त्यागमयी माँ और उसका बेटा
इस कहानी के दो मुख्य पात्र हैं राज और उसकी माँ नमिता ।
आज राज की उम्र १८ साल की है और उसकी माँ ४० साल की है। राज के पिता का देहांत क़रीब ५ साल पहले एक दुर्घटना मेंहो चुका था। नमिता एक ऑफ़िस में काम करती है, और उसके पति के पेन्शन और उसकी तनखा से घर का ख़र्च आराम से चल रहा था। नमिता की बस एक ही इच्छा थी किराज ख़ूब पढ़े और बड़ा आदमी बने। वह बस इसी इंतज़ार में जी रही थी।
आइए अब राज के बारे मेंबताएँ , वह पढ़ने मेंबहुत अच्छा था और हमेशा पहले या दूसरे नम्बर पर आता था।वह अभी १२ वीं में था और खेल मेंभी वो बहुत अच्छा था और फ़ुट्बॉल उसका प्रिय खेल था। उसकी क़द काठी अच्छी थी और वो एक अपने उम्र के लिहाज़ से एक तगड़ा लड़का था। गोरा चिट्ठा और चेहरे से मासूमियत टपकती थी। उसके दिमाग़ मेंअब तक वासना ने अपना स्थान नहीं बनाया था। सेक्स के बारे में सीमित जानकारी रखता था क्योंकि उसके सब दोस्त उसके जैसे ही पढ़ने वाले थे। हाँ कभी कभी उसको कोई लड़की या मैडम अच्छी लगती तो उसको लगता था किउसके हथियार मेंकुछ हरकत हो रही हो। और वो शर्मिंदा हो जाता था किउसके विचार इतने गंदे कैसे हो गए!!!
उसकी माँ नमिता एक घरेलू महिला थी, पर काम करने के कारण बाहरी दुनिया को समझती थी। अपनी ज़िन्दगी मेंउसने कुछ समझोते भी किए थे। कभी नौकरीके लिए तो कभी पैसों के लिए और कभी अपनी शरीर की भूक मिटाने के लिए। पर वो बहुत ही सुलझी हुई औरत थी और अपनी ज़िम्मेदारियाँ समझती थी। वो भी अपने बेटे की तरह गोरी चीट्टी भरे हुए बदन की औरत थी, जिसको कोई भी मर्द एक बार देख ले तो दूसरी बार पलट कर देखता ज़रूर था। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ और पतली कमर और बाहर निकला हुआ पिछवाड़ा मर्दों पर बिजली गिराते थे।वह साड़ी या सलवार कुर्ती ही पहनती थी और घर में नायटि ही पहनती थी।
सब कुछ ठीक चल रहा था और नमिता का पूरा ध्यान राज के खाने पीने और उसकी पढ़ायी पर ही रहता था।
राज और उसकी माँमें भी एक बहुत ही प्यारा रिश्ता था और वो दोनों ही एक दूसरे के लिए जीते थे। दोनों एक दूसरे का बहुत ध्यान रखते थे। नमिता का ऑफ़िस का समय १०से ५ का था और राज का स्कूल ७ से १ बजे का था।
नमिता रोज़ सुबह राज को उठाने आती क्योंकि राज देर रात तक पढ़ता रहता था। सुबह जब वो उसे उठती तो वो उठके उससे लिपट जाता था और माँ के गाल चूमते हुए goodmorningकरता था। वो भी उसके गाल या माथा चूमकर उसको प्यार करती थी।
पर कभी नमिता को अटपटा लगता था जब राज की ओढ़ी हुई चद्दर नीचे उसकी जाँघों के पास से उठी रहती थी। उसे थोड़ा सा अजीब लगता था पर वो जानती थी किइस उम्र मेंये एक प्रकृतिक अवस्था है और सब लड़के इस दौर से गुज़रते हैं।
पर उसको हैरानी इस बात की होती थी किहे भगवान ये तंबू इतना ऊँचा कैसे तनजाता है? क्या राज का हथियार इतना बड़ा है? उसे कुछ अजीब सी फ़ीलिंग होती थी पर बाद में वो जब उसका भोला चेहरा देखती थी तो सब भूलकर उसे प्यार करने लगती थी। पर राज जब ऐसी उत्तेजित अवस्था मेंउठता था तो उसको अपनी माँ के सामने बड़ा ख़राब लगता था और वो उसको छुपाने की असफल कोशिश करता था और भागकर बाथरूम मेंजाके पेशाब करने की कोशिश करता था और हथियार के नोर्मल होने के बाद ही वापस बाहर आता था।
माँ मन ही मन मुसकाती थी और कुछ नहीं होने का बहाना करती थी। सुबह की चाय पीकर राज नहा धोकर नाश्ता करने आता था और माँबेट साथ ही नाश्ता करते थे और फिर राज अपनी माँसे लिपटकर प्यार करके स्कूल बस से स्कूल चला जाता था। नमिता बाद में नहाकर खाना बनाती थी और फिर ख़ुद बस से ऑफ़िस चली जाती थी।
जीवन ऐसे ही कट रहा था।
राज बस में बैठे हुए अपनी पढ़ायी के बारे में सोच रहा था तभी अगले स्टॉप पर उसकी मैडम जो कि उसको maths ( गणित) पढ़ाती थीं आकर उसके साथ वाली सीट पर बैठ जाती है।
राज: गुड मोर्निंग मैडम ।
मैडम: गुड मोर्निंग , कैसे हो राज बेटा? पढ़ायी कैसी चल रही है?
राज: जी मैडम अच्छी चल रही है, पर गणित बहुत कठिन है।
मैडम: बेटा कभी भी कोई समस्या हो तो मेरे ऑफ़िस आ जाना मैं तुम्हारी मदद कर दूँगी। फिर मैडम को फ़ोन आया और वो उसमें व्यस्त हो गयी। राज ने देखा कि वो बात करते हुए अपनी छाती के निचले हिस्से को खुजाने लगी और हल्के से ब्रा को भी अजस्ट की। राज ने सोचा कि शायद उसकी ब्रा टाइट होगी , तभी शायद वो ऐसा करी होंगी। उसने कई बार माँ को भी ऐसा करते देखा था, और माँ ही बतायी थी कि जब भी नयी ब्रा पहनो थोड़ी दिन कुछ तकलीफ़ तो होती है।
राज अचानक मैडम की अपनी माँ से तुलना करने लगा। दोनों क़रीब एक ही उम्र की थीं क्योंकि उनका बेटा भी उससे एक साल स्कूल में पीछे था।उनके बेटे श्रेय से उसकी बहुत पटती थी, वो भी पढ़ायी में काफ़ी आगे रहता था।राज ने देखा कि उसकी माँ की तरह मैडम भी गोरी और बदन से भरी हुइ हैं और उनकी छातियाँ भी एक जैसी ही हैं।
नीचे ब्लाउस के नीचे से गोरा थोड़ा उभरा हुआ पेट भी एक समानही था।नीचे उसे मैडम की गोल गोल भारी जाँघें साड़ी से दिख रही थीं। माँकी भी वैसे ही जाँघें थी।
अचानक फ़ोन पर बात करते हुए उसने अपनी जाँघ सहलायी बहुत ऊपर की तरफ़। राज को अपने हथियार में हरकत सी हुई और वो उसको अजस्ट करते हुए बाहर की ओर देखने लगा।
वह अपने आप पर हैरान हो रहा था कि वह मैडम की तुलना अपनी माँ से भला क्यों कर रहा है? तभी स्कूल आ गया और मैडम खड़ी हो गयी और अब साड़ी में से उसके बड़े बड़े नितंब उसके सामने थे। साड़ी उसके बड़े गोल चूतरों के बीच थोड़ी फँस सी गयी थी। ऐसा ही माँ के साथ भी कई बार होता था, उनकी nighty या साड़ी भी ऐसी ही फँस जाती थी ।मैडम ने पीछे हाथ डालकर अपने कपड़े को बाहर की ओर खिंचा और उसे निकाला और अब राज का हथियार और बड़ा हो गया।
उसने थोड़ी देर रुककर सबको उतरने दिया और बाद में ख़ुद उतरा , पैंट के आगे स्कूल का बैग रखकर।
उधर नमिता भी आज अलसायी पड़ी थी सोफ़े पर , खाना बना चुकी थी और आज उसे देरी से जाना था कि क्योंकि कल ऑफ़िस की एक अधिकारी की माँ की मौत के कारण सब उसके यहाँ गए थे और ऑफ़िस आज देरी से चालू होना था।
रोज़ तो वो ओफ़िस के बस से जाती थी, पर आज उसे पब्लिक बस से ही जाना होगा। वो तय्यार हुई आज उसने सलवार कुर्ती पहनी थी और उसने शीशे में ख़ुद को देखा और सोचने लगी कि इतनी सुंदर जवानी बर्बाद हो रही है। उसने आह भरी और याद किया कि पिछली बार उसे सेक्स किए हुए शायद ४ महीने हो गए हैं। उसे आज भी याद है कि वो २२ साल का लड़का उसके बॉस का कोई रिश्तेदार था जिसने उसे ऑफ़िस में देखकर उसको अपना कॉर्ड दिया था और बाद मेंउसको फ़ोन पर बात करके उसे अपनी बातों से आकर्षित कर लिया था और अंत में उसने उसकी ज़बरदस्त चुदायी की थी। ये याद करके उसकी पैंटी में गिलापनआ गया। उसे लग रहा था कि उसका शरीर फिर से सेक्स के लिए भूक़ा हो रहा था। ख़ैर वो बाहर आयी और बस स्टॉप पर बस का इंतज़ार करने लगी। बस के आते ही वो उसपर चढ़ी पर उसे बैठने के लिए जगह नहीं मिली।वो खड़ी हो गयी एक सीट की बैक रेल पकड़कर। अगले स्टॉप से भीड़ बढ़ने लगी।अब उसे थोड़ी तकलीफ़ सी होने लगी। उसने देखा कि दो लड़के जो अभी अभी चढ़े थे, उसे घूर रहे थे। उनकी उम्र कोई १९/ २० साल की होगी।उन लड़कों ने आपस में कुछ बात की और वो भीड़ में से सरक कर उसकी तरफ़ बढ़ने लगे। थोड़ी देर में एक उसके पास आकर उससे जगह माँग कर उससे आगे निकल गया और दूसरा आकर ठीक उसके सामने खड़ा हो गया। उसने थोड़ा पीछे मुड़कर देखा तो पाया कि वो पहला लड़का अब मुड़कर ठीक उसके पीछे आकर खड़ा था।
उसे कुछ अजीब सा लगा। तभी अगले स्टॉप और ज़्यादा भीड़ चढ़ गयी। अब वो लड़के भीड़ के बहाने से उससे चिपक से गए। नमिता की विशाल छातियाँ उस लड़के के मर्दाने छाती को छू रही थीं। पीछे वाला लड़का भी अब उससे चिपककर उसके पीठ पर ब्लाउस के ऊपर हाथ रख दिया। नमिता इस डबल हमले से थोड़ा सिहर उठी।
अब पीछे वाला लड़का उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसके ब्रा के स्ट्रैप को सहला रहा था और उसके हाथ उसकी नंगी पीठ पर रेंग रहे थे जो ब्लाउस और साड़ी के बीच का हिस्सा था। सामने वाला भी अब उसकी छाती पर अपनी छाती का दबाव बनाते हुए उसके नंगे पेट पर हाथ सहलाने लगा। नमिता का एक हाथ तो सीट का सहारा लिया हुआ था, और दूसरे हाथ से उसने इस लड़के का हाथ अपने पेट से हटाने की कोशिश किया। पर वो लड़का कहाँ मनाने वाला था। उसने एक बार हाथ हटा दिया पर जैसे ही नमिता का हाथ हटा उसने फिर से उसके पेट पर हाथ रखा और उसकी नाभि को छेड़ने लगा।
उधर पीछे वाले की हरकतें भी बढ़ गयी थीं, वो अब अपना हाथ नीचे ला कर उसके नितम्बों को सहलाने लगा। नमिता पीछे हाथ लेज़ाकर उसका हाथ हटाने की कोशिश की पर यह क्या उसने तो उसका हाथ अपने हाथ में पकड़कर उसको सहलाना शुरू कर दिया।
अब सामने वाला लड़का भी हाथ को उसके ब्लाउस के निचले हिस्से तक ले आया और वहाँ सहलानाचालू रखा। नमिता अपना हाथ छुड़ाकर सामने वाले के हाथ को अपनी छातियों तक जाने से रोकने की कोशिश की। अब पिछेवाले ने अपना सामने का हिस्सा उसके नितम्बों से चिपका दिया। उसके पैंट के ऊपर से उसके कड़े लिंग के अहसास से वो हिल सी गयी।
अब सामने वाला फिर से उसकी छातियों तक अपना हाथ पहुँचाने मेंकामयाब हो गया था। वो अब धीरे से उसकी छातियों के निचले हिस्से को दबा भी रहा था, नमिता को लगा कि यह ज़्यादा ही हो रहा है। वो कुछ कहने ही वाली थी कि पीछेवाला लड़का उसके कान मेंफुसफुसाया : आंटी , क्यों विरोध कर रही हो, आराम से मज़ा लो ना।
नमिता हैरानी से अपने बेटे की उम्र के लड़कों के हौसलों को देखकर बोली: ये ठीक नहीं है, चलो मुझे छोड़ दो, नहीं तो मैं शोर मचाऊँगी।
समानेवाला लड़का अब उसकी छातियों को अपने पंजों में दबोचकर उसके कान मेंबोला: आंटी, मज़ा लो ना, क्या बॉडी है आपकी। क्या मस्त छातियाँ हैं।
तभी पिछेवाला उसके नितम्बों मेंअपना खड़ा लिंग रगड़ते हुए बोला:
आंटी, आह क्या मस्त चूतर हैं आपके, हाय बहुत अच्छा लग रहा है। ऐसा कहते हुए उसके हाथ अब उसकी कुर्ती को सामने से उठाकर उसकी सलवार के ऊपर से उसकी भारी हुई जाँघों पर आ गए।
अब नमिता की सिसकी निकल गयी और वो धीरे से बोली: कोई देख लेगा तो क्या होगा, प्लीज़ मुझे छोड़ दो ।
सामने वाला लड़का उसकी छातियों को दबाते हुए बोला: इतनी भीड़ है आंटी, किसी को होश नहीं है , आप मज़ा लो।
अब पिछेवाले लड़के ने उसके पेट को सहलाते हुए उसकी सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों के जोड़ तक हाथ डाल दिया। अब नमिता की पैंटी गीलीहोने लगी। काफ़ी दिनों से प्यासी तो थी ही, और अचानक उस लड़के ने उसकी चूत पर अपना हाथ रखा और वहाँ सहलाने लगा। अब वी धीरे से बोला: आंटी, प्लीज़ टाँगें फैलाओना,। और पता नहीं नमिता को क्या हो गया किउसने अपनी टाँगें फैला दीं। अब पिछेवाला लड़का उसकी चूत को सलवार के ऊपर से मुट्ठी में लेकर दबाने लगा। अब नमिता की पूरी सलवार सामने से गीली होने लगी।
अब स्तिथि ये थी कि नमिता की छातियाँ सामने वाले के पंजों में थीं और उसकी चूत को पीछेवाला लड़का दबा रहा था। तभी सामने वाले लड़के ने नमिता का हाथ पकड़ा और अपने पैंट के ऊपर से अपने लिंग पर रख दिया। नमिता सिहर उठी, उस लड़के की उम्र के हिसाब से लिंग बहुत बड़ा लग रहा था। वो चाह कर भी अपना हाथ वहाँ से नहीं हटा पायी। और उस लड़के ने नमिता का हाथ दबाकर अपने लिंग को दबवाना शुरू किया।नमिता की हालत अब ख़राब होने लगी थी ,और उसकी चूत मेंबहुत ज़्यादा खुजली सी होने लगी थी।
अब उसका हाथ अपने आप ही उसके लिंग को दबाने लगा और वो मज़े से भरने लगी थी।तभी पीछे वाले लड़के ने उसका दूसरा हाथ पकड़कर अपने लिंग पर रख दिया। नमिता को लगा कि एक और मूसल सा लिंग उसके हाथ में था और वो अपने आप ही उसको भी आगे पीछे करने लगी।
तभी पीछे वाला लड़का बोला: आंटी, अगले स्टॉप पर उतर जायिये हमारे साथ। मेरा घर स्टॉप से बिलकुल पास है, और परिवार बाहर गया है। बहुत मज़ा आ जाएगा।
नमिता: आह मैं ऐसे कैसे जा सकती हूँ, तुम लोगों को जानती तक नहीं।
सामने वाला लड़का बोला: आंटी, चलेंगी तो जान पहचान भी हो जाएगी। प्लीज़ मना मत करिए , देखिए ना क्या हालत है बेचारे की आपके हाथ में आँसूँ बहा रहा है।
नमिता: लेकिन ये कैसे हो सकता है? मैं ऑफ़िस--
वो बोला: आंटी, ऑफ़िस थोड़ी देर से चली जाइएगा ना आप, प्लीज़ चलिए स्टॉप आ गया है।
अब पीछे वाला लगभग नमिता को धक्का देते हुए दरवाज़े की ओर ले जाने लगा, जबकि आगे वाला रास्ता बना रहा था भीड़ में। नमिता के पैर अपने आप ही उनके साथ चले जा रहे थे, वो अपने पर हैरान थी कि वो ऐसा कैसे कर रही है, एकदम अनजान लड़कों के साथ वो भी उसके बेटे की उम्र के थे, वो चली जा रही है। वो जैसे किसी सम्मोहन में थी और बस से उतर गयी। अब वो लड़का उसको सड़क से ही सामने की गली मेंअपना मकान दिखाया और बोला: आंटी बस वही तीसरा मकान हमारा है।
वो उनके साथ चलती हुई फिर से सम्मोहन से निकलने की कोशिश की, और उसने चोर नज़रों से दोनों के पैंट के सामने उभारों को देखा और उसका रहा सहा संकल्प भी टूट गया। उसकी चूत में उन उभरे हुए लिंगों को देखकर बहुत खुजली सी हुई। और वो जानती थी किआज ये खुजली मिटाए बग़ैर उसे चैन नहीं मिलने वाला।
और फिर तीनों ने उस घर में प्रवेश किया।
उधर राज स्कूल में घुसा तो उसको श्रेय मिल गया जो कि maths वाली मैडम का ही बेटा था। दोनों कुछ देर बात किए फिर अपने अपने क्लास में चले गए। maths के पिरीयड में मैडम आयीं, उनका नाम शीला था,राज को देखकर मुस्कराइ और पढ़ाने लगी। जब वो बोर्ड पर लिखती थी तो पहली क़तार में बैठे राज को उसकी ब्लाउस मेंकसे दूध ऊपर नीचे होते दिखते थे। उसे लगा किवो पढ़ाई की जगह मैडम के दूध देख रहा है, तो उसे ग्लानि हुई। पर आज उसका हथियार फिर से कड़ा होने लगा था। तभी क्लास में एक सर एक लड़के के साथ घुसे और बोले: बच्चों, आज आपको एक नया साथी मिल रहा है, यह प्रतीक है और ये आज से इस क्लास को अटेंड करेगा। आप सब इसके साथ मिलकर रहो।
सर चले गए और प्रतीक पहली क़तार में राज के बग़ल में बैठ गया।
लंच ब्रेक में राज और प्रतीक बातें करने लगे।
प्रतीक: यार ये स्कूल तो मस्त है। मेरा पिछला स्कूल तो बिलकुल बोर था पर यहाँ तो बहुत रौनक़ है यार।
राज: यहाँ ऐसा क्या दिख गया भाई तुम्हें?
प्रतीक: अरे यार, ये maths मैडम ही तो मस्त चीज है, क्या धाँसू माल है।
राज हैरत से बोला: छी क्या बोलता है, शीला मैडम के बारे में ! वो बहुत अच्छी हैं, और बहुत ही टैलेंट से भरी हैं।
प्रतीक बेशर्मी से हँसते हुए बोला: अरे मैं भी तो यही कह रहा हूँ की वो बहुत अच्छी है और टैलेंट तो उनके ब्लाउस में भरा हुआ है।
राज: यार मुझे मैडम के बारे में ऐसी बात अच्छी नहीं लगती।
प्रतीक: अरे भाई, सुंदर को सुंदर और माल को माल बोलने में क्या बुराई है? तुमने उनका पिछवाड़ा देखा है, क्या ग़ज़ब का उठान लिए है, साला हथियार तन गया है। और ऐसा बोलते हुए उसने बेशर्मी से अपने हथियार को पैंट के ऊपर से रगड़ दिया।
राज सोचने लगा कि देखा जाए तो वह ख़ुद भी तो उनके बारे में ऐसा ही कुछ सोचता है , फ़र्क़ इतना है कि प्रतीक साफ़ साफ़ बोल रहा है और राज मन की बात मन मेंही छिपा रहा है।
तभी श्रेय आने लगा तो राज जल्दी से बोला: अरे यार अब मैडम पुराण बंदकर, ये उनका ही बेटा है।
प्रतीक: ओह सच, तब तो इसिको पटाताहूँ, इसके द्वारा इसकी माँ तक पहुँचना होगा।
राज ने श्रेय का परिचय प्रतीक से कराया। और अब प्रतीक श्रेय से अच्छी अच्छी बातें करने लगा। और बहुत जल्दी तीनों मेंदोस्ती हो गयी। राज को ख़राब लग रहा था कि प्रतीक ने श्रेय से दोस्ती सिर्फ़ उसकी माँको पटाने के लिए की है पर वो कुछ बोल नहीं पाया क्योंकि अंदर कहीं उसके मन में भी अब कुछ ऐसे ही भाव जागृत होने लगे थे। प्रतीक ने उन दोनों को अपने घर आने को कहा और बोला: यार कल इतवार को मेरे घर आओ ना। मस्ती करेंगे।
श्रेय : नहीं भाई मुझे पढ़ायी करनी है।
राज: हाँ यार मैं भी नहीं आ सकूँगा।
प्रतीक: अच्छा चलो शाम को आ जाना और साथ मेंचाय नाश्ता करेंगे।
थोड़ी बार दोनों मान गए और अगले दिन शाम को मिलने की बात हो गयी। प्रतीक: अरे यार तुम लोग मेरे घर आओगे तभी तो मैं तुम्हारे घर आ पाउँगा। और कहते हुए वो हँसने लगा।
राज उसकी बात का मतलब समझ रहा था और वो थोड़ा सा विचलित भी था किक्या ये सब ठीक है?
उधर नमिता उन दोनों लड़कों के साथ उस घर में घुसी और उन्होंने उसे सोफ़े पर बिठाया और विकी जिसका घर था, फ्रिज से ठंडा पानी लेकर नमिता को दिया। नमिता पानी पीने लगी। नमिता की साड़ी का पल्लू एक तरफ़ सरक गया था सो उसने उसे ठीक कर अपनी छातियाँ ढक लीं।
बीजू जो विकी का दोस्त था, बोला: आंटी और कुछ लेंगी?
नमिता ने ना में सर हिलाया।
विकी बोला: आंटी, आप बिलकुल परेशान मत होईए, यहाँ अभी कोई नहीं आएगा।
नमिता: मुझे ऑफ़िस जाना है ।
बीजू: आंटी, चली जाना ना ऑफ़िस, थोड़ा मज़ा तो कर लें।
नमिता का चेहरा लाल हो गया, वो सोचने लगी, ये क्या कर बैठी , अपने बेटे के उम्र के लड़कों के साथ यूँ ही चली आयी और अब जो होना है वो तो होकर ही रहेगा।
विकी: आंटी हम अच्छे घरों के लड़के हैं, आपको कभी बदनाम नहीं होने देंगे,आप हम पर विश्वास करो।
तभी दोनों नमिता के पैरों के पास बैठ गए। अब दोनों ने उसके पैरों को हाथ में ले लिया और उसको चूमने लगे। बीजू बायें पैर का अँगूठा और विकी दायीं पैर का अँगूठा चूसने लगे। नमिता के लिए ये एक अजीब अनुभव था। अब उन दोनों ने उसके तलवे चाटने शुरू किए। फिर वो उसकी सभी उँगलियोंको बारी बारी से चूमने और चूसने लगी।
फिर वो उसकी साड़ी ऊपर करते हुए उसकी पिंडलियों को चूम रहे थे और अब वो घुटनों को चूम रहे थे।
अब उनके हाथ उसके पैरों पर थे और जीभ से उसकी घुटनों और उसके ऊपर जाँघों तक चाटने लग गए।नमिता की आहेंनिकल रही थी। उसका ये अनुभव अनूठा था।
जब दोनों जाँघों तक पहुँचे तो नमिता को खड़े करके उसकी साड़ी उतार दिए।अब वो उसके पेटी कोट का नाड़ा खोल दिया। उसका पेटी कोट नीचे गिर गया। पैंटी में से उसकी चूत फुली हुई और वहाँ गीली सी दिख रही थी। वो दोनों जैसे मुग्ध दृष्टि से उसकी पैंटी को देख रहे थे। फिर उन्होंने उसे सोफ़े पर बैठा दिया और ख़ुद भी साथ में बैठ गए। उसके एक एक हाथ को पकड़कर दोनों ने उसकी उँगलियाँ चूमनी चालू कीं। फिर एक एक अंगुली चूमे और जीभ से चाटे। नमिता बहुत ही उत्तेजित हो गयी थी। अब वो उसकी बाहों को चूमने लगे। फिर उसकी कोहनी को चूम रहे थे।
फिर उसकी स्लीव्ज़लेस ब्लाउस के ऊपर तक बाहोंको चूमते हुए उसकी बाँहें उठायीं और उसकी बग़लों को सूंघकर दोनों मस्ती से उसकी बग़लें चाटने लगे। नमिता की आऽऽऽहहहह निकल गयी।
अब लड़कों ने उसकी गर्दन और गाल चूमे और चाटे। अब वो उसकी ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियों को चूमने लगे।
फिर दोनों उसके ब्लाउस के ऊपर से उसकी छातियाँ दबाने लगे। नमिता की हाऽऽऽयय्यय निकल गयी।
फिर उन्होंने ब्लाउस के हुक खोले और उसको निकाल दिया , अब ब्रा में क़ैद उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ बहुत ही मादक दिख रही थीं। वो दोनों उसकी ब्रा के ऊपर से एक एक छाती चूमने लगे। अब नमिता जैसे पागल सी हो रही थी, उसने हाथ बढ़ाकर उन दोनों के पैंट के ऊपर से उनके हथियार पकड़ लिए और मसलने लगी।अब वो ब्रा खोलकर उसकी भारी छातियाँ देखकर मस्त हो गए। वाह क्या मस्त बड़े बड़े आम थे और उसके ऊपर काले लम्बे अकड़े हुए निप्पल्स जैसे कह रहे थे कि आओ बच्चों मुझे चूसो।
नमिता बोली: आह्ह्ह्ह्ह्ह चलो अपने कपड़े खोलो अब, मुझे तो नंगी कर दिया और ख़ुद पूरे कपड़े पहने खड़े हो।
दोनों ने हँसते हुए कहा: लो आंटी हम भी नंगे हो जाते हैं।
अब दोनों ने अपने कमीज़े उतारी और उनकी चौड़ी छाती देखकर वो मस्ती से भरने लगी। उनकी बाँहें भी बहुत बलशाली दिख रहीं थीं।
अब उन्होंने अपनी जींस खोली और उनकी बालोंवाली मोटी जाँघें और उसके बीच में जॉकी का उभार बहुत ही आकर्षक लग रह था।
दोनों की चड्डियाँ उनके प्रीकम से गीली थीं।
अब विकी उसके पास आया और उसका सर अपनी चड्डी पर दबा दिया। नमिता मर्दाने वीर्य की गंध से जैसे पागल हो गयी और उस जगह को जीभ से चाटने लगी। अब उसने विकी की चड्डी को नीचे किया और उसके लंड को देखकर जैसे निहाल हो गयी और उसका मुँह अपने आप उसके पीशाब के छेद को चाटने लगा ।
फिर उसने उसके लंड की चमड़ी को पीछे किया और उसके सुपाडेको चूमते हुए चूसने लगी। और विकी भी अपनी कमर हिलाकर जैसे उसके मुँह को चोदरहा था। तभी बीजू उसको हटा कर अपना लंड उसके मुँह के पास लाया और नमिता भी उसका लंड चूसने लगी। वो सोचने लगी, क्या मस्त लंड हैं इन दोनों लड़कों के, आज तो मज़ा ही आ जाएगा। तभी वो महसूस की अब दोनों उसकी नंगी छातियाँ मसल रहे हैं। और दोनों उसके निपल्ज़ भी मसलने लगे।
नमिता को लगा कि वो झड़ जाएगी। तभी वो दोनों नमिता की चूचियाँ दबाते हुए उसको खड़ा करके बेडरूम मेंके गए। फिर उसको लिटाकर उसकी पैंटी को खींचकर नीचे किया और उसकी चूतको देखकर मस्ती से अपने लंड मसलने लगे। अब विकी ने उसकी चूतमेंमुँह डाल दिया और उसको चाटने लगा। बीजू तो उसकी छातियों को मसलते हुए चूसने लगा। नमिता की आऽऽऽऽहहह निकलने लगी।
अब वो अपनी कमर हिलाकर चूत को उसके मुँह पर दबाने लगी।
फिर विकी ने उसकी टाँगें उठाकर उसकी चूतमें अपना लंड पेल दिया और वो हाय्य्य्य्य कहकर चीख़ उठी। उधर बीजू ने अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया। अब वह दोनों उसके मुँह और चूत को चोद रहे थे। नमिता की हाय्य्यय और ह्म्म्म्म्म की चीख़ों से कमरा भर गया। अब वो लंड चूसते हुए अपनी कमर उछाल कर चुदवा रही थी और उसकी चूत से फ़चफ़च की आवाज़ें आ रही थीं। बीजू घुटने के बल उसके मुँह के पास बैठ कर उसके मुँह को चोद रहा था और तभी विकी आह्ह्ह्ह्ह्ह करके झड़ने लगा। और फिर वो अपना वीर्यउसकी चूत में छोड़कर अपने दोस्त के लिए हट गया। अब बीजू ने अपना लंड उसके मुँह से निकला और उसके टांगों के बीच आकर उसकी चूत में एक बार ही में अपना लंड ठूँस दिया। और नमिता ने भी मस्ती से अपनी कमर उछालकर उसके लंड का स्वागत किया और अब बीजू पूरी ताक़त से थप थप कर चोदने लगा। नमिता भी मस्ती से अपनी चूत फड़वा रही थी और आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह करते हुए झड़ने लगी चिल्लाते हुए: हाऽऽय्यय ज़ोर से चोओओओओओदो आह्ह्ह्ह्ह्ह फाऽऽऽऽड़ दो मेरीइइइइइइइ चूउउउउउउउततत ।
बीजू भी आंटी की मस्ती से मस्त हो गया और ज़ोर ज़ोर से धक्का मारकर झड़ने लगा। फिर वो उसके ऊपर लेटकर बोला: आंटी मज़ा आया?
नमिता: आऽऽऽह हाऽऽननन बहुत मज़ा आया । हाय इतनी ज़बरदस्त चुदाई करते हो तुम दोनों । ये सब कहाँ से सिख लिए इतनी छोटी सी उम्र में?
बीजू: आंटी आपकी जैसी ही एक आंटी ने हमें ट्रेनिंग दी है।
नमिता हँसते हुए बोली: तभी तो मैं बोलूँ कि इतने जल्दी एक्स्पर्ट कैसे बन गए!
विकी भी उसकी चुचि दबाते हुए बोला: आंटी अभी ये तो ट्रेलर था, पूरी फ़िल्म तो अभी बाक़ी है।
नमिता : नहीं नहीं अब और नहीं। मुझे ऑफ़िस जाना है।
तभी बीजू और विकी ने उसके एक एक चुचि को मुँह मेंलिया और उसके निपल्ज़ को चूसने लगे।
अब नमिता फिर से गरमाने लगी और उसने उनके सरों को अपने दूध पर दबा दिया और सिसकारियाँ भरने लगी।
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह छोओओओओओओड़ो ना प्लीज़ , मुझे ऑफ़िस जाना है। हाय्य्य्य्य्य मार डालोगे क़याऽऽऽऽऽऽ
बीजू ने चुचि से मुँह उठाकर कहा: आंटी आज ऑफ़िस से छुट्टी ले लो बहुत मज़ा अभी बाक़ी है।
नमिता जानती थी कि ये उसे छोड़ेंगे नहीं। उसने कहा : अच्छा मुझे ऑफ़िस फ़ोन करने दो।
बीजू उसका फ़ोन लाकर उसको दिया। अब बीजू एक तौलिए से उसकी चूत साफ़ करने लगा और विकी अभी भी चुचि चूस रहा था।
नमिता ने बॉस को फ़ोन लगाकर कहा: सर आज छुट्टी लूँगी क्योंकि तबियत ख़राब है। तभी विकी ने निपल्ज़ को हल्के से दाँत से काटा तो उसकी हाय्य्यय निकल गयी।
बॉस: अरे क्या बहुत तकलीफ़ में हो?
नमिता : जी हाँ बस अब आराम करूँगी। और उसने फ़ोन काट दिया। बीजू भी उसकी चूत खोलकर उसकी गुलाबी छेद को देखकर मस्त हो रहा था।
तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?
नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।
विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?
विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!
नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।
बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।
नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?
विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।
बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।
विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।
नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।
विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।
नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।
बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?
नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।
विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।
बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।
नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।
विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।
उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।
नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।
बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!
विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म
नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।
वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?
नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।
तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?
नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।
विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?
विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!
नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।
बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।
नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?
विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।
बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।
विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।
नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।
विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।
नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।
बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?
नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।
विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।
बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।
नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।
विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।
उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।
नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।
बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!
विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म
नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।
वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?
नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।
तभी विकी ने एक बम फोड़ा। वो बोला: आंटी, आप हमारी एक इच्छा पूरी करेंगे क्या?
नमिता: हाय्य्य्य्य कैसी इच्छा? बीजू अब चूत चाट रहा था।
विकी उसके निप्पल को मसलते हुए बोला: आप हमारी मम्मी बन जाओ और हम आपके बेटे का रोल प्ले करेंगे।
नमिता: क्या मतलब?
विकी: आंटी, अब हम आपको मम्मी बोलेंगे और आप हमको बेटा बोलिएगा। माँ बेटे की चूदाई में आपको भी मज़ा आएगा!
नमिता: छी ऐसा भी कहीं होता है? ये पाप है।
बीजू उसकी चूत से मुँह हटाकर बोला: आंटी ये मेरी जीभ की जगह आपके बेटे की भी जीभ हो सकती है । और उसकी जीभ से आपको और ज़्यादा मज़ा आएगा। आप देख लेना।
नमिता हैरान होकर बोली: तो क्या तुम लोग अपनी माँ के साथ ये सब करना चाहते हो?
विकी: हम तो मरे जा रहें हैं उनको चोदने को , पर साली हिम्मत ही नहीं होती।
बीजू: आंटी मैं तो मम्मी की चुचि उनको प्यार करने के बहाने छूकर ही मस्त हो जाता हूँ।
विकी: मैं भी जब मौक़ा मिलता है उनसे लिपटकर उनकी कमर और चूतरों को सहला देता हूँ।
नमिता: आऽऽहहहह बड़े गंदे हो तुम लोग। हाय्य्य्य्य चलो छोओओओओओड़ो नहीं तो मैं झड़ जाऊँगी।
विकी: हम तो तभी छोड़ेंगे जब आप मान जानोगी हमारी मम्मी बनने को।
नमिता: आह चलो ठीक है, मुझे मंज़ूर है। आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह बस करो आह्ह्ह्ह्ह नहीं तो मैं झड़ जाऊँगीं।
बीजू अपना मुँह हटाकर बहुत ही मीठी आवाज़ में बोला: मम्मी अच्छा लगा ना?
नमिता: हाऽऽयय्यय हाँ बेटा बहुत अच्छा लगा। आह तुम दोनों तो आज मुझे पागल ही कर दोगे।
विकी: मम्मी हम आपको पागल नहीं करेंगे बस आपको बहुत मज़ा देंगे।
बीजू: मम्मी ज़रा उलटी लेटो ना प्लीज़।
नमिता उत्तेजना से काँप कर पेट के बल लेट गयी। अब विकी उसकी पीठ को जीभ से चाट रहा था। उधर बीजू उसके तलवों को चाट रहा था और धीरे धीरे ऊपर आ रहा था। विकी पीठ चाटते हुए नीचे जा रहा था। नमिता का शरीर जैसे जलने लगा और वो आहें भर रही थीं।
बीजू: आह मम्मी आपकी पिंडलियाँ कितनी नरम हैं और जाँघें भी कितनी चिकनी हैं। वह जाँघों को सहलाते हुए बड़बड़ा रहा था।
विकी अब उसके चूतरोंको दबाते हुए बोला: आह्ह्ह्ह्ह मम्मी कितने बड़े गोल और कितने मक्खन से चिकने चूतर हैं आपके । और वो उनको चूमने लगा। फिर वो उसके दरार में अपनी जीभ डालकर नमिता को मस्ती से भर दिया।
उधर बीजू भी उसके जाँघों को दबाते हुए उसकी जाँघ के जोड़ तक जीभ ले आया था। अब दोनों के सर क़रीब एक ही जगह आ गए थे। विकी अब चूतरों को फैला कर उसकी दरार को चाट रहा था पर उसकी भूरि गाँड़ के छेद को नहीं छू रहा था।
नमिता का उत्तेजना के मारे बहुत बुरा हाल था।
तभी बीजू बोला: मम्मी प्लीज़ चूतरऊपर उठाओ ना।
नमिता ने अपने नीचे के हिस्से को ऊपर उठा दिया।
अब बीजू ने अपना सर नीचे किया और उसकी चूत और गाँड़ के बीच के हिस्से को चाटने लगा। उधर विकी अब उसकी गाँड़ चाटने लगा। नमिता सीइइइइइ कर रही थी।
अब बीजू उसकी चूतऔर विकी उसकी गाँड़ चाट रहे थे।
बीजू: मम्मी बहुत मस्त चूत है आपकी, ह्म्म्म्म्म्म
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽऽऽऽ और चूसस्स्स्स्स्स्स हाय्य्य्य्य्य्य!
विकी: मम्मी आपकी गाँड़ भी कितनी मस्त है म्म्म्म्म्म
नमिता: चाट आऽऽऽहहहज बेटाआऽऽऽऽ चाऽऽऽऽऽऽट आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह गाँड़ भी चाट। हाय्य्य्य्य्य्य में मरीइइइइइइइइ ।
फिर वो बुरी तरह से झड़ने लगी और चिल्लाकर कमरे को सर पर उठा लिया। उसका स्खलन इतना ज़ोरदार था कि बीजू का पूरा मुँह ही गीला हो गया।
वो दोनों नमिता को प्यार करते हुए लेट गए उसके साथ।
बीजू: मम्मी अच्छा लगा ? ठीक हो ना आप?
नमिता ने प्यार से दोनों को चूमा और बोली: हाँ बेटा बिलकुल ठीक हूँ, और सच कहती हूँ इतना मज़ा मुझे किसी ने नहीं दिया, जो मेरे बेटे अभी दिए हैं।
अब वो तीनों अलसाए से पड़े रहे। दोनों के लंड अब भी तने हुए थे।
नमिता सोचने लगी पता नहीं आगे और क्या करेंगे ये दोनों।
राज दोपहर को घर पहुँचा और ताला खोलकर अंदर अपने कमरे में गया तब, २ बजे थे सो उसने खाना खाया और लेट गया । माँ तो ५ बजे के बाद ही आतीं थीं।उसके दिमाग़ मेंआज दिन भर की बातें सिनमा की तरह चल रही थी।आज प्रतीक ने उसे कई बार अचरज में डाला था। क्या सच में वो अभी से सेक्स करने लगा है? क्या वो सच में प्रिन्सिपल मैडम को और शिला मैडम को पटा लेगा? अचानक उसको ये विचार भी आया किशायद वो उससे ( राज )भी दोस्ती बढ़ाएगा ताकि वो उसकी माँ को भी पटा सके क्योंकि वो भी तो विधवा थीं और उसके शब्दों में विधवा तो प्यासी होती है जिसको पटाना आसान होता है।
ये सोचकर उसका हथियार फिर खड़ा हो गया। आज पता नहीं क्यों उसको अपना लंड हिलाने की इच्छा हो रही थी। अपने जीवन में उसने कभी भी हस्त मैथुन नहीं किया था। हाँ कभी का ही रात में उसका सोते हुए झड़ जाता था। तब दिन मेंवो अपनी चड्डी को साफकरके पानी से गीला करके रख देता था ताकि माँ को शक ना होये । उसके कपड़े माँ वॉशिंग मशीन में धोती थी।
अचानक उसको याद आया कि अपने घर का टेलीफ़ोन नम्बर भी प्रतीक को दिया था और उसने अपना नम्बर भी दिया था। राज की इच्छा हो रही थी कि वो उसे फ़ोन करके और बातें करे।
अभी तो वो लंड को सहला रहा था और उसकी इच्छा प्रतीक से बात करने की बढ़ती ही जा रही थी।
तभी फ़ोन कीघंटी बजी, वो सोचा कि माँ का होगा, पर उधर प्रतीक ही था। राज के लंड ने झटका मारा , वह ख़ुद भी उसकी मस्त बातें सुनना चाहता था और उसको लगा कि प्रतीक उससे दोस्ती बढ़ाने के लिए ही फ़ोन किया है, ताकि वो उसकी माँ को पटा सके।उधर प्रतीक फ़ोन पर बोला: हाय, क्या कर रहे हो? खाना खा लिया?
राज: हाँ यार खा लिया बस अभी आराम कर रहा हूँ। तुमने खाना खा लिया? ये कहते हुए उसका हाथ लोअर के ऊपर से लंड सहला रहा था।
प्रतीक: हाँ यार खा लिया। बस अब मैं भी आराम कर रहा हूँ। पर मेरे आराम करने का तरीक़ा थोड़ा अलग है।
राज: अलग मतलब?
प्रतीक: यार मैं बताऊँगा तो तुम फिर बोलोगे किऐसा क्यों बोल रहे हो!
राज: नहीं मैं नहीं बोलूँगा, क्या अलग तरीक़ा है बताओ ना?
प्रतीक: यार मैं तो अपनी पैंट खोलकर अपना लंड सहला रहा हूँ और ब्लू फ़िल्म देख रहा हूँ। दर असल मेरे घर में इस समय मम्मी पापा तो रहते नहीं , इसलिए मैं मज़े करता हूँ।
राज: ओह, इस सबसे पढ़ाई का नुक़सान नहीं होता?
प्रतीक: मुझे कौन सी नौकरी करनी है, बाद में पापा का buisness ही सम्भालना है।
राज: ओह ऐसा क्या? बहुत क़िस्मत वाले हो तुम!
प्रतीक: अरे मेरी क़िस्मत और मेरा माल अभी आएगी और मज़ा देगी।
राज: क्या मतलब? कौन आएगी?
प्रतीक: मैरी आंटी , हमारी मेड (नौकरानी) , वो अभी मुझे खाना खिलायी है, अभी ख़ुद खा रही है, फिर किचन सम्भालकर वो आएगी और मेरी क़िस्मत चमकाएगी।
राज: मतलब? क्या करेगी?
प्रतीक: अरे मुझे चोदेगी और क्या करेगी !
राज: ओह मतलब तुम मैरी आंटी के साथ ये सब करते हो, पर तुमने तो कहा था किवो ४० के आसपास की है?
प्रतीक: तभी तो, वरना मैं उसे घास ही नहीं डालता।
राज: क्या वो भी विधवा है?
प्रतीक: नहीं वह शादीशुदा है, और उसके दो बच्चे हैं जो अपनी नानी के पास रहते हैं, यहाँ वो हमारे सर्वंट क्वॉर्टर मेंअपने पति के साथ रहती है जो की मिल का मज़दूर है। वह सुबह से शाम तक काम पर जाता है।
उसकी उम्र भी आंटी से १० साल ज़्यादा है।वो आंटी की प्यास नहीं बुझा पाता।
राज: ओह, इसीलिए वो तुमसे पट गयी है।
प्रतीक: वो मुझसे पटी है या उसने मुझे पटाया है, इसमें मुझे थोड़ा शक है। और ये कहते हुए हँसने लगा।
राज की उत्तेजना बढ़ने लगी और वो लंड को मसलने लगा।
राज: तुम्हारे पापा मम्मी को पता चलेगा तो उनको कितना बुरा लगेगा?
प्रतीक: मम्मी का तो पता नहीं, पर हाँ पापा को बुरा नहीं लगेगा।
राज: वो क्यों?
प्रतीक इसलिए कि आंटी ने बताया है कि पापा भी उसको कई बार चोद चुके हैं।
राज हैरानी से: क्या, अंकल भी? ओह, बड़ी अजीब बात है?
प्रतीक: इसमें अजीब बात क्या है? पापा का भी लंड उनको तंग करता होगा, वो भी कोई परिवर्तन चाहते होंगे।
राज उत्तेजित होता चला जा रहा था ये सब सुनकर, और अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगा।
राज: कहीं तुम्हारी मम्मी भी तो ऐसे ही परिवर्तन नहीं चाहती?
प्रतीक: ज़रूर चाहती होगी।अब पापा को क्या पता कि पार्लर में मम्मी क्या करती हैं!
राज उत्तेजना से भरते हुए बोला: तुमको शक है क्या आंटी पर?
प्रतीक हँसते हुए: शक नहीं यक़ीन है, क्योंकि कई बार जब मैं मम्मी से पैसे लेने पार्लर जाता हूँ तो वहाँ की लड़कियाँ मुझे इंतज़ार करने को कहती हैं और फिर मैंने उनको कमरे से बाहर निकलते देखा था किसी लड़के के साथ।उनका चेहरा बिलकुल थका दिखता था। वो ठीक से चल भी नहीं पा रहीं थीं, इतना बुरा हाल था उनका।मैं जानता हूँ ऐसा ज़बरदस्त चुदायी के बाद ही होता है।
राज: ओह पर ये भी तो हो सकता हाँ किऐसा कुछ हो ही नहीं।
प्रतीक: यार, मैं भी जब मैरी आंटी को चोदता हूँ तो वो भी बहुत थक जाती है। मैं सब समझता हूँ।
राज अब लोअर और चड्डी नीचे कर दिया और नंगे लंड को हिलाने लगा, ये उसका पहला अनुभव था।
राज: ओह,तो आंटी क्या लड़के ही पसंद करती है, या अपनी उम्र के आदमी भी?
प्रतीक: मैंने हमेशा उनको लड़कों के साथ ही देखा है।
तभी प्रतीक बोला: यार वो आने वाली है, साली आते ही मेरा लंड चूसेगी क़रीब १० मिनट तक फिर मेरे ऊपर चढ़ कर मुझे चोदेगी। मैं तो बस आख़िरी में ही ऊपर आकर उसकी चुदायी करता हूँ।
अब राज उत्तेजना से पागल होकर बोला: यार मैं ये सब नहीं समझता , तू मेरा एक काम करेगा?
प्रतीक: यार बोल ना, तेरे लिए जान भी हाज़िर है, पर जल्दी कर आंटी आने वाली है।
राज: तू अपना फ़ोन चालु रखना मैं तुम दोनों की बातें सुनना चाहता हूँ।
प्रतीक मन ही मन मुस्कराया और बोला: क्यों नहीं यार तेरे लिए इतना तो करूँगा ही, चल अब मैं बात नहीं कर पाउँगा वो आ रही है।’
अब राज का लंड झड़ने ही वाला था, वो बहुत उत्तेजित था , उसने अपना हाथ लंड से हटाया और फ़ोन सुनने की कोशिश किया।
उधर से साफ़ आवाज़ आ रही थी------
मैरी आंटी: अरे ये क्या कर रहे हो, इस बेचारे के साथ हाथ से, मैं मर गयी हूँ क्या, और हँसने की आवाज़ के साथ चूमने की आवाज़ आने लगी।
प्रतीक: आंटी चूसो ना मेरा लंड, कब से तड़प रहा है आपके मुँह में जाने के लिए।
आंटी: ले बेटा अभी चूसती हूँ, पर आज तू मुझे आंटी बोल रहा है, रोज़ तो मुझे मम्मी बोलता था चुदायी के समय।
राज को चूसने की आवाज़ें आ रही थीं और प्रतीक की आऽऽहहह मम्मी और चूसो हाय्य्य्य्य्य कितना मज़ा देती हो मम्मी जैसी आवाज़ भी आ रही थी।
राज ने सोचा कि ही भगवान, ये लड़का तो अपनी माँ को चोद रहा है ऐसी सोच के साथ आंटी को चोद रहा है। ये सोचते ही उसका हाथ अपने लंड पर ज़ोर से चलने लगा और उसने पहली बार अपने आप को झड़ते देखा। उसका हाथ उसके वीर्य से भर गया था। और इसी उत्तेजना में उसका फ़ोन गिर गया। जब उसने फ़ोन उठाया तो वो कट चुका था।
वह अभी तक हाँफ रहा था। और अपने ढेर सारे वीर्यको हैरानी से देख रहा था। बाथरूम से सफ़ाई करके जब वो लेटा तो उसने महसूस किया किउसकी पूरी उत्तेजना अब शांत हो गयी है।अब वो बहुत ही हल्का महसूस कर रहा था। फिर ये सोचते हुए कि प्रतीक आंटी को अपनी माँ सोचकर चोद रहा होगा, वो मज़े से भर गया और फिर उसकी नींद खुली।
उसकी नींद खुली क्योंकि कॉल बेल बजी। वो समझ गया कि माँ आ गयी और उसने जाकर दरवाज़ा खोला। माँ दरवाज़े में खड़ी थी और उनकी हालत देखकर वो थोड़ा परेशान हो गया।
राज: माँ तुम ठीक तो हो ना? बहुत थकी दिख रही हो?
नमिता: हाँ बेटा बहुत काम था , थक गयी हूँ।
राज ने दरवाज़ा बन्द किया और जैसे ही मुड़ा , उसने देखा कि माँ पैर फैलाकर चल रही थी , जैसे कि बहुत दर्द में हो।
उसने पूछा: माँ क्या हुआ, ऐसे क्यों चल रही हैं आप? क्या कहीं गिर गयीं थीं?
नमिता अपने गाँड़ के दर्द से परेशान हो रही थी पर बोली: नहीं बेटा, बस थोड़ा मोच आ गयी है। ठीक हो जाऊँगी। ये कहते हुए वो सोफ़े पर लेट सी गयी।
राज भागकर पानी लाया, और बोला: माँ चाय बना दूँ?
नमिता उसको प्यार से देखकर बोली: हाँ बेटा बना ले, बहुत मन कर रहा है चाय पीने का।
राज किचन मेंजाकर चाय बनाते हुए सोचने लगा कि माँ इतनी थकी हुई क्यों दिख रही है।और वो ऐसे अजीब सी क्यों चल रही है? उसे प्रतीक की कही हुई बातें याद आयीं जो उसने अपनी माँ के बारे में बता रहा था कि ज़बरदस्त चुदायी के बाद उसकी माँ बहुत थकी दिख रही थी और ठीक से चल भी नहीं पा रही थी। यही हाल तो आज माँ का भी है, तो क्या माँ भी आज किसी से चुदवा कर आयी है? उसका लंड ये सोचकर खड़ा हो गया। उसे बड़ी हैरानी हो रही थी किउसे अपनी माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वह उत्तेजित हो रहा था ये सोचकर कि वो ज़बरदस्त तरीक़े से चुदीं होंगी। तभी चाय का पानी उबलने लगा और वो होश में आकर चाय बना लाया।
राज अपनी माँको चाय देने जब सोफ़े के पास आया तब नमिता सो चुकी थी। उसने ध्यान से माँ को देखा तो वह बहुत थकी हुई दिख रही थी।अब उसका पल्लू भी गिर गया था और उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके ब्लाउस में से बाहर आने को बेचैन थीं।राज ने देखा कि ब्लाउस भी बहुत मसला हुआ सा लग रहा था जैसे किसी ने ब्लाउस का कचूमर बना दिया हो। अब उसे विश्वास हो गया कि माँ की छातियों को ब्लाउस के ऊपर से भी मसला गया है। ये सोचकर उसका लंड एकदम से खड़ा हो गया और वो सोचने लगा की आख़िर वो कौन है जिसने माँ की इतनी ज़बरदस्त चुदायी की है।
अब उसने माँ को उठाया और चाय दी। वो उठकर अपना पल्लू ठीक करी और फिर चाय पीने लगी।
राज भी चाय पीते हुए बोला: माँ आप आज बहुत थकी दिख रही हो? आख़िर इतना भी क्या काम आ गया था?
नमिता चौंक कर बोली: बस बेटा कभी कभी काम ज़्यादा हो जाता है।
अब मैं नहाऊँगी फिर खाना बनाऊँगी।
राज: छोड़ो ना माँ आज खाना बाहर से मँगा लेते हैं, आप बहुत थक गयी हो।
नमिता: हाँ यही ठीक रहेगा, चलो मैं नहा तो लूँ।
जैसे ही नमिता नहाने गयी,राज ने उसका फ़ोन उठाया और मेसिज चेक करने लगा। उसने देखा कि बीजू का एक मेसिज था- मम्मी आप घर पहुँच गए क्या?
माँ का जवाब- हाँ थोड़ी देर हुई।
फिर उसका ही दूसरा मेसिज था-- मम्मी पिछवाड़ा कैसा है? अभी भी दुःख रहा है क्या?
माँ का जवाब- हाँ बहुत दुःख रहा है, अभी नहाने जाऊँगी तो दवाई लगाऊँगी। बहुत ज़ालिम हो तुम दोनों। चलो बाई।
विकी-- सारी मम्मी, बाई मेरा भी और बीजू का भी बाई।बीजू अभी नहाने गया है।
बस इतना ही मेसिज था, राज हैरान था किये तो दो बंदे हुए और ये मेरी माँ को मम्मी क्यों बोल रहे हैं? क्या माँ दोनों से चुदवा कर आ रही है। और पिछवाड़े का क्या मतलब? उसे समझ नहीं आया, उसने प्रतीक से बाद में पूछने का सोचा।
फिर वो माँ से ये बोलकर कि मैं खेलने जा रहा हूँ, बाहर चला गया।
घर के पास के मैदान में उसे उसका दोस्त नदीम मिला जो कि ५ वीं के बाद पढ़ायी छोड़ दिया था और अब अपने पापा के साथ दुकान पर बैठता था। दोनों थोड़ी देर सबके साथ फ़ुट्बॉल खेले और फिर थक कर एक कोने में बैठ गए और बातें करने लगे।
नदीम: पढ़ाई कैसी चल रही है।
राज: ठीक ही है ,आजकल मन थोड़ा पढ़ायी में कम लगता है।
नदीम: वो क्यों? क्या कोई छोकरी के चक्कर में पड़ गया है?
राज लाल होकर: नहीं भाई ऐसी कोई बात नहीं है! बस पता नहीं क्यों!
नदीम: यार मैं तो स्कूल को मिस करता हूँ , क्या सुंदर सुंदर लड़कियाँ हैं आजकल स्कूल में। और कई मैडम भी माल है। आजकल मैं स्कूल में स्टेशनेरी सप्लाई का काम करता हूँ तो कई स्कूल में आना जाना होता है। तेरे स्कूल में तो शिला मैडम सबसे बढ़िया माल है।
राज: साले वो अपने श्रेय की मम्मी है।
नदीम: यार तो क्या हुआ? हर औरत किसी ना किसी की मम्मी तो होती ही है! तो क्या हम उनको ताड़ना बंद कर दें?
राज: तो हो सकता है कि कोई तुम्हारी मम्मी के बारे में भी ऐसा सोचने लगे तो तुम्हें कैसे लगेगा?
नदीम: ह्म्म्म्म्म अब तुमसे क्या बोलूँ, हिचक हो रही है।
राज: क्यूँ क्या हुआ बोलो ना।
नदीम: तू किसी को बोलेगा तो नहीं?
राज: अरे हर हम पक्के यार हैं, बोल ना जो बोलना है।
नदीम: दर असल मुझे डर है कि तू मेरी दोस्ती ना तोड़ दे?
राज: अरे ऐसी भी क्या बात है?
नदीम: चल बोल ही देता हूँ। मुझे दुनिया में बस दो ही औरतें सेक्सी लगती हैं और जिनको मैं चोदना चाह्ता हूँ, वो हैं, पहली मेरी अपनी मम्मी !
राज का मुँह खुला का खुला रह गया: ओह, और दूसरी?
नदीम: तेरी मम्मी। देख ग़ुस्सा नहीं होना। मैं क्या करूँ ये दोनों मुझे बहुत मस्त लगती हैं। गोरा रंग, भरा बदन, मस्त पिछवाड़ा।
राज हैरानी से बोला: मेरी मम्मी भी ? और अब फिर उसे वही अजीब फ़ीलिंग होने लगी ,उत्तेजना वाली ना किग़ुस्से वाली।आख़िर उसे ख़राब क्यों नहीं लगता जब कोई उसकी मम्मी के बारे मेंऐसी गन्दी बात करता है?
नदीम: हाँ यार दोनों मम्मियाँ माल हैं । ख़ासकर तेरी मम्मी का पिछवाड़ा तो लंड खड़ा कर देता है।
राज को याद आया कि मेसिज में बीजू उनकी पिछवाड़े के दर्द की बात कर रहा था। और ये नदीम भी वही बोल रह है।
राज: यार पिछवाड़ा मतलब हिप्स ना?
नदीम: हाँ यार और पिछवाड़े में लंड डालने में बहुत मज़ा आता है। हिप्स यानी चूतर फैलाओ और गाँड़ के छेद में लंड डाल दो , क्या मस्त मज़ा आता है।
राज: ओह पर मैं तो समझता था कि वो तो सामने के छेद में ही डालते हैं।पीछे का छेद? क्या उसमें भी डाला जाता है?
नदीम: हाँ यार ख़ास कर बड़ी चूतरोंवाली औरत की गाँड़ मारने में बड़ा मज़ा आता है। हाँ इसने औरत को दर्द तो महसूस होता है पर मज़ा भी मिलता होगा।
राज समझ गया कि माँ ज़रूर गाँड़ मरवा के आइ है तभी उसका पिछवाड़ा दुःख रहा है। अब उसका लंड पूरा कड़ा हो गया था।
राज: अच्छा यार ये तो बता कि आंटी यानी अपनी मम्मी के साथ कुछ किया अब तक?
नदीम कुटिल मुस्कान के साथ बोला: बता दूँगा यार , थोड़ा सबर करो।
तभी राज ने देखा किअँधेरा हो रहा है,वह बोला: अच्छा चलता हूँ घर को। बाद में मिलेंगे।
घर पहुँचकर वो पढ़ने बैठा,पर उसका ध्यान बार बार अपनी माँ की ओर जा रहा था कि कैसे वो उन दोनों लड़कों से चुदवायी होगी। और उसकी गाँड़ भी मारी होगी लड़कों ने।
तभी माँ की आवाज़ आयी चलो खाना आ गया है खा लो।
वो माँ के साथ खाना खाया और माँ जल्दी से सोने के लिए चली गयी। उसने फिर से पढ़ने की कोशिश की पर उसका ध्यान भटक रहा था। आज रात फिर से उसने मूठ मारी और झड़कर सो गया।
राज सुबह उठा तो उसका लंड खड़ा था।पता नहीं उसके दिमाग़ मेंक्या आया कि वह अपनी माँ के आने के समय आँख बंदकरके एक हाथ आँखों पर रख लिया। और फिर उसमें से देखने लगा जबकि नमिता को लग रहा था कि उसकी आँखें बंद हैं। नमिता उसे उठाने ही वाली थी किउसकी निगाह तंबू पर पड़ी और उसे याद आया किउसने बीजू या विकी के लंड पर चादर रखा था ये देखने के लिए कि कितना बड़ा तंबू बनता है। अब उसे विश्वास ही गया था की राज का लंड भी बीजू और विकी जैसा ही काफ़ी बड़ा है।
उसकी पैंटी गीली होने लगी, उसके निपल्ज़ भी कड़े हो गए थे।
फिर उसने राज को कंधे पकड़कर हिलाते हुए उठाया।
राज भी नाटक करते हुए उठा और अपना लंड अपने हाथ से छुपाने का नाटक कर रहा था। अब वो बाथरूम जाकर अपने लंड को ठंडे पानी से शांत किया। बाहर आया तो माँ उसका बिस्तर ठीक कर रही थी, वो झुकी हुई थी और उसका पिछवाड़ा सच में बहुत आकर्षक लग रहा था,उसे नदीम की बात याद आयी , जो कि उसने इस पिछवाड़े के बारे में कही थी। अब वो माँ के पीछे से आकर उससे चिपक गया और बोला: माँ गुड मॉर्निंग।
नमिता: गुड मॉर्निंग बेटा,नींद आयी ठीक से?
राज: जी माँ । आपका पैर का दर्द कैसा है? वो जानता था कि वह पैर नहीं गाँड़ के दर्द का पूछ रहा है।
नमिता: हाँ बेटा अब ठीक है।
फिर उसने पीछे से ही माँ के गाल का चुम्मा लिया और फिर वो नहाने चला गया।
नमिता ने नाश्ता बनाया और दोनों ने नाश्ता किया,आज इतवार था और शाम को उसे और श्रेय को प्रतीक के घर जाना था।
अब वह पढ़ने बैठा, पर उसके मन में अजीब अजीब से विचार आ रहे थे। प्रतीक और नदीम की कही बातें और बीजू के मेसिज जैसे उसके आँखों के आगे घूम रहे थे और वो अपनी माँ के बारे में सोचने लगा। उसे अपनी माँ से सहानुभूति भी हो रही थी कि इस उम्र में उन्हें पति का सुख नसीब नहीं है।
अगर वह ख़ुद अपने पर क़ाबू नहीं रख पा रहा था तो माँ का भी शायद यही हाल होगा। उसे माँ पर ग़ुस्सा नहीं आ रहा था बल्कि वो और ज़्यादा जानने को उत्सुक था कि माँ कैसे मज़ा लेती है? और सच में क्या वो आसानी से पट सकती थी जैसे की प्रतीक कह रहा था।
जब उसका मन पढ़ाई में नहीं लगा तो उसने प्रतीक को फ़ोन किया। फ़ोन किसी स्त्री ने उठाया और राज बोला: प्रतीक है क्या?
उधर से जवाब आया : आप कौन बोल रहे हैं?
राज: मैं राज बोल रहा हूँ प्रतीक मेरा दोस्त है।
वो औरत बोली: अभी बुलाती हूँ ।
थोड़ी देर में प्रतीक बोला: हाँ राज कैसे हो? बोलो क्या बात है?
शाम को तुम और श्रेय आ रहे हो ना?
राज: हाँ आ रहे हैं यार। अभी बोर हो रहा था तो सोचा तुमसे बात कर लूँ।
प्रतीक: हाँ भाई क्यों नहीं। मैं भी बोर हो रहा था। आज तो पापा मम्मी घर मे रहते हैं इसलिए आज मेरा और मैरी आंटी का मज़ा नहीं हो पाता।
राज: अरे यार, तुमसे एक बात कहनी थी, कल मेरा एक दोस्त मिला था, वो मुझे बोल रहा था कि उसको भी तुम्हारे जैसे बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं।
प्रतीक: अरे यार मुझे भी उससे मिलवा देना, हम दोनों की ख़ूब जमेगी। क्या अब तक उसने किसी को ठोका है?
राज: वह खुल कर बोला तो नहीं, पर लगता है कि उसको कुछ को अनुभव है इस सब का।
प्रतीक: फिर तो उससे मिलना ही पड़ेगा। कभी तेरे घर आऊँगा तो मिलवा देना। और क्या बोल रहा था वो?
राज: उसने बड़ी ही अजीब बात की, वो कह रहा था किउसको दो ही औरतें सेक्सी लगतीं हैं।
प्रतीक: कौन कौन?
राज: एक तो उसकी मम्मी और दूसरी ---
प्रतीक: दूसरी? बता ना यार!
राज: दूसरी मेरी मम्मी।
प्रतीक: ओह माई गॉड! सच ऐसे बोला? तुम्हें ग़ुस्सा तो नहीं आया?
राज: यही सोच कर तो मैं हैरान हूँ कि मुझे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया?
प्रतीक: मैं समझ सकता हूँ , मेरा भी यही हाल है, मैं जब मम्मी को पार्लर में लड़के के साथ देखा तो मुँझे भी उत्तेजना ही हुई , गुस्स्सा नहीं आया। तेरा भी यही हाल है।
राज: ऐसा क्यों है यार?
प्रतीक: इसलिए कि हम इसे बुरा नहीं मानते, और शायद अपनी माँ को ख़ुद ही चोदना चाहते हैं।
राज: नहीं मैंने ऐसा नहीं सोचा। पर --
प्रतीक: अभी नहीं सोचा पर जल्दी ही सोचोगे।
तभी नमिता ने राज को आवाज़ दी और राज फ़ोन काटते हुए बोला: चलो शाम को मिलते हैं।
शाम को श्रेय और राज प्रतीक के घर पहुँचे। प्रतीक के फ़्लैट का दरवाज़ा एक भरे बदन की औरत ने खोला। राज समझ गया कि ये मैरी आंटी है। वो दोनों उसके पीछे चलने लगे। राज ने ध्यान से मैरी के पिछवाड़े को देखा तो पाया कि ये भी माँ के हिप्स से बस १९/२० ही होंगें।वो भूक़े की तरह उसके हिप्स को देख रहा था, और उनकी थिरकन का मज़ा ले रहा था।
उनको ड्रॉइंग रूम में बिठाकर वो प्रतीक को बुलाने चली गयी। तभी वहाँ प्रतीक की मम्मी आयीं, उनका नाम निलिमा था। राज और श्रेय ने उनको उठकर नमस्ते की। उन्होंने प्यार से बैठने को बोलकर साथ के एक सोफ़े में बैठ गयी।राज ने ध्यान से देखा कि वो एक आधुनिक महिला थी और उन्होंने एक टॉप और जींस पहनी थी। उनके बड़ी छातियाँ टॉप को मानो फाड़ने को आतुर थीं। और उनके चौड़े चूतर जींस के दोनों ओर से बुरी तरह बाहर आने को तय्यार थे।अपनी उम्र के हिसाब से उनका चेहरा बहुत चिकना और गोरा था। स्लीव्लेस टॉप से गोरी गुदाज बाहँ जैसे बिजली गिरा रही थीं।राज को अपने हथियार में तनाव महसूस होने लगा। उसने श्रेय कीओर देखा तो वो TV देख रहा था।
निलिमा: तुम्हारे नाम क्या हैं? क्या प्रतीक के साथ पढ़ते हो?
राज: मैं राज हूँ और ये श्रेय है। मैं प्रतीक के साथ पढ़ता हूँ और ये हमसे एक साल पीछे है।
निलिमा: चलो अच्छा है नए स्कूल मेंकमसे कम तुम दोनों उसको मिल गए। वरना वह अकेला फ़ील करता।
तभी प्रतीक आ गया और दोनों से हाथ मिलाया।
प्रतीक: मम्मी इनसे मिले आप?
निलिमा: हाँ मेरा परिचय हो गया। बड़े प्यारे बच्चे हैं। चलो तुम लोग बातें करो मैं और तुम्हारे पापा आज एक पार्टी मेंजाएँगे। फिर उसने आवाज़ दे कर मैरी आंटी को बुलाकर कहा: देखो इन बच्चों का ध्यान रखना। इन्हें बढ़िया चाय और नाश्ता कराओ।
मैरी: जी मैडम ।
तभी प्रतीक के पापा आए और सबसे हाथ मिलाए और फिर निलिमा के साथ बाहर चले गए। राज ने देखा कि प्रतीक के पापा भी काफ़ी
रोबदार और तगड़े दिखते थे।
उन दोनों के जाते ही प्रतीक बोला: wow अब हमारा राज है, यहाँ।
चलो मेरे कमरे में चलते हैं। फिर तीनों प्रतीक के कमरे में आ गए। वहाँ की शान देखकर राज और श्रेय हैरान रह गए। वो दोनों तो मध्यम वर्ग के लोग थे,पर प्रतीक के पिता काफ़ी अमीर थे। इस लिए कमरे में ac, बड़ा TV वीडीयो सिस्टम वग़ैरह सब थे।काफ़ी बड़ा पलंग था, जिसमें बहुत गद्देदार बिस्तर था।वहाँ भी सोफ़ा रखा था।
सब सोफ़े पर बैठ गए।
राज: यार तेरे तो मज़े हैं, मैंने तो इतना शानदार कमरा कभी देखा ही नहीं।
प्रतीक: चल यार, ये सब छोड़ो और चाय पीते हैं, या कुछ और पीना है? ये कहते हुए उसने आँख मारी।
श्रेय: कुछ और मतलब?
प्रतीक:अरे भाई बीयर वग़ैरह और क्या?
राज: अरे नहीं भाई ये सब नहीं। हम ये सब नहीं पीते।
तभी मैरी वहाँ चाय नाश्ता लेकर आयी और टेबल पर रखने लगी।
मैरी के झुकने के कारण उसकी छातियाँ जो कुर्ते के ऊपर से आधी नंगी दिख रही थीं और उसके उभरे हुए चूतरों को देखकर उसका हथियार फिर से गरम हो गया।
प्रतीक ने राज को देखते हुए ताड़ लिया, और मन ही मन में मुसकाया। मैरी के जाने के बाद वो बोला: क्या भाई क्या ताड़ रहे थे? लगता है पसंद आ गयी है?
राज: अरे नहीं यार, ऐसा कुछ नहीं है, तुम तो बस ख़ामख्वा ही कुछ भी बोल रहे हो !
फिर उन्होंने चाय और नाश्ता किया।
श्रेय PC के मॉनिटर के पास जाकर उसे देख रहा था।
वो बोला: भय्या ये चालू करो ना, मुझे गेम खेलना है।
फिर श्रेय PC पर गेम खेलने लगा। प्रतीक राज को लेकर बाहर आया और बोला: कुछ मस्ती करनी है?
राज: कैसी मस्ती?
प्रतीक: मेरे पास कुछ मस्त फ़िल्मे हैं देखेगा तो मस्त हो जाएगा।
राज: कैसी फ़िल्मे?’
प्रतीक: मौज मस्ती की फ़िल्में और क्या?
राज हिचकते हुए बोला : श्रेय किसी को बता ना दे?
प्रतीक: अरे वो तो गेम खेल रहा है, चलो हम गेस्ट रूम में देखते हैं।
दोनों उस कमरे से निकले और गेस्ट रूम में उसने TV चालू किया और एक USB ड्राइव निकालकर TV मैं लगाया और फिर TV में एक अंग्रेज़ी फ़िल्म चालू हो गयी। दोनों बिस्तर पर बैठकर फ़िल्म देखने लगे।
प्रतीक: इस फ़िल्म में एक लड़का अपनी माँ को पटा कर चोदता है। मस्त फ़िल्म है।
राज: क्या इस फ़िल्म में यह सब दिखाया है?
प्रतीक: देखो और मज़ा लो।
फ़िल्म में एक लड़का अपनी माँ को किचन में पीछे से पकड़ लेता है,और उसकी छातियाँ दबाने लगता है। और बहुत जल्दी वो नंगे बिस्तर पर आ कर वो नंगे होकर चुदाई करने लगते हैं। हर तरीक़े से अलग अलग आसनो में चुदायी कर रहे थे।वो एक दूसरे के यौन अंगों की चुसाई भी कर रहे थे। ये सब देखकर राज बहुत उत्तेजित हो गया और अपने लंड को दबाने लगा। प्रतीक भी अपना लंड दबा रहा था।
तभी राज की नज़र दरवाज़े पर पड़ी तो वहाँ श्रेय आँखें फाड़कर ये सब देख रहा था और उसका हाथ भी अपने पैंट के उभरे हुए हिस्से पर था।
राज धीरे से प्रतीक को बोला: श्रेय भी देख रहा है।
प्रतीक: अरे श्रेय आओ ना देखो क्या मस्त फ़िल्म है,माँ बेटे की चुदाई की। चलो एक दूसरी फ़िल्म देखो शुरू से । फिर एक नई फ़िल्म चालू की जिसने एक भरे पूरे बदन की Russian माँ अपने बेटे से चुदाती है। अब तो श्रेय भी उनके साथ ये फ़िल्म देखकर उत्तेजना से अपने लंड को सहला रहा था।
प्रतीक: मज़ा आ रहा है ना? साली एक दम मेरी माँ जैसे दिखती है, उसकी चूचियाँ और चूतर मेरी माँ के जैसे ही बड़े बड़े हैं।
अब दोनों उसकी ये बात सुनकर हैरानी से प्रतीक को देखने लगे।ये अपनी माँ के बारे में ऐसा कैसे बोल सकता है?
राज: यार ये क्या बोल रहा है? अपनी माँके बारे में ?
प्रतीक: यार मैंने उनको नंगी देखा है इसलिए बोल रहा हूँ किवो बिलकुल ऐसी ही दिखती है।
अब तीनों अपने अपने लंड को दबा रहे थे।
प्रतीक: किसी को आंटी से मज़ा लेना है असली चुदाई का?
राज: नहीं यार मैं अब जाऊँगा अपने घर।
श्रेय भी घर जाने के लिए खड़ा हो गया।
फिर वो दोनों अपने अपने घर की ओर चले गए।
उधर प्रतीक मन ही मन अपनी सफलता पर ख़ुश हो रहा था।
राज जब घर वापस आया तो देखा कि माँ सोफ़े पर बैठ कर सब्ज़ी काट रही थी। वो उसके पास आकर बैठ गया। आज नमिता ने कुर्ती और पजामा पहना था। उसके गले के नीचे से क़रीब एक चौथाई छातियाँ बाहर झाँक रही थीं।
नमिता: आ गया बेटा, कुछ खाएगा?
राज: नहीं माँ प्रतीक के घर नाश्ता किया था।
नमिता: ये कैसा लड़का है प्रतीक? पढ़ाई में कैसा है?
राज: कुछ ख़ास नहीं है माँ पढ़ायी में। वह कहता है पढ़ कर क्या होगा, उसे कौन सी नौकरी करनी है, वह तो अपने पापा का बिसनेस सम्भालेगा।
नमिता थोड़ी गम्भीर हो गई और बोली: बेटा ऐसे लड़के से तेरी दोस्ती ठीक नहीं! मैंने तुम्हें कई बार कहा है कि इन अमीर राईसज़ादों से दूर रहो। और सिर्फ़ श्रेय जैसे पढ़ने वाले लड़कों से ही दोस्ती करो।
राज: माँ वो अच्छा लड़का है, उसे पैसे का बिलकुल घमंड नहीं है।
नमिता: देखो बेटा, तुम्हें हर हाल में अपने स्कूल के टॉप २/३ मेंआना ही होगा। तुमको स्कालर्शिप मिलनी ही चाहिए और तुम्हें अपने पापा का engineer बनने का सपना पूरा करना ही होगा।
राज: मैं पूरी कोशिश करूँगा माँ ।
नमिता: तुम्हारे मन्थ्ली टेस्ट कबसे शुरू होंगे?
राज: अगले पंद्रह दिनों में ।
नमिता: तुम्हारी तय्यारी कैसी चल रही है?
राज सकपका गया: माँ वो ठीक ठाक ही है।
नमिता अपनी आवाज़ में थोड़ी सी कठोरता लाकर बोली: इसका क्या मतलब? तुम्हारे इन सभी टेस्ट्स में कम से कम ८० से ९० प्रतिशत नम्बर आने ही चाहिये।
राज हकला कर बोला: मैं मैं पूरी मेहनत करूँगा, माँ।
नमिता: मेहनत तो करोगे ही और नतीजा भी लाना ही होगा।
राज सोच में पड़ गया कि जबसे प्रतीक से मिला है वो सेक्स के बारे में ज़्यादा ही सोचने लगा है, और इसी वजह से उसका ध्यान पढ़ाई में लग ही नहीं पा रहा है। उसने सोचा कि उसको प्रतीक से दूर ही रहना होगा, नहीं तो पढ़ाई का तो सत्यानाश ही हो जाएगा।
उसने माँ की तरफ़ देखा तो वो थोड़ा चिंतित नज़र आ रही थी। उसे ख़राब लगा किवो ख़ुद इसका कारण है।
माँ ने सब्ज़ी की टोकरी को टेबल पर रखकर राज को कहा: बेटा, तुम्हारी पढ़ाई को लेकर मैं बहुत चिंतित हूँ, तुम बहुत मेहनत करो,कोई कमी मत छोड़ो। आज तुम्हारे पापा होते तो कुछ और ही बात होती । ऐसा कहते हुए उनकी आँखों में आँसू आ गए।
राज भी भावना में बह कर बोला: माँ मैं पूरी तैयारी करूँगा आप परेशान ना हो।
नमिता ने उसके कंधे को पकड़कर अपनी ओर खिंचा और उसको अपने पास लाकर उसका गाल चूम लिया और बोली: तू ही तो मेरा इकलौता सहारा है।
राज भी अपनी माँ से लिपट गया और उसका मुँह माँ की छातियों में घुस गया। नरम नरम माँ का बदन जो पसीने की गंध से महक रहा था, उसे मस्त करने लगा। नमिता की स्लीव्लेस कुर्ती से उसकी बिना बालों की बग़ल भी उसके सामने थी, वहाँ से भी तीखी ज़नाना गंध आ रही थी। राज तो जैसे बावरा सा हो गया।
नमिता: बेटा मुझे निराश नहीं करोगे ना?
राज ने अपना मुँह उसकी छातियों में दबाते हुए कहा: कभी नहीं माँ ।
नमिता भी प्यार से उसके सर को चूम कर बोली: चल हट अब मुझे सब्ज़ी बनाना है।
राज उससे और ज़ोर से चिपकते हुए बोला: माँ कितने दिनों बाद आप प्यार कर रही हो। थोड़ी देर रुको ना।
नमिता हँसती हुई उसको और ज़ोर से अपनी छाती में भींचकर बोली: चल अब बहुत प्यार हुआ, चल पढ़ने बैठ अब।
राज अन्मने भाव से अलग हुआ और नमिता उठकर जाने लगी, तभी वहाँ नीचे रखी चप्पल में उसका पाँव फँस गया और वो लड़खड़ा कर गिरने लगी। राज ने उसका हाथ पकड़कर उसको गिरने से रोका, और इसी गड़बड़ी में वह राज की गोद में आ गिरी।
राज ने भी हड़बड़ाके उसको अपने से सटा कर ज़ोर से जकड़ लिया, कि कहीं वह गिर ना जाए। नमिता के भारी और नरम चूतरोंका स्पर्श कितना सुखद था राज के लिए, उसे लगा कि वक़्त यहीं थम जाए और माँ ऐसी ही उसकी गोद में बैठी रहे, पर ऐसा हुआ नहीं।
नमिता ने खड़े होने की कोशिश की और इस प्रयास में उसका पिछवाड़ा और ज़ोर से राज के लंड को दबाने लगा। उसका लंड अब झटके खाने लगा था, तभी नमिता उठ गयी, और उसे राज के खड़े हो रहे लंड का अहसास नहीं हुआ।
उसके जाने के बाद राज ने अपनी पैंट ठीक की और पढ़ने बैठ गया। पर यह क्या उसका ध्यान बार बार माँ की छातियों पर, उस नरम हिस्से की छुवन को और उनके भरे हुए चूतरों पर और उनकी बग़ल से आने वाली गंध पर ही था। पढ़ाई तो उससे कोंसों दूर हो चुकी थी। और उधर माँ उसे पढ़ाई के लिए बहुत दबाव डाल रही थी। वह बड़े पशोपेश में था कि आख़िर क्या करे?
उलझन बहुत बड़ी थी।
उधर नमिता बहुत चिंता में थी कि पता नहीं राज की पढ़ाई कैसी चल रही है? वह श्रेय की माँ शीला मैडम को जानती थी सो उसने उसको फ़ोन किया और बोली: हाई कैसी हैं आप?
शीला: मैं ठीक हूँ बोलिए कैसे याद किया?
राज खाने के लिए जब आया तो नमिता ने पूछा: बेटा तैयारी हो गई?
राज: किसकी माँ ?
नमिता: कल के टेस्ट की?
राज: कैसा टेस्ट?
नमिता: तुमको नहीं मालूम कल तुम्हारा गणित का टेस्ट है?
राज तो जैसे आसमान से गिरा, वो हड़बड़ा कर बोला: ओह माँ मैं तो भूल ही गया था।
नमिता: भूल गया? क्या ये भी कोई भूलने की बात है? तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है? चलो जल्दी से खाना खाओ और पढ़ने बैठो।
मुझे बहुत दुःख है कि तुम इतने लापरवाह हो गए हो!
राज: माँ ग़लती हो गई प्लीज़ माफ़ कर दो, पर आपको कैसे पता चला?
नमिता: मेरी शीला मैडम से बात हुई थी। कल के टेस्ट में तुम्हारे अच्छे नम्बर आने चाहिए, मैं कुछ नहीं जानती, चाहे तुम्हें रात भर ही क्यों ना पढ़ना पड़े।
नमिता की आवाज़ में एक कड़ायी थी और राज थोड़ा सा डर सा गया।
उसने खाना खाया और पढ़ने बैठ गया। अभी उसने थोड़े से सवाल ही किए थे, फिर वो बाथरूम की ओर गया तभी उसे माँ की बातें करने की आवाज़ आयी। वह किसी को दबी आवाज़ में डाँट रही थी। पता नहीं क्यों उसके पैर अपने आप उनके कमरे की ओर चले गए और वह खिड़की के पास खड़े होकर उनकी बात सुनने लगा।
नमिता: तुम पागल हो गए हो क्या? मैं ऐसे कैसे कभी भी आ सकती हूँ?
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नमिता: मैं कल तुमको ऑफ़िस में मिलूँगी।और ऐसे मुझे कभी फ़ोन नहीं करना, समझे!
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नमिता: अच्छा तो मैं क्या करूँ? मैं तुम्हारी बीवी तो हूँ नहीं, जो जब तुम चाहो मैं वही करूँ!
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नमिता: हाँ याद रखना , हाहाहा अच्छा चलो जो चाहे कर लेना मिलने पर ओके?
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नमिता: अच्छा बाबा चूस लेना , हमेशा तो चूसता ही है तू, तभी तो इतने बड़े हो गए हैं ये ।( अब ऐसा कहते हुए नमिता ने अपनी छाती को छुआ। )
फिर हँसते हुए बोली: अच्छा बाबा दो राउंड कर लेना, ठीक है, चल अब सो जाओ। मुझे भी नींद आ रही है।
ऐसा कहते हुए उसने फ़ोन बंद कर दिया।
अब वो शीशे के सामने खड़े होकर अपने आप को देख रही थी। बाहर खिड़की से हल्का सा पर्दा हटाकर राज अंदर देख रहा था। अब उसने अल्मारी से अपनी नायटी निकाली और फिर अपनी कुर्ती उतार दी, और ब्रा में कसे हुए उसके बड़े बड़े गोरे दूध देखकर राज का लंड खड़ा हो गया। नमिता ने शीशे मेंअपने आप को देखा और ब्रा को दबा कर अपनी छातियाँ देखकर ख़ुद ही मुग्ध हो गयी और बोली: सच मनीष इनके पीछे ऐसे ही पागल नहीं है, ये हैं ही इतने मस्त।
राज माँ की बात सुनकर स्तब्ध रह गया। ओह तो माँ अपने बॉस के बेटे मनीष से बातें कर रहीं थीं। वो तो उनसे आधी उम्र का होगा, यही कोई २० /२१ साल का। वह सोच रहा था कि माँ उससे चुदाती हैं। अब उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया और मूठ मारने लगा। तभी उसकी माँ ने अपना पजामा खोल दिया और वो अब सिर्फ़ एक गुलाबी पैंटी में थी। पैंटी से उसके बड़े बड़े चूतर साफ़ दिख रहे थे। तभी वह नायटी उठाने के लिए मुड़ी और सामने से उसकी पैंटी में क़ैद फुली हुई बुर साफ़ दिखाई दे रही थी। वह अब ज़ोर ज़ोर से मूठ मारने लगा। नमिता ने नायटी पहनने से पहले एक बार फिर से ब्रा ठीक की और फिर पैंटी के ऊपर से बुर को भी खुजायी और फिर नायटी पहन ली।
जैसे ही उसने अपनी बुर खुजाया राज झड़ने लगा , उसने अपने लंड के सामने रुमाल रख दिया था।
बाद में वह अपने कमरे मेंजाकर सो गया।
उधर नमिता भी मनीष से की गइ पुरानी चुदायी का सोचते हुए अपनी बुर में उँगली करती हुई झड़ गई।
राज सुबह सो कर उठा तो उसे माँ का अर्ध नग्न बदन याद आया और उसका लंड खड़ा हो गया। वह अपने लंड को जानबूझकर अपनी चादर से ऐसे ढका कि वह तंबू की तरह अच्छे से दिखाई दे रहा था। वह माँ के आने का इंतज़ार करने लगा और अपनी आँखों पर हाथ रख लिया।
नमिता आइ और फिर से उसके खड़े लंड से बने तंबू देखकर सोचने लगी, क्या ये हमेशा सुबह उत्तेजित रहता है!
फिर उसने राज को हिलाकर उठाया और राज ने अपनी माँ को प्यार से अपने ऊपर खींच लिया। उसकी छातियाँ अब राज की मस्कूलर छाती में चिपक सी गयी। राज का लंड उस सुखद स्पर्श से और तन गया। नमिता ने उसके गाल को चूमकर कहा: चलो उठो , चाय पी लो । जल्दी से तय्यारहो जाओ।
राज ने अपनी माँ के दूध में अपना मुँह रगड़ते हुए कहा: माँ थोड़ा सा और सोने दो ना।
नमिता: बदमाश चल उठ, आज तेरा टेस्ट है, याद है ना?
राज की सारी उत्तेजना पर जैसे पानी पड़ गया। वह हड़बड़ा कर उठा: ओह माँ मुझे जल्दी तय्यार होना है।
वो उठकर बाथरूम गया। नमिता वापस किचन मेंचला गइ।
बाद में नाश्ता करके राज स्कूल चला गया। रास्ते में वह सोच रहा था कि आज माँ ज़रूर मनीष से चुदवायेगी ।
उधर नमिता जल्दी से खाना बनाकर बाथरूम जाकर नहाकर तय्यार होने लगी , तभी मनीष का फ़ोन आया ।
मनीष: आंटी, कहाँ हो?
नमिता: घर पर हूँ, क्यों क्या हुआ?
मनीष: आंटी, पापा तो रात को मुंबई चले गए काम से।
आज तो मैं ही आपका बॉस हूँ। और इस नए बॉस का हुक्म है कि आप घर पर ही रहो और मैं अभी आता हूँ। और आज दिन भर चुदायी करेंगे।
नमिता: चल बदमाश, तुझे तो बस हर समय यही चाहिये।
मनीष: आंटी, आज कोई बहाना नहीं चलेगा । मैं आ रहा हूँ, राज तो स्कूल चला गया होगा। और हाँ आप बस एक मैक्सी ही में रहना,जैसे मैं आपको हमेशा देखना चाहता हूँ।
नमिता हँसती हुई बोली: अच्छा बाबा, आ जाओ। तुम कहाँ मानने वाले हो।फिर उसने फ़ोन रख दिया।
नमिता नहा तो चुकी थी, उसने अपनी सलवार उतारी और फिर कुर्ता भी उतार दिया।अब वह ब्रा और पैंटी में थी, अपना रूप देखकर वो ख़ुद ही मस्त हो गई। अब उसने ब्रा भी खोल दी, और अपने बड़े बड़े मस्त दूध देखकर गरम हो गई, उसके निपल्ज़ तन गए, वो जानती थी कि मनीष तो इनका दीवाना है।
फिर उसने पैंटी भी उतार दी और अपने बुर का निरीक्षण किया, बाल तो थोड़े से पेड़ू पर ही थे, बुर बिलकुल सफ़ाचट थी बालों से।
अब उसने एक मैक्सी पहन ली बिना ब्रा और पैंटी के, जैसा मनीष चाहता था।
तभी कॉल बेल बजी, वह दरवाज़े पर पहुँच कर बोली: कौन है?
मनीष: मैं हूँ आंटी!
नमिता ने दरवाज़ा खोला और मनीष अंदर आया और उसने दरवाज़ा बंदकरके नमिता को बाहों में भींच लिया। उसके होंठ चूसते हुए उसने उसकी चूचियाँ दबाने लगा। फिर वो बोला: आंटी क्या मस्त दूध हैं आपके, आऽऽहहह।
फिर वो नीचे बैठ गया और बोला: आंटी जन्नत के दर्शन कराइए ना!
नामित हँसती हुई अपनी मैक्सी उठा दी कमर तक, और मनीष उसकी गदराइ जाँघों के बीच उसकी फूली हुई बुर को देखकर मस्त हो गया, और उसे सहलाने लगा।
नमिता आह्ह्ह्ह्ह करने लगी। तभी मनीष ने उसकी बुर को चूम लिया और नमिता को जाँघें फैलाने को कहा। नमिता ने उसके आदेश का पालन किया और अब मनीष उसकी बुर चाटने लगा।
फिर वो नमिता को बोला: आंटी ज़रा घूम जाओ ना। नमिता अपनी मैक्सी को उठाए हुए घूम गइ।
अब उसके मस्त गोल गोल चूतर उसके सामने थे,उसने उसके चूतरों को दबाते हुए उनको चूमने लगा। नमिता भी मस्त हो रही थी। अभी भी नमिता अपनी मैक्सी उठाकर ही खड़ी थी। अब मनीष ने उसके चूतरोंको फैलायाऔर वहाँ उसके गाँड़ के छेद में अपनी उँगलियाँ फेरकर वह मस्त हो कर उसकी गाँड़ जीभ से चाटने लगा। नमिता की सिसकियाँ निकलने लगी। वह हाऊय्य्य्य्य कर उठी।
फिर मनीष खड़ा हुआ और नमिता की छातियों को दबाने लगा। और फिर उसके होंठ चूसने लगा।
नमिता: अरे बाबा, क्या सब कुछ दरवाज़े पर ही कर लोगे या अंदर भी आओगे?
मनीश उसको अपनी गोद में उठा लिया और उसको सीधे बिस्तर पर जाकर लिटा दिया। फिर वह अपने कपड़े खोलने लगा। नमिता उसको प्यार से देख रही थी। उसकी टी शर्ट उतरते ही उसकी मस्कूलर छाती देखकर उसकी बुर गीली होने लगी। फिर इसने अपनी पैंट उतारी और उसकी चड्डी मेंफूला हुआ लंड देखकर तो नमिता बिलकुल पागल सी हो गयी। उसने उठकर मनीष को अपने पास बुलाया और चड्डी के ऊपर से उसने उसका लंड चूम लिया। वहाँ चड्डी पर उसका प्रीकम था जिसे उसने सूँघा और फिर चाटने लगी।अब उसने उसकी चड्डी उतार दी और अब उसका मस्त लंड उसके सामने था, जिसको वो जीभ से चाटकर चूसने लगी। मनीष भी मस्ती से अपना लंड उसके मुँह के अंदर बाहर करना शुरू किया।
फिर उसने नमिता की मैक्सी उतार दी और वो उसके सामने नंगी पड़ी थी। अब मनीष उसके ऊपर आकर उसकी छातियों को चूमने और चूसने लगा। उसने एक हाथ से उसका एक दूध दबाया और दूसरा दूध मुँह में लेकर चूस रहा था। करीब दस मिनट तक वह बारी बारी से उसकी चूचियाँ पी रहा था, एर नमिता मस्ती से आऽऽहहहह मरर्र्र्र्र्र गईइइइइइइइ चिल्ला रही थी।
अब नमिता बोली: आह मनीष अब डाल दो, अब नहीं रहा जा रहा है।
मनीष: क्या डाल दूँ आंटी? और कहाँ डाल दूँ?
नमिता: आह्ह्ह्ह्ह्ह अपना लंड मेरी बुर में डाल दो नाआऽऽऽऽऽ प्लीज़ आऽऽहहह ।
मनीष उसकी टांगों के बीच आके उनको फैलाया और उसकी बुर की फाँकों को अलग करके उसने अपनी जीभ डालकर चाटा और फिर अपना लंड उसकी गुलाबी छेद में फँसाकर लंड अंदर डाल कर उसने पेल दिया। नमिता हाय्य्य्य्य्य्य कर उठी।
अब नमिता के ऊपर आकर उसने चुदायी शुरू किया।अब नमिता ने बड़े मज़े से कमर उछालकर चुदवाने लगी। मनीष उसके दूध पीते हुए उसकी ज़बरदस्त चुदायी कर रहा था।थोड़ी देर बाद दोनों चिल्लाकर झड़ने लगे। अपना कामरस उसके अंदर डालकर वह शांत हो कर उसके बग़ल मेंलुढ़क गया।
फिर उसकी चुचि दबाते हुए मनीष बोला: आंटी पापा से कब चुदीं आप आख़िर बार?
नमिता: बदमाश, तुझे क्या मतलब इससे ?
मनीष: आंटी, प्लीज़ बताओ ना?
नमिता: देख,सच तो ये है कि तेरे पापा का अब मुझमें कोई ख़ास ध्यान नहीं है।वो तो आजकल अपनी उस कमसिन सेक्रेटेरी के पीछे लगा हुआ है।उसकी ऑफ़िस में भी चुदायी कर देता है।सबको पता है।जहाँ तक मेरी बात है, हम आख़री बार क़रीब तीन महीने पहिले किए थे।
मनीष: आंटी आपको ज़्यादा मज़ा किसके साथ आता है, मेरे साथ या पापा के साथ?
नमिता: बहुत बदमाश है तू, सच तो ये है कि जब मैं तेरे पापा के साथ होती हूँ, तो मुझे लगता है कि मैं अपने पति के साथ धोका कर रही हूँ, वो इनके दोस्त थे ना?
मनीष: और जब मेरे साथ होती हैं तो?
नमिता: तब ऐसा नहीं लगता ।
मनीष: बताओ ना कौन ज़्यादा मज़ा देता है, मैं या पापा?
नमिता ने हँसते हुए मनीष का नरम लंड पकड़ कर कहा: ये ज़्यादा मज़ा देता है। ये जवान है और मस्त मोटा है, जैसा मुझे चाहिए। तुम्हारे पापा का बुड्ढा है और इससे छोटा और पतला।
मनीष ख़ुश होकर बोला: सच आंटी,मुझे भी आपकी ये बुर बड़ी मस्त लगती है। वो उसकी बुर सहलाता हुआ बोला।
उधर क्लास में शीला मैडम ने गणित का टेस्ट पेपर सबको बाँटा और राज की हालत पेपर देखकर ही ख़राब हो गई। उसे सिर्फ़ एक सवाल ही आता था, पर उसने कोशिश की और सभी सवाल किए। प्रतीक ने भी पेपर हल करके जमा किया। अंतिम पिरीयड में मैडम आयीं और सबको पेपर का परिणाम दे दिया।
राज को सिर्फ़ २०% अंक मिले और प्रतीक को १०% मिले थे। शीला मैडम बोली: राज तुम्हें क्या हो गया है, इतने कम नम्बर? तुमने पढ़ाई में ध्यान देना होगा। तुम्हारी माँ कितनी चिंता करती है तुम्हारी पढ़ाई की।
राज: जी मैडम मैं और ध्यान दूँगा अब ।
मैडम के जाने के बाद प्रतीक उसके पास आया।
प्रतीक राज से बोला: यार हमारी माल क्या बोल रही थी? तुमको पटा रही थी क्या?
राज: क्या बोलता है यार, वो तो पढ़ाई की बात कर रही थी।
प्रतीक: जब वो तुझसे बात कर रही थी, तो साली के बड़े बड़े चूतर देखकर तो मेरी हालत ही ख़राब हो गई।
राज: अरे यार , तेरा तो बस एक ही चीज़ पर ध्यान रहता है?
इतने कम नम्बर आए हैं पता नहीं माँ को क्या जवाब दूँगा।
तभी श्रेय आया और बोला: जानते हो कल मैं एक नया विडीओ गेम लाया हूँ?
प्रतीक: हमें भी तो दिखाओ , मुझे भी इसमें बहुत मज़ा आता है।
श्रेय: तो चलो मेरे घर चलो और हम खेलेंगे।
प्रतीक: चलो राज तुम भी चलो।
राज: नहीं यार मैं नहीं आ पाउँगा।
प्रतीक: चलो हम दोनों चलते हैं। जाते जाते उसने राज को आँख मारी और कुटिलता से मुस्कुराया। श्रेय के आगे जानेपर उसने राज को बोला: शीला मैडम को पटाने के लिए उनके बेटे को भी पटाना पड़ेगा, चलता हूँ।
राज बस का इंतज़ार करने लगा।
उधर नमिता की चुदायी का दूसरा राउंड चालू हो चुका था, अबकि बार मनीष उसे चौपाया बनाकर पीछे से चोद रहा था। थप थप की आवाज़ आ रही थी जैसे ही उसकी जाँघे उसके चूतरों से टकराती थी। नमिता भी मस्ती से अपने चूतरोंको पीछे की ओर दबाकर चुदायी का पूरा मज़ा लेती हुई हाय्य्य्य्य्य्य चिल्ला रही थी। फिर दोनों झड़ने लगे एर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह चिल्लाने लगे।
फिर मनीष और वो बाथरूम से फ़्रेश हुए और मनीष तैयार होकर बोला: मज़ा आ गया आंटी , आज तो आप बहुत मस्त चुदवाई हैं। बहुत मज़ा आया।
नमिता भी अपने कपड़े पहनती हुई बोली: हाँ सच बहुत मज़ा आया , पर अब चलो राज के आने का समय होने वाला है।
मनीष उसकी चुचि दबाते हुए बोला: अच्छा जी चलता हूँ, बाई।
फिर वह बाहर जाने लगा। तभी राज दूसरी तरफ़ से आया और मनीष को मोटर्सायकल चालू करते देखा और थोड़ा सा आड़ में होकर छिप गया। मनीष के जाने के बाद वो अपने घर पहुँचा और कॉल बेल बजाया। सामने माँ खड़ी थी, एकदम थकी सी झड़ी सी।
वो समझ गया कि मनीष ने चोद कर माँ की हालत पतली कर दी होगी।
फिर वो अपने कमरे की ओर चला गया।
राज थोड़ी देर बाद अपने कमरे से बाहर आया तो देखा कि माँ खाना लगा रही थी। वह चुप चाप माँ को देखता रहा, टेबल से माँ कम करती किचन में दिख रही थी। उसकी पीठ पसीने से भीगी हुई थी और उसके चूतरों की उठान बहुत मादक लग रही थी। तभी वो खाना लेकर आयी और बोली: बेटा, लो खाना खाओ।
राज चुपचाप खाना खाने लगा। नमिता भी अपना खाना ले आइ और बोली: बेटा, पेपर कैसा हुआ?
राज डर गया और बोला: वो वो बस ठीक ठाक ही हुआ।
नमिता: कितना नम्बर मिला?
राज ने सर झुकाकर कहा:सिर्फ़ २०% ही मिला।
नमिता झटके से उठी और अपना खाना बिना खाए ही उठ गई।
राज जनता था कि माँ अपना दुःख उसके सामने नहीं बताना चाहती थी ।
उससे भी खाना खाया नहीं गया। वह भी माँके कमरे में गया और देखा कि माँ सिसकियाँ भर के रो रही थी। वह जानता था कि उसके ख़राब परिणाम ने माँ को सकते में डाल दिया है।उसने नमिता की बाँह पकड़कर कहा : माँ मुझे माफ़ कर दो आगे से ऐसा नहीं होगा।
नमिता: तुम जानते हो कि मेरे जीवन का अस्तित्व ही तुमसे है, और तुम अगर पढ़कर बड़े आदमी नहीं बन सके तो तुम्हारे पापा का स्वप्न भी पूरा नहीं होगा और मैं भी बहुत निराश हो जाऊँगी।
राज नमिता से लिपटकर बोला: माँ मैं और मेहनत करूँगा। अब आप शांत हो जाओ।
नमिता ने उसके बाल सहलाए और उसको प्यार करते हुए बोली: चलो अब मेहनत करो और अच्छे नम्बर लाओ।
वो भी माँके मांसल नरम और गुदाज बदन का स्पर्श पाकर गरम होने लगा। जब उसको लगा कि लंड खड़ा हो रहा है तो वो उससे अलग होकर खड़ा हो गया।
अपने कमरे में जाकर पढ़ने की कोशिश किया पर असफलता ही हाथ लगी।तभी उसे याद आया की प्रतीक श्रेय के घर गया था, वो जानना चाहता था किवहाँ क्या हुआ। उसने देखा कि उसकी माँ सो गयी है। तब वो प्रतीक को मोबाइल पर अपने लैंड लाइन से फ़ोन किया । उधर से प्रतीक बोला: हाई राज क्या हाल है?’
राज: बस सब बढ़िया। तुम बताओ कि तुम्हारा श्रेय के घर कैसा रहा?
प्रतीक: यार, बहुत मस्त रहा।शीला मैडम तो पटनेके लिए जैसे तय्यार बैठी हो।
राज: क्या कह रहा है? मैं नहीं मानता ।
प्रतीक: अगर में तुम्हें बोलूँ किमैं सच बोल रहा हूँ तो?
राज: यार पहेलियाँ ना बुझाओ , बताओ क्या हुआ?
प्रतीक ने जो बताया वह इस तरह से था-------
प्रतीक श्रेय के घर पहुँचा तो शीला मैडम अब तक आयी नहीं थी। वो दोनों वीडीयो गेम खेलने लगे। थोड़ी देर बाद घंटी बजी और श्रेय भागकर दरवाज़ा खोला और देखा कि मम्मी आयीं हैं तो हाय बोलकर मम्मी को बोला: आज प्रतीक भय्या आए हैं मेरे साथ गेम खेलने। और भाग कर कमरे में आकर गेम खेलने लगा।
शीला अपने कमरे में गयी और अपने कपड़े बदले और एक मैक्सी पहनकर आयी और श्रेय के कमरे में आकर प्रतीक को देखी।
प्रतीक खड़े होकर बोला: नमस्ते आंटी जी!
शीला: नमस्ते बेटा, कैसे हो?
प्रतीक: मैं ठीक हूँ आंटी।
शीला: चलो तुम लोग खेलो, मैं खाना लगती हूँ, आज तुम भी खाना खाकर जाना। यह कहकर वो बाहर चली गयी। प्रतीक उसके बड़े मस्त चूतरों को देखकर मस्त हो गया। वो उसकी चाल के साथ मैक्सी में मस्त हिल रहे थे।
क़रीब १५ मिनट के बाद शीला ने आवाज़ लगायी: चलो बच्चों खाना लग गया आ जाओ।
दोनों बाहर आके टेबल पर अग़ल बग़ल बैठे और शीला उनको खाना डालने लगी। जब वो प्रतीक को खाना दे रही थी तब वो उसके बिलकुल पास थी और प्रतीक को उसकी मांसल कलाइयाँ और उसकी बग़लें दिखायी दे रही थी जहाँ से पसीने की मस्त गंध आ रही थी। अब वो उत्तेजित होने लगा। तभी वो उनके सामने बैठ गयी और बातें करते हुए खाना खाने लगी। प्रतीक ने देखा किउसने बड़े गले की मैक्सी पहनी थी और उसकी बड़ी बड़ी पुष्ट गोलाईयां झाँक रही थीं। उफ़ कितने सुडौल दिख रहे थे उनके गोरे दूध।
तभी श्रेय ने पानी माँगा तो वो उठ कर फ्रिज के सामने झुक कर पानी की बोतल निकालने लगी और उसकी चूतरोंकी दरार में मैक्सी फँस गयी। झुकने के कारण चूतरों की छटा देखते ही बनती थी और साथ ही दरार में से उसने फँसी हुई मैक्सी निकाली और ये सब देखकर वो बहुत उत्तेजित हो गया और उसका लंड पूरा खड़ा हो गया।
अब प्रतीक उसकी छातियोंको घूर रहा था, तभी श्रेय उठ गया और भाग कर गेम खेलने अपने कमरे मेंचला गया और बोला: भय्या जल्दी से आओ ।
प्रतीक को कोई जल्दी नहीं थी , वो अब बेशर्मी से शीला की छातियों को अपनी नज़रों से चोद रहा था। शीला ने भी अनुभव किया कि वो बातें करते हुए उसकी छातियाँ देख रहा है। पता नहीं क्यों उसे बुरा नहीं लगा। उसका पति फ़ौजी था और काफ़ी समय से बॉर्डर पर था, और वो प्यासी तो थी ही। अब प्रतीक को भी लगा कि शीला जानबूझकर उसकी इस हरकत को नज़र अन्दाज़ कर रही है, तो वो समझ गया की चिड़िया प्यासी है, जल्दी ही जाल में फँस जाएगी।
अब उसने शीला की फ़िट्नेस की तारीफ़ करनी शुरू की, वो बोला: आंटी आप तो लगता है की फ़िट्नेस पर बहुत ध्यान देती हैं। मेरी मम्मी तो थोड़ी मोटी हो गयीं हैं। आप तो एकदम फ़िट हैं।
शीला अपनी तारीफ़ से ख़ुश होकर बोली: हाँ मैं रोज़ सुबह योगा करती हूँ और व्यायाम भी करती हूँ।
प्रतीक: तभी तो आप श्रेय की मम्मी नहीं उसकी दीदी लगती हैं। ऐसा बोलते हुए वो उसकी छातियाँ देखते हुए जीभ होंठ पर फेरा और बोला: आप इतनी सुंदर भी तो हैं। अंकल के सब दोस्त आप पर फ़िदा होंगे। और अंकल जब आते होंगे तो आपको बहुत प्यार करते होंगे।
शीला थोड़ी उदासी के साथ बोली: कहाँ रे उनको तो अपने करीयर से ही फ़ुरसत नहीं है, मेरा ख़याल क्या खाख़ रखेंगे?
शीला: तू अभी मा- क्या कह रहा था?
प्रतीक: कुछ नहीं आंटी, वो बस ऐसे ही मुँह से निकल गया था।
शीला: तू माल बोलना चाहता था क्या?
प्रतीक: आंटी, सॉरी , वो मेरा मतलब है कि बस ऐसे ही कुछ लड़के बोलते हैं।
शीला उसकी आँखों मेंदेखते हुए बोली: तू क्या बोलता है? मैं माल हूँ?
प्रतीक: नहीं आंटी मैं ऐसे कैसे बोल सकता हूँ, आपको।
अब शीला को भी इन बातों में मज़ा आ रहा था और वो गरम हो रही थी। उसने अपनी छातियों को खुजाते हुए कहा: तो क्या मैं बेकार दिखती हूँ? माल नहीं लगती तेरे को?
प्रतीक का लंड झटके मारने लगा,उसका लंड पूरा खड़ा होकर एक तरफ़ से पैंट में तंबू सा बना लिया था। वो चाहता था कि आंटी उस तंबू को देख ले । वो खड़ा हुआ और बोला: आंटी आप सच में बहुत मस्त माल हो। और वो उसकी आँखो में झाँक कर बोला: अगर मैं अंकल होता तो आपको कभी अकेला नहीं छोड़ता।
शीला का ध्यान अपने लंड पर ले जाने के लिए उसने अपने तंबू को दबाया और शीला की आँखें उसके तंबू को देखकर हैरानी से फटी की फटी रह गयीं। इस छोटे से लड़के का इतना बड़ा हथियार ? अब उसके निपल्ज़ कड़े हो गए और उसकी बुर में जैसे चिटियाँ चलने लगी । वह कई दिनों से चुदीं नहीं थी और उसने बुर में ऊँगली भी काफ़ी दिनों से नहीं की थी, इस लिए उसकी बुर गीली होने लगी। उसका हाथ अपने आप ही बुर के पास चला गया और वो उसे दबाने लगी।
शीला को अच्छी तरह से अपने तंबू का दर्शन कराकर प्रतीक हाथ धोकर आया और आकर शीला के पीछे खड़ा हो गया। अब उसने शीला के कंधे सहलाना शुरू किया और बोला: आंटी आपके गर्दन की मालिश कर दूँ? मम्मी कहती हैं किमैं बहुत अच्छी मालिश करता हूँ।
उसका स्पर्श पाकर शीला सिहर उठी और बोली: मुझे भी हाथ धोने दे ना। बाद में मालिश कर लेना। अब प्रतीक उसके कंधों के ऊपर से झुक कर ऊपर से उसकी छातियों के बीच में देख रहा था, और बेशर्मी से मुस्करा रहा था और बोला: आंटी आपके ये तो बहुत मस्त हैं। मुझे लगता है कि मैं इनको छूकर देखूँ कि ये असली हैं या नक़ली?
शीला हँसते हुए बोली: चल हट बदमाश कहीं का, कुछ भी बोल रहा है?
जब प्रतीक ने देखा कि वो ग़ुस्सा नहीं हुई है तो उसने रिस्क लेकर उसके साइड मेंआकर अपने तंबू को छूकर कहा: आंटी, आप भी इसको ग़ौर से देख रही थी, बताइए ना ये कैसा लगा आपको?
शीला हड़बड़ा गई और बोली: चलो हटो मुझे हाथ धोने दो।
प्रतीक इस अवसर को हाथ से नहीं जाने देना चाहता था, उसने और बड़ा रिस्क लिया और शीला का उलटा हाथ पकड़कर अपने पैंट के तंबू पर रख दिया और उसके पंजे को अपने पंजे से पकड़कर अपने लंड को दबाने लगा। शीला की सिसकारि निकल गई। वो बोली: आह ये क्या कर रहे हो, श्रेय यहाँ है? छोड़ो मेरा हाथ।
प्रतीक समझ गया कि वो गरम हो चुकी है वो बोला: आंटी, वो तो गेम खेल रहा है, उसे कहाँ होश है, आप इसको सहलाओ ना प्लीज़।
अब उसने अपना हाथ शीला की मैक्सी के ऊपर से उसके चुचि पर रखा और हल्के से दबा दिया। शीला की बुर तो जैसे मस्ती से पानी ही छोड़ने लगी। अब वो भी थोड़ा बेशर्मी से उसके लंड को ऊपर से नीचे तक महसूस करने लगी। अब वो समझ गयी कि ये लंड बहुत लंबा और मोटा है, और उसे बहुत मज़ा देगा। उधर अब प्रतीक ने भी अपना दोनों हाथ उसकी छातियों पर रखा और उनको दबाने लगा और ऊपर से ही निपल्ज़ को मसल कर उसने शीला के अंदर के औरत को जगा दिया और उसे चुदायी के लिए तय्यार करने लगा।
तभी शीला बोली: प्रतीक हटो एक मिनट ।
प्रतीक एक अच्छे बच्चे की तरह हट गया और शीला उठकर हाथ धोकर आइ और खाना सम्भालने लगी। प्रतीक ने झूठे बर्तन हटाने मेंउसकी मदद की और किचन में अचानक उसको बाहोंमेंलेकर उसके होंठों को चूमने लगा। शीला ने थोड़े से विरोध के बाद जैसे सम्पर्पण कर दिया। अब प्रतीक के हाथ उसकी छातियों से होता हुआ उसके चूतरों तक पहुँचा जिनको वो ज़ोर से दबाने लगा।शीला का हाथ उसके लंड पर पहुँच गया और वह भी उसे मसलने लगी। अचानक शीला को होश आया और वह बोली: चलो छोड़ो श्रेय आ जाएगा।
प्रतीक: वो मस्त है अभी गेम खेलने में। आंटी क्या वो दोपहर को सोता है?
शीला: आह्ह्ह्ह्ह हाँ सोता है।
प्रतीक ने शीला को समझाया कि मैं घर जाने का नाटक करता हूँ आप उसको सोने को बोलो और मैं घर ना जाकर आपके कमरे में ही रह जाऊँगा। शीला उसको चूमकर बोली: बहुत शैतान दिमाग़ है , चल जा उसके पास अभी।
प्रतीक श्रेय के पास आकर बैठा और थोड़ी देर बाद शीला आकर बोली: चलो प्रतीक अब तुम अपने घर जाओ और श्रेय तुम भी सो जाओ।
प्रतीक जी आंटी करके श्रेय को बाई करके जाने का नाटक किया और शीला के कमरे में घुस गया। श्रेय को सुलाकर शीला अपने कमरे मेंआयी तो हैरान रह गयी, प्रतीक सिर्फ़ चड्डी में अपना खड़ा लंड लेकर लेता हुआ था। वो बोली: ये क्या कर रहे हो? थोड़ा इंतज़ार करना था ना?
वो अपने लंड को दबाते हुए बोला: आंटी आन आ जाओ ,मैक्सी उतार कर अब इंतज़ार नहीं हो रहा । वो हँसती हुई अपनी मैक्सी उतार दी और उसका भरा हुआ जिस्म ब्रा और पैंटी में देखकर वो मस्त हो गया। अब शीला भी उसकी छाती को चूमकर उसके निपल्ज़ को जीभ से चाटीएर नीचे उसके पेट और नाभि को चाटते हुए उसकी चड्डी को सूँघने लगी। उसकी चड्डी मेंलगे प्रीकम को उसने जीभ से चाटा और फिर उसकी चड्डी निकाल कर उसके बड़े लंड को प्यार से सहलाकर चूमने लगी। उसने चमड़ी पीछे करके उसका सुपाड़ा बाहर निकाला और उसको चाटते हुए उसके पेशाब के छेद को चाटने लगी। फिर उसने पूरा सुपाड़ा ही मुँह में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
फिर उसका हाथ उसकी पैंटी के अंदर गया और उसके चूतरों को वह मसलने लगा। कितने गोल बड़े नरम चूतर थे । उसकी आह निकल गई। अब उसने शीला को बोल: आंटी मेरी सवारी कीजिए ना।
शीला हँसते हुए उसके ऊपर आ गई और अपनी पैंटी उतारकर उसके ऊपर बैठकर उसका लंड पकड़कर अपनी बुर के छेद मेंलगाकर अंदर कर लिया और फिर एक ही धक्के में वो पूरा लंड निगल गई। उसके मुँह से हाय्य्य्य्य निकली और बोली: हाऊयय्यय क्या मस्त मोटा लंड है तेरा।
प्रतीक: आंटी मैं आपको मम्मी बोल सकता हूँ क्या?
शीला: आह आह जो बोलना है बोलो आह मगर आह मज़ा दो आह।
प्रतीक नीचे से धक्का मारते हुए बोला: आह मम्मी लो अपने बेटे का लंड लो , और लो, आह मैं तो मादरचोद बन गया आह लो और लो।
शीला भी मस्ती से उसके लंड पर उछलकर चुदायी करते हुए बोली: आह बेटा क्या चोद रहा है। तू तो पक्का मादरचोद है रे हरामी आह हाय्य्य्य्य्य । और वो ज़ोर से चोदते हुए बोली: फाड़ दे अपनी मम्मी की बुर आऽऽझहह क्या लंड है रे तेरा हाय्य्य्य्य्य्य मैं गईंइइइइइइइइ। और वो झड़ने लगी। प्रतीक भी नीचे से धक्का मारतेहुए बोला: मम्मी आह तेरीइइइइइइइइइइइ बुर बड़ी गरम है , ले मेरा माऽऽऽऽऽऽऽल्ल्ल्ल्ल लेएएएएएएएएए । और वो भी झड़ गया।
दोनों बाथरूम से वापस आकर फिर से लिपट कर लेट गए प्रतीक ने उसको बाहों में खींच लिया और उसकी पीठ पर हाथ फेरता हुआ उसके चूतरों को दबाने लगा। शीला भी उसके होंठ चूमते ही अपना हाथ उसके बॉल्ज़ पर ले गयी और उनको मज़े से सहलाने लगी और बोली: देखो इतनी छोटी सी उम्र में ये तुम्हारे कितने मस्त बड़े हो गए हैं। और फिर उसने अपना हाथ लंड पर रखा और उसको भी सहलाने लगी।
प्रतीक भी अपना हाथ पीछे लेज़ाकर उसकी गाँड़ और बुर सहलाने लगा। अब प्रतीक का लंड भी कड़ा होने लगा।
वो बोला: मम्मी आप की गाँड़ भी बड़ी मस्त है, कभी मरवायी है?
शीला: हाँ मरवायी है पर पतले लंड से , तेरे जैसे मोटे मूसल से नहीं। ये तो किसी की भी गाँड़ फाड़ देगा। ये तो गाँड़ के लिए बना ही नहीं है।
प्रतीक: मम्मी अब कितनो से चुदवायी हो, बताओ ना?
शीला: शादी के पहले २ BF थे ।
प्रतीक: और शादी के बाद?
शीला: श्रेय के पापा को छोड़कर तू तीसरा है।वो दोनों मेरी उम्र के थे, तू ही इतने कम उम्र का है जिससे मैं फँस गयी।
प्रतीक: हा हा अब फँसी हो तो मम्मी मज़ा लो। चलो आप उठो और मेरे मुँह में अपनी बुर रख दो जैसे पेशाब कर रही हो, मैं आपकी बुर चाटूँगा।
शीला: हाय ये सब तू कहाँ से सीखा?
प्रतीक: आपकी जैसी आंटी ने ही सिखाया है।
शीला उत्तेजना से मचलती हुई उसके मुँह मेंमानो पेशाब करने बैठ गयी। अब प्रतीक ने उसकी बुर को अपनी उँगलियों से फैलाया और अंदर की गुलाबी माल को देखकर मस्त होकर उसमें अपनी जीभ डाल दिया। अब वो जीभ और होंठों से उसके छेद को चाटकर मस्त हो रहा था। शीला ने भी हाथ पीछे लेज़ाकर उसके खड़े लंड को दबाना शुरू किया। उधर शीला की मस्ती बुर चटाकर बढ़ती ही जा रही थी।
अब प्रतीक ने अपना मुँह थोड़ा नीचे किया और गाँड़ भी चाटने लगा। शीला अब हाय्य्यय आऽऽऽऽहहह मज़ाआऽऽऽ आऽऽऽऽऽ रहाआऽऽऽऽ है , चिल्ला रही थी।
फिर उसने शीला को घोड़ी बनाया और उसके चूतरों को ऊपर उठाकर उसकी बुर में अपना लंड पेला और मज़े से चुदायी करने लगा। शीला भी अपनी गाँड़ को पीछे दबाकर पूरा लंड अंदर निगल कर मस्ती से मरवा रही थी। वो चिल्लायी: आऽऽह्ह्ह्ह्ह बेटा क्या मस्त चोद रहे हो। आजतक इतना मज़ा नहीं मिला ।
प्रतीक: मम्मी आपका ये मदरचोद बेटा अब आपको हमेशा चोदेगा । आप चूदाओगी ना?
शीला: आऽऽहहहह क्यों नहीं बेटा , आह्ह्ह्ह्ह्ह इतना मज़ाआऽऽऽ आऽऽ रहाऽऽऽ है। जब चाहे चोद लेना। हाय्य्य्य्य
फिर वो दोनों आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म्म कहकर झड़ने लगे।
थोड़ी देर बाद प्रतीक अपने घर चला गया। उसका मक़सद पूरा हो गया था।
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राज प्रतीक की बात फ़ोन पर सुन रहा था, और उसने अपना लंड बाहर निकाल लिया था। अब वो मूठ मार रहा था। और प्रतीक से बात करने के बाद वो झड़ गया। उसके बाद वो सो गया। आज भी पढ़ायी नहीं कर पाया।
शाम को माँ से पूछकर वो खेलने गया और वहाँ उसे फिर आज नदीम मिल गया। खेलने के बाद दोनों एकतरफ को बैठे और बातें करने लगे। नदीम फिर नमिता की सुंदरता की बातें करने लगा। और उसकी तुलना अपनी माँ से करने लगा।
राज: यार तू बार बार यही सब बात क्यों करता है?
नदीम: वो क्या है ना जब तक मैं तेरी माँको चोद नहीं लूँगा, मुझे चैन नहीं आएगा।
राज हैरान होकर: छी कैसी बातें करता है तू? पर ना जाने उसे ग़ुस्सा क्यों नहीं आया नदीम पर।
नदीम: यार कितना मस्त माल है तेरी माँ! क्या दूध हैं और क्या भरा हुआ बदन है।
राज: अच्छा ये बता किसी के साथ कभी सेक्स किया है?
नदीम: मतलब किसी को चोदा है, यही ना? हाँ चोदा है।
राज: किसको?
नदीम: पता नहीं तेरे को बताना चाहिए कि नहीं? तू अपने पेट में रख पाएगा या नहीं! सबको बोल दिया तो मैं गया काम से ।
राज: यार वादा करता हूँ, किसिको नहीं बताऊँगा।
नदीम: तो सुन पिछले ६ महीने से मैं अपनी अम्मी को चोद रहा हूँ।
नदीम: हाँ और इसमें एक ख़ास बात और है की मेरे अब्बा (पापा) ने ही इसको शुरू करवाया है।
राज हैरान होकर बोला: क्या अंकल ने कहा तुझसे की आंटी को चो- मतलब करो।
नदीम: चोदो बोलने मेंक्या बुराई है, बोल दिया कर ना।क्या इतना हिचकिचाता है?
राज: ओह बता ना, ये कैसे शुरू हुआ?
--------//-----
नदीम ने बोलना शुरू किया जो इस प्रकार है--
क़रीब ८ महीने पहिले नदीम के अब्बा का एक बड़ा ऐक्सिडेंट हुआ और वो बाल बाल बचे। उनको कारींब १५ दिन अस्पताल में रहना पड़ा। वापस आए तो धीरे धीरे काम पर आने लगे। पर उनका अस्पताल जाना लगा रहा।
अब नदीम ने देखा कि उसके अब्बा और अम्मी दोनों दुखी रहते थे। पर नदीम को कारण पता नहीं चला। ऐसे ही कुछ दिन चलते रहे। फ़ीर एक दिन दोनों मेंबहुत झगड़ा हुआ और नदीम घबरा कर वहाँ पहुँचा तो देखा कि अम्मी बिस्तर पर बैठ कर रो रही थी और अब्बा अपना सर पकड़कर बैठे थे।
नदीम ने अम्मी को चुप कराया और अपने अब्बा से बोला: आप लोग क्यों लड़ रहे हो? आपने अम्मी को क्यों रुलाया?
अम्मी आँसू पोंछतीं हुई बोली: बेटा तू जा यहाँ से, तेरा कोई काम नहीं है यहाँ।
अब्बा: नहीं तू कहीं नहीं जाएगा , हमारी लड़ाई तुमको लेकर ही है।
अम्मी: आप इसको क्यों इसमें उलझा रहे हो , बच्चा है अभी, बेचारा।
अब्बा: वह अब बच्चा नहीं रहा पूरा जवान है ।
अम्मी: आपको मेरी क़सम इसे यहाँ से जाने दो।
अब्बा: नहीं आज बात साफ़ होकर रहेगी।
अम्मी फिर से रोने लगी।
मैं हैरान था किये हो क्या रहा है?
अब्बा: देखो अब तुम बच्चे नहीं रहे पूरे जवान आदमी हो १८ साल के। तुमने पता है ना मेरे ऐक्सिडेंट के बाद भी मैं हमेशा अस्पताल जाता था। दरअसल में इस ऐक्सिडेंट में मेरी मर्दानगि चली गयी। अब मैं तुम्हारी अम्मी को शारीरिक संतोष नहीं दे सकता। अब अस्पताल वालों ने भी कह दिया है कि कोई उपाय नहीं है मेरे ठीक होने का।
मैं हैरान होकर बोला: तो ?
अब्बा: मैंने तुम्हारी अम्मी को कहा किवो चाहे तो मुझसे तलाक़ ले सकती है, क्योंकि वो कब तक एक नामर्द के साथ रहेगी।
वह इसके लिए तय्यार नहीं है।
अम्मी: अब इस उम्र मेंएक जवान लड़के की माँ होकर मैं दूसरी शादी करूँगी? आप पागल हो गए हो, मैं ऐसे ही जी लूँगी। बस अल्लाह आपको सलामत रखे।
अब्बा: पर मैं नहीं चाहता कितुम अपना मन मार के जियो। मैं तो चाहता हूँ कि तुम जी भर के अपनी ज़िंदगी जियो।
अम्मी: क्या ज़िन्दगी में सब कुछ सेक्स ही होता है? प्यार का कोई मतलब नहीं है?
अब्बा: प्यार तो बहुत ज़रूरी है पर सेक्स का भी बहुत महत्व है।मैं नहीं चाहता कि तुम बाक़ी ज़िन्दगी इसके बिना जीयो।
अम्मी फिर से रोने लगी।
अब्बा: मैंने तलाक़ के अलावा एक दूसरा रास्ता भी तो बताया था।
ये सुनके अम्मी रोते हुए वहाँ से बाहर निकल गई।
नदीम: अब्बा दूसरा रास्ता क्या हो सकता है?
अब्बा: बेटा यहीं तो वो मान नहीं रही।
नदीम: अब्बा आप मुझे बताओ मैं उनको मनाने की कोशिश करूँगा।
अब्बा: ये तुमसे ही सम्बंधित है।
नदीम: मेरे से मतलब?
अब्बा: देखो बेटा, जब औरत प्यासी होती है ना तो वो किसी से भी चुदवा लेती है।
मैं तो उनके मुँह से ये शब्द सुनके हाक्का बक्का तह गया।
अब्बा: अब तुम्हारी अम्मी भी किसी से भी चुदवा ली तो हमारी बदनामी हो जाएगी। बोलो होगी कि नहीं?
नदीम ने हाँ में सर हिलाया।
अब्बा: इसलिए मैंने उसको ये बोला है किअब तुम भी जवान हो गए हो वो तुमसे ही चुदवा ले, इस तरह घर की बात घर मेंही रहेगी।
नदीम का तो मुँह खुला का खुला हो रह गया ।
नदीम: ये कैसे हो सकता है? वो मेरी अम्मी हैं।
अब्बा: वो तेरी अन्मी हैं पर उससे पहले वो एक औरत है। वो अभी सिर्फ़ ३८ साल की है। इस उम्र में तो औरत की चुदायी की चाहत बहुत बढ़ जाती है।
नदीम: पर अब्बा मुझे सोचकर भी अजीब लग रहा है। अम्मी कभी नहीं मानेगी ।
अब्बा: तू मान जा तो मैं उसे भी मना लूँगा।
नदीम: पर अब्बा --
अब्बा: पर वर कुछ नहीं। ज़रा मर्द की नज़र से देख उसे, क्या मस्त चूचियाँ हैं मस्त गुदाज बदन है बड़े बड़े चूतर हैं एर नाज़ुक सी बुर है उसकी। बहुत मज़े से चुदाती है।
अब नदीम का लंड खड़ा होने लगा । वो वासना से भरने लगा।
अब्बा: वो लंड भी बहुत अच्छा चूसती है। तूने कभी किसी को चोदा है?
नदीम ने ना में सर हिलाया।
अब्बा: ओह तब तो तुझे सिखाना भी पड़ेगा। पहले ये बता कि अम्मी को चोदने को तय्यार है ना। नदीम का लौड़ा पैंट में एक तरफ़ से खड़ा होकर तंबू बन गया था। नदीम को शर्म आयी और वो उसको अजस्ट करने लगा, ये अब्बा ने देख लिया और हँसते हुए बोले: चल तू हाँ बोले या ना बोले , तेरे लौड़े ने तो सर उठा कर हाँ बोल दिया है।
नदीम ने शर्म से सर झुका लिया।
अब्बा उसके पास आकर उसके लौड़े को पकड़ लिए और उसकी लम्बाई और मोटायी को महसूस किए और ख़ुश होकर बोले: वाह तेरा लौड़ा तो मेरे से भी बड़ा है और मोटा है। तू तो मुझसे ज़्यादा ही मज़ा देगा अपनी अम्मी को। अब तो मेरा खड़ा ही नहीं होता, पर जब खड़ा होता था तब भी तेरी अम्मी कभी कभी बोलती थी कि मेरा थोड़ा और मोटा होता तो उसको ज्यादा मज़ा आता। अब उसकी बड़े और मोटे लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।
फिर नदीम के लौड़े से हाथ हटाकर बोले: बेटा मैं तुम्हें सिखा दूँगा किअम्मी को कैसे चोदना है।
फिर बोले: चलो अम्मी को मनाते हैं और तुम दोनों की चुदायी कराते हैं। आज वो इसी लिए रो रही थी कि उसे तुमसे नहीं चुदवाना है।कहती है कि अपने बेटे से कैसे चुदवा सकती हूँ।
नदीम का लौड़ा अब झटके मार रहा था और वो अब्बा के पीछे पीछे अम्मी के कमरे में जाने लगा। कमरे में अम्मी उलटी लेटी हुई थीं और उनका पिछवाड़ा सलवार में बहुत ही उभरा हुआ और मादक दिख रहा था। अब्बा ने मुझे इशारे से उनके चूतरों को दिखाते हुए फुसफुसाते हुए कहा: देख क्या गाँड़ है साली की। अभी देखना तुझसे कैसे कमर उछाल उछाल कर चुदवायेगी?
नदीम अपने अब्बा के मुँह से गंदी बातें सुनकर हैरान हो गया, आजतक उसने अब्बा का ये रूप नहीं देखा था। वह अम्मी की मोटी गाँड़ देखकर उत्तेजित तो बहुत था।
तभी अम्मी को लगा कि वह कमरे में अकेली नहीं है, तो उसने मुँह घुमाकर देखा और एकदम से उठकर बैठ गयी।
अब अब्बा उसको देखकर हँसते हुए बोले: क्या जानु , क्यों सीधी हो गयी। नदीम तो तुम्हारी गाँड़ का उभार देखकर मस्त हो रहा था। फिर अब्बा ने वो किया जो मैं सपने में भी नहीं सोच सकता था। उन्होंने मुझे धक्का देकर अम्मी के सामने खड़ा किया और मेरे लौड़े को पकड़कर अम्मी को दिखाते हुए बोले: देख मैं ना कहता था कि कोई भी मर्द तेरा बदन देखकर पागल हो जाएगा। देख तेरा अपना बेटा ही तेरी मस्त गाँड़ देखकर कैसे लौड़ा खड़ा कर के खड़ा है।
अम्मी की तो आँखें जैसे बाहर को ही आ गयीं। वो हैरानी से अब्बा के हाथ में मेरा खड़ा लौड़ा देखे जा रही थी।
अब्बा ने मेरा लौड़ा अब मूठ मारने वाले अंदाज़ा में हिलाना चालू किया। और अम्मी को आँखें जैसे वहाँ से हट ही नहीं पा रही थी।
अब्बा: देख जानु क्या मोटा और लंबा लौड़ा है इसका, तेरी बड़े लौड़े से चुदवाने की इच्छा भी पूरी हो जाएगी।
अब अब्बा ने उनकी छातियाँ दबानी शुरू की और अम्मी आह कर उठी और बोली: छी क्या कर रहे हो, बेटे के सामने और ये क्यों पकड़ रखा है आपने?
अब्बा ने जैसे उनकी बात ही ना सुनी हो, वो मुझे बोले: लो बेटा अपनी अम्मी के दूध का मज़ा लो।
जब नदीम हिचकिचाया तो उन्होंने उसका हाथ पकड़ा और उसकी छाती पर रख दिया। अब नदीम कहाँ रुकने वाला था। उसने मज़े से छाती दबायी और अम्मी की चीख़ निकल गयी : आह जानवर है क्या? कोई इतनी ज़ोर से दबाता है क्या?
नदीम डर गया और बोला: सॉरी अम्मी , पहली बार दबा रहा हूँ ना, मुझे अभी आता नहीं।
अब्बा हँसते हुए बोले: हाँ जल्द सब सिख जाएगा और अपनी अम्मी को बहुत मज़ा देगा । क्यों जानु है ना?
अम्मी कुछ नहीं बोली पर अब नदीम थोड़ा धीरे से एक चुचि दबा रहा था और एक अब्बा दबा रहे थे। जल्द ही अम्मी की आँखें लाल होने लगी और वो वासना की आँधी में बह गयी। अब अब्बा ने नदीम को कहा: चलो अब उसके दोनों दूध तुम ही दबाओ। और नदीम अब मज़े से उनके दूध दबाने लगा।
अब अब्बा ने नदीम की पैंट की ज़िपर नीचे किया और उसकी पैंट की बेल्ट भी निकाल दी। अम्मी हैरानी से अब्बा की करतूत देख रही थी। अब अब्बा ने नदीम की पैंट नीचे गिरा दी। और अम्मी ही नहीं अब्बा की भी आँखें फटीं रह गयीं। क्या ज़बरदस्त उभार था चड्डी में और नदीम का लौडा चड्डी से बाहर आकर एक तरफ़ को निकल आया था। वो था ही इतना बड़ा की चड्डी में समा ही नहीं रहा था।
उसका मोटा सुपाड़ा बाहर देखकर अम्मी की तो आह निकल गई। वो बोली: या खुदा , कितना बड़ा है और मोटा भी।
अब्बा: हाँ जानू तुम्हारी बुर तो ये फाड़ ही देगा।
अम्मी: हाँ सच बहुत दर्द होगा लगता है मुझे।
अब्बा: अरे एक बार ये पहले भी तुम्हारी बुर फाड़ चुका है, जब बुर से बाहर आया था। आज अंदर जाकर फिर फाड़ेगा। और वो हँसने लगे। अब अम्मी भी मुस्करा दी।
फिर अब्बा ने अम्मी की कुर्ती उतार दी और ब्रा में फंसे हुए गोरे कबूतरों को देखकर नदीम मस्ती से उनको दबाकर अम्मी की नरम जवानी का मज़ा लेने लगा।
अब्बा ने कहा: जानु चड्डी तो उतार दो बेचारा इसका लौड़ा कैसे फ़ंड़ा हुआ है, देखो ना।
अब अम्मी भी मस्ती में आ गयीं थीं , उन्होंने नदीम की चड्डी उतार दी और उसका गोरा मोटा लौड़ा देखकर सिसकी भर उठी।
अब अब्बा ने उसका लौडा हाथ में लेकर सहलाया एर कहा: देखो जानु कितना गरम है इसका लौड़ा और फिर अम्मी का हाथ पकड़कर उसपर रख दिया।
अम्मी के हाथ में मेरा लौड़ा आते ही अम्मी हाय कर उठी। वो मुझसे आँख नहीं मिला पा रही थी। पर उनका हाथ मेरे लौड़े पर चल रहा था और उनके अंगूठे ने सुपाडे का भी मज़ा ले लिया। मुझे उत्तेजना हो रही थी और नदीम झुक कर उनकी ब्रा का हुक खोलना चाहा। पर अनाड़ी खोल ही नहीं पाया।
अब्बा हँसते हुए नदीम को हटा कर हुक खोल दिए और ब्रा को अलग करके अम्मी के बड़े बड़े मम्मे नंगा कर दिए। नदीम तो जैसे पागल ही हो गया और उसने अम्मी के खड़े लम्बे काले निपल्ज़ को मसलना शुरू किया। अब अम्मी की आह्ह्ह्ह्ह्ह निकालने लगी और उनका हाथ लौड़े पर और ज़ोर से चलने लगा।
तभी अब्बा ने अम्मी को लिटा दिया और नदीम को बोले: चल बेटा अब अपनी माँ का दूध पी, जैसे बचपन में पिया था।
नदीम झुका और अपना मुँह एक दूध पर रख दिया और उसे चूसने लगा। और दूसरे हाथ से दूसरे दूध को दबाकर मस्ती से भर गया।
अब अम्मी भी मज़े से हाऊय्य्य्य्य मेरा बच्चाआऽऽऽऽऽ हाय्य्य्य्य्य्य कहकर नदीम का सर अपनी छाती पर दबाने लगी।अब्बा बोले: अरे बस क्या एक ही दूध पिएगा , चल दूसरा भी चूस।
नदीम ने दूध बदलकर चूसना चालू किया। उधर अब्बा अम्मी की सलवार उतार दिए, और नदीम को पहली बार पता चला की अम्मी पैंटी पहनती ही नहीं। अब्बा ने बाद मेंबताया था कि पिछले कुछ सालों से उन्होंने अम्मी को पैंटी पहनने से मना किया था।
अब अम्मी की बिना बालों वाली बुर मेरे आँखों के सामने थी। अब्बा ने मुझे अम्मी के पैरों के पास आने को कहा और उनकी टांगों को घुटनो से मोड़कर फैला दिया और उनकी जाँघों के बीच इनकी फूली हुई बुर देख कर नदीम को लगा किवह अभी झड़ जाएगा।
फिर अब्बा ने नदीम को बुर सहलाने को कहा और वो नरम फूली हुई बुरको दबाकर सहलाकर बहुत गरम हो गया। उसके लौड़े के मुँह मेंएक दो बूँद प्रीकम आ गया था। अब्बा ने उस प्रीकम को अपनी ऊँगली में लिया और सूंघकर बोले: वाह क्या मस्त गंध है, ।फिर अम्मी के नाक के नीचे रखकर उनको सुँघाए और फिर अपनी ऊँगली अम्मी के मुँह में डाल दी। अम्मी बड़े प्यार से उसको चाट ली।
अब्बा बोले: बेटा, अपनी अम्मी को लंड दो चूसने के लिए , उसको चूसने में बहुत मज़ा आता है। अब अम्मी उठकर नदीम का लौडा मुँह में लेकर चूसने लगी। और सुपाडे को जीभ से चाटने लगी। फिर अब्बा ने कहा: चलो बाद में चूस लेना, अब चुदवा लो। अम्मी लौडा मुँह से निकाल कर लेट गयी।
अब अब्बा ने अम्मी की बुर की फाँकों को अलग किया और उनकी गुलाबी छेद को नदीम को दिखाया और बोले: बेटा ये तेरा जन्म स्थान है, तू यहाँ से ही पैदा हुआ था। अब चल वापस यहीं अपना लौड़ा डालकर फिर से अंदर जा।
अब नदीम अम्मी की जाँघों के बीच आया और अब्बा ने उसके लौड़े को पकड़ कर के सुपाडे को गुलाबी छेद पर रखा और कहा: चल बेटा धक्का दो। नदीम ने धक्का मारा और आधा लौड़ा बुर के अंदर चला गया। अम्मी की चीख़ निकल गयी: हाऽऽऽऽयय्यय मरीइइइइइइइइइइ । धीरे से करोओओओओओओओओ ।
नदीम ने घबरा के अब्बा को देखा तो उन्होंने इशारा किया और ज़ोर से मारो। उसने फिर धक्का मारा और उसका पूरा लौड़ा अंदर चले गया। उसे लगा कि जैसे किसी गरम भट्टी में उसका लौडा फँस गया है, वाह क्या तंग बुर थी अम्मी की। अम्मी को शायद दर्द हो रहा था वो बोली: आह बेटा धीरे करो, तुम्हारा बहुत बड़ा है थोड़ा समय दो आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह।
अब्बा ने कहा: बेटा अम्मी का दूध चूसो और दबाओ वो मस्त हो कर चुदवायेगी। नदीम ने वैसे ही किया। अब मम्मी गरम होने लगी और उनका दर्द भी मज़े में बदलने लगा। फिर नदीम ने उनके होंठ चूसने शुरू किए। अब अम्मी ने उसके चूतरों पर अपने हाथ रख दिया और उसको धक्का मारने में मदद करने लगी।
उधर अम्मी नीचे से अपनी कमर उठाकर उसका साथ देने लगी। अब ज़ोरों की चुदायी हो रही थी, तभी नदीम ने देखा कि अब्बा अपना पैंट उतारकर अपने छोटे से लंड को रगड़ रहे थे पर वो खड़ा नहीं हो रहा था। उधर अम्मी अब चिल्ला रही थी: हाऊय्य्य्य्य्य बेटाआऽऽऽऽऽऽ चोद मुझे आऽऽह्ह्ह्ह्ह्ह क्या मस्त लौड़ा है तेरा हाय्य्य्य्य मर गईइइइइइइइइ फाड़ दे आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मेरी फाड़ दे। हाय्य्य्य्य्य्य्य ऐसी ही चुदायी चाहिए थी मुझे बेटाआऽऽऽऽऽऽऽऽ ।
अब कमरा फ़च फ़च की आवाज़ से भर गया था।
अब्बा अब पास आकर हमारी चुदायी देख रहे थे और अपना लंड हिला रहे थे। तभी अम्मी चिल्ला कर बोली: हाय्य्य्य्य्य्य्य जोओओओओओओओओओर्र्र्र्र से चोदोओओओओओओओओओ । आह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ीइइइइइइ ।
अब नदीम भी अपनी अम्मी के साथ ही झड़ गया।
अब्बा अभी भी लंड हिला रहे थे पर वह अभी भी छोटा सा सिकुड़ा हुआ ही था। नदीम को अब्बा के लिए काफ़ी अफ़सोस था पर अपने लिए वह बहुत ख़ुश था। उसे चोदने के लिए माँ जो मिल गयी थी।
बस उस दिन के बाद से नदीम अब्बा और अम्मी के साथ ही सोता है और वो क़रीब रोज़ ही कम से कम दो बार चुदायी करते हैं। अब तो नदीम अम्मी की गाँड़ भी मारता है।
नदीम: यार तू चाहे तो मेरी अम्मी को चोद लेना पर तेरी माँ को मुझसे एक बार चुदवा दे ना प्लीज़। मेरा लंड तो उनको चोदने के लिए मरा जा रहा है।
राज बोला: चल देखता हूँ, क्या हो पाता है।
फिर वह घर की ओर चल पड़ा और सोचने लगा कि क्या माँ बेटे में ऐसा रिश्ता हो सकता है?
घर पहुँच कर राज के मन में प्रतीक और नदीम की बातें किसी सिनमा की भाँति उसके आँखों के सामने से चल रही थीं। वो सोच रहा था कि कैसे नदीम के पापा ही अपनी बीवी यानी उसकी माँ को अपने बेटे से चुदवाएँ हैं। क्या ये गुनाह नहीं है। उधर प्रतीक भी अपने दोस्त की माँ को इतनी आसानी से पटा कर उसकी चुदायी कर लिया। फिर अचानक उसको अपनी माँ का ख़याल आया और वो मनीष और बीजू को याद करने लगा , जिनके बारे में उसे पक्का पता था कि उन्होंने माँ को ज़बरदस्त तरह से चोदा था। आज भी माँ की गाँड़ का दर्द याद करके अपना लंड खड़ा कर बैठा। कितनी थकी हुई थी माँ उस दिन जब वो बीजू से चुद कर आयी थी। उसे बीजू और मनीष के मेसिज याद थे।
अचानक उसने सोचा कि कई दिनों से उसने माँ के फ़ोन के मेसिज चेक नहीं किए हैं। अब वो घर पहुँचा तो माँ किचन में खाना बना रही थी। उनका फ़ोन सोफ़े पर था, उसने चुपके से फ़ोन उठाया और अपने कमरे में आकर मेसिज देखने लगा। कुछ तो उनकी सहेलियों के थे और फिर उसे मनीष का मेसिज दिखा जो पुराना था,वो कुछ इस तरह से था---
मनीष: आंटी बहुत याद आ रही है, आ जाऊँ क्या?
माँ: नहीं आज नहीं मेरा पिरीयड आया हुआ है।
मनीष: फिर क्या हुआ ,एक छेद ही तो गड़बड़ है, मुँह और गाँड़ में डाल दूँगा।
माँ: नहीं अभी नहीं। वैसे भी थोड़ा परेशान हूँ राज को लेकर।
मनीष: क्या हुआ उसको?
माँ: अरे पता नहीं उसका व्यवहार कुछ अजीब सा है। पढ़ाई में भी पिछड़ता जा रहा है। मैं बहुत परेशान हूँ।
मनीष: कहीं कोई लड़की के चक्कर में तो नहीं पड़ गया है वो?
माँ : अब मैं क्या जानूँ , बाहर क्या करता फिरता है? पर लगता तो नहीं है किवो ऐसा लड़का है।
मनीष: मेरे चेहरे से लगता है कि मैंने अपनी माँ की उम्र की आंटी को पटा रखा है? ह हा
माँ : चल बदमाश कुछ भी बोलता है।
मनीष: तो आंटी आ जाऊँ बस एक बार गाँड़ मरवा लेना प्लीज़।
माँ : फ़ालतू बात नहीं। कोई मौक़ा नहीं है ।
मनीष: क्या आंटी आप बहुत तंग कर रही हैं मेरे लौड़े को। बेचारा प्यासा है बहुत। आपको मेरी याद नहीं आती?
माँ : याद तो आती है, पर क्या किया जाए, जीवन में और भी परेशानियाँ हैं। और आजकल तो मैं सिर्फ़ राज की चिंता मेंही मरी जा रही हूँ। अपना सत्यानाश कर रहा है। पढ़ाई में ध्यान ही नहीं देता। चल अब किचन में जाती हूँ बाई
मनीष: बाई मेरी जान और किस्ससससस्स यूउउइउउउ
राज ये मेसिज पढ़कर अपना लंड दबाने लगा और सोचने लगा कि मनीष मुश्किल से उससे २/३ साल ही बड़ा होगा और माँ उसकी कितनी दीवानी है।
इसका मतलब सच है प्यार और चुदायी में सब जायज़ है। तो क्या वो भी अपनी माँ को चोद सकता है? इस विचार के आते ही उसका शरीर उत्तेजना से भर गया और वो जान गया कि जब तक वो ये नहीं कर लेगा उसको चैन नहीं आएगा।
पर ये कैसे होगा? माँ कैसे मानेगी? ये सब सोचकर उसका दिमाग़ गरम हो गया। उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था।
उसने सोचा कि क्या प्रतीक या नदीम का सहारा लिया जाए?
फिर उसने सोचा किअगर उसने ये किया तो वो दोनों तो माँ को चोद लेंगे और मैं ऐसे ही लंड पकड़कर बैठे रहूँगा। उसे कोई रास्ता नहीं सूझा आगे बढ़ने का। अंत में वो अपना सर झटक कर माँ के पास किचन में गया और बोला: माँ भूक लगी है।
माँ : आज जल्दी भूक लग गई। चल बैठ मैं खाना लगाती हूँ।
राज: चलो मैं भी आपकी मदद कर देता हूँ।
माँ: अच्छा चल ये प्लेट लगा और इस पतीली को टेबल पर रख मैं रोटी लेकर आती हूँ।
राज समान लेकर टेबल पर बैठ गया और तभी माँ रोटी लेकर आयीं। दोनों खाना खाने लगे।
माँ : आज कहाँ गया था खेलने?
राज: सामने वाले मैदान में।
माँ: कौन है तेरे दोस्त?
राज: नदीम श्रेय और प्रतीक।
माँ : कोई लड़की भी है क्या तेरी दोस्त?
राज समझ गया कि मनीष ने उनके दिमाग़ में ये विचार डाला है, वो बोला: नहीं माँ , पर आप क्यों पूछ रही हो?’
माँ : इसलिए कि तेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं है आजकल। पता नहीं बाहर में क्या करता फिरता है।
राज: नहीं माँ ऐसी बात नहीं है।
माँ : तो फिर क्यों पढ़ाई मैं ध्यान नहीं देता? हुआ क्या है तुझे?
राज: पढ़ता तो हूँ पता नहीं नम्बर अच्छे क्यों नहीं आते?
माँ: बेटा और मेहनत करो , ठीक है ना!
फिर दोनों खाना खा कर सोफ़े पर बैठकर TV देखने लगे।
पता नहीं राज को क्या सूझा कि वो बोला: माँ मैं आपकी गोद में लेट जाऊँ क्या?
माँ : इसमें क्या पूछता है? आ लेट जा।
अब राज माँ की गोद में लेट गया और माँ उसके सर पर हाथ फेरने लगी। राज ने अपनी माँ की आँखें में देखा तो वहाँ असीम प्यार था। उसे शर्म आयी किवो उनके बारे में क्या क्या सोचता है।
तभी उसने कहा: माँ आज आप मैक्सी नहीं पहनी, अभी भी साड़ी में क्यों हो?
माँ : वो शाम को पड़ोसन आ गयी थी तो साड़ी पहन ली थी।
राज: अब साड़ी में ही रहोगी या मैक्सी पहनोगी?
माँ : अब कौन थोड़ी देर के लिए मैक्सी बदले ऐसे ही लेट जाऊँगी अभी।
राज ने अपना मुँह घुमाया तो उसे साड़ी के साइड से माँ का गोरा गोल पेट नज़र आया ।उसने अपना मुँह उसके पेट में घूसेड दिया और बोला: माँआपका पेट कितना नरम है। और अपने गाल वहाँ रगड़ने लगा।
माँ हँसते हुए बोली: तूने शेव नहीं की है ना? तेरे बाल गड़ रहे हैं। आह गुदगुदी मत कर।
राज: माँ ये शेव भी बहुत बोरिंग है, हर तीसरे दिन बाल बढ़ जाते हैं। आप लोगों का बढ़िया है, शेव करने की ज़रूरत ही नहीं है।
माँ ने उसके गाल को सहलाया और कहा: कितने दिन हो गए शेव किए हुए?
राज: २ दिन पहले किया था।
माँ ने उसके हाथ सहलाए और कहा: तू भी अपने पापा के जैसे भालू ही है। देख कितने बाल है तेरे हाथों में। फिर उसके हाफ़ पैंट के नीचे से उसकी टांगों को देखकर बोली: देख यहाँ पैरों में भी बाल ही बाल है।
राज: माँ मेरी छाती पर भी बहुत बाल हैं। पापा के भी थे क्या?
माँ : हाँ उनके भी बहुत थे। फिर उसकी टी शर्ट उठाकर उसकी छाती को देखकर बोली: हाँ ऐसे ही तेरे जैसे उनकी छाती पर भी बाल थे।
अब उनका हाथ उसकी छाती के बालोंपर चल रहा था, और वो जैसे पुरानी यादों में खो सी गई थीं।
राज को माँ का नरम नरम हाथ अपनी छाती पर बहुत मादक लग रहा था और उसका हथियार बड़ा होने लगा। उसने अपनी एक टाँग उठा ली ताकि माँ को आभास ना हो जाए कि वो अपना खड़ा करके बैठा है।
फिर माँ ने उसकी शर्ट नीचे कर दी। अब राज माँ के गोरे पेट को चूमने लगा और बोला: माँ आपका पेट कितना गोरा और नरम है।
माँ हँसते हुए बोली: अच्छा। मुझे तो पता ही नहीं था।
राज ने अब अपना हाथ माँ के कमर मेंडाल दिया और उससे चिपक कर अपना मुँह उसकी नाभि मेंडालकर उसको भी चूम लिया और बोला: माँ तुम्हारी नाभि कितनी गहरी है।
माँ : क्या बात है आज माँ से ज़्यादा ही चिपक रहा है।
राज: माँ बहुत अच्छा लग रहा है आपसे लिपटकर।
माँ ने झुककर उसके गाल को चूमा और बोली: बेटा ये सब तो ठीक है पर पढ़ाई पर ध्यान दो।
माँ के झुकने से उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ राज के मुँह पर आ गयीं थीं और उसे माँ के पसीने की गंध ने जैसे मस्त कर दिया था। उसे ब्लाउस के बीच से छातियों की घाटी भी दिखायी दे गई और उसका हथियार अब पूरा खड़ा हो गया। उसे बड़ा मुश्किल लग रहा था अपने हथियार को माँ की आँखों से छुपाना।
अब माँने उबासी ली और बोली: चल अब मुझे नींद आ रही है। अब सोएँगे।
राज ने लाड़ दिखाकर कहा: माँ आज मैं आपके पास सो जाऊँ?
माँ: मेरे साथ ? क्यों क्या हो गया?
राज: बस ऐसे ही?
माँ : पर अभी पढ़ेगा नहीं क्या?
राज: अब कल से बहुत पढ़ाई करूँगा, आज प्लीज़ अपने साथ सुला लो ना?
माँ हँसती हुई बोली: अच्छा चल मेरे साथ ही सो जा।
राज अपनी माँ के पेट को फिर से चूमा और उठकर अपने खड़े हथियार को छुपाता हुआ माँ के कमरे की ओर चला गया। माँ भी आकर अपनी साड़ी उतरने लगी शीशे के सामने खड़े होकर। राज ने सोचा ओह तो माँ ब्लाउस और पेटिकोट में ही सोएँगीं। फिर उसके हथियार ने झटका मारा।
माँ अपने आप को शीशे मेंदेख रही थी और ब्लाउस में से उनके उभार मस्त दिख रहे थे। और पेटिकोट में से उभरे उनके बड़े गोल चूतर भी कितने मादक लग रहे थे। फिर वो बाथरूम में गयी, और क़रीब १० मिनट के बाद वापस आयीं और आकर फिर से शीशे के सामने खड़े होकर उन्होंने एक क्रीम निकाली और अपनी बाहों पर लगायी । उन्होंने वह क्रीम अपने बग़लों पर भी लगायी। राज तो जैसे मोहित ही हो चुका था अपनी माँ के अंगों पर। उनकी बग़ल कितनी सुंदर थी। कोई बाल नहीं था। अब माँ ने अपने पेट पर क्रीम लगाई और फिर आगे झुककर अपना एक पाँव ड्रेसिंग टेबल पर रखा और अपना पेटिकोट उठाया घुटनो तक और पैर में भी क्रीम लगायीं और फिर हाथ में क्रीम लेकर कपड़े के अंदर से जाँघ तक हाथ के जाकर वहाँ भी क्रीम लगाई। फिर यही क्रिया उन्होंने दूसरे पैर पर भी की। उनके झुकने से उनका पिछवाड़ा तो किसी को भी कामुक कर देता।
फिर उन्होंने वो किया जिसकी राज को उम्मीद नहीं थी। उन्होंने अपने दोनों हाथ में क्रीम लिया और मलते हुए अपना पेटीकोट पीछे से उठाया और क्रीम को दोनों चूतरों पर मलने लगी। इस समय उनका मुँह राज की ओर था ताकि वो उनकी नग्नता ना देख ले।
राज को लगा किवो झड़ जाएगा।
अब माँ उसके साथ आकर बिस्तर पर लेटी और बोली: तू सोच रहा होगा कि मैं क्रीम क्यों लगा रही हूँ, असल मैं औरतों का शरीर ही ऐसा होता है उसे चिकनाई की बहुत ज़रूरत होती है, तभी बदन चिकना रहता है वरना खुरदरा हो जाता है, समझा?
राज: जी माँ समझ गया। अब समझ में आया कि आप इतनी चिकनी कैसी हो? हाँ हा ।
माँ : चल बदमाश। अब सो जा, और कहते हुए उसने बत्ती बंदकर दी।
राज अपनी माँसे चिपकता हुआ बोला: मैं आपसे ऐसे चिपक कर सोना चाहता हूँ। और आपकी छाती पर अपना सर रखना चाहता हूँ।
माँ ने हँसते हुए उसे अपनी ओर खिंचा और वह नीचे खिसका और माँ की छाती में अपना सर रखकर उनकी साँसों और धड़कनो को सुनने लगा।
माँ: आज क्या हो गया है तुझे? बड़ा प्यार आ रहा है माँ पर ?
राज: मैं तो हमेशा आपसे प्यार करता हूँ, आप ही ध्यान नहीं देती।
अब राज माँ की भारी छातियों को अपने गाल पर महसूस कर रहा था और उसका हथियार पूरा फनफ़ना रहा था। उसने हाथ बढ़के उसको ऊपर की ओर किया ताकि वो माँको कहीं चुभ ना जाए।
अब राज ने अपना हाथ माँ की कमर पर रखा और हल्के से सहलाने लगा। माँने उसका माथा चूमा और बोली: चल अब सो जा , ऐसे चिपक कर नींद नहीं आएगी। राज माँ से दूर हुआ और माँ ने करवट बदली और अपनी पीठ उसके तरफ़ कर सो गयी। अब राज के सामने उभरा हुआ पिछवाड़ा था जो कि उसे नाइट लैम्प की रोशनी में साफ़ दिख रहा था। चूतरों की दरार में गैप अलग से दिख रहा था। और उसे माँ की पैंटी के कोई निशान नहीं दिखे ,इसका मतलब माँने पैंटी उतार दी थी।
वो उठा और बोला: माँ मैं बाथरूम से आता हूँ।
माँ ने नींद में” हूँ” की और सो गई।
राज बाथरूम में जाकर माँ की पैंटी ढूँढा और उसको वो गंदे कपड़ों के बीच मिल भी गई। तो उसका सोचना सही था किमाँ ने पैंटी नहीं पहनी है। उसने माँकी पैंटी उठाई और उसे नाक के पास ले जाकर सूँघने लगा। उसका लंड अब झटके मारने लगा था । पैंटी से पेशाब और पसीने के साथ मिली जुली एक सेक्स को गंध भो थी, जो उसे पागल कर गई। और वो माँ के पैंटी में मूठ मारने लगा और जल्दी ही झड़ गया।
फिर वह साफ़ करके कमरे में आकर सो गया।
रात को क़रीब २ बजे उसकी नींद खुली तो देखा कि माँ अब पीठ के बल सो रही है और उनका पेटीकोट ऊपर आ गया था और उनकी जाँघे नंगी हो रही थीं। उसने उठके उनकी जाँघों का दर्शन किया पर जाँघें मिली हुई थी इस लिए आगे का नज़ारा नहीं देख पाया।फिर उसने अपनी माँ की ब्लाउस में क़ैद छातियाँ देख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि वो उन आमों को सहला दे पर हिम्मत नहीं हुई। और वह करवट बदल कर सो गया।
उधर सुबह जब नमिता उठी तो देखी कि राज पीठ के बल सोया हुआ है। उसका हथियार पूरा खड़ा था और तंबू की माफ़िक़ तना हुआ था। वो फिर से उसके साइज़ का सोचकर हैरान हो गई। आख़िर इसका इतना बड़ा कैसे है, इसके पापा का तो इसके आसपास भी नहीं था। तभी उसे ख़याल आया किवी अपने बेटे के लंड के बारे में सोच रही है, तो वो अपने से शर्मिंदा होकर बाथरूम चली गयी।
वहाँ नहाने के पहले उसने सब कपड़े वॉशिंग मशीन में डाला और तभी उसने अपने पैंटी को देखा तो उसमें सफ़ेद सूखा सा लगा था। उसने उसे सूँघा और मर्दाना वीर्य की गंध उसे हैरान कर गई। वो समझ गई किये राज का ही काम है।
उसे बड़ा दुःख हुआ कि ये उसके बेटे को क्या हो गया है? वो ऐसे कैसे कर सकता है? क्या अपनी माँ को वैसी गंदी नज़र से देखता है?
हे भगवान मैं इसका क्या करूँ? यह सोचते ही उसके आँसू निकल गए। उसके समझ में आ गया कि उसका ध्यान पढ़ाई में इसीलिए नहीं लगता है क्योंकि वह बस हर समय शायद सेक्स के बारे में ही सोचता रहता होगा।
यहाँ तक तो ठीक है पर क्या वो अपनी माँ के बारे में ऐसी गंदी सोच रखता है! वह सोचकर काफ़ी परेशान हो गई।
उसे लगा कि हो सकता है वो ज्यादा ही सोच रही हो और उसने बस अपनी उत्तेजना को शांत किया हो और उसकी पैंटी को शायद उसने इसके लिए सिर्फ़ इस्तेमाल किया ही और हो सकता है सच में वो उसके बारे में ऐसा ना सोचता हो।
उसका सर घूमने लगा। उसने फ़ैसला किया कि वो इन सब बातों को समझकर राज से साफ़ साफ़ बात करेगी।
बाथरूम से बाहर आयी तब राज बिस्तर पर नहीं था। वह अपने कमरे में जा चुका था। वो किचन में गई और चाय बनाने लगी।
फिर वो सोचा कि माँ थोड़े ना एक एक कपड़ा वॉशिंग मशीन में डालती होंगी। वो तो सारे कपड़े एक साथ ही धोने में लिए डाल देती होंगी।
राज नाश्ता करने के बाद माँ के पास आया और बोला: माँ आपकी तबियत तो ठीक है ना? आप आज बहुत गम्भीर नज़र आ रहीं हैं।
नमिता: नहीं मैं ठीक हूँ , चलो स्कूल जाओ।
राज: ठीक है माँ , बाई।
राज के जाने के बाद वो चाय पीते हुए सोच रही थी कि कैसे इस टॉपिक को सुलझाया जाए।
राज स्कूल के बस में बैठा तो शिला मैडम जब अंदर आयी तो उसको प्रतीक की बात याद आयी और वो सोचने लगा कि ये कितनी सीधी साधी दिख रही है और प्रतीक से मज़े से चुदवायी है कल दोपहर को।
शीला मैडम आकर राज के साथ ही बैठ गयी। प्रतीक की नाक में एक तेज़ ख़ुशबू का झोंका आया। आंटी ने सेंट लगाया हुआ था। वो साड़ी और स्लीव्लेस ब्लाउस में थीं। उन्होंने सामने की सीट का रॉड पकड़ा था और उनकी बग़ल साफ़ दिख रही थी। साड़ी से उनका गोरा पेट भी बहुत मादक दिख रहा था। उसकी इच्छा हो रही थी कि उस गोरे पेट पर हाथ फेर ले, पर उसने स्वयं पर नियंत्रण किया।
शीला: पढ़ायी कैसी चल रही है तुम्हारी?
राज: ठीक है मैडम ।श्रेय कैसा है?
शीला: श्रेय थी है, वो पीछे बैठा है बस में।नमिता ठीक है ना?
राज: जी, मम्मी ठीक हैं।आंटी प्रतीक कल आपके घर आया था क्या?
शीला चौंकते हुए बोली: हाँ आया था श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने , पर तुम्हें कैसे पता?
राज: आंटी प्रतीक ने बताया था कि वो श्रेय के घर गया था, और उसने ख़ूब मज़ा किया।
शीला के मुँह का रंग उड़ गया और वो हकलाते हुए बोली: कैसा मज़ा?
राज मन ही मन मुस्कराया और बोला: वो कह रहा था कि वीडीयो गेम का बहुत मज़ा लिया।
शीला का रंग वापस आ गया और बोली: ओह हाँ, दोनों ने ख़ूब गेम खेला।राज सोचा कि साली क्या झूठ बोल रही है।
तभी स्कूल आ गया और शीला खड़ी हो गयी और राज उसकी मस्त गाँड़ देखकर सोच रहा था कि कल प्रतीक ने इनको ख़ूब दबाया होगा।
फिर अपना लंड ठीक करते हुए वो भी उतरा।
स्कूल में ब्रेक मेंप्रतीक मिला और बोला: यार कल तो मज़ा ही आ गया , साली क्या चुदक्कड मैडम है। पूरे दो बार चोदा साली को, एकदम रंडि के माफ़िक़ चूतर उछालकर चुदवा रही थी। और लंड भी मस्त चूसती है।
राज: बड़ा किस्मतवाला है तू, कल पहली बार में ही मैदान मार लिया।
प्रतीक: यार ये औरतें जो प्यासी होती हैं ना, जल्दी पट जाती हैं। जैसे कि शीला मैडम। वैसे तुम्हारी मम्मी का भी यही हाल होगा। तुम चाहो तो उनकी भी सेवा कर दूँ । ये कहते हुए उसने आँख मार दी।
इसके पहले कि राज कुछ बोल पता ,श्रेय आया और बोला: प्रतीक भय्या , आपको मम्मी ऑफ़िस में बुला रही हैं।
और वो ऐसा कहके चला गया।
प्रतीक ने मुस्कुराते हुए कहा: लगता है साली की बुर खुजा रही है इसलिए बुला रही है। कल की चुदायी से दिल नहीं भरा , लगता है।
दस मिनट के बाद वो वापस आया और बोला: मैडम की बुर मेंआग लगी है, कह रही थी कि स्कूल के बाद स्टाफ़ रूम मेंआ जाना, उनका वहाँ कैबिन है। मैंने पूछा कि क्या काम है? तो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से पकड़कर बोली: तुमसे नहीं , इससे काम है।
राज हक्काबक्का हो कर उसे देखने लगा। वो बोला: क्या कह रहे हो, वो ऑफ़िस में चुदवायेगी? हे भगवान।
प्रतीक: अरे यार चुदायी चीज़ ही ऐसी है। तू नहीं समझेगा।
तभी स्कूल के घंटी बजी और वो सब क्लास मेंचले गए।
राज के दिलोदिमाग़ मेंयही चल रहा था कि साला प्रतीक कितनी किस्मतवाला है। और वो तो बस माँ के ही बारे में सोचता रहता है, कर कुछ नहीं पाता।
स्कूल की छुट्टी के बाद राज ने देखा कि प्रतीक स्टाफ़ रूम की ओर चल पड़ा पर शायद वहाँ से शीला मैडम के कैबिन में घुस जाएगा और उसकी अच्छे से लेगा। क्या वो छिप कर देख सकता है? तभी उसको एक विचार आया और उसने प्रतीक को आवाज़ लगायी और पास आकर बोला: यार मुझे तेरी चुदाई देखना है।
प्रतीक: अबे मरवाएगा क्या? मैडम को शक हो गया तो?
राज: प्लीज़ यार प्लीज़।
प्रतीक: अच्छा चल पर एक शर्त पर, अपनी मम्मी दिलवाएगा ना?
राज: वो बाद में देखेंगे , चल अभी मेरे देखने का जुगाड़ कर।
वो दोनों स्टाफ़ रूम पहुँचे, वहाँ कुछ कैबिन बने हुए थे। प्रतीक उसे लेकर बाहर की खिड़की तक पहुँचा दिया और वहाँ से अंदर झाँका तो शीला मैडम अपने ऑफ़िस की टेबल पर बैठ कर किसी से फ़ोन पर बात कर रही थीं। उन्होंने साड़ी ब्लाउस पहना था और साड़ी एक तरफ़ हो गई थी और उनकी एक बड़ी सी चुचि ब्लाउस में से साफ़ दिख रही थी। राज का लंड हिलने लगा। तभी प्रतीक ने कमरे में प्रवेश किया।
शीला उसको देख कर मुस्करायी और बैठने का इशारा किया, पर प्रतीक तो उसकी कुर्सी के पीछे चला गया और उसने उनकी छातियों पर अपने हाथ रख दिए और उनके गाल चूमने लगा। अब शीला ने हड़बड़ा कर फ़ोन बंद किया और बोली: अरे ये क्या करते हो मैं फ़ोन पर बात कर रही थी ना?
प्रतीक: मम्मी बस आप मुझसे बात करो और उसकी गर्दन चूमने लगा।
शीला की छातियाँ दबाते हुए वो अब बोला: मम्मी यहाँ तो बिस्तर नहीं है, कहाँ चूदाओगी?
शीला भी अब गरम हो गयी थी अब उसने प्रतीक को अपनी गोद में खिंच लिया और उसके होंठ चूसने लगी। राज आँखें फाड़कर देख रहा था कि शीला कितनी बदली हुई दिख रही थी। उसकी आँखें वासना से लाल हो रहीं थीं। अब प्रतीक ने उसके ब्लाउस के हुक्स खोल दिए और अब ब्रा के अंदर उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ दिखने लगी जिसे प्रतीक ने चूमना शुरू किया।
शीला का हाथ प्रतीक की छाती पर फिर रहा था। अब शीला बोली: देखो हालाँकि छुट्टी हो गई है, इसलिए हमें जल्दी करना पड़ेगा , देर तक यहाँ नहीं रह सकते।
प्रतीक: मम्मी मैं तो आपको एक घंटे तक चोदना चाहता हूँ।पूरा मज़ा लेना चाहता हूँ।
शीला: बेटा फिर कभी , आज तो बस जल्दी से निपटा दो।
अब शीला उसको उठने को बोली और फिर प्रतीक को सामने खड़े करके उसकी पैंट का ज़िपर खोला और फिर बेल्ट भी खोलकर उसकी पैंट नीचे कर दी। राज सोच रहा था किये वोहि शीला मैडम है जो कि क्लास में कितनी दबंग दिखती हैं।
उधर शीला ने चड्डी भी उतार दी और अब प्रतीक का खड़ा लंड बाहर आकर ऊपर नीचे हो रहा था।शीला ने उसे हाथ में लेकर सहलाया और फिर उसकी टोपी को नंगा किया। अब शीला ने उसके सुपाडे को अंगूठे से सहलाया और फिर नीचे मुँह करके अपनी जीभ निकाली और उसके सुपाडे को चाटने लगी। प्रतीक भी उसकी ब्रा के अंदर हाथ डालकर उसकी छातियाँ मसल रहा था।
अब शीला ने लंड चूसना शुरू किया और प्रतीक मज़े से ह्म्म्म्म्म कर रहा था। फिर शिला खड़ी हो गयी। अब वो अपने आप साड़ी उठायी और अपनी पैंटी उतार कर निकाल दी और उसे टेबल पर रख दिया। प्रतीक ने झट से उसे उठा लिया और उसको सूँघने लगा। शीला ने उसको एक चपत लगायी और उससे पैंटी छीनकर वापस टेबल पर रख दी। अब शीला ने अपने ब्रा के हुक खोले और ब्रा को ऊपर खिसकाकर अपनी बड़ी बड़ी छातियाँ नंगी कर दीं। ब्लाउस और ब्रा अभी भी उसके शरीर पर ही थे। अब तो प्रतीक जैसे उसकी चूचियों पर टूट ही पड़ा।उसने उनको दबाना और चूसना शुरू किया।
फिर शीला कराहने लगी: आऽऽऽहहहह बेटाआऽऽऽऽ और मम्मी का दूध चूसोओओओओओओओ । हाऊय्य्य्य्य ।
फिर वो प्रतीक को हटाकर अपनी साड़ी उठाकर अपने आपको नीचे से पूरा नंगी की और टेबल पर झुक गयी और प्रतीक को वासना भरी आवाज़ में बोली: आह बेटा डालो और अपनी मम्मी को मस्त कर दो।
प्रतीक की आँखों की सामने अब उनके बड़े गोल चूतर थे और अब प्रतीक उसके पीछे आया और नीचे बैठ गया और साड़ी ऊपर उठाकर उसने उसकी जाँघों की दरार में अपना मुँह डालकर वहाँ चूसना शुरू किया। शीला आहें भरने लगी और कमर हिलाकर उसके मुँह में अपनी बुर और गाँड़ रगड़ने लगी।
अब वो बोली: हाय्य्य्य्य उठ जा बेटा , अब मुझे चोद दे ना ।
प्रतीक खड़ा हुआ तो उसका मुँह पूरा गीला था। उसने अपना मुँह साफ़ किया और शीला के पीछे खड़ा होकर अपना लंड उसकी बुर पर रखा, शीला ने अपना हाथ साड़ी के अंदर हाथ डालकर उसका लंड पकड़ा और अपनी बुर में सेट किया और फिर पीछे की तरफ़ धक्का मारकर अपनी बुर में एक ही झटके में लंड गटक लिया और हाय्य्य्य्य्य्य्य कहकर पूरा पीछे हुई ताकि पूरा लंड अपनी जड़ तक उसकी बुर में समा जाए। अब प्रतीक उसकी नीचे की ओर झूलती हुई चूचियाँ पकड़कर कसकर धक्के लगाने लगा। कमरे में फ़च फ़च और थप्प थप्पकी आवाज़ गूँजने लगी। राज हैरानी से अपने जीवन में पहली बार चुदायी देख रहा था और उसका मन कर रहा था कि वो भी अपना लंड निकाल कर मूठियाने लगे। पर स्कूल में होने के कारण वो सावधानी बरत रहा था।
उधर शीला हाऽऽऽऽऽऽयय्यय मरीइइइइइइइइ। और चोदोओओओओओओ बेटाआऽऽऽऽऽऽ कहते हुए पीछे कमर दबाकर चुदवाती रही और दबी हुई चीख़ें मारने लगी। अब वो तेज़ी से कमर हिलाकर झड़ रही थी और चिल्लायी: आऽऽह्ह्ह्ह्ह बेटाआऽऽऽ मैं तोओओओओओओओओ गयीइइइइइइइइ । उधर प्रतीक भी आह्ह्ह्ह्ह्ह ह्म्म्म्म्म करके झड़ने लगा।
फिर प्रतीक अलग हो कर एक कुर्सी पर धम्म से बैठ गया, उसका लंड सिकुड़कर एक तरफ़ होकर उसकी जाँघ पर पड़ा था। वो पूरा भीगा हुआ था। शीला भी सीधी खड़ी होकर बाथरूम में चली गई।
प्रतीक ने अपने लंड को साफ़ करने के लिए कपड़ा ढूँढा , फिर उसे शीला की पैंटी उठाकर उसने अपना लंड और उसके आसपास का अंग साफ़ किया। तभी शीला बाहर आयी और उसको अपनी पैंटी का ऐसा इस्तेमाल करते देख कर हँसती हुई बोली: हा हा वाह क्या सफ़ाई की जा रही है मेरी पैंटी से?
प्रतीक: मम्मी आप अपनी जीभ से साफ़ कर दो ना।
शीला हँसते हुए बोली: वो तो मैं कर देती पर बेटा अभी चौक़ीदार आ सकता है, कमरा बंद करने।
प्रतीक: मम्मी प्लीज़ थोड़ा सा चूस दो ना।
शीला उसके आगे बैठ गई और बोली: चल थोड़ी देर चूस देती हूँ।
फिर उसने अपना मुँह उसकी जाँघों के बीच डाल दिया और उसकी झाँटों और लंड और बॉल्ज़ के ऊपर अपना मुँह रगड़ने लगी। वो उसकी गंध से मदमस्त हो रही थी। फिर उसने अपनी जीभ से उसके लंड और बॉल्ज़ को चाटा और फिर प्रतीक के खड़े होते लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगी। अब उसका सर ऊपर नीचे हो रहा था और उसने अपने गालों को अंदर की ओर कर के चूसना चालू रखा। फिर उसका एक हाथ प्रतीक की छाती के ऊपर जाने के लिए शर्ट के अंदर गया। प्रतीक ने शर्ट ऊपर कर दी और वो उसके निप्पल को बारी बारी से दबाने लगी। फिर उसका दूसरा हाथ बॉलस को सहलाते हुए और नीचे जाकर उसकी गाँड़ के छेद को सहलाने लगा और फिर वी उसकी गाँड़ मेंऊँगली डालने की कोशिश करने लगी। प्रतीक को जैसे मस्त झटका लगा और वह मस्ती से अपनी कमर उठाके अपनी गाँड़ में ऊँगली करवाए जा रहा था और अपने लौड़े को शीला के मुँह में ठूँसे जा रहा था।
शीला भी मज़े से चूसे जा रही थी।जल्दी ही वो ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा उसके मुँह मेंऔर फिर आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मम्मीइइइइइओओओओ क्या चूस रहीइइइइइइइ होओओओओओ कहते हुए झड़ने लगा। शीला भी अब और ज़ोर से चूसते हुई उसके रस को पीने लगी। जब उसने आख़री बंद भी चूस ली तब वो लंड को मुँह से निकाल कर उसके सुप्पाड़े मेंलगी बूँदें भी चाट कर पी गई।
राज ने ऐसी कल्पना नहीं की थी कि शीला मैडम ये सब करेगी। कौन सोच सकता था कि इतनी कड़क मैडम चुदायी के समय ऐसी रंडि बन जाती है। वो कल्पना करने लगा कि उसकी मम्मी भी मनीष भय्या से चुदवाते समय क्या ऐसी ही दिखती होगी। अब शीला खड़ी हुई और एक बार फिर बाथरूम गयी और थोड़ी देर बाद वापस आयी और इस बार प्रतीक ने भी कपड़े पहन लिए थे और वो भी बाथरूम गया और थोड़ी देर बाद दोनों ने एक दूसरे को चूमा और फिर पहले प्रतीक बाहर आया। राज अभी भी छुपा हुआ था। फिर शीला मैडम बाहर आकर चली गयी और प्रतीक और राज भी चल पड़े।
प्रतीक: मज़ा आया ?
राज : यार मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि मैडम किसी रंडि को भी मात दे सकती हैं।
प्रतीक: तो फिर कब अपनी मम्मी मुझसे चुदवाएगा?
राज ने बात घुमाकर टाल दी और यह निश्चय किया किअगर कोई अब उसकी माँ को चोदेगा, तो वो यानी राज ख़ुद ही होगा और दूसरा कोई नहीं। अब वो दोनों अपने अपने घर के निकल गए।
तभी नमिता थोड़ी सी हिली और वो हड़बड़ा कर बोला: माँ उठो ना, भूक लगी है।
नमिता: अरे तू कब आया? मुझे तो नींद ही लग गई थी।
राज: अभी तो आया हूँ।
नमिता उठी और झुक कर अपनी चप्पल पहनी तभी उसकी आधी से ज़्यादा चूचियाँ राज की आँखों के सामने झूल गयीं। राज ने सोचा कि माँ की चूचियाँ तो शीला मैडम की चूचियों से भी बड़ी हैं। अब वो उठकर किचन की ओर गई तो उसकी कुर्ती ऊपर चढ़ गई थी और उसके बड़े बड़े चूतर लेग्गिंग से चिपके हुए अलग से मटकते हुए दिख रहे थे। नमिता ने अपनी कुर्ती नीचे की और अपने चूतरों को ढक लिया।
राज अपने कमरे में जाकर लोअर और टी शर्ट पहनकर वापस टेबल पर आ कर बैठा और दोनों खाना खाने लगे।
नमिता: आज पढ़ायी कैसी हुई?
राज: ठीक हुई माँ ।
नमिता: अब तेरा अगला टेस्ट कब है?
राज: अगले सोमवार को, फ़िज़िक्स का है।
नमिता: बेटा, इस बार अगर टेस्ट में ८०% से कम नम्बर आए तो मैं तुझसे बात नहीं करूँगी।
राज: माँ मैं पूरी मेहनत करूँगा।
फिर खाना खाकर वो उठ गए और सोफ़े पर बैठ गए।
आज नमिता ने सोच रखा था कि राज की उलझनों को समझने की कोशिश करेगी।
नमिता: बेटा, एक बात पूँछूँ?
राज ने लाड़ दिखाते हुए उसकी गोद में सर रखा और लेट कर बोला: हाँ माँ पूछो।राज माँ की गदरायी जाँघों पर लेटा हुआ था और उसने मुँह माँ के पेट की तरफ़ किया और सोचा कि वो माँ की बुर के कितने पास है?
नमिता भी उसके बालों में उँगलियाँ फेरते हुए बोली: बेटा, एक बात बताओ, पिछले कुछ दिनों में ऐसा क्या हो गया है कि तुम्हारा ध्यान पढ़ाई से हट गया है, और तुम्हारे टेस्ट के नम्बर भी ख़राब आने लगे हैं?
राज सकपका गया क्योंकि उसे माँ से ऐसे सीधे प्रश्न की उम्मीद नहीं थी। वो बोला: माँ, ऐसा तो कुछ भी नहीं हुआ है, आपको ऐसा क्यों लग रहा है?
नमिता: बेटा, तेरी माँ को तो हमेशा तेरी फ़िक्र होगी ना, सच बता क्या बात है? क्यों तेरा मन पढ़ाई मेंनहीं लग रहा है। एक महीने पहले तक तो तू बहुत अच्छे नम्बर लाता था।
ऐसा कहते हुए वो झुकी और उसका माथा चूम ली।
राज अंदर तक ममता से भीग गया।माँ कितना निश्छल प्यार करती है ,उससे और वह कमीना उसको चोदने की फ़िराक़ में है। उसे अपने पर शर्म आयी और वो बोला: माँ ऐसा सच में कुछ नहीं है, जो मैं आपको बताऊँ ।अब मैं और मेहनत करूँगा। इतना कहकर उसकी आँखें फिर से माँ की विशाल छातियों पर आ गई।
नमिता उसके गाल पर हाथ फेरी और उसकी आँखों में झाँकते हुए बोली: अच्छा ये बता तू सेक्स के बारे में क्या सोचता है?
राज हैरान सा होकर बोला: मतलब ? मैं समझा नहीं आप क्या पूछ रही हो?
नमिता: मैं यह पूछ रही हूँ कि तू जवान हो गया है और तू सेक्स के बारे में क्या सोचता है?
राज: माँ मैं बड़ा हो गया हूँ और सेक्स के बारे में सब जानता हूँ।
नमिता: क्या तुम किसी लड़की को प्यार करते हो?
राज: ओह माँ नहीं तो, ये सब नहीं है मेरी ज़िंदगी में।
नमिता उसके बालों में हाथ फेरता हुए बोली: बेटा तो फिर जब सेक्स का सोचते होगे तो किसी लड़की की कल्पना तो करते होगे? कौन है वो जिसके बारे में सोचते हो? कोई क्लास की लड़की है या क्या?
राज: माँ ऐसा कुछ नहीं है मैं किसी भी लड़की में इंट्रेस्टेड नहीं हूँ।
नमिता हँसते हुए : तो किसी लड़के में इंट्रेस्टेड हो क्या? गे हो क्या?
राज हँसते हुए: माँआऽऽऽ आप भी ना, कुछ भी बोलती हो। मैं सच अभी किसी भी लड़की वड़क़ी के चक्कर में नहीं पड़ा हूँ।
नमिता: अच्छा ये बता जब तू उत्तेजित होता है तो इसका कारण क्या होता है? मेरा मतलब क्या सोच कर उत्तेजित होता है?
राज समझ गया की माँ उसके खड़े लंड की बात कर रही है, जो उन्होंने कई बार लोअर में से देखा है।
वह बोला: माँ , मुझे नहीं पता, कभी कभी सोकर उठता हूँ तो उत्तेजित रहता हूँ, पर फिर बाथरूम जाकर सूसू करके सामान्य हो जाता हूँ।
नमिता: ह्म्म्म्म्म तो तू नहीं बताना चाहता?
राज: माँ सच कोई लड़की नहीं है मेरे जीवन में ।
नमिता: अच्छा बताओ उत्तेजित होने पर क्या करते हो?
राज: माँ अब ये कैसा सवाल है? मैं इस बारे में बात नहीं करूँगा।
नमिता: क्यों शर्म आती है । और ऐसा बोलते हुए उसके गाल खींच लिए।
राज: हाँ आती है । ऐसा कहते हुए उसने माँ की कमर मेंहाथ डालकर अपना चेहरा माँ के पेट में घुसा दिया।
नमिता ने उसकी पीठ सहलायी और बोली: अच्छा ये तो बता दे कि क्या रोज़ ही अपनी उत्तेजना को हाथ से शांत करता है? या दो तीन दिन में एक बार?
राज माँके मुँह से “ हाथ से “ शब्द सुनकर हैरान हुआ और थोड़ी देर बाद बोला: पता नहीं आज आपको क्या हो गया है, कैसी कैसी बातें कर रही हैं , मैं जा रहा हूँ पढ़ाई करने। ऐसा बोलकर वो उठने लगा और उसका सर माँ की छातियों से टकरा गया और उन नरम अंगों की छूअन उसको गरम कर गयी।
वह “ सारी माँ” बोलते हुए भाग गया।
नमिता अब सोफ़े से उठकर अपने कमरे में गई और आज हुई बातों के बारे में सोचते रही । उसे राज की मन की बात निकलवाने में कोई सफलता हाथ नहीं लगी थी।तभी फ़ोन पर मेसिज आया । मनीष का था , लिखा था: आपकी याद आ रही है।
नमिता ने भी लिखा: मुझे भी याद आ रही है।
मनीष: फ़ोन करूँ?
नमिता: हाँ करो।
फ़ोन पर मनीष बोला: हाय आंटी, कैसी हैं आप?
नमिता: ठीक हूँ,तुम ठीक हो?
मनीष: आंटी मैं ठीक हूँ, पर मेरा ठीक नहीं है।
नमिता: बदमाश बस हमेशा एक ही बात।क्यों तेरे उसको क्या हुआ?
मनीष: वो आपकी याद में खड़ा है और मैं उसे ऊपर नीचे हिला रहा हूँ?
नमिता को अचानक याद आया कि यही सवाल उसने राज को पूछा था तो उसने जवाब गोल कर दिया था। उसने वही सवाल पूछा: अच्छा ये बताओ कि तुम क्या रोज़ मूठ्ठ मारते हो?
मनीष: आंटी ये कैसा सवाल है?
नमिता: बताओ ना?
मनीष: नहीं रोज़ नहीं तीन चार दिन में एक बार। और जब आप मिल जाती हो तो वह भी नहीं मारता।
नमिता: अच्छा याद करो कि आज से तीन चार साल पहले जब तुम १८ के आसपास थे तब कितने दिनों में मारते थे?
मनीष हँसते हुए बोला: कभी कभी रोज़ और कभी दिन में दो बार भी।
नमिता के मुँह से “ओह” निकला।
वह सोचने लगी तो क्या राज भी ऐसा ही कर रहा है?
मनीष: क्या हुआ आंटी कहाँ गईं?
नमिता: कुछ नहीं सोच रही हूँ इतना मूठ्ठ मारता था तो किसके बारे में सोचता था? कोई लड़की थी क्या?
मनीष: आंटी मुझे तो लड़कियाँ कभी अच्छी नहीं लगीं। मुझे तो आप जैसी आंटी ही अच्छी लगती हैं शुरू से ही। असल में माँ तो बहुत जल्दी गुज़र गयीं थीं पर एक मेरी मौसी थी करीब ३५/३६ साल की, बहुत मिलती थी आपसे। बस उनकी ही छाती और गाँड़ याद करके मूठ्ठ मारता था। मैंने उनको एक बार कपड़े बदलते हुए नंगी देखा था, बस तभी से उनका दीवाना हो गया था।
नमिता को राज से सम्बंधित अपने कुछ सवालों का जवाब मिलता दिख रहा था।
वो फिर पूछी: तो तेरी पढ़ाई पर इसका क्या असर हुआ?
मनीष: आंटी किताब खोलता था तो मौसी की छातियाँ दिखती थीं , पढ़ाई क्या ख़ाक करता। थर्ड डिविज़न में पास हुआ था। पापा का बिज़नेस था तो कोई चिंता नहीं थी।
नमिता काँप उठी कि कहीं राज के साथ भी तो ऐसा नहीं हो रहा है। वो अगर पढ़ नहीं पाया तो वो कहीं का नहीं रहेगा। उसका तो ना बाप है ना ही कोई बिसनेस वो क्या करेगा? वो बेहद चिंतित हो उठी।
मनीष: क्या हुआ आंटी, चलो ना फ़ोन सेक्स करते हैं?
नमिता: नहीं मनीष आज मूड नहीं है। फिर कभी।
मनीष: आंटी कल पापा का टूर बन सकता है , राज के जाने के बाद आऊँ क्या?
नमिता: कल की कल देखेंगे। चलो बाई ।
मनीष: आंटी एक पप्पी तो दे दो प्लीज़।
नमिता ने हँसते हुए उसको किस किया और फ़ोन रख दिया।
नमिता सोचने लगी कि क्या सच में राज को भी बड़े उम्र की औरतों में ही दिलचस्पी है?उसके आसपास कौन सी औरतें हैं? यहाँ तो पड़ोसन कभी उसके सामने आयी ही नहीं । स्कूल में ज़रूर मैडम हैं। और उसके दोस्तों में सिर्फ़ श्रेय , नदीम और ये नया लड़का प्रतीक हैं। पता नहीं इनमे से ही किसी की माँ पर तो वह कहीं फ़िदा ना हो गया हो? इस उम्र का क्या भरोसा?
अब नमिता ने सोच लिया कि उसे ये सब भी पता करना ही है?
फिर उसकी आँख लग गयी। सपने में वह मनीष से चुदवा रही थी। मनीष उसके दूध पिता हुआ उसको बुरी तरह से चोद रहा था। अचानक उसने देखा कि मनीष का चेहरा धुँधला पड़ने लगा और उसकी जगह उसे राज का चेहरा दिखने लगा। वो झड़ रही थी और राज को हटा रही थी अपने ऊपर से। तभी उसकी नींद खुली और उसने पाया कि उसकी पैंटी पूरी गीली है और वो पसीने से भीग गयी है। उसे ये समझ नहीं आ रहा था कि मनीष की जगह उसे राज क्यों दिखा उसकी चुदायी करते हुए???
वह थोड़ी परेशान हो गई पर बाद में उसने सोचा कि शायद वह राज के बारे में चिंतित है इसलिए राज ही उसको सपने में अपने ऊपर दिखाई दिया। वह बाथरूम जाकर फ़्रेश हुई।
उधर राज नमिता की गोद से उठकर अपने कमरे में गया और सोचने लगा कि आज माँ को क्या हो गया है? ज़रूर उन्होंने अपनी पैंटी में उसका वीर्य देख लिया होगा तभी ये सब पूछ रहीं हैं। फिर उसको माँ की लेग्गिंग से उभरी हुई बुर याद आयी जिसे उसने सूँघा था और ये भी याद आया कि कैसे उनकी छातियों से टकराकर उसे मज़ा आ गया था। अब उसने अपना लोअर और चड्डी खोल दिया और अपने लौड़े को मूठियाने लगा और माँ माँ कहते हुए जल्दी जल्दी हाथ चलाने लगा। फिर उसने अपने लौड़े पर थूका और ज़ोर से मूठ्ठ मारने लगा और हाय्य्य्य्य्य्य्य माँआऽऽऽऽ कहकर झड़ने लगा । फिर बाथरूम जाकर वो वापस आया और सो गया। किताबें तो उसका रास्ता ही देखती रह गयीं।
राज चाय पीकर पार्क में गया। वहाँ नदीम से मिलकर वो बातें करने लगा।
नदीम: यार ,आज तो हद ही हो गयी।
राज: क्या हुआ?
नदीम: आज अब्बा और अम्मी दोनों से मज़ा लिया।
राज: मतलब?
नदीम: आज जब मैं काम से वापस लंच पर आया तो अम्मी और अब्बा सोफ़े ओर बैठे बातें कर रहे थे। मैं अंदर आया तो अब्बा अम्मी से थोड़ा दूर हो गए और मैं अम्मी और अब्बा के बीच बैठ गया।
अम्मी बोली: चल मैं तेरे लिए पानी लाती हूँ।
मैं बोला: नहीं अम्मी नहीं चाहिए। आप बैठो ना यहाँ। फिर मैंने अम्मी को अपनी गोद में खिंच लिया और उनके होंठ चूसने लगा। थोड़ी देर बाद मैंने कहा: अम्मी कुर्ती उतार दो ना, मुझे दूध पीना है।
अम्मी ने कुर्ती उतार दी फिर ब्रा भी खोल कर अपने दूध नंगे कर दिए । मैंने अम्मी को गोद से उतारा और कहा: मैं आपकी गोद में लेट जाता हूँ, चलो आप मुझे दूध पिलाओ।
अम्मी के गोद में आकर मैं लेट गया और अम्मी ने अपने एक दूध का पसीना साफ़ किया और मेरे मुँह में अपना दूध लगा दिया।मैं दूध चूसने लगा और दूसरे हाथ से उनका दूसरा दूध दबाने लगा।अम्मी की आऽऽऽहहह निकल रही थी, और मेरा लौड़ा पैंट के ऊपर से खड़ा हो गया था। अब्बा मज़े से अपना लंड सहला रहे थे और मुझे अम्मी से मज़ा लेते हुए देख रहे थे। तभी पता नहीं मुझे क्या सूझा कि मैंने अब्बा से कहा: आप मेरी पैंट और चड्डी खोल दो। अब्बा थोड़ा सा हैरान हुए फिर बड़े प्यार से मेरी बेल्ट खोलने लगे। फिर मेरी ज़िपर खोलकर उन्होंने मेरी पैंट उतार दी। अब चड्डी में तना हुआ लौड़ा उनको साफ़ दिख रहा था। अब उन्होंने मेरी चड्डी भी निकाल दी और अब मेरा लौड़ा उत्तेजना से अपना सर हिला रहा था।
अम्मी के दूध से मुँह निकालकर मैं बोला: अब्बा इसे सहलाओ। वह चुपचाप उसको पकड़ लिए और सहलाने लगे। अब मैंने कहा: अब्बा इसे चूसोगे? अगर आपकी इच्छा है तो चूस लो।
अम्मी ने हैरानी से मुझे देखा और बोली: क्या बक रहा है?
मैं बोला: अम्मी अब अब्बा का खड़ा नहीं होता है ना तो उनको सेक्स के लिए कुछ नया ट्राई करना होगा। शायद मेरा लौड़ा चूसना उनको अच्छा लगे।देखो ना कितने प्यार से उसको सहला रहे हैं।
मैं फिर बोला: अब्बा चूसो अगर आपकी मर्ज़ी हो तो।
और अम्मी की तो आँखें जैसे फट सी गयीं क्योंकि अब्बा किसी भूक़े बच्चे की तरह मेरे लौड़े को मुँह में लेकर चूसने लगे।
मेरे मुँह से आऽऽऽहहह निकल गयी। अब मैं फिर से अम्मी का दूध चूसने लगा। उधर अब्बा बहुत मज़े से चूस रहे थे और मेरी सिसकियाँ निकल रही थीं। मैंने अम्मी को कहा कि आप अपनी सलवार उतार दें और वो नंगी हो गयीं। अब मैंने उनको सोफ़े पर घोड़ी बना दिया और उनकी बुर और गाँड़ मेरे सामने थी। मैंने उनके बुर को चाटा और गाँड़ में एक ऊँगली डाल दी। अब मैंने ज़ोर से अम्मी की बुर चाटनी और चूसनी शुरू की। अम्मी पीछे धक्के मारके मज़े से अपने चूतरों को मेरे मुँह पर रगड़ रही थी। उधर अब्बा मेरे लौड़े को मेरे जाँघों के बीच में आकर चूसे जा रहे थे। आह क्या फ़ीलिंग थी हम तीनों ही वासना की आँधी में जैसे बह गए थे। अब माँ मेरे मुँह में झड़ने लगी और चिल्ला रही थी: हाऽऽऽऽय्यय बेटाआऽऽ चाआऽऽऽऽऽट अपनी माँआऽऽऽऽऽऽऽ की बुर हाऽऽऽऽय्य्य्य्य।
मेरा मुँह अम्मी की पानी की धार को ग्रहण किए जा रहा था और मैंने पूरा रस पी लिया।उधर मैं भी चिल्ला कर झड़ने लगा। मेरा रस अब्बा के मुँह में गिरने लगा। अब्बा मज़े से मेरा रस पीने लगे।
फिर हम सब ने बाथरूम मेंअपनी सफ़ाई की और फिर खाना खाने बैठे।
अब्बा बोले: बेटा मुझे बहुत अच्छा लगा तुम्हारा चूसना और तुम्हारा रस भी बहुत स्वाद है।
अम्मी: ये आपको क्या हो गया है, आप ऐसे कैसे कर सकते हो?
अब्बा: तुम नहीं समझोगी। अब मेरा खड़ा नहीं होता है तो मुझे इसका खड़ा लौडा चूसना बहुत अच्छा लगा।
मैं: अब्बा आप मेरे लौड़े को जब भी चूसना चाहो चूस लेना।
आख़िर मेरा ये लौड़ा आपके और अम्मी की सेवा के लिए ही है।
सच आज बहुत मज़ा आया यार।
राज का मुँह खुला का खुला रह गया। क्या ऐसा ही भी हो सकता है? हे भगवान सेक्स क्या क्या करवाता है। वो सोचा कि मेरी भी तो ऐसी ही हालत है कि मैं भी अपनी माँ को चोदना चाहता हूँ।
उसका उत्तेजना के मारे बड़ा बुरा हाल था।
तभी नदीम बोला: यार तू चाहे तो मेरी माँ को चोद ले पर आंटी को मुझसे एक बार चुदवा दे यार।
राज हम्म कहकर घर को चला गया।
घर पहुँचकर उसने देखा कि माँ TV देख रही थी। नमिता ने TV बंद कर दिया। फिर बोली: अभी तुम एक घंटा पढ़ो फिर खाना खाएँगे।
और हाँ तुम अपनी किताबें मेरे कमरे में ले आओ और वहीं पढ़ाई करो।
राज: वो क्यों माँ , मैं अपने कमरे में ही पढ़ लेता हूँ।
नमिता: इसलिए कि मैं देखूँगी कि तुम पढ़ पा रहे हो ना? या लड़कियों के सपने देख रहे हो।
राज : माँ आप भी ना, चलो ठीक है आपके कमरे में ही आ जाता हूँ किताबें लेकर।
राज किताबें लाकर माँ के कमरे में चला आया और नमिता भी अपने कमरे में बिस्तर पर आ कर बैठ गयी। राज बिस्तर के पास रखे कुर्सी टेबल पर बैठकर पढ़ाई करने लगा। उसने देखा कि माँ एक मैगज़ीन पढ़ रही है। इस समय वह साड़ी ब्लाउस में थीं।
अब वह पढ़ाई करने की कोशिश करने लगा। पर उसकी आँख के सामने बार बार नदीम की बातें याद आ रही थी। कैसी होगी उसकी माँ की बुर, क्या बड़ी स्वाद होती है, तभी तो नदीम उसको चाटता होगा। उसका लौड़ा खड़ा होने लगा।
उधर नमिता ध्यान से उसको देख रही थी कि वह सपने की दुनिया में खोया हुआ है, उसने अभी तक पढ़ाई शुरू भी नहीं की है।
वो समझ गयी कि ये बड़ी भारी समस्या है और इसका हल सरल नहीं होगा।
नमिता: तेरा ध्यान कहाँ है, तू पढ़ ही नहीं रहा है।
राज: पढ़ तो रहा हूँ माँ।
नमिता: चल मेरी ओर देखकर बता कि क्या पढ़ा है अभी?
राज झुंझला कर बोला: आप तो बस पीछे ही पड़ गयी हो।
नमिता ने आह भरी और कहा: बेटा क्या बात है, क्यों नहीं पढ़ पा रहे हो?
राज ने कोई जवाब नहीं दिया और पुस्तक पढ़ने लगा।
नमिता के दिमाग़ मेंएक बात आयी और वह खड़ी होकर बोली: चलो तब तक मैं अपने कपड़े ही बदल लूँ।
राज थोड़ा सा चौका पर उसने कोशिश की जैसे उसे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता।
नमिता इसके पहले भी कई बार उसके सामने कपड़े बदलती थी, पर राज ने कभी भी इस पर ध्यान नहीं दिया था।वो अपने विडीओ गेम या नमिता के मोबाइल पर लगा रहता था। आज नमिता देखना चाहती थी कि उसकी क्या प्रतिक्रिया होती है?
नमिता अपनी साड़ी उतारने लगी और शीशे से राज को कनख़ियों से देखने लगी। उसका शक सही था वह उसे घूरे जा रहा था।
अब वो पेटी कोट में थी और उसने देखा कि जैसे उसकी आँखें उसके नितम्बों पर ही चिपक गयी थीं। अब उसने ब्लाउस खोला और ब्रा में आ गयी और सामने से ब्लाउस को छाती से चिपका लिया जिससे उसकी ब्रा सामने से ना दिखे।अब वह उसकी नंगी पीठ को देखे जा रहा था। वो नायटी लेकर अपने ऊपर पहन ली। और फिर नीचे से पेटिकोट खोल कर निकाल दी।
नमिता ने जो देखना था देख लिया था । तो ये सच है कि राज का ध्यान अब सेक्स में ही फँस कर रह गया है। और इसी कारण उसकी पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
उसने एक आख़री टेस्ट लेने का सोचा और अपने उतारे हुए कपड़े वहीं छोड़कर और ये कहकर कि खाना लगाती हूँ ,बाहर चली गयी।
पर सच में वह पीछे से आकर खिड़की के पीछे से देखने लगी कि राज क्या करता है?
उसका दिल धक से रह गया जब उसका शक सही निकला। उसने देखा कि राज ने दरवाज़े की तरफ़ देखा और फिर वहाँ माँ को ना पाकर वह अपनी माँ के ब्लाउस को उठाकर उसे सूँघने लगा और अपने मुँह पर मलने लगा। फिर उसने बग़लों की जगह को जो पसीने से भीगे हुए थे को सूँघा और जीभ से चाटा। पेटिकोट को भी वो बुर और गाँड़ के पास वाली जगह पर सूँघा और मुँह में मला।
नमिता के तो होश ही उड़ गए, उसका अपना बेटा उस पर गंदी नज़र रखता है। अब उसे पक्का यक़ीन हो गया कि राज सेक्स का ही सोचता रहता है , इसलिए उसकी पढ़ाई का सत्यानाश हो रहा है।वह बहुत चिंता में पड़ गयी कि ये कैसा मोड़ आ गया है उसकी ज़िंदगी में? वह शॉक में थी और सोचने लगी कि इस मुसीबत से कैसे छुटकारा पाया जाए।
राज थोड़ी देर बाद आकर खाने के टेबल पर बैठ गया और खाना खाने लगा। नमिता ने देखा कि वह चुप सा था।
फिर वो यह कहकर कि मैं अपने कमरे में पढ़ूँगा वहाँ से चला गया।
नमिता रात को सोच रही थी कि क्या किया जाए? तभी उसने सोचा किदेखा जाए ये लड़का पढ़ भी रहा है या सो गया है?
वह इसके कमरे में आकर रुक गई और खिड़की का पर्दा हटा कर अंदर झाँका। उसने देखा कि किताब खुली थी और वो सोच में डूबा हुआ था और उसक एक हाथ अपनी लोअर के अंदर था, और ये साफ़ पता चल रहा था कि वो अपना हथियार सहला रहा है।
नमिता ने अपना माथा ठोक लिया। हे भगवान मैं इस लड़के की जवानी का क्या करूँ? ये तो जैसे सेक्स के पीछे पागल ही हो गया है।
नमिता ने दरवाज़े के पास आके आवाज़ दी: राज बेटा, सो गया क्या?
राज ने जल्दी से अपना हाथ लोअर से निकाला और बोला: आओ माँ , क्या हुआ?
नमिता अंदर आकर उसके पीछे खड़ी हो गई और उसके बालों को सहलाते हुए बोली: बेटा, पढ़ाई पर ध्यान है या अभी भी सेक्स के बारे में ही सोच रहे हो?
राज जैसे अपनी चोरी पकड़ी जाने से हड़बड़ा गया और बोला: माँ बस आप भी एक ही बात बोलती रहती हो। आप देखना ये सोमवार का टेस्ट मैं बहुत अच्छे से करूँगा।
नमिता: भगवान करे ऐसा ही हो, तुम मुझसे कुछ कहना चाहते हो तो कह सकते हो। मन की बातें मन में ना रखो। नहीं तो समस्या का हल कैसे निकलेगा।
राज: जी माँ ठीक है, जब भी कुछ होगा मैं आपसे बात ज़रूर करूँगा।
नमिता को मनीष से हुई बातें याद आयीं ।
वो बोली: बेटा,तुम कह रहे थे कि तुम्हें लड़कियों मेंदिलचस्पी नहीं है और मैं देख रही हूँ कि तुम सेक्स के बारे में सोचते रहते हो, तो कहीं ऐसा तो नहीं है कि तुम्हें बड़ी उम्र की औरतें पसंद हैं?
राज सकपका गया और बोला: माँ क्या मतलब?
नमिता: मैं सोच रही थी की कुछ लड़के ऐसे होते हैं जो अपनी से बड़े उम्र की औरतों में ज़्यादा दिलचस्पी लेते हैं।मुझे लगता है कि तुम भी वैसे ही लड़के हो। अच्छा बोलो क्या तुमको शीला मैडम या कोई और स्कूल की मैडम सेक्सी लगती है?
राज सकपका गया और बोला: माँ आप भी ना, कुछ भी बोलती हो?
नमिता: झूठ मत बोलो, बताओ सच में कोई मैडम अच्छी लगती है?
राज धीरे से सर हिलाया और बोला: हाँ वो अच्छी लगती हैं।
नमिता ने चैन की साँस ली चलो बात कुछ तो आगे बढ़ी।
वो फिर पूछी: अच्छा ये बताओ कि नदीम और प्रतीक की माँ भी अच्छी लगती हैं?
राज: माँ नदीम की अम्मी को तो मैंने देखा ही नहीं , हाँ प्रतीक की माँ बहुत सुंदर है।नदीम ने अपनी माँ की एक फ़ोटो दिखाई थी , वो भी बहुत गोरी और सुंदर है।
राज ने माँ को ये नहीं बताया कि नदीम ने उसको एक बार मोबाइल में अपनी माँ की नंगी फ़ोटो दिखायी थी।
नमिता: अच्छा ये बता कि इनमे से तू सबसे ज्यादा किनके बारे में सोचता है?
राज सर झुकाकर बोला: शीला मैडम के बारे में।
नमिता: वो क्यों? वही क्यों?
राज कैसे बोलता कि मैंने उनको प्रतीक से चुदवाते देखा है और क्या मस्त गदराया हुआ है बदन उनका।
राज: माँ पता नहीं, बस अच्छी लगती हैं।
नमिता: अच्छा ये बता कि उनका कौन सा अंग तुमको बहुत सेक्सी लगता है?
राज जैसे पिंजरे में फँसता जा रहा था, बोला: माँ , अब बस करो ना, मुझे नींद आ रही है।
नमिता: चल ये आख़री सवाल का जवाब दे दे जो मैंने अभी पूछा है, फिर मैं चली जाऊँगी।
राज: माँ वो वो वो --
नमिता: अरे बोला ना साफ़ साफ़।
राज: माँ उनके वो मतलब बड़े बड़े दूध।
नमिता: पर दूध तो सभी औरतें के होते हैं। मेरे भी तो हैं। ऐसा क्या ख़ास है उनके दूध में ?
राज: माँ पता नहीं पर मुझे बड़े अच्छे लगते हैं।
तब नमिता ने वो किया जो राज सपने में भी नहीं सोच सकता था।
नमिता ने अपने दोनों दूध को हाँथों से पकड़ कर कहा: बता शीला के दूध ज़्यादा अच्छे हैं या मेरे?
राज सकपका गया, और बोला: माँ वो वो- आप तो मेरी माँ हो ना। आपके दूध ,मतलब ,मैं उनके बारे में कैसे बोलूँ?
नमिता: तो फिर वो भी तो श्रेय की माँ है ना।उनके दूध के पीछे क्यों पड़ा है?
राज: ओह माँ आप भी ना।
नमिता: अच्छा ये बता ,कल को तेरा कोई दोस्त जैसे श्रेय या नदीम या प्रतीक मुझे गंदी नज़र से देखेंगे तो तुझे ख़राब लगेगा ना? वैसे ही श्रेय भी बहुत दुखी होगा जब उसे पता चलेगा कि तू उसकी माँ को गंदी नज़र से देखता है।
राज कैसे बोलता कि माँ ,मेरे दो दोस्त तो आपको चोदने के लिए मरे ही जा रहे हैं ।
राज: ठीक है माँ मैं अब कोशिश करूँगा कि सिर्फ़ पढ़ाई पर ध्यान दूँ और सोमवार के टेस्ट में अच्छा करूँ।
नमिता ख़ुश होकर बोली: शाबाश बेटा, मैं यही चाहती हूँ कि तू अपना पूरा ध्यान पढ़ाई में ही लगाए।
यह कहकर उसने झुक कर उसके दोनों गाल चूमे और राज को माँ की नायटी से दोनों गोलाइयां और उनके बीच की गहरी घाटी दिख गयी और उसका लौडा फिर सर उठाने लगा।लगता है राज के लौड़े को माँ का भाषण पसंद नहीं आया या उस पर कोई असर ही नहीं हुआ।
नमिता गुड नाइट बोलकर अपने कमरे में चली गयी।
रविवार को नमिता हाथ धोकर राज के पीछे पड़ी रही पढ़ने के लिए और राज ने भी काफ़ी कोशिश की ध्यान लगाने की। पर सच तो ये था कि उसका ध्यान बार बार हट जाता था पढ़ायी से।
नमिता उस दिन नहाकर बग़ल के घर में एक पूजा में गयी और राज फिर बाथरूम में जाकर माँ की ब्रा और पैंटी खोजकर सूँघने और चाटने लगा। उसने माँ के बाथरूम में ही मूठ्ठ मारी और सावधानी से माँ के कपड़े वापस अपनी जगह पर रख दिए ताकि माँ को शक ना हो जाए और अपना वीर्य पानी से अच्छी तरह से साफ़ कर दिया।
नमिता पूजा के बाद आइ और राजको नहाने को बोली। राज ने नहाके अपने गंदे कपड़े माँ के बाथरूम में लाकर रख दिए क्योंकि वॉशिंग मशीन वहीं थी।बाद में नमिता राज के गंदे कपड़े भी लेकर और अपने कपड़े भी लेकर मशीन में डालने लगी। तभी वह फिर से चौकी क्योंकि उसने अपनी नायटी और ब्रा पैंटी एक साथ अलग रखी थी और बाक़ी कपड़े अलग रखे थे। अब वो देखी कि सब कपड़े एक साथ हैं, इसका मतलब साफ़ है कि आह फिर राज ने उसकी ब्रा पैंटी को लेकर कुछ उलटा सीधा काम किया है।वो सोचने लगी कि आख़िर इस सबका हल कैसे निकलेगा।
फिर उसने सोचा कि कल उसका टेस्ट है , आज उसको छोड़ दिया जाए ताकि वो अच्छी तरह से तय्यारी कर सके।वह उसका ध्यान और भटकाना नहीं चाहती थी।
उस दिन और कुछ नहीं हुआ। अगले दिन राज स्कूल चला गया और नमिता ऑफ़िस।
स्कूल में राज टेस्ट दिया और उसको समझ आ गया कि उसकी नय्या आज भी डूब गयी।
टेस्ट देने के बाद लंच ब्रेक में प्रतीक मिला और बोला: यार आज बड़ा मन कर रहा है चुदाई का। शीला मैडम तो आज स्टाफ़ मीटिंग में हैं।
राज: अरे वह तेरी मेड को क्या हुआ? उसने करवाना बन्द कर दिया है क्या?
प्रतीक: अरे वह तो घर का माल है वो तो दे देती है। पर आज सुबह जब वह चाय देने आइ तो मैं उसके दूध दबाने की कोशिश किया तभी साली ने घोषणा कर दी कि उसका पिरीयड आ गया है। उसका पहला दिन बहुत दर्द के साथ बीतता है। वह हाथ भी नहीं लगाने देती। साली क्य क़िस्मत है।
राज: ओह फिर तो तुमने आज मूठ्ठ से ही काम चलाना पड़ेगा।
तभी प्रतीक का मोबाइल बजने लगा और फ़ोन पर एक सुंदर महिला की फ़ोटो भी आ गई। उसने राज को आँख मारी और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। अब राज भी उसकी बात सुन सकता था।
प्रतीक का चेहरा चमक उठा था, वह बोला: हाय चाची कैसी हैं आप?
चाची: ठीक हूँ आज तेरी बड़ी याद आ रही है।
प्रतीक: अच्छा, चाचा कहीं बाहर गयें हैं क्या, वरना आपको हमारी याद क्यों आएगी?
चाची: बेटा, ताने तो ना मार, तू जानता है कि तेरी चाची कितना प्यार करती है, तुझे, फिर ऐसा क्यों बोल रहा है?
प्रतीक: अरे चाची मैं तो मज़ाक़ कर रहा था, बताओ क्या बात है?
चाची: अरे वही बात है , तेरे चाचा ३ दिन के लिए टूर पर गए हैं। और लाली स्कूल गयी है, वो स्कूल के बाद tuition जाएगी, काफ़ी समय है, आ सकता है?
प्रतीक: अरे चाची , ये भी कोई पूछने की बात है, मैं बस अभी आधे घंटे में पहुँचता हूँ। एक बात बताइए कि नीचे शेव करा रखी है या नहीं?
चाची: बदमाश आकर ख़ुद देख ले। वैसे तेरे चाचा ने कोई पंद्रह दिन पहले शेव की थी , थोड़े बाल तो आ गए हैं। तू चाहे तो तू भी शेव कर लेना आज।
प्रतीक: चाची तो शेविंग का सामान तय्यार रखो अभी आ कर करता हूँ फिर साथ ही नहाएँगे और फिर दो बार चुदाई। ठीक है?
चाची हँसते हुए बोली: तू आ तो जा, सच बहुत खुजा रही है।
प्रतीक: चाची क्या खुजा रही है?
चाची: हट बदमाश तेरे हथियार की सहेली और कौन ।
प्रतीक: चाची नाम लो ना प्लीज़।
चाची: हा हा बुर और क्या, चल जल्दी आ और मज़े से चोद मुझे।
प्रतीक अपना लौडा मसलते हुए बोला: बस अभी आया चाची।फिर फ़ोन बंद कर दिया।
राज: क्या अभी जाएगा? और क्लास का क्या होगा?
प्रतीक: अरे मुझे कौन सा डॉक्टर या एंजिनीयर बनना है, पापा का बिसनेस चलाने के लिए थर्ड डिविज़न में भी पास होने से चलेगा।
और वो हँसते हुए चला गया।
राज सोचने लगा कि क्या किस्मतवाला लड़का है।
अब वह क्लास में वापस आया और आख़री पिरीयड में उसकी टेस्ट की कापी जँचकर उसको मिली। उसने देखा कि उसको १५% नम्बर ही आए हैं। वो सोचने लगा कि आज घर में क्या बवाल मचेगा! माँ तो पागल ही हो जाएगी ऐसे नम्बर देख कर।
फिर दोपहर को घर पहुँचा तो माँ ने पूछा कि टेस्ट में कितने नम्बर आए?
राज ये बोलते हुए कि आज जँचकर नहीं मिला, बैग सोफ़े पर पटक कर अपने कमरे में चला गया और अपने कपड़े बदलने लगा।
अचानक उसको लगा कि किसी के रोने की आवाज़ आ रही है। वो घबरा कर बाहर आया और देखा कि माँ सोफ़े पर अपने पाँव ऊपर रखके घुटने मोड़ कर बैठी थी और अपना सर घुटनों पर रख कर रो रही थीं। उनके पास सोफ़े पर उसके टेस्ट के पेपर रखे थे जो शायद उन्होंने उसके बैग से निकाल कर देख लिया था।
राज माँ के पास आया और बोला: माँ रोने से क्या होगा? प्लीज़ चुप हो जाओ। मैं वादा करता हूँ कि मैं और मेहनत करूँगा।
नमिता: बस कर अब तू झूठ भी बोलने लगा है । कहता था कि अच्छा रिज़ल्ट आएगा , ये अच्छा है? तू फ़ेल हो गया है। तुझे समझ नहीं आ रहा है की तू अपनी ज़िंदगी बर्बाद कर रहा है।
वह रोते हुए बहुत ही दुखी दिखाई से रही थी।
राज को समझ नहीं आ रहा था कि कैसे माँ को शांत कराए।
वह बोला: माँ मुझे जो सज़ा देनी है दे दो पर ऐसे मत रोओ ।
नमिता ने कोई जवाब नहीं दिया और उसने अपना सर फिर से अपने घुटनों पर रखा।
राज परेशान होकर अपने कमरे में चला गया और अपना सर पकड़कर बैठ गया। उसने अपने कमरे का दरवाज़ा बंद कर लिया।
नमिता थोड़ी देर बाद उठी और अपना मुँह धो कर खाना लगाने लगी। फिर जाकर राज को आवाज़ दी: चलो अब खाना खा लो।
राज ने कहा: मुझे भूक नहीं है। आप खा लो।
नमिता: चलो नाटक छोड़ो, दरवाज़ा खोलो और खाना खा लो।
राज: कहा ना मैं नहीं खाऊँगा।
नमिता: भाड़ में जाओ। मैं खा रही हूँ।
नमिता खाने बैठी और उससे भी खाया नहीं गया।उसने खाना टेबल पर ही छोड़ दिया और अपने कमरे में चली गई। वह सोच रही थी कि ऐसा क्या करे कि उसका बेटा सामान्य हो जाए और पढ़ाई पर ध्यान दे।
थोड़ी देर के लिए उसको नींद लग गयी। जब वो उठी तो उसे याद आया कि राज ने पता नहीं खाना खाया होगा कि नहीं।
वह उठकर खाना चेक की और देखा कि राज ने खाना नहीं खाया था।
वह राज के कमरे में गई और खिड़की से झाँका और उसने देखा कि वह टेबल पर सर रखकर रो रहा था। वो सन्न रह गई और उसने कहा: राज बेटा,दरवाज़ा खोलो प्लीज़ अभी के अभी।
राज: माँ मुझे मर जाना चाहिए , मैंने आपको बहुत दुःख दिए हैं।
नमिता: क्या बक रहा है, चल दरवाज़ा खोल, तुझे मेरी क़सम है।
राज ने दरवाज़ा खोला और नमिता ने उसे अपनी बाहों में खींचकर प्यार से उसके गाल चूमने लगी, और बोली: ख़बरदार जो फिर कभी मरने की बात की। तेरे सिवाय मेरा इस दुनिया में कौन है?
राज भी उनसे चिपककर रोता रहा और बोला: माँ मैं बहुत परेशान हूँ समझ नहीं आ रहा है क्या करूँ?
नमिता: पगले मैं तो कब से कह रही हूँ मन की बात मुझे बता दे,तू तो कुछ बताता ही नहीं?
राज कुछ नहीं बोला , फिर वह बाथरूम से मुँह धोकर आया और बोला: माँ चार बज गए हैं , भूक लगी है।
वह बोली: चलो आओ खाना गरम कर देती हूँ, चलो तुम बैठो।
खाना खाने के बाद जब वो सोफ़े पर बैठे थे तब नमिता बोली: बेटा,बताओ ना क्या हो गया है, तुम पढ़ाई में ध्यान क्यों नहीं लगा पा रहे हो?
राज: माँ , सच बोलूँ आप ग़ुस्सा तो नहीं होगे?
नमिता उसको अपने पास बुलायी और उसको अपनी गोद में सर रख कर लिटा ली और बोली: चल बता क्या बात है?
राज अब भी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था पर बोला: माँ ये सच है किमुझे हर समय सेक्स का ही ध्यान आता रहता है?
नमिता: तो शीला मैडम का ही सोचते रहते हो क्या?
राज: माँ सच में बड़ी उम्र की औरतें ही अच्छी लगती हैं मुझे।
नमिता: क्या सोचते हो मैडम के बारे में?
नमिता अब उसके बालों पर हाथ फेर रही थी। उसने उसके गालों पर हाथ फेरा और बोली: कितने दिन से शेव नहीं की? कितना खुरदरा लग रहा है।
राज: माँ मेरा क्या होगा? मैं तो बिलकुल पढ़ नहीं पा रहा हूँ।
नमिता: क्या तू शीला मैडम के साथ सेक्स करना चाहता है? ये तो हो नहीं सकता बेटा, वह शादीशुदा है ।तुम्हें इस पागलपन से बाहर आना ही होगा।
राज: माँ मैं क्या करूँ , मैं हमेशा सेक्स का ही सोचता रहता हूँ। मैं फ़ेल हो जाऊँगा माँ । और वह रोने लगा।
नमिता ने उसके गाल चूमते हुए कहा: बेटा, रोने से क्या होगा? हम कोई रास्ता निकालेंगे नहीं तो डॉक्टर के पास जाएँगे।
राज: माँ मुझे तो बहुत डर लग रहा है कि मैं इन हालात में कैसे पास होऊँगा।
नमिता: बेटा, कोई ना कोई रास्ता निकलेगा।
अच्छा एक बात पूछूँ ? सच बोलोगे?
राज: हाँ माँ अब मैं आपसे कुछ नहीं छिपाऊँगा । ये कहते उसने अपना मुँह अपनी माँ में पेट में छुपा लिया।
नमिता: ये बता कि तूने मेरी पैंटी में अपना रस क्यों निकाला? क्या तू मुझे भी ऐसी नज़र से देखता है जैसे मैडम को देखता है?
राज की सिट्टि पिट्टी गुम हो गई , उसे लगा कि धरती फट जाए और वह उसमें समा जाए। तो माँ को पता चल ही गया है।
वह बोला: माँ मुझे माफ़ कर दो ।और फिर वह एकदम से उठकर अपने कमरे में चला गया।
नमिता सोचने लगी कि अब क्या करे?
वह उठी और उसके पीछे उसके कमरे में गयी । वह पेट के बल लेता हुआ था और सिसक कर रो रहा था। नमिता उसके बिस्तर पर बैठकर उसके पीठ में हाथ फेरती हुई बोली: बेटा, आख़िर बात क्या है? तू क्या मुझे भी ऐसी ही नज़र देख़ता है? बता ना?
राज रोते हुए बोला: हाँ माँ मैं बहुत पापी हूँ, मैं आपको भी ऐसी ही नज़र से देखता हूँ।
नमिता चुप रह गई और सोचने लगी कि अब क्या करे।
वह थोड़ी देर उसके पीठ पर हाथ फेरती रही फिर धीरे से बोली: बेटा ये ग़लत है ना, ये तुम जानते हो ना? इसे समाज पाप मानता है। तुम समझ क्यों नहीं रहे हो बेटा।
राज: माँ मैं सब समझता हूँ पर क्या करूँ हर समय बस आपके बारे में ही सोचता रहता हूँ।
नमिता: क्या सोचते हो मेरे बारे में?
राज : माँ गंदी गंदी बातें।
नमिता: जैसे बताओ ?
राज: मुझे बताने में शर्म आ रही है।
नमिता: जब सोचने में शर्म नहीं आ रही है तो बताने में कैसी शर्म, बोलो?
राज : वो वो - मैंने आपको -
नमिता: बोलो बोलो।
राज: मैंने आपको एक बार कपड़े बदलते हुए देख लिया था, आप ब्रा पैंटी में थीं, तब से मैं आपके साथ सेक्स करने का सोचने लगा हूँ।
नमिता थोड़ी परेशान हो कर बोली: बेटा तुम किसी भी औरत को देखोगे बिना कपड़ों के तो क्या उनके साथ सेक्स कर लोगे?
राज: मैं किसी औरत की नहीं बल्कि आपकी बात कर रहा हूँ।
नमिता: पर बेटा ऐसा नहीं होता, माँ बेटा सेक्स नहीं कर सकते।
राज: पर माँ, नदीम तो अपनी माँ के साथ सेक्स करता है, और प्रतीक भी अपनी माँ से सेक्स करना चाहता है।
नमिता हैरानी से बोली: क्या कह रहे हो? क्या सच में ऐसा है?
राज: हाँ माँ सच है बिलकुल।
नमिता: ओह, तभी तेरे दिमाग़ में ऐसे विचार आ रहे हैं।
नदीम का क्या कह रहा था तू?
राज: माँ , नदीम के अब्बा का ऐक्सिडेंट में कमर में नीचे चोट लगी थी और वह सेक्स के लायक नहीं रहे तो वह नदीम को बोले कि उसकी माँ कहीं दूसरों से ना चुद-- मेरा मतलब है सेक्स ना करने लगे, इससे अच्छा है कि नदीम ही उसे चो- मतलब सेक्स कर ले।
नमिता हैरानी से उसे देख रही थी और सोच रही थी कि ये इतना भोला नहीं है जैसा कि वह सोच रही थी। वह तो चोदने जैसे शब्द से भी वाक़िफ़ है। तो ये बात है , इन बातों से ही वह अपनी माँ की तरफ़ आकर्षित हुआ है।
नमिता: प्रतीक के बारे में क्या बोल रहा था तू?
राज: माँ वह भी अपनी माँ के साथ सेक्स करना चाहता है। वह तो शीला मैडम को चो- मतलब पा चुका है।
नमिता झटके में आ गई, और बोली: क्या? वह शीला के साथ सेक्स कर चुका है? ओह ये बड़ी विचित्र बात है।
राज: माँ, मुझे माफ़ कर दो, मैं पूरी कोशिश करूँगा सुधरने की।
नमिता हम्म कहकर उठ गई। और अपने कमरे में आ गयी।
मनीष का फ़ोन आ गया: वो बोला: हाय आंटी क्या हुआ?
नमिता: मैं थोड़ी परेशान हूँ, सोचा कि तुम शायद मदद कर सको।
मनीष: आंटी बोलो ना, आपके लिए सब कुछ करूँगा।
नमिता: असल में मैं राज को लेकर परेशान हूँ । वो पढ़ाई में लगातार नीचे की ओर जा रहा है। वो हरसमय सेक्स का सोचता रहता है।
मनीष: वह किससे सेक्स करना चाहता है?
नमिता: बड़ी उम्र की औरतों से और आज तो बोला कि मुझसे भी , अपनी माँ से । बताओ ऐसा भी कहीं होता है?
मनीष: आंटी होता है ऐसा भी। मैं भी तो आपको चोदते समय कई बार मम्मी बोलकर चोदता हूँ।कई लड़के अपनी माँ को ही चोदना चाहते हैं।
नमिता: ओह , राज भी कह रहा था किउसका एक दोस्त तो अपनी माँ के साथ लगा हुआ है और दूसरा लगाने को तय्यार है।
मनीष: अब ऐसे दोस्तों के साथ रहेगा तो फिर वह भी ऐसा ही सोचेगा।
वैसे आंटी एक बात बोलूँ आप उसको अपने मन की कर लेने दो ना। घर की ही तो बात है। कौन सी आपकी बुर घिस जाएगी और बेटे को भी मज़ा आ जाएगा।
नमिता: बकवास मत करो। एक मदद करोगे , मुझे नदीम की माँ से मिलना है। उसका सेल नम्बर चाहिए मुझे। मैं राज से नहीं लेना चाहती।
मनीष: वो कहाँ रहता है? कुछ तो बताओ उसके बारे में।
नमिता: मैं इतना ही जानती हूँ की सरोजिनी नगर में उसका एक कपड़े का शोरूम है नदीम गर्मेंट्स के नाम से ।
मनीष: ठीक है आंटी, मैं आपको कल उसका नम्बर दे दूँगा।
नमिता: थैंक्स, तुमसे बात करके अच्छा लगा।
मनीष: आंटी कल आ जाऊँ क्या चोदने का बहुत मन हो रहा है आपको।
नमिता: कल की कल देखेंगे पर मुझे नदीम की माँ का नम्बर दे देना।
मनीष उसको चूमता हुआ फ़ोन बंद कर दिया।
नमिता किचन मैं गयी और खाना बनाने लगी। आज शाम राज पार्क नहीं गया। नमिता ने उसे चाय के लिए आवाज़ दी पर वह नहीं आया।
नमिता ने चाय बनाई और उसके कमरे में लेकर गयी। वह कुर्सी पर बैठा था और उसका सिर टेबल पर था और वह सो रहा था।
नमिता को राज पर बहुत तरस आया और उसके बालों पर हाथ रखा और सहलाते हुए उठाने लगी। वह उठकर माँ को देखा तो बोला: अरे,मैं क्या यहीं सो गया था?
फिर वह उठकर बाथरूम गया और आकर चाय पीने लगा। वह अपनी माँ से नज़रें नहीं मिला सका। नमिता भी बाहर आकर किचन में चली गयी।
राज चाय पीकर बाहर आकर सोफ़े पर बैठा और वह वहाँ से माँ को काम करते देख रहा था। वह झुक कर शेल्फ़ में कुछ खोज रही थी। उनकी मस्त गाँड़ बाहर की ओर निकली हुई बहुत मस्त लग रही थी। उनकी पैंटी साफ़ दिख रही थी मैक्सी के अंदर से।फिर राज अपने कमरे में चला गया।
नमिता किचन में काम करने के बाद सोफ़े पर बैठ कर TV देखने लगी। उसका ध्यान TV में नहीं लग रहा था वह आगे का सोच रही थी।
फिर थोड़ी देर बाद वह उठकर राज के कमरे में गई तो वह फिर से अपने ख़यालों में खोया हुआ था और किताब सामने खुली रखी थी। नमिता उसके पास आयी और बोली: क्या हुआ , सब ठीक है?
राज: माँ कुछ बात नहीं है , मुझे डॉक्टर के पास ले चलो , मैं पागल हो रहा हूँ। मुझे बचा लो। वह फिर से रोने लगा।
नमिता ने उसको अपने सीने से चिपका लिया और उसके गालों को चूमते हुए बोली: बेटा सब ठीक हो जाएगा। मैं तुम्हें कुछ नहीं होने दूँगी।
राज माँ के नरम नरम सीने से सट कर वह फिर से वासना से भरने लगा। उसने आँख खोली तो माँ की नंगी आधी छातियाँ उसे मैक्सी के ऊपर से दिख रही थी। अब उसने अपना मुँह वहाँ पर रगड़ने लगा और नरम छाती से छूअन का सुख महसूस करने लगा। नमिता को महसूस हुआ कि वो अपने गाल उसकी छाती में रगड़ रहा है। अचानक उसकी आँख उसकी लोअर की ओर गयी और वह दंग रह गयी क्योंकि वहाँ उसका खड़ा हथियार उसकी तरफ़ सिर उठाकर देख रहा था।
नमिता को समझ नहीं आया कि ये कैसी विडम्बना है, एक बार वह रोता है और जब वह उसे चुप कराकर शांत करना चाहती है तब वह उसके छूअन से इतना उत्तेजित होकर वासना से भर जाता है।
आख़िर इन सब बातों का हल क्या हो सकता है?
नमिता धीरे से अपने आप को अलग करके कमरे से बाहर आयी।
इसी ऊहापोह में उन दोनों ने खाना खाया और सो गए।
सुबह नमिता जब राज को उठाने गयी तब उसने उठने से मना कर दिया और कह दिया कि मेरी तबियत ख़राब है और मैं आज स्कूल नहीं जाऊँगा। नमिता ने उसके माथे पर हाथ रखा और देखा की उसे बुखार नहीं था । वह उसे कुछ नहीं बोली और कमरे से बाहर आ गयी ।
आजतक कभी राज ने स्कूल बंक नहीं किया था, यह एक नयी मुसीबत आ गई थी। और वह अपने आप को बहुत मजबूर महसूस कर रही थी।
राज ने नाश्ता भी नहीं किया और नमिता भी परेशान बैठी थी कि मनीष का मैसेज़ आया जिसने नदीम की माँ आयशा का नाम और नम्बर था, साथ ही लिखा था आ जाऊँ क्या आपका दोस्त बहुत तंग कर रहा है।
नमिता ने लिखा : धन्यवाद। और मेरे दोस्त को कंट्रोल में रखो।
अब उसने आयशा को फ़ोन किया और अपने बारे में बताकर कहा: आयशा जी मैं आपसे मिलना चाहती हूँ। अभी आप अकेली होंगी ना?
आयशा: हाँ मैं अभी अकेली हूँ आप आ जायिये अभी।
नमिता: मैं अभी आती हूँ, आपका पता Sms कर दीजिए।
अब नमिता ने सलवार कुर्ती डाली और आयशा के घर को चल पड़ी।
राज अभी भी अपने कमरे में ही था।
आयशा के घर पहुँचकर नमिता उसको देखकर दंग रह गई। बला की ख़ूबसूरत और बहुत गोरे रंग की भरे पूरे बदन कि मालकिन थी।
नमिता: आपसे पहली बार मिल रही हूँ। आपका बेटा नदीम और मेरा बेटा राज दोस्त हैं।
आयशा: हाँ नदीम भी आप दोनों के बारे में बातें करता रहता है।
नमिता: जी हाँ राज भी आपके परिवार की बातें बताता रहता है।
फिर नमिता ने राज की हालत के बारे में बताया कि कैसे पढ़ाई नहीं कर पा रहा है और कैसे वह हमेशा सेक्स के बारे में ही सोचते रहता है। और ये भी कि अगर वह इस कारण से पढ़ नहीं पाया तो उसकी ज़िन्दगी बरबाद हो जाएगी, वग़ैरह वगेरह ।
आयशा थोड़ी परेशान होकर बोली: तो बहनजी इसमें मैं क्या कर सकती हूँ?
नमिता: पता नहीं मैं आपसे ये बात कैसे कहूँ, मुझे भी बड़ी हिचक हो रही है।
आयशा: बताइए ना क्या बात है?
नमिता: देखिए मैं - मेरा मतलब है- असल में ये नदीम ने ही राज को बोला है- ये कि - वह आपके साथ - मतलब- मैं कैसे कहूँ- यानी आप उसके साथ सोती हैं।
आयशा को तो जैसे काटो तो ख़ून नहीं। उसका चेहरा सफ़ेद पड़ गया।
वह बोली: क्या - बकवास है यह- आप कैसी बातें कर रही हैं । आप कुछ भी बोल रही हैं।
नमिता: देखिए आपके बेटे ने ही ख़ुद यह सब राज को बताया है, और इसका असर राज पर भी हो रहा है। मैं बस ही चाहती हूँ किएक बार आप राज को बोल दो कि नदीम सब मनगढ़ंत बातें करता है और यह सच नहीं है।
आयशा: आपने कहा कि राज पर इसका असर हो रहा है, इसका मतलब?
नमिता: वह ही वही करना चाहता है जो आपका बेटा कहता है कि वह आपके साथ कर रहा है। मतलब वह भी मेरे साथ सोना चाहता है। ऐसा भी कहीं होता है भला?
आयशा थोड़ी परेशान से होकर बोली: आख़िर नदीम ये कैसे कह सकता है?
नमिता: आप चाहो तो फ़ोन पर पूँछ लो उसको?
आयशा: फ़ोन पर नहीं, आज जब आएगा तो उसकी ख़बर लूँगी।
नमिता: आप नदीम में साथ हमारे घर आ जायिये और राज को समझा दीजिए कि ऐसा नहीं होता कि माँ बेटा ये सब करें।
आयशा: पहले मैं नदीम से बात कर लूँ फिर बताऊँगी। मैं तो हैरान हूँ उसकी हरकतों से।
फिर नमिता उससे मिलने का कहकर अपने घर आ गयी। वैसे नमिता को विश्वास हो गया था किआयशा झूठ बोल रही है, जिस तरह से उसका रंग उड़ गया था, उससे यह साफ़ था कि नदीम उसको लगा रहा है।
वह अब आगे क्या करना है सोचते हुए घर की ओर चल पड़ी।
घर पहुँचकर उसने राज को ज़बरदस्ती कुछ खिलाया और फिर अपने कमरे में लेट गयी। तभी landline की घंटी बजी और इसके पहले कि वह फ़ोन उठाती, शायद राज ने उठा लिया। नमिता ने भी parallel लाइन का फ़ोन उठाया। उधर राज ने कहा: हेलो। हाँ नदीम बोलो ।
नदीम: क्या यार क्या लोचा कर दिया तूने?
राज: मैंने क्या किया?
नदीम: अरे तूने अपनी माँ को बता दिया कि मैं अपनी अम्मी को चोदता हूँ। साले हरामी ये क्यों किया तूने? अम्मी ग़ुस्से से पागल हो रहीं हैं।
राज: वो वो तुझे कैसे पता ?
नदीम: अबे कमीने तेरी माँ अम्मी अम्मी से मिलकर गयीं हैं और ये बोली है कि वो तुम्हें बताएँ कि हम दोनों माँ बेटे में ऐसा कुछ नहीं है। शायद तू भी अपनी माँ को चोदना चाहता है इसलिए वह बहुत परेशान है।
राज: माँ तुम्हारे घर गयी थी? मुझे नहीं पता।
नदीम: अबे तुमने अपनी माँ को चोदना है तो चोद साले मेरा मज़ा क्यों ख़राब करता है। और सुन मेरी अम्मी नहीं आने वाली तेरे घर । जो उखाड़ना है उखाड़ लेना। मादरचोद साला।
ये कहकर उसने फ़ोन पटक दिया। नमिता उनकी बातें सुनकर सन्न रह गयी और सोचने लगी तो सच में नदीम अपनी माँ के साथ सब कर रहा है। और अब राज भी यही करना चाहता है।
उसने अपना सिर पकड़ लिया।
नमिता शांति से बोली: हाँ गयी थी।
राज: क्यों गयीं थीं , ये बोलने कि वह अपनी माँ को चो- मेरा मतलब है कि वह अपनी माँ के साथ सेक्स करता है? दिमाग़ ख़राब है आपका?
नमिता: दिमाग़ मेरा नहीं तुम लड़कों का ख़राब है जो अपनी माँओं के साथ बुरा काम करना चाहते हो?
राज: मैंने आपको ये बात इसलिए नहीं कहा था कि आप दौड़ते हुए उसकी माँ की ये सब बता दें।मैंने उसे वादा किया था कि ये बात मैं किसी को भी नहीं बताऊँगा। पर आप सब गड़बड़ कर दीं।
नमिता: अगर उसने तुझे मना किया तो मुझे तूने क्यों बताया। मैंने जो ठीक समझा मैंने किया। मैं सोची थी कि आयशा नदीम को लेकर तुझे समझाने आएगी, पर वह तो अपनी बदनामी का ही सोच रही है । उसे नदीम से चुद--- मतलब करवाना भी है और शरीफ़ भी बने रहना है, क़ुतिया की बच्ची।
राज:माँ आपने बड़ी गड़बड़ कर दी। मुझे तो डर लग रहा है कि कहीं नदीम मेरी पिटायी ना कर दे।
नमिता: अरे कुछ नहीं होगा। तू तो उसका राज़दार है। तुझसे वह हमेशा दूर ही रहेगा।
राज: माँ एक राज तो मैं आपका भी जानता हूँ।
नमिता थोड़ी से परेशान होकर बोली: क्या जानता है?
राज: आपके और मनीष भय्या के बारे में।
नमिता अब गम्भीर होकर बोली: देखो बेटा, मेरे और मनीष में कोई ख़ून का रिश्ता नहीं है। हाँ ये सच है कि हम दोनों एक दूसरे को चाहते हैं। पर इसमें हम दोनों का एक ही मक़सद है कि अपने शरीर की प्यास बुझाना। मैं इसे ग़लत नहीं मानती। हाँ हम दोनों की उम्र में अंतर है पर उससे क्या होता है।
राज: आपको शर्म नहीं आती इतने छोटे से लड़के से लगी हुईं हैं?
नमिता: नहीं मुझे कोई शर्म नहीं आती क्योंकि मैं एक बालिग़ लड़के से सेक्स कर रही हूँ, और मैंने उसे फँसाया नहीं है। बल्कि वह ख़ुद मेरे पीछे पड़ा हुआ था । और सेक्स करना गुनाह नहीं है। यह एक शारीरिक ज़रूरत है जैसे भोजन या पानी। समझे?
राज अब आगे कुछ नहीं कह सका और कमरे से बाहर चला गया।
नमिता राज की बातों से दुखी थी , वह सोच रही थी कि राज शायद उसे ब्लैक्मेल करने की सोच होगा। पर उसने उसे असफल कर दिया।
पर उसे मनीष के बारे में पता कैसे चला?
नमिता अब किचन में जाकर अपने रोज के कामों में व्यस्त हो गई।
राज अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि माँ को मनीष के सबंधों को मानने में जैसे कोई हिचक ही नही हुई।फिर वह सोचा कि ठीक ही तो बोल रही थीं वह, शारीरिक सुख उनको भी चाहिए। वह जानता था कि वह चाहती तो उसके लिए सौतेला बाप ला सकती थी। उसे याद था कि कुछ लोगों ने उनको दूसरी शादी के लिए काफ़ी कहा था , पर वह राज के लिए कभी इसके लिए नहीं मानी। वह कहती थी कि मैं अपने बेटे के साथ अन्याय नहीं कर सकती। अब राज थोड़ा दुखी हुआ अपने व्यवहार पर।उसने माँ से माफ़ी माँगने का निश्चय किया।
वह किचन में पहुँचा , वहाँ माँ आटा गून्द रही थी। उसके माथे पर पसीने की बूँदें थीं। उनके हाथ बहुत ताक़त से अपना काम कर रहे थे। उनकी कुर्ती में उनकी छातियाँ बुरी तरह हिल रही थीं।
राज ने वहाँ जाकर अपने कान पकड़ लिए और बोला: सॉरी माँ मैंने आपको मनीष भय्या के बारे में ग़लत सलत बोल दिया।मुझे माफ़ कर दीजिए।
नमिता हँसकर बोली: चल मेरा पसीना पोंछ , बदमाश कहीं का।
राज ने हँसते हुए अपना रुमाल निकाला और उसके माथे का पसीना पोंछा , फिर उसने गले को पोंछा । अब उसे छातियों के ऊपर का पसीना दिखाई दिया और एक मिनट के लिए वह हिचकिचाया, फिर उसने अपना रुमाल उसकी छाती के ऊपर के हिस्से पर रखा और पोछने लगा। नमिता चुपचाप उसकी हरकत देख रही थी, पर कुछ नहीं बोली। वह देखना चाहती थी वह कहाँ तक जाने की हिम्मत करता है।
अब राज के हाथ और नीचे नहीं जा पाए। नमिता ने झुककर उसका माथा चूम लिया और बोली: थैंक्स बेटा।
राज: माँ मैं आपकी मदद कर दूँ?
नमिता: तो अब स्कूल छोड़कर तू किचन में काम करेगा। और आज मैं भी ऑफ़िस नहीं गयी। अगर ऐसा करेंगे तो घर का ख़र्च कैसे चलेगा। और तेरे स्कूल का क्या होगा?
अब नमिता ने हाथ धो लिया था और फ्रिज मेंआटा रखा और मूडी तब राज उससे लिपट गया और बोला: माँ मैं कल से स्कूल जाऊँगा। आप परेशान ना हों।
नमिता ने उसके गाल चूमकर कहा: शाबाश बेटा , तुम्हें हिम्मत से काम लेना होगा और पढ़ाई में फिर से ध्यान देना होगा।
राज फिर से उदास होकर बोला: वह तो पता नहीं हो पाएगा या नहीं, पर मैं कोशिश पूरी करूँगा।
नमिता: ठीक है बेटा, लेकिन एक वादा करो कि अब मुझसे कुछ नहीं छिपाओगे! हर परेशानी को मुझसे कहना ताकि मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ।
राज: ठीक है माँ , मैं कुछ नहीं छिपाऊँगा आपसे।
नमिता: खा मेरी क़सम?
राज: जी माँ आपकी क़सम। अब कुछ नहीं छिपाऊँगा।
नमिता उसे अपनी तरफ़ खींच कर अपने से लिपटा कर प्यार करने लगी और वह भी माँ से चिपक कर उनके नरम गुदाज बदन का अहसास पा कर अपना लंड खड़ा कर बैठा।अब वह अपने आप को पीछे किया ताकि माँ को उसका खड़ा लंड उनके पेट पर छू ना जाए।
नमिता ने देखा कि वह अपने नीचे का हिस्सा पीछे कर रहा है तो वह समझ गई कि उसका बेटा फिर से उत्तेजित हो रहा है पर पता नहीं उसे राज पर ग़ुस्सा नहीं आया। वह उसके गाल सहलाते हुए बोली: ये हुई ना मेरे राजा बेटे वाली बात। चल अब खाना बनाऊँ?
राज ने कहा: हाँ माँ भूक लगी है।
ऐसा लग रहा था कि सब ठीक हो गया है, पर शायद यह तूफ़ान आने के पहले की शांति थी????
अब वह आगे बढा और उसने देखा कि माँ ने शायद ब्रा नहीं पहनी थी क्योंकि उनके निपल्ज़ अलग से मैक्सी के ऊपर से उभरे हुए थे।
दोनों दूध लेटे होने के कारण मैक्सी से तने हुए एर बड़े लग रहे थे।वह बहुत गरम हो गया। उसने चारों ओर देखा कि कहीं माँ की ब्रा मिल जाए पर उसे कहीं नज़र नहीं आइ। अब उसने सोचा कि माँ ज़रूर बाथरूम में ही उतारी होंगी। वह धीरे से बाथरूम में चला गया और वह एकदम सही था। सामने ही माँ की ब्रा टँगी थी। उसने उसे उठाया और सूँघा और उसमें से आ रही पाउडर और पसीने की गंध से जैसे वह मद होश हो गया। अब वह बाहर आया और फिर उसने आवाज़ दी बोला: माँ उठिए ना, चाय लाया हूँ ।
नमिता उसकी आवाज़ से उठी और उसको देखकर मुस्करायी और बोली: आज मेरे से पहले कैसे उठ गया तू?
राज: बस नींद खुल गई तो उठकर चाय बना लिया।
नमिता उठते हुए बोली: ठहर ज़रा बाथरूम से आती हूँ। और वह बाथरूम चली गई। जब वो उठी थी तो बिना ब्रा के उनके दूध जिस तरह से हिले राज का लंड उससे भी ज़ोर से हिल गया।
उसकी बड़ी इच्छा थी किवह बाथरूम में झाँके और देखे कि माँ क्या कर रही है। वह दरवाज़े के पास गया पर उसे वहाँ कोई छेद नहीं नज़र आया। वह जानता था कि माँ ब्रा पहनेगी। वह यह दृश्य देखना चाहता था। पर मजबूर था कि कोई उपाय उसे नज़र नहीं आया।
तभी माँ बाहर आयी और राज ने देखा कि अब छातियाँ ब्रा के अंदर साफ़ तनी नज़र आ रहीं थीं। वह मस्त हो गया पर दिखावे के लिए बोला: लो माँ चाय पी लो।
अब दोनों वहीं बिस्तर पर बैठकर चाय पी रहे थे।
नमिता: बेटा नींद आयी।
राज: हाँ माँ आज ठीक से आयी।
नमिता : चलो अब स्कूल के लिए तय्यार हो जाओ मैं भी आज ऑफ़िस जाऊँगी।
राज माँ से लिपटकर बोला: ओके माँ नहा लेता हूँ।
नमिता भी उसे प्यार करते हुए बोली: चल ठीक है।
राज स्कूल बस में बैठा था, तभी अगले स्टॉप से श्रेय और शीला मैडम चढ़ीं और वह राज के पास आकर बैठ गई।श्रेय राज को हाय करके पीछे चला गया। राज ने शीला को G M किया।
शीला आज सलवार कुर्ता में थी। उसकी एक बड़ी सी चुचि राज के साइड मेंथी, उसकी चुनरी तो गले पर थी। राज उसकी ब्रा में कसी चुचि देखकर वो कमरे का दृश्य याद करने लगा जब वह टेबल के सहारे झुकी हुई थी और प्रतीक उसको बुरी तरह से चोद रहा था। और उसकी लटकी हुई बड़ी बड़ी चूचियाँ धक्कों से बुरी तरह से हिल रही थीं।
तभी शीला बोली: क्या हाल है तुम्हारा?
राज: जी ठीक हूँ।
शीला: आजकल तुम्हारा दोस्त प्रतीक दिखाई नहीं देता।
राज चौंक कर बोला: मैडम पता नहीं, मैं ख़ुद दो दिन से स्कूल नहीं आया , तबियत ख़राब थी।
शीला: ओह, प्रतीक मिले तो बोलना कि मैं याद कर रही थी। मुझे ऑफ़िस में आकर मिले।
राज: जो मैडम।
राज मन ही मन में सोचने लगा कि लगता है, मैडम प्यासी हो गई हैं। उसने एक नई चाल चली।
राज बोला: मैडम अगर मैं आज स्कूल के बाद श्रेय के साथ विडीओ गेम खेलने आऊँ तो आपको कोई इतराज तो नहीं होगा?
शीला बुरी तरह से चौक गयी और उसे गहरी निगाहों से देखते हुए बोली: मुझे क्यों इतराज होगा?
वह उसकी आँखों में झाँक कर जैसे उसको टटोल रही थी कि कहीं प्रतीक ने उसे कुछ बता तो नहीं दिया?
पर राज ने ऐसा भोला सा चेहरा बनाया हुआ था कि वह कुछ समझ ही नहीं पायी।
स्कूल आने पर सब उतर गए और राज हमेशा की तरह मैडम के विशाल चूतर देख कर गरम हो गया।
लंच ब्रेक में उसने एक दोस्त के मोबाइल से प्रतीक को फ़ोन किया पर उसका मोबाइल बंद आ रहा था।
आख़री क्लास शीला मैडम की ही थी। वह जानबूझकर आख़री सीट पर अकेला बैठा था। सबको एक सवाल बनाने को कहकर मैडम कमरे में घूमते हुए राज के पास आयी और झुक कर देखने लगी कि वह सवाल का जवाब कैसे बना रहा है । राज उसकी चूचियों की घाटी देखने लगा। मैडम ने उसे देखते ही पकड़ लिया पर कुछ बोली नहीं। मैडम उसे समझाने लगी कि जवाब कैसे बनाना है।
तभी राज ने कापी में लिखा: प्रतीक का फ़ोन स्विच ऑफ़ है। और उसके एक दोस्त ने बताया है कि वह अपने पापा के साथ विदेश गया है।
यह पढ़ कर मैडम का मुँह उतर गया। राज ने फिर लिखा: क्या स्कूल के बाद मैं आपके ऑफ़िस में थोड़ी देर के लिए आ सकता हूँ?
मैडम ने वह पढ़कर हैरानी से उसको देखा और लिखा: क्या काम है?
राज ने लिखा: आपसे मिलने पर ही बताऊँगा।
मैडम: अच्छा आ जाना पर स्कूल के बंद होने के करीब २० मिनट बाद आना। यह लिखकर वो राज के पास से हट गई।
राज का लंड तो जैसे पैंट के अंदर समा ही नहीं रहा था। उसे पता नहीं क्यों लग रहा था कि आज उसकी क़िस्मत खुलने वाली है।
स्कूल के बंद होते ही वह श्रेय से मिला और बोला: यार आज में तेरे घर आऊँ क्या गेम खेलने?
श्रेय ख़ुश होकर बोला: हाँ आओ ना मज़ा आएगा। चलो अभी मेरे साथ।
राज बोला: मैं थोड़ी देर में आता हूँ तुम चलो।
जैसे ही क़रीब १५ मिनट हुए वह मैडम के कमरे में घुसा। वह अपनी कुर्सी में बैठी कुछ काम कर रही थी। राज को देखकर मुसकारती हुई बोली: आओ राज बैठो,बोलो क्या काम है?
राज की तो जैसे ज़बान सुख गई। उसकी आवाज़ हो नहीं निकल सकी और वह आकर साइड से मैडम के पास आकर खड़ा हो गया।उसका लंड पूरा खड़ा था मैडम की चूचियों की गहरायी देखकर, उसने उसको सामने पड़ी कुर्सी में पीछे छिपाया हुआ था।
मैडम: बोलो ना क्या बात है, तुम मिलना चाहते थे ना?
राज: वो - वो - मैडम - वो मैं - मेरा मतलब है कि - --
मैडम: अरे क्या हुआ बोलते क्यों नहीं?
राज: मैडम आप ग़ुस्सा हो जाएँगी। वो बात ही ऐसी है।
मैडम: मतलब? ऐसी क्या बात है। अब वह थोड़ी परेशान लग रही थी, उसे लगा कि कहीं कुछ गड़बड़ तो नहीं है।
वह फिर से बोली: चलो बोलो, नहीं होऊँगी ग़ुस्सा, बस।
राज कमरे की खिड़की की ओर इशारा किया और बोला: मैडम, कुछ दिन पहले मैं इस खिड़की पर खड़ा था और मैंने आपको और प्रतीक को सब कुछ करते हुए देख लिया था।
शीला को तो जैसे साँप सूँघ गया। वह एकदम पीली लड़ गई, और बोली: क्या बक रहे हो? तुम्हें स्कूल से निकलवा दूँगी।
राज: आपने बोला था कि ग़ुस्सा नहीं होंगी। मैडम ये बात सिवाय मेरे किसी को पता नहीं है और नाहीं मैं कभी किसी को बोलूँगा।
शीला अब थोड़ा सा शांत हुई और बोली: ऐसा कुछ नहीं है। तुम्हें भ्रम हुआ होगा।
राज ने अंधेरे में तीर मारा और बोला: मैडम प्रतीक ने आपकी फ़ोटो भी दिखायी हैं अपने मोबाइल में मुझे।
शीला: क्या वो कमीना बोला था कि किसी को नहीं दिखाएगा।
वह एकदम से खड़ी हो गयी और बोली: अब मुझे जाना है, मैं तुमको बस यही कह सकती हूँ कि प्रतीक के आने के बाद इस बारे में बात करेंगे। वह किसी तरह वहाँ से भाग जाना चाहती थी।
राज उसके एकदम से खड़े होने पर हड़बड़ा कर पीछे हुआ और उसका पैंट का सामने का भाग कुर्सी के पीछे से सामने आ गया । शीला की आँखें उस जगह पर पड़ी जहाँ एक बहुत बड़ा तंबू सा तना हुआ था।
शीला के मन में एक ही विचार आया कि हे भगवान इसका तो प्रतीक से भी बड़ा लग रहा है। ये तो एकदम से मेरी फाड़ने को तय्यार है।
तभी राज ने आगे बढ़कर शीला के दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में लेकर दबा दिया। शीला के मुँह से आऽऽह निकल गई।
राज बोला: मैडम मैं आपका दीवाना हूँ , आह मैडम आपके दूध कितने मस्त हैं।
शीला डाँटते हुए बोली: पागल हो क्या , क्या इतनी ज़ोर से दबाते हैं कभी?
राज ने डर से हाथ हटा लिया और बोला: मैडम मैंने आज पहली बार किसी का दूध पकड़ा है। सॉरी अगर ज़ोर से दबा दिया । आपको दुःख गया क्या?
नमिता: इतनी ज़ोर से दबाओगे तो दुखेगा नहीं क्या। वह अपनी छाती पर हाथ फेरते हुई फिर से उसके तंबू को देखी।
फिर वह राज को बोली: जाओ दरवाज़ा बंद कर दो पहले। राज ने वैसा ही किया। फिर से वह मैडम के पास आया और फिर उसने अचानक उसके कंधे पर हाथ रख कर बैठा दिया और उसके ऊपर झुक कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिया और चूमने लगा।
शीला अब कमज़ोर पड़ रही थी ।राज का मोटा तंबू इसे कमज़ोर कर रहा था। उसने देखा कि उसे चूमना भी नहीं आता उसे लगा कि शायद वह पहली बार सेक्स करने की कोशिश कर रहा है।
तभी राज ने उसकी छातियाँ फिर से दबाना चालू किया पर इस बार वह ज़ोर से नहीं दबा रहा था। अब शीला गरम हो गयी। उसकी पैंटी गीली हो गयी थी। उसकी बुर पानी छोड़ने लगी थी।
राज बोला: मैडम आप मुझसे वैसे ही चुदवाइए ना जैसे उस दिन आप प्रतीक से करी थीं। और ये कहते हुए उसने मैडम का हाथ अपने उभरे हुए तंबू पर रख दिया।
शीला बोली: आऽऽहहह ये तुम्हारा पहली बार है या तुम पहले भी कर चुके हो? अब वह मज़े से उसके लौड़े को दबा कर मस्त हो रही थी।
राज: मैडम पहली बार है।
शीला: तब तो हमें घर चलना पड़ेगा। यहाँ यह नहीं हो पाएगा।
राज: उसकी चूचियाँ दबाते हुए बोला: क्यों मैडम क्या समस्या है?
शीला: अरे तुम पहली बार खड़े होकर नहीं कर पाओगे । पहली बार तुम्हें मेरे ऊपर चढ़कर ही करना पड़ेगा बिस्तर पर।
राज: मैडम मैं पागल हो रहा हूँ, मैं इतनी देर रुक नहीं सकता। प्लीज़ कुछ कीजिए ना।
शीला :अच्छा चलो मुझे छोड़ो और सीधे खड़े हो जाओ।
राज उसके सामने खड़ा हो गया । वह अब भी बैठी हुई थी।
शीला ने राज की बेल्ट खोली और फिर पैंट का ज़िपर नीचे की और पैंट के बटन खोलकर पैंट को नीचे गिरा दिया। शीला की आह निकल गई, क्या मस्त उभार था चड्डी में । उसमें एक गीला सा दाग़ था जोकि उसका प्रीकम था। अब शीला ने उसकी चड्डी मे दो ऊँगली डालकर उसे नीचे किया। और फिर उसका मोटा लम्बा लौड़ा उसके सामने झूल रहा था। उसके बॉल्ज़ भी मस्त दिख रहे थे। उसके लौड़े के चारों तरफ़ बाल भी थे जो उसको और मादक बना रहे थे, शीला की नज़रों में।
अब शीला ने राज को टेबल पर बैठने को बोला, और वह शीला के सामने अपना लौड़ा खड़ा करके बैठ गया। शीला ने एक बार उसकी आँखों में देखा और फिर उसने उसके लौड़े को सहलाया और फिर उसने उसके लौड़े की सुपाडे की चमड़ी को पीछे खींचा और सुपाडे पर अपनी नाक लगाकर सूँघने लगी। अब वो मस्त होकर उसके सुपाडे को चूमने लगी और फिर जीभ से चाटने लगी। राज आँखें फाड़े अपने लौड़े की पहली चुसाई का मज़ा ले रहा था। अब शीला लौड़े को चूसने लगी। राज उसके सर को पकड़कर और दबाने लगा। शीला अब चूसते हुए उसके बॉल्ज़ भी सहलाने लगी। अब उसका मुँह ज़ोर ज़ोर से ऊपर नीचे हो रहा था। राज को लगा कि वह अब झड़ जाएगा। उसने आऽऽऽऽहहहह मैं झड़ने वालाआऽऽऽऽ हूँउउइउउउउ। शीला और ज़ोर से चूसने लगी और तभी राज उसके मुँह में झड़ने लगा और वह उसके वीर्य को पीते चले जा रही थी। राज आऽऽह्ह्ह्ह्ह कहकर हैरानी से देख रहा था कि मैडम बड़े प्यार से स्वाद लेते हुए उसका रस पिए जा रही थी।
अब शीला ने अपना मुँह ऊपर किया और उसके मुँह में लगे रस को हाथ से साफ़ किया और फिर उसके सुपाडे पर लगी दो बूँद रस को भी चाट ली। राज बहुत हैरान था और ख़ुश भी । वाह क्या मज़ा दिया था मैडम ने। अब उसका लौड़ा ठंडा होने लगा था।
अब शीला उसको उठाई और बोली: चलो जल्दी से पैंट पहन लो। और ख़ुद भी बाथरूम चली गई । थोड़ी देर बाद वो बाहर आइ तो देखा कि राज भी तय्यार था। अब राज ने उसे बाहों में खींचा और उसके होंठ चूसने लगा। वह थोड़ी देर के चुम्बन के बाद बोली: बाक़ी का घर में कर लेना। चलो अब, निकलते हैं।
पर राज तो जैसे पागल हो गया था बोला: मैडम एक बार सलवार खोलकर अपनी बुर दिखा दीजिए ना। प्लीज़।
शीला: अरे घर चल के देख लेना और अपना ये मूसल पेल भी देना।
राज: नहीं मैडम एक बार प्लीज़ मुझे अभी देखना है। ये बोलते हुए उसने सलवार का नाड़ा पकड़ लिया और खोलने लगा।
शीला बोली: अच्छा बाबा लो देख लो। कहते हुए उसने अपना कुर्ता उठाया और नाड़ा खोलकर सलवार गिरा दी। अब राज घुटनो के बल बैठ गया और उसकी गीली पैंटी को सूंघकर मस्त हो गया और फिर उसकी पैंटी नीचे कर दिया। मस्त गदराइ जाँघों के बीच फूली हुई बुर सामने थी, जिसे देखकर वह उसे हाथ से सहलाया और फिर उसे चूमने लगा। शीला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मत कर ना प्लीज़। मर जाऊँगी। हाय्य्य्य्य।
अब राज उसे घुमाया और उसके मस्त चूतरों को दबाकर बहुत मस्त हो गया। उसकी गाँड़ का छेद भी उसे बहुत सेक्सी लगा और उसने वहाँ भी ऊँगली फेरी और मज़े से भर गया।
शीला बोली: चल अब छोड़ बाक़ी का घर पर कर लेना।
राज ने उसकी पैंटी ऊपर कर दिया और उसने सलवार का नाड़ा भी बाँध लिया और फिर अपने कपड़े ठीक करके बाहर निकल गई। अब राज भी ५ मिनट के बाद बाहर आ गया।
अब शीला ने अपना पर्स ऐसे रखा कि राज का हाथ नहीं दिखे किसी को भी। राज सलवार के ऊपर से उसकी जाँघों को सहलाता हुआ उसकी बुर तक पहुँचने का प्रयास कर रहा था। उसने उसकी सलवार के ऊपर उसकी बुर सहलाना शुरू किया। शीला अपनी जगह से हिलके और पैर फैलाकर उसके हाथ के लिए जगह बनाई। अब राज की उँगलियाँ मज़े से बुर के अंदर सलवार और पैंटी के साथ अंदर बाहर हो रही थी।
शीला को सांसें तेज़ चलने लगी थीं। उसका बड़ा सा सीना ऊपर नीचे हो रहा था। तभी शीला का घर आ गया। दोनों उतरे और शीला बोली: मैं सामने की दुकान से कुछ समान लेकर आती हूँ, तुम श्रेय के साथ गेम खेलो।
राज समझ गया कि वह उसके साथ घर नहीं जाना चाहती । वह मुस्कुराकर बोला: आप जल्दी आना, आपकी याद आएगी। ये कहते हुए उसकी सलवार में डाली हुई उँगलियों को उसे दीखा कर सूँघने लगा। शीला का मुँह शर्म से लाल हो गया और वह चली गई।
जब शीला घर पहुँची तो राज और श्रेय गेम खेल रहे थे।
शीला: चलो मैं जल्दी से खाना लगाती हूँ, राज तुम भी खाना खा कर ही जाना।
राज ने श्रेय की आँख बचाकर शीला को आँख मारी। शीला मुस्करा कर अपने चूतर मटकाते हुए चली गई। थोड़ी देर बाद राज श्रेय को बोला: यार मैं ज़रा पानी पी कर आता हूँ।
श्रेय बोला: हाँ आ जाओ फ्रिज किचन में रखा है।
राज किचन में पहुँचा और वहाँ शीला को काम करते देख वह उसके पीछे से आकर उसको जकड़ लिया और उसके गाल एर गर्दन चूमने लगा। अब वह अपना लौड़ा शीला की गाँड़ पर रगड़ रहा था। शीला अभी मैक्सी में थी। उसने उसकी छातियों को भी दबोच लिया और मज़े से दबाने लगा। उसे अपने लौड़े को उसकी उभरी गाँड़ में रगड़ने में बहुत मज़ा आ रहा था।
शीला: राज चलो अब जाओ यहाँ से , श्रेय तुम्हारा इंतज़ार कर रहा होगा।
राज: आऽऽहहहह मज़ाआऽऽ रहा है, मैडम।
शीला: देखो मुझे आंटी कहो, और खाना खाने के बाद तुम जाने का नाटक करना और मेरे कमरे में छिप जाना। श्रेय खाने के बाद सोता है। तब मैं तुम्हारे पास आ जाऊँगी।
राज: और मेरे पास आ कर क्या करेंगी आंटी जी?
शीला: चल बदमाश, वही करूँगी जो तू करने के लिए मरा जा रहा है राज: बताओ ना क्या करेंगी? मुझे आपके मुँह से सुनना है, उसने उसकी छातियों को दबाते हुए कहा।
शीला हँसते हुए उसके कान में बोली: तुमसे चुदवाना है। बस अब चलो बोल दिया ना।
राज मस्ती से भर कर अपने लौड़े को अजस्ट करते हुए श्रेय के पास आकर खेलने लगा।
थोड़ी देर बाद उन सब ने खाना खाया। राज की आँखें शीला की गोलाइयों से जैसे हट ही नहीं पा रही थीं। मैक्सी में से उनकी घाटी नज़र आ रही थी। शीला ने भी ताड़ लिया था वह भी मस्ती से और आगे झुक कर उसको अपनी मदमस्त चूचियों के दर्शन करा रही थी। राज की हरकतों से वह बहुत गरम हो चुकी थी और चुदवाने के लिए मरी जा रही थी। उसकी पैंटी में बुर का रस टपके ही जा रहा था।
खाने के बाद दोनों थोड़ी देर गेम खेले और शीला आकर राज से बोली: बेटा अब तुम अपने घर जाओ। श्रेय अब सोएगा। राज श्रेय से हाथ मिलाकर बाहर जाने का नाटक किया और धीरे से वापस आकर शीला के कमरे में आ गया।
करीब दस मिनट के बाद शीला अपने कमरे में आयी तो राज बिस्तर पर बैठा था और उसके पैंट में तंबू पूरी तरह से तना हुआ था।
शीला ने दरवाज़ा बंद किया और आकर उसके बग़ल में बैठने लगी पर राज ने शीला को अपने गोद में खिंच लिया और उसके गाल चूमने लगा। फिर वो उसके होंठ चूमने लगा।
शीला हँसते हुए बोली: बेटा तेरी टाँगें ना टूट जायें, मैं काफ़ी भारी हूँ।
राज हँसते हुए बोला: आंटी आपका बदन बहुत नरम है वह मुझे क्या तोड़ेंगे?
शीला: चल मैं तुझे होंठ चूमना सिखाती हूँ।
फिर उसने उसके गाल पकड़े और उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर उसे चूमना और चूसना सिखाने लगी। वह भी उसकी छातियाँ दबाते हुए मज़े से सब सिखने लगा। जब शीला ने उसके मुँह में अपनी जीभ डाली तो राज को लगा कि कहीं उसका पानी ना निकल जाए। वह भी अपनी जीभ शीला के मुँह में डाला एर शीला उसकी जीभ चूसने लगी और अपनी जीभ से उसकी जीभ को रगड़ने लगी। अब राज को होंठों को चूमने का तरीक़ा समझ में आया।
अब राज बोला: आंटी अपनी मैक्सी उतारो ना मुझे आपके दूध देखने हैं।
शीला मुस्कुराते हुए खड़ी होकर बोली: सिर्फ़ देखेगा , बस ना? और कुछ नहीं करेगा ना? कहते हुए उसने अपनी मैक्सी उतार दी और अब वह सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में थी।
राज ने इतनी उत्तेजना कभी भी महसूस नहीं की थी। वह बहुत ही कामुक नज़र आ रही थी। राज ने फिर से शीला को अपनी गोद में खींचकर बैठा लिया और उसकी चूचियों को ब्रा के ऊपर से चूमने लगा। अब उसने उसके पेट को सहलाया और फिर उसकी जाँघों को सहलाने लगा। अब राज ने ब्रा के हुक खोलने की कोशिश की पर उससे वह खुला नहीं।
शीला हँसती हुई बोली: जल्दी ही सीख जाओगे। चलो अभी मैं ही खोल देती हूँ। ये कहते हुए वह अपना हाथ पीछे लेज़ाकर अपनी ब्रा खोल दी। राज ने उसके ब्रा के कप उठाकर उसकी चूचियाँ नंगी कर दीं । अब राज के सामने इसके बड़े बड़े गोरे दूध थे और वह मुग्ध दृष्टि से उनको देख रहा था।फिर उसने अपने दोनों हाथों में उनको पकड़कर दबाने लगा। उसके लम्बे काले निपल्ज़ पूरे तने हुए थे, जिनको वह मसलने लगा और शीला हाऽऽय्यय कर उठी।
राज ने अपना मुँह नीचे किया और उसका एक दूध मुँह में लेकर बच्चे के तरह चूसने लगा। उसका दूसरा हाथ उसकी दूसरी चुचि दबा रहा था।शीला की आऽऽहहह निकली जा रही थी।
अब वह चुचि बदल बदल कर चूस रहा था।
शीला : चलो अब तुम भी अपने कपड़े खोलो । वह अब बिस्तर पर लेट गयी। राज ने अपने कपड़े खोले और अब वह सिर्फ़ अपनी चड्डी में था जिसने से उसका लौंडा बड़ा भयानक नज़र आ रहा था।
अब वह अपनी चड्डी भी उतारा और अपने लौड़े को लहराता हुआ शीला के बग़ल में लेट गया। फिर वह शीला को बाहों में लेकर चूमने लगा। उसकी बड़ी बड़ी छातियाँ उसके मर्दाने सीने में धसने लगीं। फिर से वह उसकी चूचियाँ चूसने लगा। शीला आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह कहकर उसके सिर को अपने सीने में दबा रही थी।
राज उठकर उसकी पैंटी नीचे किया और शीला ने अपनी टाँगें फैलायीं और अपनी बुर राज को अच्छी तरह से दिखाई।राज ने उसकी बुर को देख सोचा कि क्या मस्त बुर है? कितनी फूली हुई बिना बालों की और उसने उस पर हाथ फेरा और उसके चिकनेपन से मस्त हो गया।
उसने बुर की फाँकों को अलग किया और उसके अंदर का गुलाबी हिस्सा और उसका छेद साफ़ दिख रहा था।
उसने एक ऊँगली अंदर डाली और वह उसकी बुर की गरमी से मस्त हो गया। अब उसने शीला की ओर देखा तो वह बोली: अब क्या देख रहे हो , चलो अंदर डालो । राज उसकी जाँघों की बीच आ गया और शीला ने उसके लौड़े को पकड़ा और अपनी बुर के मुँह पर रख दिया।
अब शीला ने अपने चूतर को नीचे से धक्का दिया और उसका आधा लौड़ा उसकी बुर में समा गया। शीला की आऽऽहहहह निकल गई।
अब उसने राज की कमर को पकड़कर नीचे को दबाया और उसका लौड़ा पूरा अंदर घुस गया।
अब शीला ने राज को कहा कि आधा लंड निकाल कर फिर से अंदर डालो। अब राज को समझ आ गया और वह उसको चोदने में लग गया। राज को बहुत मज़ा आ रहा था चुदाई करने में।
शीला बोली: तुम तो बहुत जल्दी सीख गए आऽऽऽहहह क्या चोद रहे हो आऽऽऽऽहहहह । बहुत अच्छा लग रहा है। हाय्य्ह्य्य्य और ज़ोर से करो। हाऽऽऽऽऽय ।
राज भी मज़े से चोदे जा रहा था। शीला बहुत मस्त हो गयी थी । राज का मोटा लौडा उसकी बुर में जैसे फँसकर अंदर बाहर हो रहा था। बहुत दिन बाद उसे ज़बरदस्त मज़ा आ रहा था।
राज भी अपनी पहली चुदायी से बड़ा मस्त हो रहा था।
अब शीला ने उसको अपनी चुचि पीने को कहा और वह उसकी चुचि चूसने और दबाने लगा। अब शीला भी आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह मैं गाइइइइइइइ चिल्लाने लगी और झड़ने लगी।राज भी झड़ने लगा और ह्म्म्म्म्म्म्म कहकर उसके ऊपर गिर गया।
शीला ने उसको चूम लिया और बोली: मज़ा आया?
राज: आऽऽहहह आंटी बहुत बहुत मज़ा आया।
और शीला उसको अपने ऊपर से हटाई और बोली: चलो मुझे बाथरूम जाना है। वह बाथरूम चली गई।
राज भी उठकर अपने कपड़े पहन लिया और तभी शीला भी आ गयी।
राज फिर से उससे लिपट गया और दोनों ने एक दूसरे को चूमा चाटा और फिर राज को शीला ने विदा कर दिया।
राज जब घर पहुँचा तो उसने देखा कि माँ की तबियत ख़राब थी। उसका पेट बहुत दर्द कर रहा था । उसने माँ को दवाई दी और उनको सुला दिया। इस चक्कर में माँ ने उससे यह भी नहीं पूछा कि उसे इतनी देर क्यों हुई!
राज माँ को सुलाके अपने कमरे में आया और सोचने लगा कि आज तो जैसे उसकी लॉटरी ही खुल गई। क्या माल है शीला आंटी। बहुत मज़ा देगी आगे भी वो। उसका लौडा आज के मजे को याद कर फिर से खड़ा हो गया। और उसने अपना लौडा बाहर निकालकर उसको सहलाने लगा। वह सोच रहा था कि शीला आंटी को अब अलग अलग पोज़ में चोदूंगा । उसे प्रतीक की ऑफ़िस वाली चुदायी याद आयी और शीला की उभरी हुई गाँड़ याद आयी जिसे प्रतीक दबाते हुए उसकी बुर फाड़ रहा था। अब उसके लौड़े ने फ़व्वारा छोड़ना शुरू कर दिया। और वो साफ़ सफ़ाई करके थक कर सो गया।
नमिता: अब ठीक है आज मैं ऑफ़िस से जल्दी आ गयी पेट में दर्द के कारण।
राज: मैं तो डर ही गया था, चलो अब चाय बनाता हूँ।
नमिता: मैं बना देती हूँ, अब मैं ठीक हूँ।
नमिता किचन में गयी और राज भी उसके पीछे किचन में घुसा।
राज उछलकर किचन में प्लैट्फ़ॉर्म पर बैठ गया और माँ को चाय बनाते हुए देखने लगा। उसने ध्यान से देखा और माँ की तुलना शीला आंटी से करने लगा। वैसी ही बड़ी बड़ी छातियाँ और चूतर और चेहरा भी गोल पेट भी वैसा ही थोड़ा सा गोलाई लिए हुए। हाँ माँ की कलाइयाँ ज़्यादा सेक्सी थीं। शीला की थोड़ी मोटी साइड में थीं। वह उनके बुर की तुलना करने की सोचा और मुस्कुराया कि माँ की बुर ज़्यादा टाइट होगी क्योंकि वह अकेला ही लड़का है जो वहाँ से निकला है और फिर बुर को रेग्युलर लौड़ा नहीं मिल पा रहा है। जबकि शीला ने दो बच्चें निकाले हैं अपनी बुर से। श्रेय कि एक बड़ी बहन है जो कॉलेज में है और कहीं बाहर पढ़ रही है। और उसका पति भी है और जब भी घर छुट्टी पर आता होगा तो ख़ूब बजाता होगा उसकी बुर को। वह सोचने लगा कि काश वह माँ की बुर देख पाता। अब ये सोचकर उसका लौड़ा खड़ा हो गया। जब तक वह अपने लौड़े को लोअर में अजस्ट कर पाता उससे पहले ही नमिता की नज़र उसके तंबू पर पड़ गयी और वह सवालिया नज़रों से राज को देखने लगी जैसे पूछ रही हो कि अब क्या हो गया जो तू इतना उत्तेजित हो गया है। राज ने लौड़े को अजस्ट किया और दूसरी तरफ़ देखने लगा।
नमिता को बिलकुल भी गुमान नहीं था कि उसका बेटा उसकी बुर के बारे में सोच कर उत्तेजित हुआ जा रहा है।
चाय बनाने के बाद नमिता और राज टेबल पर आए और चाय पीने लगे।
नमिता: अब भी नदीम और प्रतीक से मिलते हो?
राज: नहीं माँ , नदीम तो शाम को ही मिलता है, अब मैं जाता ही नहीं शाम को खेलने। देखो अभी भी नहीं गया। और प्रतीक तो अपने पापा के साथ विदेश गया है।
नमिता: चलो अच्छा हुआ ये दोनों चांडाल तुमसे दूर हुए। तुम्हारा दिमाग़ इन दोनों ने ही ख़राब किया था।
राज: माँ मैं थोड़ा बाज़ार जाकर कुछ कापीयां लेकर आता हूँ।
नमिता : ठीक है जाओ। पर जल्दी आना पढ़ाई भी करनी है।
राज: जी माँ । कहकर चला गया।
नमिता सब्ज़ी काट रही थी कि तभी मनीष का मेसिज आया किक्या वह फ़ोन करे? नमिता ने लिख दिया कि करो।
मनीष का फ़ोन आया और बोला: हाय आंटी कैसी हैं?
नमिता: ठीक हूँ, तुम बताओ तुम्हारा क्या हाल है?
मनीष: आंटी बहुत तड़प रहा हूँ आपके बिना।
नमिता: आज तो मुझे भी तुम्हारी याद आ रही है।
मनीष: तो आ जाऊँ अभी क्या?
नमिता: पागल है क्या? राज अभी आने वाला है।
मनीष: आंटी कुछ प्रोग्राम बनाओ ना जल्दी से।
नमिता: चल मैं कुछ करती हूँ कल के लिए।
मनीष: हाय आंटी मेरा तो ये सुन कर अभी से खड़ा हो गया।
नमिता हँसते हुए: तुम लोगों का तो हमेशा खड़ा ही रहता है।
मनीष: लोगों का मतलब? मेरे अलावा और किसका?
नमिता: अरे आजकल राज भी हर समय खड़ा करके घूमता रहता है।
मनीष: क्या राज भी अपनी लाइन में आ रहा है?
नमिता: पता नहीं पर जब तब उसके लोअर में तंबू बन जाता है। पता नहीं क्या सोचता रहता है?
मनीष: आंटी क्या आपको लगता है कि उसने अभी तक किसी को चोदा होगा?
नमिता: मुझे क्या पता पर मुझे नहीं लगता। पर आजकल के लड़कों का क्या भरोसा?
मनीष: आंटी कहीं वह आपको तो नहीं चोदना चाहता?
नमिता: क्या पता , तू भी तो कई बार मेरा बेटा बनकर मेरी लेता है।
मनीष: हाँ आंटी अगर मेरी माँ होती तो मैं उसको ज़रूर करता।
नमिता: तो फिर क्या पता राज का भी मन वैसे ही करता हो?
ऐसा कहते हुए नमिता ने अपनी बुर खुजाई और उसको अहसास हो गया कि उसकी बुर इस तरह की बातों से पनिया गई थी।
मनीष: तो आंटी क्या कल मिलेंगी ना?
नमिता: हाँ पूरी कोशिश करूँगी , कल मिलने की।
मनीष: आंटी, कल ज़्यादा टाइम के लिए मिलिए ना। पूरे तीन राउंड का प्रोग्राम करने की इच्छा हो रही है।
नमिता: चल हट बदमाश कहीं का। अच्छा अब रखती हूँ। बाई ।
मनीष ने भी बाई कहकर फ़ोन काट दिया।
उधर राज बाहर निकल कर एक पास की दुकान की तरफ़ जा रहा था, तभी एक बाइक आकर उसके पास रुकी, हेल्मट में नदीम को देख कर वह सहम गया।
नदीम ने हेल्मट उतारकर कहा: क्यों राज कहाँ जा रहे हो?
राज: बस यहीं दुकान तक।
नदीम: यार तुमने तो हद ही कर दी थी । और किस किस को बताया है?
राज: यार क़सम से और किसी को नहीं बताया। वह क्या हुआ , मैं भी तुम्हारी तरह माँ को करना चाहता था तो मेरे मुँह से निकल गया कि जब नदीम कर सकता है तो मैं और वह क्यों नहीं?
नदीम अब थोड़ा उत्सुक होकर बोला: तो क्या तूने आंटी को चोद लिया?
राज: कहाँ यार , अब तक तो बात नहीं बनी है।
नदीम: अबे पटाना तो पड़ेगा ना यार, तू भी साला गधा है। असल में जब तक तुझे चुदाई का मज़ा नहीं मिलेगा तू नहीं समझेगा किये क्या चीज है? तूने अभी तक किसी को चोदा है?
राज ने उसे नहीं बताया कि आज ही उसके कुँवारे लौड़े का उद्घाटन हुआ है शीला आंटी के साथ।
वह बोला: कहाँ यार किसी को नहीं किया अब तक।
नदीम : तो एक काम कर , कल तू स्कूल ना जाकर मेरे घर आ जाना । मैं तुझसे स्कूल के बाहर मिलूँगा। तू बस से उतर कर बाहर आ जाना अंदर नहीं जाना। मैं तुझे वहाँ मिलूँगा और अपने घर ले जाऊँगा।
राज: वह क्यों? तेरे घर क्यों?
नदीम मुस्करा कर बोला: अरे तेरे लौड़े का उद्घाटन कराएँगे यार।
राज: मगर किससे?
नदीम आँख मारते हुए: मेरी अम्मी से और किससे?
राज का मुँह खुला का खुला रह गया ।
राज : यार क्या कह रहा है? ये कैसे हो सकता है?
नदीम: देख यार मेरी अम्मी आजतक मेरे किसी दोस्त से नहीं चुदीं हैं। तू पहला दोस्त होगा जो ये मज़ा लेगा। और इसने मेरा भी एक मतलब है ना!
राज: कैसा मतलब?
नदीम: देख जब तू चुदायी का मज़ा चख लेगा तो अपनी माँ को भी पटा ही लेगा। यार तब मुझे भी मज़ा दिलवा देना अपनी माँ से।
राज: ओह मगर ऐसा नहीं हुआ तो? मतलब अगर माँ नहीं मानी तो?
नदीम: यार तू जिस तरह से अपनी माँ के पीछे पड़ा है वह मान ही जाएगी। और फिर मेरी लॉटरी भी लगा देना। कहते हुए उसने आँख मार दी।
अब राज का लौड़ा पूरा खड़ा हो गया था जिसको वो अजस्ट करने लगा।
नदीम मुस्करा कर बोला: क्या हुआ खड़ा हो गया क्या? कल तक चड्डी में रख , फिर निकाल कर मस्ती कर लेना अम्मी से।
राज झेंप कर बोला: यार तू बड़ा बदमाश है।
नदीम: तो फिर पक्का रहा कल का ?
राज: वो तेरे अब्बा उनका क्या?
नदीम : अरे उनसे भी मज़ा ले लेना । हा हा कहते हुए हँसते हुए वह बाइक लेकर चला गया। राज अत्यंत उत्तेजित होकर आज के घटना क्रम का सोचते हुए बाज़ार से समान लेकर घर की ओर चल पड़ा।
रात को खाना खाने के बाद राज अपने कमरे में नदीम की कही बातों को सोचकर मस्ती से भर रहा था और अपने लौड़े को सहला रहा था। वह सोच रहा था कि क्या आयशा आंटी को चोदने में शीला आंटी से ज़्यादा मज़ा आएगा? क्या नदीम भी साथ ही में करेगा? ओह उसके अब्बा भी होंगे। पता नहीं कैसे ये सब होगा? और वह कभी शीला कभी माँ और कभी नदीम की कही बातों को सोचकर मूठ्ठ मारने लगा। और जल्दी ही झड़ गया।
नमिता भी बिस्तर पर अपनी बुर सहला रही थी। मनीष की बातें याद कर रही थी। तभी उसकी आँखों के सामने राज का तंबू आ गया। सच में उसके बेटे का हथियार ज़्यादा ही बड़ा दिखता है लोअर के अंदर से। वह उसके हथियार के बारे में सोचते हुए अपनी बुर में ज़ोर से ऊँगली चलाने लगी। और जल्दी ही झड़ने लगी।
दोनों झड़कर सो गए ।
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