आग्याकारी माँ - 7
बसन्ती काफी गरम हो गई थी वो अपने हाथो से मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुह को अपने चुत पर रगड़ने लगती है.....
ओर निचे बसंती के लंड को छोड़ते ही सोनाली सतीश के दोनों और पेर करके अपने हाथ से उसके लंड को अपनी चुत के छेद पर सेट करती है और धीरे धीरे लंड पर बैठने लगती है थोड़ी देर.मे ही सतीश का पूरा लंड सोनाली की.चुत मे था, अब सोनाली उसके लंड को अपनी चुत मे लेकर अपनी गांड गोल गोल घुमाने लगती है.... सतीश तो एक अलग ही दुनिया मे था ऐसा मजा उसे ज़िन्दगी मे पहली बार आ रहा था...
अब सोनाली अपनी गांड तेजी से सतीश के लंड पर ऊपर निचे करने लगी थि, उसके चूतडो का सतीश की जाँघों से टकराने से थप थप की आवाज हो रही थी.... सतीश भी अब अपनी कमर को ऊपर निचे करके अपनी मोम.की हेल्प करने लगता है.....
सोनाली अब जोश मे आकर उसके लंड के ऊपर अब तेजी से ऊपर निचे कुदने लगी थि, जिससे बीच बीच मे सतीश का लंड उसकी चुत से बाहर आ जाता पर वो तुरंत उसे अपनी चुत पर सेट करके उसे अंदर लेकर उसपर कुदने लगती... और और साथ ही साथ उसके मुह से सिसकारी भी निकल रही थी...
सोनाली- आआआह्ह्ह्हह्ह्..... क्या मस्त लंड है..... एकदम कसा हुआ अंदर जा रहा है... स्स्स्सह्ह्हह्ह कितना चुड़क्कड़ बेटा पैदा किया है मैंने जो आज मेरी ही चुत मार रहा है...
अब बसंती मेरे ऊपर से हट जाती है शायद अब उसे भी अपनी चुत की कुटाई करवानी थी..... में उसके हटते ही माँ को अपनी बाजुओं से पकड़ कर निचे लीटा लेता हूँ और खुद उनके ऊपर आकर ताबाड तोड़ धक्के लगाने लगता हु.... में बसंती को मम्मी के ऊपर आने का इशारा करता हु, बसंती मम्मी के ऊपर अपने दोनों पेर उनकी कमर के दोनों और करके उनके ऊपर झुक जाती है और उनके होंठो को चुसते हुये उनके मम्मो को मसलने लगती है... में उसकी कमर को पकड़ कर थोड़ा पीछे की और खींचता हु जिससे उसक चुत माँ की चुत के थोड़ा ऊपर उभार कर बाहर की तरफ आ जाती है....
अब पोजीशन ये थी की में माँ के पैरों को फैला कर उनके पैरों के बीच उनकी चुत मे अपना लंड डाले बैठा था और बसंती माँ के ऊपर अपने दोनों पेर साइड मे करे हुए लाइटी हुई थी और उसकी चुत माँ की चुत के ऊपर थी...
मैने माँ की चुत से लंड निकल कर बसंती की चुत मे दाल दिया और धक्के लगाने लगा, में उसकी मोटी गांड को मसलते हुए अब अपना लंड उसकी चुत मे अंदर बाहर कर रहा था....
थोड़ि देर तक उसकी चुत चोदने के बाद में अपना लंड उसमे से निकाल कर माँ की चुत मे दाल कर धक्के लगने लगता हु....
ऐसे ही में उन दोनों को १० मिनट तक चोदता हु, कभी माँ की चुत मे लंड दाल कर और कभी बसंती की चुत मे लंड दाल कर.... और ऊपर वो दोनों एक दूसरे को किस करते हुए अपनी छातियाँ एक दूसरे से रगड रही थी....
अब में माँ की चुत मे लंड दाल चोद रहा होता हु की माँ का बाँध टूट जाता है और उनकी चुत अपना रस बहा देती है, माँ झड चुकी थी इस्लिये में अपना लंड बसंती की चुत मे दाल कर उसे पेलने लगता हूँ और ५ मिनट की चुदाई के बाद उसकी चुत भी पानी छोड़ देती है और उसके पानी को अपने लंड पर महसूश करके मेरा लंड भी पानी उगलने को होता है में तुरंत उसकी चुत से अपना लंड निकाल लेता हूँ और उन दोनों के मुह के पास ले जाता हूँ वो दोनों भी तुरंत उठ कर बैठ जाती है में अपने लंड को हिलाते हुए अपन सारा पानी उन दोनों के चेहरे पर दाल देता हु... उनदोनो का चेहरा मेरे सफ़ेद पानी से भिग जाता है और मेरा कुछ पानी उनकी चूचि और पेट् पर भी गिर जाता है....
ओर में वहि बैठ कर अपनी साँसे दुरस्त करने लगता हु, आज की चुदाई से शरीर मे काफी वीकनेस फिल हो रही थी....
मों बसंती का चेहरा पकड़ कर अपनी जीभ निकल कर उसके चेहरे से मेरा सारा पानी चाट लेती है और फिर बसंती भी माँ के चेहरे से सारा पानी चाट कर उसे साफ़ कर देती है.... में तो बस हैरत भरी नजऱों से उन्हें देखता रह जाता हूँ की कैसे वो मेरे पानी को एक दूसरे के चेहरे से साफ़ कर रही है...
उन दोनों के चेहरे पर संतुष्टि के भाव थे, वो दोनों ही काफी खुश नजर आ रही थी.... वो दोनों अपनी चूचि पर पड़े मेरे पानी को अपने हाथो से अपनी चूचियों पर मल लेती है.... और पेट् पर गिरे पानी को अपनी ऊँगली से लेकर, ऊँगली को लेकर अपने मुह मे दाल कर चुस लेती है.... कसम से दोनों पक्की रंडी लग रही थी उस वक़्त.. फिर वो दोनों उठ कर वाशरूम जाकर अपने आप को साफ़ करके बाहर आती है....
दोनो कपडे पहनती है, कपडे पहनने के बाद बसंती किचन मे चलि जाती है और माँ मेरे पास आकर मेरे होंठो पर किस करते हुये....
सोनाली : कपडे पहन लो शिप्रा के आने का टाइम हो रहा है....
मैन-ह्म्मम्... पहनता हु...
माँ शायद मेरी मरी हुई आवाज से समझ जाती हैं की मुझे वीकनेस हो रही है.... इस्लिये वो उठ कर किचन मे चलि जाती है और थोड़ी देर मे ही एक दूध का गिलास लिए रूम मे एंटर होती है.... में उस समय अपना शार्ट पहनना रहा था....
माँ गिलास आगे बड़ा देती है....
मै बेध्यानि मे- इसमें क्या है माँ?
सोनाली : तेरे लिए बादाम दूध लाइ हूँ इसे पीकर तुझे अच्छा महसूस होगा.... देखो इतनी मेहनत करने के बाद कैसे चेहरा लटक गया है तेरा....
मैन- अरे माँ आप के साथ तो में दिन रात ऐसी मेहनत कर सकता हु...
ओर इसी के साथ में माँ की कमर मे हाथ रख कर उन्हें अपनी तरफ खिंच कर छाती से लगा लेता हु....
माँ-आरेरे क्या कर रहा है दूध गिर जायेगा...
मै माँ के दूध को अपने हाथो मे लेते हुये...
मैन- चिंता मत करो माँ मैंने हाथ लगा लिया है में आपका दूध नहीं गिरने दूंगा....
माँ मुस्कुराती हुई मुझसे अलग होते हुये- हट बदमाश कही का में इस गिलास मे भरे दूध की बात कर रही हु, अपने दूध की नहि...
मै- अच्छा में संमझा की....
इससे पहले मेरी बात पूरी होती...
सोनाली : मुझे पता है की तूने क्या समझा, तेरी इस शैतान खोपड़ी मे यहि सब चलता रहता है.... ले पकड इसे और पीले मुझे बिस्तर भी सही करना है अगर शिप्रा ने देख लिया तो सब गड़बड़ हो जायेगा....
मै माँ के हाथ से गिलास ले लेता हूँ और एक ही सांस मे सारा दूध पि जाता हु...
जबकी माँ हमारी धमा चौकडी से ख़राब हुई चादर को बिस्तर से हटा कर धोने को दाल देती है और नयी चादर बिचाने के लिए ले आती है...
माँ झुक कर बेडशीट बिछाने लगती है... झुकने के कारन उनकी गांड सारी मे से उभर कर मेरी आँखों के सामने आ जाती है...
मेरे अंदर फिर से ठरक आ जाती है... में आगे बढ़ कर उनके चूतडो से अपने लंड को सटा देता हु.... और उनके चूतडो को अपने हाथों से साड़ी के ऊपर से ही मसलने लगता हु.....
सोनाली : आआह्ह्ह्हह, क्या कर रहा है.... इतना सब करने के बाद भी तेरा मन नहीं भरा...
मै- जब आप जैसी सेक्सी आइटम अपने इतने मस्त चूतडो को दीखाती है तो मन कैसे भरेगा...
ओर में अपने लंड को उनके चूतडो के ऊपर मसलने लगता हु...
सोनाली : हाय राम, तुझे शर्म नहीं आती अपनी माँ को आइटम कहते हुये.... और में अपने चुत्तड़ तुझे नहीं दिखा रही ये तो तू ही है जो मेरे चूतडो के पीछे पड़ा हुआ है...
मै- आअह्ह्ह्हह... क्या करू माँ आपके इन चूतडो का तो में दीवाना हो गया हु, पागल कर दिया है आपके चूतडो ने मुझे.... मन तो कर रहा है की अभी आपकी गांड मे अपना लंड डाल दु....
मेरा लंड भी अब अपना सर उठाने लगता है, जिसका एहसाश माँ को भी हो गया था.....
सोनाली : है भगवन तीन बार झड़ने के बाद भी इसे चैन नहीं है.... देखो कैसे खड़ा हो रहा है.... चल हट शिप्रा आने वाली होगी और मुझे और भी काम निपटाने है...
मै- अरे माँ इसे तो चैन तब आएगा जब ये आपकी गांड़ मे जायेगा....
माँ मुझे धक्का देते हुये...
सोनाली : चल हट ठरकी कही का.... हे हे ह
ओर माँ रूम से निकल जाती है और में रूम मे अपना लंड मसलता रह जाता हु....
तभी डोर वेल बजती है में उठ कर गेट खोलने जाता हु, बाहर शिप्रा थि, में साइड मे हो जाता हूँ वो अंदर आकर सीधा अपने रूम मे चलि जाती है... और में डोर लॉक करके सोफ़े पर बैठ जाता हूँ और टीवी ऑन कर लेता हु..
दोस्तो अब कहानी में नये पात्रो की एन्ट्री हो रहि है
ईशा:-उम्र-19 वर्ष मेरी बहुत अच्छी दोस्त इसके साथ अब तक सेक्स का रिश्ता नही है उसका बॉय फ्रेंड है
कुणाल :-उम्र 22 वर्ष ईशा का बॉय फ्रेंड
निर्मला आंटी:-ईशा की माँ उम्र 40 वर्ष जिन्हें मैं आंटी कहता हूं यह इस कहानी में ज्यादा नही है
बाकी पत्रों से आगे मिलता रहूंगा
अगले दिन शनिवार था सुबह सुबह मेरा फोन बज रहा था फोन देखा तो ईशा का था मैंने आपको पहले ही बताया था कि मेरी बहुत सी लड़कियों से संबंध थे पर ईशा मेरी दोस्त थी वह भी बहुत अच्छी सिर्फ दोस्त हम आपस मे बहुत क्लोज थे उसे मेरे सब लफडोके बारे में पता था हम दोनों बहुत अच्छे दोस्त हैं जो हर बात के बारे में खुले तरीके से बाते करते हैं और हमारे बीच में सेक्स सम्बन्धी बातें भी ऐसे ही होती थी जैसे कोई सामान्य बातें हो रही हों, उसे भी वयस्क फिल्में देखने का बहुत शौक था तो वो मुझसे माँगा करती थी क्योंकि मैं इन्टरनेट से डाउनलोड कर लिया करता था और उसे दिया करता था. एक दिन शनिवार को सुबह 11 बजे ईशा का फोन आया, मैं तब सो ही रहा था मैंने जैसे ही फोन उठाया तो वो चिल्लाते हुए बोली- गधे, एस एम एस का जवाब क्यों नहीं देता?
मैंने कहा- तू तो ऐसे बोल रही है जैसे तुझे पता ही नहीं मैं शनिवार और रविवार को 12 बजे तक सोता हूँ?
वो बोली- पता है लेकिन फिर भी मेरे मैसेज का जवाब देना चाहिए ना, मैसेज का जवाब दे !
और यह बोल कर उसने फोन काट दिया.
हाँ ! ऐसी ही है वो पागल !दो महीने से वह अपने गांव गई हुई थी दो दिन पहले वह वापस आगई थी
मैंने एस एम एस पढ़ा, लिखा था,”सतीश सुन ना ! कुछ बोलना था, बोलूँ क्या?”
मैंने जवाब दिया,”नहीं, मत बोल. तुझे कब से जरूरत पड़ने लगी है मुझसे कुछ बोलने के लिए?”
ईशा ने जवाब दिया,,”सुन तो ले क्या कह रही हूँ !”
मैंने कहा,”तो बोल ना गधी?”
वो बोली,”अच्छा मैसेज पर नहीं बोलती, मिल कर बताऊँगी, तू काफी शॉप पर आ जा ! जैसा है वैसा ही आ जा ! सजने-संवरने की जरूरत नहीं है, तू ऐसे ही बहुत स्मार्ट लगता है.”
मैं क्या बोलता, उसके सामने कुछ बोलने का कोई मतलब था नहीं, मैंने जवाब दिया,”ठीक है, 15 मिनट में पहुँच रहा हूँ !”
और उधर से जवाब आया- ओके.
मैं बिना नहाये बिना कपडे बदले बरमूडा और टीशर्ट में ही वहाँ पहुँच गया तो वो मोहतरमा पहले से ही पहुँची हुई थी और मेरी केपेचिनो का ऑर्डर भी दे रखा था.
मैंने कहा,”कहो, क्या हुकुम है?”
बोली,”रुक तो जा यार, पहले काफी पी ले, ठीक से जाग तो जा, फिर बात करते हैं !”
मैंने कहा,”ठीक है, ठीक है, ला दे मेरी कॉफ़ी !”
तब तक कॉफी आ गई मैंने कॉफी पी उसने उसका स्ट्राबेरी शेक.
उसके बाद मैंने कहा,”अब तो बोल, क्या हुआ? क्या बोलना था?”
ईशा फिर बोली,”क्या हुआ, बता दूँगी जल्दी क्यों मचा रखी है?”
अब मैं भड़क गया, मैंने कहा,”जल्दी मैंने मचा रखी है या तूने मचा रखी थी, जैसा मैं था वैसे हालत में मैंने तुझे बुलाया था या तूने मुझे बुलाया है, अब बता वरना मार खायेगी.”
फिर वो बोली,”ठीक है तू घर जा, मैं फोन करके बता दूँगी.”
उसके दिमाग में क्या चल रहा था मेरे समझ के बाहर था लेकिन आज मैंने उसकी आँखों में अजीब बात देखी थी, आज वो मुझ से आँखे मिलाने से कतरा रही थी, हर बार जब मैं उससे कुछ भी पूछता कि क्या कहना था तो वो शरमाए जा रही थी.
मैंने उसे कहा,”सुन जरा !”
वो बोली,”क्या?”
मैंने कहा,”इधर देख !”
उसने ऊपर देखा तो मैंने कहा,”आज मुझे ही ऐसा लग रहा है या तू सच में शरमा रही है?”
मेरी बात सुन कर वो लाल सी हो गई और शर्माते हुए बोली,”मैं घर जा रही हूँ तुझे घर जा कर फोन करती हूँ.” .
वो उठ कर जाने लगी तो मैंने पीछे से उसके बाल पकड़े और उसके चेहरे को मेरे चेहरे के सामने लाकर कहा,”अब बताएगी हुआ क्या है !!! नहीं तो मैं तुझे नहीं जाने दे रहा हूँ.”
उसके बाल पकड़ कर इस तरह कुछ पूछना मेरे लिए बिलकुल सामान्य बात थी और कैफे वालों के लिए भी क्योंकि इसके पहले भी हम लोग इस तरह की बातें करते रहे हैं.
पर आज जब मैंने उसे पकड़ा तो वो पहले तो चौंक गई फिर मेरे और पास में आ गई और उसने आँखे बंद कर ली, ऐसा उसने पहले कभी नहीं किया था तो इस बार मैं चौंक गया.
मैंने उसे कहा,”जागो मैडम कहा हो तुम?”
तो उसने आँखे खोली मेरी तरफ देखा और मेरे दाएँ गाल को उसने चूम लिया.
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी.
तभी मेरे फोन पर उसका एक मैसेज आया !
बाकी क्या हुआ वो अगले भाग में… तब तक के लिए इन्तजार करें !
मैं कुछ कहता या समझता वो उसके पहले ही कैफे से बाहर थी, मैं मेरे गाल को सहला रहा था और बिल माँगा तो पता चला कि आज मोहतरमा पहले ही पैसे दे कर जा चुकी थी.
तभी मेरे फोन पर उसका एक मेसेज आया.
मैंने मैसेज देखा तो वो खाली था, मैं समझ नहीं रहा था कि आखिर चाहती क्या है वो? मुझे डर भी लग रहा था कि कहीं उसे मुझसे प्यार तो नहीं हो गया ना.
मैंने उसे जवाब दिया,”आई होप यू आर नॉट इन लव विद मी. (मैं यह उम्मीद कर रहा हूँ कि तुझे मुझ से प्यार नहीं हो गया है.)
उसने अंग्रेजी में ही जवाब दिया था, मैं हिन्दी में लिख रहा हूँ, उसने जवाब दिया,”नहीं, बिल्कुल नहीं.”
तभी फिर से उसका मैसेज आया जिसमें लिखा था,”मुझे सेक्स करना है.”
मैंने कहा- ठीक है तो कर ले न ! कुणाल तो पागल हुआ पड़ा है पहले से ही.
कुणाल उसका बॉय फ्रेंड था.
वो बोली,”कुणाल से नहीं, मुझे तेरे साथ करना है !”
अब मेरे लिए बात और चौंकने की थी, उसका बॉयफ्रेंड था, मुझसे ज्यादा अच्छा दिखता था, दोनों एक दूसरे को प्यार करते थे, फिर वो मेरे साथ क्यों सेक्स करना चाहती थी.
मैंने जवाब दिया,”मजाक बहुत हो गया, मैं घर जा रहा हूँ.”
तो उसका मैसेज आया,”तू मेरे घर आ जा, यही बात करते हैं.”
मैं कैफे से बाहर निकला और उसके घर पहुँचा, आंटी से पूछा,”कहा है वो गधी?”
आंटी ने मुझे देखा बोली,”य क्या हाल बना रखा है तूने सतीश?”
मैंने कहा,”क्या कहूँ आंटी ! मैडम का हुकुम था कि जैसे हो वैसे ही आ जाओ, तो आ गया !”
आंटी बोली,”कितना परेशान करती है यह लड़की तुझे ! जा वो अपने कमरे में ही है, तुझे अंदर ही बुलाया है उसने ! जा चला जा और नहा भी लेना ! तब तक मैं नाश्ता बनाती हूँ तेरे लिए !”
यह हम दोनों के लिए सामान्य बात थी कि एक दूसरे के घर रुक जाना और इस वजह से हमारे कपड़े भी एक दूसरे के घर पर पड़े रहते थे.
मैं अंदर गया तो वो मेरा ही इन्तजार कर रही थी, मेरे अंदर जाते ही मुझ पर भड़क गई,”इतने देर से यहाँ है और अंदर आने में इतनी देर लगा दी?”
जबकि मैंने आंटी से सिर्फ एक मिनट बात की थी पर मैडम को भड़कने के बहाने चाहिए होते हैं बस.
मैंने उसे कहा,”वो छोड़ और यह बता कि यह क्या लफड़ा है? कुणाल तुझे इतना प्यार करता है, तू उसे इतना प्यार करती है, शादी भी करना चाहता है वो तुझ से और तू….?”
मैं कहते कहते रुक गया.
वो मेरे पास आई अपने चेहरे को मेरे चेहरे के पास ला कर बोली,”हाँ मुझे तेरे साथ ही करना है और आज ही करना है ! समझ गया?”
मैंने फिर कहा,”तू पागल …”
लेकिन मेरी बात उसने पूरी नहीं होने दी और उसने मेरे होंठों पर होंठ रख दिए और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया. मैं कुछ समझ ही नहीं पा रहा था कि क्या करूँ !
कुछ सेकंड तक तो मैं संशय में था और फिर मैंने भी उसे चूमना शुरू कर दिया और थोड़ी देर तक हम दोनों ही एक दूसरे को इस तरह से चूमते रहे.
फिर जब हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए तो मैंने उससे सॉरी कहा तो बोली,”कट द क्रेप यार, तू यह बता कि क्या मैं तुझे उन लड़कियों की तरह सेक्सी और माल नहीं लगती जिन सबके साथ तूने सब कुछ किया है?”
मैंने कहा,”लेकिन मैंने आज तक तेरे बारे में कभी ऐसा सोचा नहीं है यार !”
वो तपाक से बोली,”तो अब सोच ले !”
तभी नीचे से आंटी की आवाज आई,”नाश्ता तैयार है बेटा, तू पहले कुछ खा ले ! यह तो तेरी जान खाती ही रहेगी दिन भर !”
मैंने कहा,”बस अभी आता हूँ आंटी !”
और मैंने ईशा को उठा कर उसके ही कमरे से बाहर किया और उसके बाथरूम में घुस गया.
इससे पहले कभी मैंने यह नहीं सोचा था कि ईशा भी एक सेक्सी सुन्दर और गजब की लड़की है लेकिन उस दिन जब मैंने उसकी बात सुनी और यह सब हुआ तो मैंने इस तरफ ध्यान दिया और पाया कि वो कितनी गजब की सुन्दर है, 23 साल की उम्र, कमर तक लम्बे रेशमी बाल, भरे हुए गाल, बड़ी बड़ी काली आँखें, प्यारी तीखी नाक, पतले पतले होंठ, होंठ पर दाईं तरफ एक काला तिल, चेहरे पर कोई भी दाग नहीं, रंग ऐसा जैसे बस अभी अभी दूध से नहा कर निकली हो, नाजुक इतनी कि जोर से पकड़ लो तो खून निकल आये, प्यारे प्यारे स्तन, पतली कमर, बड़े नितम्ब और चिकनी टाँगें…. ये सब मैंने पहले भी देखा था कई बार हम दोनों एक ही बिस्तर पर भी सो गए थे पढ़ते हुए लेकिन उस दिन से पहले इस तरह से उसके बारे में मैंने कभी नहीं सोचा था और उस दिन किसी और तरह से सोच ही नहीं पा रहा था.
मैं यह सब सोच कर रोमांचित भी हो रहा था और तभी बाथरूम के दरवाजे पर जोर जोर से खटखटाने की आवाजें आने लगी.
मैंने पूछा,”क्या हुआ?”
तो बाहर से ईशा की आवाज आई,”मुझे नहीं मालूम था कि गधे नहाने में इतना वक्त लेने लगे हैं.”
मैं अभी तक पूरे कपड़ों में था, मैंने दरवाजा खोला उसे देखा और कहा,”सोच रहा था तो नहा ही नहीं पाया.”
वो बोली,”क्या सोच रहा था?”
मैंने कहा,”वो ही सब जो आज तक नहीं सोचा.”
मेरी बात सुन कर वो शरमा सी गई, उसने मेरे कपड़े पलंग पर रखे और ‘माँ बुला रही है’ कहते हुए नीचे भाग गई.
मैं जल्दी से नहाया, कपड़े पहने और नीचे पहुँचा, तो ईशा आंटी का सर खा रही थी, उसका कहना था कि उसे कहीं जाना है और आंटी कह रही थी कि न उनके पास समय है ना अंकल के पास तो उसे अभी रुकना पड़ेगा.
यह सुन कर ईशा आंटी से बोली,”देखो माँ, मुझे आज ही घूमने जाना है, यह तुम भी जानती हो और पापा भी मैंने तीन दिन से कहा हुआ है कि मुझे महाबलेश्वर जाना है और मैं जाऊँगी, अगर आप लोग लेकर नहीं गए तो मैं अकेले चली जाऊँगी. समझ गए ना?”
यह सुनकर आंटी बोली,”तुझे अकेले तो मैं नहीं जाने दूँगी.”
ईशा तपाक से बोली,”तो अकेले मैं भी कहाँ जाने वाली हूँ ! यह गधा किस दिन काम में आएगा?”
और उसने उंगली मेरी तरफ उठा दी.
यह बात सुन कर आंटी बोली,”ठीक है, पापा से पूछ ले और साथ में ड्राईवर को भी ले जाना ! वो गाड़ी चला लेगा !”
पर ईशा ने ड्राईवर के लिए सीधे मना कर दिया और बोली,” मैं आयशा को साथ में लेकर चली जाऊँगी गाड़ी चलाने के लिए पर नो ड्राईवर !”
मेरे ऊपर भड़कते हुए बोली,”गधे, तू कार चलाना क्यों नहीं सीख लेता?”
मैंने कहा,”तू है न उसके लिए मेरी ड्रायवर ! और ना मुझे तब कार चलाना आती थी ना अभी आती है”
चूंकि मेरे साथ जा रही थी तो अंकल को ना तो करना ही नहीं था सो हमने सामान पैक किया और दोपहर करीब दो बजे पुणे से महाबलेश्वर के लिए ईशा की कार से निकल गए.
ईशा ने घर से निकलते वक्त काले रंग का सूट पहना था और उस सूट में वो गजब की दिख रही थी और मेरी निगाहें भी आज बदल चुकी थी उसके लिए तो और गजब की दिख रही थी वो !
ईशा के घर से निकल कर हम मेरे घर गए, वहाँ मैंने अपने कपड़े पैक किए और लोअर और टी शर्ट पहन कर माँ को बताया मैं दोस्तो के साथ महाबलेश्वर जा रहा हु घूमने जल्दी हम लोग घर से निकल गए वरना शिप्रा भी जिद करके साथ आती
थोड़ी ही देर बाद हम लोग कात्रज पार कर चुके थे, यह पहली बार था कि हम इतनी देर चुप रहे साथ होने पर भी !
और जैसे ही कात्रज घाट पार किया, मैंने कहा,”आयशा को नहीं लेगी क्या? उसका घर तो पीछे रह गया !”
ईशा मुस्कुरा कर बोली,” तू सच में गधा है, हमारे साथ कोई और नहीं आ रहा है ! सिर्फ हम दोनों हैं, समझा…?”
“मतलब यह सब तू पिछले तीन दिन से प्लान कर रही है?” मैंने पूछा.
उसने मुंडी हिलाई और बोली,”हाँ !”
मैंने कहा- ठीक है, आगे से वाइन ले लेंगे !”
तो बोली,”नहीं, यह मैं नशे में नहीं करना चाहती, आई वान्ट टू लूज़ माई विर्ज़िनिटी इन मैइ फ़ुल सेन्सेज़ ! आई वान्ट टू फ़ील एवेरी मूमेंट ऑफ़ इट !( मैं अपना कौमार्य पूरे होश में खोना चाहती हूँ, मैं इसका हर पल महसूस करना चाहती हूँ)
मैंने कहा,”तू सच में यह करना चाहती है?”
बोली,”तो तुझे अभी तक यकीन नहीं हुआ क्या?
उसने कार सड़क के किनारे रोक दी और आगे बढ़ कर मेरे होंठों को चूमने लगी और मेरा दायाँ हाथ अपने सीने की बाईं गोलाई पर रख दिया और बोली- फील कर इसको !
“एण्ड यू आर नॉट इन लव विद मी?” (और तुझे मुझ से प्यार नहीं हुआ है?) मैंने कहा.
वो बोली,”हाँ पागल ! नहीं हुआ है, अब चले नहीं तो यही रात हो जायेगी.”
मैंने कहा,”चल !”
और फिर बात करते हुए मैंने उसे बताया कि आज पहली बार मैंने उसे उस नजर से देखा तो वो फिर से शरमा गई.
मैंने उससे कई बार पूछा कि वो यह कुणाल के साथ क्यों नहीं करना चाहती, पर उसने मेरे कई बार पूछने के बाद भी मुझे यह नहीं बताया और बोली- हम वहाँ पहुँच कर ही बात करेंगे ना !
हम करीब छः बजे शाम को महाबलेश्वर पहुँचे… वहाँ पर अंकल ने पहले ही दो कमरे बुक करा रखे थे तो हमें होटल की कोई दिक्कत नहीं थी. हम लोगों को होटल वालों ने दोनों कमरे दिखाए और जैसे ही बैरा कमरे से बाहर निकला, ईशा बिना कुछ कहे कूद कर मेरे ऊपर चढ़ गई और उसने बेतहाशा मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया.
वो पूरी तरह से मुझ पर चढ़ी हुई थी, मेरी कमर पर उसने दोनों टांगे लपेट रखी थी और उसके दोनों हाथों को उसने मेरी गर्दन के गिर्द लपेट रखा था, वो जैसे ही ऊपर चढ़ी तो मैंने भी दोनों हाथों का सहारा दे दिया था उसे और मैं भी उसके साथ चुम्बनों का मजा ले रहा था, साथ ही साथ मेरे हाथ ईशा की पैंटी की महसूस कर रहे थे, मैंने ऐसे ही ईशा को अपनी बाहों में भरे हुए ही बिस्तर पर लेटा दिया और मैं खुद उसके ऊपर लेट कर उसे चूमने लगा और एक हाथ उसके सर के नीचे ले जाकर उसके बालों से खेलने लगा.
मेरा लंड लोअर के अंदर था पर पूरी तरह से ईशा की फैली हुई टांगों के बीच चूत पर टकरा रहा था और वो भी इस सब का पूरा मजा ले रही थी.
हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चूम रहे थे और कभी मैं ईशा की जीभ चूस रहा था और कभी वो मेरी ! इसी बीच मेरे दूसरे हाथ से मैंने ईशा का एक स्तन दबाना शुरू कर दिया जिससे उसे और मजा आने लगा.हम दोनों इसी तरह से काफी देर तक एक दूसरे को चूमते और चूसते रहे और फिर मैंने घुटनों के बल बैठ कर ईशा को उठा कर अपनी गोद में बैठा लिया, उसकी दोनों टांगें फैल कर मेरी कमर को लपेटे हुए थी और उसकी चूत मेरे लंड पर टकरा रही थी.
मैंने उसकी कुर्ती उतारने की कोशिश की तो उसने अपने दोनों हाथ ऊपर कर दिए और मैंने बड़े ही आराम से उसकी कुर्ती उतार दी. कुर्ती के नीचे उसने एक काले रंग की शमीज पहनी हुई थी और उसके अंदर एक काले ही रंग की ब्रा भी थी जिसके किनारे समीज के किनारों से दिख रहे थे.
मैंने जब शमीज उतारने की कोशिश की तो बोली- अभी नहीं, इसे बाद में उतारना प्लीज…
और मैंने उसकी बात मान कर उसकी शमीज छोड़ दी और उसे गर्दन पर चूम लिया, जवाब में उसने भी मुझे गालों पर चूमा और मेरे सर को अपने वक्ष पर रख कर मुझे कस के पकड़ा और उसकी चूत को मेरे लंड पर दबा कर उसे महसूस करने लगी.
अद्भुत था वो अहसास भी !
वो मेरे लंड को महसूस कर रही थी, मैं उसकी शमीज की नीचे उसकी चिकनी कमर को महसूस कर रहा था और उसके उसके कंधों को उसके बालों सहित सहला रहा था. ना वो हिल रही थी ना मैं हिल रहा था सिर्फ एक दूसरे को पूरी तरह से महसूस कर रहे थे कपड़ो को ऊपर से ही.
थोड़ी देर हम ऐसे ही रहे, फिर उसने मुझे ढीला छोड़ा, मेरे होंठों को एक बार चूमा और बिस्तर पर लेट गई और सलवार की तरफ इशारा करते हुए बोली- इसे उतार ना !
मैंने उसकी सलवार के साथ ही उसकी पैंटी भी उतारने की कोशिश की तो बोली- नहीं, सिर्फ सलवार ! पैंटी नहीं प्लीज…
मैं क्या कहता, मुझे उसकी बात माननी ही थी… तो मैंने एक ही झटके में उसकी सलवार उतार दी.
जब मैंने उसे सलवार उतरने के बाद देखा तो मैं एक बार तो देखता ही रह गया… दो चिकनी टांगों के बीच एक प्यारी सी काली पैंटी ने चूत को ढक रखा था और उसकी काली शमीज ईशा की पूरी खूबसूरती में चार चाँद लगा रही थी.
गजब की खूबसूरत लग रही थी वो…
मैं सिर्फ उसे देखते ही रह गया और मेरी नजरों के कारण वो शरमा सी गई, उसने दूसरी तरफ चेहरा कर लिया और मुझसे बोली,”प्लीज यार, ऐसे मत देख, शर्म आती है.”
दोस्तो, यकीन मानो एक लड़की जितनी बिना कपड़ों के सेक्सी हो सकती है उससे ज्यादा सेक्सी वो कम कपड़ों में लगती है !
कम से कम मुझे तो लगती है ! और यह बात ईशा को बहुत अच्छे से पता थी.
मैं कुछ सेकंड तक उसे और देखता रहा और फिर मैंने उसकी पैंटी उतारने की कोशिश की तो वो बोली- नहीं, इसे मत उतार.
मैंने कहा,”अब मत रोक, नहीं तो तेरा देह शोषण हो जायेगा मुझसे !”
वो बोली,” ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन….”
“लेकिन क्या?”
वो बोली,” ऐसा कुछ नहीं होगा लेकिन मैं चाहती हूँ मेरी जो इच्छा है वो हर इच्छा पूरी हो तो प्लीज मान जा और अगर तुझे करना ही है तो मैं रोकूँगी नहीं.”
उसकी आँखों में अजीब सी कशिश और उदासी थी यह कहते हुए ! मैंने आज तक उसे कभी उदास नहीं होने दिया, उसकी हर इच्छा चाहे कितनी ही बेवकूफी भरी क्यों ना हो, मैंने पूरी की थी तो इस बात के लिए उसकी बात ना रखता ऐसा हो ही नहीं सकता था.
मैंने कहा,”तो रो क्यों रही है इतनी सी बात के लिए? बता क्या इच्छा है?”
वो बोली,” आई वान्ट यू टू मेक मी कम वंस इन दिस कण्डीशन, नो मोर क्लोथ रिमूविंग ! ( मैं चाहती हूँ कि तू मुझे इसी हालत में एक बार चरम-सुख दिलाए, बिना और कोई कपड़ा उतारे) ना तेरे ना मेरे !”
मैंने कहा,”ऐसा क्यों?”
तो बोली,” मेरी यही इच्छा है ! कैन यू डू इट (क्या तू कर सकता है) ?”
मैंने कहा,”अगर मैं यह नहीं कर सकता तो वो भी तेरे लिए, तो मैं कुछ नहीं कर सकता !”
और मैंने कपड़े के ऊपर से ही उसकी गीली हो चुकी चूत को चूम लिया, एक मदमस्त कर देने वाली गंध आ रही थी उसमें, मैंने उसकी चूत में एक बार तो मेरा चेहरा गड़ा ही दिया था.
फिर मैं थोड़ा ऊपर आया उसके पेट को उसकी शमीज से ढका और कपड़े के ऊपर से उसकी नाभि में मेरी जीभ चलाने लगा…
मेरी इस हरकत से वो मचल से गई..
थोड़ी देर तक मैं यही करता रहा और वो मचलती रही. इस बीच मेरे हाथ उसकी दोनों चिकनी टांगों पर फिसल रहे थे, मैं उसकी चिकनी टांगों पर से हाथ ही नहीं हटा पा रहा था. और फिर मैं थोड़ा और ऊपर आया और उसके वक्ष पर हाथ चलाने लगा और उसके बाद कपड़ों के ऊपर से ही मैंने उसके एक चुचूक को चूसना शुरू कर दिया…
मैं सिर्फ चुचूक को चूस रहा था और दूसरे हाथ से मैं उसके दूसरे चुचूक को सहला रहा था, नीचे मेरा लंड ईशा की चूत से टकरा रहा था और वो चिल्ला रही थी- प्लीज सतीश, सहन नहीं हो रहा ! कुछ कर ना ! प्लीज सतीश, मैं पागल हो जाऊँगी प्लीज….
और मैंने उसका बायां चुचूक होंठों से चूसना शुरू कर दिया और दायें पर उंगलियाँ चलाने लगा .. नीचे से मेरा लंड उसकी चूत को धक्के लगा ही रहा था और ईशा भी नीचे से अपनी चूत को उठा कर मेरे लंड का पूरा साथ दे रही थी.
मैं जानता था कि अब यह ज्यादा देर तक टिक नहीं पाएगी पर फिर भी थोड़ी देर मैं उसके चुचूक को ही चूसता रहा.
अब वो नीचे से और ज्यादा धक्के लगा रही थी, उसकी टांगों ने मेरी कमर को पूरी तरह से लपेट रखा था, वो अपने हाथों से मेरे सर को इस तरह से दबा रही थी कि मैं उसके चुचूक की बजाय उसके पूरे स्तन को मेरे मुँह में भर लूँ पर मेरा इरादा सिर्फ उसके चुचूक चूसने का ही था.
साथ ही साथ वो चिल्लाती जा रही थी- सतीश प्लीज ! अब नहीं सहन हो रहा, प्लीज जल्दी कुछ कर ! अगर ऐसे नहीं हो सकता तो उतार दे मेरे पूरे कपड़े और चोद दे मुझे ! पर अब और तड़पा मत मुझे, और नहीं सहन कर सकती यार…
मैंने उसके चुचूक से मुँह हटाया और ईशा के चेहरे की तरफ देखा तो उसकी पलकों के किनारे भीगे हुए थे.
यह देख कर मैं और रुक नहीं सकता था मैंने उसको चुचूक को छोड़ा और मेरे होंठों को सीधे उसकी चूत पर लगा दिया, इसके लिए मैंने ईशा की पैंटी नहीं उतारी पर उसे हाथों से खींच कर एक तरफ कर दिया था.
मैंने अपने होंठों से उसकी चिकनी बिना बालों वाली गीली चूत को चूसना शुरू कर दिया और एक उंगली से उसके दाने को हल्के से सहलाना शुरू कर दिया…
उसने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत में और जोर से दबा लिया, और मेरे सीने को उसकी टांगों में जकड़ लिया था, मैंने इस तरह से उसे थोड़ी ही देर चूसा होगा कि उसका बदन अकड़ने लगा और वो झड़ने लगी.. उसके मुँह से कोई आवाज नहीं निकल रही थी सिवाय आनन्द से भरी आह के…
वो काफी देर तक झटके मार मार कर झड़ती रही और मैं उसे चूसता रहा..
जब वो पूरी तरह से झड़ कर पस्त हो गई तो उसने मुझे ढीला छोड़ा…
मैं हटा तो मैंने देखा वो पूरी तरह से पस्त हो चुकी थी, पसीने में लथपथ और वो जरा भी हिल नहीं रही थी थकावट के कारण !
मुझे लगा कि वो अब सो ही जायेगी.
मैं अभी तक बाकी ही था लेकिन उसकी ऐसी हालत देख कर उसे कुछ भी कहना मुझे ठीक नहीं लगा तो मैं उठ कर बाथरूम जाने लगा मैंने सोचा वहाँ मुठ मार लूँगा और इस प्यारी सी गधी को अभी सोने दूँगा लेकिन मैं जैसे ही जाने लगा तो वो बोली- रुक यहाँ आ मेरे बगल में लेट.
मैंने कहा- ठीक है !
और मैं उसके बगल में जाकर लेट गया, वो बोली- कम्बल भी ओढ़ ले ! ठण्ड लग रही है अब मुझे.
मैं उसके बगल में कम्बल ओढ़ कर लेटा तो वो मेरे कंधे पर सर रख कर मुझ से चिपक कर लेट गई और उसने मेरे लोअर में हाथ डाल कर मेरे लंड को पकड़ लिया, फिर बोली,”तू बाथरूम मत जा, प्लीज मुझे थोड़ा सा वक्त दे दे प्लीज !”
गजब की सुंदर और प्यारी लग रही थी वो और फिर मेरा भी मन नहीं किया उसे छोड़ कर जाने का तो मैंने भी मुठ मारने का इरादा छोड़ कर उसे और पास लेकर कर उसकी बाँहों को सहलाने लगा.
पिछली पूरी रात भर दफ्तर में काम किया था तो नींद पूरी हुई नहीं थी तो कब मुझे भी नींद लग गई मुझे पता ही नहीं चला…
मेरी नींद लगभग एक घंटे बाद खुली और उसका कारण यह था कि ईशा मेरे लोअर को नीचे कर के मेरे लंड को चूस रही थी, इसे महसूस करके मेरा हाथ उसके सर को सहलाने लगा…
जब उसने देखा कि मैं जाग गया हूँ तो वो मुझ से बोली- पंलग के बीच में आ जा ना…!
मैं बिना कुछ कहे पलंग के बीच में खिसक गया. इसके बाद उसने मेरे हाथों को पकड़ कर मुझे ऊपर उठाया और मैं थोड़ा ऊपर उठ गया, मेरे ऊपर उठते ही उसने मेरी टीशर्ट बनियान के समेत निकाल दी.
वो अभी भी उसी काली शमीज और पैंटी में थी और अब मैं उसके सामने सिर्फ लोअर में था वो भी आधे लोअर में.. मुझे लगा यह अभी लोवर भी निकालेगी लेकिन उसका ऐसा कोई इरादा नहीं था.
उसने मेरे लंड को फिर से मुँह में लिया और चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक ईशा मेरे लंड को बिल्कुल ऐसे चुस्ती रही जैसे लोलीपॉप चूस रही हो, उसका इस तरह से लंड चूसना मुझे बहुत आनंद दे रहा था, वो मेरा लंड चूसती रही और मैं उसके सर को सहलाता रहा.
थोड़ी देर तक उसने इसी तरह से मेरा लंड चूसा और फिर मुँह निकाल कर वो मेरी नाभि को चूसने लगी… उसके नाखून मेरी पेट के दोनों तरफ के किनारों कमर पर बेल्ट से ऊपर की जगह हल्के से गड़ रहे थे और मैं तड़प रहा था आनंद के कारण.
उसके बाद ईशा ने मेरे पेट को चूमते हुए मेरी कमर का एक किनारा दांतों में दबा कर चूसना शुरू कर दिया. थोड़ी देर तक वो दायें किनारे को चूसती रही और उसके बाद वो मेरी कमर के बायें हिस्से को चूमने और चूसने लगी…
इससे पहले मेरे साथ ऐसा कभी किसी लड़की या औरत ने नहीं किया था तो मैं आनन्द के आसमान पर था. .
उसके बाद वो नीचे की तरफ खसकी और मेरे लंड के दोनों किनारों को जांघों की जुड़ने वाली जगह पर बारी बारी से चूमने लगी और हर बार वो हल्के से काट भी लेती थी… आनंद इतना ज्यादा था कि मुझे लगा कि मैं और नहीं रुक पाऊँगा और मेरे मुँह से भी अब सिसकारियाँ निकलने लगी थी…
जब ईशा ने मेरी सिसकारियों को सुना तो उसने मेरे लंड की चमड़ी को खिंच कर पलटा और फिर से मेरे लंड को चूसने लगी.
अब मैं ज्यादा देर टिकने की हालत में नहीं था, मुझे लगा मैं छूटने वाला हूँ तो मैंने उसे कहा,”ईशा, मैं छूटने वाला हूँ !”
मेरी बात सुन कर उसने अपना मुँह हटा लिया और और हाथों से लंड सहलाते हुए बोली,” इज़ इट ओके फ़ोर यू इफ़ आई डोन्ट ड्रिन्क इत ओर आई डोन्ट टेक इट ओन माई फ़ेस? ( अगर मैं इस ना पीऊँ और चेहरे पर भी ना लूँ तो तुझे कोई दिक्कत तो नहीं है?)
मैंने इशारे में हाँ कहा तो उसने बिस्तर पर ही पड़ा हुआ तौलिया मेरे लंड पर रखा मेरे बगल में लेट कर मेरे होंठों को चूसने लगी और तेजी से मेरी मुठ मारने लगी.. मैंने उसके एक स्तन को कस कर पकड़ लिया और कुछ ही सेकंड में मैं चीख चीख कर झड़ने लगा… मेरे सारा वीर्य उछल कर तौलिए, मेरे लोअर और मुझ पर फ़ैल गया.
मैं जब तक झड़ते हुए झटके मारता रहा, वो मेरे होंठों को प्यार से चूमती रही और मेरे लंड को उसके हाथों में थामे रही.
उसके बाद मुझसे बोली,” डिड आई डू नाईसली?”(क्या मैंने अच्छे से किया)
मैंने कहा,”हाँ बहुत अच्छे से !”
जब मैं पूरी तरह से झड़ गया तो उसने मेरा लंड छोड़ा, तौलिया उठाया उससे अपना हाथ पौंछा, मेरी जांघों पर जो मेरा वीर्य गिर गया था उसे तौलिए से साफ़ किया और फिर मेरे माथे को चूम लिया.
मैं उसे देख ही रहा था, वो बोली- चल जल्दी तैयार हो जा ! हम लोग घाट पर घूमने जा रहे हैं और उसके बाद खाना खायेंगे और… !
वो कहते कहते रुक गई…
मैंने पूछा,”और क्या….?”
खाना खाकर हम वापस आगये
कमरे में पहुँच कर ईशा ने अपना बैग उठाया और मुझे कहा- तू टीवी देख और जब मैं मैसेज करूँ तो मेरे कमरे में आ जाना !
मैंने कहा- अब मैं कही नहीं जाने दूंगा तुझे और मैं टीवी नहीं देखता तू भी जानती है.”
वो बोली- प्लीज यार मान जा ना ! थोड़ी देर की बात तो और है ! मैं बुलाती हूँ ना तुझे !
मुझे मालूम था कि यह लड़की और कुछ सोच कर आई है, मैंने कहा- ठीक है, जा !
और मैंने फ़िर से लोअर और टीशर्ट पहन लिया और मैं मोबाइल पर ऑरकुट पर दोस्तों से बात करने लगा. मैंने करीब आधे घंटे तक ऑरकुट पर एक एक सेकंड गिन कर बिताया होगा कि तभी ईशा का मैसेज आया- आ जा मेरे कमरे में ! दरवाजा खुला है, तू आकर बंद कर देना.
मैंने अपने कमरे को ताला लगाया और उसके कमरे की तरफ गया, उसने दरवाजा खोल ही रखा था, मैं अंदर गया तो सारी रोशनी बंद थी पर कमरे में गुलाब की खुशबू फैली हुई थी. मैंने दरवाजा बंद किया और बत्ती जलाई तो मैं ईशा को देख कर दंग ही रह गया…
उसने एक पारदर्शी लाल साड़ी पहन रखी थी और साड़ी के नीचे ना ही ब्लाउज था ना ही पेटीकोट पर सिर्फ लाल रंग की ही ब्रा और पैंटी पहनी हुई थी जो साड़ी के बाहर से ही दिखाई दे रहे थे, रेशमी बालों से उसने एक जूड़ा बना रखा था जिस पर गुलाब का एक फूल लगा हुआ था, गुलाब मुझे बहुत पसंद है लम्बे बालों वाली लड़कियों पर, आँखों में हल्का सा काजल और होंठों पर लाल लिपस्टिक लगा रखी थी… माथे पर लाल बिंदिया !
कुल मिला कर उसका रूप ऐसा लग रहा था मानो कोई अप्सरा जमीन पर ही उतर आई हो.
ईशा को ऐसे देख कर उस आधे घंटे के हर सेकंड की कीमत पूरी तरह से वसूल होते हुए लगी.
मैं थोड़ी देर तक तो बस उसे निहारता ही रहा…
और वो बोली- ऐसे क्या देख रहा है? मेरे पास नहीं आएगा क्या?
मैंने कहा- सोच रहा हूँ, पास आया तो तुझे बाँहों में भर लूँगा और तू इतनी सुंदर लग रही है कि डर है तुझे छू लूँ तो तू गन्दी ना हो जाये कहीं?
मेरी बात सुन कर वो मेरे पास आई और उसने मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे होंठों को चूमने लगी..
और मैंने भी उसे बाँहों में भर कर उसका साथ देना शुरू कर दिया.
हम दोनों थोड़ी देर तक ऐसे ही एक दूसरे को चूमते रहे, फिर मैंने उसे उठाया और बिस्तर पर ले जाकर लिटा दिया, मैं उसके ऊपर लेट गया.
जब उसे बिस्तर पर लिटाया तो एक और आश्चर्य मेरा इन्तजार कर रहा था, बिस्तर पर उसने दूसरी चादर बिछा रखी थी सिल्क फिनिश वाली साटन के कपड़े की, और तभी मैंने ध्यान दिया कि एक वैसी ही चादर और रखी हुई थी.
मैंने उसे देखा और पूछा- तू यह सब कब से प्लान कर रही थी?
तो वो आँखे मटका कर मुस्कुराते हुए बोली- कई दिनों से !
“कई दिन ! मतलब?”
वो बोली- सच कहूँ तो जब रितु ने मुझे बताया कि तूने उसे उस दिन कैसे पागल कर दिया था, तब से मेरा भी बहुत मन हो रहा था तो मैंने सब प्लान करना शुरू कर दिया.
उसकी बात सुन कर मैं मचल गया, वो मेरी बाँहों में तो थी ही, मैंने उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके स्तनों को सहलाना शुरू कर दिया, मैंने कहा- तो मोहतरमा की और कोई इच्छा है जिसमें कुछ खास हो या सिर्फ एक ही इच्छा थी?
तो वो बोली- है पर बाकी बाद में बताऊँगी लेकिन अभी की इच्छा यही है कि अब तू मुझे जैसे चाहे वैसे कर ! पर मेरा कौमार्य भंग होने के बाद तू तेरे इसको बाहर निकाल कर मेरी चूत का खून मुझे दिखायेगा.
“पर तुझे दर्द होगा बार बार अंदर-बाहर करने में !” मैंने कहा.
बोली- एक ही बार तो होगा ना? और यह मेरी इच्छा है ! अब कर ना !
उसकी बात सुन कर मुझे और जोश आ गया, मैंने उसकी साड़ी को पहले उसके सीने पर से हटा दिया और फिर कमर पर भी साड़ी की गांठ खोल दी और फिर उसकी पूरी साड़ी उसके बदन से अलग कर दी.
अब वो सिर्फ लाल रंग की पैंटी और ब्रा में थी जिसमें से उसके स्तन बाहर निकलने को बेचैन हो रहे थे.
मैंने ईशा को हल्का सा ऊपर उठाया और पीछे से उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा, और फिर उसकी तरफ देख कर मैंने उससे कहा- अब तो निकाल सकता हूँ ना?
अब वो सिर्फ लाल रंग की पैंटी और ब्रा में थी जिसमें से उसके स्तन बाहर निकलने को बेचैन हो रहे थे.
मैंने ईशा को हल्का सा ऊपर उठाया और पीछे से उसकी ब्रा के हुक को खोलने लगा, और फिर उसकी तरफ देख कर मैंने उससे कहा- अब तो निकाल सकता हूँ ना?जब हम दोनों अलग हुए तो दोनों पसीने से भीगे हुए थे जबकि कमरे में एसी चल रहा था.
ईशा ने कहा- मैं बाथरूम हो कर आती हूँ !
वो उठने लगी तो दर्द के मारे उससे उठते नहीं बन रहा था.
मैंने उसे कहा- रुक !
और मैंने ईशा को गोद में उठाया और बाथरूम में लेकर गया. उसने जब पेशाब करना शुरू किया तो पेशाब के साथ थोड़ा खून भी आया, उसे देख कर ईशा बोली- यह कब तक आता रहेगा?
मैंने कहा- सिर्फ पहली बार है बाबू ! उसके बाद नहीं आएगा, चिंता मत कर.
पेशाब करने के बाद उसे काफी आराम मिला.
हम दोनों बाहर आ गए पर मुझे तेज भूख और प्यास लगने लगी थी, मैंने ईशा को बताया तो वो बोली- मुझे भी भूख लगी है.
रात को बारह बजे खाने के लिए बोलना तो मुश्किल ही था लेकिन ईशा इसकी भी तैयारी करके आई हुई थी.
उसने मुझे बताया कि बैग में उसने आधा किलो गुलाब जामुन का डिब्बा और साथ ही नमकीन भी रखा है.
पानी कमरे में तो था ही, हमने रास्ते के लिए जो पानी रखा था वो भी था तो पानी की कमी भी नहीं थी और खाने की भी नहीं.
हम दोनों गुलाब जामुन और नमकीन के बड़े शौक़ीन हैं तो हमने साथ में गुलाबजामुन खाए और नमकीन भी..
कभी कभी यह भी हुआ कि मेरे मुँह का गुलाब जामुन मेरे मुँह से लेकर उसने खा लिया और उसके मुँह का गुलाब जामुन मैंने खा लिया.
हम दोनों इसी तरह से खाते हुए भी एक दूसरे से प्यार कर रहे थे और प्यार से खिला रहे थे.
जब हम दोनों भरपेट खा चुके तब तक मैं फिर से तैयार हो चुका था और शायद ईशा भी तैयार ही थी.
ईशा ने पानी पिया और वो कुल्ला करने के लिए बाथरूम में चली गई और उसके बाद मैं भी कुल्ला करने बाथरूम में आ गया.
मैं कुल्ला कर रहा था तो ईशा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, अपने सर को मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे लंड को हाथों से सहलाने लगी… जो रही सही कसर थी वो भी पूरी हो गई और मेरा लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था.
मैंने घूम कर उसे माथे पर चूम लिया.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर पर लेकर आ गई, पलंग पर लिटा दिया..
कपड़े तो हमने पहने ही नहीं थे.
ईशा 69 की स्थिति में हुई और उसने मेरा लंड चूम लिया, फिर मेरी तरफ मुण्डी घुमा कर बोली- तू यही चाहता था ना?
मैंने कोई जवाब देने के बजाय उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया और उसने मेरे लंड को… हम दोनों इसी मुद्रा में एक दूसरे को मजा देते रहे…
और थोड़ी देर में ही ईशा चरम स्थिति पर आ चुकी थी, यह बात मैं उसके अकड़ते बदन को देख कर महसूस कर सकता था !
मैंने उसे और जोर से चूसना शुरू कर दिया दूसरी तरफ ईशा आनन्द के मारे मेरे लंड को चूस ही नहीं पा रही थी पर मैं उसकी चूत को जीभ से चाट रहा था.
मैंने उसे एक मिनट और चूसा होगा कि वो झड़ने लगी और उसका नमकीन सा रस मेरे मुँह में आने लगा. पर पिछली बार की तरह इस बार वो पस्त नहीं हुई थी बल्कि झड़ने के बाद उसने मेरे लंड को और जोर से चूसना शुरू कर दिया था और मैं उसकी चूत को वैसे ही चाट रहा था.
थोड़ी देर बाद वो बोली- अब और नहीं सहन होता सतीश ! अब अंदर डाल दे ना !
और वो पलट का नीचे आ गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उसे कहा- तू इसे जगह पर लगा दे अपने हाथों से ! और मैं इसके अंदर जाने पर तेरे चेहरे को देखना चाहता हूँ.
ईशा ने अपने नाजुक हाथ में मेरे लंड को पकड़ कर चूत पर रख लिया और मैंने बिना कुछ सोचे समझे धक्का मार दिया.
जैसे ही मैंने धक्का मारा, ईशा की आँखें बंद हो गई, उसने होंठों को दांतों से दबा लिया और मुझे कस कर पकड़ लिया, मैं कुछ सेकंड के लिए रुका और फिर मैंने धक्के मारना शुरू कर दिए और वो भी नीचे से हर धक्के पर मेरा साथ दे रही थी.
हम दोनों ने पूरे जोश के साथ धक्कम चोद चुदाई शुरू कर दी और थोड़ी देर में ईशा एक बार और झड़ गई. उसके तुरंत बाद ही मैं भी झड़ने लगा.
मैं झड़ कर ईशा के ऊपर ही लेट गया और ईशा ने मेरे ऊपर कम्बल डाल कर मुझे वैसे ही अपने ऊपर लिटाए रखा.
हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
उसके बाद अगले पूरे दिन हम दोनों साथ में महाबलेश्वर घूमते रहे और अगली पूरी रात एक दूसरे से प्यार करते रहे.
तो उसने सिर्फ हाँ में सर हिला दिया.
उसके बाद मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला और बिना उसकी ब्रा को उसके सीने पर से हटाये मैं उसकी पैंटी उतारने लगा तो वो बोली- रुक ना !
और उसने मेरी टीशर्ट उतार दी और बोली- तू घूम कर अपनी टाँगें मेरे सर की तरफ कर और फिर उतार इसे.
मैं नहीं जानता था कि वो क्या करने वाली है लेकिन जैसा उसने कहा, मैंने वैसा ही किया और जब मैं धीरे धीरे उसकी पैंटी उतार रहा था तो उसी वक्त वो मेरा लोअर और अंडरवियर भी उतार रही थी.
जब मैंने उसकी पैंटी उतारी तो उसी वक्त मैं भी पूरा प्राकृतिक अवस्था में आ चुका था पर मेरा लंड तना हुआ था.
मैं उसकी चूत को चूसना चाहता था और मुझे लगा भी कि वो 69 करना चाहेगी पर वो मुझ से बोली- अब तू जैसा चाहे वैसा कर मैं कुछ नहीं करने वाली अब.
मैंने कहा- ठीक है !
और मैं पलट कर वापस सामान्य स्थिति में आ गया..
अभी भी ईशा की ब्रा उसके उभारों पर ही थी और उसने दोनों हाथों से चूत को ढक रखा था.
मैंने उसके हाथों को हटाने की कोशिश नहीं की पर उसके स्तनों पर पड़ी हुई खुली ब्रा को मैंने उसके कंधों पर से नीचे करना शुरू कर दिया और धीरे धीरे ब्रा को मैं उसकी बाँहों से सरकाता हुआ उसकी चूत पर लेकर आया और उसकी ही ब्रा से उसकी चूत को ढक कर उसे सहलाने लगा जो पहले ही गीली हो चुकी थी और उसके हाथों को मैंने वहाँ से हटा दिया.
उसके बाद मैंने ब्रा को भी हटा कर नीचे फैंक दिया.
क्या गजब की सुन्दर लग रही थी ! ऐसा लगता था जैसे बदन का एक एक हिस्सा सांचे में ढाल कर बनाया हो ! कहीं से भी जरा सा भी ज्यादा नहीं, कम नहीं ! ऐसा लगता था मानो खजुराहो की कोई मूर्ति सजीव रूप ले कर आ गई हो. बदन पर एक भी दाग नहीं ! और पूरी चिकनी चूत सिर्फ थोड़े से बाल चूत के ऊपर थे जो जानबूझ कर छोड़े हुए लग रहे थे.
मैंने उसे देख कर उसकी चूत पर एक चुम्बन दे दिया और फिर मैं उसकी चूत को चाटने लगा तो मचलने लगी और मचलते हुए ही बोली- मुझे इस बार इस तरह से स्खलित नहीं होना पर इस बार तू अंदर डाल कर ही मुझे स्खलित करवाएगा, समझ गया ना?
मैंने उसकी चूत को चूसना बंद कर दिया और उसकी चूत को फैला कर देखा तो उसकी कुँवारी चूत का कुंवारापन दिख रहा था.
वो बोली- क्या कर रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं ! सिर्फ तेरी चूत का कुंवारापन देख रहा हूँ.
बोली- अब और नहीं सतीश… अब मुझे करना है, जल्दी कर अब !
मैंने कहा- वैसलीन कहाँ है? तू जरूर लाई होगी.
तो उसने मुस्कुराते हुए लेटे लेटे ही तकिये के नीचे से वैसलीन निकाल कर मुझे दे दी…
मैंने थोड़ी सी वैसलीन मेरे लंड पर लगाई, थोड़ी उसकी चूत के किनारों पर और उसकी चूत पर लंड रख दिया…
मैंने उससे कहा- चीखेगी तो नहीं?
बोली- पता नहीं.
तो मैंने लंड को वापस हटा लिया और उसकी चूत पर लंड से चोट मारने लगा…
मेरी इस हरकत से उसे मजा तो बहुत आया पर बोली- अब और मत तड़पा ना ! अंदर डाल दे.
मैंने कहा- ठीक है !
और उसकी चूत को फैला कर लंड टिकाने की जगह बनाई और उसकी टांगें पकड़ कर जैसे ही थोड़ा सा धक्का मारा तो वो दर्द से बिलबिला गई जबकि मेरा लंड तो सिर्फ उसकी कुंवारी चूत से टकराया ही था, अगर मैंने उसकी टांगों को कस कर पकड़ नहीं रखा होता तो मेरा लंड वहाँ से हट ही जाता.
पर चूंकि इस एक धक्के से मेरा लंड पूरी तरह से जगह पर आ चुका था तो यह तय था कि अब सिर्फ एक और तेज धक्का उसकी चूत को फाड़ते हुए अंदर चले जायेगा.
मैंने ईशा से कहा- अब बिल्कुल मत हिलना, बिल्कुल भी नहीं.
उसने इशारे से हाँ की.
उसके बाद मैं ईशा के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को अपने होंठों से बंद करके चूसने लगा दिया और ईशा अपने हाथों से मेरे सर को पकड़ कर मेरा साथ दे रही थी, मेरे दोनों हाथों से मैंने उसकी जांघों को पकड़ रखा था.
मैंने ईशा को चूमना छोड़ कर उससे कहा- ईशा, अगले पल में जो होने वाला है उसके बाद कभी भी पहले जैसा नहीं हो पायेगा ! सोच ले?
वो बोली- पहले से सोचा हुआ है, अब तू आगे बढ़ !
उसका इतना कहना था कि मैंने उसके होंठों को फिर से होंठों में भर लिया और एक जोरदार धक्के से मेरा लंड मैंने उसकी चूत में घुसा दिया जो उसकी कौमार्य झिल्ली को फाड़ता हुआ अंदर चला गया.
उस वक्त ईशा दर्द से तड़प उठी थी, अगर मैंने ईशा का मुँह अपने मुँह से बंद ना किया हुआ होता तो वो इतनी जोर से चीखी होती कि आसपास के कमरों वाले तो जरूर सुन लेते.और मेरे होंठों से उसके होंठ बंद होने के बाद भी उसके मुँह से एक घुटी सी चीख निकल ही गई.
मैंने ईशा के होंठों को छोड़ा और देखा तो उसकी आँखों से आंसू निकल रहे थे … पर उसकी आँखों में एक अजीब सी खुशी भी थी.
मैंने कहा- तू रो रही है?
तो बोली- नहीं रे ! दर्द के कारण आंसू आ गए थे !
हालांकि उसे दर्द तब भी हो रहा था जो उसके चेहरे से मुझे पता चल रहा था.
मैंने कहा- थोड़ी देर रुकते हैं !
तो बोली- नहीं, मुझे बाहर निकाल कर दिखा !
मैं पीछे खींच कर लंड बाहर निकालने लगा तो बोली- रुक जरा..
और उसने अपनी कमर और कूल्हों के नीचे तौलिया खिसका दिया ताकि चादर पर खून न लगे.
जब मैंने लंड निकाला तो वो पूरी तरह खून से सना हुआ था जैसे कोई चाकू किसी के पेट में घुसने के बाद खून से सना हो.
उसने मेरे लंड को बड़े प्यार से देखा और फिर तकिये के नीचे से एक छोटा से टावेल निकाल कर उसे साफ कर दिया और बोली- मेरी चूत भी साफ़ कर दे ना.
मैंने उसकी चूत के आसपास जो खून लगा था और जो बह कर आ रहा था वो साफ़ करा किया और थोड़ी देर तक उसकी चूत पर ही तौलिया रख कर खून साफ करता रहा.
तब तक उसका दर्द कम हो चुका था शायद तो बोली- चल अब करते हैं.
मैंने कहा- फिर से दर्द होगा !
तो बोली- सहन कर लूँगी.
मैंने कहा- इस बार होंठ नहीं बंद करूँगा और चीखना मत !
तो बोली- हाँ ! नहीं चीखूँगी.
मैंने नीचे से तौलिया हटा दिया और फिर से उसकी चूत पर लंड रखा, टांगे पकड़ी और एक धक्का मारा, मेरा साढ़े पाँच इंच तक लंड उसकी चूत को चीरता हुआ आधा अंदर चला गया, इस बार ईशा चीखी नहीं लेकिन दर्द इस बार भी उसे बहुत हुआ था.
वो बोली- रुक जा जरा !
मैंने कहा- एक धक्का और ! फिर पूरा अंदर हो जायेगा, बाबू, फिर रुक जाऊँगा.
और यह कहते हुए मैंने एक धक्का और मार कर पूरा 9 इंच लंड उसकी चूत में अंदर तक घुसा दिया.
इस बार उसके मुँह से दर्द से एक चीख निकल ही गई थी, मैंने उसकी टांगो को छोड़ कर दोनों हाथों को उसके दोनों स्तनों पर रख कर उसके स्तन दबाने लगा और होंठों से उसके होंठों को चूसने लगा. मैं थोड़ी देर तक यही करता रहा और उसे भी आराम मिलने लगा था और ईशा ने भी मेरे कंधो और बालों पर अपने हाथ चलाना शुरू कर दिए थे.
जब मुझे लगा कि ईशा का दर्द कम हो गया है तो मैंने नीचे से धक्का मारा और ईशा ने भी एक मस्ती भरी सिसकारी ली तो मुझे यकीन हो गया कि अब उसे कोई दर्द नहीं है.
मैंने ईशा के होंठों को चूमना बंद किया तो वो बोली- अब मेरी अगली चाहत बताने का वक्त है.
मैंने पूछा- वो क्या?
तो उसने पास में से दूसरी चादर उठाई और बोली- अब हम इसे ओढ़ कर करेंगे बाकी का काम.
वो चाहत तो मेरी भी थी तो ईशा ने उस चादर को मुझे औढ़ा दिया और अब चादर के बाहर सिर्फ हम दोनों के सर दिख रहे थे.
ईशा ने मेरी कमर को अपनी टांगों में लपेट लिया और मैंने उसकी पीठ को एक हाथ में लपेटा हुआ था और दूसरे हाथ से मैं उसके जूड़ा बने बालों को सहला रहा था. ईशा ने अपने दोनों हाथों से मुझे जकड़ रखा था, मैं नीचे से धक्के मार रहा था.
और उस हालत में वो चिकनी चादर और मजा बढ़ा रही थी. हर धक्के पर उसके मुँह से एक आह निकल रही थी.
हम दोनों ने इसी तरह से चार पांच मिनट किया होगा कि वो झड़ने लगी, उसका बदन झटके मारने लगा और मैं उसके हर झटके पर उसे धक्के मार रहा था. मेरा हर धक्का उसे चरमसुख के और पास ले जा रहा था.
जब वो पूरी तरह से झड़ गई तो पहले जैसी ही निढाल सी हो गई, मैं अभी भी बाकी था पर इस बार मेरा मन रुकने का नहीं था..
मैंने कहा- ईशा साथ दे पायेगी मेरा?
तो बोली- बस दो मिनट दे दे…
मैंने कुछ नहीं कहा पर उसके एक स्तन को मुँह में लेकर पीने लगा और दूसरे स्तन को हाथ से दबाने लगा.
मैंने थोड़ी ही देर यह किया होगा कि वो फिर से जोश में आ गई और उसने मुझे फिर से पकड़ कर दबाना शुरू कर दिया और मैंने भी धक्के मारना शुरू कर दिया.
मैं अब पूरी ताकत से धक्के मार रहा था और वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी. इस बीच कभी मैं उसके दूध पीने लगता था, कभी हाथों से दबाता था और कभी उसके होंठों को चूसने लगता था.
हम दोनों थोड़ी देर तक इसी तरह से एक दूसरे से प्यार करते रहे और फिर जब मुझे लगा कि मैं छुटने वाला हूँ तो मैंने ईशा से कहा- मैं छूटने वाला हूँ, मुझे निकालना पड़ेगा, मैंने कंडोम नहीं लगाया है.
वो बोली- मैं भी आने वाली हूँ और तू अंदर ही आ जा, चिंता की बात नहीं है.
उसकी बात सुन कर मैंने उसे और तेज धक्के लगाना शुरू कर दिए और उसका बदन भी अकड़ना शुरू हो गया. तभी मैं सारा वीर्य उसकी चूत में फव्वारे की तरह छोड़ने लगा और वो मेरे साथ ही झड़ने लगी. हम दोनों एक दूसरे को कस कर पकड़ कर एक साथ झड़ने का आनन्द लेते रहे.
जब हम दोनों अलग हुए तो दोनों पसीने से भीगे हुए थे जबकि कमरे में एसी चल रहा था.
ईशा ने कहा- मैं बाथरूम हो कर आती हूँ !
वो उठने लगी तो दर्द के मारे उससे उठते नहीं बन रहा था.
मैंने उसे कहा- रुक !
और मैंने ईशा को गोद में उठाया और बाथरूम में लेकर गया. उसने जब पेशाब करना शुरू किया तो पेशाब के साथ थोड़ा खून भी आया, उसे देख कर ईशा बोली- यह कब तक आता रहेगा?
मैंने कहा- सिर्फ पहली बार है बाबू ! उसके बाद नहीं आएगा, चिंता मत कर.
पेशाब करने के बाद उसे काफी आराम मिला.
हम दोनों बाहर आ गए पर मुझे तेज भूख और प्यास लगने लगी थी, मैंने ईशा को बताया तो वो बोली- मुझे भी भूख लगी है.
रात को बारह बजे खाने के लिए बोलना तो मुश्किल ही था लेकिन ईशा इसकी भी तैयारी करके आई हुई थी.
उसने मुझे बताया कि बैग में उसने आधा किलो गुलाब जामुन का डिब्बा और साथ ही नमकीन भी रखा है.
पानी कमरे में तो था ही, हमने रास्ते के लिए जो पानी रखा था वो भी था तो पानी की कमी भी नहीं थी और खाने की भी नहीं.
हम दोनों गुलाब जामुन और नमकीन के बड़े शौक़ीन हैं तो हमने साथ में गुलाबजामुन खाए और नमकीन भी..
कभी कभी यह भी हुआ कि मेरे मुँह का गुलाब जामुन मेरे मुँह से लेकर उसने खा लिया और उसके मुँह का गुलाब जामुन मैंने खा लिया.
हम दोनों इसी तरह से खाते हुए भी एक दूसरे से प्यार कर रहे थे और प्यार से खिला रहे थे.
जब हम दोनों भरपेट खा चुके तब तक मैं फिर से तैयार हो चुका था और शायद ईशा भी तैयार ही थी.
ईशा ने पानी पिया और वो कुल्ला करने के लिए बाथरूम में चली गई और उसके बाद मैं भी कुल्ला करने बाथरूम में आ गया.
मैं कुल्ला कर रहा था तो ईशा ने मुझे पीछे से पकड़ लिया, अपने सर को मेरे कंधे पर रख दिया और मेरे लंड को हाथों से सहलाने लगी… जो रही सही कसर थी वो भी पूरी हो गई और मेरा लंड पूरी तरह से तैयार हो चुका था.
मैंने घूम कर उसे माथे पर चूम लिया.
उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे बिस्तर पर लेकर आ गई, पलंग पर लिटा दिया..
कपड़े तो हमने पहने ही नहीं थे.
ईशा 69 की स्थिति में हुई और उसने मेरा लंड चूम लिया, फिर मेरी तरफ मुण्डी घुमा कर बोली- तू यही चाहता था ना?
मैंने कोई जवाब देने के बजाय उसकी चूत को चूसना शुरू कर दिया और उसने मेरे लंड को… हम दोनों इसी मुद्रा में एक दूसरे को मजा देते रहे…
और थोड़ी देर में ही ईशा चरम स्थिति पर आ चुकी थी, यह बात मैं उसके अकड़ते बदन को देख कर महसूस कर सकता था !
मैंने उसे और जोर से चूसना शुरू कर दिया दूसरी तरफ ईशा आनन्द के मारे मेरे लंड को चूस ही नहीं पा रही थी पर मैं उसकी चूत को जीभ से चाट रहा था.
मैंने उसे एक मिनट और चूसा होगा कि वो झड़ने लगी और उसका नमकीन सा रस मेरे मुँह में आने लगा. पर पिछली बार की तरह इस बार वो पस्त नहीं हुई थी बल्कि झड़ने के बाद उसने मेरे लंड को और जोर से चूसना शुरू कर दिया था और मैं उसकी चूत को वैसे ही चाट रहा था.
थोड़ी देर बाद वो बोली- अब और नहीं सहन होता सतीश ! अब अंदर डाल दे ना !
और वो पलट का नीचे आ गई और मैं उसके ऊपर चढ़ गया.
मैंने उसे कहा- तू इसे जगह पर लगा दे अपने हाथों से ! और मैं इसके अंदर जाने पर तेरे चेहरे को देखना चाहता हूँ.
ईशा ने अपने नाजुक हाथ में मेरे लंड को पकड़ कर चूत पर रख लिया और मैंने बिना कुछ सोचे समझे धक्का मार दिया.
जैसे ही मैंने धक्का मारा, ईशा की आँखें बंद हो गई, उसने होंठों को दांतों से दबा लिया और मुझे कस कर पकड़ लिया, मैं कुछ सेकंड के लिए रुका और फिर मैंने धक्के मारना शुरू कर दिए और वो भी नीचे से हर धक्के पर मेरा साथ दे रही थी.
हम दोनों ने पूरे जोश के साथ धक्कम चोद चुदाई शुरू कर दी और थोड़ी देर में ईशा एक बार और झड़ गई. उसके तुरंत बाद ही मैं भी झड़ने लगा.
मैं झड़ कर ईशा के ऊपर ही लेट गया और ईशा ने मेरे ऊपर कम्बल डाल कर मुझे वैसे ही अपने ऊपर लिटाए रखा.
हम दोनों को कब नींद आ गई, पता ही नहीं चला.
उसके बाद अगले पूरे दिन हम दोनों साथ में महाबलेश्वर घूमते रहे और अगली पूरी रात एक दूसरे से प्यार करते रहे.
मैं ईशा और कुणाल की अधूरी कहानी आपको बताता हूँ..
इस कहानी को ईशा ने खुद ही बताया है अब इससे आगे की कहानी ईशा की जुबानी
“अब जो घटना मैं आपको बताने जा रही हूँ वो सतीश और मेरी कहानी के एक हफ्ते बाद की ही है, सतीश और मैं जब महाबलेश्वर से वापस आये तो मैं यह तय कर चुकी थी कि अब कुणाल से मैं सम्बन्ध खत्म कर लूंगी लेकिन उसके पहले मैं खुद को यकीन दिलाना चाहती थी कुणाल मुझे प्यार नहीं करता.
वापस आने के बाद मैंने कुणाल से कहा- कुणाल, मुझे सेक्स करना है!
और वो बेचारा तो पागल ही हो गया था- हाँ करते हैं, चल, अभी चलते हैं! जैसी बातें ही उसके मुँह से निकल रही थी तब.
मैंने उसे कहा- अभी नहीं, अगले शनिवार को करेंगे और मेरी कुछ शर्तें होंगी वो माननी पड़ेंगी.
तो वो बोला- हाँ मान लूँगा!
और फिर शनिवार तक बेसबी से इन्तजार करता रहा और हर रोज मुझे याद दिलाता रहा कि हम मिल रहे हैं शनिवार को!
और उसके याद दिलाने से हर बार मेरी सोच और पक्की होती जा रही थी.पर चूंकि मैं उसे वादा कर चुकी थी तो उस वादे को निभाने मैं जाने वाली ही थी चाहे कुछ भी हो जाता.
वैसे इस बारे में जब मैंने सतीश को बताया था तो उसका चेहरा तब देखने लायक था, बड़ा ही अजीब सा मुँह बना कर रखा था इस गधे ने तीन दिन तक और जब मेरे साथ कुणाल के फ़्लैट की तरफ जा रहा था तब तो और भी अजीब.
शनिवार को कुणाल उसके फ़्लैट पर मेरा इन्तजार कर रहा था, मैं जैसे ही अंदर आई उसने मुझे उसकी बाँहों में भर लिया और बिना कुछ कहे चूमने लगा, कभी मेरे गालों को चूम रहा था और कभी गले को! इस सब में वो कभी मेरे स्तन तक भी चला जाता था चूमते हुए. उसने मुझे उसकी बाहों में जकड़ा हुआ था जिससे मेरे स्तन उसके सीने पर टकरा रहे थे, और मैं छूटना चाह कर भी नहीं छूट पा रही थी.
हालांकि वो मेरे साथ जबरदस्ती ही कर रहा था लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं था कि मुझे मजा नहीं आ रहा था, मुझे भी उसके चूमने और इस तरह से जकड़ने में बड़ा मजा आ रहा था और मैं भी उसका साथ देना ही चाहती थी.
फिर मैंने मेरी बाहें कुणाल के गले में डाल दी और उसके होंठों को मेरे होंठों से चूमने लगी, कुणाल भी मेरा पूरा साथ दे रहा था लेकिन उसके हाथ पहली बार मेरे स्तनों पर बेरोकटोक चल रहे थे, मेरे स्तनों को सहला रहे थे, दबा रहे थे.
ऐसा नहीं था कि हमने पहले एक दूसरे को चूमा नहीं था पर मैंने उससे पहले कभी कुणाल को मेरे स्तनों पर हाथ नहीं लगाने दिया था. उस दिन उसके होंठों के चूमने के साथ उसके हाथों का स्पर्श बहुत ही अच्छा लग रहा था. एक बार को लगा कि रोक दूं उसे, लेकिन मन कह रहा था कि करते रहें, और करते रहे और हम एक दूसरे को चूमते रहे, वो मेरे स्तनों को ऐसे ही सहलाता-दबाता रहा, मसलता रहा और मैं उस मस्ती का मजा लेती रही.
हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे को थोड़ी देर चूमते रहे, फिर कुणाल ने मुझे बाँहों में भर कर उठाया, गोद में ले लिया, मैंने भी अपनी टांगों से उसकी कमर को जकड़ लिया और ऐसे ही कुणाल मुझे लेकर बेडरूम में जाने लगा.
उस वक्त कुणाल ने टीशर्ट पहनी हुई थी और मैंने भी काले रंग की टीशर्ट और जींस पहनी हुई थी. वो जब मुझे बेडरूम में ले जा रहा था तो मैंने उसकी टी शर्ट उतारने की कोशिश की लेकिन वो टीशर्ट उसके बेड रूम में जाकर ही उतरी जब कुणाल ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरे ऊपर आ गया. अब वो लोअर और बनियान में था और मैं पूरे कपड़ों में! उसने मेरी टीशर्ट उतारने की कोशिश की, मैंने उसका पूरा साथ दिया और हाथ ऊँचे करके थोड़ा सा ऊपर उठ कर टी शर्ट उतरवा ली.
अब मैं जींस और काली ब्रा में थी, तब मेरा वक्षाकार 34 हुआ करता था और मैं 32 नम्बर की ब्रा पहनती थी तो मेरे स्तन बाहर आने को मचल रहे थे और मैं जानती थी कि ऐसी हालत में कुणाल का खुद पर काबू रखना अगर नामुमकिन नहीं था तो नामुमकिन की हद तक मुश्किल जरूर था.
और वही हुआ, वो पागलों की तरह मेरी जींस उतारने के लिए मेरी जींस के बटन खोलने लगा और मेरे स्तनों को उसके ब्रा के ऊपर से ही चूमने लगा.
और जल्द ही उसने अपने दोनों हाथों का इस्तेमाल करते हुए मेरी जींस को भी निकाल दिया.अब मैं सिर्फ ब्रा-पैंटी में थी और वो जींस और बनियान में!
जब उसने मेरी पैंटी उतारनी चाही तो मैंने कहा- पहले तुम तो कपड़े उतारो!
मेरा इतना कहना था कि अगले ही पल उसके सारे कपड़े जमीन पर थे.

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