पलटकर देखा ..और पंडित जी को अपने सामने देखकर उसके चेहरे का रंग पीला पड़ गया ..उसे तो शायद आशा भी नहीं थी की इस शहर में कोई उसे पहचान लेगा ..वो हडबडा उठी .

कोमल : "आप .....य ....यहाँ ......''

पंडित : "हाँ ...मैं ..यहाँ ...पर तुम यहाँ क्या कर रही हो ..''

कोमल : "जी ....जी ...वो ....मैं .....मैं तो .....बस ...मार्किट आई थी ...''

वो शायद जानती थी की पंडित जी ने उसे रंगे हाथों पकड़ लिया है ..गन्दी मूवी का पोस्टर देखते हुए ..

पंडित जी उसके चेहरे को देखते हुए उसके मन में चल रहे अंतरद्वंद को पड़ने की कोशिश कर रहे थे, वो अपने हाथों की उँगलियों को मसल रही थी ..और अपनी आँखे पंडित जी से नहीं मिला पा रही थी .

पंडित : "ये देख रही थी ...''

उन्होंने पोस्टर की तरफ इशारा किया ..वो मना करने की स्थिति में नहीं थी ..उसने अपना सर झुका लिया .

पंडित : "चलो मेरे साथ ..!"

उसने एक दम से अपना चेहरा ऊपर उठाया ..उसमे डर के भाव थे ..

पंडित : "घबराओ मत ...मैं तुम्हारी दीदी को नहीं बोलूँगा ..चलो मेरे साथ ..यहाँ खड़ा होना सही नहीं है ..''

वो दोनों आगे चल दिए ..और एक बड़े से पेड़ के नीचे जाकर पंडित जी खड़े हो गए और कोमल से बोले : "मैं जानता हु की तुम्हारी उम्र में ये सब स्वाभाविक है ..ऐसी बातें मन को लुभाती है ..अगर तुम चाहो तो मुझसे ये सब बातें खुलकर कर सकती हो ..हो सकता है की मैं तुम्हारी कोई मदद कर सकू ..''

वो धीरे से बोली : "पर ....पर ...दीदी ने आपसे ज्यादा बात करने से मना किया है ..''

पंडित जी की तो झांटे ब्राउन हो गयी कोमल की बात सुनकर ..शीला ने अपनी बहन को ऐसा कैसे बोल दिया ..

पर वो भी सही थी अपनी जगह, शीला अच्छी तरह से जानती थी की पंडित जी की नजर पड़ने के बाद उसकी मासूम सी बहन का क्या हश्र होगा ..अब पंडित जी को भी चालाकी से काम लेना होगा ..कुछ इस तरह से की उनकी हरकतों की खबर शीला तक ना पहुंचे वर्ना कोमल के साथ-२ शीला भी हाथ से निकल जायेगी .

पंडित : "वो इसलिए की तुम अभी छोटी हो ना ..ये सब बातों के लिए तुम्हारी उम्र अभी कम है ..वो तुम्हे बच्चा समझती है अभी ..''

 कोमल (थोडा ऊँचे स्वर में) : "ऐसा कुछ नहीं है ...मेरे गाँव में भी मुझसे समझदार कोई नहीं है ..माँ और दीदी तो बस मेरे पीछे ऐसे ही पड़ी रहती हैं ..उन्हें अभी पता नहीं है की मुझमे इन बातों की कितनी समझ है ..''

पंडित जी ने जैसा सोचा था , वैसा ही हुआ था, चोट सही जगह पर लगी थी ..और कोमल आखिरकार पंडित जी के बहकावे में आकर बोलती चली गयी ..

पंडित : "अच्छा ...पर जिस तरह से तुम वो पोस्टर देख रही थी ..लग तो नहीं रहा था की तुम्हे इन सब के बारे में कुछ मालुम भी है ..''

कोमल का गोरा रंग गुलाबी हो गया ..वो बोली : "ये मूवीज में तो कुछ ज्यादा ही दिखाते हैं ..वैसे मेरी सहेलियों ने जो बताया है ..और मैंने जो देखा है किताबो में ..ये शायद उनसे अलग होता होगा ...बस यही देख रही थी ..और ..और ...''

पंडित : "हाँ ...हाँ ..बोलो, शरमाओ मत ...मैं कोई भी बात तुम्हारी दीदी से नहीं कहूंगा ..''

वो थोडा आश्वस्त हो गयी ..और बोली : "मैंने अपनी क्लास की लड़कियों से शर्त लगायी है इस बार ..की यहाँ शहर में आकर मैं हर वो चीज करुँगी ..जिसकी हम सभी बातें करते हैं ..''

पंडित : "अच्छा ...क्या बातें करती हो तुम सभी ..''

वो फिर से शरमा गयी ..और धीरे से बोली : "वो मैं आपको नहीं बता सकती ..''

वो पंडित जी से नजरें नहीं मिला रही थी ..और मुस्कुराती जा रही थी ..

पंडित : "चलो कोई बात नहीं ...मत बताओ ..पर एक बात तो मैं जान ही चूका हु उनमे से ..''

कोमल ने एकदम से चोंक कर पंडित जी की आँखों में देखा ..वो धीरे से बोले : "तुम ये गन्दी वाली मूवी देखना चाहते हो ना ..''

उसकी आँखों में आई चमक को देखकर और फिर उसके शर्माने के अंदाज से पंडित जी समझ गए की उनका ये तीर भी निशाने पर लगा है .

पंडित : "तुम अगर चाहो तो मैं तुम्हारी मदद कर सकता हु इसमें ...ये मूवी देखने में ..''

कोमल : "पर कैसे ...मैंने अभी देखा वहां कोई भी लड़की नहीं थी ..सब गंदे-२ लड़के थे बस ..''

पंडित : तुम चाहो तो मेरे साथ चल कर तुम भी वो मूवी देख सकती हो ..बस हमें अपना हुलिया बदल कर जाना होगा वहां ..तुम्हे इसलिए की तुम लड़की हो ..तुम्हे लड़का बनकर चलना होगा ..और मुझे यहाँ ज्यादातर लोग जानते हैं ..कोई मुझे ना पहचान ले इसलिए मुझे भी अपना भेष बदल कर जाना होगा ..''

वो कुछ देर तक सोचती रही ..और फिर चहक कर बोली : "वाव ...ऐसा तो मूवीज में होता है ...मजा आएगा ...मैं तैयार हु ...बोलो कब चलना है ..''

उसके चेहरे की ख़ुशी देखकर पंडित का मन तो कर रहा था की उसे वहीँ पकड़ कर रगड़ डाले और उसके गुलाबी होंठों को चूसकर उनका रस पी जाए ..और जो मूवी में देखना चाहती है, वो यहीं उसे दिखा दे ..पर वो कोमल को पूरी तरह से अपने शीशे में उतारना चाहते थे ..

पंडित : "कल दोपहर का शो देखने आते हैं यहाँ ..उस वक़्त ज्यादा भीड़ नहीं होती ..ठीक है ..''

कोमल : "ठीक है ..कल मिलते हैं ...पर आप प्लीस दीदी से इस बारे में कोई जिक्र मत करना ..मैं उनसे कहकर आउंगी की एक कोर्स के बारे में पता करने जाना है ..ठीक है ..''

अब उस पगली को ये बात कौन समझाए की ये बात तो पंडित जी को बोलनी चाहिए थी की अपनी शीला दीदी से इस बारे में कोई बात ना करे .

अब अगले दिन मंदिर में मिलने का समय निर्धारित करने के बाद वो दोनों अपने-२ रास्ते चले गए ..

पंडित जी ने रास्ते से कल के मेकअप के लिए जरुरी सामान और कपडे ले लिए ..उन्हें भी अन्दर से रोमांच का एहसास हो रहा था ये सब करते हुए ..

अगले दिन कोमल ठीक 11 बजे पंडित जी के मंदिर में पहुँच गयी ..उस वक़्त मंदिर में 4 -5 लोग थे, पंडित जी ने उसे बैठने का इशारा किया और उनसे निपटने के बाद वो उसे अपने कमरे में ले आये ..जहाँ उन्होंने उसकी शीला दीदी के अलावा ना जाने कितनी चूतों का उद्धार किया था ..

कोमल : "वह पंडित जी ..आपका कमरा तो बड़ा सही है ..अकेले रहते हो आप यहाँ ...''

वो शायद कुछ कन्फर्म कर रही थी ..

पंडित : "हाँ ..अकेला रहता हु ..कभी भी मेरी जरुरत हो तो बेझिझक आ सकती हो ..''

वो मुस्कुरा दी ..कुछ न बोली ..

आज वो टी शर्ट और जींस पहन कर आई थी ..

पंडित जी ने एक थेला उसे दिया और बोले : "इसमें एक टी शर्ट है ...और ..और एक कपडा ...भी ...वो अन्दर पहन लेना ..''

वो कुछ समझी नहीं ...उसने थेले के अन्दर से टी शर्ट निकाली ...वो लडको वाली टी शर्ट थी .. और फिर उसने अन्दर हाथ डालकर वो कपडा भी निकाला ..वो स्पोर्ट्स ब्रा थी ..बिलकुल छोटी सी ...जिसे देखकर वो शरमाने के साथ-२ चोंक भी गयी ..

पंडित : "ये नीचे पहन लो ...ताकि तुम्हारी ...ये ....ये ...छातियाँ देखकर कोई समझ ना सके की तुम लड़की हो ..''

पंडित ने अपने हाथ की उँगलियों से उसकी ब्रेस्ट की तरफ इशारा किया ..

कोमल ने जल्दी से दोनों कपडे वापिस अन्दर डाले और भागकर बाथरूम में चली गयी ..

पंडित जी मन ही मन मुस्कुराने लगे ..



उन्होंने भी जल्दी से अपने लिए लाये हुए टी शर्ट और जींस को निकाल और पहन लिया ..

ऐसे कपडे उन्होंने करीब दस सालों के बाद पहने थे ...वर्ना हमेशा धोती कुरता ही पहनते थे वो ..

फिर उन्होंने एक नकली मूंछ निकाली और लगा ली ..अब वो बिलकुल भी पहचाने नहीं जा रहे थे ..

तभी कोमल भी बाहर निकली ..पंडित जी की नजर सीधा उसकी छाती पर गयी ..जो अब लगभग ना के बराबर दिख रही थी ..

वो अपनी नजरें नीची करके सामने आकर खड़ी हो गयी ..

स्पोर्ट्स ब्रा पहनने की वजह से उसकी 32 नंबर की छातियाँ बिलकुल सपाट हो गयी थी ..उन्होंने एक और मूंछ निकाली और उसके होंठों के ऊपर लगा दी ..और फिर एक लाल रंग की स्पोर्ट्स केप भी निकाल कर उसे पहना दी ..अब वो एक जवान लड़के जैसा दिख रही थी ..

और फिर दोनों पीछे वाले दरवाजे से निकल कर सिनेमा हाल की तरफ चल दिए ..

जहाँ लगी थी वो मूवी ..''जवानी का नशा''

कमरे से बाहर निकलकर पंडित जी को बस यही चिंता सता रही थी की कहीं कोई उन्हें पहचान तो नहीं जाएगा ..

वो कहते है न, गलत काम करने वाला हमेशा डरता है ..और हो भी यही रहा था , पंडित जी की हालत खराब थी ..पर ये रोमांच भी कुछ कम नहीं था .

अचानक पंडित जी की गांड फट कर उनके हाथ में आ गयी .

सामने से शीला आ रही थी . और वो शायद पंडित जी के कमरे की तरफ ही जा रही थी .

पंडित जी ने धीरे से कोमल से कहा : "अपना मुंह नीचे कर लो ..तुम्हारी दीदी आ रही है ..''

उसकी भी फट कर हाथ में आ गयी ..उसने वैसे तो कपडे ऐसे पहने थे और हुलिया चेंज किया हुआ था, फिर भी उसने अपना सर नीचे झुका लिया ताकि टोपी के पीछे उसका चेहरा पूरा छुप जाए .

शीला तेजी से चलती हुई आई और उनपर एक नजर डाल कर आगे निकल गयी ..

उसने पंडित जी को पहचाना ही नहीं ..पंडित जी की सांस में सांस आई ..उनका मेकअप काम कर गया था .

अब वो बिना किसी डर के चलने लगे ..जब उन्हें शीला ने नहीं पहचाना तो और कोई कैसे पहचानेगा ..

मेन रोड पर पहुंचकर उन्होंने एक ऑटो लिया और उसमे बैठ गए ..उसमे पहले से ही चार लोग बैठे थे ..कोमल ऊपर चढ़ कर बीच में फंस कर बैठ गयी तो पंडित जी के लिए जगह ही नहीं बची ..

ऑटो वाले ने उनसे कहा की वो आगे आकर उसके साथ बैठ जाए ..अक्सर यही करते हैं ये ऑटो वाले ..पंडित जी बिना कुछ बोले आगे आ गए और बैठ गए ..उन्होंने पीछे मुंह करके कोमल को आश्वस्त किया की थोड़ी देर की ही बात है ..एडजस्ट कर लो बस .

पर उन्हें क्या पता था की कोमल जिनके साथ बैठी है उनमे से एक आदमी तो पंडित जी को अच्छी तरह से जानता था ..और पंडित जी जब कोमल को इशारा कर रहे थे तब उन्होंने उसका चेहरा देखा ..वो चुपचाप आगे मुंह करके बैठ गए .

अपने साथ बैठाते ही उस आदमी ने ,जिसका नाम हरिया था , अपना हाथ घुमा कर उसके कंधे पर रख दिया ..

कोमल : "ये क्या बदतमीजी है ..हाथ पीछे करिए ..''

गुस्से में उसकी लड़कियों वाली आवाज ही निकल गयी ..जिसे सुनकर हरिया हंसने लगा ..वो बोला : "साले , लड़कियों जैसा दीखता है और आवाज भी वैसी ही है ..''

पंडित जी ने पीछे मुड़ कर देखा और आँखों ही आँखों में कोमल को चुप रहने को कहा ..कहीं उनकी पोल पट्टी ही ना खुल जाए ..

वो बेचारी करती भी क्या, खून का घूंट पीकर वो चुपचाप बैठ गयी ..

अब हरिया को भी मस्ती सूझ रही थी , उसने अपने हाथ से उसके कंधे को दबाना शुरू कर दिया ..उसने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर रखा था , और वो सिर्फ उसके कोमल शरीर पर अपने हाथ लगाकर उसके एहसास का मजा ले रहा था ..

कोमल के नथुनों में उसके पसीने की गन्दी स्मेल आ रही थी ..उसे अक्सर ऐसे सपने आते थे जिसमे नीचे तबके के लोग उसके साथ गलत हरकत कर रहे हैं ..और आज उसे वो सपना सच होता दिख रहा था .

हरिया ने सोचा भी नहीं था की किसी लड़के की बॉडी इतनी सॉफ्ट भी हो सकती है ..चेहरा तो इतना चिकना था ..कोमल ने दूसरी तरफ चेहरा किया हुआ था जिसकी वजह से उसकी लम्बी और गोरी गर्दन हरिया के चेहरे से सिर्फ पांच इंच की दुरी पर थी ..हरिया के मन में ना जाने क्या आया की उसने आगे बढकर कोमल की गोरी गर्दन पर अपने खुरदुरे होंठ रख दिए ..और जोर से चूम लिया ..

कोमल का पूरा शरीर झन्ना उठा , उसके शरीर पर किसी ने पहली बार अपने होंठ लगाए थे ..पर वो इतने गंदे और गलत इंसान के होंगे ये उसने नहीं सोचा था, वो लगभग चिल्ला उठी ..

''साले ...कर क्या रहा है तू ..समझ क्या रखा है तूने मुझे ..''

उसकी गुर्राती हुई आवाज सुनकर सभी लोग उनकी तरफ देखने लगे ..और हरिया सकुचा कर अपने आप ऑटो से उतर गया ..उसके उतरते ही पंडित जी पीछे गए और कोमल के साथ जाकर बैठ गए .

और उन्होंने भी कोमल के कंधे से हाथ घुमा कर उसके पीछे रख दिया ..

पर हरिया और पंडित जी में फर्क था ..जिसे कोमल ने महसूस किया ..पंडित जी के शरीर से भीनी -२ महक आ रही थी ..उनके हाथ के स्पर्श में एक नर्म एहसास था ..एक सुरक्षा का एहसास था ..उसने अपना सर पीछे करके पंडित जी की बाजू पर टिका दिया ..और सफ़र ख़त्म होने का इन्तजार करने लगी .

पंडित जी की नंगी बाजू पर कोमल की नर्म और ठंडी गर्दन अपना असर छोड़ रही थी ..और उनका एफ्फिल टावर खड़ा होने लगा ..और पेंट पहनने की वजह से उन्हें बैठने में परेशानी भी हो रही थी ..उन्होंने बड़ी मुश्किल से वहां हाथ रखकर अपने उभार को कोमल की नजरों से बचाया ..

खेर, थोड़ी ही देर में उनका स्टेंड आ गया और वो उतर गए ..पंडित जी ने जाकर टिकट ली और वो दोनों अन्दर चल दिए ..

वो एक पुराना सा सिनेमा हाल था, जहाँ सिर्फ बी ग्रेड मूवीज ही लगती थी ...वहां ज्यादातर आदमी ही आये हुए थे ..दो तीन औरतें भी थी ..पर पंडित जी की नजरों ने पहचान लिया की वो सब धंधे वाली औरतें थी , जो सिर्फ थोड़े रूपए और मस्ती के लिए किसी के साथ भी मूवी देखने घुस जाती थी ..

टिकट चेकर ने पंडित जी की तलाशी ली और उन्हें अन्दर जाने दिया ..पीछे-२ कोमल भी थी , उसके शरीर पर भी चेकर ने बड़े ही केसुअल तरीके से हाथ फेरे ..पर उसके गुदाजपन का एहसास होते ही उसकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..उसने एक बार और अपना हाथ फेरना शुरू किया ..खासकर उसके जांघो पर ..जहाँ उसके हाथ चिपक कर रह गए ..और उसकी उँगलियों की चुभन कोमल को अन्दर तक महसूस हुई ..पर वो कुछ न बोली ..फिर उसके हाथ फिसलते हुए ऊपर आये और उसके कुलहो और कमर के बाद उसकी छातियों पर आकर फिर से रुक गए ..और उसने उन्हें दबा दिया ..

तभी पीछे से आवाज आई : "अरे भाई ..इसकी ही तलाशी लेता रहेगा क्या ..जल्दी कर , मूवी शुरू होने वाली है ..''

बेचारे को बेमन से कोमल को छोड़ना पडा ..और वो भागकर अन्दर आ गयी, जहाँ पंडित जी पहले से ही सीट पर जाकर बैठ गए थे, उन्होंने कोमल को हाथ का इशारा करके अपनी तरफ बुलाया, वो वहां जाकर बैठ गयी ..उसके शरीर में अभी तक टिकट चेकर की उँगलियों की चुभन का एहसास हो रहा था , आज तक उसके शरीर को किसी ने इस तरह नहीं छुआ था ..पहले ऑटो में वो आदमी और अब यहाँ ये टिकेट चेकर ने भी उसे जैसे रोंद सा डाला था ..

वो धीरे से पंडित जी के कानो में बोली : "वो ऑटो वाला आदमी भी बदतमीज था और ये चेकिंग वाला भी ..''

पंडित जी के कानो में उसके होंठों का स्पर्श उन्हें मदहोश सा कर गया ..उन्होंने अपना होश संभाला और उसके कानो में बोले : "गलती उनकी नहीं है ...तुम्हारे शरीर की कोमलता है ही ऐसी की वो अपने आप को रोक नहीं पाए ...''

कहते -२ पंडित जी ने अपने हाथ की उंगलिया उसकी नंगी बाजुओं पर फेरा दी ..कोमल के रोंगटे खड़े हो गए उनकी बात और टच को महसूस करके ..

वो कुछ न बोली और चुपचाप बैठकर फिल्म के शुरू होने का इन्तजार करने लगी .

थोड़ी ही देर में पिक्चर शुरू हो गयी ..

कोमल की आँखों में चमक आ गयी, जैसे ही फिल्म का नाम स्क्रीन पर आया ..उसने झट से अपना मोबाइल निकाला और मूवी के नाम की फोटो खींच ली ..

पंडित : "ये किसलिए ..?"

कोमल : "सबूत के लिए ..अपनी सहेलियों को दिखाउंगी न ..नहीं तो वो बोलेंगी की मैं गप्पे मार रही हु .."

पंडित जी मुस्कुरा दिए .

दस मिनट के बाद ही मूवी में एक गर्म सीन आ गया , जिसमे हिरोइन सफ़ेद कपडा पहन कर झरने के नीचे नहाते हुए गाना गा रही थी और एक विलेन उसको छुप कर देख रहा था .. भीगने की वजह से वो कपडा पारदर्शी हो गया और उसके दोनों मुम्मे चमकने लगे ..पंडित जी का भी लंड खड़ा होने लगा वो देखकर ..उन्होंने तिरछी नजरों से कोमल को देखा जो अपनी नजरें झुका कर उस सीन को देख रही थी ..

गाना ख़त्म होते ही विलेन लड़की पर झपट पडा और वो भागती हुई एक गुफा में घुस गयी ..भागने की वजह से उसका कपडा खुल गया और वो पीछे से अपनी गांड के दर्शन कराती हुई अन्दर घुस गयी .उसकी नंगी गांड देखते ही पुरे हाल में सीटियाँ बजने लगी . जिन्हें सुनकर कोमल हंसने लगी ..और वो पंडित जी से बोली : "जैसा सुना था ..ठीक वैसा ही माहोल है ऐसी पिक्चर को देखने का ..मजा आ गया ..कसम से ..''

उसकी भोली बात सुनकर पंडित जी का मन तो करा की उसे वहीँ पकड़ कर चूम ले ..

कोमल की नजरें इधर - उधर कुछ ढूंढने लगी ..और आखिर उसकी नजरों ने वो देख ही लिया जो वो देखना चाहती थी ..

एक जोड़ा कोने वाली सीट पर बैठा था वो दोनों एक दुसरे को बुरी तरह से चूम रहे थे ..कोमल उन्हें देखकर मंद-२ मुस्कुराने लगी ..

पंडित जी ने धीरे से उसके कान में कहा : "उन्हें क्यों देख रही हो अब ..ये गन्दा नहीं लग रहा तुम्हे ..''

कोमल कुछ ना बोली ..और अपनी नजरें झुका कर पंडित जी से धीरे से बोली : "इस्स्श्ह्ह ....चुप करो आप ...''

उसके चेहरे की गुलाबी रंगत पंडित जी की आँखों को अँधेरे में भी दिख रही थी .एक बार तो उन्होंने सोचा की उसके चेहरे को अपनी तरफ करे और उसे भी ऐसे ही चूमने लग जाए ..पर वो जल्दबाजी करके काम बिगाड़ना नहीं चाहते थे .

थोड़ी ही देर में वो लड़की उस आदमी के घुटनों के पास बैठ गयी और उसके लंड को मुंह में डालकर चूसने लगी ..उसे अपने आस-पास बैठे हुए लोगों की भी कोई परवाह नहीं थी ..और वो आदमी तो अपने आप को राजा समझ रहा था जो कुर्सी पर आराम से बैठकर अपना लंड चुसवा रहा था .

कोमल की नजरें भी उधर ही थी ..वो धीरे से बोली : "छि ....कैसी बेशरम औरत है ..खुले आम ऐसा कर रही है ..''

पंडित जी उसके भोलेपन पर हंस दिए और बोले : "वो उसकी बीबी या गर्लफ्रेंड नहीं है ..ऐसी औरतें पांच सो में मिल जाती है ..जो ऐसे काम करने के लिए अन्दर आ जाती है इनके साथ ..''

कोमल ने अपनी एक आई ब्रो ऊपर करके पंडित जी से कहा : "बड़ी नोलेज है आपको ...और क्या -२ पता है ..''

पंडित जी : "मुझे सब पता है ..चाहो तो आजमा कर देख लो ..''

पंडित जी की द्विअर्थी बात शायद कोमल को समझ आ गयी थी ...उसका चेहरा शर्म से लाल हो उठा ..और उसने फिर से अपनी नजरें फिल्म पर लगा दी ..पर उसका मन अब फिल्म में नहीं लग रहा था ..जैसे ही उस औरत ने लंड का माल चूसकर उस आदमी को खल्लास किया , वो अपने पैसे लेकर बाहर निकल गयी ...

कोमल : "चलो अब ...और नहीं देखनी पिक्चर ...चलो यहाँ से ..''

पंडित जी को भी कुछ समझ नहीं आया की एकदम से कोमल को क्या हुआ ..पर उन्होंने कुछ नहीं कहा और वो उठकर बाहर निकल आये .

थोडा दूर निकलने के बाद कोमल पंडित जी की तरफ घूमी और उनके गले लग गयी और धीरे से उनके कान में बोली : "थेंक यू ...''

और एकदम से हट कर वापिस पलटी और आगे निकल गयी ..

पंडित जी बेचारे उसके सीने के एहसास को अपनी छाती पर पूरी तरह से महसूस भी नहीं कर पाए थे ..

वो भी अपनी आँखे उसकी मटकती हुई गांड से चिपका कर उसके पीछे-२ चल दिए .

कोमल ने अपनी मूंछ निकाल दी और अपनी टोपी भी उतार कर हवा में उछाल दी ..और जोर से चीखी : "मजा आ गया ....आज का दिन मेरे लिए बहुत अलग है ..''

और फिर वो चलते-२ पंडित जी की तरफ घुमि और उल्टा चलती हुई उनसे बोली : "और ये सब आपकी वजह से हुआ है पंडित जी ..आप न होते तो मैं ये नहीं कर पाती ..पर अब आप मिल गए हो ना ..तो एक अच्छे दोस्त की तरह मेरे जीवन की वो सभी इच्छाएं पूरी करवा दो, जो मैंने आज तक सोची हुई है ...बोलो करोगे न ..''

उसकी आवाज में एक कशिश थी,एक अल्हड़पन था, एक हुक्म था, जिसे पंडित जी चाह कर भी मना नहीं कर सकते थे ..

वो पंडित जी के पास आई और धीरे से बोली : "मैं आपको अपनी सारी इच्छाएं एक साथ नहीं बता सकती ..पर जैसे ही एक पूरी होगी, तो दूसरी बता दूंगी ..ओके ..''

पंडित जी ने हाँ में सर हिला दिया ..

वो उनके और पास आई और बोली : "आप अपनी आँखे बंद करो प्लीस ..मैं आपके कान में ही बताउंगी ..नहीं तो मुझे शरम आएगी ..''

पंडित जी ने अपनी आँखे बंद कर ली ..और कोमल के होंठों से निकल रही गर्म साँसों के बाद उसके
मुंह से निकलने वाले शब्दों का इन्तजार करने लगे .

कोमल के लाल होंठ फडके और उनमे से शब्द निकलकर पंडित जी के कानों में जाने लगे ..

कोमल : "वो ...मुझे ...गालियाँ देने वाले लोग बहुत पसंद है ...मेरा मतलब, जब कोई गाली देकर बात कर रहा होता है तो मुझे बहुत अच्छा लगता है ..इसलिए ...अगर आप ...मेरे साथ ..गालियों वाली भाषा में .बात करे तो.....खुलेआम ...सबके सामने ..''

पंडित जी भी सोचने लग गए की इसके दिमाग में ये भरा क्या हुआ है ..कितनी अजीब सी ख्वाहिशे है ..साली ये नहीं बोल सकती थी की मुझे चुदवाना अच्छा लगता है ..आप मुझे चोदो ..सबके सामने ..पर ये तो गाली के लिए बोल रही है ..ये सब करके कैसे किसी की कोई इच्छा पूरी हो सकती है ..ये तो बड़ी आम सी बात है ..और अजीब भी.

पंडित : "मुझे इसमें कोई आपत्ति नहीं है ..पर ये सब करके तुम्हे मिलेगा क्या ..मतलब ..ये तो बहुत मामूली सी बात है ..''

कोमल (नजरें झुका कर बोली ) : "ये आप मर्दों के लिए मामूली है ..हमारे लिए नहीं ..आप ही बताइए , आपने कितनी लड़कियों को इस तरह से गाली गलोच करते सूना है ..नहीं सुना ना ..''

अब वो उस बेचारी को क्या बताते ..की जब चुदाई होती है तो सामने वाली अपने आप गालियाँ देने लगती है ..जो चुदाई में चार चाँद लगा देती है ..

कोमल : "हम सहेलियां तो एक दुसरे को कभी कभार गालियाँ दे लेती है ..पर ..उतनी गन्दी नहीं ..जितनी मर्द देते हैं ..और सच कहूँ ..जब भी कोई किसी को गालियाँ दे रहा होता है, एक दुसरे की माँ बहन के बारे में गन्दी बाते बोल रहा होता है .. तो ..तो ..मुझे कुछ होता है अन्दर से ..''

पंडित : "क्या होता है ..जरा हमें भी तो बताओ ...''

पंडित ने आगे आकर अपना कन्धा उसके कंधे पर मारकर राजेश खन्ना के अंदाज में कहा ..

कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो गया ..वो बोली : "पंडित जी ...आप बड़े वो हैं ..आप जैसे दीखते हैं , वैसे हैं नहीं ..''

पंडित : "अच्छा जी ...फिर कैसा हु मैं ..''

कोमल : "बेशरम ...आप बहुत बेशरम हो ..''

पंडित : "बेशरम मैं नहीं हु ...भेन की लोड़ी .....तू है कुतिया ...''

पंडित जी की बात सुनते ही कोमल का चेहरा पीला पड़ गया ...वो घबरा गयी .

कोमल : "ये ..ये ..क्या बोल रहे है आप ...''

पंडित (गुर्राते हुए ) : "साली ...हरामजादी ...बड़ी भोली बनती है ..तेरी माँ चोदुंगा न जब सबके सामने ...तब तुझे पता चलेगा ..कैसे अपनी इच्छा पूरी करवाते हैं ..''

पंडित जी की बात सुनते ही कोमल को सब समझ आ गया, पंडित जी ने उसकी बात मान ली थी और वो गालियाँ देकर ही बात कर रहे थे ..

पर उसे बताना तो चाहिए था न ..

उसके चेहरे पर मुस्कान आ गयी ..वो धीरे से बोली : "अभी तूने मेरी माँ को देखा ही कहाँ है पंडित ...जो उसे चोदने की बात कर रहा है ..''

कोमल के मुंह से 'चोदना' शाद सुनकर पंडित जी का सच में चोदने का मन करने लगा ..

पंडित : "देखा है ...तेरी माँ को भी देखा है ..और तेरी बहन को भी ...दोनों मस्त माल है ..दोनों की चुदाई एक साथ करूँगा ..और वो भी तेरे ही सामने ...''

दोनों खुले आम चलते हुए जैसे एक दुसरे से लडाई कर रहे थे ..

कोमल (इतराते हुए) : हूँह ...इतना आसान नहीं है पंडित ...मेरी माँ-बहन को चोदना ...तेरे बाप का माल नहीं है वो ..तेरा ....तेरा ....वो ..वो ...काट कर फेंक दूंगी मैं ..''

पंडित : "साली ...बोलते हुए ही घबरा रही है ...काटेगी क्या ....भेन चोद .''

कोमल : "मैं नहीं घबराती ...वो ..वो ...तेरा लंड काट कर फेंक दूंगी ...अगर मेरी माँ बहन के बारे में कुछ कहा तो ..''

हाँ ...ये हुई न बात ...उसके मुंह से लंड शब्द कितना मीठा लग रहा था ..

पंडित : "ये लंड काटने के लिए नहीं होता हरामजादी ...इससे तेरी जैसी रंडियों की चुदाई करी जाती है ..''

कोमल : "रंडी होगी तेरी माँ ..भेन के लोड़े ...कोमल नाम है मेरा ..तेरे जैसो को तो खुले आम नंगा करके गांड मरवा देती हु मैं कुत्तों से ..''

'ओह तेरी ....क्या नोलेज है इसको भी ..सही है ..मजा आएगा ..' पंडित ने मन ही मन सोचा

और जब कोमल ये बात बोल रही थी ..उनके सामने से एक जोड़ा निकला, और कोमल की गालियों से भरी बात शायद उन्होंने सुन ली थी ..और वो दोनों मुंह फाड़े एक दुसरे को और कभी कोमल को देख रहे थे ..की देखने में कितनी मासूम सी लड़की और बातें कितनी गन्दी कर रही है ..वो दोनों रुक गए और पंडित और कोमल की बातें सुनने लगे ..

पंडित : "मेरी गांड क्या मरवाएगी तू ...मैं मारूंगा तेरी गांड ..ये है न जो तूने छुपा रखी है ..मक्खन जैसी गांड ..गली की कुतिया को चुदते हुए देखा है न तूने, वैसे ही चोदुंगा तुझे पीछे से ..डोगी स्टाईल में ..कुतिया की तरह , साली चुद्दक्कड़ ....''

पंडित की हर गाली सुनकर कोमल की आँखों की चमक बढती चली जा रही थी ..वैसे भी वो तो ये सब सिर्फ अपनी इच्छा को पूरी करने वाला खेल ही समझ रही थी ..पर वो क्या जानती थी की पंडित की हर बात के पीछे उनकी भी इच्छा है ..जो वो इस तरह से खुलेआम बोलकर जाहिर कर रहे थे .

पर सबसे ज्यादा मजा तो उस जोड़े को देखकर आ रहा था, जो उन दोनों को इस तरह से गालियों की जुबान में बात करते हुए लड़ता देख रहे थे ..और उनके चेहरे के हाव भाव देखकर कोमल का मन झूम रहा था ..

उस जोड़े से इतनी गालियाँ सुनना सहन नहीं हुआ ...और वो दोनों आगे निकल गए ..

उनके जाते ही कोमल और पंडित जी जोर से ठहाका मारकर हंसने लगे ..और हँसते -२ कोमल ने पंडित जी को अपनी बाहों में ले लिया और उनसे लिपट गयी ..

कोमल : "ओह्ह्ह ....पंडित जी ....यु आर सिम्पली ग्रेट ...मुझे मालूम ही नहीं था की मंदिर के पंडित को भी इन सब बातों का ज्ञान हो सकता है ..अब लगता है की आप मेरी बची हुई इच्छाएं भी जल्द ही पूरी कर दोगे ...''

पंडित जी उसकी अगली ''इच्छा'' का इन्तजार करने लगे ..

कोमल : "पर आज के लिए इतना ही काफी है ...बाकी कल ..ओके ...अब चलो जल्दी से ..दीदी और माँ इन्तजार कर रही होंगी ..''

पंडित ने भी ज्यादा जोर नहीं दिया ..क्योंकि उन्हें भी मंदिर की दिनचर्या निभाने के लिए वापिस जाना था ..

वो दोनों वापिस चल दिए ..कोमल अपने घर चली गयी और पंडित जी अपने घर की तरफ .

वहां पहुंचकर उन्होंने मंदिर के कार्य निपटाए और अपने कमरे में जाकर सो गए .

सपने में उन्हें कोमल ही दिखाई दे रही थी ..जो अपनी चुदने की इच्छा लेकर उनके पास आई और उन्होंने उसकी वो इच्छा भी पूरी करने लगे ..वो उनका लंड चूसने लगी ..तभी उनकी नींद खुल गयी .. और सच में कोई उनका लंड चूस रहा था ..उन्होंने उसके चेहरे से बाल हटा कर देखा तो ख़ुशी के मारे उछल ही पड़े ..वो रितु थी ..और वो भी पूरी नंगी .

पंडित : "ओह्ह्ह ....रितु ....तू ...अह्ह्ह्ह ....आज मेरी याद कैसे आ गयी ....''

रितु ने लंड बाहर निकाला और बोली : "पंडित जी ....दो दिनों से पापा ने मेरी चूत को चोदकर उसका बेन्ड बजा रखा है ..पर आप जैसी चुदाई कोई नहीं कर सकता ..इसलिए दौड़ी चली आई आज ...''

पंडित : "घर पर पता है क्या ...की तू यहाँ आई है ..''

रितु : "हाँ ...माँ को बता कर आई हु मैं आज ..की मैं जा रही हु अपने पंडित जी के पास ...''

वो हंसने लगी ...और फिर से उनके लंड को चूसने लगी ..

पंडित जी के लंड को सुबह से कोमल ने वैसे ही खड़ा करके रखा हुआ था ..अच्छा हुआ जो रितु खुद ही आ गयी उनके पास, वर्ना रात तक उन्हें ही उसके घर जाकर माधवी या उसकी चूत मारनी पड़ती ..

वो सुबह से ही प्यासे थे ..उन्होंने रितु को किसी गुडिया की तरह से घुमा कर उल्टा कर दिया और 69 की पोसिशन में आकर उसकी चूत को अपने मुंह से चूसने लगे ..वो भी प्यासी चुड़ैल की तरह उनके लंड के सिरे से रस निकालने लगी ..

आज तो दोनों एक -दुसरे को कच्चा खा जाने के मूड में थे ..रितु बड़ी अजीब सी आवाजें निकालते हुए पंडित जी के लंड को चूस रही थी ..और पंडित जी भी उसकी चूत की परतों को हटा कर अपनी जीभ को अन्दर तक घुसा रहे थे ..

पंडित जी का लंड चूसते -२ रितु ने उनसे कहा : "पता है ..जब मैं यहाँ आ रही थी तो माँ की आँखों में देखकर ये लग रहा था की उनका भी मन है ..पर ना जाने क्यों उन्होंने कुछ कहा नहीं ..''

इतना कहकर वो फिर से इनके लंड को चूसने लगी ..

उसकी बात सुनकर पंडित जी के मन में एक ख्याल आया ..क्यों न दोनों माँ बेटियों को एक साथ चोदा जाए ..वो बोले : "एक काम करना ..कल अपनी माँ को भी लेकर आना इसी वक़्त यहाँ ..बोलना मैंने बुलाया है ..''

उनकी बात सुनकर रितु पलटकर फिर से उनके ऊपर आ गयी और उनके होंठों को चूसते हुए बोली : "आपने तो मेरे मन की बात बोल दी है ...मेरा भी मन है की मैं माँ के साथ वो सब करू ...''

और फिर वो पंडित जी के चेहरे पर टूट पड़ी ..और अपनी गोलाईयां उनके सीने से मसलते हुए अपनी चूत वाले हिस्से को उनके लंड से रगड़ने लगी ..


पंडित जी से भी सहन करना अब मुश्किल हो रहा था ..उनके मुंह में उसकी चूत के रस का स्वाद अभी तक था और उन्हें अभी भी प्यास लग रही थी ..उन्होंने रितु को बेड पर लिटाया और खुद नीचे खिसक कर उसकी चूत अक पहुँच गए और अपनी जीभ से उसकी चूत के अन्दर के खजाने को कुरेद कर बाहर निकालने लगे ..और रितु खुद ही अपने शरीर को ऊपर नीचे करके उनकी जीभ के स्पर्श को चूत के चेहरे पर महसूस करने लगी ..


''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ....बस यही सब मैं मिस कर रही थी ....जैसा आप चूसते है ...वैसा कोई नहीं ....अह्ह्ह ...अब जल्दी से वो भी करो जो आप जैसा कोई और नहीं कर सकता ...चोदो मुझे ..पंडित जी ....चोदो ....बुझा दो मेरी सारी प्यास ...अह्ह्ह्ह्ह .....''

इतना कहकर उसने पंडित जी के चोटी वाले सर को ऊपर खींच लिया और उनके होंठों पर लगे हुए रस को चाटकर अपनी चूत का स्वाद खुद भी चख लिया ..

पंडित जी ने अपने हाथ की दो उँगलियों को उसकी चूत के अन्दर घुसा दिया और बचा हुआ खजाना उनकी मदद से बाहर निकालने लगे ..

रितु चिल्लाई : "अह्ह्ह्ह्ह .....अब और मत तरसाओ ....जल्दी से अपना लंड डालो ...अन्दर ....और चोदो मुझे ....''

इस बार रितु की आवाज में एक आदेश भी था ..जिसे पंडित जी ने झट से मान लिया ..

उन्होंने अपना लंड उसकी चूत की गुफा के मुहाने पर रखा ..और एक मीठे से धक्के के साथ उसे अन्दर खिसका दिया ...

'म्म्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी ......ओफ़्फ़्फ़्फ़ .......आप नहीं जानते .....क्या चीज पाल रखी है आपने .....इसने तो दीवाना बना डाला है मुझको .....और मेरी माँ को ....''

उसकी बात सुनकर पंडित जी मुस्कुराये बिना नहीं रह सके ..

और फिर तो पंडित जी ने धक्के मार मार कर उसकी माँ बहन एक कर दी ..

''ओफ़्फ़्फ़्फ़ अह्ह्ह्ह ...उम्म्म ....येस्स ....अह्ह्ह ..और तेज ....उम्म्म्म्म ....हां न…। .....ऐसे ही ...अऒऒओ ...ऒऒऒ .....आ गयी .....अह्ह्ह मैं .....आयीईई .........''

और वो आँखे बंद करके अपने ओर्गास्म को महसूस करके गहरी साँसे लेने लगी ..और उसने झुककर पंडित जी के होंठों को अपने मुंह में भर लिया ..और ऐसा करते ही पंडित जी के लंड से भी ढेर सारी गोलियां निकलकर रितु की चूत में जाने लगी ...

पंडित जी बस आँखे बंद करके वो सुख महसूस करने में लगे हुए थे ..उनके मन में कई विचार एक साथ चल रहे थे ..जैसे कल कैसे रितु और माधवी को एक साथ चोदेंगे ...और कल कोमल अपनी कौनसी इच्छा उनसे पूरी करवाएगी ...

अगले दिन पंडित जी जब फ्री हुए तो थोड़ी देर बैठकर वो सोचने लगे की आखिर कोमल उनसे ही वो सब क्यों करवा रही है ..वो चाहती तो किसी के साथ भी ऐसा एक्सपीरियंस ले सकती थी ..फिर भी उसने उन्हें ही क्यों चुना ..पर काफी सोचने के बाद भी उन्हें कुछ समझ नहीं आया ..

उन्होंने टाइम देखा ...एक बजने वाला था ..कभी भी कोमल का फ़ोन आ सकता था ..

पर अगले आधे घंटे तक भी उसका फ़ोन नहीं आया तो वो इन्तजार करते -२ ऊँघने लगे ..तभी उनके कमरे के पीछे वाले दरवाजे पर दस्तक हुई ..

उन्होंने दरवाजा खोला तो चकित रह गए ..वहां कोमल खड़ी थी ..उसने बड़े अजीब से कपडे पहने हुए थे ...सलवार कुर्ता ...और ऊपर से एक जेकेट भी .

वो जल्दी से अन्दर आई ..पंडित जी कुछ पूछ पाते इससे पहले ही वो उनके बाथरूम में घुस गयी जैसे उसे जोर से पेशाब लगा हो ..और लगभग पांच मिनट के बाद जब वो बाहर निकली तो उसकी वेशभूषा पूरी बदल चुकी थी ..उसने एक स्किन टाइट ब्लेक जींस पहन ली थी जिसमे उसकी टांगो और गांड के पुरे कटाव दिखाई दे रहे थे ...बाल खोल लिए थे ..और ऊपर उसने ब्लेक कलर की ही टाइट टी शर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उसके गोरे और भरे हुए उभार लगभग पुरे ही दिखाई दे रहे थे .

उसने बड़ी ही अदा से अपने सर के ऊपर हाथ रखा और पंडित जी से बोली : "कैसी लग रही हु पंडित जी मैं ..''

अब येही सवाल पंडित जी के बदले अगर उसने उनके लंड से किया होता तो जवाब कब का मिल चुका होता ..क्योंकि लंड की जुबान नहीं होती ..वो तो बस खड़ा होकर अपनी सहमति प्रकट कर देता है ..

पर यहाँ तो जुबान पंडित जी की गायब हो चुकी थी ..उसने इतनी सेक्सी ड्रेस में लड़की आज तक नहीं देखि थी ..वो धीरे से बोले : "उम्म्म ...ये ..ये सब क्या है ...कोमल ...''

कोमल (घूम कर अपनी पूरी ड्रेस उन्हें दिखाते हुए) : "ये मेरी ड्रेस है ..पंडित जी ..पता है , मैंने लास्ट इयर ली थी , जब मैं दीदी के पास आई थी रहने के लिए ..पर जब घर लेकर आई तो उन्होंने बहुत डांटा था .बोले, मैं ऐसे कपडे नहीं पहन सकती, और गाँव जाकर तो वैसे भी पोस्सीबल नहीं था, इसलिए ये कपडे इस बार भी मैं वापिस ले आई, थोड़े टाईट हो गए है ..पर अभी तक इन्हें पहनने का लालच मेरे अन्दर बना हुआ है ..मैं इन्हें पहन कर बाहर घूमना चाहती हु ...."

पंडित : "और तुम चाहती हो की मैं तुम्हारे साथ चलू ..''

कोमल : "और नहीं तो क्या ...चलिए, आप भी जल्दी से तेयार हो जाओ ..आज मुझे शोपिंग करनी है ..''

पंडित : "पर मुझे एक बात बताओ ....ये सब तुम मुझसे ही क्यों करवा रही हो ...क्या मिल रहा है तुम्हे ..तुम्हारी ऐसी उल जलूल की इच्छाओं की पूर्ति के लिए मैं अपना मान सामान दांव पर नहीं लगा सकता ..यहाँ सब लोग मुझे जानते हैं, मेरी इज्जत करते हैं, उन्होंने मुझे तुम्हारे साथ ऐसे कपडे में देख लिया तो क्या बोलेंगे .. नहीं .. नहीं ..मैं नहीं कर सकता ये सब ...''

कोमल का चेहरा एक दम से उतर गया ..वो रुन्वासी सी होकर बोली : "ये आप क्या कह रहे हैं पंडित जी ...मेरे मन में कोई छल कपट नहीं है ..आप मुझे अच्छे इंसान लगे, इसलिए मैंने अपनी इच्छाओं की पूर्ति के लिए आपको जरिया बनाया ..वर्ना मेरा इरादा आपके सम्मान को ठेस पहुंचाना नहीं था ..और रही बात आपके फायेदे की तो मेरी जैसी हॉट लड़की आपके साथ ये सब कर रही है ..कुछ तो फायेदा मिल रहा होगा आपको , जो आप भी मेरे साथ हमउम्र बनकर मेरा साथ देने चल पड़ते हो ..''

उसकी मासूम सी बात का पंडित जी के पास कोई जवाब नहीं था ..या तो वो बहुत मासूम थी या फिर हद से ज्यादा चालाक, क्योंकि उसकी बातों का पंडित जी पर ऐसा असर हुआ की अगले ही पल वो बोले : "अच्छा, नाराज मत हो तुम ...मैं तो बस ऐसे ही पूछ रहा था ..बोलो ..ऐसी ड्रेस पहन कर कहाँ बिजलियाँ गिराने का इरादा है ..''

कोमल के चेहरे पर एक मुस्कान आ गयी और वो बोली : "बोला न मैंने, शोपिंग के लिए चलना है ..और शोपिंग भी ऐसी वैसी नहीं ..वो वाले कपड़ो की ...''

पंडित जी पहले तो कुछ समझे नहीं ..पर जब कोमल ने अपनी उँगलियों से अपने कंधे पर झाँक रही ब्रा के स्ट्रेप को पकड़कर एक झटका दिया तो उनकी समझ में सब आ गया ..कोमल उन्हें ब्रा-पेंटी खरीदने के लिए ले जाना चाहती थी ..हे भगवान्, ये लड़की के दिमाग में ना जाने कैसे-२ फितूर भरे पड़े हैं ..वो जल्दी से बाथरूम में गए और उन्होंने नकली मूंछ लगा ली ..आज उन्होंने एक शर्ट और पेंट पहनी और सर पर टोपी , और आँखों पर चश्मा ..कल की तरह आज भी वो पहचाने नहीं जा रहे थे .और कल से ज्यादा स्मार्ट ही लग रहे थे वो ..

उनके बाहर आते ही कोमल बोली : "वाव ...पंडित जी ..आज तो आप बड़े कमाल के लग रहे हो ..स्मार्टी ..''

उसने उन्हें छेड़ते हुए एक सीटी भी बजा दी ..पंडित जी उसकी हरकत पर मुस्कुरा दिए ..

उसके बाद दोनों बाहर निकल पड़े ..पुरे रास्ते पंडित जी देखते जा रहे थे की उन्हें कोई पहचान तो नहीं रहा ..एक दो लोग मिले भी उनकी पहचान के पर उनका ध्यान तो कोमल की तरफ था ..जो बड़ी ही अदा से अपनी गांड मटकाते हुए चल रही थी ..और हर आने-जाने वाला उसे ही देखे जा रहा था ..

पंडित जी सोचने लगे की आज तो वो अपने रूप में भी आते, तब भी उनकी तरफ कोई देखने वाला नहीं था ..क्योंकि कोमल को देखने से किसी को फुर्सत ही नहीं थी ..

उन्होंने आगे जाकर एक ऑटो लिया और उसमे बैठकर एक मॉल की तरफ चल दिए ..

अन्दर बैठते ही कोमल की हंसी फुट गयी , वो बोली :"आपने देखा पंडित जी ..सबकी नजरें कैसे घूर रही थी मुझे ...हा हा हा ...मजा आ गया आज तो ..''

खेर, बीस मिनट के बाद जब वो लोग मॉल पहुंचे तो वहां भी यही हाल था ..सभी लोग कोमल को घूर-२ कर देख रहे थे.

पंडित जी ने अपनी टोपी उतार दी थी ..क्योंकि वहां किसी के पहचानने का डर कम ही था ..और वैसे भी उन्होंने मूंछ तो लगा ही रखी थी ..

कुछ देर घूमने के बाद एक बड़ी सी शॉप के बाहर आकर कोमल रुक गयी, वो एक इंटरनेशनल लिंगरी ब्रांड का शोरूम था , ''विक्टोरिया'स सीक्रेट '' जिसके बाहर शो पीस पर छोटी-२ ब्रा पेंटी लगा राखी थी ..जो देखने में ही बड़ी उत्तेजक लग रही थी ..उन्हें पहन कर अगर कोमल उनके सामने आ गयी तो वो उसकी चूत का कीमा बना कर खा जायेंगे ..

कोमल अन्दर घुस गयी और उनके पीछे-२ पंडित जी भी ..

ऐसे किसी माल में और ऐसे शो रूम में आने का पंडित जी का पहला मौका था ..वो तो बस वहां की चमक धमक और सेल्स गर्ल्स को देखकर दंग रह गए ..जिन्होंने टाइट टी शर्ट और शोर्ट स्कर्ट पहनी हुई थी ..जिसमे से उनके जिस्म के कटाव साफ़ दिखाई दे रहे थे ..उनमे से एक लड़की उनके पास आई और बोली : "कहिये सर ...क्या लेंगे आप मेडम के लिए ..''

पंडित : "उम्म्म ....जी वो. ....वो ...''

उन्होंने कोमल की तरफ देखा ..जो उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी ..वो बोली : "जी ..मुझे ब्रा पेंटी का सेट दिखाइए ...लेटेस्ट ...''

वो लड़की मुस्कुरायी और उन्हें अपने साथ चलने को कहा ..और वो उसके साथ चलते हुए एक छोटे से कमरे में पहुँच गए ..जहाँ एक बड़ा सा शीशा लगा हुआ था ..और एक टेबल था बस ..

फिर वो लड़की कुछ बॉक्सेस लेकर आई और उनमे से निकाल कर ब्रा पेंटी कोमल को दिखाने लगी ..कोमल भी बड़ी उत्सुक्तता से सब देख रही थी ..पंडित जी सोच रहे थे की वैसे तो ये गाँव की रहने वाली है पर शोंक इसने अमीरों वाले पाल रखे हैं ..क्योंकि वहां कोई भी ब्रा पेंटी पांच हजार से कम नहीं थी ..इतने में तो दो दर्जन सेट आ जाते हैं ..

कोमल ने तीन जोड़े पसंद कर लिए ..वो लड़की बोली : "मेम .आप ट्राई कर लीजिये ...मैं बाहर ही हु ...''

और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी और दरवाजा बंद कर दिया ..

पंडित जी ने नोट किया की वहां कोई अलग से ट्रायल रूम नहीं था ..उन्होंने कोमल की तरफ देखा और बोले : "तुम पहन कर देखो ..मैं बाहर इन्तजार करता हु ...''

वो जैसे ही जाने लगे, कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया और धीरे से बोली : "नहीं ...आप यहीं रुकिए ...आखिर मेरे लिए आप इतना कर रहे हैं , इतना तो आप देख ही सकते हैं ...''

ओह्ह तेरी ...यानी कोमल उनके सामने नंगी होने के लिए तैयार थी ...वो एकदम से उत्साहित हो उठे ..

पर तभी वो बोली : "आप दूसरी तरफ मुंह कर लो ..और जब मैं पहन लू तो आप बताना, मैं कैसी लग रही हु ...''

पंडित जी का उत्साह एक दम से पानी के बुलबुले की तरह फट गया ..

उन्होंने मन मार कर दूसरी तरफ मुंह कर लिया ..और पीछे से कोमल के कपडे उतारने की आवाजें आने लगी ..

कुछ ही देर में उसकी धीमी सी आवाज आई ..: "अब देखो ...आप ...''

पंडित जी तो बस इसी पल का इन्तजार कर रहे थे ..वो घूमे तो उनका मुंह खुला का खुला रह गया ..
उनके सामने कोमल सिर्फ पेंटी ब्रा में खड़ी थी ..और वो इतनी सेक्सी लग रही थी की पंडित जी अपनी पलके झपकाना भी भूल गए ..


वो उसी अंदाज में इतरा कर बोली : "अब बताइए पंडित जी ..मैं कैसी लग रही हु ...''

पंडित : "सेक्सी ......कमाल की लग रही हो तुम ...''

वो उसके करीब आये और उसके चारों तरफ घूम कर उसके हर अंग को निहारने लगे ...जैसे वो कोई इंसान नहीं पुतला हो ..

उसकी भरी हुई जांघे, पतली कमर ..उभर हुआ सीना ..गोरा रंग ...कमाल की लग रही थी वो ..

कोमल : "ठीक है ...अब ज्यादा आँखे मत सको ...मुंह उधर करो, मुझे ये दूसरी भी पहन कर देखनी है ..''

पंडित जी ने मुंह फिर से दूसरी तरफ कर लिया ...शुक्र है उसने उनके लंड की तरफ नहीं देखा ..वर्ना उसे देखकर पता चल जाता की उनके लंड का क्या हाल हो रहा है ..

और पता नहीं कोमल आज उनके लंड का और कितना बुरा हाल करेगी ..

पंडित जी के मुंह से अपने लिए सेक्सी शब्द सुनकर कोमल का चेहरा शर्म से लाल हो उठा ...वो मन ही मन ख़ुशी से झूम उठी ..गाँव में उसके कपड़ो से ढके शरीर को निहारने के लिए न तो कोई ढंग का लड़का था और न ही वहां का माहोल ऐसा था की वो छोटे कपड़ों में वहां घूम सके और देखने वालों को अपना दीवाना बना सके ..पर जब से वो शहर आई थी , उसके मन में वो सब करने और महसूस करने का जनून सवार हो गया था जिसके बारे में वो और उसकी सहेलियां बातें किया करती थी ..और यहाँ कोई उसे पहचानता भी नहीं था इसलिए वो ये सब बेशर्मी के साथ कर रही थी ..और किसी न किसी को तो अपना सीक्रेट पार्टनर बनाना ही था, और पंडित जी से अच्छा और कौन हो सकता था ..वो अपनी हद में रहकर ही उसकी सारी इच्छाएं पूरी करवाएंगे ..

पर यहाँ शायद कोमल गलत थी ..पंडित जी तो बस सही वक़्त का इन्तजार कर रहे थे ..

पंडित जी की नजरें तो कोमल के शरीर से चिपक सी गयी थी ..उसके सीने के उभार जहाँ से शुरू हो रहे थे, वहां एक लाल रंग का तिल था ..जो अलग से चमक रहा था ..पंडित जी ने मन ही मन निश्चय कर लिया की जल्द ही अपने होंठों के बीच इस तिल को भींच लेंगे ..

कोमल : "अब बस भी करो पंडित जी ...आप ऐसे देख रहे हैं मुझे शर्म आ रही है ...''

उसने अपने पैरों की उँगलियों से जमीन कुरेदते हुए कहा ..

पंडित जी ने जल्दी से अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया .

कोमल : "अब मैं आपको दूसरी वाली पहन कर दिखाती हु ..''

कुछ देर होने के बाद पंडित जी ने पूछा : "घूम जाऊ क्या ....?"

कोमल : "नहीं ...रुको जरा ....ये पहले वाली अभी तक नहीं उतरी ..इसका हुक अटक गया है ...''

पंडित जी बिना कुछ बोले उसकी तरफ घूम गए ..कोमल का चेहरा दूसरी तरफ था ..और उसके दोनों हाथ अपनी पीठ पर लगे हुए हुक को खोलने में जुटे थे ..पर वो खुल ही नहीं पा रहे थे ..

पंडित जी धीरे से आगे आये ..और कोमल के पीछे जाकर खड़े हो गए ..कोमल का चेहरा नीचे था और वो बड़ी संजीदगी से हुक खोलने में लगी थी, उसे पंडित जी के पीछे खड़े होने का एहसास भी नहीं हुआ ..और अचानक पंडित जी के हाथ ऊपर आये और उन्होंने कोमल के हाथों को पकड़ लिया ..कोमल का पूरा शरीर बर्फ जैसा ठंडा हो गया ..उसने नजरें ऊपर की तो सामने लगे शीशे में पंडित जी का चेहरा अपने कंधे के पीछे दिखा और दोनों की नजरें चार हुई ..कोई कुछ न बोला ..

और धीरे -२ पंडित जी ने कोमल के दोनों हाथों को पकड़कर नीचे कर दिया ...और खुद और करीब होकर उसकी पीठ से चिपक कर खड़े हो गए और सर झुका कर धीरे से उसके कान में बोले : "मैं खोल देता हु. ...''

कोमल बेचारी कुछ भी बोलने की हालत में नहीं थी ..उसके लगभग नग्न शरीर को छूने वाला वो पहला व्यक्ति था ..उसके पुरे शरीर में चींटियाँ सी रेंग रही थी ..उसके दिल की धड़कन धोंकनी की तरह से चल रही थी ..

पंडित जी की अनुभवी उँगलियों ने ब्रा के क्लिप को अपने हाथ में पकड़ा और खींचा पर वो खुली नहीं ..उन्होंने नीचे झुक कर देखा तो पाया की वहां तीन हुक लगी हुई थी ..जिसमे से एक हुक अन्दर की तरफ मुड़ गयी थी इसलिए वो खुल नहीं रही थी ..उन्होंने अपनी ऊँगली के नाख़ून से उसे सीधा करने की कोशिश की पर कोई फायेदा नहीं हुआ ..वहां कोई पेनी चीज भी नहीं थी जिसकी मदद से वो हुक को सीधा कर पाते ..

उन्होंने कोमल से कहा : "ओहो ...यहाँ तो हुक अन्दर की तरफ मुड़ गया है ..इसे सीधा करने के लिए कोई नुकीली चीज चाहिए ...रुको ...मैं एक कोशिश करता हु ..''

इतना कहकर उन्होंने अपना चेहरा नीचे किया और हुक को पकड़कर अपने मुंह में ले गए और उसे अपने पैने दांत के बीच फंसाकर उसे सीधा करने लगे ..

कोमल का पूरा शरीर एक दम से ऐंठ गया ...क्योंकि पंडित जी के गीले होंठों ने उसकी पीठ को छु लिया था ..

और ये सब पंडित जी ने जान बूझकर किया था ..उन्होंने बिना किसी चेतावनी के उसकी ब्रा के स्ट्रेप को अपने मुंह में डाल लिया था और अपने होंठों को गीला करके उन्हें उसकी पीठ से भी छुआ दिया था ..

और उसकी पीठ के मखमली एहसास को अपने होंठों पर महसूस करके पंडित जी का लोड़ा टनटना उठा ..

एक मिनट तक कोमल की ब्रा के स्ट्रेप को अपने मुंह में चुभलाने के बाद आखिर उन्होंने हुक को सीधा कर ही दिया ..पंडित जी की ये कलाकारी देखकर कोमल बोली : "वाह पंडित जी ...बड़ी ट्रिक्स आती है आपको ..''

पंडित जी मुस्कुरा दिए ..और कुछ न बोले ...और उन्होंने ब्रा के स्ट्रेप को एकदम से खोल दिया और दोनों तरफ के स्ट्रेप झटके से आगे की तरफ गए, अगर कोमल ने सही वक़्त पर हाथ लगा कर ब्रा को रोक न लिया होता तो वो छिटक कर दूर जा गिरती और पंडित जी की आँखों की अच्छी खासी सिकाई हो चुकी होती ..

कोमल ने गुलाबी आँखों को तरेर कर हँसते हुए पंडित जी से कहा : "आप तो बड़े बदमाश हो पंडित जी ...चलो अब घूम जाओ ..मुझे दूसरी पहन कर दिखानी है आपको ..''

पंडित जी वापिस अपनी पोसिशन में आ गए ..

कुछ ही देर में कोमल की आवाज आई ..: "अब देखिये ...''

पंडित जी घूमे तो उनके दिल की धड़कन रूकती हुई सी महसूस हुई ..

कोमल ने सिंगल पीस बिकनी पहनी हुई थी ...सिल्वर कलर की ..जिसमे से उसके सोने जैसा बदन झाँक रहा था ..मोटी और भरवां टांगें ...मोटी गांड ...आधी नंगी छातियाँ ...वो देखने में किसी सेक्स बम जैसी लग रही थी ..

कोमल (इतराते हुए) : "क्या हुआ पंडित जी ...बोलती क्यों बंद हो गयी आपकी ..बताइए न ..कैसी लगी ये वाली ...''

पंडित जी की नजरें तो उसके बदन की फोटोकॉपी करने में लगी हुई थी ..जिसे वो अपने जहन में हमेशा के लिए बसाकर रखना चाहते थे ..

वो आगे आये और कोमल के पास आकर खड़े हो गए ..कोमल की साँसे फिर से तेज हो गयी .

पंडित जी के हाथ धीरे से ऊपर उठे और वो कोमल के मोटे - २ मुम्मों की तरफ बड़े ..

कोमल की तो हालत ही खराब हो गयी ..उसकी समझ में नहीं आ रहा था की ये अचानक पंडित जी को हुआ क्या है ..वो ऐसा क्यों कर रहे हैं ..

पंडित जी के हाथ उसके मुम्मों के ऊपर की तरफ आये और वहां से नीचे आ रही ब्रा के कपडे को उन्होंने सीधा किया और बोले : "ये यहाँ से कपडा सीधा नहीं था ...अब ठीक है ...''

पंडित जी ने बड़ी चतुराई से उसके उरोजों की नरमाहट अपनी उँगलियों से महसूस कर ली थी ..जिसे छुकर उन्हें लगा की उनकी उँगलियाँ ही झुलस जायेंगी ..इतनी गर्माहट थी उन तोप के गोलों में ..

पंडित जी ने सोच लिया की कोमल इतनी बेशर्मी से उन्हें अपने जलवे दिखा कर उन्हें सता रही है ..वो भी अब अपनी शर्म छोड़कर मैदान में कूद पड़े ..उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और कोमल से बोले ..

पंडित : "कोमल ...पता नहीं मुझे ये कहना चाहिए या नहीं ..पर तुम्हे ऐसे देखकर मुझे कुछ हो रहा है ..''

कोमल (अनजान सी बनती हुई) : "क्या हो रहा है पंडित जी .."

पंडित : "मैं तो क्या ...कोई भी इंसान तुम जैसी खूबसूरत लड़की को ऐसी हालत में देखकर अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पायेगा ..और मुझसे भी नियंत्रण नहीं हो पा रहा है ..''

कोमल (मन ही मन मुस्कुरायी ) : "क्या करने का मन कर रहा है आपका, पंडित जी .. "

पंडित : "वो ....वो ....तुम्हे छूने का मन कर रहा है ...''

इतना सुनते ही कोमल की ऊपर की सांस ऊपर और नीचे की सांस नीचे रह गयी ..उसकी समझ में नहीं आया की वो क्या बोले ..पंडित जी ने उसकी इतनी मदद की थी की वो उन्हें मना कर भी नहीं सकती थी ..और उनसे उसे अभी और भी दुसरे काम थे ...

कोमल : "ये ...ये ...आप क्या बोल रहे है ...पंडित जी ...मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ...''

पंडित जी आगे आये और बोले : "तुम सब समझ रही हो कोमल ...मैं क्या बोल रहा हु ...देखो ...तुमने मेरा क्या हाल कर दिया है ..''

उन्होंने अपने आखिरी वार किया और अपने खड़े हुए लंड की तरफ इशारा किया जिसने पेंट में टेंट बनाया हुआ था ..

कोमल तो मंत्र्मुघ्ध सी होकर देखती ही रह गयी ...

पंडित जी को अब तक इतना तो पता चल ही चुका था की उसने आज तक किसी का लंड नहीं देखा है ..और लंड देखने की इच्छा हर जवान लड़की को होती है ..

पादित : "तुमने मुझे जो भी कहा ...मैंने किया ...अब मुझसे नहीं रहा जा रहा ..मुझे तुम्हे छुना है बस ...''

पंडित जी ने इस बार अपनी रणनिति बदल दी थी ...पहले वो हर लड़की को उस हद तक ले जाते थे जहाँ वो खुद उनके सामने अपने घुटने टेक देती थी ..पर कोमल के मामले में पंडित जी ने सोचा की अगर ये ऐसे ही उन्हें तरसाती रही तो उनकी सारी प्लानिंग धरी की धरी रह जायेगी ..इसलिए उन्होंने इस बार खुद ही पहल करने की सोची ..

कोमल कुछ नहीं बोल पा रही थी ..वो तो बस पंडित जी के शेर को घूरने में लगी हुई थी ..

पंडित जी ने उसकी मौन स्वीकृति समझी और आगे आकर अपने हाथ सीधा उसकी कमर पर रख दिए ..

वो कुछ समझ पाती , इससे पहले ही उन्होंने उसे अपनी तरफ खींचा और अपने गले से लगा कर जोर से भींच लिया ...उसके दशहरी आम पंडित जी के चोड़े सीने से पिचक गए ..

कोमल के मुंह से एक मीठी सी सिसकारी निकल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म्म .....''

पंडित जी ने अपने हाथ उसके पुरे शरीर पर घुमाने शुरू कर दिए ..

उसके जिस्म की खुशबू पंडित जी को पागल कर रही थी ..वो अपने हाथों से उसकी नंगी पीठ को नोच से रहे थे ..और जैसे ही उन्होंने उसके नितम्बो को पकड़ कर अपनी उँगलियों से भींचा ..कोमल के मुंह से एक चीख सी निकली और उसने अपनी चूत वाला हिस्सा पंडित जी की खड़ी हुई तोप से सटा दिया ....

पंडित जी को ऐसा लगा की जैसे कोई जलता हुआ कोयला उनके लंड पर रख दिया हो कोमल ने ...

पंडित जी के हाथ जैसे ही आगे की तरफ आकर उसके उरोजों पर फिसले , वो छिटक कर दूर हो गयी ...

और गहरी साँसे लेते हुए बोली : "बस .....बस .....और नहीं ....बस ....अब चलो ....यहाँ से ...''

वो जैसे नींद से जागी थी ...

पंडित जी खुद को कोसने लगे की उन्होंने शायद जल्दबाजी कर दी है ...और अपने आप को बुरा भला कहते हुए वो कमरे से बाहर निकल आये ..

कुछ ही देर में कोमल भी आ गयी ..उसने एक सेट ले लिया था ...पर वो तीसरा वाला था, जिसे पंडित जी ने देखा भी नहीं था ..कोमल ने उसके पैसे दिए और बाहर निकल आई ..

पंडित जी भी बाहर आ गए ..

उसके बाद दोनों में कोई बात नहीं हुई ..और दोनों घर की तरफ चल दिए .

पर जाते हुए कोमल ने अगले दिन फिर से मिलने का वादा जरुर किया ..पंडित जी की सांस में सांस आई की चलो अच्छा है, इसने उतना भी बुरा नहीं माना जितना वो सोच रहे थे .

शाम को घर पहुंचकर पंडित जी नहाये और पूजा अर्चना करके वो मंदिर के बरामदे में उगे एक पेड़ के नीचे जाकर बैठ गए ..उन्हें आज अपने आप पर बहुत गुस्सा आ रहा था ..वो मन ही मन अपने आपको कोस रहे थे की आखिर उन्हें हुआ क्या था ..जो वो अपने आप पर कण्ट्रोल नहीं रख पाए ..

तभी पीछे से एक आवाज आई ...''पंडित जी ...ओ पंडित जी ..''

वो शीला थी ..जो शायद उन्हें ढूंढते -२ वहां पहुँच गयी थी ..

शीला : "अरे पंडित जी ..आप यहाँ क्यों बैठे है ..मैं आपको अन्दर ढूंढ रही थी ..''

पंडित जी (गुस्से में ) : "क्यों......किसलिए .. ढूंढ रही थी ...''

पंडित जी उसकी छोटी बहन कोमल का गुस्सा उसके ऊपर उतार रहे थे ..

पंडित जी के मुंह से ऐसी गुस्से से भरी बात सुनने का शायद शीला को भी अंदाजा नहीं था ..वो हकलाते हुए बोली : "वो तो मैं ...बस ..आपके लिए ...ये ....पकोड़े लायी थी ...घर पर बनाये थे ..तो सोचा आपके लिए ....लेती चलू ..''

उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ..ये सब बोलते हुए ..

पंडित जी एक झटके से उठे और उन्होंने जाकर शीला के हाथो में पकड़ा बर्तन ले लिया और उसे अपने साथ बिठाया और बोले : "मुझे माफ़ कर दो शीला ....मैं किसी और बात को सोचकर परेशान था, जिसका गुस्सा तुमपर उतार दिया ..''

शीला सुबकते हुए बोली : "कक ..कोई बात नहीं ..मैं तो बस ...यु ही ...''

पंडित जी ने पकोड़े खाने शुरू कर दिए ..ताकि शीला को ज्यादा रोने का मौका न मिले ..

पंडित : "वाह ...ये तो बहुत स्वाद है। ...''

उन्होंने शीला को भी खाने के लिए बोला पर उसने मना कर दिया ...

शीला : "वो ..पंडित जी ...आपसे एक बात करनी थी ...''

पकोड़े खाते हुए पंडित जी बोले : "किस बारे में ....''

शीला : "जी ..वो ....कोमल के बारे में ..''

पंडित जी खाते -२ रुक गए ...उन्हें लगा की कही शीला को उन दोनों के बारे में पता तो नहीं चल गया है ...या फिर कोमल ने घर जाकर कुछ बोल तो नहीं दिया उनके बारे में ...

वो शीला की तरफ देखकर बोले : "कोमल के बारे में क्या बात ....''

शीला ने सर झुका लिया और बोली : "आप तो जानते है मैंने उसे दुनिया की हर बुरी चीज से बचा कर रखा है ...इसलिए उस दिन आपको भी मैंने बुरा भला बोल दिया था ..पर ...पर ...मुझे एक दो दिन से शक सा हो रहा है उसपर की वो किसी से मिलती है बाहर जाकर ...''

पंडित जी की दिल की धड़कन बंद सी होने लगी ये बात सुनकर ..वो बोले : "तुम ये सब कैसे कह सकती हो ...''

शीला : "वो दो दिनों से कुछ ज्यादा ही खुश दिख रही है ..हर समय गुनगुनाती रहती है ..कोई न कोई बहाना बनाकर बाहर भी चली जाती है ...और आज जब वो घर आई तो उसके बेग से ...मुझे ...दो मूवी टिकेट ...और ...और ...एक महंगी ब्रा पेंटी का सेट भी मिला ...''

इसकी माँ की चूत ...साली ने कल की टिकेट अभी तक संभाल कर रखी हुई है बेग में ...जैसे उसका रिफंड मिलेगा उसको ...साली ....चुतिया ...

पंडित : "को ...कौन सी मूवी ...''

शीला : "वो मैंने देखा नहीं ...पर क्या फर्क पड़ता है ...कोई तो था उसके साथ जो उसे मूवी भी दिखा लाया और इतनी महंगी ब्रा पेंटी भी दिलाकर लाया ...''

अब पंडित जी बेचारे उसे क्या बोलते की कोई और नहीं वो खुद थे उसके साथ ...और ब्रा पेंटी तो उसने खुद के पैसो से खरीदे हैं ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था शीला के गुस्से में झुलसना, , इसलिए वो चुप रहे ..

शीला : "पंडित जी ...मैं जानती हु की आप सोच रहे होंगे की मैं ये आपको किसलिए बोल रही हु ...दरअसल ..उसने आज आते ही बताया की उसे कल फिर से एक इंस्टिट्यूट जाना है ...और मुझे पक्का विशवास है की कल भी वो उस लड़के से जरुर मिलेगी ...मुझे तो वो साथ नहीं ले जा सकती ...इसलिए ..अगर ...अगर ..आप उसके साथ कल चले जाओ तो ...मैं आपका ये एहसान जिन्दगी भर नहीं भूलूंगी ...''

पंडित : "अच्छा ....तो ये बात है ...तभी ये पकोड़े बनाकर लायी थी तुम ..मुझसे अपनी बात मनवाने के लिए ...है न ...''

पंडित जी ने उसकी टांग खींचने के मकसद से कहा ..

शीला : "न ....नहीं पंडित जी ...ऐसा मत सोचिये ...मैं जानती हु की मैंने ही आपको उससे दूर रहने के लिए कहा था ...पर देखिये न ..कोई और आकर मेरी प्यारी गुडिया की जिन्दगी से ऐसे खेल रहा है ...वो बच्ची है अभी ..उसे यहाँ के लोगो के बारे में कुछ भी नहीं मालुम ..आप साथ रहेंगे तो मुझे भी आश्वासन रहेगा ..प्लीस ..पंडित जी ...''

पंडित जी के मन में तो लड्डू से फुट रहे थे ..वो तो वैसे भी कोमल के साथ जाना चाहते थे ...उसकी सारी इच्छाएं जो पूरी करनी थी उन्हें ....

पंडित जी (अकड़ के साथ) : "पर इन सबमे मुझे क्या मिलेगा ...''

शीला : "मैं हु न उसके लिए ...आप जो कहोगे मैं करुँगी ...आपकी गुलाम बनकर रहूंगी ..''

पंडित जी ने भी चतुराई से काम लिया और बोले : "तुम्हारी बहन सच में बहुत सुन्दर है ..और इसमें कोई शक नहीं है की जब मैंने उसे देखा था तो मेरे मन में भी उसे ...चोदने का ख़याल आया था ..''

शीला फटी हुई आँखों से पंडित जी को देखने लगी ..

पंडित : "पर तुम्हारे कहने पर मैंने वो इरादा बदल दिया था ..और अब तुम चाहती हो की मैं उसके साथ रहू ..और फिर भी मेरे मन में उसके लिए वैसे विचार ना आये ...तो तुम्हे मेरे सामने कोमल बनकर रहना होगा ..मतलब, मैं तुम्हारे साथ जो भी करूँगा वो कोमल समझकर और तुम भी मेरे सामने अपने आपको कोमल बुलाओगी ..बोलो मंजूर है ...''

शीला ने कुछ देर तक सोचा ..और धीरे से बोली : "ठीक है ...मुझे कोई आपत्ति नहीं है इसमें ..''

पंडित : "चलो ..मेरे कमरे में जाओ ..और सारे कपडे उतारकर मेरी प्रतीक्षा करो ...मैं अभी आता हु बस ..कोमल''

कोमल नाम लेते हुए पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर दिया ...

शीला ने उनकी बात मान ली और उठकर उनके कमरे की तरफ चल दी ..

पंडित जी भी पांच मिनट के बाद अन्दर की तरफ चल दिए ..

और उनकी आशा के अनुरूप वहां शीला बैठी थी ...जमीन पर ...पूरी नंगी ..


पंडित जी उसके सामने जाकर खड़े हो गए ..और बोले : "कोमल ...चल चूस मेरा लंड ...''

कोमल उर्फ़ शीला ने बिना किसी परेशानी के पंडित जी के लंड को अपने मुंह में धकेला और चूसने लगी ..

पंडित जी : "साली ...तू फिर से शीला बन गयी ...पता है न तू कोमल है ...जिसने आज तक कोई लंड नहीं देखा ...तू तो ऐसे चूसने लग गयी जैसे बचपन से चूसती आई है ..''

शीला को अपनी गलती का एहसास हुआ ...उसने खुद को मन ही मन कोमल के जैसा अबोध और नादान सोचा और फिर पंडित जी के लंड को पकड़कर धीरे से मुंह में डाला ...और हलके से काट लिया ...

पंडित जी दर्द से बिलबिला उठे ...''अह्ह्ह्ह्ह ....सास्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स लिईईईईइ … ....काटती है ...''

शीला : "ओहो ....माफ़ करना ...मुझे पता नहीं है न ..की कैसे चूसते हैं ...''

वो कोमल के केरेक्टर में घुस चुकी थी ..

पंडित जी : "चल ...अब ज्यादा नाटक मत कर ....जोर-२ से चूस इसे ...रंडी की तरह ... ''
पंडित जी की परमिशन मिलते ही उसने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनके लंड को पागल कुतिया की तरह नोचने - खसोटने लगी, अपने मुंह से ...


"अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......मेरी जान .....उम्म्म्म्म्म ...धीरे .....चूस .... ....मेरी रानी .....कोमल .....''

उनकी आँखे बंद थी ...दिमाग में कोमल घूम रही थी ...और वो भी लंड चूसती हुई ...और उनके मुंह से भी उसका ही नाम निकल रहा था ..और सामने लंड चूसने वाली कोई और नहीं शीला थी, कोमल की बड़ी बहन ...ये सब करिश्मा पंडित जी ही कर सकते हैं बस ..

अब पंडित जी के लंड की पिचकारियाँ जल्द ही निकलने वाली थी ...उन्होंने शीला को उठाकर बिस्तर पर पटका और बोले : "अब मैं तुझे चोदुंगा .....और तू चीखेगी भी ऐसे , जैसे पहली बार चुदने पर चीखी थी तू ..''

शीला की हालत तो बस ऐसी थी की उसकी गीली चूत में लंड आ जाए ...उसने हाँ में सर हिलाया ..और अपनी टाँगे फेला दी और उन्हें ऊपर करके अपने हाथों से बाँध लिया ......अपने मालिक के लिए ..
पंडित जी आगे आये और उन्होंने अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चूत पर रखा और एक जोरदार पंजाबी झटके के साथ उन्होंने अपना पूरा लंड अन्दर पेल दिया ...

''आआयीईईई .......मर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र .....गयी ......रे .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ..........पंडित जी ........चोद डाला ......आपने कोमल को ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म .....दर्द हो रहा है ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''

उसे तो मजा आ रहा था ...ये सब तो वो बस पंडित जी को खुश करने के लिए बोल रही थी ...ताकि वो उसकी जमकर चुदाई करे ...

और पंडित जी ने किया भी वैसे ही ...उन्होंने उसकी चूत का ऐसा बेंड बजाया ...ऐसा बंद बजाया ...की उसकी चूत का पानी बूंदों की किश्तों के रूप में बाहर की तरफ निकलने लगा ...


''अह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ....ओफ्फ्फ प…. ....पंडित जी .......आपने तो ....अह्ह्ह्ह ...फाड़ डाली .....अह्ह्ह ...मेरी कच्ची चूत .....अह्ह्ह .....पर .....अह्ह्ह ....मजा ....आ रहा है .....अह्ह्ह ....''

पंडित जी : "मैंने कहा था न कोमल ....मजा आएगा ....मेरा लंड है ही ऐसा ......तू पता नहीं किसके साथ घूमती है ...कैसा होगा वो ...असली मजा लेना है तो ...मेरे लंड से ही चुदियो ....समझी .....''

पंडित जी ने बातों ही बातों में अपनी मन की बात शीला को बता दी ...और शीला भी शायद समझ गयी थी पंडित जी के कहने का क्या मतलब है ...पर चुदाई के खुमार में वो ऐसी डूबी हुई थी की वो कुछ बोल ही नहीं पा रही थी ...

और एक जोरदार झटके के साथ ...शीला की चूत में से एक ज्वालामुखी फट पड़ा ....

और रास्ते में आ रहे लंड को बाहर धकेलता हुआ फुव्वारे के रूप में बाहर उछला ...

'अह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ......मैं तो गयी ............अह्ह्ह्ह्ह ......गयी आपकी कोमल .....''

पंडित जी ने एक दो झटके और मारे तो उन्हें भी लगने लगा की वो भी झड़ने वाले है ...उन्होंने अपना लंड बाहर निकाल और एक झटके से शीला को पलटकर उल्टा कर दिया ...और अपने लंड को मसलकर जोरदार पिचकारियाँ मारी और अपने रस से उसकी गांड के ग्लोब को ढक दिया ...

शीला बेचारी गहरी साँसे लेती हुई अपने आप पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी ...

कुछ ही देर में शीला वहां से चली गयी ...कल के लिए उसने बोल दिया था की वो कोमल को उनके पास ही भेज देगी ..

पंडित जी मन ही मन बहुत खुश थे ...अब वो थोडा आराम करना चाहते थे ...

क्योंकि रात को …

वादे के मुताबीक ....

रितु आने वाली थी ...

अपनी माँ माधवी को लेकर ...

और उन दोनों को एकसाथ चोदने की इच्छा पंडित जी के मन में ना जाने कब से थी ..

शाम को पंडित जी ने खाना जल्दी खा लिया ..बादाम वाला दूध भी पी लिया, जिसकी उन्हें आजकल कुछ ज्यादा ही जरुरत महसूस हो रही थी ..और पुरे आठ बजे उनके घर का दरवाजा खडका ..उन्होंने जल्दी से जाकर दरवाजा खोल दिया ..

सामने रितु खड़ी थी ..उसके चेहरे की मुस्कराहट और चमक बता रही थी की वो आज कितनी खुश है ..

और उसके पीछे शरमा कर खड़ी हुई माधवी को देखकर पंडित जी का लोड़ा एकदम से टन्ना गया ..उसके चेहरे की लालिमा बता रही थी की वो कितना असहज महसूस कर रही है अपनी बेटी के साथ आकर ..

दोनों अन्दर आ गयी और पंडित जी ने दरवाजा बंद कर दिया ..

हमेशा की तरह पंडित जी ने धोती और कुरता पहना हुआ था ..रितु ने टी शर्ट और पायजामा और माधवी ने सलवार सूट ..

माधवी सीधा जाकर पंडित जी के बेड पर बैठ गयी .

रितु : "ये क्या माँ ..जब से हम घर से निकले हैं, आप तो ऐसे शरमा रहे हो जैसे पहली बार कर रहे हो ये सब ...''

माधवी कुछ ना बोली

रितु : "देखो माँ ..आप अगर ऐसे ही शर्माते रहोगे तो वो कैसे करोगी जो करने आई हो ..ओफ्फो ..आपको ऐसे बैठना है तो बैठो ..मुझसे तो रहा नहीं जा रहा अब ..''

इतना कहते ही वो पंडित जी पर ऐसे झपटी जैसे कोई लोमड़ी अपने शिकार पर झपटती है ..उसने पंडित जी को अपनी बाहों में दबोचा और उन्हें लेकर बेड पर गिर पड़ी ..जहाँ उसकी माँ पहले से सकुचाई सी बैठी थी ..

पंडित जी ने भी अपने आप को रितु के जज्बातों के हवाले कर दिया ..और उसकी उत्तेजना का मजा लेने लगे ..

रितु ने पंडित जी के लंड वाले हिस्से पर अपनी गरम चूत को लगाया और उसे जोर से दबा कर उसकी कठोरता का एहसास अपनी चूत पर लेते हुए एक जोरदार सिसकारी मारकर अपने होंठो से पंडित जी के होंठों को दबोच लिया ..और उन्हें बुरी तरह से चूसने लगी ..

''उम्म्म्म्म्म्म ......पुच्च्छ्ह्ह्ह्ह्ह ....मुच्च्छ्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....''

रितु आज कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी ..वो तो पंडित जी को खा जाने वाले मूड से आई थी आज ..

पंडित जी की नजरें बेड पर बैठी हुई माधवी की तरफ थी ..जो कनखियों से अपनी बेटी को बेशर्मी से पंडित जी का रस पीते हुए देख रही थी ..माधवी के गुलाबी होंठ फड़क रहे थे ..उसके मुंह में भी पानी आ रहा था ..पर शायद किसी चीज ने रोक हुआ था उसके अन्दर की जानवर को .

पर पंडित जी को मालुम था की ऐसे तूफ़ान को ज्यादा देर तक अपने अन्दर संभाल कर रखना संभव नहीं है ..वो कहते है ना .. खाने और सेक्स में शरम करोगे तो नुक्सान अपना ही है ..

रितु ने अपने कपडे उतारने शुरू कर दिए ..और एक मिनट के अन्दर ही वो पूरी नंगी थी ..उसने पंडित जी को भी नंगा करने में ज्यादा देर नहीं लगायी ..

और जैसे ही उसकी आँखों के सामने पंडित जी का खड़ा हुआ लंड आया ..वो प्यासी छिपकली की तरह अपनी जीभ लपलपाती हुई उनके लंड के ऊपर आई और उसे अपने मुंह में धकेल दिया ..

और उनके लंड को लोलीपोप की तरह चूसते हुए उसका रस पीने लगी .

अपनी माँ की तरफ देखा तो पाया की वो अब भी ललचाई हुई नजरों से उन दोनों को ही देख रही है ..

रितु ने लंड बाहर निकाला और माधवी से बोली : "माँ ..तुम यहाँ क्या ऐसे ही बैठने के लिए आई हो ...''

माधवी : "तू कर ले ...मैं बाद में करती हु ...''

उसने कह तो दिया था ..पर पंडित जी जानते थे की ऐसी हालत में काबू पाकर रखना ज्यादा देर तक मुमकिन नहीं है ..

उनके दिमाग में एक आईडिया आया ..माधवी को ललचाने का ..उसे ऐसे -२ सीन देखाए जाए जिन्हें देखकर माधवी अपने आप पर काबू न रख पाए और कूद पड़े बीच में ही ..

उन्होंने रितु को बेड के ऊपर खींचा और खुद नीचे टाँगे लटका कर बैठ गए ..और खड़ी हुई रितु की चूत को अपने मुंह के सामने रखकर अपना मुंह वहां लगा दिया और उसके शरीर के लचीलेपन से तो वो वाकिफ थे ही ..उन्होंने धीरे - २ रितु के ऊपर वाले हिस्से को पीछे करके पूरा झुका दिया ..और अपना खड़ा हुआ लंड उसके घूम कर उल्टा हुए मुंह के अन्दर ड़ाल दिया ..

बड़ा ही अजीब आसन बना वो ..पर दोनों को मजा काफी आ रहा था इसमें ..

रितु की चूत की फांके संतरे की तरह फेल कर बाहर निकल रही थी जिनपर लगा हुआ रस पंडित जी अपनी जीभ से किसी कुत्ते की तरह चाट कर साफ़ कर रहे थे .

उसी तरह उनका खड़ा हुआ लंड रितु के मुंह के अन्दर तक घुस रहा था, कारण था उसका एंगल , क्योंकि पंडित जी का लंड मुड़ा हुआ था बीच में से ..

दोनों को ऐसी हालत में देखकर माधवी की चूत की टंकी ऐसे बहने लगी जैसे वहां से कोई ढक्कन हटा दिया हो ..

उसके हाथ अपने आप रेंगने लगे अपनी चूत के ऊपर ..पंडित जी समझ गए की अब यही वक़्त है ..उन्होंने रितु को अपने चुंगल से आजाद किया और उसके कान में कुछ कहा ..

उसके बाद दोनों ने माधवी को खड़ा किया और पीछे से रितु और आगे से पंडित जी ने उसको अपनी बाहों में जकड लिया ..

रितु ने माधवी के कान में कहा : "माँ ...अब देखना ..आपके साथ क्या होता है ..''

इतना कहते ही रितु ने अपनी माँ की कमीज पकड़कर ऊपर उठा दी ..माधवी ने भी अपने हाथ ऊपर किये और कमीज निकाल दी ..और जैसे ही उसकी गोरी चूचियां सामने आई, पंडित जी ने लपक कर अपना मुंह उसकी गुदाज छातियों पर दे मारा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....''

उसने पंडित जी का सर अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..

पीछे से रितु ने अपनी माँ की ब्रा खोल दी ..और अपने हाथ आगे करके उसकी छातियों को अपने हाथों में पकड़ लिया ..

ये पहला मौका था जब रितु ने अपनी माँ की ब्रैस्ट को पकड़ा था ..वो इतनी बड़ी और मुलायम थी की उसे खुद अपनी माँ से इश्र्या होने लगी ..

उसने अपने हाथों में दोनों थन पकड़कर पंडित जी के मुंह के आगे परोस दिए ..जिसे पंडित जी ने ख़ुशी -२ ग्रहण कर लिया ..

माधवी चिहुंक उठी ...

''आउय्य्यीईईइ .........धीरे .....काटो मत .......चूसऒऒऒओ ......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''

पर पंडित जी अब कहाँ मानने वाले थे ..उन्होंने माधवी के चिकन मोमोज को इतनी बुरी तरह से झंझोड़ा की उसने पंडित जी के मुंह को अपनी छातियों पर जोर से भींच कर वहीँ दबा दिया ..ताकि वो अपने दांतों से उनकी दुर्गति ना कर पाए ..

इसी बीच रितु ने माधवी की सलवार का नाड़ा खोलकर उसे नीचे गिरा दिया ..नीचे उसने हमेशा की तरह कच्छी नहीं पहनी हुई थी ..

रितु ने अपने हाथ की तीन उँगलियाँ एक साथ आगे लेजाकर अपनी माँ की चूत में डाल दी ..और पीछे से अपने होंठों को उनकी गर्दन पर रखकर वहां चूसने लगी ..

''अय्य्य्य्य्य्य्य्य्य ........उम्म्म्म्म्म्म्म ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ..... ''

इतना मजा तो उसे आज तक नहीं आया था ..एक साथ चार हाथ और दो -२ होंठों के प्रहार से उसका शरीर कांपने सा लगा ...

और वो झड गयी ...थोड़ी देर के लिए ही सही, पर वो शांत हो गयी थी ..

रितु के हाथ में अपनी माँ की चूत से निकला अमृत आया और उसने उसे पी लिया ..

अब उसकी चूत में भी खुजली हो रही थी ..
माधवी को थोडा टाइम लगना था फिर से चार्ज होने में, इसलिए रितु ने उन्हें सोफे पर बिठा दिया ..और खुद जाकर बेड पर लेट गयी ..पंडित जी को पता था की अब क्या करना है ..

वो जाकर रितु के साईड में लेट गए ..और उसकी टांग को उठा कर अपना पपलू वहां फिट कर दिया ..और उसकी आँखों में देखकर एक कसक से भरा झटका अन्दर की तरफ मारा ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........ओम्म्म्म्म्म्म्म ......पंडित ......जी ......स्स्स्स्स्स ......मार ही डालोगे .....उम्म्म्म ...''

रितु की गर्दन को उन्होंने बुरी तरह से पकड़ा हुआ था ..और उसके हिलते हुए मुम्मों पर उनकी पकड़ ऐसी थी मानो गोंद से चिपका दिए हो उनके हाथ वहां पर ..

रितु : "अह्ह्ह्ह .....ओह्ह्ह ......अब बोलो ........किसके साथ ज्यादा मजा आता है .....उम्म्म्म .....बोलो ....मम्मी ....के साथ .....या ....मेरे ....साथ ....''

ओ तेरी .....ये कैसा सवाल पूछ रही है ये ....और वो भी अपनी माँ के सामने ...

रितु : "बोलो ....अह्ह्ह्ह ......किसकी .....चूत मारने में ज्यादा मजा आता है ...उम्म्म्म ...ओफ्फ्फ ....ओफ्फ्फ ....अह्ह्ह्ह ....बोलो ना ...मेरे राजा ....''

वो पंडित जी को ललचा रही थी ...उसके अन्दर शायद कुछ चल रहा था और वो उसका जवाब चाहती थी ...शायद वो जानना चाहती थी की उसके होते हुए अब तक आखिर पंडित जी उसकी माँ के भी पीछे क्यों पड़े हैं ..पर उस बेचारी को कौन समझाए की औरत की उम्र में साथ उसकी सेक्स करने की पॉवर में भी बढोतरी होती चली जाती है ..बशर्ते उसका मन हो वो सब करने में ..एक्सपीरियंस वाली औरत जो मजा दे सकती है, वो आजकल में चुदना सीखी लड़कियां क्या देंगी ..पर अभी कुछ बोलने का मतलब था एक को नाराज करना और पंडित जी ऐसा हरगिज नहीं चाहते थे ..

वो बोले : "तुम दोनों ....अहह ....अपनी-२ जगह पर ज्यादा मजे देती हो ......उम्म्म .....दोनों को ...अ ह्ह्ह्ह्ह ....एक साथ करूँगा ....तब बताऊंगा ....अभी तो तू ऊपर आ मेरे ...''

और इतना कहते हुए उन्होंने उसको अपने ऊपर खींच लिया और वो भी उनके लंड के सिंहासन पर विराजमान होकर हिचकोले खाने लगी ..

उनके लंड को अन्दर तक महसूस करते हुए , उनकी आँखों में आँखे डालकर रितु ने कहा : "जो भी हो पंडित जी ...आप मजे बड़े सही देते हो ....उम्म्म्म ....मन करता है ...सारा दिन .....आपके लंड के ऊपर ही बैठी रहू ...बस ...मम्मी ना बुला ले ....ही ही ... ''

उसने अपनी माँ की तरफ देखा और जोरों से हंसने लगी ..

उसकी माँ की चूत में भी अब चिंगारियां सुलगनी शुरू हो गयी थी ..पहली बार वो जल्दी झड़ जाए तो अगली बार उसको ज्यादा समय लगता था ..उसने आँखों ही आँखों में अपनी बेटी को कुछ इशारा किया और वो चुपचाप उनके लंड से उतर गयी ...और अपनी माँ के पास आकर उन्हें उठाया और पंडित जी के ऊपर जाकर उन्हें उनके लंड पर विराजमान करवा दिया ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......स्स्स्स .....उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

माधवी की गीली चूत के अन्दर पंडित जी का लंड फिसल कर पूरा अन्दर आ गया ...

एक मिनट पहले जहाँ रितु बैठी थी, वहां अब उसकी माँ माधवी थी ..और उसकी गुलगुलाती हुई चूत के अन्दर अपना सनसनाता हुआ लंड फंसा पाकर पंडित जी के पुरे शरीर में चिंगारियां सी निकलने लगी ...और उन्होंने उसके मोटे मुम्मों को देखते हुए नीचे से जोर-२ से धक्के लगाने शुरू कर दिए ...

सच में ...माँ आखिर माँ होती है ...और ये माधवी ने पंडित जी को दिखा दिया ..अपनी चूत में उनके लंड को लेकर मसलने की कला जो उसके पास थी ..वैसा रितु शायद ही अगले दस सालों में सीख पाए ..

अगले पांच मिनट तक माधवी की चूत में अपना लंड रगड़ने के बाद पंडित जी को रितु का ख़याल आया ...उन्होंने उसको फिर से अपनी तरफ बुलाया और उसको लिटा कर खुद उसकी खुली टांगो के बीच पहुँच गए और वहां से उसके अन्दर दाखिल हो गए ..

रितु : "उम्म्म्म .........माँ ......तुम भी आ जाओ ....मेरे ऊपर ....मुझे चूसनी है ....तुम्हारी चूत .....जल्दी आओ यहाँ ...''

माधवी के अन्दर भी अब आग पूरी तरह से भड़क चुकी थी ..और उसकी शर्म - हया भी अब निकल गयी थी ..वो भागती हुई सी रितु के ऊपर आई और उसके मुंह के दोनों तरफ पैर करके नीचे बैठ गयी ...

और रितु ने अपने हाथ फेला कर अपनी माँ की चोडी गांड को उनमे समेट लिया और रसीली चूत को सीधा अपने मुंह के ऊपर लगा कर उसके अन्दर से निकल रहा मीठा रस पीने लगी ...

''उम्म्म्म्म्म्म .....ओह्ह्ह्ह्ह माँ ...सदप ......उम्म्म्म्म…। पुच .......पुच ........अह्ह्ह्ह .......''

उसने अपनी माँ की कटोरी में से सारी खीर निकाल कर खानी शुरू कर दी ...माधवी भी अपनी कमर मटका कर अपने दाने को उसकी जीभ से लगा कर मजे ले रही थी ...और नीचे से पंडित जी अपनी ही मस्ती में रितु की चूत सुरीले संगीत की तरह से बजा रहे थे ..

पुरे कमरे में सेक्स की हवा और आवाजें फेली हुई थी ..

इस बीच रितु दो बार झड गयी थी ...एक बार तो जब उसकी माँ की चूत उसके मुंह के ऊपर आई और दूसरी बार जब पंडित जी ने माधवी की भरवां गांड को मचलते हुए देखा रितु के चेहरे पर तो उन्होंने कुछ शॉट्स ज्यादा ही तेज लगा दिए ...

और आखिरकार पंडित जी के लंड के अन्दर से भी आवाजें आने लगी ..की वो उल्टी करने वाला है ......और पंडित जी के सामने दो-२ यजमान थे ...इसलिए बराबर का प्रसाद वितरण भी जरुरी था ..उन्होंने अपना लंड रितु की लीक हो चुकी चूत से बाहर निकाला और दोनों को अपने सामने बिठा लिया ...

और अपने लंड को हिलाते हुए उन्होंने एक जोरदार पिचकारी दोनों के चेहरे की तरफ छोड़ दी ..

गाड़े रस की पहली पिचकारी रितु के खुले हुए मुंह के अन्दर जाकर गिरी ...जिसे वो एक ही चटखारे में निगल गयी ...फिर पंडित जी की पिचकारी माधवी की तरफ घूमी ..और उसके चेहरे पर भी सफ़ेद धब्बो से ढक दिया ...माँ बेटी में जैसे प्रतिस्पर्धा लगी हुई थी की किसके हिस्से में कितना ''माल'' आयेगा ...

माधवी ने पंडित जी के लंड को पकड़ा और उसे अपने मुंह में लेकर बाकी का बचा -खुचा ''जीवन-रस'' निकाल कर पी गयी ...


पर इतने से भी उसका पेट शायद नहीं भरा था ...रितु के चेहरे पर लगे हुए रस को देखकर माधवी की जीभ फिर से लपलपाने लगी ..और उसने रितु के चेहरे को घुमा कर साइड में किया और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसके गालों पर ओस की बूंदों की तरह पड़े हुए रस की बूंदों को इकठ्ठा किया और उन्हें भी पी गयी ...

और बात यहीं ख़त्म नहीं हुई .....माँ की ममता देखिये ...उसने अब तक जितना भी रस अपने मुंह से चूसा था वो सब वहीँ इकठ्ठा कर लिया था ..और आखिर में उसने अपनी बेटी के होंठों को अपनी तरफ किया और उसे फ्रेंच किस करते हुए और अपनी मेहनत का सारा रस उसके मुंह में उड़ेल दिया ...

अपनी माँ के इस त्याग को देखकर रितु की आँखों में आंसू आ गए ...और उसे अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हुई की कहाँ थोड़ी देर पहले वो अपनी माँ को नीचा साबित करने के लिए पंडित जी की अट्टेंशन ले रही थी और यहाँ खुद उसकी माँ उसके लिए ऐसे त्याग कर रही है, जिसके बारे में वो खुद सोच भी नहीं सकती ...

ये सब देखकर रितु ने अपनी माँ को भी उतनी ही गर्मजोशी के साथ चूम लिया ...

अब उसकी समझ में आ गया था की माँ आखिर माँ ही होती है ..और बेटी ...बेटी होती है .
फिर कुछ देर के बाद उन्होंने अपने-२ कपडे पहने और घर की तरफ निकल गए ..

अगले दिन पंडित जी सुबह दस बजे ही तैयार होकर बैठ गए ..क्योंकि शीला ने बोल था की वो कोमल को दस बजे उनके पास भेज देगी ..और उन्हें ज्यादा इन्तजार भी नहीं करना पड़ा ..जल्द ही कोमल उनके दरवाजे पर खड़ी थी ..और उसके चेहरे पर जो मुस्कान थी वो तो देखते ही बनती थी ..उसने आते ही दरवाजा बंद किया और पंडित जी का हाथ पकड़कर उन्हें अन्दर ले आई और
बोली : "ये आपने क्या जादू कर दिया है दीदी पर ...पता है उन्होंने खुद ही मुझे आपके साथ जाने के लिए कहा ..मैं तो सोच भी नहीं सकती थी की आप ऐसा कर सकते हो ..''

पंडित जी ने उसे बताना जरुरी नहीं समझा की असल में हुआ क्या था ..वो तो बस कोमल के सामने हीरो बनने में लगे हुए थे , वो बोले : "अभी तुमने देखा ही क्या है ..आगे-२ देखो मेरा कमाल ..अच्छा अब बताओ ..आज का क्या प्रोग्राम है ..मतलब आज अपने दिल की कौन सी इच्छा पूरी करनी है तुम्हे ..''

कोमल : "वो तो अभी सीक्रेट है ...बाद में पता चल जाएगा आपको ..अभी तो मुझे पहले कपडे बदलने है ..''

इतना कहकर उसने अपने साथ लाया हुआ एक बेग निकाला और उसमे से टी शर्ट और मिनी स्कर्ट निकाल कर बेड पर रख दी ..

उसने आज वैसे तो पीले रंग का सूट पहना हुआ था ..पर घर से तो वो ऐसे कपडे पहन कर निकल नहीं सकती थी न ..पंडित जी उससे कुछ कहते इससे पहले ही उसने अपने सूट के कुर्ते को पकड़ा और ऊपर करते हुए उसे अपने सर से घुमा कर निकाल दिया ..

पंडित जी अवाक से उसे देखते ही रह गए ..वो अब उनके सामने सिर्फ ब्रा और सलवार में खड़ी थी ..

पंडित जी को अपनी तरफ ऐसे घूरते हुए देखकर वो बोली : "क्या ...आप ऐसे क्यों देख रहे हो ..कल तो आप मुझे ऐसा देख ही चुके हो ...अब आपसे छुपकर कपडे बदलने का क्या मतलब ..''

'जियो मेरी रानी ...मुझे क्या परेशानी होगी ..मेरी तरफ से तो तू नंगी हो जा अभी ..जो एक न एक दिन तुझे होना ही है ..'
ये सोचते हुए पंडित जी मुस्कुराने लगे ..

और उसके बाद कोमल ने अपनी सलवार भी निकाल दी ..और अब उसका संगमरमरी जिस्म सिर्फ ब्रा-पेंटी में था ..और ये सेट वही था जो कोमल ने कल लिया था ..बड़ी ही सेक्सी लग रही थी वो ..उसके बाद वो शीशे के सामने खड़े होकर अपनी ब्रा-पेंटी की फिटिंग को एडजस्ट करने लगी, जैसा की अक्सर लड़कियां करती है ..वो शायद भूल गयी थी की वहां पंडित जी भी खड़े हैं जो अपनी गिद्ध जैसी आँखों से उसे देखकर अपनी कुत्ते जैसी जीभ निकाल कर खड़े हैं ..

कोमल अपने बूब्स को ऊपर नीचे करके और अपनी ब्रा के स्ट्रेप को लूस करके वहां एडजस्टमेंट कर रही थी और यहाँ पंडित जी का लंड वो सब देखकर आपे से बाहर हो रहा था ..

और फिर कोमल ने वो किया जिसकी पंडित जी को भी आशा नहीं थी ..उसने अपनी पेंटी के अन्दर हाथ डाला और अपनी चूत के अन्दर अपनी उँगलियों को डुबोकर बाहर निकाला और अपने मुंह में डाल लिया ...उसने ये सब इतनी जल्दी से किया था की पंडित जी की नजरें अगर कहीं और होती तो शायद वो देख ही ना पाते ...और शायद वो यही सोच रही थी की पंडित जी शायद कहीं और देख रहे हैं ..पर वो तो तिरछी नजरों से उसे ही देखने में लगे हुए थे ..

अब पंडित जी को पूरा विश्वास हो गया की मस्ती तो इसे भी चढ़टी है ..

फिर कोमल ने अपनी टी शर्ट और स्कर्ट पहन ली ..उसकी टी शर्ट इतनी टाईट थी की उसकी ब्रा के अन्दर के निप्पल भी साफ़ दिखाई दे रहे थे ..पर पंडित जी को भला क्या शिकायत हो सकती थी ..वो चुप रहे .

पंडित जी ने भी नकली मूंछ और चश्मा लगा कर टोपी पहन ली ..और थोड़ी देर के बाद दोनों तैयार होकर बाहर निकल पड़े .

बाहर निकलते ही कोमल ने पंडित जी के हाथों को अपनी बगलों में समेट लिया ...जैसे उनकी लवर हो वो ..उन्हें कोमल के कोमल-२ मुम्मों का आभास अपनी कोहनी पर साफ़ महसूस हो रहा था ..

चलते-२ कोमल बोली : "आज मुझे अपने दिल की वो इच्छा पूरी करनी है जिसमे आप मेरे बॉयफ्रेंड बनोगे और मैं आपकी गर्लफ्रेंड ..मैंने अक्सर देखा है लड़के-लड़कियों को ऐसे घुमते हुए ..और उन्हें देखकर मैं अन्दर से जल सी जाती थी ..मैंने तब से ही सोच कर रखा था की मैं भी ऐसे घुमुंगी ..अब जब मेरा बॉयफ्रेंड होगा तब तक मुझसे इन्तजार नहीं होता ..मैं भी तो देखू की उन लोगो को ऐसा करने में क्या मजा आता है ..''

पंडित जी इस बार फिर से उसकी बचकाना सोच पर अपना माथा पीट कर रह गए ..पता नहीं क्या -२ फितूर भरे पड़े हैं इस लड़की के दिमाग में ..पर अगले ही पल उन्हें ये भी एहसास हुआ की वो अपनी मन की इच्छाओं की पूर्ति करते हुए उन्हें भी तो मजे का एहसास देगी ...जैसे कल उन्हें शोरूम में मिला था ...शायद आज भी कुछ ख़ास कर जाए ये अपने पागलपन को पूरा करने के चक्कर में ..

बस ये सब सोचकर पंडित जी मन ही मन मुस्कुरा दिए ..और उसके साथ चलते रहे ..


वैसे बात तो ये सच है ...जिन लड़के या लड़कियों के लवर नहीं होते वो अक्सर दुसरे जोड़े को एक साथ देखकर जल सा जाते हैं ..और अक्सर वो खुद को उस लड़के या लड़की की जगह रखकर सोचते हैं की इससे अच्छा तो मुझे ले चलता / चलती ये साथ ...मुझमें आखिर कमी क्या है .. और शायद यही कोमल ने भी सोचा था ..

खैर ..आज वो काफी सेक्सी लग रही थी ..उसके कपडे थे ही इतने सेक्सी की हर कोई उसे देखकर घूरने में लगा हुआ था ..खासकर उसकी नंगी टांगों और मोटी जाँघों को देखकर ...और ऊपर की तरफ लटके हुए अल्फ़ान्सो आमों को देखकर ..जिनमे से उसके निप्पल अपने दर्शन पुरे शहर को करवा रहे थे ..और ये सब देखकर और महसूस करके कोमल बहुत खुश हो रही थी ..
तभी पंडित जी के मन के एक विचार आया ..क्यों न इसको उसी पार्क में ले चले ..जहाँ उन्होंने नूरी के साथ मजे लिए थे ..वहां का माहोल भी ऐसा रहता है ..ज्यादातर लड़के - लड़कियां ही आते हैं वहां ..चूमा -चाटी करने के लिए ..

पंडित जी ने कोमल को कहा की वहां एक पार्क है ..जहाँ घूमने में बड़ा मजा आयेगा ..वो मान गयी और दोनों उस पार्क की तरफ चल दिए ..

अभी सुबह का समय था, इसलिए सिर्फ आशिकों से भरा पड़ा था वो पार्क ..ज्यादातर स्कूल और कॉलेज से बंक मारकर आये हुए लड़के-लड़कियां थे ..वहां का माहोल देखकर तो वो ख़ुशी से चिल्ला ही पड़ी : "ओहो ....ऐसे ही देखती थी मैं ...अब मजा चखाती हु सबको ....''

वो तो जैसे आशिकों की दुनिया से कोई इंतकाम लेने निकली थी आज ..अपने दिल की जलन को वो किस तरह से आराम पहुँचाना चाहती थी ये तो पंडित जी को भी अंदाजा नहीं था ..

पार्क के हर पेड़ के पीछे एक जोड़ा बैठा था ....कहीं लड़की, लड़के की गोद में सर रखकर लेटी थी और कहीं लड़का ..कोई किसी को चूम रहा था तो कोई किसी के मुम्मे दबा रहा था ..और ये सब देखकर कोमल का तो पता नहीं पर अपने पंडित जी का लंड हरकत में आना शुरू हो गया था .

और एक बात पंडित जी ने भी नोट की ..जहाँ -२ से कोमल निकल रही थी ..सभी लड़के अपनी गर्लफ्रेंड को छोड़कर कोमल को देखने में लग गए थे ..वो चीज ही ऐसी थी ..और ऊपर से उसने दूसरी लड़कियों की तरह स्कूल यूनिफार्म नहीं पहनी थी ..उसका गुदाज जिस्म और गोरा रंग पुरे पार्क में आग लगा रहा था ..

पंडित जी उसे लेकर उसी जगह पर पहुँच गए जहाँ बैठकर उन्होंने नूरी से मजे लिए थे ..दो पेड़ो के बीच बनी जगह और पीछे की तरफ घनी झाड़ियाँ होने से वो जगह काफी छुपी हुई सी थी ..

पंडित जी घांस पर बैठ गए ..कोमल की छोटी सी स्कर्ट होने की वजह से उसे बैठने में मुश्किल हो रही थी ..पर फिर भी बड़ी मुश्किल से वो एक ही तरफ दोनों घुटनों को मोड़कर बैठ गयी ..
पंडित जी की तेज नजरें उसकी स्कर्ट की दरार को भेदकर अन्दर देखने की कोशिश कर रही थी ..

उनके आस पास के पेड़ों के नीचे दो जोड़े और भी बैठे थे ..जो दुनिया से बेखबर होकर एक दुसरे में खोये हुए थे ..

उनकी तरफ देखकर कोमल को लगा की वो लड़के भी उसे देखकर अपनी गर्लफ्रेंडस को भूल जायेंगे ..पर वो तो अपनी दुनिया में ही मस्त थे ..एक लड़के ने लड़की को अपनी गोद में लिटाया हुआ था ..और उसके रेशमी बालों में हाथ फिराते हुए उससे बातें कर रहा था ..और बीच-२ में झुककर उसके होंठों को भी चूम लेता था ..

और दूसरा लड़का अपनी गर्लफ्रेंड को अपने सामने बिठा कर उसकी पीठ से चिपका हुआ था ..उन दोनों का चेहरा पंडित जी और कोमल की तरफ ही था ..इसलिए पंडित जी उस लड़के के हाथों को साफ़ देख पा रहे थे जो उस लड़की के छोटे -२ निम्बुओ को निचोड़कर उनका रस निकालने में लगा हुआ था ..और साथ ही साथ अपने होंठों से उसकी गर्दन को ड्रेकुला की तरह चूस भी रहा था ..

लड़की के चेहरे पर आ रहे एक्सप्रेशन को देखकर साफ़ पता चल रहा था की उसे कितना मजा आ रहा था ..

पंडित जी ये सब देख ही रहे थे की कोमल की आवाज आई .: "पंडित जी ...आप थोडा इधर आइये ...''

वो किसी आज्ञाकारी कुत्ते की तरह कोमल के कहे अनुसार उसके पास पहुँच गए ..और पेड़ के बिलकुल नीचे बैठकर उन्होंने अपनी कमर पेड़ के तने से सटा दी ..और उनके बैठते ही कोमल सीधा आकर उनकी गोद में बैठ गयी ..

पंडित जी को तो इसकी उम्मीद बिलकुल भी नहीं थी ...पर वो शायद उन दोनों जोड़ों को हराना चाहती थी ..

पंडित जी का लंड तो पहले से ही खडा था और उसके ऊपर कोमल की मखमली गांड के स्पर्श से पंडित जी का लंड झटके मारने लगा और उन तरंगों को शायद कोमल ने भी साफ़ महसूस किया ...उनका लंड नीचे दब सा गया था ..इससे पहले की पंडित जी उसको एडजस्ट कर पाते कोमल एकदम से घुमि और उनके गले से लगकर अपनी बाहे पंडित जी की गर्दन के चरों तरफ लपेट दी ..

उसके जिस्म की मादक खुशबु को उन्होंने आँखे बंद करके पूरी तरह से महसूस किया ...और उसके मोटे मुम्मों का गुदाज्पन उनके सीने में गुदगुदी सी कर रहा था ..

कोमल उनके कान में बोली : "पंडित जी ....देखना ज़रा ..वो देख रहे हैं क्या यहाँ ...''

पंडित : "नहीं ...वो तो अपने में मस्त हैं ...''

कोमल : "पंडित जी ...आप ऐसे बैठे रहोगे तो वो कैसे देखेंगे ...कुछ करो न ..जिससे उनका ध्यान हमारी तरफ आये ...''

पंडित जी को अब तक पता चल चुका था की कोमल की मानसिकता कैसी है ..वो अन्दर से खुले और प्राकर्तिक विचारों वाली थी ..और दुनिया को अपना जिस्म और अदाएं दिखाकर दीवाना बनाने में विशवास रखती थी ..उसे सबकी अटेंशन चाहिए थी ..चाहे इसके लिए कोई भी मर्यादा लांघनी पड़े ..

पंडित जी ने उसके कहे अनुसार उसके बदन पर अपने हाथ फिराने शुरू कर दिए ..एक हाथ वो धीरे उसकी टांगों पर भी ले गए और उसकी चिकनी टांगों पर हाथ फिराते ही कोमल का शरीर कांप सा गया ..अब चाहे वो जितना भी दिखावा कर ले, अन्दर से तो उसकी चूत भी चरमराती होगी ..उसकी भावनाएं भी तो मचलती होंगी ..

और यही भावनाएं पंडित जी को बाहर निकलवानी थी ..ताकि वो खुद उनके लंड से चुदने की भीख मांगे ..और इसके लिए आज से अच्छा मौका कोई और हो भी नहीं सकता था ...

पंडित जी के हाथ फिसलते हुए जैसे ही कोमल की पिंडलियों तक पहुंचे उनका दिल जैसे धड़कना ही भूल गया ..इतनी सांचे में ढली हुई पिंडली थी जैसे किसी बड़े से मुर्गे की टंगड़ी ..उसको अपने दांतों से नोचकर खाने में कितना मजा आएगा ..ये सोचते हुए पंडित जी के मुंह में पानी भर आया ...

कोमल का सीना किसी मिसाईल की तरह से पंडित जी की छाती पर चुभ रहा था ..खासकर उसके उभरे हुए निप्पल जो किसी शूल की तरह उनकी त्वचा को भेद कर अन्दर घुसने का प्रयत्न कर रहे थे ..

यहाँ पंडित जी अपने मजे लेने में लगे थे और वहां कोमल दुसरे जोड़े की अटेंशन ना मिलने से परेशान सी थी ..

कोमल : "क्या पंडित जी ...लगता है आपके बस का कुछ नहीं है ..वो लोग तो देख भी नहीं रहे इस तरफ ..''

अब पंडित जी उस बेवकूफ को कैसे समझाए की इस दुनिया में जो दिखता है वही बिकता है ..जब तक वो दिखाएगी नहीं वो लोग खरीदेंगे कैसे ...

उनका दिमाग बिजली की तेजी से इस सुनहरे अवसर का मजा लेने का प्लान बनाने लगा ..

उन्होंने अचानक से अपना हाथ ऊपर किया और उसकी मिनी स्कर्ट को और ऊपर करते हुए उसको कोमल की कमर से लपेट दिया ..और ऐसा करते ही उसकी पेंटी सबके सामने नजर आने लगी ..

कोमल : "व्हाट .....ये क्या कर दिया आपने ....''

वो थोडा जोर से चिल्लाई यही, जिसकी वजह से सामने बैठे हुए जोड़े की नजरें उनके ऊपर आ गयी ..और जैसे ही उन्होंने कोमल की चिकनी गांड को एक छोटी सी कच्छी में कैद देखा उनकी आँखे फट कर बाहर निकलने को आ गयी ..

पंडित : "तुमने ही तो कहा था की कुछ करो ...वो देख नहीं रहे हैं ...अब देखो ..वो कैसे आँखे फाड़ कर तुम्हे ही देख रहे हैं ...और तुम्हारी चिकनी गांड को देखकर उस लड़के की हालत ही खराब हो रही है ...देखो ...''

पंडित जी ने उसकी चिकनी गांड की तारीफ खुल कर कर तो दी ..पर अगले ही पल उन्हें एहसास हुआ की उनके मुंह से ये क्या निकल गया है ..

कोमल थोड़ी देर तक तो उस लड़के की तरफ तिरछी नजरों से देखती रही ..और जब उसे विशवास हो गया की पंडित जी ने जान - बूझकर ऐसा किया है तो उसके होंठों पर एक अजीब सी मुस्कान आ गयी ...और अगले ही पल आँखे तरेर कर उसने पंडित जी को देखा और उस मुस्कान को और गहरा करके बोली : "अच्छा जी ...मेरी चिकनी गांड ...हम्म ....वाह पंडित जी ...ये सब भी आता है आपको ...''

पंडित जी सकपका से गए ..वो बोले : "वो ...वो तो बस ऐसे ही ....निकल गया मुंह से ...''

कोमल : "ऐसे ही निकला या .....''

उसने जान बूझकर अपने शब्द बीच में ही छोड़ दिए ..

कोमल : "वैसे ...मुझे ये भी पसंद है ...''

पंडित जी (हेरानी से उसकी आँखों में देखते हुए ) : "क्या !!!!"

कोमल : "येही ...जैसे अभी आपने बोला ...खुलकर ...मेरे बारे में ...मेरी चिकनी गांड ..के बारे में ..''

ओहो ...तो ये बीमारी इसको भी है ...पंडित जी ने आज तक जिस किसी के साथ भी गन्दी भाषा में बात की थी , वो सभी को पसंद आई थी ..

यानी सभी लड़कियों को ये लंड -चूत वाली भाषा पसंद आती है ..ऊपर से कितनी शरीफ बनती हैं ये ..और अन्दर से इतनी बदमाश ...शायद पंडित जी लड़कियों का मनोविज्ञान समझने लगे थे ..

कोमल आगे बोली : "पंडित जी ...ये भी ...मेरी एक दबी हुई इच्छा है ...ऐसी भाषा में बात करना ...''

उसने सकुचाते हुए कह ही दिया ...

पंडित जी ने तो अपना माथा ही पीट लिया ...जैसे बस इसी की कमी रह गयी थी ..

पर अगले ही पल उन्होंने कोमल के कान में धीरे से कहा : "तेरी चूत के अन्दर ऐसे और कितने गुबार भरे पड़े हैं ...''

उनकी बात सुनकर वो शरारती लहजे में मुस्कुरायी और अपनी गुलाबी आँखों से उन्हें देखते हुए बोली : "ऊँगली डालकर निकाल लीजिये चूत से ..जितने भी भरे पड़े हैं ...''

ओह तेरी की ...यानी ये कोमल उन्हें खुला चेलेंज कर रही है ...अपनी चूत में ऊँगली डालने के लिए ...

उन्होंने जैसे ही उसकी पेंटी के लास्टिक में अपनी ऊँगली डाली कोमल ने उनका हाथ पकड़ लिया : "पंडित जी !!!!!...आप भी न ....मैं तो मजाक कर रही थी ..''

पंडित ने मन ही मन कहा : 'ऐसी बातों में मजाक नहीं करते पगली ...''

पर बेचारे कुछ बोल ही नहीं पाए ..

कोमल का ध्यान फिर से उस जोड़े की तरफ गया ..लड़की तो उस लड़के से बातें करने में लगी हुई थी ..पर लड़के का ध्यान अब सिर्फ और सिर्फ कोमल की खुली हुई गांड पर था ...जिसपर से वो चाह कर भी अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था ..और अचानक उस लड़की को नाजाने क्या हुआ, उसने जोर से उस लड़के के चेहरे को पकड़ा और उसके होंठों को प्यासी कुतिया की तरह से चूसने लगी ...लड़के का सार ध्यान फिर से अपनी प्रेमिका की तरफ चला गया ..

कोमल ये देखकर मचल कर रह गयी ...और पंडित जी की तरफ देखकर बोली : "पंडित जी ....चूमो मुझे ....जैसे वो कुतिया चूम रही है ..उसी तरह ...चूमो मुझे ...''

पंडित जी उसके गुस्से को देखकर हेरान रह गए ...वो जानते थे की इस वक़्त वो नहीं, उसका गुस्सा बोल रहा है ..

पंडित जी जानते थे की ऐसी सिचुएशन को कैसे हेंडल करना है ...

पंडित जी : " अच्छा ठीक है ...पर पहले ये बताओ ...तुम्हे आज तक किसी ने पहले कभी चूमा है ...यहाँ ...''

कहते हुए उन्होंने कोमल के कच्चे होंठों को छु लिया ..वो सिमट सी गयी और बोली : "नहीं ...किसी ने नहीं ..''

पंडित : "और तुम अपनी पहली किस्स इस तरह से लेना चाहती हो ...गुस्से में ...वो भी किसी और को दिखाने के लिए ...''

कोमल ने अपना सर झुक लिया ...जैसे उसे अपनी गलती का एहसास हो गया था ..

पंडित : "देखो कोमल ...ये प्यार है ..काम शास्त्र है ..जिसमे नफरत , गुस्से और जलन की भावना का कोई स्थान नहीं है ..इसमें लगाव है ..आकर्षण है ..पर दिखावा नहीं है ..''

पंडित जी ने अपने ज्ञान का पिटारा खोलना शुरू कर दिया उसके सामने ..

पंडित : "अगर प्यार करना है तो किसी को दिखाने के लिए नहीं, अपने मन की प्यास को बुझाने के लिए करो ..''

और जब पंडित जी ये सब बोल रहे थे उनकी नजरें उसके नमकीन और गुलाबी होंठों पर थी ..इतने सेक्सी होंठ उन्होंने आज तक नहीं देखे थे ..उसपर चमक रहा पानी ऐसे था जैसे ओस की बूंदे ...

पंडित जी और कुछ बोल पाते इससे पहले ही कोमल ने उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और अपने होंठों से उनके होंठों को बंद कर दिया ...

जैसे कह रही हो ''अब बस भी करो पंडित जी ...आप बोलते बहुत हो ..''

और पंडित जी की तो जैसे लाटरी निकल गयी ...आज उन्हें ये एहसास हो गया था की कोमल जैसे होंठ उन्होंने आज तक नहीं चूसे ...वो तो अपने होंठों को बस उनके लिप्स पास रगड़ ही रही थी ..क्योंकि ये उसका पहला मौका था और उसे कुछ बही नहीं आता था, पर जब पंडित जी ने चार्ज संभाला और अपने होंठों से उसके नर्म और मुलायम लबों का शहद चाटना शुरू किया तो उनके पुरे शरीर के रोयें खड़े हो गए ...

अचानक उनका एक हाथ फिसलता हुआ सीधा उसकी ब्रेस्ट के ऊपर चला गया जो ऐसी स्थिति में स्वाभाविक ही होता है ..और वहां हाथ लगाते ही पंडित जी को ऐसा एहसास हुआ जैसे उनके हाथ में पानी का गुब्बारा आ गया है .. थोडा मुलायम और थोडा कठोर ..
और जैसे ही पंडित जी ने उसके गुब्बारों की हवा निकालनी शुरू की तो कोमल का पूरा शरीर मादकता के नशे में झूमने सा लगा और उसका असर उसके शरीर के अंगो पर हुआ ..

उसकी आँखे नशे में डूबकर बंद होती चली गयी ...

उसके होंठों के मांस में एक अलग तरह की नरमी आ गयी और उनमे से मीठा पानी निकलने लगा जिसकी वजह से पंडित जी को उसके होंठों को चूसने में और भी मजा आने लगा ..

उसके निप्पल की कसावट और भी ज्यादा हो गयी और वो फेलने लगे ..पंडित जी की उँगलियाँ अगर उन्हें मसल कर उनकी सुजन नहीं निकाल रहे होते तो वो फट ही जाने थे ..

और सबसे ज्यादा असर तो हुआ उसकी चूत पर ..जिसमे से नीम्बू पानी जैसे द्रव्य की सरंचना होने लगी और वो द्रव्य छल -२ करता हुआ कच्छी की मर्यादाओं को लांघता हुआ पंडित जी की जाँघों को तर करने लगा ..

ऐसा एहसास तो उसे अपने जीवन में आज तक नहीं हुआ था ..

अब तो पंडित जी ने भी अपनी आँखे बंद कर ली ..और कोमल को घुमा कर अपनी गोद में ऐसे बिठा लिया की उसकी दोनों टाँगे उनकी कमर के दोनों तरफ आ गयी ..और ऐसा करने से उनके लंड के ठीक ऊपर कोमल की चूत आ गयी ...और उन्होंने ये सोचते हुए की वो दोनों पूरी तरह से नंगे हैं ..और पंडित जी अपने लंड को उसकी चूत में डालकर उसे चूम रहे हैं ..कोमल के होंठों को बुरी तरह से चूसना शुरू कर दिया ...

पंडित जी बैठे-२ ही दिन में सपना सा देखने लग गए थे ..पर जो वो सपने में देख रहे थे वो अब वैसे भी उन्हें सच होता दिख रहा था ..

उन्होंने आँखे खोली और वो वास्तविकता में वापिस आ गए .और उन्होंने अपनी किस्स तोड़ दी ..उन्होंने देखा की कोमल अब भी अपनी आँखे बंद करके अपने फड़कते हुए होंठों को उनके सामने पसारे उनकी प्रतीक्षा कर रही है ..पर जब कुछ देर तक पंडित जी के होंठ नहीं आये तो उसने आँखे खोल दी ..

और उन शरबती आँखों को देखकर एक पल के लिए पंडित जी सारी दुनियादारी भूल गए ..

एक गुलाबीपन आ चूका था उनमे ..एक अजीब सी चमक भी आ गयी थी ..शर्म थी ..प्यार था ..लज्जा थी ..और विशवास था ..

पंडित जी को अपनी आँखे पढ़ता पाकर उसने शर्माते हुए फिर से अपनी आँखे बंद कर ली और उनके गले से लग कर धीरे से बोली : "आप ऐसे क्यों देख रहे हो मुझे ...''

पंडित जी ने भी धीरे से उसके कानो में कहा : "मैं देख रहा था की तुम्हारी जिन्दगी की इस पहली किस्स ने तुमपर क्या असर किया है ..और कहाँ -२ असर किया है ...''

कहते हुए उनका हाथ उसके स्तनों से होता हुआ उसकी भीगी चूत से स्पर्श करता हुआ अपनी जाँघों तक आ गया ..जो उसके निम्बू पानी से पूरी तरह से भीग चुकी थी ..

कोमल ने पंडित जी को सॉरी कहा और उठकर अपनी स्कर्ट नीचे कर ली और उनकी बगल में बैठ गयी ..और अपने बेग में से एक रुमाल निकाल कर उन्हें दिया ताकि वो उस रस को साफ़ कर सके ...

पर पंडित जी ने ये कहते हुए मना कर दिया की "तुम्हारी चूत के अन्दर से निकला पहला झरना है ये ..इसकी महक कुछ देर तो रहने दो मेरे शरीर पर ...''

जिसे सुनकर कोमल का चेहरा और भी लाल हो गया और वो अपना मुंह नीचे करके मुस्कुराने लगी ..

पंडित : "कैसा लगा तुम्हे ...ये सब करते हुए ...''

कोमल : "सच कहु पंडित जी ...मैंने ये सब सिर्फ और सिर्फ एक एक्सपीरियंस पाने के लिए और उन लोगो को दिखाने के लिए किया था ..पर जिस तरह से आप मेरे साथ कर रहे थे ..वो सब न तो मैंने सोचा था और ना ही ऐसा कभी महसूस किया था ...पर जो भी हुआ, मुझे अच्छा लगा ...मतलब ..बहुत अच्छा लगा ...''

वो बोलती जा रही थी और पंडित जी मंत्रमुग्ध से उसे देखते जा रहे थे ..

कोमल : "पंडित जी ...आप भी सोचते होंगे की कैसी लड़की है ये ..जो बिना किसी शर्म और लज्जा के आपसे अपनी हर बात भी मनवा रही है और अब ये सब भी कर रही है ...पर आप ही बताइए मेरी जैसी लड़की का और है ही कौन ..आपने आज तक मेरी किसी भी बात का फायेदा नहीं उठाया और यही बात मुझे सबसे अच्छी लगी ..इसलिए मैंने भी सोच लिया है की अब आपसे ही मुझे बाकी के सारे एक्सपीरियंस लेने है ..''

पंडित जी चोंक गए ...उन्होंने पूछा : "किस तरह के एक्सपीरियंस ...??"

कोमल (शर्माते हुए ) : "अब इतने भी भोले नहीं हैं आप पंडित जी ....''

उसकी बात का मतलब समझते ही पंडित जी की बांचे खिल गयी ...उन्होंने खुल कर कहा : "यानी ...चुदाई की बात कर रही हो तुम ...मुझसे चुद्वाकर अपना कोमार्य मुझे सोम्पना चाहती हो ...''

कोमल ने हँसते हुए अपना सर हाँ में हिलाया ...

उसकी ये बात सुनते ही पंडित जी ने उसे अपनी छाती से लिपटा लिया ...

कोमल ने उनके कानों को चूमते हुए धीरे से कहा : "पर ...जो भी करेंगे ...सब आराम से ..धीरे-२ ..कोई जल्दी नहीं है मुझे ...ठीक है ...''

पंडित : "तुम चिंता मत करो ...तुम्हारी चुदाई ऐसी होगी की आज तक किसी ने नहीं की होगी ...तुम्हे सेक्स के हर पहलु से ऐसे अवगत करवाऊंगा की तुम भी कहोगी की वह पंडित जी आपसे चुद कर सच में मजा आ गया ...''

और उसके बाद कुछ और देर बैठ कर दोनों पंडित जी के कमरे की तरफ चल दिए ...

क्योंकि अब वहां बैठ कर समय व्यर्थ करना उचित नहीं था ..

पंडित जी ने जल्दी से एक ऑटो पकड़ा और उसमे बैठ कर दोनों घर की तरफ चल दिए ...

इतना उत्साह और ठरक तो उनपर आजतक नहीं चडी थी ..वो तो बस उड़कर घर पर पहुँच जाना चाहते थे ..जैसे - तैसे करके उनका घर आ ही गया, और अन्दर पहुँचते ही उन्होंने झट से कुण्डी लगायी और कोमल को अपनी बाहों में पकड़कर बेतहाशा चूमने लगे ..

''ओह्ह्ह्ह ....कोमल .....तुम जानती नहीं ...कितना तरसाया है तुमने मुझे ....अपना जलवा दिखा- २ कर ..जब से तुम्हे देखा है, सोते-जागते बस तुम्हारा चेहरा और ये बदन ही घूमता है मेरी आँखों के सामने ...तुमने मुझे पागल बना कर रख दिया है अपने हुस्न से ...''

कोमल उनसे छिटक कर दूर खड़ी हो गयी ..वो इतराते हुए बोली : "अच्छा जी ...पहले तो आप ऐसे साधू-संत बनते थे जैसे मेरे हुस्न का आपके ऊपर कोई असर नहीं होता ...अब क्या हो गया ...''

पंडित जी फंस चुके थे ..उनसे गलती जो हो चुकी थी ..जो अक्सर हर मर्द कर देता है ..औरत के हुस्न के आगे अपनी गेरत और ऱोब को ताक पर रखकर जब मर्द अपने हाथ पसारता है तो उसे औरत के रहमो करम पर ही चलना पड़ता है ..वो जैसा चाहेगी, वैसा करना पड़ता है ..अगर वो ऐसा ना करे तो सीन दूसरी तरफ से वैसा हो जाता है ..पर अब जो होना था वो हो चुका था, कोमल को पंडित जी ने अपनी कमजोरी अपनी ही जुबान से बयां कर दी थी ..

कोमल : "अच्छा ...एक बात बताइए पंडित जी ...आपको मुझमे सबसे ज्यादा क्या अच्छा लगता है ..''

वो किसी हिरोइन की तरह अपने जिस्म को तिरछा करके उनके सामने एक टांग पर खड़ी हो गयी ..उसका एक कुल्हा निकल कर अलग से चमकने लगा ..

पंडित जी बेचारे उसके मांस से भरे शरीर को देखकर अपनी लार टपकाने लगे ...उनका तो बस मन कर रहा था की उसके शरीर के हर हिस्से को पकड़कर अच्छी तरह से चूमे ...सहलाए ...खा जाए बस ...

उनकी नजरें उसकी छातियों पर चिपक गयी ..कोमल उनका जवाब समझ गयी ..और उसने अपनी टी शर्ट को ऊपर खिसका कर अपना पेट नंगा कर दिया ...और बड़े ही प्यार से अपनी ब्रेस्ट को सहलाते हुए पंडित जी की आँखों में देखकर पूछा : "ओहो ....तो ये पसंद है आपको ...ह्म्म्म्म ....''

पंडित जी भी अब परिस्थिति के हिसाब से चलने लगे थे ..वो जानते थे की अभी तो कोमल के हिसाब से चलने में ही भलाई है ..कहीं उसका मन न बदल जाए ...एक बार वो चुद जाए उनसे ..फिर बताएँगे उसको की वो क्या चीज है ..

कोमल की बात सुनकर पंडित जी ने हाँ में सर हिलाया ..जो सही भी था ..उसकी नंगी ब्रेस्ट को देखने की इच्छा तो उन्हें तब से थी जब से उन्होंने उसे पहली बार देखा था ..

कोमल सोफे पर जाकर बैठ गयी ..और उसका हाथ लहराता हुआ अपनी टी शर्ट के ऊपर आया और उसने अपनी उँगलियों से कपडा ऊपर करते हुए अपनी बायीं चूची बाहर निकाल दी ..और अपने हाथ से उसे मसलने लगी ..

पंडित जी की आँखे फटी की फटी रह गयी ...

इतनी गोलाई ली हुई छाती उन्होंने पहली बार देखि थी ..और उसपर लगा हुआ किशमिश तो सुभान अल्लाह ...

अब तो पंडित जी से भी सब्र करना मुश्किल हो गया ...उन्होंने आगे बढकर उसकी टी शर्ट को पकड़ा और उसे सर से निकाल कर एक कोने में फेंक दिया ..

उफ्फ्फ्फ़ ....क्या क़यामत थी कोमल ..

सुनहरे आम उसकी छातियों से लटक रहे थे ..जिनमे से मानो शहद टपक कर उसके निप्पल के रास्ते नीचे गिर रहा था ..

पंडित जी ने झट से अपना मुंह आगे किया और उसकी चूची को अपने मुंह में रखकर उसका रस पीने लगे ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म ..........ओह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ........आज पहली बार .....उम्म्म्म ...किसी ने मुझे यहाँ ....से चूसा है .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ....''

वो तो पागल ही हो गयी ...पंडित जी के होंठों का कमाल अपनी ब्रैस्ट पर देखकर ...

'जब तेरी चूत चुसुंगा तो क्या हाल होगा तेरा ..' पंडित जी ने मन ही मन सोचा ..

उसके पूरे शरीर में अजीब सी तरंगे उठ रही थी ..और अन्दर से गुदगुदी भी हो रही थी ...जिसकी वजह से सिस्कारियों के बीच-२ उसकी हंसी भी निकल रही थी ..पर कुल मिलाकर ऐसा उसने आज तक महसुस नहीं किया था ..

और आवेश में आकर कब उसके हाथ पंडित जी के शरीर से उनके लंड तक जा पहुंचे उसे भी पता नहीं चला ...

और जैसे ही पंडित जी का पठानी लंड उसके हाथ में आया ..वो बिदक कर दूर हो गयी पंडित जी से ...और बोली ....: "ये ....ये ...क्या है .....''

पंडित जी ने मुस्कुराते हुए अपनी पेंट खोली ...और अपना लंड बाहर निकाल कर उसकी भूखी आँखों के सामने परोस दिया ...

जिसे देखते ही कोमल गहरी-२ साँसे लेने लगी ..या ये कह लो की उसकी साँसे उखड़ने लगी ..

और उसने आगे बढकर बदहवासी में पंडित जी के लंड को अपने हाथों में पकड़ लिया ...और जैसे ही उसके ठन्डे हाथों में उनका गर्म लंड आया ..उसके मुंह से एक सिसकारी निकल गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ,.......स्स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

पंडित जी अब समझ चुके थे की कोमल पूरी तरह से उनके कंट्रोल में आ चुकी है ...उनके लंड को देखकर सभी का यही हाल होता है ..और वैसे भी कोई भी लड़की अगर लड़के का लंड देख ले तो उसका यही हाल होता है ...लंड है ही ऐसी चीज ..

पंडित जी ने उसे हुक्म सा दिया : "चल ...चूस मेरी बांसुरी ...''

और उनकी बात मानकर कोमल उनके सामने आई और उनके उफान खा रहे लंड को अपने कोमल हाथों में पकड़ा और अपने गुलाबी होंठों के पीछे से अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उनके लंड से टच करी ..

और उसके मुंह की गर्मी अपने लंड पर महसूस करते ही पंडित जी को लगा की उनका लंड उसकी तपिश से कोयला न हो जाए ..

उन्होंने फिर से उसे कहा : "चाटो नहीं ....चुसो ...पूरा अन्दर लो ...शाबाश ...''

पंडित जी की बात मानकर जैसे ही उसने अपना मुंह खोला ..पंडित जी ने एक जोरदार शॉट लगाकर अपना लंड उसके मुंह की बांडरी के अन्दर डाल दिया ...


''उम्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म ......''

अब पूरा का पूरा लंड उसके मुंह के अन्दर था ...जो पहली बार लंड चूस रही लड़की के लिए एक महान उपलब्धि थी ..

पंडित जी तभी समझ गए की ये एक बहुत बड़ी चुदक्कद बनेगी ..

कोमल तो जैसे पागल हो चुकी थी ..उसके मुंह से लार निकल - २ कर पंडित जी के लंड को स्नान करवा रही थी ..उसकी जीभ किसी साबुन की टिकिया की तरह उनके लंड को रगड़ रही थी ..और घिसने की वजह से हलकी सी झाग भी बन रही थी ..

आज तक पंडित जी के लंड को इतनी इज्जत किसी ने नहीं बक्शी थी ..अगर पंडित जी ने जबरदस्ती अपने लंड को उसके चुंगल से ना छुडवाया होता तो वो उनका जूस निकाल कर ही रहती अपने मुंह में ..

और चूसने की वजह से उनका लंड अपने पूरे जलवे बिखेरता हुआ दोनों के बीच खम्बे जैसा खड़ा था ..


उसकी दोनों छातियों के बीच वो किसी स्तम्भ की तरह चमक रहा था ..

कोमल ने पंडित जी को बेड पर लिटा सा दिया और खुद उनकी बगल में लेट गयी ..और उनके डंडे को पकड़ कर उसका मर्दन करने लगी ..

पंडित : "ओह्ह्ह्ह ....कोमल ......अब ......अब नहीं रहा जाता .....उम्म्म्म्म्म ......मेरा बस निकलने वाला है ...''

कोमल : "तभी तो मैं कर रही हु .....ताकि आपका निकल जाए ...''

वो जानती थी की पंडित जी वो क्यों बोल रहे हैं, फिर भी उसने जान बूझकर ऐसा बोला ..

पंडित : "अब .....अब ..तुम नीचे आओ ....मुझे ये तुम्हारी चूत में डालना है ...''

कोमल एकदम से रुक सी गयी और बोली : "ये…ये कैसे होगा ....आपका इतना बड़ा है ...मेरे अन्दर कैसे जाएगा ..''

उस बेचारी का कोई कसूर नहीं था, पंडित जी का लंड कोई भी पहली बार में देखकर येही सोचेगा ..

पंडित : "कुछ नहीं होगा ...मैं हु न ...तुम्हे कोई तकलीफ नहीं होगी ..''

कोमल : "नहीं पंडित जी ...प्लीज ...आज रहने दीजिये ...मुझसे नहीं होगा ...मैं ऐसे कर रही हु न ...''

पंडित जी जानते थे की अगर ज्यादा जोर जबरदस्ती करेंगे तो अभी जो मिल रहा है, उससे भी हाथ धोना पड़ेगा ..

उन्होंने फिर से कोमल का हाथ अपने लंड पर रखवाया और बोले : "कोई बात नहीं ...जैसा तुम चाहो ..पर अभी जो करना है…वो दिल से करो ...''

पंडित जी के ऐसा कहते ही कोमल के तन बदन में एक नया रक्तसंचार हो गया ..और वो अपने नंगे बदन को पंडित जी के शरीर से घिसते हुए उनके लंड को बुरी तरह से ऊपर नीचे करने लगी ..

''उम्म्म्म्म कोमल ........तुम्हारे नर्म हाथों में आकर आज ये ज्यादा ही खुश हो रहा है ...'' पंडित जी ने अपने लंड की तरफ इशारा करते हुए कोमल के होंठों को चूम लिया ...

अचानक पंडित जी के अन्दर से आ रही एक तरंग ने उन्हें सचेत किया की अब लावा कभी भी निकल सकता है ..

उन्होंने कोमल के हाथ के ऊपर अपना हाथ रख दिया और दुसरे हाथ से उसके सर को नीचे धकेलने लगे ..

वो समझ गयी की पंडित जी क्या चाहते हैं ..

उसका चेहरा धीर-2 नीचे आया और ठीक उनके लंड के ऊपर आकर रुक गया ..और वो अब उसे ऊपर नीचे करते हुए अपने होंठों से भी टच कर रही थी ..जिसकी वजह से पंडित जी की कंपकंपी छूट रही थी ..और एक जोर्दान गर्जन के साथ पंडित जी ने अपने लंड से रस का त्याग कर दिया ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....कोमल ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .........पी ले ........सारा रस ......तेरे लिए ही है ये .......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....''

वो भला उनकी बात से कैसे इनकार करती ..उसने अपना मुंह नीचे किया और उनकी बोछारों को सीधा अपने मुंह के अन्दर स्थान दे दिया ..


उसका स्वाद उसे ऐसा लगा जैसे गाडी और नमकीन लस्सी पी रही हो वो ...और स्वाद का पता लगते ही उसने इधर-उधर फैला हुआ रस भी अपनी जीभ से चाट-चाटकर अपने मुंह के अन्दर समेट लिया ..

और पंडित जी गहरी साँसे लेते हुए बेड से उठ खड़े हुए ..

अब कोमल की बारी थी .

वैसे अगर पंडित जी चाहते तो आधे घंटे के आराम के बाद आराम से कोमल को चोद सकते थे ..पर आज कोमल पूरी तरह से इसके लिए तैयार नहीं थी ..इसलिए उसको सिर्फ कत्रिम तरीके से सुख देना होगा आज ..

उन्होंने कोमल को अपनी जगह पर लिटा दिया और खुद उसके सामने आकर बैठ गए ..

उसकी कच्छी को उन्होंने एक ही झटके में उतार फेंका , उसकी चिकनी चमेली को देखकर पंडित जी के मुंह में पानी आ गया ..

उन्होंने आव देखा न ताव और अपना मुंह सीधा उसकी रसीली चूत के अन्दर दे मारा ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह ........ओह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....सक मी .......उम्म्म्म्म्म ''

उसने पंडित जी के बालों को पकड़ा और उन्हें धीरे-२ सहलाते हुए अपनी चूत की लकीर पर उनकी जीभ की कलम से प्यार के तराने लिखने लगी ..

अचानक पंडित जी की जीभ का काँटा कोमल की क्लिट में फंस गया ..और वो मछली की तरह तड़प उठी ..उसका पूरा शरीर ऐंठ गया ..उसकी कमर बेड से ऊपर उठकर कमान की तरह टेडी हो गयी ..

पंडित जी ने बड़ी मुश्किल से उसके ऊपर जा रहे शरीर को अपने हाथों से पकड़कर नीचे उतारा ..और उनके हाथ सीधा उसकी दोनों ब्रेस्ट के ऊपर आकर जम गए ..जिन्हें वो जोर-२ से दबाकर उसका दूध निकालने लगे और उनका मुंह तो नीचे लगा ही हुआ जिसमे से रिस रिसकर उसका अमृत वो सीधा पी रहे थे ..

इतना मीठा और गर्म रस पीकर उनकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...

वो उठ खड़े हुए और उन्होंने अपनी चार उँगलियाँ एक साथ उसके अन्दर डाल दी और उन्हें अन्दर बाहर करते हुए उसके रस को अपनी उँगलियों से बाहर निकालने लगे ..

और अब चीखने की बारी कोमल की थी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म ........ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ........पंडित जी ......... उम्म्म्म्म्म्म्म्म .....''

उसने पंडित जी की आँखों में देखते-२ अपनी चूत की पिचकारी से ऐसे फव्वारे पंडित जी के ऊपर छोड़े की वो बुरी तरह से भीग गए ...

और पंडित जी ने मुंह नीचे करके उसकी चूत का सारा रस अपने मुंह के अन्दर समेट लिया ...

उसके बाद पंडित जी ने उसे चुदाई के सम्बन्ध में थोडा और ज्ञान दिया ताकि अगली बार चुदने में उसे कोई परेशानी ना हो ..

उनका ज्ञान बटोरकर वो अपने घर चली गयी ..

और पंडित जी भी आराम से लम्बी तानकर सो गए .. 

सुबह उठकर पंडित जी ने सोच लिया की आगे क्या करना है ..क्योंकि हर बार वो कोमल को इस तरह सिर्फ अपना लंड चुसवा कर नहीं रह सकते थे . और इसके लिए उन्होंने एक मास्टर प्लान बनाया ..वैसे तो रोज की तरह कोमल को आज भी 11 बजे तक उनके पास पहुंचना था, पर पंडित जी ने कुछ और ही प्लान बनाया था .

अपने कार्यों से निवृत होकर वो 10 बजे ही शीला के घर पहुँच गए ..दरवाजा खुला हुआ था , वो जानते थे की इस समय सिर्फ शीला और कोमल ही घर पर होंगी ..

अन्दर पहुंचकर उन्होंने देखा की शीला किचन में खड़ी हुई नाश्ता बना रही है ..बाथरूम का दरवाजा बंद था, शायद कोमल अन्दर नहा रही थी . शीला की मोटी गांड की थिरकन देखकर उनका लंड एकदम से खड़ा हो गया.उसने हलके रंग की साडी पहनी हुई थी .

वो धीरे से उसके पीछे पहुंचे और उसकी कमर के चारों तरफ हाथ डालकर उसके नंगे पेट पर अपने पंजे जमा दिए ..और अपना खड़ा हुआ एफिल टॉवर उसकी सोलन की पहाड़ियों के बीच फंसा कर उसके जिस्म से चिपक गए ..

''क ......को को ......कौनssssssssssss ....'' वो एकदम से चोंक गयी ..

और जैसे ही उसने गर्दन घुमा कर पंडित जी का चेहरा देखा वो चोंक गयी .

''अरे ...पंडित जी आप ....और इतनी सुबह .......''

उसने अपने हाथों को पंडित जी के हाथों के ऊपर रखकर उन्हें और जोर से दबा दिया ..और अपनी गांड को पीछे की तरफ उनके लंड पर दबा कर उनका स्वागत किया .

पंडित : "बस ऐसे ही ....कल से तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ...सोचा अभी जाकर मिल लेता हु ..घर पर कोई नहीं होगा ..''

शीला (कसमसाते हुए ) : "पर ....वो ...कोमल है अन्दर अभी ...वो तो कह रही थी की आज भी जाना है आपके साथ बाहर , बस वो नहाकर आपके पास ही निकलने वाली थी ....''

पंडित जी ने बुरा सा मुंह बनाया : "ये कोमल भी न ...मैंने कल ही उसे सब समझा दिया था की जिस कॉलेज में हम गए थे उसका फार्म भरने के लिए उसे अकेले ही जाना होगा आज ..शायद उसने सुना नहीं होगा ..मैंने तो सोचा था की अब तक वो जा चुकी होगी ..इसलिए चला आया ..और ये देखो ..ये भी कल से ऐसे ही खड़ा हुआ है ..''

पंडित जी ने अपने खड़े हुए लंड की तरफ इशारा किया ..

शीला उनकी तरफ घूम गयी ..उसने एक नजर बाथरूम के दरवाजे पर डाली और अगले ही पल उसने अपने दांये हाथ से पंडित जी के लाडले को अपनी गिरफ्त में ले लिया ...

''उम्म्म्म्म्म ....पंडित जी .....मुझे भी इसकी बड़ी याद आती है ....पर जब से कोमल आई है, पहले जितना समय ही नहीं मिल पाता ...मन तो कर रहा है यहीं आपको लिटा कर इसपर बैठ जाऊ ..पर अन्दर कोमल है ...''

पंडित : "एक काम करते हैं ...कोमल के जाने का वेट करते हैं ...उसके बाद करेंगे ..''

वो कुछ ना बोली, क्योंकि वो जानती थी की पंडित जी अपने आप संभाल लेंगे ..

पंडित जी बाहर जाकर सोफे पर बैठ गए ..और शीला उनके लिए चाय बनाने लगी .

थोड़ी ही देर में बाथरूम का दरवाजा खुला और कोमल बाहर निकली ..और उसकी हालत देखते ही पंडित जी का एफिल टावर और भी लंबा हो गया .

उसके भीगे हुए बालों से पानी रिस कर उसके सूट पर गिर रहा था .जिसकी वजह से उसकी ब्रेस्ट वाला हिस्सा गीला हो गया था ..और जैसे ही उनकी नजर नीचे पहुंची उनकी आँखे फटी की फटी रह गयी ..उसने नीचे पयजामी नहीं पहनी हुई थी , जो की उसके हाथ में थी, उसने सोचा होगा की अन्दर जाकर पहन लेगी, घर पर और कोई तो था नहीं, और बाथरूम में पहनने में मुश्किल भी होती है ..शायद इसलिए वो ऐसे ही बाहर निकल आई .....उसकी मोटी और नंगी टाँगे देखकर पंडित जी एकदम से खड़े हो गए .

वो भी पंडित जी को अपने घर में देखकर चोंक गयी ..उसने एक नजर किचन की तरफ डाली और मुस्कुराती हुई पंडित जी के पास आई और बोली : "क्या बात है पंडित जी ...आप और यहाँ ..सब्र नहीं हुआ क्या ..एक घंटे में आ तो रही थी आपके पास ही ..''

उसकी आवाज सुनकर शीला किचन से बाहर निकल आई ..और कोमल को आधी नंगी खड़ी देखकर वो उसपर चिल्लाई : "कोमल ....कुछ तो शर्म कर ले ...चल अन्दर ...और पुरे कपडे पहन कर आ ..''

अपनी बहन की फटकार सुनकर उसे अपने नंगे पन का एहसास हुआ, वो अन्दर की तरफ भागी तो पंडित जी की निगाहों ने उसके हिलते हुए चूतड़ अपनी आँखों के केमरे में कैद कर लिए ..

शीला : "देखा पंडित जी ...कितनी नासमझ है ...इसकी इसी बात से मैं डरती हु ...अक्ल नाम की कोई चीज नहीं है इसके अन्दर ..पता नहीं क्या होगा इसका ..''

पंडित : "सब ठीक होगा, तुम चिंता मत करो ..''

वो बात कर ही रहे थे की कोमल बाहर आ गयी ..इस बार पुरे कपडे पहन कर .

पंडित जी : "कोमल ...हम जिस कॉलेज में कल गए थे, तुम आज वहीँ चली जाना और वहां से फार्म लेकर भर देना ..मुझे आज तुम्हारे साथ जाने की आवश्यकता नहीं है ..''

कोमल उनकी बात सुनकर हेरान सी होकर उन्हें देखने लगी, की एकदम से पंडित जी को क्या हो गया और वो उसे ऐसा क्यों कह रहे हैं, खासकर कल के वाक्य के बाद तो उन्हें मिलने की ज्यादा ललक होनी चाहिए ..फिर पंडित जी ऐसा क्यों कह रहे हैं ..

पंडित जी ने उसके चेहरे की परेशानी पड़ ली और बोले : "मैंने तो ये बात तुम्हे कल भी बोली थी ..पर शायद तुम भूल गयी हो, वैसे भी मुझे आज शीला के साथ कुछ काम है ..''

पंडित जी की बात सुनकर कोमल फिर से चोंक गयी ..

पंडित : "मेरा मतलब है , मैंने शीला से वादा किया था की परेशानियों के निवारण के लिए आखिरी बार एक और शुधि क्रिया करनी होगी ..और ये शुधि क्रिया इसके घर पर ही हो सकती थी, इसलिए मैं इतनी सुबह -२ यहाँ आ गया ''

कोमल को दाल में कुछ काला लगा ..उसे अपनी बहन शीला पर शक सा होने लगा ..कहीं पंडित जी का टांका तो नहीं भिड़ा हुआ उसकी बहन के साथ ..पर वो कुछ ना बोली ..क्योंकि उसके मन में तो खुद ही चोर था .वो सोचने लगी की उसकी बची हुई इच्छाओं का क्या होगा ..वो बिना कुछ बोले अन्दर चली गयी ..

शीला ने मुस्कुराते हुए पंडित जी की आँखों में देखा , दोनों की आँखों में वासना के बादल तैर रहे थे ..शीला उनके लिए चाय लेने अन्दर चली गयी .

वो चाय पी रहे थे की कोमल भी आ गयी, उसके कंधे पर उसका बेग था .

शीला : "अरे ..इतनी जल्दी जा रही है ..नाश्ता तो कर ले ..''

वो शायद गुस्से में थी ..वो बोली : "अभी भूख नहीं है ...बाहर खा लुंगी कुछ ..''

और इतना कहकर वो बाहर निकल गयी ..

पंडित जी नीचे सर करके मुस्कुरा दिए ..उनका तीर निशाने पर जो लगा था .

उसके जाते ही शीला ने दरवाजा बंद कर लिया ..जैसे वो खुद भी कोमल के जाने का इन्तजार कर रही थी .

वो धीरे-२ चलती हुई पंडित जी के पास आई ..उसकी साँसे इतनी तेजी से चलने लगी की उनकी आवाज पंडित जी को भी सुनाई दे रही थी ..उसका सीना बड़ी तेजी से ऊपर नीचे हो रहा था ..

वो पंडित जी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..बिलकुल पंडित जी की टांगो के बीच ..पंडित ने ऊपर देखा और उसकी साड़ी के आँचल को पकड़कर नीचे खिसका दिया ..

और जैसे ही उनकी नजर ऊपर गयी तो सिवाए दो बड़े पर्वतों के उन्हें कुछ दिखाई नहीं दिया ..शीला का चेहरा भी नहीं ..इतनी बड़ी छातियाँ थी शीला की .

उन्होंने अपने हाथ उठा कर शीला के हिम शिखरों पर रख दिए ..और अपने होंठ उसकी नाभि पर रखकर अपनी जीभ वहां घुसेड दी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......पंडित जी ........उम्म्म्म्म्म .....''

उसने पंडित जी का बोदी वाला सर पकड़ कर अपने पेट पर घुमाना शुरू कर दिया ..उसकी चूत की फेक्ट्री में से ताजा रस निकल कर बाहर तक आ गया, जिसकी सुगंध पंडित जी के नथुनों तक जैसे ही पहुंची उन्होंने उसकी गांड पर अपने हाथों का दबाव अपने चेहरे की तरफ किया और अपना सर नीचे करके साड़ी के ऊपर से ही उसकी चूत पर अपने दांतों से काट लिया ..

''अय्य्यीईईइ .......उम्म्म्म्म ....धीरे ......करो ......पंडित .......धीरे ......''

शायद उत्तेजनावश पंडित जी ने कुछ ज्यादा ही जोर से काट लिया था उसे ..

पंडित जी तो जैसे पागल हो गए थे ..उन्होंने आनन् फानन में उसकी साडी निकाल फेंकी ..और जब उसके पेटीकोट का नाड़ा नहीं खुला तो उसे ऊपर खिसका कर शीला की कच्छी अपने हाथों से निकाल फेंकी ..और उसकी टांगो को पकड़ कर उसे सोफे पर चड़ने को कहा ..शीला गहरी साँसे लेती हुई सोफे पर चढ़ गयी और अपने हाथों से पेटीकोट को पकड़कर अपनी कमर तक उठा लिया ..वो पंडित जी के दोनों तरफ पैर करके खड़ी हो गयी और जैसे ही पंडित जी ने अपना चेहरा ऊपर करके उसे इशारा किया वो धीरे -२ अपना यान उनके चेहरे पर लेंड करने लगी ..और जैसे ही पंडित जी की गर्म जीभ ने उसकी चूत को छुआ तो ऐसी आवाज हुई जैसे कोई गर्म सरिया ठन्डे पानी में डाल दिया हो ...

सुरर र्र् ....की आवाज के साथ पंडित की की जीभ उसकी चाशनी से डूबी गर्म चूत के अन्दर घुसती चली गयी ..

''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ..... ....उम्म्म्म्म्म्म्म्म ............''

उसने अपने हाथों से बड़े प्यार से उनके चेहरे को पकड़ा और उनकी आँखों में देखते हुए उसने अपना ब्लाउस उतारकर एक कोने में फेंक दिया ...और फिर ब्रा को भी खोलकर साईड में रख दिया ..

पंडित जी की जीभ तो शीला की चूत चूस रही थी पर उनकी नजरें उसे ऊपर से नंगा होते देख रही थी ..और जैसे ही उसके कड़े -२ निप्पल उभरकर सामने आये तो उन्होंने अपनी उँगलियों के बाच उन्हें फंसा कर ऐसे उमेठा की शीला दर्द के मारे अपना आसन छोड़कर खड़ी हो गयी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म ...पंडित जी .........इतना जोर से क्यों दबाते हो इन्हें ....उम्म्म्म्म्म्म .....धीरे करो ....नाआ ......''

पंडित जी ने तब तक अपने लंड को धोती और कच्छे के मायाजाल से आजाद करा लिया था और वो भी नीचे से पुरे नंगे थे ..

शीला ने पेटीकोट को किसी तरह से निकाल कर फेंक दिया और अब वो भी जन्मजात नंगी होकर उनके सामने खड़ी थी ..

पंडित जी ने उसकी कमर को पकड़कर नीचे करना शुरू किया ..और जैसे ही उसकी चूत ने उनके लंड को टच किया ..दोनों की साँसे तेज हो गयी ...और फिर बिना कोई वार्निंग दिए शीला ने अपना पूरा भार पंडित जी के ऊपर डालकर उनके नाग को अपनी पिटारी में डाल लिया ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह ....शीला ......उम्म्म्म्म्म्म्म .......''

उन्होंने शीला की गर्दन में अपनी बाहें डालकर उसे दबोच लिया और और वो उछल -२ कर बाकी का काम करने लगी ..

तभी पंडित जी की नजरें खिड़की पर गयी ..जो आधी खुली हुई थी और वहां पर खड़े साए को देखकर उन्हें ये समझते देर नहीं लगी की वो कौन है ..

वो कोमल थी ..जो काफी देर तक जुगाड़ करती रही की देखे तो सही की अन्दर हो क्या रहा है ..पर जब कोई जगह और छेद नहीं मिला तो आधी खुली खिड़की पर ही खड़ी हो गयी ..वहां से कुछ ज्यादा दिख तो नहीं रहा था पर अन्दर की सारी आवाजें जरुर सुनाई दे रही थी ..

और यही तो पंडित जी चाहते थे ..

उनका प्लान सफल होता दिख रहा था .

अब पंडित जी को मालूम हो चूका था कि खिड़की के पीछे से कोमल उनकी हर बात सुन रही है ..इसलिए उन्होंने अपनी प्लानिंग का दूसरा चरण शुरू किया ..

पंडित : "ओह्ह्ह्ह .....शीला ...तुम्हारी चूत के अंदर मेरा लंड जब भी जाता है तो पूरी दुनिया का मज़ा आ जाता है ..इसे तो अब तुम्हारी चूत कि आदत सी हो गयी है ...''

शीला : "उम्म्म्म पंडित जी .....सही कहा ....मेरे अंदर भी जब तक ये नहीं जाता मुझे सब अधूरा सा लगता है ....आपके लंड ने तो मुझे दीवाना सा बना दिया है ...ये है ही इतना मजेदार, किसी को भी अपना दीवाना बना ले ..''

उसका शरीर किसी मछली कि तरह पंडित जी के लंड पर फिसल रहा था ..और वो हर झटके से उनके लंड को अपनी चूत के अंदर और गहराईयों में ले लेती थी ..

ये सब बातें पंडित जी कोमल कि भावनाओ को भड़काने के लिए कर रहे थे और ये भी बताना चाहते थे कि उसे अंदर लेने के बाद कितने मजे मिलते हैं ..जो बाहर खड़ी हुई कोमल साफ़ सुन और समझ रही थी ..

तभी पंडित जी ने अपना लंड पूरा बाहर निकाला और उसकी गांड के अंदर दाल कर एक करारा प्रहार किया ...

एक मीठी चीख से पूरा कमरा गूँज उठा ...

''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......स्स्स्स्स्स ......''

पंडित जी आज अपना हर पैंतरा आजमा कर उसे ज्यादा से ज्यादा सुख देना चाहते थे ताकि उसकी उत्तेजना से भरी सिस्कारियां सुनकर कोमल अपनी चुदाई के लिए झट से तैयार हो जाए ..और उसे समझ में आ जाए कि इतना भी दर्द नहीं होता जितना कि वो सोच रही है ..

अचानक शीला ने कुछ ऐसा कहा कि पंडित जी के साथ-२ बाहर खड़ी हुई कोमल भी चोंक गयी ...

शीला : "ओह्ह्हह्ह ....पंडित जी .....आप जैसा जादूगर कोई और हो ही नहीं सकता ...आप मेरे सब कुछ है ...आप ही मेरे दिल कि बात को पूरा कर सकते हैं ...''

पंडित जी भी उसकी गांड के अंदर धक्के मारते हुए रुक से गए और बोले " हाँ ...हाँ ..बोलो ..क्या बात है ..''

शीला ने अपनी गांड से पंडित जी का शस्त्र बाहर निकाला और उनकी तरफ घूम गयी ...और उनके गले में अपनी बाहें डाल कर बड़े ही प्यार से बोली : " वो ...वो ...दरअसल ...मैं ....कोमल ....के बारे में सोच रही थी ...''

कोमल का नाम सुनते ही पंडित जी का पूरा शरीर सुन्न सा हो गया ...कहीं शीला को उनपर शक तो नहीं हो गया ...नहीं ..नहीं ..ऐसा नहीं हो सकता ..अगर होता तो ये इतने प्यार से बात ना कर रही होती ...कहीं ..ये मेरे द्वारा उसका उद्धार तो नहीं करवाना चाहती ..इतना सोचते ही पंडित जी के लंड में एक नयी जान आ गयी ..जिसे शीला ने भी साफ़ महसूस किया ..

शीला आगे बोली : "पंडित जी ...मुझे पता है जो मैं कहने जा रही हु वो गलत है ..पर ..पर ...''

पंडित : "अरे कुछ भी हो ...तुम बोलो ...मैं तुम्हारी बात सुनने के लिए और उसे मानने के लिए तैयार हु ..''

पंडित जी कि बात सुनते ही शीला के होंठों पर हंसी आ गयी ..जैसे उसका मिशन पूरा हो गया हो ..

उसने बड़े ही प्यार से पंडित जी के लंड को अपनी चूत के ऊपर लगाया और उनकी आँखों में देखा और धीरे से फुसफुसाई : "मैं कोमल के साथ वो सब कुछ करना चाहती हु जो आप मेरे साथ करते हैं ...''

उसकी बात सुनकर पंडित जी को कुछ नहीं सूझा कि क्या बोले और क्या नहीं ..कहाँ तो वो अपने और कोमल के बारे में सोच रहे थे पर यहाँ तो उसकी खुद कि बहन ही उसके साथ मजे लेना चाहती है ..

'क्या शीला लेस्बियन है ?' पंडित जी ने मन ही मन सोचा ..

पर तभी जैसे शीला ने उनके मन कि बात पड़ ली हो, वो बोली : "मुझे पता है कि आप सोच रहे होंगे कि मैं समलैंगिग हु ..पर ऐसा नहीं है ..आप के साथ तो सब कुछ कर ही रही हु ...पर पिछले कुछ दिनों से कोमल मुझे बुरी तरह से आकर्षित कर रही है ..मैं जानती हु कि मैंने ही आपसे कहा था कि उसको ऐसे बुरे कार्यों और लोगो से बचा कर रखना है मुझे ..पर उसके भरते हुए शरीर को देखकर कब वो मुझे आकर्षित करने लगी , मुझे खुद भी पता नहीं चला ..ऐसा मेरे साथ कभी नहीं हुआ ...पिछले 2 -3 बार से मैं जब भी आपके साथ होती हु तो आँखे बंद करके मुझे कोमल का ही एहसास होता है ..उसके जवान होते शरीर ने मुझे पागल बना दिया है ..दिन रात बस उसके बारे में ही सोचती रहती हु ..पर मुझे पता है कि ये सब गलत है ..उसपर इन सब बातों का क्या प्रभाव पड़ेगा ये भी मैं जानती हु ...पर अब मैं मजबूर हु ..मुझे कुछ और सूझ नहीं रहा ..और आपके अलावा मैं ये बात और किसी से कह भी नहीं सकती ..आप ही मुझे कोई राह दिखाओ ...''

इतना कहते ही उसने उनके स्टील रोड जैसे लंड को अपनी चूत के अंदर एक ही झटके में डाल लिया और जोर से चिल्लाई : "बोलो ....दिखाओगे न मुझे राह .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......बोलो पंडित जी ....अह्ह्हह्ह ....बोलो ....''

अब बेचारे पंडित जी क्या बोलते ...उनकी तो बोलती बंद कर दी थी इस नए खुलासे ने ..वो खुद कोमल को चोदना चाहते थे ...और उसकी खुद कि बहन शीला उसे ''चोदने'' कि फिराक में थी ..

पर तभी उनके दिमाग में विचार आया ..वो अगर शीला कि मदद करेंगे तो शायद उसके सामने ही उसे चोदने का मौका मिल जाए ...वाह ...तब तो मजा आ जाएगा ...कोमल को इस बात के लिए मनाना मुश्किल नहीं होगा ..और शीला ज्यादा से ज्यादा क्या करेगी कोमल के साथ ..उसके मुम्मे चूसेगी ..उसकी चूत चाटेगी ..अपनी चूत से उसे रगड़ेगी ..इतना ही न ..असली काम तो लंड ही कर सकता है ..वाह पंडित जी ..क्या किस्मत पायी है ...कहाँ तो अपना दिमाग लगा कर कोमल को उकसाने कि कोशिश कर रहे थे और यहाँ शीला ने खुद ही सब कुछ आसान कर दिया ..

उन्होंने शीला कि कमर को अपने हाथों से पकड़ा और नीचे से तेज झटके मारे हुए बोले : "हाआन्नन ......मेरी जान हाँ .....मैं तेरा साथ दूंगा .....अह्ह्हह्ह .....ओह्ह्हह्ह ....तेरी बहन कोमल कि चूत को पाने में तेरा साथ दूंगा .....अह्ह्ह्ह ....''

इतना सुनते ही शीला किसी बावली कुतिया कि तरह उनके लंड पर भरतनाट्यम करने लगी ..पूरा लंड अंदर बाहर करते हुए फच -२ कि आवाजें निकलने लगी ...और अचानक पंडित जी के लंड से सफ़ेद रंग के फुव्वारे निकलने लगे ..फिर भी शीला ने उछलना नहीं छोड़ा ..उसका खुद का ओर्गास्म हो चूका था ..वो बुरी तरह से चिल्लाती हुई पूरी हवा में उछल गयी ..इतना उछली कि पंडित जी का लंड उसकी चूत से बाहर निकल आया ..और उस एक लम्हे के लिए दोनों कि नजर लंड पर गयी जिसमे से एक और पिचकारी निकलकर हवा में तैर रही थी ..पर अगले ही पल शीला कि चूत धम्म से उस पिचकारी को पंडित जी के लंड समेत फिर से अपने अंदर निगल गयी ..

बड़ा ही विहम दृश्य था ..और इस बार बचा हुआ लावा उन्होंने शीला के अंदर ही बहा दिया ..और दोनों एक दूसरे को अपनी बाहों में लेकर जोर - २ से साँसे लेने लगे .

पंडित जी ने खिड़की कि तरफ देखा ..वहाँ कोई सांया नहीं था ..शायद कोमल काफी पहले जा चुकी थी .

शीला का सर झुका हुआ था ..उसने धीरे से पंडित जी से कहा : "पंडित जी ...मैंने जो भी कहा ...आपको बुरा तो नहीं लगा न ..''

पंडित : "नहीं शीला ...याद है ..मैंने तुमसे वादा किया था कि तुम्हारी हर इच्छा पूरी करूँगा ..तुम्हे दूसरे लंड खिलाएं है तो अपनी बहन कि चूत खिलाने में क्या मैं तुम्हारी मदद नहीं कर सकता ..''

पंडित जी कि बात सुनकर शीला शरमा गयी ..वो बोली : "पर पता नहीं ...कोमल इन सबके लिए तैयार होगी या नहीं ..''

पंडित : "वो सब तुम मुझपर छोड़ दो ...मैं उसे मना लूँगा ..''

शीला : "मुझे आप पर पूरा भरोसा है ..तभी मैंने अपने मन कि बात आपको बतायी है ...''

और इतना कहकर वो पंडित जी के होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी ..

शायद उसके अंदर फिर से एक तूफ़ान जन्म ले रहा था ..

और पंडित जी के अंदर नयी योजनाये ..

पंडित जी ने बोल तो दिया था शीला से पर उन्हें ये चिंता भी सता रही थी कि कोमल ने वो सब शायद सुन लिया है ..अब पता नहीं वो कैसे रिएक्ट करेगी ..

वो यही सब सोचते - २ वो अपने घर पहुँच गए ..

और वहाँ पहुंचकर देखा कि कोमल उनके कमरे के बाहर खडी हुई उन्ही का इन्तजार कर रही है ..

पंडित जी का चेहरा देखने लायक था ..वो बिना कुछ बोले अपने कमरे का ताला खोलकर अंदर आ गए ..और उनके पीछे-२ कोमल भी आ गयी और उसने आते ही दरवाजा अंदर से बंद कर लिया .

कोमल : "कब से चल रहा है ये सब ...''

उसकी आवाज में ईष्र्या और क्रोध के भाव थे ..

पंडित जी जानते थे कि उन्हें डरने कि कोई जरुरत नहीं है ..क्योंकि आते-२ उन्होंने सोच लिया था कि क्या बोलना है ..

पंडित : "तुमसे मतलब ...ये मेरी निजी जिंदगी है ..तुम कौन होती हो इसके बारे में सवाल पूछने वाली ..''

कोमल : "मतलब है ..क्योंकि वो मेरी बहन है ..और तुम एक तरफ मेरे साथ और वहाँ ...छी :..मुझे तो अपने आप पर घिन्न सी आ रही है ..''

पंडित : "देखो कोमल ..हमारे बीच आज तक जो भी हुआ है वो सब तुम्हारी रजामंदी से हुआ है ..और रही बात तुम्हारी बहन कि तो उसे मैं तुमसे पहले से जानता हु ..तुम शायद ये नहीं देख पा रही हो कि उस अभागी कि जिंदगी में जो कमी थी वो मैंने किस तरह से पूरी कि है ..''

कोमल (गुस्से में) : "क्या कमी थी उन्हें ...मुझे पता है ..वो ऐसी नहीं है ..उन्हें जरुर आपने ही अपने जाल में फंसाया होगा ..

पंडित : "जैसे तुमने मुझे अपने जाल में फंसाया है ...या फंसा रही थी ..है न ..अपनी इच्छाओं का सहारा लेकर जो नाटक तुम खेल रही थी इतने दिनों से वो क्या मुझे दिखायी नहीं देता ..सब पता चलता है मुझे ..चुतिया नहीं हु मैं ...''

इस बार पंडित जी कि आवाज में भी रोष था ..और उनसे ऐसी बात सुनने कि शायद कोमल को आशा नहीं थी .

पंडित आगे बोला : "तुम्हारी तो अभी शादी भी नहीं हुई, फिर भी तुम मेरे साथ ऐसी हरकतें कर रही हो जिसे इस समाज में गलत समझा जाता है ..अगर एक बार ये बात फ़ैल गयी कि तुमहरा चरित्र ऐसा है तो तुमसे कोई शादी भी नहीं करेगा ..और दूसरी तरफ तुम्हारी बहन है, जो शादी के बाद जब से विधवा हुई है उसने उस सुख को पूरी तरह से महसूस भी नहीं किया , और अगर मेरी वजह से उसे वो ख़ुशी दोबारा मिल पा रही है तो मैं नहीं समझता कि इसमें कोई गुनाह है ..मैं तो इसे अपना धर्म समझ कर निभा रहा हु ..''

पंडित जी ने बड़ी चालाकी से अपने काले कार्यों पर पर्दा डाला ..और ये सब कोमल सम्मोहित सी होकर सुनती जा रही थी .

पंडित जी ने आखिरी पैंतरा फेंका : "एक तुम हो जो अपनी बहन कि ख़ुशी देखकर जल रही हो ...और एक शीला है जिसे तुम्हारी इतनी चिंता है ..''

कोमल : "मेरी चिंता ...!! कैसे ?? "

पंडित : "तुम्हे क्या लगता है कि मैं तुम्हारे साथ क्यों जा रहा हु इतने दिनों से ..सिर्फ तुम्हारी बहन के कहने पर ..तुम तो उससे जल रही हो ..पर उसे तुम्हारी इतनी फ़िक्र है ...इसलिए वो नहीं चाहती थी कि तुम किसी गलत आदमी के साथ वो सब करो ..क्योंकि उसे मुझपर भरोसा था इसलिए मुझे बोला उसने ..''

पंडित जी ने एक दो बाते अपनी तरफ से लगा दी ताकि कोमल को उसकी बातों पर विशवास हो जाए .

कोमल तो पंडित जी कि ये बात सुनकर एकटक सी होकर उन्हें देखती ही रेह गयी ...और उसकी आँखों से आंसुओं कि धारा बह निकली ..

पंडित जी आगे आये और उन्होंने उसके सर पर हाथ रखकर उसे अपने सीने से लगा लिया ..ऐसा करते ही वो फूट-२ कर रोने लगी ..

कोमल : "मैं कितनी बुरी हु पंडित जी ...सिर्फ अपने बारे में ही सोच रही थी ..और दीदी को मेरी इतनी चिंता है ..मैं बहुत बुरी हु ...बहुत बुरी ...''

फ़िल्मी डायलॉग लग रहे थे वो सब ...और पंडित जी उसके गुदाज जिस्म कि नरमाहट अपने हाथों से महसूस करते हुए उसे सांत्वना दे रहे थे ..

और रोते -२ कोमल के जिस्म में गर्माहट सी आने लगी ..उसे पंडित जी के हाथों कि सरसराहट अच्छी लग रही थी ..

पंडित जी ने धीरे से उसके कानों में पूछा : "तुमने आज क्या देखा वैसे ...??"

उन्हें पता तो था कि कोमल घर के बाहर खड़ी हुई उनकी हर बात सुन या देख रही थी ..पर उसने कितना सूना या देखा वही पंडित जी कन्फर्म कर रहे थे ..

कोमल : "कहाँ .....कोई जगह ही नहीं थी देखने कि ...सिर्फ दीदी कि सिसकियाँ सुनायी दे रही थी ..और बीच-२ में एक दो बातें भी ...पर बाद में साथ वाली आंटी ने मुझे ऐसे खड़े हुए देख लिया और पूछने लगी कि बाहर क्यों खडी है ..इसलिए मैं वहाँ से निकल गयी ...कुछ ज्यादा देख ही नहीं पायी ''

उसने मायूसी से कहा ...

पंडित जी ने मन ही मन शुक्र मनाया कि उसने शीला कि इच्छा के बारे में नहीं सुना क्योंकि वो उसे अपने तरीके से राजी करवाना चाहते थे ..

पंडित जी ने हाथ फेरने चालु रखे ..और अब तो कोमल भी उनके हाथों का मजा ले रही थी ..उसने पंडित जी कि कमर के चारों तरफ हाथ लपेट लिए और बोली : "आप ही बताइये न ..क्या हो रहा था अंदर ...''

उसकी आँखों में दिख रही उत्सुक्तता पंडित जी को साफ़ दिख रही थी ..

पंडित (मुस्कुराते हुए) : "वही ...जो अक्सर होता है ...जब एक पुरुष एक स्त्री से मिलता है ..''

कोमल उनके सीने पर मुक्का मारते हुए बोली : "उंहु ....बताइये ना ...क्या कर रहे थे आप अंदर ...''

पंडित जी के दिमाग में योजना बन चुकी थी ..

पंडित : "तुम्हे पता है ..शीला के होंठ मुझे सबसे ज्यादा पसंद है ..उनकी नरमाहट ...मिठास ..ऐसी किसी और कि हो ही नहीं सकती ...''

कोमल कि आँखे फेल सी गयी ..उसे शायद विशवास नहीं था कि उसे बाहों में भरकर पंडित जी उसकी बहन कि तारीफ करेंगे ..

पर इसका भी एक कारण था ..

एक तो वो ऐसी बातें करके उसमे उत्तेजना का संचार करना चाहते थे ..

और दूसरी, वो शीला कि बड़ाई करके कोमल के मन में उसके लिए ललक पैदा करना चाहते थे ..

कोमल : "अच्छा जी ...मेरे होंठ क्या उतने मीठे नहीं है ..''

पंडित : "ये तो चखने के बाद ही पता चलेगा ...''

पंडित जी कि बात पूरी भी नहीं हो पायी थी कि वो लोमड़ी कि तरह से उछली और उनके होंठों पर अपने होंठों को जोर से रगड़ने लगी ..और तब तक रगड़ती रही जब तक पंडित जी ने अपने होंठ खोलकर उसके होंठों को अपने मुंह के अंदर निगल नहीं लिया ...

और फिर तो ऐसी चूमा चाटी हुई वहाँ कि दोनों को सांस लेने कि भी फुर्सत नहीं मिल रही थी ..एक दूसरे के मुंह से आ रही हवा से ही दोनों अपनी जिंदगी चला रहे थे .

और आखिरकार पंडित जी को ही हार माननी पड़ी ..और उन्होंने बड़ी मुश्किल से कोमल के चुंगल से अपने होंठों को छुड़ाया और उसे धक्का देकर पीछे किया ..

दोनों बुरी तरह से हांफ रहे थे ..

कोमल : "अब .....बोलो ....किसके ..मीठे हैं ...''

पंडित जी ने चालाकी का परिचय देते हुए कहा : "मीठे तो तुम्हारे हैं ...पर नरम उसके हैं ..''

अब वो बेचारी क्या बोलती ..आखिर उसकी बहन ही थी शीला ..

कोमल : "अच्छा ..और बताओ ...और क्या किया था आज ...''

वो पंडित जी के बिस्तर पर अपनी कोहनियों का सहारा लेकर आधी लेटी हुई थी ..उसकी छातियाँ अभी तक ऊपर नीचे हो रही थी ..और टी शर्ट में से उसके निप्पल कि छवि साफ़ दिख रही थी .

पंडित जी जानते थे कि वो पूरी गर्म है ..वो चाहते तो अभी उसकी चूत मारकर सारे मजे लूट सकते थे ..पर वो उसे अभी और तड़पाना चाहते थे ..पर जितने मजे अभी वो ले सकते थे वो भी छोड़ना नहीं चाहते थे ..

इसलिए वो बोले : "शीला को मेरा लंड चूसना सबसे ज्यादा पसंद है ...और मेरे होंठों को चूसने के बाद वो सबसे पहले मेरा लंड ही चूसती है ...''

कहते -२ पंडित जी उसकी टांगो के बीच जाकर खड़े हो गए ..

कोमल कि नाक में से निकल रही हवा अचानक तेज हो गयी ..जैसे उसे सांस लेने में तकलीफ हो रही हो ..

और वो धीरे-२ सीधी होकर बैठ गयी ..और उसके हाथ पंडित जी कि धोती के ऊपर फिसलने लगे ..

अंदर कैद हुए लंड कि गर्माहट को जैसे ही कोमल ने अपनी हथेलियों पर महसूस किया वो पागल सी हो गयी ..और धोती के ऊपर से ही उनके लंड को अपने मुंह के अंदर लेकर चूमने लगी ..

इतनी बैचेनी ..इतनी कसमसाहट ..पंडित जी ने आज तक किसी के द्वारा महसूस नहीं कि थी ..

उन्होंने जल्दी से अपनी धोती खोल दी ..और जैसे ही उनका अंडरवीयर नीचे गिरा, उनके दैत्याकार लंड को अपनी भूखी जीभ से इतना नहलाया कोमल ने कि नीचे जमीन पर उसकी लार का ढेर लग गया ..

और पंडित जी कि आँखों में देखते हुए जैसे ही उनके लंड को अपने मुंह में लिया ..पंडित जी अपने पंजो पर खड़े होकर सिस्कारियों कि सीटियां मारने लगे ...

''स्स्स्स्स .....अह्ह्ह्हह्ह्ह ....उम्म्म्म्म्म्म ......कोमल ........अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......धीरेेेे .....''

वो तो लंड के साथ -२ उनकी गोटियां भी चूस रही थी ..

कोमल ने ऊपर आँखे करके पंडित जी से आँखों ही आँखों में पूछा ...''अब बोलो पंडित जी ....कौन अच्छा चूसता है ...''

पर पंडित जी जवाब देने वाली हालत में नहीं थे ..उन्हें तो लग रहा था कि उनका लंड किसी सकिंग मशीन में फंस गया है ..कोमल के मुंह से निकल रहे हर झटके के साथ वो और अंदर घुसते चले जा रहे थे ..

और दो मिनट के अंदर ही पंडित जी के लंड ने उनका साथ छोड़ दिया और पंडित जी ने भरभराकर अपने लंड का सारा पानी कोमल के मुंह के अंदर निकाल दिया ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह .....अह्ह्ह ओह्ह्हह्ह्ह्ह ....कोमल ......मैं तो गया ......अह्ह्ह्हह्ह ...''

और वो निढाल से होकर वहीँ उसकी बगल में गिर गए ..

आँखे बंद करके वो सोच रहे थे कि उन्होंने ये कैसा पंगा ले लिया है ...अपनी बहन से बेहतर बनने के लिए ये कुछ भी कर सकती है ..पर उसके लिए उन्हें क्या -२ सहन करना होगा ये तो आने वाला वक़्त ही बतायेगा ..

कोमल ने अपनी साँसे सम्भाली और फिर से पंडित जी से पुछा : "बोलिये न ..कौन चूसता है अच्छा ..''

कोमल को अपनी परफॉर्मन्स का रिजल्ट जल्द से जल्द जानना था .

पंडित : "निसंदेह तुम ..मुझे तो ऐसा लग रहा था कि मैंने अपना लंड किसी मशीन में डाल दिया है .."

अपनी सकिंग पावर कि तारीफ सुनकर वो फूली न समायी ..और पंडित जी से लिपट गयी ..

अचानक वो पंडित जी से बोली : "मुझे देखना है .."

पंडित जी : "क्या !! क्या देखना है ..?"


कोमल : "आप जो भी करते हो दीदी के साथ वो सब मुझे देखना है ..''

पंडित जी आँखे फाड़े उसकी तरफ देखे जा रहे थे कि वो आखिर चाहती क्या है ..

कोमल : "हाँ ...आपने सही सुना ..मुझे देखना है कि आप कैसे दीदी के साथ वो सब करते हो ..और वो कैसा फील करती है ..''

पंडित : "पर वो सब देखकर तुम्हे क्या मिलेगा ..?"

कोमल (थोडा सोचकर) : "हिम्मत ...मिलेगी मुझे ..''

पंडित जी समझ गए कि वो अपनी चुदाई से पहले देखना चाहती थी कि वो पंडित जी के लंड को सम्भाल भी पायेगी या नहीं ..

उन्होंने मुस्कुराते हुए कहा : "ठीक है ...पर ये सब होगा कैसे ..?"

कोमल : "वो सब मैंने सोच लिया है ..कल माँ और पिताजी दो दिन के लिए गाँव जा रहे हैं ..सिर्फ मैं और दीदी ही होंगी अकेले ..आप कल रात को वहाँ आ जाना ..''

पंडित : "पर शीला तुम्हारे सामने कभी भी नहीं करेगी वो सब ..''

पंडित जी ने ये जान बूझ कर बोला था ..वर्ना वो अच्छी तरह से जानते थे कि शीला तो खुद अपनी बहन के साथ थ्रीसम का प्लान बनाकर बैठी है .

और पंडित जी चाहते तो अभी वो थ्रीसम कर सकते थे ..बस शीला के मन कि बात कोमल को बताने कि देर थी ..वो कभी मना नहीं करती ..पर अगर सब कुछ इतनी आसानी से हो जाए तो उसमे कोई मजा नहीं है, ये सोचकर उन्होंने कोमल को कुछ नहीं बताया ..और कोमल कि योजना को सुनने लगे ..

पूरी योजना सुनकर पंडित जी अवाक रह गए और बोले "क्या सच में तुम ऐसा करना चाहती हो ...."

कोमल : "हाँ ...तभी तो मैं वो सब देख पाऊँगी ..''

पंडित जी ने हामी भर दी और कल उनके घर आने के लिए बोल दिया ..

और कोमल कि योजना के अनुसार शीला को इस प्लान के बारे में कुछ भी नहीं बताना था ..

जाते-२ पंडित जी ने कोमल से कहा : "अच्छा सुनो ..तुम कल कोई सेक्सी से कपडे पहनना ...''

कोमल उनकी बात सुनकर मुस्कुराती हुई चली गयी ..

अगले दिन रात के दस बजे का इन्तजार करते-२ पंडित जी को ऐसा लगा जैसे सालों का इन्तजार कर रहे हैं वो .

और दस बजते ही पंडित जी शीला के घर कि तरफ चल दिए .

वहाँ पहुंचकर देखा कि पूरा घर अन्धकार में डूबा हुआ है ..उन्होंने धीरे से दरवाजा खड़काया ..और लगभग 2 मिनट के बाद अंदर से शीला कि आवाज आयी : "कौन है ..?"

पंडित : "मैं हु शीला ..''

शीला उनकी आवाज पहचान गयी ..और हेरान होते हुए दरवाजा खोल दिया ..

शीला : "अरे पंडित जी आप ...? इतनी रात को .."

पंडित जी उसको धक्का देते हुए अंदर घुस गए ..शीला ने भी बाहर निकल कर इधर उधर देखा और फिर पीछे से दरवाजा बंद करके वो भी अंदर आ गयी .

पंडित : "बस ऐसे ही ..आज ना तो तुम ही आयी और ना ही कोमल ..सोचा कि चलकर देख लू कि सब ठीक तो है न ..और वैसे भी तुमसे मिले बिना रहा नहीं जाता एक भी दिन ..''

शीला (धीरे से) : "आप भी न पंडित जी कमाल करते हैं ..आजकल कुछ ज्यादा ही शैतान हो गए हैं आप ..दरअसल ..आज कोमल कि तबीयत ठीक नहीं थी ..और माँ-पिताजी ने भी आज गाँव जाना था ..इसलिए मैं बाहर ही नहीं निकल पायी ..वर्ना आपसे मिलने का तो मेरा भी मन कर रहा था ..''

शीला ने एक पतला सा गाउन पहना हुआ था जिसे अंदर कुछ भी नहीं था ..और पंडित जी से बात करते-२ उसके निप्पल पुरे खड़े हो चुके थे और पंडित जी कि आँखों में वो शालीमार हीरे कि तरह चमक रहे थे .

शीला : "और तबीयत खराब होने कि वजह से कोमल भी दवाई लेकर जल्दी ही सो गयी ..''

पंडित : "तुम्हारे माँ-पिताजी के जाने कि बात तो मुझे कल ही कोमल ने बता दी थी ..इसलिए तो आया हु इस वक़्त तुमसे मिलने ..''

शीला : "पर ....वो ...अंदर कोमल भी तो है ...वो मेरे कमरे में ही सो रही है ..अगर उसकी नींद खुल गयी तो ..''

पंडित : "वो तो और भी अच्छा होगा, हमें वो सब करते देखकर उसका मन भी कर जाएगा ..और यही तो तुम भी चाहती हो न ..''

शीला : "हाँ ...मगर ऐसे नहीं ..उसे इस तरह नहीं पता चलना चाहिए ..आपने तो अभी तक कोई बात नहीं कि न उसके साथ .."

पंडित जी ने ना में सर हिलाया ..और ऐसा करते-२ उनका एक हाथ अपने लंड पर भी आ गया और वो उसे हिला कर खड़ा करने लगे ..

शीला भी उनकी हरकत देखकर अंदर से गर्म होने लगी ..पर उसे अपनी छोटी बहन के उठने का डर भी सता रहा था ..अब वो बेचारी क्या जानती थी कि ये तो खुद कोमल और पंडित जी का प्लान था ..

पंडित जी ने उसका हाथ पकड़ा और आगे चल दिए ..शीला के कमरे कि तरफ ..

शीला ने एकदम से अपना हाथ छुड़ाया : "ये क्या ...अगर कुछ करना ही है तो यहीं पर करो न पंडित जी ..वहाँ कोमल सो रही है ..''

पंडित : "अगर तुम कुछ करना चाहती हो तो वहीँ पर करना होगा ..तभी तुम्हारी शर्म निकलेगी अपनी बहन के सामने ..और वैसे भी वो दवाई ले कर सो रही है ..उसकी नींद नहीं खुलेगी ..सोचो ..तुम एक ही कमरे में नंगी होकर मुझसे चुदवा रही हो ..और सामने तुम्हारी बहन सो रही है ..''

पंडित जी ने उसे खुली आँखों से एक हसीं सपना दिखा दिया ..

वो भी उसे इमेजिन करते हुए पंडित जी के पीछे-२ अंदर आ गयी ..

और यही तो पंडित जी और कोमल का प्लान था ..पंडित जी को किसी भी तरह से शीला को सोती हुई कोमल के सामने चोदना था ..इस तरह से वो आसानी से उनकी चुदाई देख और सुन सकती थी ..

जब तक शीला पंडित जी को दोबारा रोक पाती वो दोनों उसके कमरे में पहुँच चुके थे ..अंदर जीरो वाल्ट का बल्ब जल रहा था ..और बिस्तर पर कोमल बड़े ही सेक्सी पोज़ में सो रही थी ..और पंडित जी के कहे अनुसार उसने एक छोटी सी सेक्सी सेटिन कि निक्कर और ऊपर उसी कपडे कि शर्ट पहनी हुई थी ..जो इतनी तंग और छोटी थी कि कोमल कि नाभि साफ़ सिख रही थी और उसने अंदर ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए उसके निप्पल भी चमक रहे थे ..

अच्छा नाटक कर रही थी वो सोने का .

दूधिया रौशनी में उसका गोरा बदन पूरी तरह से चमक रहा था ..पंडित जी का लंड उसे देखकर पूरा खड़ा हो गया ..

शीला अब भी उन्हें खींचकर बाहर चलने का इशारा कर रही थी ..पंडित जी ने होंठों पर ऊँगली रखकर उसे चुप कराया और धीरे से फुसफुसाए : "बाहर नहीं ...यहीं पर करेंगे आज ..इसी पलंग पर ...अब बस मजे लो ...कुछ बोलना नहीं ...वर्ना वो उठ जायेगी ..''

पंडित जी ने उसे बोलने के लिए इसलिए भी मना किया था क्योंकि वो नहीं चाहते थे कि शीला के मुंह से कोई ऐसी बात निकल जाए जिससे कोमल को ये पता चल जाए कि उसकी बहन के मन में क्या चल रहा है ..

और दूसरी तरफ शीला कि चूत में से भी गर्म रस निकलकर उसकी जाँघों तक बहने लगा था ..सिर्फ ये सोचकर कि आज पंडित जी उसे उसकी छोटी बहन के सामने ही चोदने कि बात कर रहे हैं ..और वो भी एक ही बिस्तर पर ..इतना काफी था उसकी टांगो के बीच में से चूत का रस निकालने के लिए .

पंडित जी ने शीला को अपने गले से लगा लिया ..और उन्हें अपनी छाती पर उसकी मिसाईल पर लगी नोक बुरी तरह से चुभ रही थी .

और जब वो उसे गले मिल रहे थे तो उनका चेहरा कोमल कि तरफ था ..रौशनी कम थी पर फिर भी ध्यान से देखने पर पंडित जी को कोमल कि खुली हुई आँखे साफ़ दिख रही थी ..उन्होंने आँख मारकर उसे आगे का खेल देखने के लिए कहा ..

पंडित जी ने पलक झपकते ही शीला का गाउन उतार फेंका ..उसने ब्रा तो पहनी नहीं थी इसलिए उसकी मोटी - २ छातियाँ झूलती हुई पंडित जी के सामने आ गयी ..नीचे उसने सिर्फ एक पतली सी पेंटी पहन रखी थी .

पंडित जी नीचे झुके और उन्होंने शीला कि डाली में से बेर पकड़कर अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसकर उसका स्वाद लेने लगे ..

शीला बीच कमरे में ऊपर से नंगी होकर खड़ी थी ..वो सिर्फ अपनी आँखे बंद करके सिस्कारियां मारने के सिवाए कुछ नहीं कर पा रही थी .

अपने बांये हाथ को पंडित जी ने उसकी चूत कि तिजोरी में डाला और अपनी बीच वाली ऊँगली को चाभी बनाकर वहाँ का ताला खोल दिया ..

पंडित जी को ऐसा लगा कि उनकी ऊँगली मोम से बनी हुई है जिसे उन्होंने किसी आग कि भट्टी के अंदर डाल दिया है .

काफी देर तक उसके बेर का स्वाद लेने के बाद उन्होंने दूसरे बेर को भी उतनी ही देर तक चखा ..तब तक शीला कि भी हालत बुरी हो चुकी थी ..उससे जब सहन नहीं हुआ तो उसने पंडित जी का चेहरा ऊपर उठाया और अपने होंठों से लगा कर उनका रस पीने लगी ..

पंडित जी को चूमते हुए उसके चेहरे पर असीम सी ख़ुशी थी ..

शायद अपनी बहन के सामने वो सब करने कि ख़ुशी थी ..

शीला तो पंडित जी के साथ रासलीला करने में मग्न थी और ये भी नहीं जानती थी कि वो सब उसकी छोटी बहन साफ़ देख पा रही है ..वैसे भी अभी तक तो शीला कि पीठ थी कोमल कि तरफ इसलिए कोमल को ज्यादा सावधानी नहीं बरतनी पड़ रही थी और वो खुली आँखों से सारा ज्ञान बटोर रही थी .

पंडित जी ने शीला को नीचे धक्का दिया और एक ही झटके में अपने कपडे उतार कर अपना खुन्कार लंड उसके मुंह में धकेल दिया ..और वो भी भूखी लोमड़ी कि तरह उनके लंड को कुतर कुतर कर खाने लगी .

नीचे बैठ जाने कि वजह से शीला तो कोमल कि आँखों से ओझल सी हो गयी थी ..इसलिए वो अब खुलकर अपने शरीर को पुरे बिस्तर पर मचला रही थी ..ऐसा लग रहा था कि पंडित जी कर तो शीला के साथ रहे हैं पर मजे कोमल को मिल रहे हैं .

वो बड़ी ही प्यासी नजरों से पंडित जी को देख रही थी ..उसकी नजर रह -रहकर उनके लंड कि तरफ जा रही थी ..पर उसकी बड़ी बहन कि वजह से वो उनके लंड को देख ही नहीं पा रही थी ..पूरा निगल चुकी थी शीला पंडित जी के लंड को ..

अपने शरीर से नियंत्रण खोता जा रहा था कोमल का ..उसने एक तीखी सी सिसकारी लेते हुए अपना हाथ अपने शॉर्ट्स के अंदर खिसका दिया ..और गीले पार्क के अंदर अपनी उँगलियों से खुदाई करने लगी .
पंडित जी के सामने इतना उत्तेजक दृश्य था ..नीचे शीला बैठ कर उनका लंड चूस रही थी और सामने उसकी छोटी बहन कोमल अपनी जवानी का जलवा दिखाकर उनके लंड के अंदर एक नए रक्त का संचार कर रही थी .

और कोई होता तो कोमल को साथ मिलाने में जरा भी देरी ना करता ..पर पंडित जी जानते थे कि कोमल को जितना तरसायेंगे वो बाद में उतना ही मजा देगी ..अभी ना सही कल तो उसे उनके लंड के नीचे आना ही है .

यही सोचकर उन्होंने अपना सारा ध्यान शीला कि तरफ कर दिया ..

उन्होंने उसे उठाया और ऊपर लेजाकर कोमल कि बगल में लिटा दिया ..कोमल ने पहले से ही अपनी हालत सुधार ली थी और फिर से बुत्त बनकर सोने का नाटक करने लगी ..

पंडित जी ने शीला को पेट के बल लिटा दिया ..ताकि कोमल वो सब आसानी से देख सके जो पंडित जी उसके साथ करना चाह रहे हैं ..अब कोमल ने अपनी आँखे खोल ली थी और सिर्फ एक फुट कि दूरी से वो सब देख रही थी जिसके लिए वो ना जाने कब से तरस रही थी .

पंडित जी ने अपनी खुरदुरी जीभ शीला कि कमर पर रख दी और उसे नीचे से ऊपर कि तरफ चाटना शुरू कर दिया ..

'अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ...स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ....उम्म्म्म ...पंडित जी ......अह्ह्हह्ह ....क्यों तरसा रहे हो ...जल्दी आओ न अब ..''

उसके जिस्म के नमक को पंडित जी अपनी जीभ से इकठ्ठा करते हुए निगल गए .

अब वो बेचारी शीला को क्या समझाते कि वो इतनी देरी क्यों लगा रहे हैं, वो तो कोमल को अपनी कला का नमूना दे रहे थे ..और उनकी कला का प्रभाव कोमल पर अंदर तक पड़ रहा था .

फिर उन्होंने शीला सीधा करके पीठ पर लिटा दिया ..और अब उसकी महकती हुई, दहकती हुई , रसीली ,मीठी सी चूत उनके सामने थी ..उन्होंने बिना उसकी पेंटी उतारे अपना चेहरा उसकी टांगो के बीच डाला और उसकी मोटी सी चूत को अपने मुंह के अंदर भरकर एक जोरदार कट्टी मार ली .
.

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्य्य्य्य्य्य ........मार्र्र्र्र .....गयी .....अह्ह्ह्हह्ह .....पंडित जी ......क्या करते हो ....कच्चा खा जाओगे क्या ....अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''

शायद आवेश में आकर पंडित जी ने अपने पैने दांत कुछ ज्यादा ही तेज मार दिए थे शीला के खजाने पर ..

और उसका भुगतान करते हुए उन्होंने बड़े ही प्यार से उसकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया ..और अपने मोटे-२ होंठों के बीच उसकी चूत के पतले होंठ फंसाकर उन्हें मरहम लगाने लगे .

अपनी बहन कि चूत के साथ ऐसा खिलवाड़ होता देखकर कोमल को जलन सी होने लगी ..वो सोचने लगी कि वो सब उसके साथ क्यों नहीं हो रहा ..और मन ही मन अपने आप को कोसने लगी कि उसने पहले से ही पंडित जी को क्यों नहीं कहा उसके साथ भी ये सब करने को ...कितना मजा आए रहा है दीदी को ..काश वो मजा इस समय उसे भी मिल सकता ..

वो सोच ही रही थी कि पंडित जी का एक हाथ सीधा आकर उसकी चूत से टकराया ...उसका पूरा शरीर सिहर सा उठा ..शीला तो अपनी चूत चुस्वाने में बिज़ी थी इसलिए उसकी आँखे बंद थी ..

पंडित जी ने बिना देरी किये अपना हाथ उसकी शॉर्ट्स के अंदर डाल दिया ..और उसकी कुंवारी चूत के छत्ते से ढेर सारा शहद निकाल कर बाहर ले आये ..और सीधा अपने मुंह में लेजाकर उसे निगल गए ..

वाह .....इतना मीठा शहद ....उनकी प्यास और भी बड़ उठी ...उनका हाथ फिर से वहाँ गया और फिर से अपनी गीली उँगलियाँ लेकर बाहर निकला ..पर इस बार उन्होंने उन उँगलियों को खुद चाटने के बजाये शीला के मुंह कि तरफ खिसका दिया ...जिसे वो प्यासी कुतिया कि तरह चूस गयी ..

वो सोच रही थी कि पंडित जी उसका खुद का रस उसे चटा रहे हैं ..पर वो नहि जानती थी कि ये तो उसकी कुंवारी बहन कि चूत का पानी है ..

अब पंडित जी से भी सहन करना मुश्किल हो रहा था ..

वो अपने घुटनों को मोड़ कर शीला कि टांगों के बीच आ गए ..और अपने ढोलू को उसकी ढोली पर रखकर एक जोरदार झटका मारा ..और एक ही बार में पूरा का पूरा उसके अंदर घुस गए ..

शीला आनद से चीत्कार उठी ..

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म ...पंडित जी ..... येस्स्स्स .....अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ........अब मत तरसाओ ....मारो जोर से ....अपने धक्के ....चोदो अपनी रांड को .....चोदो मुझे .....जोर से .......''

अपनी बहन के मुंह से रंडियों जैसी बातें सुनकर कोमल कि हैरानी कि सीमा नहीं रही ..पर साथ ही साथ वो ये सब खुद भी बोलना चाह रही थी ..क्योंकि माहोल ही ऐसा बन चुका था वहाँ का ..अगर अपनी दीदी कि जगह वो खुद वहाँ होती तो शायद वो भी यही कहकर चिल्ला रही होती ..

अब शीला ऐसे चिला रही थी जैसे उसे अपनी बहन के होने या ना होने से कोई फर्क ही नहीं पड़ता ..अगर कोमल सच में भी सो रही होती तो इस वक़्त उसकी तेज चीखों से वो जरुर जाग चुकी होती .

पंडित जी ने पुरे पंद्रह मिनट तक उसको नीचे लिटा कर चोदा ..और फिर जब वो थक से गए तो वो खुद नीचे लेट गए और शीला को ऊपर आने के लिए कहा ..शीला भी आज पुरे मूड में थी ..उसने पंडित जी के पैरों कि तरफ मुंह कर लिया और उनके लंड को निगल कर उनपर बैठ गयी ..

और फिर शुरू हुआ अंतरिक्ष कि सैर का सिलसिला ..शीला पंडित जी के उड़नखटोले पर बैठकर अंतरिक्ष कि सैर पर निकल गयी ..और उन दोनों का हर झटका दोनों को चरम सुख कि तरफ धकेल रहा था ..

और अंत में दोनों ने एक साथ अपने-२ रस का त्याग कर दिया ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ......शीला .......मेरी जान .....अह्ह्ह्हह्ह ........मैं आया .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ....''

और पंडित जी के लंड कि सफ़ेद धार उसकी चूत कि दीवारों कि सफेदी करने लगी .

पूरी तरह से निढाल होकल शीला उनके ऊपर से उतरी और अपनी चूत से दोनों के रस को जमीन पर गिरने से बचाने के चक्कर में जल्दी-२ भागकर वो बाथरूम के अंदर चली गयी ..

उसके जाते ही कोमल किसी चीते कि तरह उनके गीले लंड के ऊपर लपकी और पलक झपकते ही अपनी बहन और पंडित जी के मिले जुले रस के मिश्रण को चट कर गयी ..

और अपनी बहन के आने से पहले फिर से उसी अवस्था में सो गयी .

शीला अपनी चूत कि सफाई करने के बाद वापिस आयी पंडित जी से लिपट गयी ..उसके चेहरे पर आ रहे संतुष्टि के भाव साफ़ दर्शा रहे थे कि आज उसे चुदने में कितना मजा आया है ..

शीला से गले मिलते हुए पंडित जी का चेहरा कोमल कि तरफ था ..जो बड़े ही प्यार से पंडित जी और अपनी बहन को गले लगे देख रही थी .

शीला : "पंडित जी ...आपने मेरी जिंदगी में जो रंग भरे हैं उनके लिए मैं आपकी हमेशा आभारी रहूंगी ..मेरी नीरस जिंदगी में आपके आने के बाद फिर से अरमान जागने लगे हैं ..जैसे ये कोमल वाला अरमान भी ..अब रहा नहीं जाता ...जल्दी कोई उपाय करो ..''

अपनी बहन के मुंह से अपने बारे में सुनकर कोमल चोंक गयी ..पंडित जी ने भी अपना माथा पीट लिया , क्योंकि वो अपने हिसाब से सब सेटिंग करना चाहते थे पर शीला ने कोमल के सामने में अनजाने में वो बात छेड़कर सारा प्लान चोपट कर दिया ..

कोमल ने हैरानी भरी आँखों से पंडित जी कि तरफ देखा जैसे पूछ रही हो कि ' ये चक्कर क्या है ..मेरा नाम क्यों ले रही है दीदी ..'

पंडित जी को कोई उपाय नहीं सूझा ..वो समझ गए थे कि अब छुपाना बेकार है ..

शीला उनसे लिपटी हुई ही बोली : "देखिये न पंडित जी ..आज जितना मजा मुझे कभी नहीं आया ..वो इसलिए कि मेरी बहन भी उसी कमरे में सो रही है जिसमे आप मुझे तृप्त कर रहे हैं ..''

इतना कहते -२ वो कोमल कि तरफ घूम गयी ..कोमल ने जल्दी से आँखे बंद कर ली और सोने का नाटक करने लगी .शीला के दोनों मुम्मे लहरा रहे थे

शीला उसके पास आयी और उसके चेहरे पर झुक कर धीरे से पंडित जी से बोली : "देखिये न पंडित जी ..कितना मासूम सा चेहरा है इसका ...और कितना आकर्षक शरीर पाया है इसने ..इसलिए तो फ़िदा हु मैं इसपर ..''

कहते -२ शीला का हाथ उसके कर्वी बॉडी पर धीरे-२ फिसलने लगे ..

शायद अपनी बहन के प्रति आकर्षण कि वजह से आज शीला कुछ ज्यादा ही बोल रही थी ..और दूसरी तरफ नींद का नाटक कर रही कोमल के लिए तो जैसे ये सब एक तूफ़ान के जैसे था ..जिस तरह से उसकी बहन बात कर रही थी उसे सब समझ में आ रहा था कि उसकी अपनी बहन उसके लिए पागल सी हुई जा रही है ..और उसके जहन में वो सभी बातें आने लगी कि कैसे शीला आजकल उसकी तरफ भूखी नजरों से देखती है ..उसके शरीर पर जाने-अनजाने इधर उधर हाथ लगाती है ..उसे गले लगाकर उसके शरीर को फील करती है ..अब उसे उन सभी बातों का मतलब समझ आ रहा था ..

पहले पंडित जी के साथ सम्बन्ध और अब लेस्बियन भावनाओं के उजागर होने के बाद कोमल का अपनी बहन को देखने का नजरिया एकदम से बदल गया ..जिसे वो भोली-भली समझती थी कुछ ही दिनों में उसके ऐसे रंग देखकर उसका सर चकरा रहा था ..

दूसरी तरफ शीला ने एकदम से झुककर कोमल के नरम और मुलायम होंठों को धीरे से चूम लिया ..

अभी तक तो कोमल ये सोच रही थी कि आखिर शीला के अंदर ऐसी भावनाएं आयी कैसे ..क्योंकि एक औरत का सिर्फ मर्द के साथ ही रिश्ता अच्छा लगता है ..जिसमे आनंद कि सम्भावना होती है ..पर उसने आज तक किसी और लड़की के साथ ये सब करने के बारे में ज्यादा नहीं सोचा था.

पर जैसे ही शीला ने अपने तपते हुए होंठों से उसे चूमा वो सिहर सी उठी ..उसके होंठों कि गर्मी को अपने मुंह पर महसूस करते ही उसके अंदर अजीब सी तरंगे उठने लगी ..ये पहली बार हो रहा था उसके साथ ..किसी मर्द को चूमते हुए ऐसा नहीं हुआ था ..इसका मतलब ...इसका मतलब उसे भी ये सब पसंद आ रहा था ..जब तक उसकी बहन उनके बारे में बातें कर रही थी तब तक तो ठीक था ..पर एक हलकी सी किस्स को महसूस करते ही उसकी जिंदगी के मायने भी बदल से गए ..उसे उन होंठों कि खुश्बू इतनी पसंद आयी कि मन कर रहा था कि उन्हें स्मूच कर डाले ..शीला के शरीर से निकल रही भीनी खुशबु उसे अपनी तरफ खींच रही थी पर उसने बड़ी मुश्किल से अपने हाथों को रोका हुआ था ..ये हो क्या रहा था उसके साथ आज ..

पंडित जी शीला को रोकना चाहते थे पर जैसे ही उन्होंने नोट किया कि शीला के चूमने के बाद उसके शरीर में अजीब सा कम्पन हुआ है तो वो समझ गए कि कोमल को भी इन सबमे मजा आ रहा है ..वो चुप रहे और उन दोनों बहनों का तमाशा देखने लगे ..

शीला नीचे खिसकी और उसकी गर्म साँसे कोमल कि गर्दन से होती हुई उसके उरोजों पर आकर रुक गयी ..

टी शर्ट के खुले गले के अंदर से उसके उभार साफ़ नजर आ रहे थे ..

वैसे तो पंडित जी को उसके खड़े हुए निप्पल भी नजर आ रहे थे ..पर शीला का ध्यान उस तरफ नहीं था ..वो तो अपनी बहन के मादक बदन को सूंघते हुए उसपर अपने होंठों कि मोहर लगाती जा रही थी .

पंडित जी आराम से बेड के कोने में बैठ गए .

शीला पर ना जाने क्या भूत चढ़ गया कि उसे अपनी बहन कोमल के जाग जाने का डर भी नहीं रहा ..वो कोमल के सख्त उरोजों को बेदर्दी से मसलने लगी ..और ऐसा करते हुए जैसे ही उसकी हथेलियों को उसके कोरे निप्पल महसूस हुए उसने उनको पकड़ कर जोर से भींच दिया ...

कोमल नींद का नाटक करते-२ कुनमुनाने लगी ..

शीला ने उसकी टी शर्ट को ऊपर किया और उसका गोरा पेट उजागर कर दिया ..शीला के साथ -२ पंडित जी के मुंह में भी उसका सपाट पेट देखकर पानी भर आया .

पर पंडित जी अभी कुछ नहीं कर सकते थे ..क्योंकि कोमल कि बहन का हक़ पहले था उसपर ..

और अपने हक़ का फायेदा उठाते हुए शीला ने अपनी जीभ को उसकी नाभि के कुँवे के अंदर उतार दी ..और वहाँ से आनंद मिश्रण से सराबोर पानी को पीकर अपनी प्यास बुझाने लगी ..

अब तो कोमल से भी सहन करना मुश्किल सा होता जा रहा था ..उसका शरीर किसी सर्प कन्या कि तरह बिस्तर पर लहराने लगा ..और शीला को लग रहा था कि वो नींद में वो सब महसूस करते हुए लहरा रही है .

शीला अभी तक नंगी थी इसलिए कोमल के शरीर के नंगे हिस्से से टकराने पर दोनों के शरीर से अजीब सी झन्नाहट निकल रही थी .

शीला ने एक बार पंडित जी कि तरफ देखा जैसे आगे बढ़ने कि परमिशन मांग रही हो ..पंडित जी ने सर हिला कर उसे आगे बढ़ने का हुक्म दिया ..

और पंडित जी का हुक्म मिलते ही शीला ने कोमल कि टी शर्ट को पूरा ऊपर कर दिया ..उसने ब्रा तो पहनी ही नहीं हुई थी ..इसलिए टी शर्ट के हटते ही उसके दोनों स्वर्ण कमल उजागर होकर दोनों कि आँखों के सामने चमकने लगे ..

शीला ने एक नजर कोमल के चेहरे पर डाली और फिर दूसरे ही पल उसने उसकी छाती पर डुबकी लगाकर उसके बादाम जैसे निप्पल को अपने होंठों के बीच दबोच लिया और प्यासी हिरनी कि तरह उसका दूध पीने लगी ..और दूसरे हाथ से उसके दूसरे मुम्मे को दबाकर उसकी नरमी का एहसास समेटने लगी .

पंडित जी के सामने शीला कि गांड थी जिसे वो किसी कुतिया कि तरह लहरा कर अपने भोजन का मजा ले रही थी ..

अब तक तो शीला के मन से सारा डर निकल चूका था ...वो उस मुकाम पर पहुँच गयी जब उसे कोमल के जाग जाने का भय भी नहीं रहा ..वो उसके शरीर को कचोट रही थी, नोंच रही थी ..खा रही थी .

और इन सभी का प्रभाव कोमल पर बुरी तरह से पड़ रहा था, उसे भी अब पंडित जी से ज्यादा अपनी बहन से मजे लेने कि सूझ रही थी ..बस वो किसी तरह से आखिरी पलों तक सोने का नाटक करना चाहती थी, क्योंकि वो देखना चाहती थी कि उसकी बहन आखिर कहाँ तक जाती है .

अचानक शीला ने उसके दूध के टेंकर छोड़ दिए और अपने लार उगल रहे होंठों को उसके पेट से नीचे लाते हुए उसकी चूत तक ले आयी ..और पायजामे के ऊपर से ही उसकी चूत को सूंघकर उसने एक जोरदार सांस अंदर खिंची ..और फीर एक झटके के साथ उसके पायजामे को पेंटी समेत नीचे कि तरफ खिसका दिया ..और अपने ही रस से नहायी हुई उसकी चूत कि महक से पूरा कमरा नहा उठा ..अब कोमल भी शीला कि तरह पूरी नंगी थी .

शीला का दिल जोरों से धड़क रहा था ..उसने एक दो बार अपने होंठों पर जीभ फेराई और फिर अपनी सूखी हुई जीभ से कोमल कि गीली चूत का पानी चाटने लगी ..धीऱे ....धीरे ......

और जैसे -२ वो उसकी चूत को चाट रही थी , वो साफ़ सुथरी होकर निखरती चली जा रही थी .

और जैसे -२ शीला कि जीभ उसकी चूत के अंदर जा रही थी , वैसे -२ कोमल कि हालत बिगड़ती जा रही थी ..और आखिरकार जैसे ही शीला ने उसकी चूत के दाने को अपने दांतों के बीच दबोचा वो बिलबिलाती हुई उठ बैठी और जोर से शीला के सर को पकड़ कर अपनी चूत के अंदर तक दबा दिया ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ........दीदी ...........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ........क्याआआआ ......करते ........होओओओओओओओओओ ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......एस्स्स्स्स्स्स्स्स्स ......चूओसूू ......अह्ह्हह्ह ....और अंदर ....तक ....चूसो ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म ...''

शीला तो एकदम से चोंक गयी ....वो झटके से उठना चाहती थी पर कोमल ने उसके सर को इतनी जोर से पकड़ कर दबाया हुआ था कि वो उठ भी नहीं पायी ...

और कोमल को ऐसे चिल्लाकर मजे लेते हुए देखकर शीला भी समझ गयी कि जाने अनजाने वो जो कुछ भी कोमल के साथ कर रही थी वो उसे भी पसंद आया, वर्ना गुस्सा होने के बजाये वो ऐसे बिहेव ना कर रही होती ..

उसकी आँखों से ख़ुशी के आंसू निकलने लगे ..और कोमल कि जाँघों को भिगोने लगे ..

अपनी टांगों पर अपनी बहन के आंसू महसूस करते ही कोमल ने झट से शीला के चेहरे को पकड़कर ऊपर उठाया ..और बोली : "ये क्या दीदी .....आप रो रही है ...''

शीला : "मुझे माफ़ कर देना कोमल ...आज शायद तुझे मेरा ये रूप देखकर धक्का लगा होगा ...पर ..''

वो बहुत कुछ बोलकर अपनी बात रखना चाहती थी पर कोमल ने उसके होंठों पर ऊँगली रखकर रोक दिया और बोली : "नहीं दीदी ....बस ....मैं सब समझती हु ...मुझे पता है कि आपने जो भी किया वो सही था ...'' उसने पंडित जी कि तरफ इशारा करते हुए कहा ...

"और अभी भी जो कर रही है वो भी सही है ....'' उसने अपनी चूत कि तरफ इशारा करते हुए कहा ...

''क्योंकि इंसान को सबसे पहले अपनी ख़ुशी देखनी होती है दीदी ...आप इतने समय से विधवा का जीवन जी रही है, पर किसी को भी आपकी ख़ुशी कि चिंता नहीं है ...ये दुनिया बड़ी जालिम है दीदी ..किसी को दूसरे कि ख़ुशी या गम से कोई मतलब नहीं है, सब अपनी जिंदगी जीने में लगे हुए हैं ..मैं भी तो अपने दिल को खुश रखने के लिए इतने दिनों से पंडित जी कि मदद से अपनी इच्छाएं पूरी कर रही थी ...पर इन सबमे मैंने भी कभी आपकी खुशियों के बारे में नहीं सोचा ...आप सही है दीदी ..जो भी आपने किया वो सब सही है ..और आगे भी जो कुछ करेंगी वो भी सही होगा ...मैं आपके साथ हु ..''

और इतना कहते -२ वो दोनों बहने एक दूसरे के गले से लिपटकर फफक - २ कर रोने लगी ..

पंडित जी कि आँखे भी नम सी हो उठी ..दो बहनों का ऐसा प्यार देखकर किसका मन नहीं रो उठेगा .

और रोते -२ कोमल ने शीला के चेहरे को पकड़ा और अपने होंठों से उसके होंठों को चूसने लगी ..और धीरे-२ दोनों का रोना बंद हो गया और एक मिनट के अंदर ही दोनों जंगली बिल्लियों कि तरह एक दूसरे को बुरी तरह से स्मूच कर रही थी .

पुरे कमरे में दोनों कि सिस्कारियों कि आवाजें गूँज रही थी ..

एक तूफ़ान जन्म ले रहा था वहाँ .

वातावरण में ऐसा बदलाव महसूस करते ही पंडित जी का लिंग भी तनाव से भर उठा ..पर उन दोनों को देखकर लग नहीं रहा था कि अभी कुछ देर तक उनकी जरुरत भी पड़ेगी उन दोनों को ..

क्योंकि सबसे पहले तो शीला अपनी प्यास बुझायेगी ..क्योंकि इतने दिनों से उसने जो जज्बात अपने दिल में छुपा कर रखे थे उन्हें दिखाने का और पूरा करने का आज मौका मिल चूका था उसे .

दोनों के नंगे जिस्म एक दूसरे से रगड़कर चिंगारियां उत्पन कर रहे थे ..ऐसी चिंगारियां जिनसे पूरा कमरा जल उठा था , वहाँ का तापमान भी बढ़ चूका था.

कोमल कि चूत तो काफी चूस चुकी थी शीला और अब मौका था उसका बदला उतारने का ..इसलिए कोमल ने शीला को बेड के किनारे पर लिटाया और उसकी दोनों टांगो को अपने सर के दोनों तरफ हवा में लहराकर बड़े ही प्यार से उसकी आँखों में देखा और बिना नजर हटाये अपनी जीभ निकाल कर उसकी उफान खाती हुई चूत पर लगा कर वहाँ से निकल रहे झरने का गर्म पानी पीने लगी .

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म .....मेरी बच्ची .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....कोमल ........ चाट .....अह्ह्ह्ह ...जोर से चूओस .......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ''

उसने बड़ी ही बेदर्दी से कोमल के बालों को पकड़ा और उसे अपनी चूत के ऊपर घिसने लगी ..जैसे मूली कुतर रही हो परांठे बनाने के लिए .

और कोमल भी अपनी बहन के ऐसे बर्ताव से जंगली बन चुकी थी ..उसने सिर्फ अपनी जीभ को कड़ा करके सामने कि तरफ निकाला हुआ था और बाकी का काम शीला कर रही थी ..उसकी सख्त जीभ शीला कि खुरदुरी चूत के धरातल को ठोकरें मारती हुई वहाँ से निकल रहे मिनरल को सोंख रही थी ..ऐसा स्वाद और अनुभूति आज तक कोमल को महसूस नहीं हुई थी .

अचानक कोमल ने अपने मुंह के चुंगल में शीला कि चूत के दाने को भींच लिया ..और वो चिहुंक कर उठ बैठी और उसके खुले हुए मुंह से बड़ी मुश्किल से बस यही निकला : "अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......कोमल ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह ....नाआआनन्न्नन .....करररररररर ........उफ्फ्फ्फफ्फ़ ....''

और फिर भी जब कोमल नहीं मानी तो उसे पीछे कि तरफ धकेलते हुए उसे जमीन पर औंधा लिटा दिया ..पर फिर भी जिद्दी कोमल ने उसके दाने को नहीं छोड़ा ..अब शीला का पूरा शरीर किसी नागिन कि तरह लहरा रहा था और वो नीचे लेती हुई कोमल के मुंह पर डांस कर रही थी ..अपने उरोजों को मसल रही थी ..अपने बालों पर उँगलियाँ फेरा रही थी ..

पंडित जी भी अपने लंड को मसलते हुए उसका कामुक डांस देखने लगे ..

और जब शीला को महसूस हो गया कि कोमल उसकी चूत को नहीं छोड़ने वाली है तो उसने पीछे कि तरफ मुंह करते हुए अपने हाथ कि दो उँगलियों से कोमल कि चूत को कचोट लिटा ..अपनी धरोहर पर हुए हमले से कोमल के मुंह से वो दाना फिसल कर बाहर निकल गया ..बस इतना मौका काफी था शीला के लिए ..वो पलटी और कोमल कि चूत कि तरफ मुंह करके लेट गयी ..और अगले ही पल उसकी चूत कोमल के मुंह में थी और कोमल कि उसके मुंह में ..दोनों 69 कि पोसिशन में आ चुके थे .

अब शीला कि बारी थी उसकी चूत को चूसने कि ..

उसके मुंह से इतनी लार निकल रही थी कि सामने पड़ी हुई चूत पूरी भीग गयी थी ..

''अह्ह्ह्हह्ह्ह .....पूूचssssssssssssssssss ......उम्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........सड़प ........उम्म्म्म्म्म्ह्ह्ह्ह्ह .... ....''

पुरे कमरे में बस यही आवाजें गूँज रही थी ..

और पुरे दस मिनट तक एक दूसरे को चूसने के बाद दोनों को ऐसा लगने लगा कि वो फट जाएंगी ...ऐसा कसाव महसूस हो रहा था उन्हें अपनी चूत के अंदर ...और हुआ भी ऐसा ही ...जैसे ही दोनों चरम सीमा पर पहुंचे ..एक दूसरे कि चूत से निकले फुव्वारों से दोनों के चेहरे भीग गए ...

''अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह .......दीदी ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म .......येएस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ...... अह्ह्ह्हह्ह्ह .....''

कोमल ने शीला कि बड़ी सी गांड पकड़कर जोर से अपनी तरफ भींच लिया ....और शीला ने भी कुछ ऐसा ही किया ..बल्कि वो एक कदम और आगे बड़ गयी ..उसने अपनी एक ऊँगली सीधा लेजाकर कोमल कि गांड के अंदर उतार दी ...

''अययययययययईईईइ .......उफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ .....ये क्याआआआआ .......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .....नो ....दीदी .......नहीईईईईई ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हहीईईईईईईईई ........''

शीला उसके ऊपर से हट गयी ....और साईड में लेटकर उसकी गांड में फांसी ऊँगली को अंदर बाहर करने लगी ..

कोमल अभी-२ झड़ी थी ...पर फिर भी शीला के ऐसा करने से उसके अंदर एक नया रक्तसंचार हो रहा था ..उसकी चूत के साथ - २ अब उसकी गांड भी पुलकुलाने लगी थी ..

शीला ने एक नजर पंडित जी कि तरफ डाली ...जो अपने लंड महाराज को अपने हाथों में पकड़कर उसकी तेल से मालिश कर रहे थे ..

शीला बोली : "पंडित जी ....आइये ..और मेरी इस छोटी बहन को भी वही सुख प्रदान कीजिये जो आपने मुझे किया ...और मेरी ही तरह इसके जीवन को भी खुशियों का आशीर्वाद दीजिये ...''

कोमल इतना सुनते ही चोंक कर शीला कि तरफ देखने लगी ..वहाँ मौजूद हर शख्स जानता था कि यही होना है ..पर इतना नाटक करना तो बनता ही था न कोमल का ..

शीला : "घबरा मत मेरी लाड़ली ....पंडित जी पर भरोसा रख ...आज तू जिस दुनिया में कदम रखने जा रही है, उसका सूत्रधार पंडित जी से अच्छा कोई और हो ही नहीं सकता ...इनके साथ तुझे ये दुनिया बड़ी आनंददायक लगेगी ..चिंता मत कर ....मैं हु न ....''

और इतना कहते हुए वो साईड में हो गयी ..

पंडित जी आगे आये ..और उन्होंने कोमल को बड़े प्यार से उठाकर वापिस बिस्तर पर लिटा दिया ...

कोमल का पूरा नंगा शरीर पंडित जी के आने कि प्रतीक्षा कर रहा था ..

पंडित जी से पहले वहाँ शीला जाकर लेट गयी ...और उसने अपनी बहन कि चूत को पकड़कर उसकी फांके फेला कर पंडित जी कि तरफ देखा और बोली : "देखि है ऐसी चूत आपने आज से पहले ...मारी है किसी कि इतनी टाइट चूत ....हूँ .....''

पंडित जी ने ना में सर हिला दिया ...

पंडित जी सीधा आकर कोमल कि टांगो के बीच पहुँच गए ..शीला ने बड़े प्यार से पंडित जी के लंड को पकड़कर कोमल कि चूत के ऊपर रखा ..

कोमल को ऐसा महसूस हुआ जैसे उसकी चूत पर किसी ने गर्म लोहे कि रॉड रख दी हो ..और उस रॉड को ठंडा करने का काम शीला ने किया ...

जैसे ही पंडित जी ने अपने लंड को धक्का देना शुरू किया ...शीला ने झुककर अपनी जीभ से उनकी रॉड कि तपन को कम करना शुरू कर दिया ..

शीला कि जीभ से घिसता हुआ पंडित जी का लंड इंच - २ करता हुआ कोमल के सुखसागर में डूबने लगा ..

उनके लंड के सिरे को अपनी चूत पर महसूस करके पहले - पहल तो कोमल को बहुत मजे आये ..पर जैसे ही उनका लंड अंदरूनी दीवारों को फैलाकर अंदर घुसने लगा उसके शरीर में ऐंठन सी आने लगी ...उसने बिस्तर कि चादर को अपने हाथों से पकड़ कर भींच लिया ..और कटकटाते हुए दांतों के बीच से उसकी चीखे निकलकर बाहर आने लगी ...

''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्य्य्य्यीईईई .......उफ्फ्फ्फफ्फ्फ्फ़ ......पंडित जी ..........बस .......करो ..........अह्ह्ह्हह्ह्ह .....दर्द ....हो रहा है .....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ...नूऊऊऊऊ ........मत करो .......ओफ्फ्फ्फ्फ्फ्फ्फ़ ..... ''

और शीला अपनी बहन कि तकलीफ को कम करने के लिए वापिस ऊपर गयी और उसके होंठों को चूमते हुए उसे सांत्वना देने लगी ...

''बस .....बस ....बस ....हो गया ......पूछ्ह्ह ........बस हो गया मेरी बच्ची .......हो गया .....''

इसी बीच पंडित जी का टांका कोमल कि चूत कि झिल्ली पर जाकर अटक गया ...इससे पहले कोमल कुछ बोल पाती, पंडित जी ने एक जोरदार धक्का मारकर उसे धवस्त कर दिया ...और अपने लंड समेत उसके गर्भ में दाखिल हो गए ...एक पतली सी लाल रंग कि धार निकलकर बाहर कि तरफ रिस गयी ..

टूट चुकी थी कोमल कि चूत कि सील ...आज वो कली से फूल बन चुकी थी ..औरत बन चुकी थी वो पूरी तरह से .

और कुछ देर तक रुकने के बाद पंडित जी ने धीरे -२ धक्के फिर से मारने शुरू किये ...अब कोमल का शरीर भी उन धक्को कि लय से लय मिलाते हुए हिलने लगा ...

पंडित जी को ऐसा लग रहा था कि वो किसी नाव में सवार है जिसका हर हिचकोला उन्हें किनारे कि तरफ ले जा रहा है ..

अब पंडित जी ने पुरे वेग के साथ धक्के मारने शुरू कर दिए ...

पुरे कमरे में फच - फच - फच कि आवाजें आ रही थी ....कोमल को इतना आनंद आज तक महसूस नहीं हुआ था ...

''ओह्ह्हह्ह ....पंडित जी ...... उम्म्म्म .......हाँ .....ऐसे ही ......और तेज ....अह्ह्ह्ह ......अआप सच में मुझे ....अह्ह्ह ...चोद रहे हो .....''

पंडित : "उम्म्म्म ....अह्ह्ह्ह ...हाँ .....मैं तुझे चोद रहा हु .....तेरे अंदर मेरा लंड है ....आज मैंने तेरा कुंवारापन ले लिया .....अह्ह्हह्ह .....''

इतना सुनते ही कोमल के अंदर का तूफ़ान धक्के मारकर उसकी चूत के रास्ते बाहर निकल आया ....झटका इतना तेज था कि पंडित जी के लंड को भी उसने बाहर धकेल दिया ..

एक भीनी सी खुशबु पुरे कमरे में फैल गयी ...और लहू मिश्रित रस कि धार निकलकर कोमल कि चूत से बाहर आने लगी ...

पंडित जी ने अपने खड़े हुए लंड को फिर से पकड़कर उसकी रसीली गली में धकेल दिया ...इस बार वो ऐसे फिसल कर अंदर गया जैसे बरसों से चुद रही हो कोमल ..

और फिर पंडित जी ने उसकी टांगों के टखने पकड़कर ऊपर हवा में उठाया और रुक रूककर ऐसे धक्के मारे कि कोमल का पूरा शरीर हवा में उठने लगा ...

''अह्ह्ह्ह ...उम्म्म्म ....ओह्ह्हह्ह्ह्ह .......स्स्स्स्स्स्स्स .....अह्ह्हह्ह ...पंडित जी ..... ...बस .....भी करो ....अह्ह्ह्ह ....और नाहीस अहन होता ....अह्ह्हह्ह .....बीएस पंडित जी ..... ''

पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे ...उनके हर झटके ने उसे और ऊपर उछालने का कार्यकर्म जारी रखा .... और फिर पंडित जी का भी चरम बिंदु नजदीक आ गया और जैसे ही उनके लंड कि पहली फुहार कोमल कि चूत से टकरायी ...वो अपनी आँखे फेला कर जोर से चिल्लाई .....

''अह्ह्ह्हह्ह .....पंडित जी .........सब दे दो .....सारा रस निकालो मेरे अंदर ......अह्ह्ह्हह्ह्ह ......हाआँ ....ऐसे ही .......ई केन फील यूऊऊउ ........अह्ह्ह्हह्ह ....''

और पंडित जी हाँफते हुए उसके पसीने से लथपथ शरीर पर गिर गए ...

दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे ...

और सबसे ज्यादा संतुष्ट तो शीला थी ...वो जानती थी कि पंडित जी के नेतृत्व में उसकी बहन का जीवन अच्छा गुजरेगा ...क्योंकि नारी के शरीर का पूरा ज्ञान था पंडित जी को ..जैसा उसने खुद ने फील किया था वो सब अब कोमल भी महसूस करेगी ..और वो हमेशा खुश रहेगी ..जैसा कि वो खुद थी अब ..

और उस दिन के बाद तो पंडित जी कि हर रात कोमल कि चुदाई में और हर दिन शीला कि जवानी का नशा उतारने में बीतने लगी ..पर दोनों कि जवानी थी ही इतनी मस्त कि दिन रात चोदने के बाद भी पंडित जी को हर बार दुगना मज़ा मिलता था ..

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समाप्त
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दोस्तों ....जैसा कि मैंने पिछले अपडेट में बताया था , अब मैं इस गाथा को यहीं समाप्त कर रहा हु ..आप सभी ने इस कहानी को इतना पसंद किया जिसकी वजह से ये आज यहाँ तक आ पहुंची है ...इस कहानी कि लोकप्रियता का सारा श्रेय मैं आप सभी पाठकों को देना चाहता हु क्योंकि आपके दिए सुझाव और कमेंट पड़कर ही मुझे कहानी को यहाँ तक लाने कि प्रेरणा मिली ..

एक नयी रोचक कहानी के साथ जल्द ही आपसे मुलाकात होगी ..

तब तक के लिए मेरी दूसरी कहानियों का मजा लीजिये ..

धन्यवाद.

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