पंडित और शीला पार्ट ३ – Aashram Me Chudai
पंडित को जैसे उसकी बात पर विश्वास ही नहीं हो रहा था ..जिसे देखकर गिरधर ने झट से अपना मोबाइल निकाला और उन्हें माधवी की चुदाई का MMS दिखाने लगा ..
पंडित ने देखा की मूवी बनाते हुए अँधेरा काफी था, फिर भी गोर से देखने पर उन्हें पता चल गया की ये माधवी ही है जो दिवार के सहारे खड़ी होकर चुद रही है ..एक लम्बे और मोटे से लंड से ..उसके चेहरे का क्लोसअप देखकर पंडित जी को भी पता चल गया की वो पूरा मजा ले रही थी ..
गिरधर : "देखा पंडित जी ...कैसे रंडी की तरह मुंह बना कर चुदवा रही है ..साली पहले तो मना कर रही थी ..पर मुल्ला जी का लंड अन्दर जाते ही इसके तेवर ही बदल गए ..उसके बाद तो कुतिया ने एक शब्द भी नहीं निकाला मुंह से ..देखो कैसे अपनी चूत को अपने हाथों से फेला कर उसका लंड अन्दर डलवा रही है भेन की लोड़ी ...''
अपनी बीबी का विडियो देखकर वो फिर से उत्तेजित होने लगा और उसके मुंह से गालियाँ निकलने लगी ..
पंडित जी का भी तानपुरा अपने अकार में आकर मधुर संगीत बजाने लगा ..तभी पंडित जी की नजर माधवी को चोद रहे मुल्ला जी पर पड़ी ..और उनकी आँखे आश्चर्य से फेल कर चोडी हो गयी ..
पंडित : "अरे ....ये ...ये मुल्लाजी ..तुम्हे पता है ये कौन है ..''
गिरधर : "नहीं पंडित जी ..मुझे नहीं पता ..कह रहे थे की उनकी बीबी के मरने के बाद वो अक्सर अपनी प्यास रंडियों को चोदकर ही बुझाते हैं ..काफी समय से आ रहे हैं वो तो इस बाजार में ..माधवी को चोदकर वो बहुत खुश हुए थे ..और मुंह मांगे पैसे भी दिए थे ..मैंने तो बस उसे सबक सिखाने के रंडी बनाकर चुदवा डाला ..पर ये सब करने में और इतने पैसे मिलने से मजा भी बहुत आया ..और मुल्ला जी ने तो जाते हुए ये भी कहा की कभी भी दोबारा इसे चुदवाने की इच्छा हो तो उन्हें फोन कर दू ..उन्होंने अपना नंबर भी दिया है मुझे ..''
पंडित समझ गया की इरफ़ान अक्सर वहां जाया करता है ..और इत्तेफाक से गिरधर और माधवी उसे मिल गए और गिरधर ने माधवी का सौदा कर दिया ..गिरधर को तो पता नहीं था इरफ़ान के बारे में पर उसे इस तरह से सरेआम सड़क के बीचो बीच चुदाई करते देखकर, पंडित जी ने उसे पहचान लिया था ..
और उनके मन में एक योजना बननी भी शुरू हो गयी ..नूरी को उसके बाप इरफ़ान से चुदवाने के लिए ..
पर इसके लिए गिरधर की मदद की आवश्यकता थी ..
पंडित : "सुनो गिरधर ...तुम्हे मेरे लिए एक काम करना होगा ..''
गिरधर : "आप कहकर तो देखिये पंडित जी ..मैं आपके लिए तो कुछ भी कर सकता हु ..''
गिरधर ने उसे अपनी योजना समझाई ..जिसे सुनकर गिरधर भी हेरान रह गया ..
गिरधर को सारी बातें समझाने के बाद पंडित जी ने गिरधर से पूछा : "घर जाने के बाद माधवी ने कुछ शिकायत नहीं की तुमसे ..की क्यों उसे ऐसे सरेआम रंडी की तरह से चुदवा दिया ''
गिरधर (अपनी खींसे निपोरते हुए ) : "पंडित जी ...आप भी तो माधवी की चुदाई कर चुके है, उसे पहचाना नहीं अभी तक आपने ..साली की चूत में इतनी गर्मी है की घर जाकर मैंने खुले में चुदाई कर साली की तब जाकर बुझी उसके भौन्स्ड़े की आग ..''
पंडित उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दिया ..
गिरधर से रहा नहीं गया और उसने आगे बोलना शुरू किया : "अरे कल तो मेरा सबसे अच्छा दिन था पंडित जी ..पता है, जब मैं माधवी की चुदाई कर रहा था तो रितु अपने कमरे की खिड़की से सब देख रही थी ..और उसने तो अपने कपडे भी उतार डाले थे ..और हमारी चुदाई देखकर अपनी चूत मसल रही थी साली रंडी की औलाद ...''
अब पंडित जी के दोबारा से चोंकने की बारी थी ..
पंडित जी : "यानी ...तुमने देखा रितु को वो सब करते हुए ...और तुमने कुछ कहा नहीं ..''
गिरधर : "कहा न ..माधवी को अन्दर भेजने के बाद मैंने उसे वहीँ खिड़की में ही रंगे हाथों पकड़ लिया था ..और मजे भी लिए ..''
इतना कहकर उसने रितु के साथ का किस्सा भी नमक मिर्च लगा कर सुना दिया ..
पंडित : "हम्म ...यानी अब रितु की चुदाई भी जल्द होने वाली है ..''
गिरधर : "हाँ पंडित जी ..बस मुझे डर है तो माधवी का ..कहीं वो कोई पंगा ना कर दे ..लेकिन कोई न कोई जुगाड़ तो करना ही पड़ेगा ..आप ही कोई रास्ता सुझाइए ..''
गिरधर ने पंडित जी के सामने अपने हाथ जोड़ दिए ..
पंडित : "वो भी जुगाड़ कर लेंगे ...पर अभी तो ये मुल्ला जी वाला काम करवा दो तुम पहले मेरा ...और जब तक रितु की नहीं मिल पा रही तुम्हारे लिए मैं कोई और इंतजाम भी करवा दूंगा ..''
गिरधर के मुंह से लार टपकने लगी ..वो बोला : "मुझे आप की बात पर पूरा भरोसा है पंडित जी ..''
और एक बार फिर से पंडित जी ने उसे अपनी योजना समझाई और उसे जाने के लिए बोल दिया ..गिरधर के जाने के बाद पंडित जी ने खाना खाया और लेट गए ..
पर सोना तो पंडित जी की किस्मत ही नहीं था ..और न ही उनके लंड की किस्मत में ..
उनके लेटते ही दरवाजा खड़क गया उनके घर का ..
पंडित जी ने दरवाजा खोला और उनके सामने रितु खड़ी थी ..
मुस्कुराती हुई ..लहराती हुई ..पीले रंग के सूट में ..
उसका फूल सा खिला चेहरा देखकर पंडित जी की सारी थकान फुर्र्र से उड़ गयी ..उसके ऊपर पीले रंग का सूट काफी जच रहा था .
पंडित जी की आँखों में देखती हुई वो अन्दर आ गयी ..और पंडित जी ने भी दरवाजा बंद कर दिया और रितु के पीछे जाकर उसे अपनी बाजुओं से पकड़कर उसके सपाट पेट के ऊपर अपने हाथ रख दिए ..और अपना सर उसके कंधे पर .
पंडित जी : "उम्म्म्म ...आज बहुत महक रही हो ..''
पंडित जी ने उसके बालों को अपने चेहरे से रगड़ते हुए कहा .
वो कुछ बोली नहीं , बस मंद -2 मुस्कुराती रही . पंडित जी के चिपक जाने से उसकी सांस लेने की गति थोडा बड़ गयी थी ..इसलिए उसके ऊपर नीचे होते हुए मुम्मे पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे .
पंडित : "क्या हुआ ...आज इतनी चुप क्यों हो ..''
रितु कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "वो ...वो ..कल रात ...मैं ...मैंने ..''
वो घबरा रही थी ..और पंडित जी समझ गए की वो वही बात बताना चाहती है जो अभी -2 गिरधर बता कर गया है ..
पंडित : "मुझे पता है ..जो तुम कहना चाहती हो ..''
पंडित जी की बात सुनकर वो एकदम से चोंक गयी और पलटकर उनकी तरफ मुंह कर लिया और उनकी आँखों में देखकर बोली : "आप ...को कैसे ....''
पर पंडित जी की मुस्कराहट देखकर वो समझ गयी की पंडित जी ने अपने ''ज्ञान'' से वो सब जान लिया है ..
उसने नजरें झुका ली ..और अपने गुलाबी और फड़कते हुए होंठों से बोली : "आप नहीं जानते पंडित जी ..कल मैंने क्या फील लिया ..कल का दिन मेरी जिन्दगी का सबसे अच्छा दिन था ..आपको तो मैंने अपना शरीर और कोमार्य सौंप दिया है ..और आपकी वजह से ही मुझे शारीरिक सुख क्या होता है, ये पता चला ..पर कल रात जो हुआ ..वो एहसास कुछ अलग ही था ..मैंने आज तक ऐसा कभी भी महसूस नहीं किया ..आप तो सब जानते ही है ..जब ... जब पापा ने मुझे छुवा था न ...तो ...तो ..''
उसकी साँसे भारी होने लगी ...उसके मुंह से हवा निकलने की तेज आवाजें आने लगी ..
पंडित : "कहाँ छुआ था तुम्हारे पापा ने ..बोलो ''
रितु ने हिरन जैसी आँखे उठा कर पंडित जी को देखा ...उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तेर रहे थे ..चेहरे पर अजीब सा गुलाबीपन आ चूका था ..उसने कांपते हाथों से पंडित जी के हाथ को पकड़ा और ऊपर उठा कर सीधा अपनी छाती पर रख दिया ...
''यहाँ ....यहाँ छुआ था उन्होंने ..ऐसा लगा था की मेरी जान ही निकल रही है ..अपनी उँगलियों में दबाकर जब उन्होंने मेरे निप्पलस को जोर से दबाया था तो ...तो ..''
वो थोड़ी देर के लिए रुकी ..एक दो गहरी साँसे ली और बोली "तो ऐसा लगा की मेरे दानों से निकल कर मेरी जान उनके पास जा रही है ..''
पंडित के हाथों में उसके निप्पल किसी शूल की तरह से चुभ रहे थे ..पंडित ने भी मौके का फायेदा उठा कर उन्हें दबा डाला ..
वो सिस्कार उठी ..और फिर रितु ने पंडित जी का हाथ थोडा नीचे सरकाकर अपनी नाभि पर रख दिया ..पंडित जी ने वहां भी अपनी कलाकारी दिखाई और अपनी ऊँगली उसकी नाभि में डाल कर घुमा डाली ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म ......''
रितु की शराबी आँखे बंद सी होने लगी ..और फिर रितु ने थोडा दबाव डालकर पंडित जी को अपनी योनि के द्वार तक पहुंचा दिया ..और वहां पहुंचकर उनके हाथ को और जोर से अपनी सीनी-भीनी सी चूत पर रखकर दबा दिया ..
रितु की चूत को दबाने से उसके अन्दर से ऐसे पानी निकला जैसे पंडित जी ने कोई पानी से भीगा स्पोंज दबा दिया हो ..उसकी चूत से रिस रहा रस पंडित जी को अपनी हथेली पर भी महसूस हुआ ..थोडा बहुत निकलकर बाहर भी गिर गया ..उसकी पीली सलवार का आगे वाला हिस्सा गिला होकर पारदर्शी सा हो गया ..और उसके अन्दर उसकी सफ़ेद पेंटी साफ़ नजर आने लगी ..
''ओह्ह्ह्ह ....पंडित जी ....आपको मैं क्या बताऊँ ...पापा ने जब अपनी ऊँगली मेरे अन्दर डाली तो मैं वहीँ बेहोश सी होने लगी थी ..और उसके बाद जब उन्होंने मुझे वहां चूमा था ...तो ... तो ...''
वो बदहवास सी हो गयी ...उसे शायद वही मंजर फिर से याद आ गया जब गिरधर ने उसकी चूत को दशहरी आम की तरह से चूस कर उसका सारा रस पी लिया था ..
आवेश में आकर रितु ने पंडित जी के सर को किसी खिलोने की तरह से पकड़ा और धम्म से अपने होंठों से चिपका कर उन्हें चूसने लगी ..इतनी तेज उसने पकड़ा था की एक बार तो पंडित जी को लगा की वो उनका रेप कर रही है ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह रितु ....उम्म्म्म्म्म ....थोडा धीरे ........''
पंडित जी ने किसी मुर्गे की तरह से छटपटाते हुए कहा ..
पर रितु को तो अब पंडित जी अपने पापा की तरह दिखाई दे रहे थे ..और वो भी बिना किसी खिड़की के अवरोध के ..
उसने झुककर पंडित जी की सफाचट छाती पर अपनी थूक से गीली जीभ रखी और उसे जोरों से चूसने और चाटने लगी ..
दुसरे हाथ से उसने झट से उनकी धोती को खोल कर नीचे गिरा दिया , अन्दर उन्होंने कुछ भी नहीं पहना हुआ था ..लगातार चुदाई की वजह से दिन ब दिन पंडित जी का लंड मोटा और सुन्दर होता जा रहा था ..उनके लंड की नसें साफ़ दिखाई दे रही थी ..पंडित जी ने रितु के सूट को पकड़कर ऊपर खींच लिया और उसने खुद अपनी ब्रा उतार कर पंडित जी के चरणों में अर्पित कर दी ..
रितु अब पंडित जी के लंड के सामने नतमस्तक होकर बैठी थी ..और उसकी सुन्दरता की अपने पापा के लंड से तुलना कर रही थी ..
दोनों का लगभग एक सामान ही था ..पंडित जी थोडा आगे ही थे इस मामले में ..पर पापा का लंड तो पापा का ही होता है ..कोई भी लड़की अपने पापा के लंड को छोटा थोड़े ही मानेगी ..
अब वो तो था नहीं उसके सामने, इसलिए उसने आँखे बंद की और उसी को गिरधर का लोड़ा समझ कर उसपर अपनी गीली जीभ रगड़ने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म ....पापा .....ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....''
रितु हलके से सिसकारी मारकर पंडित के लंड को अपने मुंह में ले गयी और उसे बुरी तरह से चूसने लगी ...
वो कल रात की सारी कसर जैसे अब पूरी कर लेना चाहती हो ..
पंडित को भी आज कुछ अलग ही मजा आ रहा था ..वो सोच रहा था की बेटियों को अपने पापा से कितना प्यार होता है ..वहां नूरी अपने अब्बा से मरवाने के लिए मरी जा रही है और यहाँ रितु का भी यही हाल है ..दोनों को अपने बाप से चुदवाना है ..
पर पंडित जी को इससे कोई परेशानी नहीं थी ..वो तो पहले ही दोनों का रस चख चुके थे ..अब वो अपने बाप से चुदे या यार से ..उन्हें क्या.
पर उन्हें ज्यादा मजा मिल रहा है ये ही बहुत था उनके लिये.
अब तक पंडित जी का शेर पुरे जोश में आ चुका था ..इसलिए रितु को उसे अपने मुंह में रखकर चूसने में मुश्किल हो रही थी . पर उसने भी हार नहीं मानी , अपना पूरा मुंह उसने खोल कर पंडित जी के महाराज को अन्दर विराजमान करवा लिया और उसकी सेवा पानी अपनी जीभ और लार से करने लगी .
पंडित जी ने उसके सर के बाल एक हाथ से पकडे और दुसरे हाथ से उसकी गर्दन के आगे वाला हिस्सा पकड़कर दबा दिया ..और लगे चोदने उसके मुंह को ..
पंडित जी ने जिस प्रकार से उसके गले को पकड़ा हुआ था उन्हें अपने लंड का एहसास रितु के गले के अन्दर से साफ़ महसूस हो रहा था ..वो उसकी डीप थ्रोट यानी गले के अन्दर तक की चुदाई कर रहे थे ..जिसमे उन्हें बड़ा मजा आ रहा था ..और शायद रितु को भी .
पंडित को जब लगने लगा की रितु को उनका लम्बा लंड चूसने में तकलीफ हो रही है तो उन्होंने अपने चतुर दिमाग का इस्तेमाल किया और रितु से बोले
"ले ...बेटी ...अह्ह्ह ...रितु ....चूस अपने बाप का लंड ...जोर से ...अन्दर तक ...चूस ...भेन चोद ...''
उन्होंने गिरधर के अंदाज में गालियाँ देकर रितु को जैसे ही बेटी कहकर संबोधित किया उसमे जैसे एक नयी जान आ गयी ..फिर तो उसने अपनी और अपने गले की परवाह किये बिना पंडित जी के लंड को अपने मुंह में लेकर जैसे पूजने लगी ..उसकी सेवा करने लगी ..
और उसके मुंह से अजीब सी आवाजें भी निकलने लगी ..
''अह्ह्ह्ह ....पापा ......उम्म्म्म्म .....चोदो मुझे ....मेरे मुंह को ....अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म .......''
उसकी हरकतों में आये बदलाव को पंडित जी का लंड साफ़ महसूस कर पा रहा था .
अब पंडित जी से भी सब्र नहीं हुआ ..उन्होंने उसको खड़ा किया और उसके होंठों को अपने होंठों में दबाकर जोरों से चूसने लगे ..आज जैसी किस्स तो उन्होंने खुद भी किसी से नहीं की थी ..इतना जंगलीपन ..इतनी बर्बरता ..इतने रफ्फ तरीके से उन्होंने रितु के चेहरे को पकड़कर चुसा था की उसके होंठों के किनारे से खून की एक बूँद उभर आई ...जिसे पंडित जी ने अपनी जीभ से साफ़ कर दिया ..और फिर से उसके होंठों को पीने लगे ..
और रितु तो बस आँखे बंद किये अपने ''पापा'' की ''निर्दयता'' का मजा ले रही थी ..
पंडित जी ने एक कोने में रखी हुई लकड़ी की टेबल पर रितु को पेट के बल लिटा दिया और उसकी गांड को फेला कर उसे चोडा कर दिया ..और अपने अंगूठे पर ढेर साड़ी थूक लगा कर उन्होंने उसके पीछे वाले छेद को गीला कर दिया ..
अपनी गांड पर गीलापन पाकर वो सिहर सी उठी ..उसे पता चल गया की आज पंडित जी उसकी गांड का उदघाटन करने के मूड में हैं ..
और हो भी क्यों न , पंडित जी समझ चुके थे की अब रितु का गिरधर के चुंगल में फंसना लगभग तय है ..क्योंकि आग दोनों तरफ बराबर लगी हुई है ..इसलिए वो उसकी गांड मारने वाले पहले व्यक्ति बनना चाहते थे ..क्योंकि गिरधर तो वैसे ही गांड का दीवाना है, उसका बस चले तो वो चूत से पहले गांड मार ले रितु की ..इसलिए पंडित जी पहले से ही वहां अपने नाम का ठप्पा लगा देना चाहते थे .
रितु भी बस दम साधे उनके अगले एक्शन का इन्तजार कर रही थी ..और जैसे ही पंडित जी ने उसके पीछे वाले छेद पर अपने लंड को लगाया उसके किसी उदबिलाव की तरह से अपना सर ऊपर की तरफ उठा लिया और जोर से चीख पड़ी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....ये कहाँ डाल रहे हो ..उम्म्म्म्म्म ''
उस साली को मजा भी आ रहा था और फिर भी किसी अबोध की तरह उनसे सवाल भी कर रही थी ..मानो उसे पता ही नहीं हो की यहाँ से भी होता है ..
पर तब तक पंडित जी के दो धक्को ने आधे से ज्यादा काम कर दिया था ..और उसकी भरी हुई गांड और भी ज्यादा भर कर दोनों तरफ मोर पंख जैसे फेल गयी .
अब रितु को भी दर्द होने लगा ..पहली बार जो था उसकी गांड में ..
''ओह्ह्ह पंडित जी ....धीरे करो .न ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
वो छटपटाने लगी ..पंडित जी ने उसके दोनों हाथ पकड़कर पीठ से बाँध दिए ...और उसके बालों को पकड़कर पीछे की तरफ खींचा और उसे घोड़ी बना दिया ..और फिर एक जोरदार शॉट मारकर उसके अस्तबल में अपना पूरा घोडा उतार दिया ..
वो घोड़ी जैसे हिनहिना उठी .
''अग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म्म ........मर्र्र गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ....''
और उसके बाद तो पंडित जी ने उसके रेस कोर्स में अपने घोड़े को ऐसा दोड़ाया ..ऐसा दोड़ाया की एक पल के लिए तो रितु को भी यही लगने लगा की पंडित जी उसकी गांड नहीं मार रहे बल्कि अपने घोड़े को दौड़ा रहे हैं रेस में ..
पंडित जी का हर झटका उसे स्वर्ग का मजा दे रहा था ..वो जिस तरह से पेट के बल लेटी हुई थी ..उसकी चूत वाले हिस्से पर टेबल का कपडा रगड़ खा रहा था ..रगड़ क्या खा रहा था जैसे उसकी चूत को खा रहा था ..पंडित जी के हर झटके से वो सूती कपडा उसकी चूत की दरार में घुसता जा रहा था ..उसके होंठों पर अजीब किस्म की मुस्कान फेल रही थी ..दोनों छेदों में मिल रहे मजे को वो बयान भी नहीं कर पा रही थी ..बस चिल्ला कर और हंस कर मजे लेने में लगी हुई थी ..
बस उसके मुंह से टूटे फूटे शब्द निकल रहे थे ...जो थे ..
'ओह्ह पापा .....उम्म्म पापा ...जोर से पापा ...हां न… पापा ..''
और जल्द ही पंडित के लंड ने अपनी बार पहली सिंचाई कर दी रितु की बंजर गांड में ..जिसे महसूस करके उसका रोम रोम पुलकित हो उठा ..गांड के अन्दर गीलेपन के एहसास ने उसे ऐसा मजा दिया जैसा उसे अब तक नहीं आया था ..
और उसी गीलेपन के एहसास के साथ उसकी चूत से रगड़ खा रहे कपडे ने भी उसकी चूत को रगड़ -2 कर उसके ओर्गास्म तक पंहुचा दिया ..और वो दोनों तरफ से भीगी हुई सी हांफती हुई ..झड़ने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ...मजा आ गया .......पंडित जी ..''
आखिर में जाकर रितु ने चुदाई का श्रेय आखिरकार पंडित जी को दे ही दिया ..
पंडित जी ने भी अपना मुसल बाहर खींचा और उसकी धुलाई करने के लिए बाथरूम में चले गए ..
रितु भी खड़ी हो गयी ...उसकी चूत में फंस कर टेबल का कपडा उसके साथ ही खिंच का बाहर आ गया और उसके पैरों के बीच लटक कर झूलने लगा ..
उसकी गांड से रिस रिसकर पंडित जी का प्रसाद बाहर निकल रहा था ..और उसकी चूत से निकल रहा गर्म पानी उस कपडे को गीला कर रहा था ..
उसने भी अपनी चूत और गांड पूरी तरह से साफ़ की और कपडे पहन कर वापिस अपने घर की तरफ चल दी ..
आज का नया ''अध्याय'' पंडित जी ने उसे बखूभी सिखाया था ..
दूसरी तरफ गिरधर ने पंडित जी के घर से निकलते ही इरफ़ान भाई को फ़ोन लगाया .
इरफ़ान : "हेल्लो ...कौन बोल रहा है ..''
गिरधर : "साहब ...मैं बोल रहा हु ..गिरधर ..वो मिले थे न हम कल रात को ...जी बी रोड के बाहर ''
इरफ़ान समझ गया की ये वही दल्ला है जिसके आइटम की उसने बीच रोड पर बजायी थी .
इरफ़ान : "अरे मियां ..तुम हो ..मैं सोच ही रहा था की शाम को तुम्हे फ़ोन करू ..पर तुमने खुद ही कर दिया ..बोलो क्या खबर है ..''
गिरधर : "साहब ...खबर तो बड़ी अच्छी है ..एक नया माल आया है मार्किट में ..सिर्फ दो चार दिनों के लिए ही है वो यहाँ ..और है भी मु****न लड़की ..आपको पसंद आएगी ..''
मु****न लड़की के बारे में सुनते ही इरफ़ान की तोप खड़ी हो गयी ..उसने लपलपाती जुबान से पूछा : "उम्र क्या होगी उसकी ...??''
गिरधर ने चटकारा लेते हुए बताया : "होगी करीब 24 के आस पास ''
जैसा पंडित जी ने उसे बताया था ..
और ये सुनते ही इरफ़ान ने एक लम्बी और ठंडी सांस ली और उसका हाथ सीधा जाकर अपने लंड को सहलाने लगा और उसने मन ही मन सोचा 'उम्म्म्म्म बिलकुल नूरी की उम्र की है ये तो ..'
गिरधर : "अरे साहब ...क्या हुआ ...क्या सोचने लगे ''
इरफ़ान : ''उम्म्म्म ...कुछ नहीं ...बोलो कब और कहाँ ...''
अब इसके बारे में तो पंडित जी ने उसे बताया ही नहीं था ..
उसने कुछ देर सोचा और फिर बोला : "वो भी बता दूंगा साहब ...लड़की खानदानी है ..बस थोड़े मजे और थोड़े पैसो के लिए ये कर रही है ..मैंने सोचा की पहले आप से पूछ लू और बुकिंग ले लू , फिर उसके साथ सीन फिक्स करके बता दूंगा ...''
इरफ़ान : "ठीक है ..तुम पैसों की फ़िक्र मत करो ..बस जल्दी से इससे मिलने का इंतजाम करवाओ ..''
खानदानी और वो भी जवान लड़की ...मजा आ जाएगा ..इरफ़ान के मन में तो लड्डू फूटने लगे ..
गिरधर : "ठीक है साहब ..मैं आपको दोबारा फ़ोन करता हु ..''
उसने फ़ोन रखा और झट से पंडित जी से आगे का प्रोग्राम पूछने के लिए फ़ोन लगाया ..पर उन्होंने उठाया ही नहीं ..उठाते भी कैसे, वो उसकी लड़की जो चोद रहे थे .
रितु की गांड मारने के बाद जब पंडित जी वापिस अपने पलंग पर आकर लेटे तो उन्होंने गिरधर की मिस काल देखि ..और उसे फ़ोन किया , तब तक रितु वापिस अपने घर की तरफ निकल चुकी थी .
पंडित : "हाँ गिरधर बोलो ..''
गिरधर : "पंडित जी ..मैंने आपके कहे अनुसार उसे फ़ोन कर दिया है ..और वो तो जवान लड़की के बारे में सुनकर पागल सा हुए जा रहा है ..और पूछ रहा था की कब और कहाँ मिल सकती है ..बस इसी के लिए फ़ोन कर रहा था मैं , वो तो आपने बताया ही नहीं ..''
पंडित जी भी सोच में पड़ गए ..उन्होंने भी इसके बारे में नहीं सोचा था ..अपने कमरे में वो ला नहीं सकते थे ..गिरधर के घर पर भी मुमकिन नहीं था ..और उस दिन जैसे सड़क के बीचो बीच भी असंभव था ..
पंडित जी की तरफ से कोई जवाब ना आते देख गिरधर ही बोल पडा : "पंडित जी ..अगर आप बुरा ना माने तो मेरे पास एक जगह है ..''
पंडित : "कोन सी ...जल्दी बताओ ..''
वो यहाँ से थोड़ी दूर है ..वहां एक खंडहर है ..जिसमे कोई आता जाता नहीं है ..शायद कोई पुराना किला है .
पंडित समझ गया की वो किस जगह की बात कर रहा है ..वो लगभग उनकी कालोनी से बिलकुल बाहर की तरफ था ..और वहां आबादी भी काफी कम थी , बिलकुल सुनसानियत में बना हुआ था वो पुराना किला ..
पर खंडहर में चुदाई कैसे संभव होगी ..पंडित जी सोचने लगे ..
गिरधर : "मैं अक्सर उस इलाके में जब सब्जी बेचने जाता हु तो सुस्ताने के लिए वहीँ पर सोने चला जाता हु , कोई नहीं आता जाता वहां ..''
पंडित को उसका सुझाव सही लगा ..ऐसी जगह पर ही चुदाई करवाना सही रहेगा ..ना तो कोई होगा वहां और ना ही कोई पहचान पायेगा बाप बेटी को चुदते हुए देखकर .
पंडित : "ठीक है ..गिरधर ..वही जगह फाइनल करते हैं ..तुम बोल दो इरफ़ान को ..और आज शाम का समय ले लो उससे , मैं लड़की को बोल दूंगा ..''
पंडित जी को पूरा विशवास था की नूरी इस बात के लिए कभी मना नहीं करेगी इसलिए उससे बिना पूछे उन्होंने प्रोग्राम पक्का कर दिया था .
गिरधर : "ठीक है पंडित जी ...पर एक गुजारिश है पंडित जी आपसे ..''
पंडित : "हाँ ..बोलो ..''
गिरधर (खींसे निपोरते हुए ) : "वो ...वो ..लड़की से मजा ..मुझे भी मिलेगा क्या ...''
पंडित जी हंस दिए ..और सोचने लगे 'ये गिरधर भी कितना बड़ा ठरकी है ..साला हर किसी को चोदने के लिए उतावला रहता है ..'
पंडित : "ठीक है ..उसका इंतजाम भी कर दूंगा ..''
पंडित जी का आश्वासन पाकर गिरधर ख़ुशी से पागल हो गया ..
उसने पंडित जी का फ़ोन काटकर जल्दी से इरफ़ान को फ़ोन लगाया और उसे शाम को 5 बजे का टाइम दे दिया और जगह भी बता दी ..वो भी मान गया .खंडहर में चुदाई के ख़याल से ही उसकी तोप से गोले निकलने को आतुर होने लगे ..
पर उसे कुछ इस तरह निकलना पड़ेगा ..ताकि नूरी को कोई शक न हो सके ..
लगभग चार के आस पास उसने नूरी को ऊपर से बुलाया और उससे कहा की दूकान का सामान लेने के लिए सदर बाजार जाना है ..
नूरी को भला क्या प्रॉब्लम होनी थी ..इरफ़ान ने कहा की वो दूकान संभाल ले , इतना कहकर वो बाहर निकल गया ..
नूरी का फ़ोन ऊपर ही रह गया , उसके नीचे उतरने के साथ ही पंडित जी ने उसे फोन मिलाया पर घंटी बजती रही ..उसने फ़ोन नहीं उठाया ..उठती भी कैसे, वो तो नीचे थी दूकान पर .
जब 4 - 5 बार फ़ोन करने पर भी उसने नहीं उठाया तो पंडित जी समझ गए की या तो वो सो रही है या फिर फ़ोन उसके आस पास नहीं है ..उधर टाइम भी होने वाला था , इसलिए उसे बताना जरुरी था, ये सोचकर वो खुद उसके घर की तरफ चल दिए ..
नूरी को दूकान पर बैठे हुए अभी पांच मिनट ही हुए थे की उनकी दूकान प् पुराना ग्राहक सुलेमान वहां आ पहुंचा , दरअसल उसने इरफ़ान भाई को बाहर जाते हुए देख लिया था , और दोपहर का समय होने की वजह से वहां भीड़ भी नहीं थी ..उसकी गन्दी नजरें कब से नूरी के ऊपर थी, और वो भी उसकी बातों का मजा लती रहती थी ..पर बात कभी उसके आगे नहीं बड़ी थी , आज सुलेमान ने सोच लिया था की अपना लक नूरी पर आजमा कर रहेगा ..
वो सीधा दूकान पर जा पहुंचा
सुलेमान : "क्या बात है नूरी ...रोज इसी तरह दूकान पर आकर बैठोगी तो मैं सारा दिन कुछ न कुछ लेता ही रहूंगा ..''
नूरी भी थोड़े चंचल मूड में थी ..
नूरी : "तो मना किसने किया है सुलेमान ..तो बोलता जा और मैं निकालती जाती हु ..बोल क्या चाहिए ''
उसका दोअर्थी मतलब समझकर एक बार तो सुलेमान को लगा की वो नूरी को खुलेआम बोल दे ..पर उसकी हिम्मत नहीं हुई .
उसने नूरी की छाती की तरफ देखते हुए कहा : "दो दूध की थेलियाँ दे दे ..''
नूरी भी उसकी बात के पीछे छुपा अर्थ समझ गयी और बोली : "कोन सी लेगा ..अमूल की या मदर डेयरी की ..''
मदर डेयरी बोलते हुए उसने अपनी नजरे झुका कर अपनी छातियों की तरफ इशारा किया ..
अब तो सुलेमान भी समझ गया की नूरी भी वही चाहती है जो वो चाहता है ..
उसने थोडा और चाशनी भरे स्वर में उससे पुछा : "फर्क क्या है दोनों में ..मुझे तो एक जैसे ही लगते हैं ..''
नूरी ने भी सोचा की मौका अच्छा है ..उसके अब्बा भी घर पर नहीं है ..और सुलेमान उसे अच्छा भी लगता है ..और उसपर लाइन भी मारता है .तो क्यों ना आज इसके साथ ही मजा लिया जाए ..
उसने नशीली आवाज में उससे धीरे से कहा : "अन्दर आओ ..तुम्हे दिखाती हु की क्या फर्क है ..''
सुलेमान को तो अपनी किस्मत पर विशवास ही नहीं हुआ ..
वो झट से साईड का फट्टा उठा कर अन्दर चल दिया ..नूरी के पीछे - 2 .
अन्दर जाते ही नूरी ने फ्रिज में से अमूल के दूध की एक थेली निकाली और उसके किनारे को अपने मुंह से छील कर उसमे छेद कर दिया ..और ठन्डे दूध का एक लंबा घूँट पी लिया ..और जान बूझकर उसने थोडा दूध बाहर भी निकाल दिया जो उसके गले से होता हुआ उसकी ब्रेस्ट को भिगोता चला गया ..
सुलेमान की गिद्ध जैसी नजरें पहले से ही उसकी ब्रेस्ट को घूर रही थी ..दूध से गीला होने की वजह से वो और स्वादिष्ट नजर आने लगी ..
उसने अपने होंठों पर जीभ फेरी ..जैसे वो सारा दूध पी लेना चाहता हो ..
नूरी ने वो दूध की थेली उसकी तरफ कर दी ..और बोली : "लो पीकर देखो ..और चेक करो इसका टेस्ट ..''
उसने थेली को झपटा और अपने मुंह से लगा कर सार दूध एक ही बार में पी गया ..
अब नूरी दोबारा से फ्रिज के अन्दर झुकी और कुछ ढूँढने के बाद बोली : "ओहो ...मदर डेयरी का दूध तो ख़त्म हो चुका है ..अब तुम कैसे चेक करोगे की किसका टेस्ट बेहतर है ..''
उसने बुरा सा मुंह बनाया ...और इस अंदाज से बोली जैसे सुलेमान को कोई इनविटेशन दे रही हो ..
और सुलेमान भी पक्का चोदु था ..वो समझ गया ..और थोडा आगे आया और नूरी की कमर पर हाथ रखकर अपनी तरफ खींच लिया ..
नूरी : "ये ...ये क्या कर रहे हो ..''
सुलेमान : "थेली वाला दूध नहीं है तो क्या हुआ ..ये भी तो मदर डेयरी का ही सेम्पल है तुम्हारे पास ..''
उसने नजरें झुका कर उसकी छातियों की तरफ इशारा किया ..
नूरी : "तो ..तो ..तुम इसमें से टेस्ट करोगे ..''
वो दोनों जैसे कोई खेल खेलने में लगे हुए थे ..
वो खुद भी यही चाह रही थी ..पर फिर भी खेल की रोचकता को बनाए रखने के लिए ऐसे सवाल कर रही थी और अनजान बनने का नाटक भी .
सुलेमान : "हाँ .....तभी तो बता सकूँगा की कोनसा दूध सही है ..''
इतना कहकर उसने अपना सर नीचे किया और अपनी जीभ निकाल कर उसकी गर्दन पर रख दी ..जहाँ दूध की बूंदे अभी तक जमी हुई थी ..
नूरी के मुंह से एक लम्बी सी सिसकारी निकल गयी ...और उसने सुलेमान के सर को पकड़कर अपनी छाती पर जोरों से दबा दिया ..
सुलेमान की जीभ नीचे फिसलती हुई उसके उभारों तक जा पहुंची ..उसने सूट पहना हुआ था, जिसका गला काफी गहरा था , इसी वजह से वो उसके मोटे मुम्मों का आधे से ज्यादा भाग अपनी जीभ से चूस पा रहा था ..
वो ये सब कर रहे थे, इसी बीच पंडित जी दूकान पर आ पहुंचे ..
वहां कोई नहीं था ..उन्होंने टाईम देखा ,पांच बजने में आधा घंटा था , मतलब इरफ़ान भी तो शायद निकल चुके होंगे ..यानी दूकान इस वक़्त नूरी के भरोसे थी ..पर वो है कहाँ , वो ये सोच ही रहे थे की उन्हें दूकान के अन्दर से नूरी की सिसकारी की आवाज आई ..
पंडित जी समझ गए की नूरी जरुर कुछ गड़बड़ कर रही है ..
वो धीरे से अन्दर दाखिल हो गए ..और पीछे वाले कमरे में जाकर आते की बोरी के पीछे छुप गए ..और वहां से जो उन्होंने देखा उसे देखकर उनका शक पक्का हो गया ..
सुलेमान ने नूरी को बुरी तरह से पकड़ा हुआ था और उसकी गर्दन को अपनी जीभ से चाट रहा था ..
पंडित ने एक पल के लिए तो सोचा की नूरी को अपनी उपस्थिति का एहसास कराये पर कुछ सोचकर वो खुद रुक गए .. क्योंकि उनके दिमाग में अचानक एक बात आ गयी थी ..इसलिए वो वेट करने लगे ,और उन दोनों का खेल देखने में लग गए .
सुलेमान ने धीरे - २ नूरी के सूट की कमीज को ऊपर की तरफ खींचकर निकालना शुरू कर दिया ..
वो मचल रही थी ..और मचलते हुए बोली : "ये क्या कर रहे हो तुम ...''
सुलेमान : "तुमने भी तो दूध पीने के लिए थेली को फाड़ा था ..मैं तो थेली को उतार रहा हु ..''
इतना कहते हुए उसने उसकी शर्ट को उतार फेंका ..
उसके बाद का नजारा देखकर तो सुलेमान की कुत्ते जैसी जीभ ऐसे बाहर आ गयी जैसे उसने गोश्त का भण्डार देख लिया हो ..और था भी वो नजारा ऐसा ही ..ब्लेक ब्रा के अन्दर उसके मोटे मुम्मे किसी लबाबदार डिश जैसे लग रहे थे ..जिन्हें वो अपनी जीभ और दांतों से चबा जाना चाहता था ..
उसने अपनी जीभ को उसके उभारों पर फिर से फेराया ..सुलेमान की जीभ की गर्मी और उसकी लार की ठंडक अपने जिस्म पर पाकर वो कांप सी गयी ..
अगले ही पल उसके मोटे हाथों ने उसकी ब्रा के कप नीचे खिसका दिए ..और उसके मजेदार , लज्जतदार , रसीले और मोटे मुम्मे उछल कर बाहर निकल आये ..जिनपर किशमिश जैसे काले रंग के दाने लगे हुए थे ..
सुलेमान ने अपना मुंह पूरा खोल और एक मुम्मे का गोश्त अपने मुंह में ठूस कर उसे जोर से चूसने लगा ..
उसकी ब्रा अभी तक वहीँ की वहीँ थी ..और सुलेमान ने सिर्फ उसकी ब्रेस्ट को बाहर निकाला था , ऐसा एहसास उसने आज तक नहीं पाया था ..वो फिर से सुलेमान के सर को अपनी छाती से दबा कर उसे बच्चों की तरह प्यार करते हुए उसे अपना दूध पिलाने लगी ..
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने दूसरी तरफ का भी दूध पीया ..और थोडा चूसने के बाद उसने सर ऊपर उठाया और धीरे से बोला
''इस मदर डेयरी के दूध का मुकाबला कोई नहीं कर सकता ...''
उसकी बात सुनकर नूरी मुस्कुरा दी ..और उसका सर पकड़कर उसके होंठों को जोर जोर से चूसने लगी ..
नूरी ने उसका सर पकड़कर वापिस अपने निप्पल पर लगा दिया ..जैसे कह रही हो ..'बातें कम कर ..काम पर ध्यान दे तू .'
उसने दुसरे हाथ से उसकी ब्रा के स्ट्रेप को खींचकर नीचे गिरा दिया ..और उसकी ब्रा उसके पेट पर जाकर अटक गयी ..
अब उसकी दोनों छातियाँ सुलेमान के सामने थी , जैसे थाली में दो खरबूजे सजा दिए हो ,खाने के लिए .
सुलेमान भी दिल खोल कर सिर्फ उन्हें खा ही नहीं रहा था, बल्कि दबा रहा था, निचोड़ रहा था , पी रहा था , जैसे सच में उसमे से दूध की धार निकलेगी और उसकी प्यास बुझा देगी ..
पर दूध की धार निकलने में तो अभी नौ महीने का समय था ..अभी -२ तो पंडित जी ने बीज बोया था उसके अन्दर ..दूध निकलने में टाईम तो लगेगा ही न ..
तभी नूरी के हाथ फिसल कर सुलेमान के लंड के ऊपर चला गया ..उसने उसे जोर से पकड़ कर दबा दिया ..उसकी सलवार के नाड़े को खोलकर उसने झट से नीचे गिरा दिया ..और अंडरवीयर के अन्दर हाथ डालकर उसके रेजिमेंट के सिपाही को अपने सामने तलब कर लिया ..
''वाव ....क्या लंड है तेरा सुलेमान । ''
नूरी ने जैसे ही उसे देखा वो अपनी आँखे फेला कर बोली
वो बिलकुल काले रंग का था ..पर मोटा काफी था , एक खीरे जितना मोटा ..और उतना ही लम्बा ..
नूरी ने अपना दूसरा हाथ अपनी चूत के ऊपर रखा और उसकी चूत के मुंह से निकल रहे पानी को उसने अपनी पेंटी से ही मसल कर साफ़ कर दिया .
वो धीरे से जमीन पर बैठ गयी ..और उसने सुलेमान के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दिया ..
सुलेमान ने जब देखा की नूरी के गुलाबी होंठ उसके काले लंड को निगल रहे हैं तो उसकी आँखे बंद सी होती चली गयी ..उसने अपना चेहरा ऊपर कर लिया और अपने लंड की चुस्वायी का मजा लेने लगा .
इसी बीच पंडित जी की नजरें उनके साथ - 2 घडी पर भी थी ..दस मिनट हो चुके थे उन्हें यहाँ आये हुए ..वो ज्यादा लेट नहीं होना चाहते थे ..पर उन्हें सही समय का भी इन्तजार था ..
नूरी ने अपने हिलते हुए मुम्मो को उसके घुटनों पर रगड़ते हुए जोर जोर से लंड को पीना शुरू कर दिया ..सुलेमान की हालत खराब होती जा रही थी ..उसके लंड का पानी कभी भी निकल सकता था ..वो सोच रहा था की ऐसे ही वो उसके लंड को पीती रही तो वो उसकी चूत नहीं मार पायेगा जबकि नूरी कुछ और ही सोच रही थी , वो जानती थी की एक बार झड जाने के बाद आदमी को दोबारा झड़ने में टाईम लगता है , इसलिए वो पहले उसके लंड के दूध से अपनी प्यास बुझाना चाहती थी और उसके बाद उससे अपनी चूत चट्वानी थी उसको ..और अंत में फिर से उसके लंड से अपनी चूत की चुदाई करवानी थी ..ये प्रोग्राम था उसके दिमाग में ..
पर वो बेचारी क्या जानती थी की पंडित जी भी वहीँ छुपकर खड़े हैं और उसके सोचे हुए प्लान पर पानी फेरने वाले हैं ..
अगले दो मिनट के अन्दर ही नूरी ने अपने मुंह का कमाल दिखाकर सुलेमान के खीरे का सारा जूस पी लिया ..कुछ नीचे जमीन पर गिर, कुछ उसके मुम्मों पर ..पर ज्यादातर उसके मुंह के अन्दर ही गया ..
नूरी ने अपनी ब्रेस्ट और मुंह के किनारे पर लगा हुआ सुलेमान का माल अपने हाथ की उँगलियों से हथेली में समेटा और अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसे कुतिया की तरह चाटना शुरू कर दिया ..
अब बारी थी नूरी की ..उसकी चूत की ..जो इतनी देर से बह रही थी की उसकी पेंटी और सलवार पूरी गीली हो चुकी थी ..
उसने अपनी सलवार का नाड़ा खोलकर नीचे गिरा दिया ..
मेचिंग ब्लेक कलर की पेंटी देखकर सुलेमान के मुंह से फिर से लार टपकने लगी ..
उसने उसकी पेंटी को खींचकर नीचे गिरा दिया ..
बस इसी पल का इन्तजार था पंडित जी को ..
जैसे ही उसकी नंगी चूत का नजारा पंडित जी ने देखा वो चुपके से बाहर की तरफ निकल गए ..
और जैसे ही नूरी को जमीन पर लिटा कर सुलेमान ने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी .. बाहर से पंडित जी की आवाज आई ..
''अरे इरफ़ान भाई ...कहाँ हो ...''
सुलेमान की तो जैसे झांटो में आग लग गयी ..वो इतनी देर से दुआ मांग रहा था की आधे घंटे तक कोई भी ना आये दूकान पर ..ताकि वो सब काम आसानी से निपटा सके ..
उसने तो समझा था की कोई ग्राहक है ..पर नूरी समझ गयी थी की वो पंडित जी हैं ..
उसने धीरे से सुलेमान से कहा ..''तुम यहीं रहना , मैं इन्हें निपटा कर अभी आती हु ..मेरी चूत की आग बुझाये बिना मैं तुझे कहीं नहीं जाने दूँगी ..''
उसकी बात सुनकर सुलेमान की सांस में सांस आई .
उसने जल्दी से अपने कपडे पहने और बाहर निकल आई ..
बाहर पंडित जी थे . वो जल्दी से उनके पास पहुंची और बोली : "पंडित जी ..अब्बा कहीं बाहर गए हैं ..बस आने ही वाले हैं, आप अभी जाइये ..अभी नहीं हो पायेगा ..''
वो समझ रही थी की ठरकी पंडित रोज की तरह उसकी चूत मारने के लिए आया है ..पर अभी उसका ध्यान सुलेमान की तरफ था, इसलिए वो पंडित जी को टरकाने के लिए ऐसा बोल रही थी ..क्योंकि वो जानती थी की पिछली बार भी कैसे पंडित जी की फट गयी थी जब बाहर उसके अब्बा आ गए थे और वो दोनों अन्दर चुदाई कर रहे थे ..इसलिए अब्बा का नाम बोलकर वो उन्हें डरा भी रही थी ताकि वो जल्दी से पतली गली से निकल जाए .
पर वो भोली - भाली ये नहीं जानती थी की ये सब माया पंडित जी की है, और पंडित जी ने भी यही समय इसलिए चुना था ताकि नूरी अपनी प्यासी चूत की तड़प थोडा और संभाल कर रखे ताकि इरफ़ान के साथ चुदाई में और भी ज्यादा मजा आये .
वो मुस्कुराये और नूरी से बोले : "मुझे बेवकूफ बनाने की कोई जरुरत नहीं है ..मुझे पता है की अन्दर कौन है ..और तुम क्या कर रही थी ..''
अब गांड फटने की बारी नूरी की थी ..उसने आँखे गोल करके पंडित जी के चेहरे को देखा जैसे विशवास कर लेना चाहती हो की वो जो बोल रहे हैं वो सच भी है या नहीं ..पर पंडित जी की आँखों में आत्मविश्वास देखकर उसने नजरे नीची कर ली .
नूरी : "वो ...दरअसल ...मैंने सोचा ..की ..''
पंडित : "तुमने सोचा की मौका अच्छा है ..अब्बा भी गए हुए हैं ..पंडित जी का लंड भी ले चुकी हु ..तो जाते - 2 सुलेमान के साथ भी मजे ले ही लूँ ..''
वो चुप हो गयी ..कुछ भी न बोल पायी .
पंडित : "मैंने ही इरफ़ान भाई को भेजा है ..तुमने ही तो बोला था अपने अब्बा से चुदने के लिए ..इसलिए मैंने सारा जुगाड़ किया है .''
इतना कहकर पंडित जी ने सारी कहानी एक ही सांस में नूरी को सूना दी ..
वो अपना मुंह फाड़े सुनती रही और मन ही मन खुश होती रही की आखिरकार उसकी बरसों की मुराद पूरी होने जा रही है ..अपने अब्बा से चुदने की ..
पंडित : "पर मुझे क्या पता था की तुम यहाँ दुसरे लंड से मजे ले रही हो ..अगर ये ज्यादा जरुरी है तो रहने दो ..पर बाद में मुझसे उम्मीद मत रखना ..''
नूरी तपाक से बोली : "अरे नहीं पंडित जी ..कैसी बाते करते हो आप ..जिस पल के लिए मैं इतने समय से वेट कर रही थी, उसे मैं ऐसे ही नहीं जाने देना चाहती ..''
उसके चेहरे की ख़ुशी बता रही थी की वो पंडित जी की योजना से पूरी तरह से सहमत है ..
पर पंडित जी ये सब खुले आम नहीं करवाना चाहते थे ..उन्होंने नूरी को जल्दी से तैयार होने की हिदायत दी ...और उसे क्या करना है और क्या पहनना है वो भी बता दिया ..
और समय की मांग को ध्यान में रखते हुए उसे जल्दी से जल्दी वहां पहुँचने को कहा ..और ये सब कहकर वो जल्दी से निकल गए .
उनके जाते ही नूरी भागकर अन्दर आई और जल्दी से सुलेमान को कपडे पहनकर वापिस जाने को कहा ..वो बोली की अब्बा का फ़ोन था .. वो बस आने ही वाले हैं , सुलेमान की तो जैसे माँ ही मर गयी नूरी की बात सुनकर , उसका चेहरा और लंड देखने लायक था ..
पर नूरी ने अगली बार जल्दी ही अधूरा काम निपटाने का वादा करते हुए उसे वापिस भेज दिया ..
और फिर उसने दूकान बंद की और भागकर ऊपर गयी , पंडित जी के कहे अनुसार उसने वैसे ही कपडे पहने और ताला लगाकर खंडहर की तरफ चल दी .
वहां दूसरी तरफ खंडहर के बाहर गिरधर खड़ा होकर इरफ़ान का वेट कर रहा था , इरफ़ान भाई जैसे ही उसे आते हुए दिखाई दिए वो उनकी तरफ दौड़ा चला आया ..
इरफ़ान : "हाँ भाई ..किधर है तेरा आइटम ...जब से तूने बताया है, मेरा तो लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा ..''
गिरधर : "अरे साहब ..हुस्न का दीदार करने के लिए थोडा इन्तजार और करना पड़ेगा बस ..आप अन्दर जाइये, वो बस आने ही वाली है, मैं उसे लेकर अन्दर आता हु ..''
इतना कहकर उसने अपने हाथ आगे फेला दिए , इरफ़ान समझ गया और उसने अपनी जेब से दस हजार रूपए निकालकर उसकी हथेली पर रख दिए ..बिन मांगे उसे मुंह मांगे रूपए मिल गए थे ..वो खुश हो गया और पैसे अपनी जेब में रख कर गिरधर ने इरफ़ान को खंडहर के अन्दर भेज दिया ..शाम का समय था, इसलिए जो इक्का दुक्का लोग भी वहां मौज मस्ती के लिए आये हुए थे, वो भी जा चुके थे ..
इरफ़ान के अन्दर जाने के कुछ देर के बाद ही उसे पंडित जी भी आते दिखाई दिए ..
पंडित जी ने आकर उसे बता दिया की सब कुछ योजना के अनुसार ही हो रहा है ..लगभग 10 मिनट के बाद ही रिक्शे पर नूरी आती दिखाई दी ..उसने बुरका पहना हुआ था ..पूरा शरीर ढका हुआ था , सिर्फ आँखों वाले हिस्से के जालीदार कपडे में से उसकी नशीली आँखे नजर आ रही थी .
वो जब उनके पास आकर खड़ी हुई तो गिरधर की नजरें बुर्के के ऊपर से ही उसे चोदने में लगी हुई थी ..फिटिंग वाले बुर्के में उसके शरीर के भराव और उभार साफ़ दिखाई दे रहे थे ..गिरधर ने अपनी जीभ सूखे होंठों पर फिराई ..शायद सोच रहा था की उसका नंबर भी तो लगने वाला है इस माल पर .
पंडित जी ने उसे फिर से जरुरी बाते समझाई और उसे गिरधर के साथ अन्दर भेज दिया ..
अन्दर इरफ़ान एक कोने में बने हुए चबूतरे पर बैठा हुआ था , जहाँ से पीछे की तरफ की खायी साफ़ दिखाई दे रही थी ..दूर -2 तक सिर्फ जंगल और पेड़ ही थे ..उसने एक पत्थर की बेंच को साफ़ सुथरा करके उसे चोदने के लिए सजा सा लिया था .
और उसे तो बस इन्तजार था उस लड़की के आने का ..वो सोचने लगा की कैसे वो इस बियाबान खंडहर में उसकी चुदाई करेगा कैसे उसकी गांड मारेगा ..और वो ये सब सोच ही रहा था की गिरधर के साथ उसे नूरी आती हुई दिखाई दी ..
बुर्के के पीछे छुपी हुई नूरी को वो भला कैसे पहचान पाता ..वो तो बस उसके भरे हुए शरीर को देखकर मंत्र्मुघ्ध सा हो गया ..और बड़ी ही बेशर्मी से उन दोनों के सामने ही अपने लंड को मसलने लगा ..
अपने अब्बा को देखकर नूरी की चूत से वैसे ही पसीना निकल रहा था ..ऊपर से उनका लंड मसलना देखकर वो तो जैसे बेकाबू सी हो गयी ..उसका मन तो कर रहा था की अभी अपना बुरका उतार फेंके और अपने अब्बा को दिखा दे की वो कौन है ..पर पंडित जी ने उसे इस बात के लिए मना किया था, इसलिए वो बस खड़ी रही .
इरफ़ान : "वह गिरधर ..तूने सच ही कहा था ..सच में भरा हुआ माल है ये तो ..इसे बुर्के में देखकर ही मेरा लंड ऐसे मचल रहा है , जब ये नंगी होकर चूत दिखाएगी तो क्या हाल होगा इसका ..''
अपने बाप के मुंह से लंड चूत की बाते सुनकर नूरी के होंठ भी फडफडा उठे ..पर वो सिर्फ सिसक कर रह गयी ..
गिरधर : "ये तो मैंने पहले ही कहा था साहब , अब बस आप एन्जॉय करो ..मैं चलता हु ..''
इतना कहकर वो बाहर निकल आया ..और पंडित जी के साथ मिलकर वापिस आकर एक कोने में छिप गया ..जहाँ से वो उनकी चुदाई को आराम से देख सकते थे .
अब असली खेल शुरू होने वाला था .
इरफ़ान को ये पता भी नहीं चल पाया की गिरधर वहीँ छुपकर बैठ गया है उनका खेल देखने के लिए , उसका तो पूरा ध्यान ''नूरी'' के ऊपर था ..
इरफ़ान : "तुम्हारा कसा हुआ बदन देखकर तो लग रहा है की तुमने चुदाई काफी करवाई है ..''
वो चुप रही ..
इरफ़ान आगे बड़ा और उसने उसके चेहरे से बुर्के को उतारना चाहा .. पर उसने मना कर
दिया ..
नूरी (आवाज बदल कर , जैसा पंडित जी ने कहा था ) : ''आप प्लीस मेरा चेहरा ना देखे...मैंने इसके बारे में पहले से ही बोल दिया था गिरधर को ..''
इरफ़ान : "पर उसने तो ऐसा कुछ नहीं बताया ..पर कोई बात नहीं ..मैं समझ सकता हु की तुम एक शरीफ घराने की लड़की हो ..पर चेहरे के अलावा तो कुछ छुपाने का इरादा नहीं है ना ..''
कहते हुए इरफ़ान ने नूरी के मुम्मों के ऊपर हाथ रखकर उन्हें जोर से दबा दिया ..
''ऊम्म्म्म्म्म्म .....नाआअ ....वो सब देख सकते हो .....अयीईई .....''
इरफ़ान ने उसकी घुन्डियाँ पकड़कर ऐसे निचोड़ दी मानो करोंदे का रस निकाल रहा हो ..
इरफ़ान ने नूरी को पत्थर की सीट पर बिठा दिया ..और खुद उसके सामने जाकर घुटने मोड़ कर बैठ गया ..
और उसकी टांगो के ऊपर का कपडा धीरे - 2 ऊपर करने लगा ..
जैसे -२ उसका बुरका ऊपर जा रहा था उसकी गोरी पिंडलियाँ नंगी होती जा रही थी ..जिन्हें देखकर इरफ़ान का बुरा हाल हो रहा था ..पंडित जी के कहे अनुसार उसने बुर्के के अन्दर सिर्फ ब्रा और पेंटी पहनी हुई थी ..ब्लेक कलर की , जो उसके गोर रंग से कंट्रास करके काफी जच रही थी .
जैसे ही उसकी मोटी और गद्देदार जांघे इरफ़ान के सामने चमकी उसने अपनी बाहर निकल रही कुत्ते जैसी जीभ को नीचे किया और उसे ऐसे चाटने लगा जैसे चीज वाला सेंडविच ..अपने अब्बा के पहले स्पर्श से नूरी सिहर उठी ..उनकी खुरदुरी जीभ के एहसास को अपनी चिकनी जाँघों के ऊपर पाकर उसने आँखे बंद कर ली ..और उनके सर को अपने हाथों से दबा कर अपने ''अब्बा'' को और ऊपर आने का निमंत्रण दिया ..
इरफ़ान भी अपनी गीली जीभ को ऊपर की तरफ खिसकाता हुआ उसकी पेंटी तक जा पहुंचा ..अब तो उसका मन कर रहा था की बस उसकी कच्छी के चिथड़े उड़ा डाले ...पर वो बेचारी घर क्या पहन कर जायेगी ये सोचकर वो रुक गया ..और उसने नूरी को बुरका उतारने को कहा ..
वो खड़ी हुई और बड़ी अदा के साथ उसने अपने बुर्के के बटन खोलने शुरू किये ..और सारे बटन खोने के बाद उसे कोट की तरह उतार कर नीचे फेंक दिया ..
अब वो सिर्फ ब्रा, पेंटी और नकाब में थी ..सब कुछ ब्लेक कलर का था ..
नूरी के सीने की ऊंचाईया देखकर इरफ़ान की आँखे बाहर निकल आई ..इतनी सेक्सी लेस वाली ब्रा के अन्दर बंद कबूतरों को देखकर उसके हाथ फद्फड़ाने लगे उन्हें पकड़ने के लिए ..और उसकी पतली कमर के नीचे की फेलावट को देखकर उसके लंड महाराज का बुरा हाल हो गया , ना जाने कितनी मुश्किल से वो छोटी सी पेंटी उसकी चोडी और उभरी हुई गांड को कवर करने में कामयाब हो रही थी , ये तो नूरी ही जानती थी ..आगे की तरफ का गहरा धब्बा नूरी की चूत की हालत बयान कर रहा था ..
पंडित जी तो नार्मल थे पर गिरधर की हालत खराब होने लगी ..उसने भी ऐसा माल आज तक नहीं देखा था ..हर तरफ से भरा हुआ और कसाव वाला शरीर था उसका ..वो अपने लंड को अपनी पेंट के ऊपर से ही मसलने लगा ..पंडित उसकी हरकत देखकर मुस्कुरा दिए ..
उधर , इरफ़ान ने आगे बढकर नूरी की ब्रा के स्ट्रेप को एक ही झटके में नीचे गिरा दिया ..और अगले ही पल उसके खरबूजे जितने बड़े मुम्मे बाहर की तरफ निकल आये जिनके ऊपर के दानो को देखकर इरफ़ान के मुंह में पानी आ गया ..और उसने अपना सर नीचे करके उन्हें अपने मुंह में दबोच लिया और अपने दांतों और होंठों से उसकी सेवा करने लगा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म्म .......''
नूरी का बदन कमान जैसे टेड़ा होकर पीछे की तरफ झुक गया ..इरफ़ान ने अपने दोनों हाथ उसकी गांड के ऊपर रख दिए और पेंटी के अन्दर डालकर उसकी नंगी गांड को थाम लिया .. और उन्हें गुब्बारों की तरह दबाने लगा ..
वो खड़ा हुआ कभी उसका दांया मुम्मा चूसता और कभी बांया ...और उसके हाथ की उँगलियाँ धीरे -2 उसकी गांड की सरहदों में दाखिल होकर वहां बनी हुई दोनों चोंकियों को कुरेदने में लगी थी ..एक हाथ की उँगलियाँ उसकी गांड के छेद को कुरेद रही थी और दुसरे हाथ की उँगलियाँ उसकी रसीली चूत को ..
इरफ़ान का मन तो कर रहा था की उसके रसीले होंठों को चूस ले पर उसने मना कर रखा था ..इसलिए वो झुका और उसकी चूत के सामने अपना मुंह लेकर बैठ गया ..और एक ही झटके में उसने उसकी गदरायी हुई गांड का लिबास उतार कर उसे नंगा कर दिया ..
अपने अब्बा की भूखी आँखों के सामने अपनी चूत को बेपर्दा पाकर नूरी की चूत भावुक हो उठी और उसमे से गर्म रस आंसुओं की तरह बहकर बाहर आने लगा ..जिसे उसके अब्बा ने एक पल भी गंवाए अपने मुंह से चाटकर साफ़ कर दिया ..
अब फिर से इरफ़ान ने नूरी को पत्थर की बेंच पर लिटा दिया और उसकी टांगों को खोलकर उसके अन्दर अपने मुंह से खुदाई करने लगा ..
जितनी खुदाई करता उतना ही पानी बाहर निकल आता , उसका चेहरा और होंठ बुरी तरह से उसके रस से नहा कर गीले हो गए ..
नूरी ने अपनी ब्रा के स्ट्रेप भी खोल दिए और अब वो पूरी नंगी थी ..अपने बाप के सामने .
और जैसे वो नंगी हो चुकी थी, वैसे ही वो अपने अब्बा को भी नंगा देखना चाहती थी ..पर उन्होंने अभी तक अपना एक भी कपडा नहीं उतारा था ..और ये इरफ़ान जान बूझकर कर रहा था ..वो उसकी चूत को चूसकर और उसके मुम्मे दबा कर उसे पूरी तरह से गर्म कर देना चाहता था ताकि बाद में वो खुद उसके कपडे उतारकर उसके लंड को किसी पागल कुतिया की तरह से चूसे और चाटे ..
और हुआ भी यही ...नूरी से जब बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो खड़ी हुई और इरफ़ान के सामने घुटनों के बल बैठ गयी ..और उसके पायजामे के नाड़े को खोलने लगी ..
वो आराम से खड़ा होकर उसे बेसब्री से ये सब करता हुआ देख रहा था ..नूरी ज्यादा बोल नहीं रही थी, क्योंकि उसे डर था की कहीं उसकी आवाज को उसके अब्बा पहचान ना ले ..
वो सिर्फ सिसकारी मारकर हाल-ऐ-चूत बयान कर रही थी ..
इरफ़ान ने ऊपर से अपना कुर्ता खुद ही उतार दिया और नीचे से जैसे ही उसका पायजामा नीचे सरका उसके अन्दर खड़ा हुआ जानवर आखिरी पिंजरा तोड़कर बाहर आने को मचलने लगा ..
और फिर नूरी ने धीरे-२ उसके कच्छे को भी नीचे उतार दिया ...और जैसे ही उसे अपने अब्बा के लंड का दीदार हुआ उसने अपने नकाब के ऊपर से ही उसे अपने छोटे भाई की तरह से चूम लिया ..
पर बीच में आ रहा कपडा उसे परेशान कर रहा था, उसने धीरे से अपने नकाब को सिर्फ होंठों तक ऊपर उठाया और अपने अब्बा के लंड को अपने मुंह ममे ले लिया ..और उसे जोर -२ से चूसने लगी ..
इरफ़ान को तो लगा जैसे उसका लंड किसी गर्म सुरंग में पहुँच गया है ..इतनी हीट निकल रही थी नूरी के मुंह से जैसे वो उसके लंड का सीख कबाब बना रही है अपने मुंह में ..
पर उसे मजा भी उतना ही आ रहा था ..इतनी जवान लड़की ने आज तक उसके लंड को नहीं चूसा था ..अपनी बेटी की उम्र की लड़की से अपना लंड चुसवाना किसे अच्छा नहीं लगेगा ..और जैसे ही इरफ़ान को अपनी बेटी का ख्याल आया वो और जोश से भर उठा ...वो सोचने लगा की ये लड़की बिलकुल उसकी बेटी नूरी की उम्र की है और शारीरिक रूप से भी वैसी ही लग रही है ..काश जो वो सोच रहा है वो सच होता ..कितना अच्छा होता ..
अब वो बेचारा क्या जानता था की ये सच हो चुका है ..जिसे वो चोदने की तैय्यारी कर रहा है वो उसकी अपनी बेटी नूरी ही है ..और उस लड़की को अपनी बेटी नूरी समझ कर वो उसके मुंह को चोदने लगा .
और जैसे ही इरफ़ान को लगने लगा की उसके लंड का पानी निकलने वाला है वो सिहर सा उठा ..और उसने नूरी के सर को पकड़कर उसे रोक दिया ..
''बस ......बस .....रुक जा नूरी ....''
अपनी बेटी के बारे में सोचते- २ उसके मुंह से नूरी निकल गया ..जिसे सुनकर एक पल के लिए तो नूरी के साथ - २ पंडित और गिरधर भी सकते में आ गए की कहीं इरफ़ान को पता तो नहीं चल गया ..
पर अगले ही पल इरफ़ान संभल गया और नूरी से बोला : "उम् माफ़ करना ...मेरे मुंह से नूरी निकल गया ...''
नूरी (बदली आवाज में ) : "ये नूरी कौन है ..अगर आप चाहो तो मैं नूरी बनकर ये सब कर सकती हु ..आपको भी ज्यादा मजा आयेगा ..''
वो तो मन ही मन खुश हो रही थी की उसके अब्बा भी उसके बारे में वैसे ही सोच रहे हैं जैसे वो सोच रही है ..बस उनके मन को अच्छी तरह से टटोल कर वो उनके सामने बेपर्दा होना चाहती थी ..
इरफ़ान थोड़ी देर के लिए सकुचा सा गया ..वो सोचने लगा की उस ''रंडी' को अपनी बेटी के बारे में बताये या नहीं ..
नूरी ने उसकी चिंता भांप ली ..और बोली : "लगता है ये तुम्हारी बेटी का नाम है ..है ना ..''
इरफ़ान (हेरान होते हुए ) : "तुम ...तुम्हे कैसे पता ...चला ..''
नूरी (हँसते हुए) : "अक्सर बेटी की उम्र की लड़की देखकर अपनी बेटी ही याद आ जाती है ..आपकी उम्र देखकर पता चल रहा है की आपकी बेटी की उम्र मेरी जितनी ही होगी ..और शायद आप मुझमे उसका अक्स देख रहे हैं ..''
इरफ़ान ने हाँ में सर हिला दिया ..
नूरी : "आप शर्मिंदा मत होइये ...आप गलत नहीं सोच रहे हैं ..ज्यादातर बाप अपनी बेटियों के बारे में यही सोचते हैं ..और ज्यादातर लड़कियां भी अपने बाप के बारे में यही सोचती है ..''
इरफ़ान : "अच्छा ....सच में ?"
नूरी : "हाँ ...मैं भी सोचती हु अपने अब्बा के बारे में ...जैसे अभी भी मुझे यही लग रहा है की मैं अपने अब्बा का लंड चूस रही हु ..ये सब सोचते हुए करने में काफी मजा आता है ..अगर आप चाहो तो मैं आपको अब्बा कहकर ये सब कर सकती हु ...आपको भी अच्छा लगेगा और मुझे भी ..''
इरफ़ान उसके ऑफर को कैसे मना कर सकता था ..वो खुद भी तो यही चाहता था ..
उसने हामी भर दी ..
और इतना कहते ही नूरी ने एक लम्बी सांस भरी और अपने अब्बा के लोंडे को अपने मुंह में धकेल कर उसे और तेजी से चूसने लगी ..
''ओह्ह्ह्ह्ह .....अब्बू .......उम्म्म्म्म ........तुम्हारे लंड को देखकर मेरी चूत से पानी निकल रहा है .....''
और इस बार वो अपनी आवाज बदलनी भूल गयी ..
जिसे सुनकर एक पल के लिए तो इरफ़ान भी चोंक सा गया ..वो सोचने लगा , मेरी बेटी की एक्टिंग करते हुए इसकी आवाज भी उसके जैसे कैसे हो गयी ..पर उसने ज्यादा सोचना उचित नहीं समझा क्योंकि जिस तरह से वो उसके लंड को चूस रही थी इरफ़ान को दोबारा लगने लगा की उसकी पिचकारी छूट जायेगी ..
उसने फिर से अपनी ''बेटी'' को रोक दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....नूरी ......मेरी बच्ची .....रुक जा ......और मत चूस ...अपने अब्बा का लंड ....अह्ह्ह्ह .....रुक जा ....''
और एक आज्ञाकारी बेटी की तरह से नूरी ने अपने ''अब्बा'' का लंड बाहर निकाल दिया ...
इतना गर्म सीन देखकर गिरधर ने साड़ी बेशर्मी की हदें पार करते हुए अपना लंड बाहर निकाल लिया और उसे पंडित जी के सामने ही मसलने लगा ..
नूरी ने जैसे ही इरफ़ान के लंड को बाहर निकाला वो जाकर फिर से उसी सीट पर लेट गयी ..और अपनी टाँगे उठा कर बोली : "आओ न अब्बू ...चोदो अपनी नूरी को ...घुसा दो मेरी चूत में अपना ये मोटा लंड ...मारो मेरी चूत और बुझा दो मेरी प्यास ...आओ न अब्बू ..''
अपनी ''बेटी'' का आग्रह वो कैसे ठुकरा सकता था .... वो खड़ा होकर उसकी टांगो के बीच पहुंचा और अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रख दिया ..और उसके नकाब के पीछे छिपी हुई आँखों में देखकर वो उसपर झुक गया ..और झुकने के साथ ही उसका पहाड़ी लंड किसी बर्फीले शूल की तरह उसकी गर्म चूत के अन्दर उतरता चला गया ..दोनों ही चीखे मारकर अपने एहसास का बयान करने लगे ..
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब्बा ......उम्म्म्म्म्म्म ......क्या लंड है आपका ....उम्म्म्म्म्म ....और अन्दर डालो ....अह्ह्ह्ह्ह .....जोर से ....चोदो ...अपनी नूरी ....को ....अब्बू .....आज अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रख दो ....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....जोर से ...और जोर से ....''
इरफ़ान भी बडबडाने लगा : "अह्ह्ह्ह ...ले साली .....ले अपने बाप का लंड ....अह्ह्ह्ह ....और अन्दर ले ....घुसवा ले पूरा ....अपनी फुद्दी मे. ....अह्ह्ह्ह ....''
और आवेश में आकर इरफ़ान ने एक ही पल में नीचे झुककर उसके चेहरे का नकाब ऊपर कर दिया ...और चेहरा देखने से पहले ही झुक कर उसके होंठों को अपने मुंह में लेकर जोर - २ से चूसने लगा और नीचे से उसकी चूत में भी जोरों के धक्के मारने लगा ..
और अगले ही पल जब उसने अपनी आँखे खोलकर नूरी के चेहरे को देखा तो उसकी हेरानी की कोई सीमा ही नहीं रही ...
नूरी भी समझ चुकी थी की अब बहुत देर हो चुकी है ..पर उसने अपने अब्बू को अपने ऊपर से उठने नहीं दिया ..
इरफ़ान : "नूरी ....तू ...और ..और यहाँ ..........''
वो उठने लगा पर नूरी ने उसकी गांड को अपनी टांगो से बाँध लिया था और नीचे से धक्के मारकर वो बाकी का काम निपटाने लगी ...
इरफ़ान भी अपने आखिरी पड़ाव पर था ...और हेरात की बात ये थी की अपनी बेटी को सामने पाकर उसके लंड की कसावट और भी ज्यादा हो गयी थी ...वो अपने लंड को बाहर भी निकालना चाहता था और अन्दर भी रखना चाहता था ...
नूरी ने आखिर अपनी मंजिल पा ही ली ...और अपने अब्बू को अपनी छाती पर दबोच कर उसने अपनी चूत को भी उनके लंड से बुरी तरह से जकड लिया ..ताकि वो कहीं जा ना पायें ...
और अपनी गिरफ्त से छोड़ने के बाद वो अपने अब्बू से बोली : "अब्बू ...वो मैं तुम्हे सब बाद में बता दूंगी ...पर अभी आप वो करो जिसके लिए यहाँ आये हो ..जल्दी ..''
इरफ़ान ने ''अनमने'' मन से उसकी बात मान ली और धक्के मारकर अपने लंड को उसकी टनल के अन्दर बाहर करने लगा ..
अब उसके सामने नूरी का मासूम सा चेहरा था ..वो अपनी बडी -२ आँखों से अपने अब्बू को छोड़ते हुए देख रही थी ..और मुस्कुरा भी रही थी ..उसके हिलते हुए मोटे मुम्मे देखकर इरफ़ान के लंड की पिचकारियाँ आखिरकार उसकी चूत के अन्दर निकलने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......,ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .,.,.मैं आया ......ओह्ह्ह्ह्ह नूरी ......''
इतना कहकर वो पसीने से भीगी हुई ब्रेस्ट के ऊपर गिर पड़ा ..
थोड़ी देर के बाद वो उठा और अपने लंड को रुमाल से साफ़ करता हुआ अपने कपडे पहनने लगा ..
वो क्या बोले और क्या पूछे नूरी से वो समझ नहीं पा रहा था ..
नूरी ने ही आखिर कार बात शुरू की
नूरी : "अब्बू ,मुझे पता है की आप क्या सोच रहे हैं ..पर आप शायद नहीं जानते की मैं कितने सालों से यही चाहती थी जो आज हुआ है ...हाँ अब्बू,जब से मैंने जवानी की देहलीज पर कदम रखा है, मैंने हमेशा से ही आपके बारे में सोचा है ..और धीरे- २ मैं आपसे चुदने के बारे में सोचने लगी ..अपने शोहर से चुदते हुए भी मैंने हमेशा आपको ही सोचा है ..''
इरफ़ान हेरानी से अपनी बेटी का इकबालिया बयान सुन रहा था ..
नूरी : "मुझे जब बच्चा नहीं हो रहा था तो मैंने सोच लिया था की मैं आपसे चुद्वाकर प्रेग्नेंट हो जाउंगी ..पर पंडित जी के समझाने पर मैं मान गयी ..पर मुझसे रहा नहीं गया और आखिरकार उनके ही एक दोस्त की मदद से मैंने आपको यहाँ बुलाया और बाकी सब आपके सामने है ..''
इरफ़ान : "पर नूरी ...ये गलत है ...दुनिया की नजर में ये गलत है ..''
नूरी : "मुझे पता है अब्बू ...पर दुनिया को खुश रखने के लिए मैं अपनी हसरतों का गला नहीं घोंट सकती ..मैंने जो चाहां था वो कर लिया ..और जिस तरह से आपने मुझे आज चोदा है मुझे लग रहा है की मैं जल्द ही आपके बच्चे की माँ बन जाउंगी ..''
नूरी ने बड़ी चालाकी से पंडित जी की बात नहीं बताई और उनके बच्चे को भी इरफ़ान का नाम दे दिया ..
नूरी : "अब्बू ....अब ज्यादा मत सोचिये ...जो होना था वो हो चूका है ...अब बाकी की बातें घर चलकर करते हैं ..''
इतना कहकर वो नंगी उठकर आई और अपने अब्बू के गले से लिपट गयी ..
''और मुझे पता है की बातों से ज्यादा और भी कुछ करना है घर चलकर अभी तो ...''
और उसने ऊपर उचक कर अपने अब्बू को होंठों पर चूम लिया ..
नूरी ने भी अपने कपडे पहन लिए और वो थोड़ी देर के बाद अपने घर की तरफ निकल पड़े ..
उनके जाने के बाद पंडित और गिरधर भी अपने घर निकल लिए ..आज तो गिरधर नूरी की चूत नहीं मार पाया था पर पंडित जी ने उसे भरोसा दिलाया की जल्दी ही वो उसका इंतजाम करवा देंगे ..वो ख़ुशी -2 पंडित जी की बात मान गया ..वैसे भी दस हजार कमा कर वो आज बहुत खुश था .
घर पहुँच कर इरफ़ान और नूरी जल्दी से ऊपर अपने घर की तरफ चल दिए ..उनकी दूकान तो अब तक बंद थी और नूरी का 'नया' आशिक सुलेमान काफी देर से दूकान खुलने या नूरी के आने की प्रतीक्षा कर रहा था ..जिसे नूरी ने जल्दबाजी में नहीं देखा ..और वो सीधा ऊपर चली गयी अपने अब्बू के साथ ..
और ऊपर जाते ही उसने अपने बुर्के को फिर से एक बार निकाल कर ऐसे फेंका जैसे अब कभी उसकी जरुरत ही नहीं है ..और मादरजात नंगी होकर अपने अब्बू के सामने खड़ी हो गयी ..
पर इरफ़ान अभी तक सामाजिक बातों में उलझा हुआ था ..उसे मन ही मन ये सब गलत लग रहा था ..उसका मन (लंड ) तो वही चाहता था पर दिमाग उसकी इजाजत नहीं दे रहा था .
नूरी के नंगा होने के बावजूद वो ऐसे ही खड़ा रहा और अपनी उलझन को बताने के लिए उसने जैसे ही अपना मुंह खोला , नूरी ने उसके पास आकर उसके मुंह पर अपनी नाजुक उँगलियाँ रख दी ..
और बोली : "अब्बू ...मुझे पता है की तुम क्या सोच रहे हो ..पर मेरा विशवास करो, जो भी हमारे बीच हो रहा है वो किसी और को पता नहीं चलेगा ..और आपसे ऐसा प्यार पाकर मुझे कितनी ख़ुशी हो रही है ये मैं बता नहीं सकती ..आप भले ही पचास के आस पास है, पर आपके अन्दर अभी भी इतनी गर्मी है की किसी भी जवान लड़के से आसानी से कोई भी मुल्कबला जीत जाओ ..''
इतना कहकर उसने अपने अब्बू के लंड और उसके दोनों रिश्तेदारों (टट्टे)को अपने हाथ में पकड़कर धीरे - २ दबाना शुरू कर दिया ..
वो तो पहले से ही नूरी की मेहमान नवाजी से खुश थे उसके दोबारा हाथ लगाने से ऐसे अकड़कर खड़े हो गए जैसे उसके गुलाम हो ..
इरफ़ान की सोच उसके मुंह में ही दबकर रह गई ..उसकी आँखों में भी अपनी बेटी के लिए ''प्यार'' उमड़ पड़ा ..और उसने अपने हाथों से उसके चेहरे को ऐसे पकड़ा जैसे गुलाब का फूल और फिर होंठ नीचे करके वो उसके गुलकन्द का स्वाद चखने लगा ..
नूरी के मुंह से सिस्कारियों की लाइन सी लग गयी ..उसके अब्बू ने उसे स्वीकार जो कर लिया था, खुले मन से ..ये सोचते हुए उसकी चूत और होंठों से मीठे रस की लहर बाहर की तरफ निकलने लगी ..
जब से उसकी पत्नी की मृत्यु हुई थी, आज पहली बार इरफ़ान के घर में उत्तेजना से भरी हुई सिस्कारियां गूँज रही थी ..जिन्हें सुनकर शायद उसके घर की दीवारें भी झूमने लगी थी .
''ओह्ह्ह अब्बू ....आप नहीं जानते आप मुझे कितने अच्छे लगते हैं ...शुरू से ही ...मैं आपको ..देखकर ....उम्म्म ...पुच ....अपनी .....चूत में ....उम्म्म ....पुच ....उँगलियाँ डाला करती ....थी ...अह्ह्ह्ह्ह .....''
इरफ़ान ने अपना हाथ नीचे किया और अपनी तीन उँगलियाँ एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार दी ..नूरी की तो जैसे आत्मा तृप्त हो गयी ..वो मचलती हुई अपने अब्बा की उँगलियों के ऊपर ऊ ला ला वाला डांस करने लगी ..
इरफ़ान ने नूरी की दोनों ब्रेस्ट को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें बारी - २ से चूसने लगा ..इरफ़ान ने जैसे ही अपनी बेटी के अंगूरी दाने अपने दांतों के नीचे दबाये वो जोर से सिसक कर अपने अब्बू की गोद में चढ़ गयी ..और उनके मुंह को जोर से अपनी छाती में दबा कर अपना अंगूरी रस पिलाने लगी ..
भले ही इरफ़ान में मरदाना ताकत काफी थी पर उम्र के हिसाब से उसकी साँसे जैसे रुकने सी लगी थी ..नूरी ने अपने बूढ़े बाप की साँसे अपनी छाती से दबा कर रोक दी थी ..पर मौका ही कुछ ऐसा था की नूरी को जैसे कुछ पता ही नहीं चला ..इरफ़ान ने बड़ी मुश्किल से उसे नीचे उतारा , उसकी साँसे फूल रही थी ..
नूरी ने जल्दी से अपने अब्बू के कपडे उतारने शुरू किये ..और अगले एक मिनट में इरफ़ान भी अपनी बच्ची की तरह नंगा खड़ा था वहां ..
नूरी ने बड़े प्यार से उन्हें देखा और उनके लंड को ऐसे पकड़ा जैसे वो उनका हाथ हो और अन्दर बेडरूम की तरफ ले कर चल दी .
अन्दर लेजाकर उसने अब्बू को बेड पर लिटा दिया और उनके लंड को बड़े प्यार से अपने हाथों में लेकर अपने मुंह का रास्ता दिखाया ..और उसे आइसक्रीम की तरह चूसने लगी ..
इरफ़ान अपनी कोहनियों के बल बैठकर अपनी बेटी के प्यार को अपने लंड पर महसूस कर रहा था ..
नूरी अपनी मोटी -2 ब्रेस्ट को अपने अब्बू के घुटनों से रगड़ कर उन्हें और भी ज्यादा उत्तेजित कर रही थी .
इरफ़ान ने उठकर नूरी को बिस्तर पर उल्टा लिटा दिया और खुद उसके ऊपर चड़कर अपना लंड उसके मुंह में पेलकर उससे चूसवाने लगा ..
इरफ़ान के लंड के रस की पहली धार निकल कर नूरी के मुंह को ठंडक पहुंचा रही थी ..जो उसके होंठों के किनारों से बहकर बाहर की तरफ भी आ रही थी ..
अब उससे सब्र करना मुश्किल हो गया ..उसने नूरी को घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड को लगाकर उसको तरसाने के लिए सिर्फ अपने लंड को टच करने लगा .
अपनी चूत के होंठों के ऊपर अपने अब्बू के लंड की गर्माहट पाकर वो बावली कुतिया की तरह जोर -२ से भोंकने लगी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह अब्ब्बू .......उम्म्म्म्म .....डाल भी दो ना ....ऐसे मत तरसाओ ....अपनी नूरी को ...''
इरफ़ान ने भी मुस्कुराते हुए उसकी बात मान ली और एक जोरदार झटके के साथ उसकी चूत में लंड पेलकर उसकी घुड़सवारी करने लगा ..उसने लगाम के बदले उसके बालों को खींच लिया और पीछे से धक्के मारकर अपनी गति तेज कर दी ..
अपने आपको अपने अब्बू के सपुर्द करके आज नूरी बहुत खुश थी ..वो कुलांचे भरकर, लंड को अपनी फुद्दी में लेकर दोड़ने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ......अब्बू .....उम्म्म्म्म्म .......हा न…. .... ...अह्ह्ह्ह ..ऐसे हि…। अह्ह्ह ...ओग्ग्ग ......मर्र्र्र्र .....गयी .....उम्म्म्म्म ......जोर .....से .....करो ....अब्ब्बू ......अब्बब्बब्बब ह्ह्ह्ह ऊऊऊऊ ........''
उसकी चूत ने जवाब दे दिया ...पर इरफ़ान का घोडा थमने का नाम नहीं ले रहा था ..
वो बेड पर लेट गया और नूरी को अपने ऊपर खींच कर फिर से उसकी चूत को अपने लंड से भर दिया ..और उसके मुम्मों के थपेड़े अपने चेहरे पर झेलता हुआ फिर से उसकी चुदायी करने लगा ..
नूरी के हर अंग को आज इरफ़ान ने हिला कर रख दिया था
और अब नूरी का एक और ओर्गास्म बन रहा था ..जिसे पाने के लिए उसने अपनी तरफ से और तेजी से कूदना और चिल्लाना चुसू कर दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....अब्ब्बा .......अह्ह्ह्ह्ह ...मार ..डालोगे ...आज तो आप। ....अह्ह्ह्ह्ह .......उह्ह्ह्ह्न्न्न .......ऐसे ही ....चोदो ...अपनी नूरी को .....अह्ह्ह्ह ....''
और जल्द ही इरफ़ान भी अपनी बेटी के होंठों को अपने मुंह में चूसता हुआ उसकी चूत में अपने लंड के बीज निकालने लगा ..
दोनों एक साथ ही झड़ने लगे थे ..
वो ये सब कर तो रहे थे पर उन्हें अंदाजा भी नहीं था की सुलेमान वो सब देख रहा है ..जल्दबाजी में नूरी और इरफ़ान सीडियो से ऊपर जाने का दरवाजा बंद करना भूल गए थे ..
दरअसल काफी देर तक जब कोई नीचे नहीं उतरा तो अपने लंड की अकड़ के हाथों मजबूर होकर सुलेमान सीडियां चड़कर ऊपर आ गया ..उसने सोचा की अगर इरफ़ान ने पूछ भी लिया की ऊपर क्या करने आया है तो बोल देगा की दूकान से कुछ सामान लेना था पर वो बंद थी इसलिए ऊपर पूछने चला आया की कब तक खुलेगी ..
पर ऊपर आकर तो सुलेमान की आँखों के साथ - 2 जैसे किस्मत भी खुल गयी ..उसने सपने में भी सोचा नहीं था की नूरी अपने अब्बा के साथ चुदाई की तय्यारी कर रही होगी ..साथ ही साथ उसे अपनी किस्मत पर नाज भी हुआ क्योंकि अब वो उन दोनों का ऐसा राज जान चुका था जिसकी मदद से वो कुछ भी कर सकता था ..
वो सही वक़्त का इन्तजार करने लगा और वहीँ चुप कर बैठ गया . अपने मोबाइल कमरे से उसने बाप बेटी के सारे एपिसोड को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया था ..
और जब ये सब कुछ हो चुका था तो वो बाहर निकल आया ..क्योंकि अब सही वक़्त आ चुका था ..
और उसके बाहर निकलते ही सबसे पहले इरफ़ान की नजर पड़ी उसपर ..उसे तो जैसे बिच्छू ने डंक मार लिया हो ..वो उछल गया और उसने जल्दी से नूरी की चूत से अपना लोड़ा बाहर खींचा और पास पड़ी हुई चादर को ऊपर खींचकर दोनों के जिस्मों को ढक लिया ..
इरफ़ान : "सु ...सु ..सुलेमान .....तू यहाँ क्या कर रहा है कमीने ...''
अपने आशिक का नाम सुनते ही नूरी ने भी पलट कर उसकी तरफ देखा ..पर ज्यादा हेरान नहीं हुई वो ..और ना ही उसने कोशिश की अपनी नंगी छातियों को छुपाने की ..
सुलेमान (हँसते हुए) : ''इरफ़ान मियां ...मैं यहाँ कैसे आया ..और कब आया ..ये मत पूछो अब ..आप तो मुझे ये बताओ की ये चल क्या रहा है ..तुम बाप बेटी के बीच ..''
उसने अपने लंड को मसलते हुए कहा ..
कोई और मौका होता तो इरफ़ान उसकी हलक में हाथ डालकर उसकी जुबान खींच लेता ..उसका रुतबा और व्यवहार था ही ऐसा पुरे मोहल्ले में की हर कोई उसकी इज्जत करता था ..और ये सुलेमान तो उसके सामने पला - बड़ा हुआ था , और अब ये कल का लोंडा उससे इस तरह से सवाल कर रहा है ..
पर वो कुछ ना बोल पाए आखिर गलती उनकी ही जो थी ..अपनी बेटी को चोदना कोई छोटी बात नहीं है जो कोई भी अनदेखा कर दे ..घर की चारदीवारी में जो होता है अगर वो मोहल्ले वालों को ऐसे पता चल गयी तो उसकी बरसों की इज्जत मिटटी में मिल जायेगी ..इरफ़ान ये सोचते -२ ही कांप उठा ..
इरफ़ान : "वो ..वो ..कुछ भी तो नहीं ...तुझसे मतलब ..और तेरी हिम्मत कैसे हुई हमारे घर में घुसने की ..''
इरफ़ान बेचारा उठ भी नहीं पा रहा था ..नंगा जो था वो चादर के नीचे .
सुलेमान : "अरे चचा ...इतने भोले तो नहीं है हम भी ..जो इतना भी ना समझे की आप कर क्या रहे थे नूरी की चूत में लंड डालकर ...''
नूरी उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी ...पर इरफ़ान का गुस्सा सातवे आसमान पर पहुँच गया ...
इरफ़ान : "कमीने ...तेरी हिम्मत कैसे हुई ये बोलने की ..निकल जा अभी के अभी मेरे घर से ..तेरी माँ की चूत ...साले ...गली के कीड़े ...निकल यहाँ से ..''
आवेश में आकर इरफ़ान नंगा ही खड़ा हो गया और सुलेमान को धक्का मारकर घर से बाहर निकालने लगा ..
सुलेमान : "मियां ....आप मुझे घर से निकाल तो रहे हो ..पर एक बात सोच लो ..मेरे घर से निकलते ही तुम्हारी जो बदनामी होगी पुरे मोहल्ले में ..वो आप बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे ...''
इरफ़ान : "तू मुझे ब्लेकमेल कर रहा है ..तेरी बातों को सुनने वाला है कौन ...सब तेरे बारे में जानते हैं ..वो तेरी नहीं , मेरी बात सुनेगे और समझेंगे ...''
सुलेमान : "मुझे पता था ...इसलिए मैंने ये सब रिकॉर्ड कर लिया था ...''
इतना कहकर उसने जो मूवी बनायीं थी, वो प्ले करके दिखाने लगा ..जिसे देखकर इरफ़ान के पैरों तले से जमीन निकल गयी ..
वो बुरी तरह से फंस चुका था ..
आखिर में उसने होश से काम लेते हुए ,अपनी आवाज में थोड़ी नरमी लाते हुए ,
सुलेमान से कहा : "तू ....तुम ...चाहते क्या हो ....''
सुलेमान : "हाँ ...अब आये न रास्ते पर ...देखो चचा ....मैं भी तुम्हे ऐसे ब्लेकमेल करके कुछ नहीं करना चाहता था ...पर क्या करू ..अपनी आदत से मजबूर हु ..और रही बात चाहने की ..तो मैं तो बस ..वही चाहता हु ..जो अभी आप चाह कर हटे हो ..नूरी की चूत.''
अपनी बेटी का नाम उसके मुंह से दोबारा सुन कर वो फिर से गुस्से से भर उठा ...पर अगले ही पल उसे अपनी स्थिति का आभास हुआ ...वो खून का घूँट पी कर रह गया ..
अचानक इरफ़ान को अपने नंगेपन का एहसास हुआ ..उसने झट से अपना पायजामा उठाया और पहन लिया ..और उसने नूरी की तरफ देखा ..तो हेरान रह गया ..वो भी अपने शरीर से चादर को उतार चुकी थी ..और अपने अब्बू के लंड से निकले रस को अपनी चूत से निकाल कर अपनी उँगलियों से बड़ी ही बेशर्मी से मसल रही थी ..
उसने आज तक अपनी बेटी पर गली के आवारा लड़कों की गन्दी नजर नहीं पड़ने दी थी ..और आज नूरी सुलेमान के सामने इस तरह नंगी पड़ी हुई थी जैसे वो भी यही चाहती है ..
उसने नूरी की तरफ गुस्से से भरी हुई नजरों से देखा ...जैसे कह रहे हो 'बेशरम ..कपडे तो पहन ले ..'
पर नूरी तो मंद ही मंद मुस्कुराते हुए सुलेमान की तरफ देख रही थी ..उसके मन में तो फिल्मे बननी शुरू हो गयी थी जिसमे वो सुलेमान से चुद रही है और उसके अब्बू बेबस और लाचार से होकर सामने बैठे हुए देख रहे हैं ..ये सब सोचते हुए ही उसकी उँगलियों की लचक उसकी चूत में और ज्यादा हो गयी ..
इरफ़ान : "नूरी ...ये क्या बेहूदगी है ...कपडे पहनो ...जल्दी से ...''
नूरी : "अब्बू ...आप क्यों ज्यादा परेशान हो रहे हैं ...आप भी जानते हैं की ये जो बोल रहा है वो कर भी सकता है ..आप एक काम करो ..आप नीचे जाओ ..और दूकान संभालो ..मैं इसे संभालती हु ..''
अपनी फूल जैसी बेटी के मुंह से रंडियों जैसी बातें सुनकर इरफ़ान को ऐसा लगा की ब्लड प्रेशर से उसका दिमाग फट जाएगा ..पर जो भी था, होना तो आखिर में वही था, जो सुलेमान चाहता था ..उसे चाहे इस बात पर गुस्सा आ रहा था की उसकी बेटी को कोई गली का लड़का चोद रहा है ..पर नूरी ने संयम से काम लेते हुए वो डिसाइड भी कर लिया था ..इरफ़ान फिर से एक बार खून का घूँट पीकर रह गया ..
नूरी ने सुलेमान को कोने में रखे हुए सोफे की तरफ चलने का इशारा किया ...क्योंकि बेड पर उसकी चूत से निकले अब्बू के रस की वजह से काफी गीलापन आ चुका था ..और वहां जाकर वो लेट गयी ..
इरफ़ान ने थके हुए क़दमों से कोने में पड़ा हुआ अपना कुरता उठाया और बाहर की तरफ जाने लगा ..उसे जाता हुआ देखकर सुलेमान ने बिना उसकी परवाह किये अपने कपडे उतारना शुरू कर दिए ..
अपनी टी शर्ट और फिर जींस को एक ही झटके में उतारने के बाद उसके अंडरवीयर में बना हुआ उभार देखकर नूरी तो जैसे पागल ही हो गयी ...उसने सुलेमान को अपनी तरफ खींचा और अंडरवीयर के ऊपर से ही उसके लंड के ऊपर कट्टी मार ली ..
इरफ़ान की कमर थी उनकी तरफ, और वो धीरे -2 सीडियो की तरफ बढ़ रहा था ..सुलेमान की सिसकारी सुनकर उसने धीरे से अपना सर पीछे किया तो अपनी बेटी का ये रूप देखकर वो भी दंग रह गया ..नूरी को देखकर उसे लग ही नहीं रहा था की उसके साथ कोई गलत काम हो रहा है ..वो तो उसे एन्जॉय कर रही थी ..और वो ठिठक कर वहीँ दरवाजे के बाहर खड़ा हो गया ..और उसके रुकने का उन दोनों पर कोई प्रभाव नहीं था ..वो दोनों तो एक दुसरे में मस्त थे ..खासकर नूरी, जो अपने अब्बू के लिए अपने आप को 'कुर्बान' कर रही थी .
नूरी ने एक ही झटके में सुलेमान के सुलेमानी लंड को आज़ाद कर दिया और वो उसके चेहरे के सामने सलामी देने लगा ..
नूरी ने उसे प्यार से देखा उसे लिटा कर और बड़ी ही नजाकत से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर ठंडक का एहसास दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म्म्म ...नूरी .........स्स्स्स्स्स्स्स्स ....सा ली ......कुतिया .... ''
अभी थोड़ी देर पहले जिस सुलेमान को इरफ़ान गलियां दे रहा था वही अब उसकी बेटी के मुंह में लंड पेलकर उसे गालियाँ दे रहा था ..वक़्त भी इंसान को कैसे पलट कर वार करता है ..
पर जिस नूरी को उसने आज तक दुनिया की नजरों से बचाकर रखा था और आज खुद उसकी चुदाई भी कर चूका था ..उसे किसी और से इस तरह से चुदत देखकर ना जाने क्यों उसे कुछ हो रहा था ..पहले तो गुस्सा आ रहा था पर नूरी को इस तरह से सुलेमान का लंड चूसते देखकर उसके अन्दर लंड के अन्दर भी कुछ -२ होने लगा था ..
तभी सुलेमान की नजरें इरफ़ान पर पड़ गयी ...और वो हँसते हुए बोला : "अरे चचा ....देखना ही है तो आराम से अन्दर आकर देखो ...मुझे कोई प्रॉब्लम नहीं है ... हा हा ..''
नूरी ने भी चोर नजरों से अपने अब्बू को देखा , दोनों की नजरें एक पल के लिए चार हुई ..पर फिर एकदम से नूरी ने अपनी नजरें घुमा ली और फिर से सुलेमान के लंड को चूसने लगी ..जैसे कह रही हो 'ओहो अब्बू ...अब जाओ भी ..ऐसे ही देखते रहोगे क्या ..'
इरफ़ान थके हुए क़दमों से नीचे की तरफ चल दिया ..और दूकान खोलकर वहां बैठ गया ..
उसके जाते ही सुलेमान ने नूरी को ऊपर उठाया और उसके गुलाबी होंठों को जोर -२ से चूसता हुआ उसके अधरों का रस पीने लगा ..
नूरी : "अरे वाह मेरे चीते ...तूने तो आज कमाल कर दिया ...मेरे अब्बू के सामने ही मुझे पाने का जो तरीका अपनाया, वो वाकई काबिले तारीफ है ..और आज तेरी इसी बात से खुश होकर नूरी पूरी मस्ती में चुदेगी ....बोल क्या करू में तेरे लिए ..''
दोस्तों , अगर कोई नंगी लड़की सामने लेटकर ऐसा बोले की क्या करू तेरे लिए तो समझ लो आपसे बड़ा ही-मेन कोई नहीं है उसकी नजरों में ..
सुलेमान : "तू तो बस मुझे आज खुश कर दे ...अपनी चूत से भी ...और गांड से भी ..''
नूरी ने हँसते हुए उसके लंड को मसला और बोली : "साले ...मुंह तो चोद ही चूका है आज तू मेरा ...बाकी के दोनों छेद भी चोद डाल ... आज नूरी पूरी तरह से तेरी है ..जहाँ से चाहे मार ले ..''
इतना कहकर वो चादर की तरह बिछ गयी ..
सुलेमान को बड़ी प्यास लगी थी , इसलिए वो सीधा नूरी की चूत से निकल रहे झरने के नीचे पहुँच गया और वहां मुंह लगा कर अपनी प्यास बुझाने लगा ..
सुलेमान के दांये हाथ की तीन उँगलियाँ अन्दर से खोद कर उसकी चूत का अमृत बाहर निकाल रही थी और वो अपनी जीभ से उसे कुत्ते की तरह से पी रहा था ..
नूरी ने उसके सर के बालों को पकड़ा और झटके दे - देकर अपनी चूत पर उसके होंठों को मारने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ,,........साले ........कुत्ते ......चाट .....मेरी चूत को अपनी जीभ से ......भेन चोद ....''
उसके मुंह से गालियाँ भी सुलेमान को फूलों जैसी लग रही थी ..वो भी गली के कुत्ते की तरह से अपनी लम्बी जीभ निकाल कर उसकी चूत का नाप लेने में लगा हुआ था ..
नूरी का मुंह गोल सा होकर खुला हुआ था ..और सुलेमान उसके सामने लेट कर उसकी चूत को ऐसे चूस रहा था जैसे उसमे से ही उसे ऑक्सीजन मिल रही हो जीने के लिए ..
वो फिर उठा और उसने नूरी की चूत में लंड डालकर उसकी चुदाई करनी शुरू कर दी ..
वो मचलती हुई उसके नाम की माला जपने लगी ...
''ओह्ह सुलेमान…. अह्ह्ह्ह .....चोद ....साले ......और जोर से ......भेन चोद .....अह्ह्ह सुले ......मा न्न… ... ''
उसकी गीली चूत की गलियों से रस की बहार निकल कर फिर से उसके अन्दर एक और ओर्गास्म पैदा करने लगी ..पर तभी सुलेमान ने अपना लंड बाहर खींचा और उसे दिवार की तरफ मुंह करके खड़ा कर दिया और पीछे से उसकी गांड के छेद पर टिका कर एक जोरदार धक्का दिया और अपने रोकेट को उसकी गेलेक्सी के अन्दर पहुंचा दिया ...
नूरी की आँखे बोजिल सी हो गयी, इतना मजा तो उसे आज तक नहीं आया था ...पहले सुलेमान की जीभ उसकी चूत पर, फिर उसका लंड ...और अब उसका लंड उसकी गांड के अन्दर ...सब कुछ इतना अच्छा लग रहा था की उसका मन कर रहा था की ये सब कभी ख़त्म ही न हो ...
वो चुदती रहे ...
चुदती रहे ..................
बस चुदती रहे .................
और नीचे बैठे हुए इरफ़ान का ध्यान ऊपर ही था, जब बाप को पता हो की इस वक़्त उसकी बेटी की चुदाई हो रही है तो उसे चैन कैसे आ सकता है ..वो बेचैन सा होकर उठा और फिर से ऊपर की तरफ चल दिया ..नूरी के चीखने की आवाजें बाहर तक आ रही थी ..जिसे सुनकर उसे पता चल रहा था की उसे कितना मजा आ रहा है ..
अब तक दोनों के अन्दर का तूफ़ान अपने उफान पर पहुँच चुका था ..सुलेमान ने उसके मोटे मुम्मे मलते हुए उसकी गांड का बेन्ड और तेजी से बजाना शुरू कर दिया ..और उसकी थिरकन से नूरी ने भी और तेजी से नाचना शुरू कर दिया ..
और जैसे ही सुलेमान को एहसास हुआ की उसके लंड का पानी निकलने वाला है , उसने फिर से नूरी को सोफे पर लिटाया और उसके सेक्सी चेहरे की तरफ देखते हुए अपने लंड को मसलने लगा ...और देखते ही देखते, उसके लंड की पिचकारियाँ नूरी की छाती और चेहरे पर पड़ने लगी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......नूरी ......मेरी जान .......अह्ह्ह्ह्ह्ह ....साली ........ले .....मेरा सार…ऱस .....निगल जा .....अह्ह्ह्ह्ह ...''
और नूरी भी अपनी चूत के ऊपर अपनी उँगलियों को रगड़ते हुए कब झड़ने लगी उसे भी पता नहीं चला , उसे तो तब एहसास हुआ जब उसकी उँगलियों पर उसके गर्म पानी की जलन अपना एहसास करवा रही थी ..
नूरी ने सुलेमान को अपनी तरफ खींच कर अपने ऊपर लिटा लिया ...और तभी उसकी नजरें दरवाजे के पीछे छुप कर सारा खेल देख रहे इरफ़ान पर पड़ी ..जिन्हें देखकर उसके एहसास का मजा दुगना हो गया .
थोड़ी देर तक पड़े रहने के बाद सुलेमान ने अपने कपडे पहने और दोबारा आने का वादा करके जल्दी से बाहर निकल गया ..उसके जाते ही दरवाजे के पीछे छुपा हुआ इरफ़ान नूरी के पास आकर बैठ गया .
इरफ़ान : "बेटी ...ये सब मेरी वजह से ही हुआ है ..आज वो कुत्ता जो भी करके गया है वो मेरी नादानी की वजह से ही हुआ है ..''
नूरी ने अपने अब्बू को अपने ऊपर खींच लिया और बोली : "अरे नहीं अब्बू, आप ऐसा मत सोचो , अगर कोई भी बेटी होती तो अपने पिता की इज्जत के लिए यही करती ...हाँ , ये सच है की ये सब गलत था, पर मजा मुझे भी आ रहा था ...''
इरफ़ान (झल्लाते हुए) : "हाँ , वो तो मैं देख ही रहा था … ..''
नूरी (लाड प्यार से उनके सीने पर अपने मुम्मे रगड़ते हुए ) : "ओह्हो अब्बू ...आप भी न, अब मैं छोटी बच्ची नहीं रही, शादी हो चुकी है मेरी ..और ये चुदाई क्या होती है , मुझे भी पता है ..जैसे आपको मजा आता है न बाहर जाकर चोदने में, मुझे भी आता है, ऐसे अलग - 2 तरह के लंड लेने में ...पर आपकी बात अलग है ...आप जैसा स्टेमिना किसी में नहीं है ..''
इतना कहकर उसने अपने अब्बू के लंड के ऊपर फिर से हाथ फेरना शुरू कर दिया ...
थोड़ी देर लगेगी पर जल्दी तैयार हो जाएगा अब्बू का लंड , अगली चुदाई के लिए ..
और ये सोचते हुए उसने फिर से उनके कपडे उतारकर उनके लंड को मुंह में ले लिया ..और चूसना शुरू कर दिया ..
इरफ़ान ने पूरी रात अच्छी तरह से अपनी बेटी को चोदा ...
और अगले दिन हमारे पंडित जी जब रोज की तरह मंदिर में पूजा अर्चना कर रहे थे तो लाल रंग के सूट में सर पर चुन्नी डाले एक लड़की उनके पास आई और बोली : "पंडित जी ...''
पंडित ने उसकी तरफ देखा , वो तकरीबन 20-22 साल की जवान लड़की थी ..गोरी-चिट्टी, सुन्दर ..
पंडित जी ने अच्छी तरह से ताड़ने के बाद कहा : "जी कहिये ...''
लड़की उनके और करीब आई और धीरे से बोली : "पंडित जी ...आपने मुझे पहचाना नहीं ..''
पंडित जी को उसकी बात सुनकर ताज्जुब हुआ ..वो उसके चेहरे को और गोर से देखने लगे ..उसका चेहरा उन्हें जाना पहचाना सा लगा ..पर ठीक से याद नहीं आ पा रहा था की कौन है वो लड़की ..
पंडित : "माफ़ कीजिये ..मैंने नहीं पहचाना आपको ..''
लड़की रेहेस्यमयी हंसी हँसते हुए बोली : "क्या पंडित जी ...आपकी यादाश्त इतनी कमजोर कैसे हो सकती है ..जबकि आपका लंड इतना ताकतवर है ..''
उसकी बात सुनते ही पंडित जी के पैरों तले से जमीन निकल गयी ...उनके हाथ में पूजा की थाली गिरते -२ बची ..पंडित जी अपने दिम्माग पर जोर डालने लगे ..आखिर कौन है ये लड़की जो उनके बारे में इस तरह की बातें कर रही है ..
पंडित जी के चेहरे पर आ रहे भाव देखकर आखिर लड़की ने ही बोलना शुरू किया : "ओहो पंडित जी ...घबराइए नहीं ..हम वैसे तो एक दुसरे को नहीं जानते पर एक दुसरे को चुदाई करते हुए देखा जरुर है ..याद है वो पार्क में उस दिन ..मैं अपने बॉयफ्रेंड के साथ थी और आप के साथ भी एक लड़की थी ...और ...''
ओ तेरी माँ की चूत ....तो ये वो लड़की है ...' पंडित ने मन ही मन सोचा ...
(आप सभी को याद नहीं आ रहा है तो आप अपडेट नंबर 87-91 तक दोबारा पड़ ले )
उस वक़्त मंदिर में काफी भीड़ थी, इसलिए पंडित जी उसकी बात का कोई जवाब नहीं दे पाए ...और वो जाकर फिर से जाकर दुसरे भक्तों के लाये प्रसाद का भोग चडाने लगे .. पर उनका सारा ध्यान उस लड़की की तरफ ही था ..वो एक कोने में जाकर चोंकड़ी मार कर बैठ गयी ..
आधे घंटे में सारे भक्त चले गए ..और पंडित जी भी फ्री हो गये. .उन्होंने देखा की वो लड़की अभी तक वहीँ बैठी है ..पंडित जी ने जैसे ही उसकी तरफ देखा वो उनके पास आ गयी ..
पंडित जी ने अपनी नजरें चुरा ली और अपने कमरे की तरफ चलने लगे ..और वो लड़की बिना कुछ कहे उनके पीछे -२ चलती हुई उनके कमरे तक आ गयी ..और सीधा जाकर उनके बेड पर बैठ गयी ..
और उनके कहे बिना उसने बोलना शुरू कर दिया : "पता है , आपको ढूँढने के लिए पिछले दस दिनों से मैंने कितने मंदिर छान मारे ..पुरे इलाके में जितने भी बड़े और छोटे मंदिर है , उसमे जाकर मैंने आपको ढूंढा ..और आखिर में जाकर आप आज मिले हैं मुझे, यहाँ ...''
पंडित जी उसकी तरफ टकटकी लगाये हुए देखते रहे ...जैसे पूछना चाह रहे हो 'आखिर क्यों ढून्ढ रही थी मुझे '..
वो आगे बोली : "देखिये पंडित जी ...मैं आपसे सीधी बात करती हु ..मेरा नाम प्रियंका है ..और मैं संगम विहार में रहती हु ..''
उसका नाम सुनते ही पंडित जी को भी उसका नाम याद आ गया यही नाम बोलकर उसका बॉयफ्रेंड उसे चोद रहा था ..
प्रियंका : "पंडित जी ..उस दिन जो लड़का मेरे साथ था पार्क में ..वो मेरा बॉयफ्रेंड बद्री है ..और वो एक ऊँचे घराने का लड़का है ..उसने मेरे साथ एक मंदिर में शादी का नाटक किया था और भगवान् के सामने मेरी मांग में सिंदूर भरकर मुझे अपनी पत्नी का दर्जा दिया था, पर पिछले दो महीने में उसने मेरे शरीर से खेलने के अलावा और कुछ नहीं किया , अपने फार्म हाउस , दोस्तों के फ्लेट्स , और एक दो बार तो मेरे घर आकर भी मेरे साथ उसने वो सब किया जो आपने उस दिन पार्क में देखा था, वहां भी उसने तीन - चार बार मेरे साथ सेक्स किया है ..''
इतना कहकर वो रोने जैसी हालत में आ गयी ..
प्रियंका : "और अब वो कमीना मेरे साथ शादी करने से इनकार कर रहा है ..मेरे पास कोई सबूत भी नहीं है की उसने मंदिर में मेरे साथ शादी की थी ..मेरी एक वकील दोस्त ने कहा की अगर मंदिर का पुजारी गवाही दे तो बात बन सकती है और उसके खिलाफ मुकदमा चलकर हम उसे मजबूर कर सकते हैं , पर उस दिन तो वो वाले मंदिर में कोई नहीं था, इसलिए मैं आपको ढून्ढ रही थी, अगर आप ये गवाही दे दो की आपके सामने हमारी शादी हुई थी तो मेरी लाईफ बच सकती है ..वरना मुझमे और बाजारू औरत में कोई फर्क नहीं रह जाएगा ...''
पंडित : "तुमने ऐसा सोच भी कैसे लिया की तुम्हारे लिए मैं झूटी गवाही दे सकता हु ..और मैं क्यों पडू तुम्हारे इन झंझटो में ...''
पंडित का इतना कहना था की प्रियंका उठी और पंडित जी के पैरों में आकर लिपट गयी : "पंडित जी ...प्लीस ...आप समझने की कोशिश करो ..मेरी लाईफ का सवाल है ..उस दिन जब वो लड़की चुदते हुए आपको पंडित जी कह रही थी, वही बात मेरे जहन में अटक गयी थी ..आपकी वेश भूषा भी मंदिर के पंडितों जैसी थी ..इसलिए मैं आपको इतने दिनों से ढूंढ रही थी ..आप अगर मेरी मदद नहीं करेंगे तो कौन करेगा ...''
और इतना कहकर वो रोने लगी ...पंडित जी को तो आप जानते ही हैं, वो किसी लड़की का रोना नहीं देख सकते ..
उन्होंने उसके कन्धों से पकड़कर उसे ऊपर उठा लिया ..उसके कंधे से शर्ट खिसक जाने से उसकी ब्रा के प्लास्टिक स्ट्रेप नजर आ रहे थे ..उन्होंने आज तक काफी महिलाओ और लड़कियों को ऐसी स्ट्रेप वाली ब्रा पहने हुए देखा था मंदिर में , पर कभी भी ऐसी ब्रा को उतारने का मौका नहीं मिला था उन्हें ..
उन्होंने अपने हाथ की उँगलियों से उसकी ब्रा के प्लास्टिक स्ट्रेप को छु लिया ...जिसे प्रियंका ने भी साफ़ महसूस किया ..
प्रियंका : "आप चिंता मत करिए पंडित जी ...आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है ..मैं अपनी वकील दोस्त के जरिये उसपर ऍफ़ आई आर दायर कर रही हु और गवाही के रूप में आपका नाम , एड्रेस और नंबर दे रही हु ..अगर कभी पुलिस स्टेशन में जाना पड़े तो प्लीस मेरी खातिर चले जाना ..''
पंडित : "पर, मुझे उस लड़के के खिलाफ झूठी गवाही देने पर क्यों अमादा हो ..''
प्रियंका : "क्योंकि ऐसे लडको को सबक जरूर मिलना चाहिए .उसने जो कुछ भी मेरे साथ किया, वो किसी और के साथ भी कर सकता है ..इसलिए ऐसे लड़के के खिलाफ झूठी गवाही देना कोई गुनाह नहीं है ..और वैसे भी, आपने तो देखा ही है न उसे मेरे साथ सेक्स करते हुए ..वो जब आपको देखेगा तो उसे भी याद आ जाएगा की उसने आपके सामने कैसे मुझे पार्क में चोदा था ..''
चोदम चुदाई की बातें ये लड़की कितनी आसानी से कर रही थी ..आजकल की लड़कियां काफी आगे निकल चुकी है . .
पंडित जी को उसकी उस दिन की चुदाई याद आ गयी ..कैसे वो उन्हें देखकर मुस्कुरा रही थी ..अपनी चूत में लंड डलवाकर वो अपनी हिलती हुई ब्रेस्ट पंडित जी को कैसे दिखा रही थी ...और ये सोचते हुए पंडित जी की आँखे अपने आप उसकी ब्रेस्ट पर जा चिपकी ..
पंडित जी की निगाह्हों की भाषा प्रियंका ने भली भाँती समझ ली ..उसे भी आज तक पंडित जी का वो लम्बा लंड याद था जिससे चुदकर वो लड़की मजे से चुदवा रही थी ..
प्रियंका : "अच्छा पंडित जी ...एक बात तो बताइए ...वो लड़की कौन थी ..जिसे उस दिन आप ...पार्क में ..अपने लम्बे लंड के स्पेशल दर्शन दे रहे थे ..''
इतना कहकर वो जोर -२ से हंसने लगी ..
पंडित जी का चेहरा शर्म से लाल हो उठा ..उनसे कुछ बोला ही नहीं गया ..
प्रियंका : "आप तो शरमा रहे हो पंडित जी ..मैंने लड़की होते हुए भी अपनी साड़ी बातें आपको आसानी से बता दी और आप मुझे बताने में ऐसे बिहेव कर रहे हैं जैसे मैं ये सब किसी को बताने जा रही हु ...''
पंडित : "थी कोई ...मेरी चाहने वाली ..''
उनकी बात सुनकर प्रियंका बिलकुल उनके चेहरे के पास आकर बोली : "आपके हथियार को देखकर तो कोई भी आपका चाहने वाला बन जाएगा ...पंडित जी ..''
पंडित जी को उसका इस तरह से बोलना थोडा अजीब सा लगा ..वो सोचने लगे की ये लड़की अपनी लाईफ को सुधारने आई है या उनसे चुदवाने ...
पर जो भी था, पंडित जी को इन सबमे प्रियंका एक नए चुदाई के माल के रूप में ही नजर आ रही थी ..
उन्होंने भी सोच लिया की वो प्रियंका की हेल्प जरुर करेंगे और ''मजदूरी'' के रूप में उसकी चूत भी लेकर रहेंगे
पंडित जी को गहन चिंता में डूबा हुआ देखकर प्रियंका ने उनसे पूछा : "अच्छा पंडित जी ...ये तो बताइए आपको शादी हो गयी है क्या ..?"
पंडित जी ने ना में सर हिला दिया
प्रियंका : "ह्म्म्म्म ...तब तो मैं समझ ही सकती हु ....आप जैसा जवान और सुन्दर शरीर का मालिक किसलिए पार्कों में जाकर चुदाई करता है ...''
उसकी बात का पंडित जी के पास को जवाब नहीं था ..
प्रियंका (बेड के गद्दे को दबाकर देखते हुए ) : "वैसे ....ये जगह भी बुरी नहीं है पंडित जी ...आप इतना रिस्क लेकर पार्क में जाकर क्यों कर रहे थे ..''
अब पंडित जी उसको क्या बताते ..इस बेड पर उन्होंने कितनी चूतों को मसला है, उन्हें भी याद नहीं है ..बस वो प्रियंका के सामने शेखी मारकर ज्यादा चोदु प्रसाद नहीं बनना चाहते थे ..वो चाहते थे की प्रियंका उन्हें बस एक आम इंसान जैसा ही समझे ..ना की तरकीबे लड़ाकर चुदाई करने वाला ..
और प्रियंका के मन में पंडित जी की छवि बन भी ऐसी रही थी ..वो सोच रही थी की ये पंडित कितना डरपोक किस्म का है ..अपने पास कमरा होते हुए भी ये दूर जाकर पार्क में चुदाई कर रहा था ..जैसे इसको दर हो की उसके कमरे में चुदाई करते हुए कोई देख ना ले ..
पर वो बेचारी कितनी गलत थी ..
वो कुछ और कहना चाह रही थी की तभी बाहर मंदिर से किसी ने पंडित जी को पुकारा ..और पंडित जी बाहर आ गए ..उनके पीछे -२ प्रियंका भी बाहर निकल कर अपने घर चली गयी ..
रास्ते में जाते हुए वो बहुत खुश थी ..उसने जैसा सोचा था ठीक वैसा ही हुआ था .गली के कोने में खड़ी हुई कार में बैठते ही उसने फ़ोन उठाया और कॉल लगाया
प्रियंका : "हाय शिप्रा ...काम हो गया ...येस्स ....अभी आकर पूरी बात बताती हु ..''
इतना कहकर उसने कार स्टार्ट की चल दी ..
और एक बड़े से घर के सामने आकर उसने कार रोकी और भागती हुई अन्दर पहुंची ..
बेडरूम में एक 25 साल की खूबसूरत लड़की बेचैनी से टहल कर प्रियंका का वेट कर रही थी ..और जैसे ही वो अन्दर आई उसने उसे गले से लगा लिया और अपने बेड पर बिठा कर सवालों की झड़ी लगा दी ..
''बता न ...क्या कहा ..क्या बात हुई ..कहाँ मिला आखिर वो ...''
प्रियंका : "अरे रुक जा मेरी जान ...धीरे - 2 सब बताती हु ..''
दरअसल ये थी प्रियंका की वकील दोस्त शिप्रा, जो अभी ताजा - २ वकील बनी थी ..और किसी फर्म में प्रेक्टिस कर रही थी ..
और ये दोनों बचपन की दोस्त है और एक दुसरे से कोई भी बात नहीं छुपाती...और अपने यार से चुदते हुए जब उसने पंडित जी की चुदाई देखि थी वो भी इसने शिप्रा को बता दिया था ..और तब से दोनों यही सपना देख रही थी की पंडित जी का लंड कैसे लिया जाए ..और इसके लिए शिप्रा के कहने पर प्रियंका ने वो कहानी बनायीं ..और पंडित जी को ढूँढने निकल पड़ी ..वैसे वो कहानी में सच्चाई भी पूरी थी ..
प्रियंका के बॉयफ्रेंड ने उसके साथ मंदिर में शादी भी की थी और उसे जी भर कर चोदा भी था, पर शादी के लिए हमेशा टाल - मटोल करता रहता था ..
और दूसरी तरफ लंड की प्यासी प्रियंका को चुदाई के साथ -2 बद्री का पैसा भी काफी प्यारा था ..वो हमेशा उसके लिए महंगे तोहफे और अंगूठियाँ लाता था ..और कई बार तो प्रियंका ने उससे पैसे भी लिए थे, जिनका कोई हिसाब नहीं था ..
और ये सब बातें शिप्रा अच्छी तरह जानती थी ..क्योंकि उसकी चुदाई की बातें सुनकर वो भी बुरी तरह से गर्म होकर एक दुसरे को पूरा मजा देती थी ..दोनों लेस्बियन सेक्स पार्टनर थे ..
उन्होंने एक प्लान बनाया ..बद्री को फंसाकर उससे मोटा पैसा एंठने का ..और इसके लिए शिप्रा के कहने पर ही प्रियंका ने पंडित जी को मनाया था ..ताकि बद्री पर केस चलाकर उसे फंसाया जा सके और उससे मोटी रकम ऐंठी जा सके ..
और दस दिनों की मेहनत बाद आखिरकार प्रियंका को पंडित जी मिल ही गए ..और उसने उन्हें इमोशनल करके अपने साथ कर लिया ..
उसका कोई इरादा नहीं था बद्री से शादी करने का ..उसके साथ वो चुदाई के पुरे मजे तो ले चुकी थी ..बस आखिरी बार उसे केस में फंसा कर उससे पैसे लेने थे उसे, अपनी वकील दोस्त शिप्रा की मदद से ..
पर वो दोनों ये नहीं जानती थी की वो जिसे भोला भला पंडित समझ रही हैं वो असल में उनका बाप है इन सब मामलो में ..
खेर ...जैसे ही प्रियंका ने पंडित जी से मुलाकात से लेकर बाद तक का सार वाक्य बताया शिप्रा की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा ..उसने ख़ुशी के मारे प्रियंका को फिर से अपने सीने से लगा लिया ..और उसके होंठों को चूम लिया ..
शिप्रा : "वाव ...अब मजा आयेगा ...इसे कहते हैं , एक तीर से दो शिकार ..अब वो बद्री भी फंसेगा ..और साथ में पंडित जी से अपनी सेवा पानी भी करवा लेंगे ...''
इतना कहकर वो दोनों जोर से हंसने लगी ..
शिप्रा : "अच्छा ...बता ना ...देखने में कैसा है ये पोंगा पंडित ...''
प्रियंका : "उम्म्म ....देखने में तो काफी सही है यार ...उसे देखकर लगता ही नहीं की वो पंडित है ..बस उसके कपडे ही बताते हैं की उसका काम क्या है ..वर्ना वो तो किसी हीरो जैसा लगता है ..''
शिप्रा : "पोर्न मोवी के हीरो जैसा लगता है क्या ...''
इतना कहकर दोनों ने फिर से हँसना शुरू कर दिया ..
प्रियंका : "पर यार, सच में ..उस दिन जब वो उस लड़की को पार्क में चोद रहे थे न तो उनके लंड का साईज देखकर तो मेरे होश ही उढ़ गए थे ..इतना लम्बा और मोटा था न ..सच में ..अगर बद्री न होता वहां पर तो मैं जाकर उनके लंड को अपने अन्दर ले लेती ..''
उसकी बातें सुनकर हमेशा की तरह शिप्रा ने अपनी चूत के ऊपर अपनी उँगलियों को मसलना शुरू कर दिया ..उसने एक पतली सी टी शर्ट और लोअर पहना हुआ था ..अन्दर कुछ भी नहीं था ..उसकी उँगलियाँ लोअर के गीले कपडे पर फिसल रही थी ..
प्रियंका : "वो पीछे से उसकी चूत मार रहे थे ..और उनके हर झटके से वो लड़की ऊपर तक उछल रही थी ..''
शिप्रा ने अपनी आँखे बंद कर ली ...जैसे वो सब मूवी की तरह दिख रहा हो उसे ..
प्रियंका और पास आई और अपने हाथ को सीधा शिप्रा की चूत के ऊपर रख दिया ..और उसके हाथ को वहां से हटा कर अपनी चूत पर ले आई ..और दोनों एक दुसरे की चूतों को रगड़ने लगे ..और शिप्रा ने प्रियंका के होंठों को चूसना शुरू कर दिया
प्रियंका : "मुझे तो महसूस हो रहा था की वो मुझे चोद रहे हैं ...पार्क में ..और कोई नहीं है वहां ..मैं पड़ी हुई हूँ ...नंगी ...घांस पर ..और वो मुझे घोड़ी बना कर बुरी तरह से चोद रहे हैं ...अह्ह्ह्ह्ह्ह ''
बस इतना बहुत था शिप्रा के अन्दर के जानवर को जगाने के लिए ..
प्रियंका जानती थी की अपनी सहेली को कैसे उत्तेजित करना है ..और उसने वो कर दिया था
अगले ही पल शिप्रा ने पागलों की तरह से अपने सारे कपडे उतार फेंके ..और आनन् फानन में प्रियंका को भी नंगा कर दिया
शिप्रा ने प्रियंका के अपने सामने बिठाया और उसकी आँखों में देखते हुए अपनी पेनी जीभ निकाल कर उसकी उफान खा रही चूत के ऊपर लगाकर उसे चखने लगी ..
अपनी छूट पर जीभ लगते ही प्रियंका के पुरे शरीर में उत्तेजना की एक लहर उठती चली गयी ..
प्रियंका ने शिप्रा के बालों को पकड़कर अपनी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू कर दिया ..उसके दिमाग में तो बस पंडित जी ही घूम रहे थे जो उसके साथ वो सब कर रहे थे जो उस दिन उसने पार्क में देखा था ...
...और उसे बेड पर फेंक कर सीधा उसकी टांगो को दोनों तरफ फेलाया और अपना मुंह उसकी रसीली चूत के अन्दर दे दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह .....ओह पंडित जी .....धीरे करो ...''
प्रियंका ने एक जोरदार सिसकारी मारी ...
और ''पंडित'' बनी हुई शिप्रा को देखकर अपनी उँगलियाँ खुद चूसने लगी ..
पंडित के रोल में शिप्रा ने उसकी चूत को चूसते हुए पूरी तरह से सुखा दिया ...प्रियंका मचलती रह गयी ..और वो ''पंडित'' सारी मलाई खा गया ..
और उसने प्रियंका की दोनों टांगो को खोलकर ऊपर लहराया ..और खुद उसके बीच आ गयी ..जैसे उसकी चूत में ''लंड'' डालने की तेयारी हो ..और उसने किया भी ऐसा ही ..नीचे झुक कर अपनी चूत के होंठ जैसे ही शिप्रा ने प्रियंका की चूत के होंठों से लगाए ..दोनों एक जोरदार सीत्कार मारकर चिल्लाने लगी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उम्म्म्म्म .......चोदो .....मुझे ...पंडित जी .....अह्ह्ह्ह .....येस्स .....डालो ....अन्दर ...तक ....मेरी चूत के .....अह्ह्ह्ह्ह ...''
पंडित बनी हुई शिप्रा भी फुफकारने लगी : "ले साली ......ले मेरा लंड ....अह्ह्ह्ह्ह ......आज तेरी चूत को फाड़ डालूँगा ...अह्ह्ह्ह ...ये ले ...''
अब तक दोनों की गीली चूत एक दुसरे से लिपटकर बुरी तरह से गीली हो चुकी थी ...और वो सारी चिकनाहट उनके धक्कों को और ज्यादा एनेर्जी दे रही थी ..शिप्रा ने अपनी चूत के दाने को प्रियंका के पुसी लिप्स से रगड़ना शुरू कर दिया ..उसकी क्लिट अब किसी छोटे लंड जैसी हो चुकी थी ..और वो उससे प्रियंका की चूत को रगड़ कर चोद रही थी ..
पुरे बेडरूम में दोनों की सिसकियाँ फेली हुई थी ...
और पांच मिनट तक रगड़ने के बाद अचानक शिप्रा ने प्रियंका को 69 के एंगल में लिया और दोनों एक दुसरे की कटोरियों से आइसक्रीम खाने लगे ..
शिप्रा की लम्बी क्लिट को प्रियंका ने लंड की तरह से चूसना और चबाना शुरू किया तो प्रियंका की चूत के अन्दर शिप्रा की लम्बी जीभ किसी लंड की तरह जाने लगी ..
दोनों ने एक जोरदार गर्जन के साथ अपनी -२ मलाई एक दुसरे के मुंह में निकाल दी ..
और गहरी साँसे लेते हुए दोनों बेड पर लेटे रहे ..
ये थी इन दोनों की कहानी, और अक्सर ये दोनों ऐसा करती थी ..ऐसा नहीं था की शिप्रा ने पहले चुदाई नहीं करवाई थी ..पर उसका कोई बॉयफ्रेंड नहीं था जो रोज उसकी चूत की सेवा कर सके ..इसलिए वो अक्सर रोल प्ले करते हुए कभी प्रियंका का बॉयफ्रेंड, कभी उसका भाई और कभी बाप बनकर उसकी इसी तरह से चुदाई करती थी ..और आज तो पंडित जी बनकर उसने प्रियंका को चोदा था ..
थोड़ी देर लेटने के बाद वो अपनी अगली योजना के बारे में बातें करने लगे ..
अगले दिन प्रियंका और शिप्रा ने अपनी योजना के अनुसार पुलिस स्टेशन जाकर शादी का झांसा देकर शारीरिक सम्बन्ध बनाने के लिए बद्री के खिलाफ IPC-375/376 के अंडर FIR करवा दी ..जिसे कानून आजकल ''रेप'' का दर्जा देता है ..इस धारा का उचित और अनुचित प्रयोग आजकल बहुत ज्यादा हो रहा है ..
खेर , पुलिस ने बद्री को स्टेशन में बुलाया पूछताछ के लिए, वो पहले तो प्रियंका के इस कदम से घबरा गया क्योंकि उसे इसकी बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी, पर अपने दोस्तों से सलाह मशवरा करने के बाद अपने एक वकील को लेकर वो पुलिस स्टेशन गया , वहां प्रियंका और शिप्रा को भी बुलाया गया, दोनों पक्षों में काफी कहा सुनी हुई ..बद्री पहले तो साफ़ मुकरता रहा शादी की बात से, और जब प्रियंका ने कहा की उसके पास गवाह भी है और वो भी मंदिर के पंडित जी ..तो वो थोडा चोंक सा गया ..क्योंकि वो भी जानता था की वहां उस वक़्त कोई भी पंडित नहीं था ..उसने गवाह को सामने लाने को कहा , इंस्पेक्टर ने पंडित जी को पुलिस स्टेशन में बुलाया , जिन्हें देखकर बद्री को भी याद आ गया की ये तो वही पंडित है जो उस दिन खुद भी चुदाई कर रहा था और उन्हें भी चुदाई करते हुए देख रहा था, वो समझ गया की प्रियंका ने उन्हें झूटी गवाही देने के लिए राजी कर लिया है ..अब वो भी क्या कहता , अगर वो बोलता की इसने शादी तो नहीं करायी पर चुदाई करते हुए जरुर देखा है, तब भी वो ही फंसता ..काफी बहस बाजी हुई दोनों तरफ से ..
इंस्पेक्टर भी समझ चूका था की ये मामला बिना वजह खींचा जा रहा है, इसलिए दोनों को आपस में ही सलाह करके सेटलमेंट करने का सुझाव दिया गया ..
बद्री अपने वकील के साथ शिप्रा और प्रियंका को लेकर एक कमरे में गया ..और अन्दर जाते ही शिप्रा ने मुंह फाड़ कर एक ही बार में पचास लाख रूपए मांग लिए ..जिसे सुनकर बद्री और उसके वकील की गांड फट गयी ..काफी देर के नेगोसिएशन के बाद आखिर मामला 25 लाख पर आकर रुका ..और एक हफ्ते में पेमेंट करने की बात की गयी और उसके बाद FIR वापिस लेने की भी ..
प्रियंका और शिप्रा ने जितना सोचा था उससे ज्यादा ही मिला था उन्हें ..और इसलिए वो दोनों काफी खुश थी .
बाहर आकर उन्होंने पंडित जी को अपने साथ लिया और अपनी गाडी में बिठा कर अपने घर की तरफ चल दी ..
प्रियंका : "थेंक्स पंडित जी ..आपकी वजह से आज सब कुछ हो सका ...आपका बहुत -२ धन्यवाद ...''
पंडित जी को वैसे तो उनकी योजना का सार पता चल ही चूका था , क्योंकि जब आखिर में दोनों पक्ष अन्दर बाते कर रहे थे तो बाहर इंस्पेक्टर उनसे कह रहा था की 'पंडित जी ..देखना पैसे लेकर ये मामला यहीं रफा दफा हो जाएगा ...लड़की देखने में ही इतनी चालू लग रही है ..'
और अब उनकी ख़ुशी देखकर उन्हें यकीन हो चला था की इंस्पेक्टर की बात सही थी .
पंडित ने उनके मन की बात निकलवाने के लिए कहा : "यानी ..वो तुमसे शादी करने के लिए मान गया ..''
उनकी बात सुनकर प्रियंका और शिप्रा एक दुसरे की तरफ देखकर हंसने लगी ..
शिप्रा : "पंडित जी ..आप बहुत भोले हैं ..आपको क्या लगता है, ये सब इसने शादी के लिए किया था ..हम तो ये पहले से जानते थे की वो बड़े घर की औलाद इस जैसी छोटे घराने की लड़की से कभी शादी नहीं करेगा वो सिर्फ इसका यूज़ कर रहा था, इसके जिस्म से खेल रहा था ..इसलिए हमने उसे ऐसे केस में फंसा कर पैसे निकलवाने की योजना बनायीं थी ..और वो मान भी गया है .''
पंडित ने उनको ज्ञान देना चाहा : "पर ये बात अगर प्रियंका जानती थी तो इसने अपनी तरफ से पहल क्यों की ..क्यों उसे अपने शरीर से खेलने दिया ..औरत का असली गहना उसकी इज्जत होती है, और वो इसने उसके सामने उतार दिया, और अब शादी के बदले उसके पैसों से उस इज्जत को ढकने की कोशिश कर रही हो ..ये तो गलत है ..''
पंडित की बात सुनकर वो दोनों चुप रहे , क्योंकि वो दोनों भी जानटी थी की पंडित जी की बात सही है ..पंडित ने आगे कहा : "तुम दोनों ने अपनी सहमति से एक दुसरे के साथ शारीरिक सम्बन्ध बनाये, तो इसमें रेप कहाँ से आ गया, जिस तरह से उसने तुम्हारे शरीर का इस्तेमाल किया है अपनी मस्ती के लिए, तुमने भी तो वही सब कुछ किया है ..फिर रेप सिर्फ उसने कहाँ किया, वो तो तुमने भी किया न उसके साथ ..''
शिप्रा ने उन्हें समझाया : "पंडित जी , आपकी बात सही है , पर कानून के सामने ये सब दलील बेकार है ..और क़ानून लड़की की बात सुनता है, लड़के की नहीं ..हमारे देश के कानून का सही के साथ-२ गलत लोग भी इस्तेमाल करते हैं ..जो अभी हम कर रहे हैं ..हमें पता था की वो इसके साथ शादी कभी नहीं कर सकता इसलिए हमने ये सब नाटक किया, पर जो भी है, आपका फायेदा भी तो पक्का है इन सबमे ...''
पंडित : "मेरा फायेदा ...कैसे ...?"
वो दोनों एक दुसरे की तरफ देखकर मुस्कुराये और बोले : "वो हम घर चलकर बताएँगे ...''
और थोड़ी देर में ही शिप्रा की शानदार कोठी के आगे कार रुकी और तीनो बाहर निकल कर उसके कमरे की तरफ चल दिए, शिप्रा के पापा एक बहुत बड़े वकील थे और ज्यादातर घर रात लेट ही आते थे , उसकी माँ का निधन हो चूका था, एक भाई था जो लन्दन में पढाई कर रहा था ..इसलिए घर पर अभी कोई नहीं था .
अपने बेडरूम में पहुँचते ही शिप्रा ने दोनों को सोफे पर बिठाया और बोली : "देखिये पंडित जी , ये सब आपकी हेल्प के बिना होना मुश्किल था, इसलिए हम आपको भी बीच में से हिस्सा देंगे ..पुरे 5 लाख रूपए ..और बाकी हम दोनों आपस में रखेंगे ..''
पंडित जी ने इतने पैसे एक साथ आज तक नहीं देखे थे ..वो जानते थे की ये गलत है, पर वो भी कौन सा दूध के धुले थे, उन्होंने भी अपनी लाईफ में काफी बुरे काम किये थे, और अभी भी उनकी झूठी गवाही के बल पर ही वो पैसे उन दोनों को मिल रहे थे, वो अगर इनकार करते तो उनका ही घाटा था, इसलिए उन्होंने उनकी बात मान ली, बिन बुलाये घर पर आती माया को इनकार करना हर किसी के बस की बात नहीं होती ..
शिप्रा अपने कपडे बदलने के लिए बाथरूम में चली गयी ..
उसके जाते ही प्रियंका खिसक कर पंडित जी के पास पहुँच गयी और बोली : "पंडित जी ..आपके लिए ये सब जो हम कर रहे हैं ये तो बस असल है ...असली बोनस तो और कुछ है ..''
उसका एक हाथ अपनी शर्ट के अन्दर जाकर अपने गले की स्किन को मसलने लगा ..पंडित को उसका इशारा समझ में आ गया, पर वो कुछ न बोला ..
सफ़ेद रंग की शर्ट के अन्दर उसकी पिंक कलर की ब्रा की झलक पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रही थी ..और उसके निप्पल भी चमकने लगे थे अन्दर से ..
प्रियंका ने अपना एक हाथ उनकी जांघ पर रखा और बोली : "एक बात सच -२ कहना चाहूंगी पंडित जी ..आपको ढूँढने का मकसद सिर्फ आपसे गवाही दिलाना नहीं था ....जिस दिन से आपको उस लड़की के साथ पार्क में देखा है, मुझे तो उसके बाद की हर चुदाई में आपका ही लंड याद आता रहा ..आप जिस तरह से अपने लम्बे लंड से उसकी चुदाई कर रहे थे, बस वही सोचकर मैं कितनी बार झड चुकी हु ...और अब मुझसे नहीं रहा जाएगा ...''
कहते हुए उसने पंडित जी का घंटा पकड़ लिया , उनकी धोती के ऊपर से ही ..
पंडित जी को प्रियंका से इतनी जल्दी ऐसी उम्मीद नहीं थी ...वो तो सोच रहे थे की इसे चोदने में अभी कुछ टाइम लगेगा, पर वो ये नहीं जानते थे की आग उसकी तरफ से ज्यादा लगी हुई है ..
वो थोडा भाव खाना चाहते थे ...इसलिए उन्होंने उसका हाथ पीछे कर दिया. और बोले : "वो मेरा अपना निजी मामला है ..मैं उसके साथ चुदाई कर रहा था, इसका मतलब ये नहीं की मैं हर किसी के साथ शुरू हो जाऊंगा ..''
पंडित जी हर बार की तरह अपने शिकार को तडपाना चाहते थे ..
तभी पीछे से शिप्रा की आवाज आई : "अरे प्रियंका ...रहने दे न ..अगर इनका मन नहीं है तो क्यों जबरदस्ती कर रही है ..''
उन्होंने पलट कर देखा, वो एक साटन की बाथ रॉब पहन कर बाहर निकल रही थी , उसके शरीर पर उसके अलावा कुछ भी नहीं था, लम्बी और नंगी टाँगे साफ़ चमक रही थी ..
शिप्रा : "तुम मेरे पास आओ प्रियंका ...और हमेशा की तरह वही करो ..जो करती हो ..''
दोनों ने आँखों ही आँखों में इशारा किया और प्रियंका भी मस्ती भरी चाल के साथ उसकी तरफ चल दी ..
पंडित जी बेचारे हक्के - बक्के से होकर वहीँ खड़े रहे, जैसे कहना चाहते हो 'अरे ...मेरा ये मतलब नहीं था ...'
पर अब जैसे देर हो चुकी थी ..
प्रियंका और शिप्रा एक दुसरे के गले लगकर जोर से स्मूच कर रहे थे ..जिसे देखकर पंडित जी का लंड उनकी धोती में तम्बू बना रहा था ..उनकी उपस्थिति से उन दोनों को कोई फर्क नहीं पड़ रहा था ..वैसे भी वो ये सब उन्हें दिखाने के लिए ही तो कर रही थी ..
पंडित जी चाहते तो वहां से जा सकते थे ..पर वो नहीं गए , क्योंकि वो जानते थे की इस पुरे खेल का अंत चुदाई के साथ ही होगा .
प्रियंका ने अपनी शर्ट के बटन खोलकर उसे उतार दिया ,पिंक ब्रा और ब्लू जींस में वो किसी मॉडल की तरह लग रही थी , उसने धीरे से शिप्रा की बाथ रॉब की गाँठ भी खोल दी ..पर उसे उतारा नहीं ..शिप्रा के मोटे मुम्मों की झलक अब पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रही थी ..पंडित जी किसी बुत्त की तरह, बिना पलकें झपकाए हुए उसके पुरे दर्शन की प्रतीक्षा कर रहे थे ..
इसी बीच प्रियंका ने अपनी ब्रा को खुद ही खोल कर पंडित जी की तरफ उछाल दिया , जिसका स्ट्रेप सीधा पंडित जी के कान में जाकर फंस गया और वो वहीँ लटक कर रह गयी ..पंडित जी ने लटकी हुई ब्रा को पकड़ा तो उन्हें उसकी गर्मी का एहसास हुआ , अन्दर की तरफ हाथ लगाते ही उनके हाथ पर गुदाज मुम्मो की गर्माहट महसूस हुई ..जिसे पाकर उनका रोम - २ खड़ा हो गया .
प्रियंका का गोरा जिस्म और मोटे मुम्मे देखकर पंडित जी के मुंह में पानी आ गया, और उसके ऊपर लगे हुए दोनों निप्पल मोटे किशमिश के दानो जैसे लग रहे थे, जिनके चारों तरफ के एरोहोल में बने छोटे -२ दाने उत्तेजना की वजह से उभर कर बड़े निप्पलों का साथ दे रहे थे ..
पंडित जी को अपनी तरफ देखता पाकर प्रियंका ने अपना सर शर्म से झुक लिया ..
प्रियंका शरारत भरी आँखों से पंडित जी को परख रही थी, और शिप्रा को अपनी ब्रेस्ट पर झुकाकर जैसे ही उसने अपना निप्पल उसके मुंह में ठुंसा , वो किसी घोड़ी की तरह हिनहिनाते हुए बेड पर जा गिरी ..
''आअग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह .......शिप्पी ........अह्ह्ह्ह्ह्ह ..........उम्म्म्म्म ....सक बेबी ....सक मी हार्ड .....''
शिप्रा भी उसके ऊपर झुक कर उसकी ब्रेस्ट चूस रही थी, जिसकी वजह से उसकी गांड पंडित जी की तरफ थी, जो बाथ रॉब ऊपर खिसकने की वजह से बिलकुल नंगी हो चुकी थी ..
उसकी दिल की आकृति वाली गांड का दीदार पाकर पंडित जी तो जैसे बावले हो गए, इतनी मोटी और सेक्सी गांड तो उन्होंने आज तक नहीं मारी थी, नीचे उसकी चूत भी साफ़ चमक रही थी, जिसमे से रसीली चाशनी बहकर बाहर निकल रही थी .
शिप्रा के प्रियंका की जींस के बटन खोले और उसे नीचे खींच कर उतार दिया ..साथ ही उसकी पेंटी भी फंस कर उतर गयी .
अब वो बड़े से बेड पर पूरी नंगी थी,
शिप्रा के साथ -२ पंडित जी भी आँखे सेंक रहे थे , शिप्रा ने एक मादक सी अंगडाई लेते हुए अपनी बाथ रॉब अपने जिस्म से निकाल कर नीचे फेंक दी ..
पंडित जी की तो जैसे दिल की धड़कन ही रुक गयी ..एक साथ दो नंगी लड़कियां उनके सामने थी , जिन्हें आज तक उन्होंने नहीं चोदा था ..
शिप्रा थोड़ी सांवली जरुर थी, पर उसका भरा हुआ जिस्म , बिलकुल विद्या बालन जैसा था , भरी हुई गांड , मोटे चुचे , मोटे और रसीले होंठ , गोल चेहरा , वो एक तरह से सेक्स बम जैसी लग रही थी, और नंगी होने के बाद तो उसकी खूबसूरती में चार चाँद लग गए थे.
(वैसे दोस्तों औरत चाहे जैसी भी हो, नंगी होने के बाद वो और भी खुबसूरत हो जाती है ..)
और दूसरी तरफ, प्रियंका भी कम नहीं थी, अपने पतले बदन और घुंघराले बालों की वजह से वो भी सिने अभिनेत्री कंगना रानावत जैसी लगती थी ..बस कद थोडा कम था उसका ..
पंडित जी ने उसे पार्क में लगभग नंगा देखा तो था, पर वहां अँधेरा भी था और वो थोडा दूर भी थी, पर आज अपनी आँखों के इतने करीब उसके नंगे शरीर को देखकर उसकी सही मायने में तारीफ करने का मन कर रहा था उनका ..
पंडित जी खड़े हुए थे और उनका लंड भी ..और दोनों खड़े होकर उन दोनों लड़कियों का तमाशा देख रहे थे ..
प्रियंका ने शिप्रा के सर को धक्का देते हुए नीचे जाने का मूक निर्देश दिया ..जिसे वो समझ गयी और अपनी जीभ से लार की लकीर छोडती हुई वो नीचे की तरफ जाने लगी ..और अंत में जैसे ही उसकी उबलती हुई चूत के ऊपर उसके होंठ पहुंचे , प्रियंका ने अपने दोनों पैरों का दबाव उसकी पीठ पर डालते हुए उसे अपनी चूत के अन्दर खींच लिया ..और शिप्रा जो अभी तक उसकी चूत की महक सूंघने में लगी हुई थी, अपने होंठों के बल उसके नीचे वाले होंठों पर जा गिरी ..
''आय्य्यीईई ............ .....ईईईइ ....... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... अह्ह्ह्ह्ह्ह ...म्म्म्म्म्म्म्म ....येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स. .....सक ......बेबी ...सक ....अह्ह्ह्ह्ह ''
प्रियंका के हाथ अपनी सहेली को उत्साहित करने के लिए उसके बालों में उँगलियाँ फेर रहे थे और उसके कानों की भी मसाज कर रहे थे ..
अगले पांच मिनट तक अपनी चूत की मसाज शिप्रा के होंठों से कराने के बाद प्रियंका के मुंह से निकलते हुए शब्दों में तेजी आ गयी ..
''अह्ह्ह्ह्ह .......शिप्पी .....अह्ह्ह्ह ....उम्म्म्म्म ...डार्लिंग ......आई एम् कमिंग .......अह्ह्ह्ह्ह .... सक ...मी .....हार्र्ड ..............''
और उसने एक जोरदार झटके के साथ अपनी चूत से निकले गाड़े पानी का प्रेशर शिप्रा के होंठों के अन्दर निकाल दिया ...जिसे वो किसी एनेर्जी ड्रिंक की तरह पी गयी ..
अब बारी थी शिप्रा की, वो बेड पर बड़ी तेजी से चडी और सीधा जाकर उसके मुंह पर ऐसे बैठ गयी जैसे वो कोई कुर्सी हो ..और अपनी चूत को सही जगह फिट करने के बाद उसने सियार की तरह ऊपर गर्दन करके -हलकी २ सिस्कारियां मारनी शुरू कर दी ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म .........येस्स ........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
पंडित जी ने इतना उत्तेजक दृश्य आज तक न तो देखा था, वो तो उस घडी को कोस रहे थे जब उन्होंने प्रियंका को मना कर दिया था, और अब उन दोनों को आपस में मस्ती करते देखकर लग ही नहीं रहा था की उन्हें किसी लंड की भी जरुरत है, वो तो एक दुसरे की चूतें अपनी जीभ से चोदकर ही संतुष्ट होने में लगी हुई थी ..पर पंडित जी भी मंझे हुए खिलाडी थे, उन्हें मालुम था की ये सब तो केवल चूत को थोड़ी देर तक शांत करने के उपाय है, जो मजा लंड में है, उसका कोई मुकाबला ही नहीं है ..इसलिए उन्होंने भी अपनी चाल चलते हुए धीरे से अपनी धोती को खोलकर नीचे गिरा दिया ..अपने कुर्ते को उतार दिया, और अपने अंडरवीयर को भी निकाल फेंका ..और जैसे ही उनका लंड उन दोनों लड़कियों की आँखों के सामने आया वो तो अपने आपे से बाहर हो गयी ..
प्रियंका हालाँकि पहले भी पंडित जी का हथियार देख चुकी थी, पर आज इतने करीब से और साफ़ तरीके से अपने सामने उसे लहराते देखकर वो सम्मोहित सी होकर शिप्रा की चूत को अपनी जीभ से चोदना भूलकर सिर्फ वहीँ देखती रह गयी ..और शिप्रा भी मुंह पर उछलना भूलकर सिर्फ बैठी ही रह गयी, और धीरे -२ आगे पीछे होकर अपनी चूत के तितली जैसे होंठों को उसकी बाहर निकली जीभ पर रगड़ने लगी ..
उसने आजतक सिर्फ 3 - 4 बार ही लंड लिया था अपनी चूत में ..पर कोई भी इतना लम्बा और मोटा नहीं था ..इतना शानदार लंड देखकर उसके मुंह से पानी निकल कर प्रियंका के मुंह पर जा गिरा ..और अगले ही पल उत्तेजना के चरम शिखर पर पहुंचकर उसकी चूत का पानी भी उसके मुंह के अन्दर जा गिरा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........प्रियंका ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....मैं तो गयी ..... अह्ह्ह्ह्ह्ह ... उम्म्म्म्म्म्म ..... ''
और वो वहीँ निढाल सी होकर साइड में लुडक गयी ..उसकी चूत से अभी भी रस की धार निकल कर नीचे बेड पर गिर रही थी ..
प्रियंका तो पहले झड चुकी थी, और अब पंडित जी के लंड के दर्शन पाकर उसकी चूत के अन्दर से फिर से आवाजें आने लगी थी, पर वो शिप्रा की वजह से खुलकर पंडित जी की तरफ नहीं जा पा रही थी, उन्होंने पहले ही डिसाईड कर लिया था की अगर पंडित जी नहीं माने तो उनके सामने उत्तेजना का नंगा नाच करके उन्हें विवश कर देंगे , पर पंडित जी भी अपनी जगह अडीग थे, वो तैयार तो हो गए थे चुदाई के लिए, पर अपनी तरफ से पहल करना नहीं चाहते थे वो भी ..जिस तरह से उन दोनों ने अपने नंगे जिस्म दिखाकर उन्हें ललचाया था, तडपाया था , उसी तरह से वो अपने लम्बे और मोटे लंड का नंगा नाच उन दोनों को दिखाकर उन्हें तडपाना चाहते थे, और तब तक तडपाना चाहते थे, जब तक दोनों किसी पालतू कुतिया की तरह उनके सामने आकर उनके लंड की भीख ना मांगे ..
पंडित जी ने अपने हाथ में अपने लम्बे लंड को पकड़ा और उसे आगे पीछे करना शुरू कर दिया ..उनके गठीले शरीर और उतने ही गठीले लंड को अपने सामने इस तरह से देखकर उन दोनों की चूतें बुरी तरह से कुलबुला रही थी ..पंडित जी का निशान सही बैठा था ..वो दोनों लालसा और लालच भरी निगाहों से पंडित जी के लंड को देखे जा रही थी ..
आखिर प्रियंका से सहन नहीं हुआ, और अपनी चूत के हाथों मजबूर होकर उसने निर्णय लिया की पंडित जी के लंड को वो लेकर ही रहेगी ..इसके लिए चाहे झुकना ही क्यों न पड़े .
दोस्तों, सेक्स एक ऐसी क्रिया है जिसमे अपनी इगो को ताक पर रखकर मजा लेना चाहिए , दुसरे के बुलावे का इन्तजार करने से अच्छा खुद इनिसिएटिव लो और मजे लो ..
और यही किया प्रियंका ने, और सीधा जाकर वो पंडित जी के लंड के सामने बैठ गयी और ऊपर मुंह करके बड़े प्यार से उन्हें देखने लगी, जैसे अपनी गलती मान रही हो वो ..
पंडित जी ने भी उसे माफ़ करते हुए अपनी दरियादिली दिखाई और अपने लंड का कंट्रोल
उसके हवाले कर दिया ..
प्रियंका ने पंडित जी वहीँ बेड ऊपर धक्का देकर लिटा दिया और अगले ही पल उनके मोटे और लम्बे लिंग को अपने मुंह के अन्दर डालकर जोर -२ से चूसने लगी ..
साथ में लेटी हुई शिप्रा को भी अपनी गलती का एहसास हो चुका था ..
वो थोड़ी देर तक तो पंडित जी की तरफ देखती रही और फिर धीरे से खिसक कर उनकी तरफ आ गयी ..और जाकर सीधा उनके गले में अपनी बाहें डाल दी और उनके कान में फुसफुसाई ..
''आप जीत गए पंडित जी ...सच में ..आपका लंड काफी बड़ा और आकर्षक है ..ऐसा तो मैंने आज तक कभी नहीं लिया ..क्या आप मुझे भी इसकी सेवा का अवसर देंगे ..''
आप तो जानते ही है, पंडित जी अपनी शरण में आई हुई किसी भी चूत को मना नहीं करते ..उन्होंने आँखे बंद करके उसे इशारा किया और वो झट से उनके पट के ऊपर सवार होकर उनके होंठों को चूसने लगी ..
उसकी गीली चूत से निकल रहा पानी पंडित जी की नाभि के अन्दर इकठ्ठा होने लगा ..
और उसके थोड़ी ही नीचे , प्रियंका पूरी लगन से पंडित जी के लंड को अपने मुंह में डालकर उसका स्वाद ले रही थी ..
शिप्रा ने अपनी चूत को पंडित जी के पेट से रगड़ते हुए उनके होंठों को अपने गीले होंठो से चूसना शुरू कर दिया ..
पंडित जी ने सोच लिया था की अपनी पूरी ताकत आज इनकी चुदाई में लगा देंगे ..आखिर इन्हें भी तो पता चले की उनका लंड सिर्फ देखने में ही नहीं लेने में भी जानदार है .
शिप्रा की चूत से तो पानी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था ..आखिर इतने दिनों के बाद उसकी चूत में लंड जो जाने वाला था और वो भी इतना बड़ा ..
पंडित जी ने शिप्रा को अपने पेट के ऊपर बिठा लिया और अपने हाथ ऊपर करके उसके मोटे और रसीले आमों को निचोड़कर उसके अन्दर भरा हुआ गुदाजपन अपने हाथों से महसूस कर रहे थे ..उनका मन कर रहा था की इन मोटे मुम्मों को ऐसे ही अपनी उँगलियों से सहलाते रहे ..
शिप्रा से पंडित जी के हाथ अपनी ब्रेस्ट पर सहन नहीं हुए ..उसने उत्तेनाजवश उनकी उँगलियों को पकड़कर अपने मुंह में ठूस लिया और उन्हें किसी लंड की तरह से चूसने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी ...........उम्म्म्म्म्म्म्म .....पुच्च्च्छ्ह्ह्ह .......अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
और दूसरी तरफ प्रियंका भी पीछे नहीं थी ..उसने पंडित जी के लम्बे लंड के लिए अपने मुंह में काफी जगह बना ली थी और उसे अन्दर लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे पंडित जी के लंड का असली घर वही है ..
उसे तो पंडित का लंड किसी लोलीपोप की तरह से लग रहा था ..जिसे अपने मुंह के पूरा अन्दर लाकर वो चूसती और उसके रस को पी जाती और फिर बाहर निकालते हुए एक अजीब से 'पॉप' की आवाज निकालती ..और उनका लंड चूसते हुए उसकी नजरें पूरी तरह से पंडित जी और शिप्रा पर थी , और उसकी खुद की उँगलियाँ अपनी चूत पर ..
अब पंडित जी से रहा नहीं जा रहा था , वो जल्द से जल्द अपने लंड से उन दोनों की चूत की सेवा करना चाहते थे ..वो खड़े हो गए और उन दोनों ने पंडित जी जिस्म को चूमना और चूसना जारी रखा ..
पंडित जी बेड के साईड में खड़े हो गए और उन्होंने शिप्रा को अपनी तरफ खींचकर उसके रसीले होंठों को फिर से चूसना शुरू कर दिया .
प्रियंका अभी तक उनके लंड का पानी ही पीने में लगी हुई थी ..
पंडित जी ने उसके बालों को पकड़कर अपने लंड का ठुमका उसके मुंह में ऐसा लगाया की प्रियंका को लगा की पंडित जी आज उसके गले के आर पार पहुंचा देंगे अपने लंड को ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ...पंडित जी ... धीरे .....अह्ह्ह ....इतनी तेज नहीं .....उम्म्म्म्म ....एक तो आपका लंड पहले ही इतना बड़ा है ...अह्ह्ह्ह्ह ...मेरा मुंह दुख रहा है ..उम्म्म्म्म ....और ऊपर से आपके ये धक्के ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......मत करो न .....ऐसे मत सताओ ....''
पर सताने के लिए सिर्फ वोही नहीं थी ..पंडित जी शिप्रा के साथ भी इसी तरह के जंगलीपन से पेश आ रहे थे ..उन्होंने बेड पर अपने घुटनों के बल खड़ी हुई शिप्रा की चूत पर अपना पंजा जोर से दे मारा ..और दो चार चांटे लगाने के बाद उसके लटक रहे चूत के होंठों को अपनी उँगलियों में फंसा कर नीचे तक खींचा और फिर एक झटके से छोड़ दिया ..
वो बेचारी दर्द से बिलबिला उठी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ........धीरे .....पंडित जी ....धीरे .....ये हमारा सबसे कोमल अंग होता है ...थोडा प्यार से पेश आइये न ...स्स्स्स्स्स्स्स्स्स अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......''
उसकी गीली चूत से बरस रहा जलजीरा पंडित जी के हाथों में लग गया , जिसे उन्होंने अपने लंड के ऊपर मल दिया ..और फिर उस रस से भीगे क्रीम रोल को उन्होंने फिर से प्रियंका के मुंह में अन्दर तक ठूस दिया ..
आज पंडित जी कुछ ज्यादा ही जंगली तरीके से पेश आ रहे थे इन दोनों हिरनियों के साथ ..आखिर उन्होंने पंडित जी को तरसाने की गुस्ताखी जो की थी ..इसका दंड तो उन्हें देना ही था पंडित जी ने ..
शिप्रा : "अब डाल भी दो पंडित जी ...और कितना तरसाओगे ....देखिये न ...कैसे आग निकल रही है मेरे अन्दर से ...''
उसने पंडित जी का हाथ पकड़ कर फिर से अपनी चूत पर लगा दिया .. जहाँ से चूत की गर्मी के थपेड़े निकल रहे थे ..
पंडित जी जान गए की अब सही समय है ..चुदाई का .
उन्होंने शिप्रा को बेड पर लिटाया और उसकी दोनों टांगो को फेला कर उसके चेहरे की तरफ देखा ...जो बड़े ही उत्तेजक तरीके से उनकी आँखों में देख रही थी .
वो बोली : "अब डालो भीssssssssssssssssssssss ........''
उसकी आवाज में आग्रह से ज्यादा आदेश था ..जो ऐसी अवस्था में अपने आप आ जाता है ..
पंडित जी ने अपने लंड को उसकी गुलाबी चूत के होंठों के अन्दर फंसाया और एक तेज झटका देकर उसके अन्दर दाखिल हो गए .
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......उफ़्फ़्फ़ॊओ पंडित ........जी ........अय्य्यीईई ........धीरे करो .....एक ही बार .....में नहीं .....आअह्ह्ह्ह्ह्ह ......''
पर पंडित जी कहाँ मानने वाले थे ...उन्होंने तो अपना पूरा लंड एक ही बार में उसकी चूत के अन्दर उतार कर सांस ली ...और फिर हर सांस के साथ उन्होंने अपने लंड को खींचा और डाला ..खींचा और डाला ...धपधप ...खचाखच ....की आवाजों से पूरा कमरा गूंजने लगा ..
''अह्ह्ह्ह्ह .....पंडित ....जी ....अह्ह्ह ....,एह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म ......क्या .....लंड .....है आपका ...अह्ह्ह्ह .....ऐसी ....फकिंग ....तो आज तक किसी ने नहीं की ...अह्ह्ह्ह ...''
उसकी बातों और चेहरे से उसके अन्दर की ख़ुशी साफ़ झलक रही थी ..
प्रियंका साईड में होकर बैठ गयी थी और अपनी 'बारी' की प्रतीक्षा करते हुए अपनी चूत को मसलने लगी ..
पंडित जी खड़े होकर बेड पर नंगी बिछी हुई शिप्रा को पूरी ताकत से चोदने में लगे हुए थे ..उनके हर झटके से शिप्रा का पूरा जिस्म ऊपर तक उछल जाता और लंड के बाहर आते समय फिर से नीचे आ गिरता ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित ...जी ......उम्म्म्म…...प्रियंका ने सही कहा था .....आप सच में जोरदार तरीके से चुदाई करते हो ...उम्म्म्म्म्म ......और जोर से चोदो मुझे ......ओये ....पंडित जोर से कर ....ना ......साले ....चोद मुझे ....अह्ह्ह्ह ..''
आवेश के मारे उसके मुंह से पंडित जी के खिलाफ निरादर भरे शब्द निकलने लगे ..
पंडित जी भी आवेश में भर कर उसके हिलते हुए मुम्मों पर चांटे मारने लगे ..उनके हाथ की उँगलियाँ उसके गोरे मुम्मों पर छप सी गयी थी ..और जिसके दर्द के मारे वो चीख भी रही थी ..
पंडित : "ले साली .....भेन की चूत तेरी ....बड़ी अकड़ है ना तेरे में ...अब तेरी अकड़ निकालूँगा ...ले साली ....रंडी ....भेन चोद ....आज से तू मेरी रंडी है ...समझी ...रंडी है तू ...''
शिप्रा : "अह्ह्ह्ह्ह ......येस्स्स्स ......मैं हु .....तुम्हारी रंडी .....पंडित जी ....अह्ह्ह्ह ......ओह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी .........मैं तो आई .....अह्ह्ह्ह्ह ........आई एम् कमिंगssssssssssssssssssssssss ''
और एक जोरदार विस्फोट के साथ उसकी चूत के अन्दर एक परमाणु बम फट गया और ढेर सार रस बाहर निकलने लगा ....
पंडित जी ने अपना लंड बहार खींच लिया ...और वो गहरी साँसे लेती हुई, निढाल सी होकर बेड से उतर गयी और सोफे पर जाकर लेट गयी ..और पंडित जी के आगे के कार्यकर्म को देखने लगी .
अब बारी थी प्रियंका की ..
उन्होंने उसे बेड पर लिटाया और उसके ऊपर आकर उसके मोटे स्तनों को मलने लगे ..उसके मोटे निप्पल के ऊपर अपनी उँगलियाँ फेराकर उसे और उत्तेजित करने लगे ...
वो तो पहले से ही तैयार थी ..पंडित जी की इस हरकत से वो और भी ज्यादा गर्म हो गयी और उसने पंडित जी को अपने ऊपर खींच लिया ..
पंडित जी ने अपना मुंह सीधा लेजाकर उसकी मदर डायरी पर लगा दिया और उसके इरेक्ट हो चुके निप्पल को अपने दांतों के बीच भींचकर कर जोर से काट लिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....पंडित जी .....आप तो उसे काट कर अलग ही कर दोगे .....उम्म्म्म्म ....धीरे करो .......इसे ....चुसो ........चाटो .....निचोड़ो ......बस काटो नहीं ...''
और इतना कहकर उसने पंडित जी के चेहरे को ऊपर खींच लिया और वो भी अपने होंठों के निशाँ उसकी गर्दन और गालों पर छोड़ते हुए आये और सीधा आकर उसके सन्तरे की फांकों जैसे होंठ अपने मुंह में दबा लिए और जोर -२ से चूसकर उनमे से रस निकालने लगे ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......अब डाल भी दो न ....तरसाओ मत ....''
पंडित जी के सामने अब प्रियंका ने भी गिडगिडाकर उनके लंड की भीख मांग ली थी ..जैसा पंडित जी चाहते थे ..
उन्होंने उसे घोड़ी बनने को कहा और उसकी चोडी गांड पकड़ कर अपने लंड को उसकी चूत पर लगाया और एक जोरदार शॉट मारकर अपने लंड का सुपाडा अन्दर धकेल दिया ...
प्रियंका का मुंह खुला का खुला रह गया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......क्या चीज ....कटपीस ...उम्म्म्म्म्म ....''
अब तो पंडित जी रुके ही नहीं ..उन्होंने उसकी चूत का बेंड ही बजा दिया ...हर झटके के साथ उसके अन्दर तक घुस जाते और बच्चेदानी से अपने लंड को टच करवाकर फिर से बाहर आ जाते ..
उन्होंने उसके पेट के नीचे एक तकीया लगा दिया और उसकी गांड को और ऊपर उठा कर हवा में लहरा दिया ..और पीछे से पूरी ताकत से उसकी चूत का हलवा पीटने लगे अपने लंड से ..
और जल्द ही उसके ओर्गास्म की किलकारियां गूंजने लगी पुरे कमरे में ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......पंडित जी .......उम्म्म्म्म्म .....मजा आस्स्स्स गया .....उम्म्म्म्म्म .....मैं तो गयी ....रे ....अह्ह्ह्ह ....मैं तो गयी ......''
वो झड चुकी थी ...और पंडित जी भी इतनी देर से अपने लंड के अन्दर एक ज्वालामुखी लिए बैठे थे ..जो अब कभी भी फट सकता था ..
उन्होंने शिप्रा की तरफ देखा जो बड़ी उत्सुकतता के साथ उनकी तरफ देख रही थी ..पंडित जी ने उसे इशारे से अपनी तरफ आने को कहा ..वो किसी पालतू कुतिया की तरह एक ही छलांग में पंडित जी के सामने आकर जमीन पर बैठ गयी ..
पंडित जी ने भी अपना लंड प्रियंका की चूत से बाहर खींच लिया और नीचे उतर आये ..उनका इशारा समझ कर वो भी शिप्रा के साथ ही जमीन पर उसके साथ आकर बैठ गयी और पंडित जी ने अपने लंड को उन दोनों के सामने लहरा दिया ..जिसे वो दोनों भूखी पिशाचिनियों की तरह से चूसने लगी ..
और कुछ ही देर में पंडित जी के लंड का प्रसाद बाहर निकलकर उनके चेहरों पर गिरने लगा ..
पंडित : "अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म ...उह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......''
और प्रियंका ने थोडा प्रसाद शिप्रा के चेहरे पर गिरा दिया और बाकी का अपने ऊपर ...
दोनों के चेहरे सफ़ेद चादर से ढक गए, जैसे वहां बर्फ गिरी हो ..
उनको अच्छी तरह से संतुष्ट करने के बाद पंडित जी ने अपने कपडे पहनने शुरू किये .
शिप्रा : "पंडित जी ...सच कहु ..आप जैसा मर्द मैंने अपनी लाइफ में पहली बार देखा है ..जो जानता है की औरत को क्या चाहिए और उसे कैसे सेटिस्फाई करना है ..मुझे ऐसे मजे आज तक नहीं मिले थे ..में तो आपकी फेन हो गयी ..और आपके इस छोटे सिपाही की भी ..जिसने मेरे किले के अन्दर जाकर आज ऐसी तबाही मचाई है की अभी तक फील हो रहा है सब ..''
अपनी चूत के ऊपर उँगलियाँ फेरती हुई वो बोले जा रही थी ..और प्रियंका भी उसकी हाँ में हाँ मिला कर उसका साथ दे रही थी .
पंडित जी मंद -२ मुस्कुराते रहे और अपने कपडे पहन कर तैयार हो गए ..अब उन्होंने 4 दिनों के बाद दोबारा मिलना था क्योंकि बद्री के वकील ने 4 दिनों के बाद पैसे भिजवाने थे ..और पंडित जी को उनका हिस्सा देने के लिए शिप्रा ने दोबारा बुलाया था और साथ ही कुछ और भी मजे लेने के लिए ..
पंडित जी घर की तरफ वापिस चल दिए ..
अपने कमरे में पहुँचते -२ उन्हें शाम हो गयी ..नहा - धोकर मंदिर में पूजा अर्चना करने के बाद वो अपने कमरे में गए और सो गए ..वो काफी थक चुके थे .
पर आराम करना पंडित जी की किस्मत में कहाँ ...एक घंटे में ही बाहर से किसी ने उन्हें पुकारा ..दरवाजा थपथपाया ..वो उठे और दरवाजा खोल दिया , और एक साया तेजी से अन्दर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया .. पंडित जी हेरान थे की इतनी रात को ये कौन है जो इस तरह से छुप कर उनके कमरे में आ रहा है ..और जैसे ही उन्होंने लाइट जलाई तो उसके चेहरे को देखकर वो हेरान रह गए
"नूरी ....तुम ...और यहाँ ...''
उन्हें उम्मीद भी नहीं थी की नूरी उनके मंदिर में बने हुए कमरे तक आ सकती है ..
नूरी : "अब बात ही कुछ ऐसी थी ..मैं सुबह से आपको फ़ोन कर रही थी ..पर वो बंद था ..दरअसल मैंने वो प्रेग्नेंट वाली बात अपने शोहर को बता दी ..जिसे सुनकर वो इतना खुश हुआ की मुझे कल सुबह ही लेने के लिए आ रहे हैं ..और मैं बिना आपसे मिले कैसे जा सकती थी ..एक आखिरी चुदाई तो बनती ही है न ..''
उसने धीरे से मुस्कुराते हुए पंडित जी के गले में अपनी बाहें डाल दी ..
वैसे तो पंडित जी में इतनी हिम्मत नहीं बची थी की वो नूरी के साथ कुछ कर पाए , उनके शरीर से आज का कोटा तो शिप्रा और प्रियंका पहले ही चूस चुकी थी ..और दूसरी तरफ उन्हें डर था की कही किसी ने नूरी को उनके मंदिर या घर से निकलते हुए देख लिया तो कोई गड़बड़ न हो जाएँ ..तभी उन्हें गिरधर का ध्यान आया ..और उसको दिए हुए वादे का भी ..जिसमे उन्होंने नूरी की चूत उसे दिलवाने की बात कही थी ..
पंडित : "देखो ..तुम्हारा यहाँ आना खतरे से खाली नहीं है ..हमें कहीं और चलना होगा ..''
नूरी : "कहीं भी ले चलो पंडित जी ..बस आज की रात मुझे जी भर कर चोदो ...किसी और के लंड में वो बात नहीं है जो आपमे हैं ..''
पंडित : "चलो , आज मैं तुम्हारी डबल ठुकाई करवाता हु ..मैं और मेरा दोस्त तुम्हारी अच्छे से खातिरदारी करेंगे ..''
नूरी : "आपका दोस्त ...मतलब आप मुझे किसी और से भी चुदवाना चाहते हैं ..वाव पंडित जी ....आप मेरे बारे में कितना सोचते हैं ..''
उसके दिमाग में तो एक साथ 2 -2 लंड आने भी शुरू हो गए थे ..जैसे केडबरी शॉट्स की ऐड में होता है ..मन में लड्डू फूटा , अब दूसरा लड्डू फूटा ...
पंडित जी को आशा भी नहीं थी की वो इतनी जल्दी मान जायेगी ..उन्होंने जल्दी से गिरधर को फ़ोन मिलाया और उसे सारी बात सुनाई ..जिसे सुनकर वो ख़ुशी से पागल ही हो गया ..वो इस वक़्त मार्किट में था, पर पंडित जी ने उसे अपनी मज़बूरी बताई की वो उसकी चुदाई अपने कमरे में नहीं कर सकते ,इसलिए उन्होंने उसके घर पर आने को पुछा, जिसे वो झट से मान गया, क्योंकि अब माधवी और रितु भी जानती थी की सभी के बीच क्या चल रहा है ..और वैसे भी गिरधर रितु से आधे मजे तो ले ही चुका था , उसकी चूत को खिड़की में चूसकर ...हो सकता है इसी बहाने आज रितु की चूत भी मिल जाए .. , माधवी भी ये सब जानती थी ..इसलिए उसे पूरा विशवास था की माधवी के सामने वो नूरी की चुदाई करेगा तो भी वो कुछ नहीं कहेगी ..
पंडित जी नूरी को लेकर गिरधर के घर की तरफ चल दिए ..दरवाजा रितु ने खोला
रितु : "ओहो ...पंडित जी ..क्या बात है ..आज हमारी याद कैसे आ गयी ..''
वो तो ख़ुशी के मारे उनसे लिपटने जा रही थी, तभी उसने नूरी को देखा ..और एकदम से पीछे हट गयी ..
पंडित जी नूरी को लेकर अन्दर आ गए ..
पंडित : "तुम्हारी मम्मी कहाँ है ..दिखाई नहीं दे रही ..''
रितु : "जी ..वो दरजी के पास गयी है ..दस मिनट तक आ जाएँगी ..पर ..ये कौन है ..पंडित जी ..''
पंडित जी कुछ बोल पाते इससे पहले ही नूरी बोल पड़ी : "मेरा नाम नूरी है ..और तुम मुझे अपनी सहेली समझो ..सुभानअल्लाह ..कितनी खूबसूरत हो तुम ..कायनात की सारी सुन्दरता तुम्हारे अन्दर समां गयी है जैसे ...''
अपनी तारीफ सुनकर रितु शरमा गयी ..पिंक कलर की टी शर्ट पहनी हुई थी और खुले बालों में वो क़यामत लग रही थी ..
सभी लोग अन्दर आ गए और फिर तो नूरी ने रितु की तारीफों के पुल बांध दिए ..अचानक पंडित जी को लगा की नूरी, रितु में कुछ ज्यादा ही रूचि ले रही है ..वो कुछ -२ समझ तो रहे थे पर पूरा कन्फर्म नहीं थे, उन्होंने मन ही मन कुछ सोचा और अचानक उन्होंने रितु से कहा : "रितु ...तुम ये अपनी टी शर्ट उतारो जरा ..और मेरे पास आओ ...''
रितु को अपने कानों पर विशवास ही नहीं हुआ, पंडित जी किसी और लड़की के सामने उसे कपडे उतारने को कह रहे हैं ..वैसे तो पंडित जी को देखते ही उसकी चूत में रसीला रसायन निकलना शुरू हो गया था, पर पंडित जी के साथ आई नूरी की वजह से वो अब तक चुप थी ..पर पंडित जी के आदेश को वो मना भी नहीं कर सकती थी ..इसलिए उसने अपना सर नीचे झुका लिया और शर्माते हुए अपनी टी शर्ट को उतार कर नीचे फेंक दिया ..
नूरी तो ये देखकर अपनी आँखे फाड़े पंडित जी को देखती रह गयी ..वो अब तक समझ चुकी थी की पंडित जी ने कहाँ -२ रायता फैला रखा है ..पर रितु की तरफ देखते ही उसके अन्दर की शैतान जाग उठी ..दरअसल जब से उसने रितु को देखा था उसे अपनी कजिन यास्मिन की याद आ रही थी, जिसके साथ उसने शादी से पहले काफी मजे लिए थे , वो दोनों अक्सर एक दुसरे के साथ 69 की पोजीशन में मजे लेते थे ..उसका रंग रूप , मुम्मों का साईज बिलकुल रितु जैसा ही था ..और अब तो रितु के अपनी टी शर्ट भी उतार दी थी, उसके ब्रा में कैद मुम्में और तने हुए निप्पलस को देखकर उसका भी बुरा हाल था ..
पंडित जी जानते थे की वो क्या कर रहे हैं ..गिरधर को अभी आने में टाईम था और माधवी भी थोड़ी देर से ही आएगी , और वैसे भी गिरधर के आने के बाद चुदाई तो होनी ही थी, इसलिए वो पहले सभी को तैयार करना चाहते थे ..
रितु की टी शर्ट उतारते ही नूरी ने भी बिना बोले अपनी टी शर्ट और फिर ब्रा भी एक ही झटके में उतार फेंकी ..उसकी भरवाँ छातियाँ देखकर रितु की चूत का रसायन बाहर निकलकर टपकने जैसी हालत में हो गया ..
पंडित : "शरमाओ नहीं रितु ...आगे आओ ..और मजे लो ...''
रितु जानती थी की पंडित जी के रहते हुए उसे अपने मम्मी पापा से डरने की जरुरत नहीं है ..वो सकुचाते हुए आगे आई और नूरी के सामने आकर खड़ी हो गयी ..नूरी ने अपने हाथ ऊपर किये और रितु की ब्रा के स्ट्रेप को नीचे गिरा दिया ..उसके संतरे अपनी लालिमा बिखेरते हुए उसके सामने निकल आये ..
''ओहो .......कितने सुन्दर है ये ...सिंदूरी आम ..''
और रितु कुछ कह पाती , इससे पहले ही नूरी ने नीचे झुककर उसकी दांयी चूची को मुंह में भरा और उसे केवेंडर के स्ट्रोबेरी दूध की तरह पीने लगी ..
रितु ने उसके सर को पकड़ा और अपनी छाती से जोर से दबा लिया ..और अपने आपको उसके हवाले कर दिया ..
पंडित जी के सामने 4 गेंदे थी और वो भी भरी हुई और नंगी ..उनका तो एक मिनट के अन्दर ही खड़ा हो गया ..
अपनी धोती को खोलकर उन्होंने नीचे गिरा दिया और अपनी सिपाही को आजाद कर दिया ..और उसके ऊपर अपनी उँगलियाँ लपेट कर उसे आने वाली जंग के लिए खड़ा तैयार करने लगे ....
नूरी ने पलक झपकते ही अपनी जींस भी उतार कर नीचे खिसका दी और अपने हाथों से रितु की जींस खोलकर उसे भी मज्झू नंगा कर दिया ..
अपने हाथ की उँगलियों को उसके ग्लोबस पर फेराते हुए नूरी बड़े ही चाव से उसके दानो को चबा रही थी ..अब तक रितु भी गर्म हो चुकी थी ..नूरी ने एक ही झटके से रितु को पकड़ा और उसके होंठों को चूसने लगी ..और स्मूच करते - २ वो उसे अपने बेड तक ले आई और उसे वहां लिटा कर उसके ऊपर सवार हो गयी ..
दो नंगे जिस्म एक दुसरे से गुत्थम गुत्था कर रहे थे ...
नूरी ने रितु की टांग उठाकर ऊपर की और अपनी दो उँगलियाँ एक साथ उसकी लबाबदार चूत के अन्दर घुसा डाली ..और तेजी से अन्दर बाहर करने लगी ...
रितु का तो मुंह खुला का खुला रह गया ..
कहने को तो ये दोनों आज पहली बार मिली थी ..पर अब इन्हें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे ये दोनों एक दुसरे को बरसों से जानती हो ..सेक्स का रिश्ता है ही ऐसा ..अनजान इंसान को भी एक दुसरे में डुबो सा देता है ..
रितु को आज तक उसे ऐसी फील नहीं मिली थी ..संगीता ने भी पहले ये सब किया था उसके साथ ..पर नूरी के हाथों में तो जैसे जादू था ..वो उसकी चूत पर उँगलियाँ फेराकर उसके अन्दर का तूफ़ान बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी ..
और तूफ़ान को जल्दी निकालने के लिए उसे मालुम था क्या करना है ..
नूरी ने अपना सर नीचे किया और झुककर रितु के नन्हे मुन्ने निप्पल को अपने मुंह में डाल लिया और उसे चूसने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह ......नूरी .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ो ऒ। ........जोर से चुसो .....इसे .....अह्ह्ह्ह ... ''
रितु का हाथ अपने आप अपनी चूत के ऊपर चला गया और उसे मसलने लगी ..चूत के अन्दर तो पहले से ही नूरी की उँगलियाँ अपना कमाल दिखा रही थी ..
अब तो रितु से सहन करना मुश्किल सा हो गया ...उसका मुंह सूखने सा लगा ..उसे अजीब से प्यार लगने लगी थी ..चूत के रस की प्यास ..उसने अपने हाथ की वो ऊँगली जिन्हें वो चूत पर मसल रही थी, ऊपर की और उन्हें चाट लिया ...
''सड़प ......सड़प . ......उम्म्म्म्म्म्म .....''
उसने एक मिनट भी नहीं लगाया अपनी गीली उँगलियों को सुखाने में ..
पर उसके नथुनों में नूरी की चूत के रस की मादकता भी टकरा रही थी ..एक नशा सा तैर रहा था वहां के माहोल में ..उसकी चूत से निकल रहा रूह अफजा और नूरी की चूत की फ्रूटी मिलकर एक अजीब ही गंध पैदा कर रहे थे ..
वो बदहवास सी हो गयी ..और उसने एक ही पल में नूरी को धोपी छाप पटकनी दी और उसके ऊपर सवार होकर 69 की पोजीशन में आ गयी और अगले ही पल अपने थरथराते हुए होंठ उसने नूरी की दहकती हुई चूत पर रख दिए और गरमा गरम व्यंजन खाने लगी ...
नूरी का अब बुरा हाल होने लगा था उसकी चूत को आज तक इतनी बेदर्दी से किसी ने नहीं चूसा था ..ऐसा लग रहा था जैसे रितु बरसों की प्यासी है और उसके अन्दर का सार जूस पी जायेगी वो ..
उसने बड़ी मुश्किल से अपने आप पर काबू पाया और अपने खुले हुए मुंह को ऊपर लटकी हुई चूत से लगा कर वहां से निकल रहा कामरस पीने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म .......येस्सस्सस्स .......पी ओ .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म्म्म ....उह्ह्ह्ह ......माय .....गॉड .....येस्स्स्स ....''
दोनों ने एक दुसरे की चूतों को चूसकर ओर्गास्म के निकट पहुंचा दिया ..और अगले ही पल दोनों की चूतों के अन्दर से ऐसा बाँध टूटा की सामने की तरफ लगा हुआ मुंह पूरा भर गया ..दोनों के मुंह पुरे गीले हो गए ..मीठे पानी को जितना पी सकते थे , पी गए और बाकी नीचे बह गया ..
तभी बाहर से डोर बेल बजी ...पंडित जी ने उन्हें इशारे से ऐसे ही लेटे रहने को कहा और खुद दरवाजा खोलने चल दिए ..
पंडित ने दरवाजा खोला , बाहर माधुरी खड़ी थी ..पंडित जी को अपने घर का दरवाजा खोलते देख वो हैरान रह गयी ...
माधवी : " अरे ...पंडित जी ..आप ...और हमारे घर पर ..''
उसके मन में डर बैठ गया की कहीं पंडित जी उसकी बेटी रितु को तो नहीं चोद रहे थे उसकी अनुपस्थिति में ..माँ कुछ भी सहन कर सकती है पर अपनी बेटी की चुदाई की बात सहन नहीं कर सकती ..और यही कारण था की आज तक इतना कुछ हो जाने के बाद भी उसने अपने पति की इच्छा (रितु को चोदने की) कभी पूरी नहीं होने दी ....पर वो शायद आज नहीं जानती थी की पंडित जी ने क्या प्रोग्राम बनाया है ..
पंडित : "हाँ ..मैं ...आओ अन्दर आओ ..सब बताता हु .."
माधवी अन्दर आ गयी और पंडित जी ने फिर से दरवाजा बंद कर दिया ..
अन्दर आकर पंडित जी ने माधवी को पीछे से पकड़ लिया और उसके मुम्मों को दबाने लगे ..
माधवी के पुरे शरीर में तरंगे सी उठने लगी ..
माधवी : "ओह्ह ..पंडित जी ...ये क्या कर रहे हो ..रितु घर पर ही है ...उम्म्म्म्म "
पंडित उसके कान में फुसफुसाया : "पता है ..पर अभी वो बिजी है ..''
और इतना कहकर पंडित जी उसे खिड़की के पास ले गए , जहाँ से बेडरूम का नजारा साफ़ दिख रहा था ..और वहां उसने देखा की उसकी बेटी रितु नंगी पड़ी हुई है ..और नूरी उसकी चूत से निकल रहा हलवा अपनी उँगलियों से खा रही है ..और उसे चूम भी रही थी ..
माधवी के पुरे शरीर में करंट सा दौड़ गया ..अपनी बेटी के नंगे शरीर को देखकर उसके मुंह से कुछ निकल ही नहीं रहा था ..उसे थोडा -२ शक सा तो था की उसकी बेटी के साथ भी पंडित जी वो सब कर चुके हैं, पर अपनी हवस को शांत करने की चाहत में उसने कभी इस बात के लिए सीधे शब्दों में पंडित जी से कुछ नहीं पूछा था ..और अभी भी अन्दर आते हुए उसने यही सोचा था की पंडित जी और रितु कुछ कर रहे होंगे ..पर यहाँ तो उसकी बेटी किसी और लड़की के साथ नंगी पड़ी हुई मजे ले रही है ..
पंडित जी उसके शरीर से पूरी तरह से लिपट गए और उसके कानों में उसके प्रश्नों का निवारण करना शुरू किया
"तुम यही सोच रही हो न की ये लड़की कौन है ..और मैं और ये यहाँ क्या कर रहे हैं ..तो सुनो ..इसका नाम नूरी है ..और ये उसी मुल्लाजी की लड़की है, जिन्होंने तुम्हे बीच सड़क पर चोदा था ..वैसे तो मैं इस लड़की को यहाँ लाया था गिरधर के लिए, क्योंकि उसकी वजह से इस लड़की की एक इच्छा पूरी हुई थी इसलिए उसके इनाम स्वरुप आज गिरधर इसकी चुदाई करेगा ..''
पंडित जी ने इरफ़ान और गिरधर की मिलीभगत से उसकी चुदाई का किस्सा भी साफ़ कर दिया ..
माधवी पंडित जी की बात सुनकर हैरानी से उन्हें देखने लगी ..
पंडित जी आगे बोले : "और वैसे भी, मुझे तुम्हारी बहुत याद आ रही थी ..दो दिनों से तुम्हारी चूत के लिए तड़प रहा हु मैं ..''
पंडित जी ने माधवी को खुश करने के लिए चारा फेंका ..और माधवी उनकी ये बात सुनकर अन्दर ही अन्दर तड़प सी गयी ..
पंडित : "और मैं इसे आज यहाँ इसलिए लाया था की जब गिरधर इसकी चुदाई करेगा तो उसके सामने ही मैं तुम्हे भी चोदुंगा ..ताकि आगे के लिए भी हमें कोई परेशानी न हो ..''
माधवी : "पर ...पर ..ये रितु भी तो है यहाँ ...अभी बच्ची है वो ..''
पंडित : "ये तुम्हे बच्ची लग रही है ..बच्चे पैदा करने की उम्र हो गयी है इसकी ..और तुम्हारी जानकारी के लिए बता दू की ये अब कुंवारी नहीं रही ..तुम्हारी तरह ये भी मेरे लंड के मजे ले चुकी है ..''
माधवी ने कुछ नहीं कहा ..जैसे वो जानती थी की उसकी बेटी चुद चुकी है ..पंडित जी से ..
माधवी : "पर पंडित जी ..समझने की कोशिश करिए ..रितु के सामने जब गिरधर और नूरी , मैं और आप चुदाई करेंगे तो वो क्या सोचेगी ..अपने माँ बाप के बारे में ..और अगर गिरधर ने अपनी बेटी के साथ कुछ करना चाहा तो मैं कैसे रोक सकुंगी उसको ..''
पंडित : "देखो ..माधवी ..जो होना है,उसको होने दो ..और तुम भी जानती हो की एक न एक दिन वो होकर ही है ..और वैसे भी ..वो दोनों आधा काम तो कर ही चुके हैं ..''
इतना कहकर पंडित जी ने रितु और गिरधर का खिड़की वाला उसे सुना दिया ..जिसे सुनकर माधवी को भी लगा की पंडित जी शायद सही कह रहे हैं ..वो भी तो खुल कर मजे ले रही है अब अपनी जिन्दगी के ..पहले पंडित जी से लिए और फिर उस रात रंडी की तरह सड़क पर चुदकर मुल्लाजी (इरफ़ान) से भी .. अब तो सिर्फ थोड़े बहुत परदे ही रह गए हैं ..जो जितनी जल्दी हो सके, गिर जाएँ तो ही अच्छा है ..
पंडित जी अपनी बात कहते भी जा रहे थे और माधवी की चूत की मालिश भी कर रहे थे ..उसकी सलवार का कपडा गिला हो चूका था ..
पंडित : "चलो ..अन्दर चलो ..पहले अपनी बेटी के सामने तो अपनी शरम उतार लो ..''
वो चुपचाप उनके साथ अन्दर की तरफ चल दी ..
अपनी माँ को पंडित जी के साथ अन्दर आते देखकर रितु पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा ..वो आराम से वैसे ही पड़ी रही और नूरी से अपनी चूत चुसवाती रही ..
रितु (नूरी से) : "नूरी ...ये मेरी माँ है ..''
नूरी ने अपना गिला चेहरा बाहर निकाला और माधवी की तरफ देखकर बोली :"हाय आंटी ..मेरा नाम नूरी है ..''
माधवी ने मुस्कुरा कर उसकी हाय का जवाब दिया ..और उसके बाद नूरी फिर से रितु की चूत का खजाना ढूंढने उसके अन्दर घुस गयी ..
माधवी को पंडित जी ने अपने सामने बिठाया और अपनी धोती खोल कर उसके सामने अपना लंड पेश कर दिया ..माधवी ने एक नजर रितु की तरफ डाली ..जिसने इशारे से पंडित जी का लंड चूसने के लिए कहा ..उसने बिना आवाज निकाले अपने होंठ हिला कर कहा : "कम ओन माँ ..सक इट ...''
और फिर हुए माधवी ने पंडित जी के नागराज को अपनी गिरफ्त में लिया और अपने मुंह की बाबी में डाल कर उसे चूसने लगी ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म ...........माधवी ......अह्ह्ह्ह्ह ..... ..तुमसे अच्छा मेरा लंड कोई नहीं
चूसता .....अह्ह्ह्ह ....''
पंडित जी का इतना बोलना था की नूरी और रितु ने एक साथ बोला : "अच्छा जी ..''
रितु : "हम भी तो देखे की ऐसा क्या ख़ास तरीका है मम्मी का ..''
और वो उछल कर बेड से नीचे आ गयी और अपनी माँ की बगल में आकर बैठ गयी ..उसके पीछे-२ नूरी भी आ गयी और माधवी के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी ..
पंडित जी (हँसते हुए ) : "लो माधवी ..अब जरा इन लड़कियों को भी बताओ ..की ऐसा क्या तरीका है तुम्हारे पास ..सिखाओ इन्हें भी कुछ ..ताकि इन्हें आगे वो सब काम आये ..''
पंडित जी की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो उठा ..उसने शर्माते हुए पंडित जी के लंड की खाल को वापिस ऊपर चडाया और फिर अपने मुंह में लेकर उसे अपने होंठों से नीचे तक ले गयी ..
नूरी : "वाव ...आंटी . यु आर टू गुड ....''
अपनी तारीफ सुनकर वो काफी खुश हुई और दुगनी तेजी से पंडित जी के लंड को चूसने लगी ..
पंडित जी ने आगे हाथ करके माधवी के मोटे मुम्मों को पकड़ लिया ..पर उसने जो सूट पहना हुआ था उसमे से वो निकल नहीं रहे थे ..पंडित जी ने रितु को इशारा करके उसे उतारने को कहा ..और रितु ने ख़ुशी - २ उनकी बात मानते हुए अपनी माँ के सूट को नीचे से पकड़ा और उसे ऊपर से घुमा कर उतार दिया ..और फिर पीछे जाकर उसने अपनी माँ की ब्रा भी खोल दी ..
ब्रा के उतारते ही माधवी की मोटी छातियाँ तीर की तरह निकल कर बाहर आई ..
नूरी : "वाव आंटी ..क्या ब्रेस्ट है आपकी ...इतनी मोटी ...और कड़क ..''
इतना कहकर वो नीचे झुकी और उसने माधवी के एक स्तन को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया ..दूसरी तरफ से रितु से भी नहीं रहा गया और वो भी अपनी माँ की दूसरी ब्रैस्ट को पकड़कर चूसने लगी और जैसे बचपन में उसका दूध पीती थी, वैसे ही आज फिर से पीने लगी ..
और थोड़ी देर बाद जब उन दोनों का पेट भर गया तो उन्होंने माधवी को छोड़ दिया और रितु ने पंडित जजी के लंड को पकड़कर फिर से अपनी माँ के मुंह में डाल दिया ..पंडित जी ने दांयी तरफ हाथ करके नूरी के मुम्मे पकडे और उन्हें दबाने लगे ..और फिर बांयी और बैठी रितु के मुम्मों को भी उन्होंने निचोड़ डाला ..उनके सामने 3 जोड़े मोटे और भरे हुए मुम्मे थे , जिन्हें वो एक-२ करके दबा रहे थे ..
आज उन्होंने प्रियंका और शिप्रा की बुरी तरह से चुदाई की थी, उन्हें पहले तो लग रहा था की उनके अन्दर अब कुछ नहीं बचा है ..पर माधवी के चूसने के बाद उन्हें ऐसा लगने लगा की अगली चुदाई वो ज्यादा देर तक और ज्यादा भयंकर तरीके से कर सकते हैं ..
वैसे दोस्तों, ये बात तो आप भी मानेंगे ..अगर आपका अपनी बीबी या गर्लफ्रेंड के साथ रात की चुदाई का कोई प्लान है तो सुबह ही अपने लंड को मास्टरबेट करके एक बार शांत कर लो ..फिर देखना आप ..रात की चुदाई ज्यादा देर तक और मजेदार हो जायेगी ..आपका पार्टनर भी खुश और आप भी ..
खेर ..पंडित जी का स्टेमिना तो वैसे भी सबसे अलग है ..उनके ऊपर हमारी लाइफ की ये बातें लागू ही नहीं होती ..
और सुबह 2 की चूत मारने के बाद अब तो पंडित जी का ओर्गास्म होने में भी टाइम लगना था ..
पंडित (रितु से): "अब तुमने देख लिया न की किस तरह से तुम्हारी माँ चूस रही थी मेरा लंड ..अब तुम दोनों दिखाओ ..क्या सीखा तुमने .."
रितु और नूरी दोनों एक साथ आगे आई और पंडित जी के खड़े हुए लंड को दोनों तरफ से अपने होंठों के बीच लेकर उसे जोर -२ से चूसने लगी ..साथ ही साथ दोनों आपस में फ्रेंच किस भी कर रही थी ..और उस किस्स के अन्दर पंडित जी का लंड भी पिस रहा था ..
अब उनके लंड की फटने वाली हालत हो रही थी ..वो सोचने लगे, अगर इन जंगली बिल्लियों को नहीं हटाया तो वो दोनों मिलकर उनके लंड की बोटियाँ तक गटक जायेंगी ..उन्होंने बड़ी मुश्किल से अपने लंड को उनके चुंगल से छुड़ाया और बिना कोई देरी किये माधवी को लेकर बेड की तरफ चल दिए और वहां जाकर लेट गए ..नूरी और रितु ने माधवी को खड़ा किया और उसके नीचे के कपडे भी उतार डाले ..और फिर उसको नंगा करने के बाद दोनों ने माधवी की बाहें पकड़ी और उसे किसी दुल्हन की तरह से 'नंगे दुल्हे' के पास ले जाने लगे ..
एक साथ 3-3 नंगे जिस्म पंडित जी की तरफ आ रहे थे ..उन्होंने अपने लंड पर थूक से भरा हुआ हाथ फेरा और माधवी को ऊँगली के इशारे से जल्दी से अपनी तरफ आने को कहा ..
बेड पर माधवी को चडाने के बाद, रितु और नूरी सोफे पर जाकर बैठ गए और पंडित जी और माधवी की चुदाई का इन्तजार करने लगे ..
पंडित जी ने माधवी को अपने ऊपर खींचा और उसके होंठों को जोर -२ से चूसने लगे ..फिर उन्होंने उसे घोड़ी बनाया और उन्होंने अपना हाथ नीचे किया और अपने लंड को उसकी चूत के ऊपर लगा कर धीरे से उसकी चूत से निकल रहे रस का प्रयोग करते हुए अपना लंड उसके अन्दर खिसका दिया ..
और तेजी से झटके मारने लगा ..
''ओह्ह्ह्ह पंडित जी ........उम्म्म्म्म ...जोर से ....अह्ह्ह्ह ......और जोर से .....''
पंडित : "साली ......अपनी बेटी के सामने चुद रही है ....तेरी जैसी रांड तो आज तक नहीं देखि ....अह्ह्ह ....ये ले .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
माधवी : "उम्म्म्म्म .....आपका लंड है ही इतना मस्त .....बेटी हो या पति ...किसी से भी शरम नहीं रह गयी अब तो ...अह्ह्ह्ह ....आप तो बस चोदो मुझे ...बोलो कम ..और ..चोदो ज्यादा ...अह्ह्ह्ह्ह .... उम्म्म्म्म्म्म्म्म ..... येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स .....''
और अगले ही पल उसकी चूत का तूफ़ान एक जोरदार धमाके के साथ बाहर की तरफ उछल आया ..और पंडित जी के लंड को बाहर की तरफ धकेल कर उसकी चूत से एक जोरदार फव्वारा निकला ..जिसमे था उसकी चूत का रस और ढेर सार पेशाब ...जिसे इतनी देर से अपने अन्दर दबा कर रखने की वजह से वो अब एक ज्वालामुखी की तरह चूत के रस के साथ बाहर की तरफ निकल रहा था ..
और गहरी साँसे लेती हुई माधवी वहीँ पर निढाल सी होकर लेट गयी ..पंडित जी के लंड का झंडा अभी भी लहरा रहा था ..
तभी दोबारा से बेल बजी ..और सभी जानते थे की इस बार गिरधर होगा बाहर ..
सभी नंगे पड़े थे वहां ..
जैसे ही माधवी एक चादर से अपने शरीर को ढककर उठकर जाने लगी दरवाजा खोलने ..पंडित जी ने उसे रोक दिया और उसकी चादर उतार कर फेंक दी और उसे फिर से नंगा करके अपने साथ लिटा लिया ..और रितु से बोले : "जाओ ..तुम्हारे पापा आये हैं ..उन्हें अन्दर लेकर आओ ..ऐसे ही जाना ..नंगी ''
उनकी बात सुनकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..और वो धीरे से उठकर बाहर की तरफ चल दी .
अपने पापा को लेने .
बेडरूम से निकल कर रितु बाहर ड्राइंगरूम तक आई और दरवाजे तक जाते हुए उसकी साँसे उखड सी रही थी ..चाल में एक अजीब सा नशीलापन आ चूका था ..आँखे में लाल डोरे तैर रहे थे , चूत से रिस रहे पानी में ज्यादा चिपचिपापन आ चूका था , गांड की मांसपेशियां कुछ ज्यादा ही थिरक रही थी ..हर कदम से मुम्मों में थरथराहट और भी ज्यादा हो रही थी ..इतनी उत्तेजना तो उसे पहली बार पंडित जी से चुदवाने में भी नहीं हुई थी ..शायद वो भी अन्दर से जानती थी की आज उसकी और उसके पापा दोनों की इच्छा पूरी होकर रहेगी ..
रितु ने ड्राइंगरूम की लाइट बंद कर दी , क्योंकि वो पूरी नंगी थी और उसे रौशनी में शर्म आ रही थी ..पूरा अँधेरा हो जाने के बाद उसने धीरे से दरवाजा खोल दिया .
बाहर गिरधर ही था , वो जल्दी से अन्दर आया पर अँधेरा होने की वजह से कोई दिखाई नहीं दिया, उसने पलट कर जैसे ही दरवाजा बंद किया , रितु झट से जाकर उसकी पीठ से जाकर चिपक गयी ..और अपने पापा की बाजुओं के नीचे से हाथ निकालते हुए उसके कंधो को अपने हाथों से पकड़ लिया ..और गहरी साँसे लेने लगी .
अँधेरा होने की वजह से गिरधर को कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था ..उसने हाथ पीछे करके टटोला की कौन है ..और जैसे ही उसके हाथ रितु की नंगी गांड से टकराए , उसका लंड पागल सांड की तरह हुंकारने लगा . वो तो पुरे रास्ते सिर्फ नूरी के बारे में सोचता हुआ आ रहा था , इसलिए अब भी उसके जहन में सिर्फ नूरी ही घूम रही थी ..और उसे लगा की पंडित जी के कहने पर ही नूरी इस तरह से आकर लिपटी है ..रितु के बारे में तो उसका दिमाग सोच ही नहीं रहा था . वो भी कुछ ना बोला ..और उसके गुदाज शरीर को दबोचने का मजा लेने लगा .
गिरधर अपने हाथ पीछे करके उसके मोटे चूतड मसल रहा था ..और रितु अपनी नुकीली छातियाँ उसकी कमर में चुभा कर उसे तडपा रही थी. रितु ने हाथ आगे करके गिरधर के कुर्ते के बटन खोल दिए और उसे ऊपर खींचकर उतारने लगी ..और जैसे ही गिरधर ने अपने हाथ ऊपर करके कुर्ते को उतारा वो झट से आगे की तरफ आ गयी और अपने पापा के पसीने से भीगे शरीर से चिपक गयी ..
अब हुआ था असली मिलन ..नंगे जिस्मो का .. अंगो का ..आत्माओ का ..
रितु के मोटे मुम्मों का लरजता हुआ मांस गिरधर की चोडी और कसी हुई छाती पर पिस्स रहा था ..गिरधर को अब तक पता नहीं चल पाया था की वो नूरी नहीं उसकी बेटी रितु है ..उसने रितु के नंगे शरीर पर अपने खुरदुरे हाथ फेराने शुरू करे और जैसे ही उसने अपने हाथों में उसके दोनों मुम्मों को पकड़कर जोर से भींचा ..रितु का पूरा शरीर ऐंठ सा गया ..और वो अपने पंजों के बल खड़ी होकर ऊपर की तरफ लहरा गयी ..और अपने होंठों के करीब आते ही गिरधर ने उसके होंठों को दबोचा और उनका रस पीने लगा ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....उम्म्म्म्म्म्म्म ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पुच्च्छ्ह्ह्ह ....''
रितु को तो ऐसा लगा की उसकी चूत का रस ऊपर की तरफ जा रहा है और उसके मुंह से होता हुआ गिरधर के मुंह में पहुँच रहा है ..जिसे गिरधर ऐसे पी रहा था जैसे बरसों का प्यासा हो वो ..
इसी बीच रितु के पेट पर उसके पापा के लंड ने दस्तक दी ..और अपने छोटे भाई की पुकार
सुनकर रितु के हाथ भी उसे टटोलने के लिए निकल पड़े ..और जैसे ही रितु ने गिरधर की धोती खोलकर, उसके कच्छे को नीचे खिसका कर, उसके कड़क लंड को अपने हाथों में पकड़ा , गिरधर के किस्स करने की स्पीड और भी बढ गयी ..रितु को ऐसा लगा की आज तो उसके होंठों को नोचकर ही खा जायेंगे उसके पापाजी ..
अँधेरा कमरा सिर्फ दोनों की सिस्कारियों से गूँज रहा था ..गिरधर ने अपने हाथों के रितु की गांड के दोनों तरबूजों को पकड़ रखा था और उनके गुदाजपन को अपनी उँगलियों से मसल कर मजे ले रहा था ..
अचानक गिरधर ने अपना मुंह नीचे किया और अपनी बेटी के दांये मुम्मे को अपने मुंह में डाल कर जोर से चुप्पा मारा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..... स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .....उम्म्म्म्म्म्म्म्म .......''
उसकी सकिंग पावर इतनी तेज थी की रितु का पूरा शरीर झनझना सा गया, जैसे किसी ने उसके शरीर पर बिजली की नंगी तार छुआ दी हो ..वो किसी बंदरिया की तरह उछल कर गिरधर की गोद में चढ़ गयी और अपनी टाँगे उसकी कमर से लपेट कर उसके सर को अपनी छाती पर जोर से दबा दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म्म्म्म्म्म .....येस्स्स्स .........सक्क्क्क्क .......मीई .....................''
गिरधर के सर पर तो वासना का ऐसा भूत चड़ा हुआ था की उसे अपनी बेटी की आवाज भी नहीं पहचानी गयी ..वैसे भी चुदाई के समय निकली आवाजें अलग ही तरह की होती है , आसानी से पहचानी नहीं जाती .
अपना आधा किलो से ज्यादा दूध अपने पापा को पिलाने के बाद रितु ने अपना दूसरा मुम्मा भी उनके मुंह में ठूस दिया ..और वहां का कोटा भी खाली कराने लगी .
गिरधर का लंड उसकी गांड से टकरा रहा था ..और मूक भाषा में एक सन्देश उसे पहुंचा रहा था , गिरधर ने रितु की गांड के दोनों पाटों को पकड़कर दोनों तरफ फेला दिया और अपने लंड को वहां की गली में फंसा कर उसके पाट वापिस बंद कर दिए ..
''उम्म्म्म्म्म्म्म ........अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......''
गिरधर का लंबा लंड , रितु की चूत से टकराता हुआ, उसकी गांड के छेद को अपनी गर्मी का एहसास कराता हुआ , दोनों छेदों पर सिर्फ बाहर से ही धस्से लगा रहा था ..जिन्हें महसूस करके रितु पागल सी होती जा रही थी ..अब उससे सहन करना भी मुश्किल गो गया, उसके मुंह से मार्मिक सी चीत्कार निकली ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....पापा .......डाल भी दो न .....डालो अपना मोटा लंड मेरी चूत में ....चोद डालो आज अपनी रितु को ....''
अपनी बेटी की आवाज सुनकर गिरधर मानो नींद से जागा ..और उसने जल्दी से कमरे की बत्ती जलाई ..
और रौशनी में दोनों के नंगे शरीर नहा उठे ..अपनी बेटी को नंगी अवस्था में देखकर गिरधर की समझ में कुछ नहीं आ रहा था ..जिसे वो इतनी देर से नूरी समझ रहा था वो उसकी खुद की बेटी थी ..जिसके होंठों को और स्तनों को वो इतनी देर से चूस रहा था, जिसके शरीर को वो अपने हाथों से रोंद रहा था, वो नूरी नहीं बल्कि रितु थी ..
और तभी पंडित जी की आवाज आई : "अरे रितु ....इतनी देर लगती है क्या दरवाजा खोलने में ..सब तुम्हारा अन्दर इन्तजार कर रहे हैं ..''
गिरधर और रितु ने वहां देखा तो पाया की पंडित जी के साथ -२ माधवी भी खड़ी है ..वैसे तो वो दोनों को नग्न अवस्था में देखकर कुछ नहीं बोल रही थी , पर उसकी आँखों से निकल रहे शोले उसका गुस्सा जरुर बयान कर रहे थे ..गिरधर ने चुपचाप अपना कच्छा उठाया और उसे पहन कर अन्दर की तरफ चल दिया ..रितु भी धीरे-२ अन्दर की तरफ चल दी ..
गिरधर ने अन्दर आकर देखा की वहां तो सब ही नंगे हैं ..उसकी पत्नी माधवी, बेटी रितु और साथ ही बिस्तर पर राजकुमारी की तरह विराजमान नूरी भी ..
वैसे तो नूरी को चोदने का ख़याल गिरधर के मन में कब से था, और आज वो मौका भी आ चुका था, जब वो उसके सामने नंगी बैठी हुई थी ..पर अब गिरधर का ध्यान सिर्फ और सिर्फ अपनी बेटी रितु के ऊपर था ..पर साथ ही साथ माधवी की कोप भरी नजरें भी उसे घूर रही थी ..
और पंडित जी भी ये सब नोट कर रहे थे ..वो समझ चुके थे की वहां क्या चल रहा है ..
पंडित जी (नूरी से ) : "नूरी ..यही है मेरा दोस्त ..चलो जरा दिखाओ अपना कमाल ..''
नूरी किसी नागिन की तरह से लहराती हुई बेड के किनारे तक आई ..और पेट के बल आकर गिरधर के सामने लेट गयी ..और एक ही झटके से उसने उसका कच्छा नीचे कर दिया ..और अगले ही पल गिरधर का नागराज किसी स्प्रिंग की तरह उछल कर उसके मुंह से आ टकराया ..जिसका साईज देखकर नूरी का मुंह खुला का खुला रह गया ..
अपनी आँखों के सामने अपने पापा के लंड को किसी और के हाथों में देखकर रितु का खून खोलने लगा ..
नूरी ने गिरधर के लंड को अपने हाथों की उँगलियों में कैद किया और उसे जोर से मसल कर अपने मुंह के पास ले गयी और एक तेज झटके के साथ ही उसने गिरधर के लंड को अपने मुंह में दाखिल करा दिया ..
'' अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......धीरे ....साली ....कुतिया .....काट मत ...''
''ही ही ...काटूँगी नहीं तो मजा कैसे आएगा साले ...'' नूरी ने अपनी चूत को चादर पर मसलते हुए कहा ..
और दूसरी तरफ, माधवी के निप्पल भी फिर से खड़े होने लगे ...उसके पति का लंड कोई इतनी अच्छी तरह से चूस रहा था, उसकी चूत में फिर से खुजली भरी लहरें उठने लगी ..उसने पंडित जी की तरफ देखा , पर उन्होंने कोई रिस्पोंस नहीं दिया ..सिर्फ अपने लंड को मसलते हुए गिरधर और नूरी का खेल देख रहे थे ..
रितु भी पंडित जी की बगल में बैठी हुई अपने पापा के लंड को किसी और का होता हुआ देख रही थी . पंडित जी के हाथ उसकी जाँघों पर आये और उसे सहलाकर सांत्वना देने लगे, जैसे उन्हें पता था की रितु के मन में क्या चल रहा है .
दूसरी तरफ से माधवी भी मटकती हुई पंडित जी के दूसरी तरफ आकर बैठ गयी और अपने हाथ को बड़ा कर उनके लंड को मसलने लगी ..पंडित जी ने रितु के हाथ को भी पकड़ा और अपने लंड पर ले आये, अब दोनों माँ बेटियां पंडित जी के लंड की मालिश करने में लगी हुई थी ..
अचानक माधवी ने अपने मुंह नीचे किया और पंडित जी के लंड को अपने मुंह में लेकर जोर से चूसने लगी ..रितु ने अपना हाथ वहां से हटा लिया .
पंडित जी का हाथ माधवी के पीछे से होकर उसकी चूत तक पहुंचा और अपनी दो उँगलियों को एक साथ अन्दर पेल कर उसकी चूत का बुरादा बाहर निकालने लगे .
दूसरी तरफ नूरी ने गिरधर के लंड के साथ -२ उसके टट्टे भी अपने मुंह में भर लिए और उन्हें चूसकर बाहर निकालने लगी ..उसने गिरधर के लंड वाले हिस्से को पूरी तरह से मालिश करके चमका दिया था .
अब तो नूरी की सहनशीलता की सीमा ही नहीं रही ..वो बिस्तर पर बिछ गयी ..और अपनी टाँगे खोल कर गिरधर की तरफ फेला दी ..और उसकी आँखों में देखकर बोली : "अब और मत तडपाओ ...जल्दी से डालो ये मुसल मेरी चूत में ...और रगड़ डालो मुझे ...''
उसकी आवाज सुनकर माधवी ने पंडित जी का लंड चूसना छोड़ दिया ..और जैसे खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है, वैसे ही नूरी की चूत को चुदने के लिए तेयार देखकर माधवी की चूत भी भड़क उठी चुदने के लिए ..और वो उछल कर पंडित जी की गोद में चढ़ गयी ..
पर गिरधर की नजरें अभी भी रितु की तरफ ही थी ... हाथ में लंड तो था, पर निशाने पर रितु की चूत थी ..
माधवी ने जैसे ही पंडित जी के लंड को अन्दर लेना चाहा पंडित जी ने रोक दिया ..
माधवी ने उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा ..
पंडित : "तुम तो अपने मजे ले रही हो ..पर जरा अपनी बच्ची की तरफ देखो ..जैसे तुम्हारी ख़ुशी है, वैसे उसकी ख़ुशी का भी तो ध्यान रखो ..अब बात सिर्फ गिरधर की बुरी नजर की नहीं रह गयी है, तुम्हारी बेटी भी यही चाहती है ..देख लो चाहे ..''
माधवी ने रितु के चेहरे की तरफ देखा ..रितु ने हाँ में सर हिला कर पंडित जी की बात में सहमति जताई ..
अब माधवी की चूत में भी खुजली हो रही थी, वो जानती थी की पंडित जी जान बुझकर ऐसे मौके पर ही रितु को गिरधर से चुदवाने की परमिशन मांग रहे हैं, जब उसकी चूत में उनका लंड जाने को तैयार है ..और ऐसे मौके पर ना नहीं निकलती ..
माधवी : "मुझे क्या ...जो चाहे करे ये ..जिसे चाहे चोदे ..चाहे अपनी बेटी की चूत मारे ...मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता ...आप बस मेरी चूत की प्यास बुझाओ अभी ...डालो अपना पठानी लंड ...मेरे अन्दर ...पंडित जी ...''
उसकी बात सुनते ही सभी के चेहरों पर हंसी आ गयी ..पंडित जी ने इशारा करके नूरी को अपने पास बुलाया ..वो भी ख़ुशी -२ उनकी तरफ आ गयी ..क्योंकि वो जानती थी की आज पंडित जी ने उसे डबल चुदाई का वादा किया है ..वो तो होकर ही रहेगी ..
उसके आते ही रितु किसी हिरनी की तरह छलांगे भारती हुई अपने पापा के पास पहुँच गयी और उनसे ऐसे लिपटी जैसे पकिस्तान की जेल में सजा काटकर आये हो वो ...
अब होना था , महासंग्राम ....
अपने तने हुए सीने से अपने पापा को चिपका कर रितु ने उनके कान में चिल्ला कर
कहा : "चल मेरी पापड़ी ....शरू हो जा ...आज दिखा दो अपनी बेटी को ..कितनी जान है आपके घोड़े में ..''
गिरधर का लंड तो पहले ही तैयार था जब से उसने नूरी की चूत देखि थी ..पर अब अपनी खुद की बेटी को अपने लंड के लिए तड़पता हुआ पाकर उस लंड की अकड़ में और भी कड़कपन आ चुका था ..आज तो उसे ऐसा महसूस हो रहा था की उसका लंड ख़ुशी के मारे फट ही ना जाए ..
रितु भी अपने पुरे शरीर को गिरधर पर ऐसे रगड़ रही थी जैसे वो खुद कोई साबुन की टिकिया हो ..अपने जिस्म की भीनी खुशबु को वो रगड़ -२ कर अपने पापा को अर्पित कर रही थी ..अपने नरम होंठों की अगुवाई में गर्म साँसों की तपन से वो जैसे स्टीम बाथ करवा रही थी गिरधर को .
अब गिरधर को भी बिना माधवी के डर के अपनी बेटी को चोदने की आजादी तो मिल ही चुकी थी ..
और दूसरी तरफ तड़पती हुई माधवी ने बिना देरी किये पंडित जी के होंठों को पकड़ा और उन्हें चूस कर अपनी प्यास का एहसास करवाया ..और अपना दूसरा हाथ नीचे लेजाकर उनके लिंग को अपनी योनि के द्वार पर लगाकर उनकी आँखों में देखा ...और फिर अपने शरीर का भार अपनी गांड के ऊपर डालकर उसने पंडित जी के लंड को अपने अन्दर विलीन कर लिया ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......पंडित जी .................कितना तड़पाते हो .... अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....''
और फिर धीरे-२ ऊपर नीचे होकर वो उनके लंड को अपनी गुफा की गहराईयों में ले जाने लगी ..
पंडित जी भी उसके हिलते हुए स्तनों को अपनी जीभ निकाल चाट रहे थे , उन्होंने अपने हाथों में उसके दोनों चूतडों को जोर से भींच रखा था ..और उनकी उँगलियाँ धीरे-२ सरकती हुई उसकी गांड के छेद पर भी पहुँच रही थी ..
नूरी बड़े आराम से बैठकर उनके ये खेल देख रही थी ..क्योंकि अगला नंबर उसका ही था ..
और बिस्तर पर अपनी बेटी रितु को पटक कर जैसे ही गिरधर खड़ा हुआ, वो झट से आकर उसके लंड के आगे आकर बैठ गयी और किसी पालतू कुतिया की तरह बड़े ही प्यार से अपने पापा की आँखों में देखने लगी ..जैसे लंड चूसने की परमिशन मांग रही हो ..गिरधर ने हाँ में सर हिला कर उसे आज्ञा दे दी ..और एक जोरदार झटके के साथ उसने गिरधर के लंड को अपने हाथों में पकड़ा और मुली की तरह से चूसना शुरू कर दिया ..
उसके चूसने की गति इतनी तेज थी की गिरधर से खड़ा होना भी मुश्किल हो रहा था ..उसकी टाँगे अपने आप टेडी सी होने लगी ..रितु ने गिरधर की गांड के ऊपर अपने हाथों का दबाव डाला और उसे अपनी तरफ खींचा और अपना पूरा मुंह खोलकर उसके लंड के साथ -२ उसकी गोटियाँ भी अपने मुंह में भर ली ..
गिरधर अपनी बेटी की कलाकारी देखकर आश्चर्य चकित था ..इतने छोटे से मुंह में उसने पुरे आठ इंच का लंड और साथ ही उसके टट्टे भी निगल लिए थे ..ऐसा लग रहा था जैसे उसका मुंह हलवे से ठूस कर भर दिया गया हो ..और वो अपने पापा को डीप थ्रोट फकिंग करवा रही थी ..
गिरधर आनद के मारे चीत्कार उठा
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........मेरी बेटी ......मेरी लाडो ....उम्म्म्म्म्म .....चूस अपने पापा का लोड़ा ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ .....क्या चूसती है ......मजा आ गया ..अह्ह्ह्ह .....''
अपने पापा के मुंह से अपनी तारीफ सुनकर वो और भी खुश हो गयी और अपनी गति में और तेजी लाकर उनके लंड को और अन्दर ले जाने लगी ..
गिरधर के लंड का सिरा रितु के गले के अन्दर और नीचे तक जा रहा था ..
और जैसे ही गिरधर को लगने लगा की अब उसके लंड का पानी निकलने वाला है, उसने जल्दी से अपना लंड वापिस खींच लिया ..
इसी बीच पंडित जी ने शांत बैठी हुई नूरी की तरफ देखा और उसे अपनी तरफ आने का इशारा किया ..वो मटकती हुई उनके पास आई ..उसकी चूत और मुंह से पानी टपक रहा था.
उन्होंने दुसरे बेड पर लेजाकर दोनों को लिटा दिया ..और अपने हाथों से दोनों की चूतों को मसलने लगे ..
नूरी और माधवी ऐसे तड़पने लगी जैसे बिन पानी मछली ...इतनी थिरकन थी पंडित जी की उँगलियों में की उनकी नानी याद दिला दी उन्होंने मसल - २ कर ..
अग्ग्ग्ग्ग्घ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ॊऒऒ ......पंडीत जी ....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्हॊऒऒऒ ....मत तडपाओ ....अह्ह्ह्ह्ह .......करो भी .....चोदो न….......''
अब एक साथ दो-२ गर्म औरतों को ठंडा करना हर किसी के बस की बात नहीं होती ..पंडित जी इतने ज्ञानी थे फिर भी उनके पसीने छूट रहे थे ऐसी स्थिति को काबू में करने के लिए .
पंडित जी ने माधवी की टाँगे चोडी करी और खुद उसके सामने आ गए और अपने लंड को उसकी चूत पर रख दिया ..और नूरी को सामने लाकर माधवी के चेहरे पर बिठा दिया ..जैसे ही माधवी की जीभ नूरी की रसीली चूत के अन्दर घुसी वो आवेश में आकर अपनी चूत को माधवी के मुंह पर रगड़ने लगी ...
इसी बीच पंडित जी ने अपने लंड को माधवी की चूत के अन्दर धकेल दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उम्म्म्म्म्म .....पंडित जि………क्या चोदते हो ..आप ...अह्ह्ह ...क्या लंड है आपका ...''
और माधवी की इस बात से तो कमरे में मोजूद हर चूत सहमत थी ..
पर पंडित जी के बारे में तो आप सभी जानते ही है न ..उन्हें तो ऐसी तड़प देने में ज्यादा मजा आता है ..
पंडित जी ने माधवी की टाँगे ऊपर उठाई और उन्हें नूरी के हाथों में पकड़ा दिया ..और खुद उसके अन्दर धीरे -२ धक्के मारकर उसकी चुदाई करने लगे ..
नूरी बड़े ही प्यार से पंडित जी के चेहरे को देख रही थी ...क्योंकि वो जानती थी की थोड़ी देर में ही उसे भी ऐसी ही चुदाई मिलेगी .
अपनी पत्नी को पंडित जी के लंड से चुद्ता देखकर गिरधर के चेहरे पर एक अजीब सा सकून था ..वैसे तो वो भी माधवी की चूत बुरी तरह से मारता था, पर आज जब वो पंडित जी के लंड से चुद रही थी तो उसके चेहरे के भाव और ख़ुशी अलग ही थे ..जैसे उसके अन्दर भी एक ख़ुशी का तूफ़ान उमड़ रहा था अपनी बेटी को चोदते हुए ..
और रितु भी अपनी माँ को पंडित जी के लंड से चुदते देखकर मचलने लगी ..और उसने तड़पते हुए पंडित जी से कहा : "पापा .....उम्म्म्म ....अब आ भी जाओ ....कितना तद्पाओगे ..''
गिरधर ने घूम कर रितु को बेड पर पटका और उसकी टाँगे खोल कर उसकी चूत पर अपना मुंह लगा दिया ..और चूसने लगे वहां से रिस रहा अमृत ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......मर्रर्रर्र .....गयी रे ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......म्म्म्म्म्म्म्म ......सक्क्क ....माय क्लिट पापा ....अह्ह्ह्ह ''
अब पापा जी को भला इंग्लिश कहाँ आती थी ..पर उसकी तड़प देखकर वो समझ गए की वो क्या चाहती है ..उन्होंने अपनी उँगलियों से उसकी चोंच की तरह निकली हुई क्लिट को उभारा और उसपर अपनी जीभ लगा कर उसे चुभलाने लगे ..
जीभ के प्रहार से रितु की चूत का दाना ऐसे नाच रहा था जैसे बीन पर सांप ..
गिरधर ने अपने होंठों के अन्दर समेत कर जब उस दाने को जोर से भींचा तो रितु का मुंह खुला का खुला रह गया ..वो कुछ बोलना चाहती थी ..चीखना चाहती थी ..पर उसके मुंह से कुछ भी नहीं निकल रहा था ..उत्तीजना को अन्दर दबाने की वजह से उसके पेट में दर्द होने लगा ..और उसने एक जोरदार झटके के साथ गिरधर को जोर से धक्का देककर अपनी क्लिट को उनके होंठों के चुंगल से निकलवाया ..
गिरधर ने भी पीछे होकर एक -दो गहरी साँसे ली और फिर से कूद पड़े उसकी चूत के मैदान में उधम मचाने ..
और इस बार उन्होंने उसकी चूत के दोनों होंठों को अपने मुंह के अन्दर फंसा लिया और जोर -२ से सक करके उसकी चूत को पीने लगे ..
''उम्म्म्म्म्म्म पापा .......स्स्स्स ...येस्स्स्स ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....जोर से चुसो उम्म्म्म्म .....पी जाओ सारा अमृत .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....सक्क्क्क मी हार्डssssssss ....''
उसने एक टांग उठा कर गिरधर की पीठ पर रख दी और उसके सर को सहला कर अपनी चूत को और तेजी से चूसने के लिए उकसाने लगी .
और वहां पंडित जी की रेलगाड़ी में बैठकर माधवी ना जाने कितने स्टेशन आगे निकल चुकी थी ..वो उन्हें रोकना चाहती थी ..उतरना चाहती थी ..पर ट्रेन की गति इतनी तेज थी की वो सिवाए थिरकने के कुछ कर ही नहीं पा रही थी ..ऊपर से नूरी की चूत ने उसके मुंह पर ताला लगा रखा था ..
पंडित जी को उसपर थोड़ी सी दया आ गयी ..उन्होंने अपने लंड को बाहर निकाला और नूरी को अपने आगे आकर घोड़ी बनने को कहा ..और जैसे वो घोड़ी बनकर आगे झुकी , पंडित जी के बलशाली धक्के ने उनके लंड को उसकी चूत में उतार दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......... येस्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म्म्म्म ....''
सामने अपनी टाँगे फेला कर पड़ी हुई माधवी ने चिल्लाती हुई नूरी के चेहरे को पकड़ा और अपनी चूत पर दबा कर उसे बड़ी मुश्किल से चुप करवाया .
अब नूरी पंडित जी के धक्को के साथ लय मिला कर चल रही थी ..पंडित जी के धक्के से वो आगे होती और अपनी लम्बी जीभ से माधवी की चूत के ऊपर आया पानी चट कर जाती ..
रितु की चूत को पूरी तरह से साफ़ सुथरा करने के बाद गिरधर ने उसे भी ऊपर उठाया और उसे घोड़ी बना कर उसके गोरे चूतड़ों पर एक बार हाथ फेरकर चेक किया की वो चुदाई के लिए तैयार है या नहीं ..उसने अपनी गांड को पीछे की तरफ धक्का देकर अपनी सहमती जताई..
और अगले ही पल उसने अपने लंड को रितु की चूत की सीमा के अन्दर दाखिल कर दिया ..गिरधर ने तो सिर्फ अपने लंड को लगाया था वहां ..बाकी का काम रितु ने कर दिया ..अपनी गांड को पीछे करके उसने अपना ''हक'' अपनी चूत में निगल लिया .
''ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह पापा ....उम्म्म्म्म्म .....आज हो गई मैं पूरी तुम्हारी ......अह्ह्ह्ह्ह ''
और उसके बाद तो गिरधर ने उसपर रहम ही नहीं लिया ..अपनी फूल जैसी बच्ची को उसने इतनी निर्दयिता से चोदना शुरू किया मानो इतने दिनों के बाद उसे चोदने का गुस्सा निकाल रहा हो .
गिरधर ने रितु के दोनों हाथ पीछे की तरफ खींचे और उसकी चूत का बेंड जोरों से बजाना शुरू कर दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .......ओफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ....पापा .......धीरे ....अह्ह्ह्ह्ह .....गोश्ह्ह्ह्ह्ह .... ....उह्ह्ह ...अहह अह्ह्ह अह्ह्ह ओह्ह्ह ओग्ग्ग्ग ओ ........पापा ...मार डाला ....अह्ह्ह्ह्ह .....उम्म्म्म .....''
वो दूसरी बार झड़ने लगी ..
और जैसे ही गिरधर को महसुस हुआ की उसका रस निकलने वाला है ..उसने जल्दी से अपना लंड बाहर निकाला और रितु को सीधा करके लिटा दिया ..वो अपने पहले वीर्य से उसे नहलाना चाहता था ..और ये इच्छा उसके मन में तब से थी जब से उसने रितु को चोदने के बारे में सोचना शुरू किया था ..
और अपने पापा की नजरों में देखते हुए अपनी चूत को मसलना जारी रखा ..
और गिरधर ने भी रितु की आँखों में देखते हुए अपने लंड की पिचकारी सीधा उसके मुंह पर दे मारी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....ले बेटी ........उम्म्म्म्म्म .........सारा रस पी ले पापा का ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ...''
अपने पापा के प्यार को अपने चेहरे पर महसूस करते हुए वो इमोशनल सी हो गयी ..
ऐसा प्यार हर बाप बेटी में देखने को नहीं मिलता ..
गिरधर के लंड से निकला पानी रितु के गर्म शरीर पर गिरकर ऐसे पिघलने लगा जैसे गर्म जमीन पर पानी की बोछार पड़ने से वो भाप बनने लगता है.
अपने पापा की आँखों में प्यार से देखते हुए रितु ने उस पानी को अपने पुरे शरीर पर मलना शुरू कर दिया ..वो उनके वीर्य को पुरे शरीर पर मलकर अपने आपको उनके प्यार के अन्दर छुपा लेना चाहती थी .
अपने पुरे शरीर को गिरधर के वीर्य से ढकने के बाद उसकी आत्मा अन्दर तक तृप्त हो गयी.
और दूसरी तरफ माधवी की हालत खराब हो रही थी ..पंडित जी तो नूरी की चूत मार रहे थे घोड़ी बना कर ..और घोड़ी बनी हुई नूरी, माधवी की चूत में मुंह डालकर, चारा खा रही थी.
और माधवी की चूत का चारा ऐसा था की जितना खाओ उतना और निकल आता था अन्दर से..और आखिरकार उसकी चूत के अन्दर फंसा हुआ एक चक्रवात पुरे जोश के साथ बाहर की तरफ निकला और नूरी के चेहरे को बारिश की पहली फुहार की तरह भिगोता हुआ बाहर तक आया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ..........स्म्म्म्म्म्म उम्म्म्म्म्म्म ......मैं तो गयी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .........उम्म्म्म्म्म्म्म ...''
अपनी चूत में पंडित जी के लंड का प्रहार और मुंह पर माधवी की चूत की बोछार महसूस करके नूरी भी बावली सी होकर गुनगुनाने लगी ...
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....... ..उम्म्म्म्म्म्म्म्म ......सुडुपsssssssssssssss ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....क्या मखन जैसा स्वाद है ....उम्म्म्म्म्म .......''
पर पंडित जी के धक्के उसकी जीभ को माधवी की चूत पर टिकने नहीं दे रहे थे ..
वो पीछे मुंह करके पंडित जी से बोली : "क्या करते हो ..पंडित जी ...अह्ह्ह्ह्ह ......चूसने तो दो ...कितनी स्वाद है .......''
पंडित जी ने उसकी बात मान ली और धीरे -२ धक्के मारने लगे ..
फिर नूरी ने आराम से माधवी की चूत को साफ़ सुथरा बना दिया . पर पंडित जी के धक्को की स्पीड धीरे होने से उसका मजा खराब हो गया था ..माधवी की चूत को साफ़ करके उसने फिर से पंडित जी की तरफ देखा और बोली : "अब हर बात बोलनी पड़ेगी क्या ..स्पीड बढाओ अब फिर से ..''
पंडित जी मुस्कुरा दिए और फिर से 100 की स्पीड पर अपनी बाईक चला दी उसकी चूत के हाईवे पर ..
इसी बीच नूरी ने जब देखा की गिरधर गहरी साँसे लेता हुआ बिस्तर पर पड़ा है और उसकी नजरें अब उसकी और पंडित जी की चुदाई पर ही है तो वो बड़ी ही शोख अदा के साथ गिरधर से बोली : "अरे मियां ..दूर से ही देखते रहोगे क्या ..बेटी को सामने देखकर आप तो भूल ही गए थे की किसकी मारने आये थे ..जरा हमारे सामने भी तशरीफ़ लाइए ..''
गिरधर उसकी रसीली बातें सुनकर अपने मरे हुए लंड की तरफ देखने लगा ..
उसकी दुविधा देखकर नूरी फिर बोली : "इसकी चिंता छोडिये आप ..बस यहाँ तशरीफ़ लाइए ...''
नूरी ने उसे अपने सामने आकर बैठने का निमंत्रण दिया ..जहाँ माधवी अपनी चूत पसारे अपनी उखड़ी हुई साँसों पर काबू पा रही थी ..जैसे ही गिरधर उठकर वहां आया दोनों की नजरें एक पल के लिए मिली , और अगले ही पल उन्होंने अपनी -२ नजरें नीचे कर ली और एक दुसरे के बाजू से निकल कर दूसरी तरफ निकल गए .
गिरधर जाकर बैठ गया झटके खा रही नूरी के मुंह के सामने ..
नूरी (गिरधर की आँखों में देखकर ) : "क्या अंकल ...आप तो मेरे लिए आये थे और मेरे हिस्से की खीर आपने रितु को खिला दी ..ये गलत बात है ..''
उसकी पतली उँगलियाँ गिरधर के लंड के ऊपर चलने लगी ..उसका शरीर ऐंठने लगा ..
पंडित जी उसकी बात सुनकर मुस्कुराने लगे , उन्होंने गिरधर को आँख मारकर उसकी बात में साथ देने को कहा ..
गिरधर भी समझ गया ..और उसी अंदाज में बोला : "लंड से निकली खीर पर पहला हक तो बेटी का ही होता है ..ये तुमसे अच्छा कौन जानता है ..तुम भी तो ऐसे ही तरस रही थी इरफ़ान भाई की खीर खाने के लिए ..''
नूरी के पास उसकी बात का कोई जवाब नहीं था ..वो तो खुद उस दौर से निकल चुकी थी ..जहाँ वो अपने अब्बा के लंड के लिए तरसती थी ..और जब उसे वो मिल गया था तभी उसकी प्यास सही मायने में बुझी थी .
उसने अपनी पलकें झुका कर गिरधर की बात से सहमति जताई ..और पलकों के साथ - 2 उसका मुंह भी झुक गया उसके लंड के ऊपर ..और अपनी सांप जैसी जीभ निकाल कर वो उसके लंड को सहलाने लगी ..
गिरधर के मोटे लंड पर चमक रही नसों पर अपनी जीभ की नोक चुभा कर वो उसके अन्दर उत्तेजना का संचार कर रही थी ..
और गिरधर भी बड़े ही प्यार से उसके रसीले होंठों से बाहर निकल रही जीभ को अपने लंड की दीवारों पर रेंगता हुआ महसूस करके उसके अन्दर फिर से रक्त का संचार होने लगा ..और ना चाहते हुए भी उसके मुंह से एक तीखी सी सिसकारी निकल ही गयी ...
''उम्म्म्म्म्म्म्म्म ....स्स्स्स्स्स्स्स्स्स्स .........अह्ह्ह्ह्ह्ह ''
जिसे सुनकर उसकी बेटी और पत्नी ने एक साथ उसकी तरफ देखा , जिसे उसने नरंदाज कर दिया .
पंडित जी ने अचानक ही नूरी की गांड के अन्दर अपना अंगूठा फंसा दिया जिसे महसूस करके नूरी के पुरे शरीर में जलतरंग सी उठने लगी ..
'उम्म्म्म्म्म्म ......पंडित जी ......अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......... बस .....ऐसे ही .....अह्ह्ह्ह ...धीरे ....धीरे ...अह्ह्ह .....स्स्स्स ...''
पंडित जी तो उसे पीछे वाले छेद से भी तेयार कर रहे थे .
पंडित जी नूरी के दोनों चूतड़ों पर अपने हाथ फेरते हुए वो उन्हें दबा भी रहे थे .
और दूसरी तरफ नूरी के होंठों ने जैसे ही गिरधर के पुरे लंड को अपने मुंह में भरकर एक चुप्पा मारा ..वो बेड पर लेट ही गया ..और नूरी पूरी लगन के साथ उसके लंड को चूसने में लग गयी ..
नूरी : "उम्म्म .....मुंह में ...इतना ...बड़ा लग रहा है .....चूत में जाकर ...तो ये तबाही ...मचा देगा ...''
गिरधर का लंड अब फिर से उम्मीदवार की तरह खड़ा हो गया था .
और जब पंडित जी को लगा की सही वक़्त आ चुका है तो उन्होंने एक जोरदार धक्का देकर नूरी को गिरधर के ऊपर लिटा दिया ..और अपने हर धक्के से उसे तिनका-तिनका ऊपर की तरफ खिसकाने लगे ..और जैसे ही नूरी की चूत गिरधर के लंड के पास पहुंची , पंडित जी ने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया ..और अपने अंगूठे को भी उसकी गांड के छेद से बाहर निकालकर अपने लंड को वहां पर ठूस दिया ..लंड पर लगे हुए घी की मदद से नूरी की गांड के घुसने में उन्हें ज्यादा मुशक्कत नहीं करनी पड़ी ..और नीचे से जैसे ही गिरधर के लंड को खाली छेद मिला वो खुले सांड की तरह वहां दाखिल हो गया ..
अपने दोनों छेदों में एक साथ लंड की हुकूमत महसूस करके नूरी झूम - २ कर चुदवाने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ....हाअन्न्न्न्न्न .......ऐसे ही .............उम्म्म्म्म्म्म ....यही तो चाहती थी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......इतने दिनों से ......यही तमन्ना थी .....अह्ह्ह ...एक साथ ..दोनों ...जगह ...अह्ह्ह्ह .......बस ऐसे ही ....चोदो ...मुझे .....
फिर क्या था ...गिरधर ने अपने हाथों से उसकी कमर को लपेटा और उसके दांये मुम्मे को मुंह में ठूसकर नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए ..
पंडित जी ने नूरी की गांड के छल्ले में अपने लंड का पाईप पुरे प्रेशर से उतारना चालु रखा ..
दोनों के तेज धक्को से उसकी माँ - बहन एक कर दी .
''उम्म्म्म्म अह्ह्ह्ह .....अह्ह्ह्ह्ह ....येस्स्स…''
गिरधर उसके कानों को अपने मुंह में भरकर बुदबुदाया : "ले ....भेन की ड़ी ...अह्ह्ह ....ले .....तेरी चूत का बेन्ड बजा दूंगा आज .....अह्ह्ह ....ले साली ...कुतिया .....बड़ी आग है न तेरे अन्दर ...अह्ह्ह्ह्ह .....ले ...साली ...और ले ....और ले ....''
और उसके झटकों ने नूरी को अन्तरिक्ष की तरफ उछाल दिया ..ये तो भला हो पंडित जी का जिन्होंने नूरी की गांड में लंड डालकर उसे ऊपर जाने से रोका हुआ था ..वर्ना गिरधर के झटकों से उछलकर वो पता नहीं कहा उड़ गयी होती ..
पंडित जी ने नूरी के बालों को पकड़ कर उसकी कुतिया बना रखी थी ..जिसे वो इतनी बेदर्दी से चोद रहे थे जैसे किसी बात की खुन्दक निकाल रहे हो ..पंडित और गिरधर अपने -२ झटके ऐसी ले में एक साथ मार रहे थे की बीच में नूरी का शरीर पिस्स कर रह गया .दोनों एक साथ अपनी -२ तलवारें नूरी की चूत और गांड रूपी म्यान में से बाहर निकालते और उतनी ही तेजी से अन्दर भी घुसा डालते ..
नूरी की आँखे बंद थी ..सर हवा में घूम रहा था ..शरीर दोनों के बीच पिस्स कर जल रहा था ..ऐसा एहसास तो आज तक उसे कहीं नहीं मिला था ..बिना टिकट के वो अन्तरिक्ष की यात्रा कर रही थी .
और जल्दी ही उसकी हालत बिगड़ने लगी ..अपनी चूत के साथ-२ उसकी गांड के अन्दर भी ओर्गास्म बनने लगा ...सबसे पहले चूत का नंबर आया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........गिरधर ....अंकल .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......स्स्स्स्म्म्म्म्म्म .......मैं तो गयी .....अह्ह्ह्ह्ह्ह .....''
गिरधर भी उसकी सेक्सी अंदाज को देखकर उसके होंठों को चबाते हुए उसकी चूत के गोदाम में अपना माल उतारने लगा ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ......उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ...नूरी .......क्या माल है तू .......उम्म्म्म्म ...ये ले .....सारा रस ले ले मेरा ......अह्ह्ह्ह्ह ....''
और फिर नंबर था पंडित जी का ..जो मेराथन के घोड़े की तरह भागते चले जा रहे थे उसकी गांड को मारते हुए ..और आखिरकार उनके घोड़े के मुंह से भी झाग निकलने लगी ..और नूरी की गांड के छल्ले को उन्होंने पूरा भर दिया ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ...नूरी .......ये ले ........मेरा प्रसाद भी ले .....अपनी गांड में ....अह्ह्ह्ह्ह्ह ......''
अपनी गांड के रास्ते एक मिनट के अन्दर ही अपने दुसरे ओर्गास्म को महसूस करके नूरी तो जैसे मरने के कगार पर पहुँच गयी ..वो बेहोश हो गयी ..पर पंडित जी को उसपर कोई दया नहीं आई ..वो उसकी गांड मारते ही रहे ..
और पंडित जी ने भी अपना पूरा रस उसकी गांड के अन्दर उतारने के बाद घोड़ी से नीचे उतरे और बेड के किनारे पर लेटकर अपनी साँसों पर काबू पाने लगे ..
पुरे कमरे में सेक्स की भीनी खुशबु तेर रही थी ...माधवी तो कब की उठकर जा चुकी थी नहाने के लिए ..
रितु अभी तक अपने पापा के रस को अपनी बॉडी पर किसी लोशन की तरह मॉल रही थी ..
पंडित जी ने नूरी को उठाकर उसे पानी पिलाया और फिर उसे कपडे पहनने को कहा ..काफी देर हो चुकी थी ..अपने-२ कपडे पहन कर दोनों बाहर निकल गए .
गिरधर धीरे से उठा और रितु को अपनी गोद में उठाकर बाथरूम की तरफ चल दिया ..जहाँ माधवी पहले से ही नंगी होकर नहा रही थी ..
बाप - बेटी को आता देखकर पहले तो माधवी वहां से जाने लगी, पर गिरधर ने उसका हाथ पकड़ लिया और कहा : "अब तो ये सब तुम्हारे सामने होता ही रहेगा ..यही रुको ..और तुम भी मजे लो ..''
माधवी भी जानती थी की अब तो ये रोज का खेल होगा वो भागती रहेगी तो उसका ही नुक्सान है ..इसलिए उसने सहमति जताते हुए गिरधर की बात मान ली और नीचे झुककर उसके लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी ..और गिरधर भी खुश होते हुए अपनी फूल सी बेटी के पंखुड़ियों जैसे होंठों को चूसने लगा .
बाकि अगले पार्ट में।

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