दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा - 2

 दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा - 2

दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा - 2

दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा - 1


धीरे-धीरे मालिश करने से लड़कियां काफी मस्त जाती हैं और

इससे चुदाई की आग भी बढ़ जाती है। यह आप चाहे कभी

अज़मा कर देख लेना।

उसको मालिश में इतना मज़ा आ रहा था कि पूछो ही मत..

वो किसी मादा अज़गर की तरह बस आँखें बंद किए हुए.. मेरे

कामुक स्पर्श का आनन्द ले रही थी।

फिर उसकी पीठ को चूमते हुए उसके कान में धीरे से बोला-

जरा घूम जाओ.. पीछे हो गया। तब जा कर उन्होंने आँख

खोली और मेरे गालों में पप्पी जड़ते हुए बोली- आज तक मैं ऐसे

प्यार के लिए तड़प रही थी.. जो मुझे तुमसे मिल रहा है.. आई

लव यू राहुल..

यह कह कर वो पीठ के बल लेट गई..

फिर मैंने उनके चूचों पर तेल डाला और थोड़ा सा नाभि के

पास और थोड़ा हथेलियों में लेकर उनके चूचों की हलके हाथों

से मालिश शुरू कर दी..

जिससे उसके मुँह से एक सिसकारी निकली- आआआहह आह

आआअहह..

शायद वो मेरी मालिश से इतना कामातुर हो गई थी कि वो

झड़ने लगी..

जिसका एहसास उनके हाथ व पैरों की अकड़ी नसों और पैन्टी

के अगले हिस्से को देख कर लगाया जा सकता था..

लेकिन मैंने उन्हें यह एहसास नहीं होने दिया क्योंकि मैं उनके

अन्दर की आग और भड़काना चाहता था ताकि वो खुद

चिल्ला-चिल्ला कर भिखारी की तरह मुझसे लण्ड मांगें।

जब उसके शरीर की ऐंठन थोड़ी कम हुई तो उसने मेरे हाथों को

पकड़ कर चूम लिया और बुदबुदाते हुए कहने लगी- राहुल, तुम्हारे

हाथों में तो जादू है.. किसी को एक बार प्यार से छू लो तो

वो तुम्हारी दीवानी हो जाए।

तो मैंने उन्हें चूमते हुए बोला- मेरी जान.. अभी तो बस तुम्हारा

दीवाना बनने का दिल है.. तुम मुझे पहले दिन से ही बहुत पसंद

थीं। मैं इस घड़ी के लिए कब से बेकरार था।

यह कहते हुए मैं उसकी जांघ की तरफ गया और थोड़ा सा तेल

लेकर उसकी जांघों में मलने लगा.. जिससे उसका जोश दुगना

हो गया और वो बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी।

‘अहा.. अम्मह… उम्माह… बस्स्स आहह..आहह.. ऐसे ही करते

रहो.. अच्छा लग रहा है।’

फिर मैंने उसकी पैन्टी को बगल से पकड़ कर नीचे खींच दिया

और उसकी फूली हुई चिकनी फ़ुद्दी को देख कर मन ही मन झूम

उठा।

क्या क़यामत ढा रही थी.. एक भी बाल न था जो कि शायद

आज ही मेरे लिए उसने साफ़ किए थे।

मैंने आव देखा न ताव और झट से उसके चिकने भाग को चूम

लिया जिससे माया किलकारी मार कर हँसने लगी।

मैंने बोला- हँसो मत..

ऐसे हसीन पल को मैं हाथ से नहीं जाने दे सकता था इसलिए

खुद को रोक नहीं पाया।

मैंने थोड़ा सा हाथों में तेल लिया और उसकी चूत की मालिश

चालू कर दी..

जिससे पहले ही काफी तेल निकल चुका था।

धीरे धीरे मैं उसकी आग भड़काने के लिए उसके चूत के दाने को

मसलने लगा.. जिसके परिणाम स्वरूप उसने आँखें बंद करके

बुदबुदाना चालू कर दिया.. जो काफी मादक था और

माहौल को रंगीन कर रहा था।

‘आआआईईस्स्सस्स.. और जोर से आअह्हह हाँ.. ऐसे ही

आआआह्ह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है..’

वो एकदम से अकड़ कर फिर से झड़ गई उसके कामरस से मेरी

ऊँगलियाँ भी भीग गई थीं जो मैंने उसकी पैन्टी से साफ़ कीं

और फिर उसकी चूत को भी अच्छे से पौंछ कर साफ किया।

फिर वो जब शांत लेटी थी तो मैं ऊपर की ओर जाकर फिर से

उसके चूचों को चूसने लगा जिससे थोड़ी देर बाद वो भी साथ

देने लगी.. पर अब मेरी ‘आअह्ह्ह्ह’ निकलने की बारी थी जो

कि मुझे मालूम ही न था। फिर धीरे से उन्होंने अपना हाथ

बढ़ा कर मेरी वी-शेप चड्ढी को थोड़ा उठा कर किनारे से मेरे

लण्ड महाराज को बाहर निकाल लिया।

मेरा लौड़ा पहले से ही सांप की तरह फन काढ़े खड़ा था।

उसको देखते ही उनके चेहरे की ख़ुशी दुगनी हो गई और बड़े

प्यार के साथ वो मेरे लण्ड को मुठियाने लगी.. जिससे मुझे और

उन्हें अब दुगना मजा आने लगा था।

फिर हम 69 की अवस्था में आ गए और वो मेरे लण्ड को छोटे

बच्चों की तरह लॉलीपॉप समझ कर चूसने लगी और जीभ से

रगड़ने लगी।

जिससे मुझे बहुत अच्छा लगने लगा और मैं भी उनकी चूत को

आइसक्रीम की तरह चूसने चाटने लगा।

जिससे दोनों चरमोत्कर्ष पर पहुँच गए और सारे कमरे में एक

प्रकार का संगीत सा बजने लगा।

‘आआह्ह्ह ह्ह्ह अह्ह्ह…’

देखते ही देखते दोनों शांत हो गए.. माया को तो होश ही न

था क्योंकि वो तीन बार झड़ चुकी थी.. जबकि मैं अभी एक

ही बार झड़ा था।

बहुत से लोग समझते हैं कि लड़कियाँ देर से झड़ती हैं.. उनके लिए

यह सन्देश है.. वो देर से नहीं झड़ती हैं.. अगर वो किसी के साथ

आत्मबंधन में बंध कर सेक्स करती हैं, तो उन्हें चरमोत्कर्ष में पहुँचने

में समय नहीं लगता है।

मैं उनके बगल में जाकर लेट गया और उन्हें अपनी बाँहों में भर कर

प्यार करने लगा।

जिससे वो भी अपने आप को रोक न पाई और मुझे चूमते हुए

बोलने लगी- राहुल आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू.. मैंने

इतना मज़ा पहले कभी भी न लिया था.. इस खेल में, पर तुम तो

पूरे खिलाड़ी निकले.. कहाँ थे अभी तक…

वो पागलों की तरह मुझे चूमने और काटने लगी।

फिर से चुम्बनों का दौर शुरू हो चला था जिससे हम दोनों ही

मज़े से एक-दूसरे का सहयोग कर रहे थे.. जैसे हम जन्मों से प्यासे

रहे हों।

अब मैंने भी समय को ध्यान में रखते हुए देर करना ठीक न समझा

क्योंकि मुझे अपने घर से निकले तीन घंटे से ऊपर हो गए थे।

मेरे मन में यह चिंता सता रही थी कि घर वाले फ़ोन कर रहे होंगे

जो स्विच ऑफ था..

पता नहीं वो कैसा महसूस कर रहे होंगे और मैं भी उन्हें फोन

नहीं कर सकता था..

आंटी के घर से भी नहीं और मेरा तो पहले ही टूट चुका था..

तो मैंने घटनाक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें चुम्बन करते हुए

उनके मम्मों को भी मसलना चालू किया और धीरे-धीरे उनका

और मेरा जोश दुगना होता चला गया।

पता नहीं कब हम दोनों के हाथ एक-दूसरे के जननांगों को

रगड़ने लगे..

जिससे एक बार फिर से ‘आह्ह ऊऊओह्ह ह्ह…’ का संगीत कमरे में

गूंजने लगा।

मेरा लौड़ा अपने पूर्ण आकार में आ चुका था और उसकी चूत से

भी प्रेम रस बहने लगा था।

तभी मैंने देर न करते हुए उनके ऊपर आ गया और उनके मम्मों को

रगड़ते और चुम्बन करते हुए अपने लण्ड को उनकी चूत पर रगड़ने

लगा..

जिससे माया का जोश और बढ़ गया।

अब वो जोर-जोर से अपनी कमर हिलाते हुए मेरे लौड़े पर अपनी

चूत रगड़ने लगी और अब वो किसी भिखारिन की तरह

गिड़गिड़ाने लगी- राहुल अब और न तड़पा… डाल दे अन्दर.. और

मुझे अपना बना ले..

उसके कामरस से मेरा लौड़ा पूरी तरह भीग चुका था।

फिर मैंने उसकी टांगों को उठाकर अपने कन्धों पर रख लीं,

जिससे उसकी चूत का मुहाना ऊपर को उठ गया।

फिर अपने लौड़े से उसकी चूत पर दो बार थाप मारी.. जिससे

उसके पूरे जिस्म में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई।

एक जोर से ‘आअह्ह्ह्ह्ह’ निकालते हुए वो मुझसे बोली- और

कितना तड़पाएगा अपनी माया को.. डाल दे जल्दी से

अन्दर..

तो मैंने भी बोला- माया का मायाजाल ही इतना अद्भुत है

कि इससे निकलने का दिल ही नहीं करता।

मैंने उसके कानों पर एक हल्की सी कट्टू कर ली।

फिर मैंने उसकी चूत के मुहाने पर लौड़े को सैट करके हल्का सा

धक्का दिया.. तो लण्ड ऊपर की तरफ फिसल गया।

शायद अधिक चिकनाई के कारण या फिर वो काफी दिन

बाद चुद रही थी इसलिए..

फिर मैंने उसके मम्मों को पकड़ते हुए बोला- माया जरा मेरी

मदद तो करो।

तो उसने मेरे लौड़े को फिर से अपनी चूत पर सैट किया और अपने

हाथों से चूत के छेद पर दबाव देने लगी।

अब मैंने भी वक़्त की नजाकत को समझते हुए एक जोरदार

धक्का दिया जिससे मेरा लौड़ा उसकी चूत की गहराई में

करीब 2 इंच अन्दर जाकर सैट हो गया।

इस धक्के के साथ ही माया के मुँह से एक दर्द भरी आवाज़

निकल पड़ी- आअह्ह्ह्ह्ह्ह श्ह्ह्ह्ह ह्ह्हह्ह…

उसके चेहरे पर दर्द के भाव स्पष्ट दिखाई दे रहे थे..

तो मैंने उसके पैरों को कन्धों से उतार कर अपने दोनों ओर फैला

दिए और झुक कर उसे चुम्बन करते हुए पूछने लगा- क्या हुआ जान..

तुम कहो तो मैं निकाल लेता हूँ.. हम फिर कभी कर लेंगे..

तो माया ने धीरे से अपनी आँखों को खोलते हुए प्यार भरी

आवाज़ रुआंसे भाव लेकर मुझसे बोली- काश तुम्हारे जैसा मेरा

पति होता.. जो मुझे इतना प्यार देता.. मेरी इज्जत करता..

मेरे दर्द को अपना दर्द समझता.. पर आजकल ऐसा नसीब वाले

को ही मिलता है।

फिर मैंने अपनी बात दोहराई- चुदाई हम बाद में कर सकते हैं..

अभी तुमको दर्द हो रहा है.. मुझे क्या मालूम कि इस दर्द के

बाद ही असली मज़ा आता है..

तो उन्होंने हँसते हुए बोला- अरे मेरे भोले राजा.. जब काफी

दिनों बाद या पहली बार कोई लड़की या औरत लौड़ा

अपनी चूत में लेती है.. तो उसे दर्द ही होता है.. फिर थोड़ी देर

बाद यही दर्द मीठे मज़े में बदल जाता है और जिसकी चूत का

पहली बार उदघाटन होता है.. उसको तो खून भी निकलता

है.. किसी को ज्यादा या किसी को कम और एक बात और

कभी कभी किसी के नहीं भी बहता है.. पर दर्द खून बहाने

वाली लड़कियों की तरह ही होता है।

मैं बहुत खुश हुआ क्योंकि मैं इस मामले में अनाड़ी जो था कि

‘एक्सपीरिएंस होल्डर’ के साथ चुदाई करने पर चलो कुछ तो

ज्ञान प्राप्त हुआ..

मैं उनके चूचों को फिर से चूसने और रगड़ने लगा.. जिससे माया

को फिर से आनन्द मिलने लगा।

‘आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आआआअह्ह्ह्ह्ह…’

वो सीत्कार की आवाज़ करते हुए अपनी कमर ऊपर को उठाने

लगी और बोलने लगी- चल अब दूसरी पारी भी खेल डाल..

डाल दे अपने लौड़े को अन्दर तक..

तो मैंने भी अपने दिमाग और संयम का प्रयोग करते हुए लौड़े

को धीरे-धीरे आगे-पीछे करने लगा और बीच-बीच में थोड़ा

अन्दर दबाव देकर लौड़े को अन्दर कर देता।

इस तरह मान लो कि जैसे बोरिंग की मशीन काम करती हैं।

उसी मशीन की तरह मैंने उनकी चूत की बोरिंग करते हुए अपने

लौड़े को कब उनकी चूत की जड़ तक पहुँचा दिया.. उनको एक

बार भी दर्द का अहसास न हुआ और अब तो वो मस्तिया कर

कमर चलाने लगी।

जब मैंने यह महसूस किया कि अब मेरा लौड़ा माया की चूत में

अपनी जगह बना चुका है तो मैंने भी गति बढ़ा दी..

मेरे गति बढ़ाते ही वो मेरी पीठ पर हाथ रगड़ने लगी- आअह्ह

आआअह्हह्ह उउउह्ह्ह और जोर से श्ह्ह्ह्हीईईई.. बस ऐसे ही..

करते रहो जान.. बहुत दिनों से ये चूत प्यासी है.. आज बुझा दो

इसकी सारी प्यास..

वो मेरे चेहरे पर चुम्बनों की बरसात करने लगी.. जिससे मेरा भी

जोश बढ़ने लगा।

वो मेरी पीठ पर नाख़ून रगड़ रही थी.. जिसका पता मुझे बाद

में चला।

उस समय मैं इतने आनन्द में था कि मुझे खुद अपना होश भी नहीं

था। बस मैं हर हाल में उसे और खुद को चरम की ओर ले जाने में

लगा हुआ था।

अब उसने अपने पैरों को मेरी कमर पर कस कर नीचे से गाण्ड

उठा-उठा कर ठुकाई करवाना चालू दी थी। शायद वो फिर से

झड़ने वाली थी।

‘हाआंणन्न् हाआआआआआ हाआआआआ राहुल ऐसे ही.. और तेज़

मेरा होने वाला है.. बस ऐसे ही करते रहो..’

वो सिसयाते हुए शांत हो गई और अपने पैरों को फिर से मेरी

कमर से हटाकर मेरे दोनों और फैला दिया और आँखें बंद करके

निढाल सी हो गई।

शायद इतने दिनों बाद इतना झड़ी थी.. जिसकी वजह से वो

काफी रिलैक्स फील कर रही थी।

मैंने फिर उसके चूचों को जैसे ही छुआ तो उसने ऑंखें खोलीं और

मेरी ओर प्यार भरी निगाहों देखते हुए कहने लगी- आई लव यू

राहुल.. तुम न होते तो आज मैं इतना ख़ुशी कभी भी न प्राप्त

कर पाती..

तो मैंने बोला- अब मुझे भी ख़ुशी दे दो.. मेरा भी होने के

करीब है।

वो एक बार फिर से अपनी टांगों को उठाकर मेरा सहयोग देने

लगी जिससे मेरा चरमोत्कर्ष बढ़ने लगा और मैंने अपनी रफ्तार

बढ़ा कर उनकी ठुकाई चालू कर दी।

उनके चूतरस से रस टपक कर उनकी जांघों के नीचे तक बह रहा

था जिससे ‘फच्च-फच्च’ की आवाजें आने लगी और देखते ही

देखते माया भी आनन्द के सागर में गोते लगाने लगी और दोनों

ही बिना किसी की परवाह किए आनन्द के साथ सम्भोग

का सुखद अनुभव लेते हुए मुँह से आवाज़ करने लगे- आआआआह्ह्ह्ह

अह्ह्ह्ह्ह इइइइइइस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स आआअह आआअह…

इसी के साथ मेरा और माया के प्रेम-सागर का संगम होने

लगा।

मैं अपने वीर्य के निकलने के साथ ही साथ अपना शरीर ढीला

करके माया की बाँहों में चिपक गया।

आज मुझे भी पहली बार बहुत आनन्द मिला था जो मुट्ठ मारने

से लाख गुना बेहतर था।

मेरी और उसकी साँसें काफी तीव्र गति से चल रही थीं जिसे

सामान्य होने में लगभग दस मिनट लगे।

फिर मैंने उसकी बंद आँखों में एक-एक करके चुम्मी ली और उसे

प्यार करते हुए ‘आई लव यू’ बोला, जो माया को बहुत ही

अच्छा लगा।

उसने मुझे फिर से अपनी बाँहों में जकड़ लिया और मुझ पर चुम्मों

की बरसात करते हुए ‘आई लव यू.. आई लव यू.. आई लव यू.. बोलने

लगी।

उसकी ख़ुशी का ठिकाना ही न रहा.. जैसे उसकी जन्मों की

प्यास मैंने बुझा दी हो।

वो मुझसे चिपकते हुए कहने लगी- आज तक इतना मज़ा मुझे कभी

नहीं आया.. जो कि मुझे सिर्फ और सिर्फ तुमसे ही मिला है..

मैंने अपने जीवन में सिर्फ दो ही के साथ सेक्स किया है.. एक

मेरा पति और एक तुम..

तो मैंने उनसे बोला- अब इतना बोल ही चुकी हो तो रेटिंग भी

दे दो।

उसने बोला- यार तेरा तो 10 में 10 है.. क्योंकि सम्भोग के

दौरान पहली बार में दो बार झड़ी और उसके पहले 3 बार झड़

चुकी थी.. तुम में जरूर कोई जादू है और एक मेरा पति है जो

सिर्फ ठुकाई से ही शुरू कर देता है.. मुझे अच्छा लग रहा है या

नहीं.. इससे उसको कोई लेना-देना नहीं होता.. कभी-कभी

तो मुझे कुछ भी नहीं हो पाता बल्कि मेरी चूत में जलन होने

लगती है.. पर तेरे साथ तो आज सच में मज़ा आ गया.. अब वादा

करो मुझे यूं ही हमेशा अपना बना कर रखोगे।

तो मैंने उनके माथे को चूमते हुए ‘हाँ’ बोल दिया..

फिर देखा तो हम लोग पिछले लगभग चार घंटों से एक-दूसरे को

प्यार करने में लगे थे।

फिर मैं उठा और उसकी पैन्टी से अपने लण्ड को अच्छी तरह से

पौंछ कर साफ़ किया।

फिर उसकी चूत की भी सफाई की.. जो कि हम दोनों के

कामरस से सराबोर थी।

फिर मैं उठा और अपने कपड़ों को पहनने लगा तो आंटी मुझसे

बहुत ही विनम्रता के साथ देखते हुए बोलीं- प्लीज़ आज यहीं

रुक जाओ न..

मैंने बोला- मैं अपने घर में क्या बोलूँगा.. इतनी देर से मैं कहाँ

था? और अब मैं कहाँ रहूँगा रात भर.. आप तो इतनी बड़ी और 2

बच्चों की माँ हो.. आप मेरी मज़बूरी को समझ सकती हो..

मैं

खुद तुम्हें छोड़ कर जाना नहीं चाहता.. पर क्या करूँ.. मेरे आगे

भी मज़बूरी है प्लीज़.. इसे समझो आप कोई लड़की नहीं हो..

एक माँ भी हो.. आप एक माँ-बाप की फीलिंग समझ सकती

हो।

तो वो अचानक उठकर बिस्तर से जैसे ही उतरी तो उसके पैरों में

इतनी ताकत नहीं बची थी कि वे आराम से खड़ी हो सकें।

तो सीधे ही मेरे सीने पर आकर रुक गईं..

मैंने भी उसे संभालते हुए अपनी बाँहों में जकड़ लिया और उसके

होंठों पर होंठ रख कर उसके होंठों का रसपान करने लगा।

उसकी आँखों में एक अजीब सी कशिश थी… आज पहली बार

मैंने किसी की आँखों में अपने लिए इतना प्यार और समर्पण

देखा था।

उसकी आँखों में आंसू भर आए थे.. जो बस गिरना बाकी थे।

अचानक मेरे दिमाग में एक प्लान आया और मैंने उसे बताया-

देखो, अगर तुम मेरे पेरेंट्स से अगर यहाँ रुकने के लिए बोलोगी..

थोड़ा कम अच्छा लगेगा, पर विनोद अगर मेरी माँ से बोलेगा

तो ठीक रहेगा।

उसने झट से मेरी ‘हाँ’ में ‘हाँ’ मिला दी तो मैंने बोला- ठीक

आठ बजे विनोद को बोलना कि वो मेरे नम्बर पर काल करे तो

में अपनी माँ से बात करा दूँगा।

उसे बस इतना बोलना है कि

मेरी माँ आज घर पर अकेली है तो आप राहुल को रात में घर में

सोने के लिए भेज दें.. बस बाकी का मैं सम्हाल लूँगा।

इस पर माया चेहरा खिल उठा और वो मुझे प्यार से चुम्बन करने

लगी और बोली- तुम तो बहुत होशियार हो।

फिर मुझे याद आया कि मेरा तो सेल-फोन टूट गया है.. तो मैं

मन ही मन निराश हो गया।

मेरे चेहरे के भावों को देखकर माया बोली- अब दुखी क्यों हो

गए?

तो मैंने उन्हें अपना फोन दिखाते हुए सारी घटना कह सुनाई।

वो हँसते हुए बोली- तुम्हें जब सब पता चल चुका था.. तो

ड्रामा क्यों कर थे।

मैंने बोला- मेरा फोन खराब हो गया है.. तुम मज़ाक कर रही

हो।

तो वो धीरे से उठी और मुझसे बोली- तुम्हारा फोन कितने

का था?

मैंने पूछा- क्यों?

बोली- अभी जाकर नया ले लो.. नहीं तो बात कैसे हो

पाएगी और अपने पापा से क्या बोलोगे कि नया फ़ोन कैसे

टूटा?

फिर मैंने बोला- शायद 6300 का था।

उस समय मेरे पास नोकिया 3310 था मार्केट में नया ही आया

था।

तो माया ने मुझे 7000 रूपए दिए और बोली- जाओ जल्दी से

फोन खरीद कर फोन करना।

माया का इतना प्यार देखकर मैंने फिर से उसे अपनी बाँहों में

लेकर चूमना शुरू कर दिया।

माया बोली- अब तो पूरी रात पड़ी है.. जी भर के प्यार कर

लेना.. अभी जाओ जल्दी..

क्या करूँ यार मुझे जाना पड़ा.. पर उसे छोड़ने का मेरा तो मन

ही नहीं कर रहा था।

मैं उसके घर से निकल आया।

अब आगे फिर मैं उनके घर से निकल कर मॉल रोड गया और

नोकिया सेंटर से एक नया फ़ोन 3310 फिर से ख़रीदा जो की

6150 रूपए का मिला..

मैंने अपना वाला हैंडसेट भी रिपेयरिंग सेंटर में बेच दिया..

क्योंकि उसका मैं क्या करता जिसके मुझे 1500 रूपए मिले।

फिर मैंने माया को अपने नए सेल से कॉल की..

तो उसने फ़ोन उठाते ही ‘आई लव यू मेरी जान’ कहा..

प्रतिक्रिया में.. मैंने भी वही दोहरा दिया और उसको ‘थैंक्स’

बोला.. तो वो गुस्सा करने लगी।

बोली- एक तरफ मुझे अपना बनाते हो और दूसरी तरफ एक झटके

में ही बेगाना कर देते हो.. क्या जरूरत है तुम्हें ‘थैंक्स’ बोलने

की.. अगर मैं तुम्हारे लिए कुछ भी करूँगी.. तो मुझे ख़ुशी

मिलेगी.. आज के बाद जब कभी भी किसी चीज़ की जरुरत

पड़े तो बस कह देना.. बिना कुछ सोचे.. नहीं तो मैं समझूँगी

कि तुम मुझे अपना समझते हो।

मुझे उसके इस अपनेपन पर बहुत प्यार आया और मैंने उसे ‘आई लव यू’

बोल कर फ़ोन पर चुम्बन दे दिया..

जिसके प्रतिउत्तर में माया ने भी मुझे चुम्बन किया।

फिर मैंने ‘बाय’ बोल कर फ़ोन काटा और अपने घर चल दिया।

मैं जैसे ही घर पहुँचा तो माँ ने सवालों की झड़ी लगा दी-

कहाँ थे.. क्या कर थे?

मैं खामोशी से सुन रहा था..

थोड़ी देर बाद जब वे शांत हुईं तो प्यार से बोलीं- तूने कुछ

बताया नहीं?

तो मैंने उन्हें बोला- माँ.. अब मैं स्कूल का नहीं.. कालेज का

छात्र हूँ और मैं अपने दोस्तों के साथ मूवी देखने गया था.. इस

वजह से देर हो गई.. आप प्लीज़ ये पापा को मत बोलना।

वो मान गईं.. अब आप सब समझ ही सकते हो कि माँ अपने बच्चे

को बहुत प्यार करती है।

खैर.. जैसे-जैसे समय बीतता गया.. मेरे दिल की भी धड़कनें

बढ़ती ही जा रही थी और मेरा लौड़ा भी पैन्ट में टेन्ट बनाए

खड़ा था।

फिर जब मैं बाथरूम में जाकर मुट्ठ मार रहा था.. तभी मेरे फोन

की रिंग बजी.. जो कि बाहर कमरे में चार्जिंग पर लगा था।

मैं रिंग को नजरअंदाज करते हुए मुट्ठ मारने में मशगूल हो गया

और जब मेरा होने ही वाला था.. तभी दोबारा फोन बजा

जिसे मेरी माँ ने उठाया और बात की

मैंने पानी से अपने सामान को साफ़ किया और कमरे में

पहुँचा.. तो सुना, माँ बोल रही थीं- अरे बेटा, इसमें अहसान

की क्या बात है.. मैं अभी राहुल के पापा से बात करके राहुल

को भेज दूँगी और वैसे भी उनका आने का समय हो गया है।

यह कहते हुए माँ ने फ़ोन काट दिया और मेरा प्लान सफल होने

के कगार पर था।

मुझे उनकी बातों से लग गया था कि वो विनोद से बात कर

रही हैं।

फिर माँ से मैंने पूछा- किसका फ़ोन था?

तो उन्होंने बोला- विनोद का।

अभी करीब सवा आठ बजे होंगे।

मैंने पूछा- उसने इतनी रात फ़ोन क्यों किया था?

तो उन्होंने बताया- वो अपनी बहन को पेपर दिलाने बाहर ले

गया है और उसकी माँ घर पर अकेले ही हैं.. पापा कहीं बाहर

जॉब करते हैं।

तो मैंने पूछा- फिर?

वो बोलीं- कह रहा था कि राहुल को आज और कल रात के

लिए घर भेज दीजिएगा क्योंकि हम परसों सुबह तक घर पहुँचेंगे।

तो मैंने बोला- फिर आपने क्या कहा?

बोलीं- अरे इतने दीन भाव से कह रहा था.. तो मैंने बोल दिया

उसके पापा आने वाले हैं.. मैं उनसे बात करके भेज दूँगी।

मैंने तपाक से बोला- अगर पापा ने मना कर दिया तो आपकी

बात का क्या होगा?

तो बोलीं- अरे वो मुझ पर छोड़ दो.. मैं जानती हूँ.. वो किसी

की मदद करने में पीछे नहीं रहते.. फिर तो ये तेरा दोस्त है.. वो

कुछ नहीं कहेंगे।

मुझे बहुत ख़ुशी हो रही थी, पर अन्दर ही अन्दर पापा के

निर्णय का डर भी था।

तभी दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने गेट खोला तो पापा ही

थे।

माँ ने आकर उन्हें पानी दिया और विनोद की बात बताते हुए

कहने लगीं- मैंने बोल दिया है.. राहुल को 9 बजे तक भेज दूँगीं।

तो पापा का भी पता नहीं क्या मूड था.. उन्होंने भी ‘हाँ’

कर दी।

फिर क्या था.. मेरे मन में हज़ारों तरह की तरंगें दौड़ने लगीं।

फिर पापा ने मुझे बुलाया और कहने लगे- उसका घर कहाँ है?

तो मैंने बोला- बस पास में ही है..

तो उन्होंने कार की चाभी दी और बोला गाड़ी अन्दर कर

दो और फिर चले जाओ।

मेरी माँ बोलीं- अरे यह क्या.. आप इसे उनके घर छोड़ आओ..

आप उनका घर भी देख लोगे.. कहाँ है?

शायद यह माँ की अपने बेटे के लिए चिंता बोल रही थी, तो

पापा भी बोले- हाँ.. ये ठीक रहेगा।

तो मैंने बोला- एक मिनट आप रुकिए.. मैं अभी आया।

मैं अपने कमरे में गया और लोअर पहना और टी-शर्ट पहन कर आ

गया और अपने पापा के साथ उनके घर पहुँच गया।

फिर पापा उनके घर के बाहर मुझे ड्राप करके वापस चले गए।

मैंने विनोद के घर की घण्टी बजाई।

तभी दरवाजे की घन्टी बजी.. मैंने गेट खोला तो पापा ही

थे।

माँ ने आकर उन्हें पानी दिया और विनोद की बात बताते हुए

कहने लगीं- मैंने बोल दिया है.. राहुल को 9 बजे तक भेज दूँगीं।

तो पापा का भी पता नहीं क्या मूड था.. उन्होंने भी ‘हाँ’

कर दी।

फिर क्या था.. मेरे मन में हज़ारों तरह की तरंगें दौड़ने लगीं।

फिर पापा ने मुझे बुलाया और कहने लगे- उसका घर कहाँ है?

तो मैंने बोला- बस पास में ही है..

तो उन्होंने कार की चाभी दी और बोला गाड़ी अन्दर कर

दो और फिर चले जाओ।

मेरी माँ बोलीं- अरे यह क्या.. आप इसे उनके घर छोड़ आओ..

आप उनका घर भी देख लोगे.. कहाँ है?

शायद यह माँ की अपने बेटे के लिए चिंता बोल रही थी, तो

पापा भी बोले- हाँ.. ये ठीक रहेगा।

तो मैंने बोला- एक मिनट आप रुकिए.. मैं अभी आया।

मैं अपने कमरे में गया और लोअर पहना और टी-शर्ट पहन कर आ

गया और अपने पापा के साथ उनके घर पहुँच गया।

फिर पापा उनके घर के बाहर मुझे ड्राप करके वापस चले गए।

मैंने विनोद के घर की घण्टी बजाई।

तो वो मुस्कुराते हुए अपनी भौंहें तान कर बोली- अरे ये क्या..

मैं भला.. बुरा क्यों मानूंगी.. मुझे तो अपने नवाब का कहना

मानना ही पड़ेगा।

तो मैंने बोला- मैं कोई नवाब नहीं हूँ।

बोली- तो क्या हुआ.. शौक तो नवाबों वाले हैं।

फिर वो रसोई गई और मेरे लिए चाय ले आई और मुझे चाय का

कप पकड़ाते हुए हँसने लगी।

मैंने कारण पूछा- अब क्या हुआ?

तो बोली- और कोई हुक्म..?

मैंने बोला- यार प्लीज़.. मेरा मजाक मत उड़ाओ नहीं तो मैं

नाराज हो जाऊँगा।

वो बोली- अरे ऐसा मत करना.. भला अपनी दासी से कोई

नाराज़ होता है.. नहीं न.. बल्कि हुक्म देता है।

मैंने बोला- अच्छा अगर यही बात है.. तो क्या मेरी इच्छा पूरी

करोगी?

तो बोली- मैं तो तुम्हारी हर इच्छा पूरी करने के लिए तैयार हूँ।

मैंने बोला- मेरे मन में बहुत दिन से था कि जब मेरी शादी हो

जाएगी तो अपनी बीवी को रात भर निर्वस्त्र रखूँगा.. क्या

आप मेरे लिए अपने सारे कपड़े उतार सकती हैं।

वो बोली- बस.. इत्ती सी बात.. राहुल मैं तुम्हारे लिए कुछ

भी कर सकती हूँ.. मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूँ।

यह कहते हुए माया ने एक-एक करके सारे कपड़े निकाल दिए।

उसके जोश और मादकता से भरे शरीर को देखकर मेरे पप्पू

पहलवान में भी जान आने लगी और धीरे-धीरे लौड़े के अकड़ने से

मेरे लोअर के अन्दर टेंट सा बन गया..

जिसे माया ने देख लिया और मुस्कराते हुए बोली- मेरा असली

राजकुमार तो ये है.. जो मुझे देखते ही नमस्कार करने लगता है

और एक तुम हो जो हमेशा मेरे राजाबाबू को दबाते और मुझसे

छिपाते रहते हो।

मैंने बोला- अरे ऐसा नहीं है.. आओ मेरे पास आ कर बैठो।

वो मुस्कुराते हुए मेरे बगल में बैठ गई तो मैंने उसके गाल पर चुम्बन

लिया और अपनी गोद में लिटा लिया।

हम दोनों की प्यार भरी बातें होने लगी जिससे हम दोनों

को काफी अच्छा महसूस हो रहा था.. ऐसा मन कर रहा था

कि जैसे बस इसी घड़ी समय रुक जाए और ये पल ऐसे ही बने रहें।

मैं कभी उसके बालों से खेलता तो कभी उसकी नशीली आँखों

में झांकते हुए उसके होंठों में अपनी उँगलियों को घुमाता..

जिससे दोनों को ही मज़ा आ रहा था।

मुझे तो मानो जन्नत सी मिल गई थी, क्योंकि ये अहसास

मेरा पहला अहसास था।

मैं और वो इस खेल में इतना लीन हो गए थे कि मुझे पता ही न

चला कि मैंने कब उसके उरोजों को नग्न कर दिया और उसको

भी कोई होश न था कि उसके मम्मे अब कपड़ों की गिरफ्त से

आज़ाद हैं।

जब मैंने उसके कोमल संतरों और गेंद की तरह सख्त उरोजों को

मल-मल कर रगड़ना और सहलाना प्रारम्भ किया तो उनके मुख

से एक आनन्दमयी सीत्कार “आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” निकल पड़ी।

जिसके कारण मेरा रोम-रोम खिल उठा और मैंने माया के

किशमिशी टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से मींजने

लगा। जिससे माया को अहसास हुआ कि उसके गेंदनुमा

खिलौने कपड़ों की गिरफ्त से छूट कर मेरे हाथों में समा चुके हैं।

उसके मुख की सीत्कार देखते ही देखते बढ़ती चली गई-

आआअहह श्ह्ह्हह्ह् ह्ह्ह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है राहुल.. इनको

मुँह से चूसो.. चूस लो इनका रस.. निकाल दो इसकी सारी

ऐंठन..

मैंने उसी अवस्था में झुक कर उनके माथे को चूमा और उनकी

आँखों में आनन्द की झलक देखने लगा।

एकाएक माया ने अपने हाथों से मेरे सर को झुका कर मेरे होंठों

को अपने होंठों से लगा कर रसपान करने लगी। जिसका मैंने

भी मुँहतोड़ जवाब देते हुए करीब 15 मिनट तक गहरी चुम्मी

ली।

जैसे हम जन्मों के प्यासे.. एक-दूसरे के मुँह में पानी ढूँढ़ रहे हों और

इस प्रक्रिया के दौरान उसके मम्मों की भी मालिश जारी

रखी जिससे माया के अन्दर एक अजीब सा नशा चढ़ता चला

गया जो कि उसकी निगाहों से साफ़ पता चल रहा था।

फिर धीरे से उसने मेरे होंठों को आज़ाद करते हुए अपने मम्मों

को चूसने का इशारा किया तो मैंने भी बिना देर करते हुए ही

उसके सर को अपनी गोद से हटाकर कुशन पर रखा और घुटनों के

बल जमीन पर बैठ कर उसके चूचों का रस चूसने लगा।

क्या मस्त चूचे थे यार.. पूछो मत।

मैं सुबह तो इतना उत्तेजित था कि मैंने इन पर इतना ध्यान ही

न दिया था।

लेकिन हाँ.. इस वक़्त मैं उसको चूसते हुए एक अज़ब से आनन्द के

सागर में गोते लगाने लगा था। उसके चूचे इतने कोमल कि जैसे मैं

किसी स्ट्रॉबेरी को मुँह में लेकर चूस रहा हूँ..

इस कल्पना को शब्दों में परिणित ही नहीं कर सकता कि

क्या मस्त अहसास था उसका..

मैं अपने दूसरे हाथ से उसके टिप्पों को मसल रहा था, जिससे

माया के मुँह से आनन्दभरी सीत्कार ‘आआअह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’

निकल जाती जिससे मैं अपने आप आनन्द में डूब कर उसके मम्मों

को और जोर से चूसने और रगड़ने लगता।

माया को भी इस खेल में इतना आनन्द आ रहा था जो कि

उसके बदन की ऐंठन से साफ़ पता चल रहा था और हो भी क्यों

न… जब इतना कामोत्तेजक माहौल होगा.. तो कुछ भी हो

सकता था।

मैं कभी उसके बालों से खेलता तो कभी उसकी नशीली आँखों

में झांकते हुए उसके होंठों में अपनी उँगलियों को घुमाता..

जिससे दोनों को ही मज़ा आ रहा था।

मुझे तो मानो जन्नत सी मिल गई थी, क्योंकि ये अहसास

मेरा पहला अहसास था।

मैं और वो इस खेल में इतना लीन हो गए थे कि मुझे पता ही न

चला कि मैंने कब उसके उरोजों को नग्न कर दिया और उसको

भी कोई होश न था कि उसके मम्मे अब कपड़ों की गिरफ्त से

आज़ाद हैं।

जब मैंने उसके कोमल संतरों और गेंद की तरह सख्त उरोजों को

मल-मल कर रगड़ना और सहलाना प्रारम्भ किया तो उनके मुख

से एक आनन्दमयी सीत्कार “आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह” निकल पड़ी।

जिसके कारण मेरा रोम-रोम खिल उठा और मैंने माया के

किशमिशी टिप्पों (निप्पलों) को अपने अंगूठों से मींजने

लगा। जिससे माया को अहसास हुआ कि उसके गेंदनुमा

खिलौने कपड़ों की गिरफ्त से छूट कर मेरे हाथों में समा चुके हैं।

उसके मुख की सीत्कार देखते ही देखते बढ़ती चली गई-

आआअहह श्ह्ह्हह्ह् ह्ह्ह्ह.. बहुत अच्छा लग रहा है राहुल.. इनको

मुँह से चूसो.. चूस लो इनका रस.. निकाल दो इसकी सारी

ऐंठन..

मैंने उसी अवस्था में झुक कर उनके माथे को चूमा और उनकी

आँखों में आनन्द की झलक देखने लगा।

एकाएक माया ने अपने हाथों से मेरे सर को झुका कर मेरे होंठों

को अपने होंठों से लगा कर रसपान करने लगी। जिसका मैंने

भी मुँहतोड़ जवाब देते हुए करीब 15 मिनट तक गहरी चुम्मी

ली।

जैसे हम जन्मों के प्यासे.. एक-दूसरे के मुँह में पानी ढूँढ़ रहे हों और

इस प्रक्रिया के दौरान उसके मम्मों की भी मालिश जारी

रखी जिससे माया के अन्दर एक अजीब सा नशा चढ़ता चला

गया जो कि उसकी निगाहों से साफ़ पता चल रहा था।

फिर धीरे से उसने मेरे होंठों को आज़ाद करते हुए अपने मम्मों

को चूसने का इशारा किया तो मैंने भी बिना देर करते हुए ही

उसके सर को अपनी गोद से हटाकर कुशन पर रखा और घुटनों के

बल जमीन पर बैठ कर उसके चूचों का रस चूसने लगा।

क्या मस्त चूचे थे यार.. पूछो मत।

मैं सुबह तो इतना उत्तेजित था कि मैंने इन पर इतना ध्यान ही

न दिया था।

लेकिन हाँ.. इस वक़्त मैं उसको चूसते हुए एक अज़ब से आनन्द के

सागर में गोते लगाने लगा था। उसके चूचे इतने कोमल कि जैसे मैं

किसी स्ट्रॉबेरी को मुँह में लेकर चूस रहा हूँ..

इस कल्पना को शब्दों में परिणित ही नहीं कर सकता कि

क्या मस्त अहसास था उसका..

मैं अपने दूसरे हाथ से उसके टिप्पों को मसल रहा था, जिससे

माया के मुँह से आनन्दभरी सीत्कार ‘आआअह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’

निकल जाती जिससे मैं अपने आप आनन्द में डूब कर उसके मम्मों

को और जोर से चूसने और रगड़ने लगता।

माया को भी इस खेल में इतना आनन्द आ रहा था जो कि

उसके बदन की ऐंठन से साफ़ पता चल रहा था और हो भी क्यों

न… जब इतना कामोत्तेजक माहौल होगा.. तो कुछ भी हो

सकता था।

यह मैंने केवल फिल्मों में ही देखा था जो कि आज मेरे साथ

हकीकत में हो रहा था। मेरे शरीर में एक अजीब सा करंट दौड़

रहा था जैसे हज़ारों चीटिंयाँ मेरे शरीर पर रेंग रही हों।

कुछ ही मिनटों के बाद मैंने माया से बोला- अब मेरा होने

वाला है.. मुझे कुछ अजीब सी मस्ती हो रही है।

तो माया मेरे सख्त लौड़े को पुनः अपने मुलायम होंठों में

भरकर चूसने लगी और कुछ ही देर में एक ‘आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ के साथ

मेरा गर्म लावा उसके मुँह में समा गया जिसे माया बड़े ही

चाव से चखते हुए पी गई और आँख मारते हुए बोली- कैसा लगा?

तो मैंने उसे अपनी बाँहों में ले कर बोला- सच माया… आज तो

तूने मुझे जन्नत की सैर करा दी।

फिर वो बोली- ये कहाँ से सीखा था?

तो मैंने बोला- ब्लू-फिल्म में ऐसे करते हुए देखा था।

तब उसने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा- तुम कब से ऐसी फिल्म देख रहे

हो?

तो मैंने सच बताया कि अभी कुछ दिन पहले से ही मैं और

विनोद थिएटर में दो-चार ऐसी मूवी देख चुके हैं।

तो उसने आश्चर्य से पूछा- तो विनोद भी जाता है तेरे साथ?

तो मैंने ‘हाँ’ बोला.. फिर उसने पूछा- उसकी कोई गर्ल-फ्रेंड है

कि नहीं?

तो मैंने बताया- हाँ.. है और वो दोनों शादी के लिए तैयार

हैं.. पर पढ़ाई पूरी करने के बाद… वे दोनों एक-दूसरे से काफी

ज्यादा प्यार करते हैं।

तो वो बोली- अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई?

मैंने बोला- अरे.. चिंता मत करो.. वो आपकी बिरादरी की

ही है और उसका स्वभाव भी बढ़िया है।

तो वो बोली- दिखने में कैसी है?

मैंने बोला- अच्छी है और गोरी भी.. पर ये किसी भी तरह आप

उसे मत बताना या पूछना.. नहीं तो विनोद को बुरा लगेगा..

हम तीनों के सिवा किसी को ये पता नहीं है.. पर लड़की के

घर वालों को सब पता है और वक़्त आने पर वो आपके घर भी

आएंगे।

बोली- चलो बढ़िया है.. वैसे भी जब बच्चे बड़े हो जाएं.. तो

उन्हें थोड़ी छूट देना ही चाहिए।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

फिर उसने पूछा- अच्छा एक बात बताओ.. उन दोनों के बीच

‘कुछ’ हुआ कि नहीं?

तो मैंने बोला- हाँ.. हुआ है.. विनोद इस मामले में मुझसे अधिक

भाग्यशाली रहा है।

तो उसने पूछा- क्यों?

मैंने उसके चेहरे के भाव देखे और बात बनाई.. और बोला- अरे उसने

अपना कौमार्य एक कुँवारी लड़की के साथ खोया…

तो इस पर माया रोने लगी और मुझसे रूठ कर दूसरी ओर बैठ गई।

मैंने फिर उसके गालों पर चुम्बन करते हुए बोला- यार तुम भी न..

रोने क्यों लगीं?

तो उसने बोला- सॉरी.. मैं तुम्हें वो ख़ुशी नहीं दे पाई।

मैंने बोला- अरे तो क्या हुआ.. माना कि तुमने ऐसा नहीं

किया, पर तुमने मुझे उससे ज्यादा दिया है और तुम उससे कहीं

ज्यादा खूबसूरत और आनन्द देने वाली लगती हो।

यह कहते हुए मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिसमें

माया ने मेरा पूरा साथ दिया।

करीब पांच मिनट बाद माया बोली- तुम परेशान मत होना..

अब मैं ही तुमसे एक कुँवारी लड़की चुदवाऊँगी।

तब उसने मुझसे मुस्कुराते हुए पूछा- तुम कब से ऐसी फिल्म देख रहे

हो?

तो मैंने सच बताया कि अभी कुछ दिन पहले से ही मैं और

विनोद थिएटर में दो-चार ऐसी मूवी देख चुके हैं।

तो उसने आश्चर्य से पूछा- तो विनोद भी जाता है तेरे साथ?

तो मैंने ‘हाँ’ बोला.. फिर उसने पूछा- उसकी कोई गर्ल-फ्रेंड है

कि नहीं?

तो मैंने बताया- हाँ.. है और वो दोनों शादी के लिए तैयार

हैं.. पर पढ़ाई पूरी करने के बाद… वे दोनों एक-दूसरे से काफी

ज्यादा प्यार करते हैं।

तो वो बोली- अच्छा तो बात यहाँ तक पहुँच गई?

मैंने बोला- अरे.. चिंता मत करो.. वो आपकी बिरादरी की

ही है और उसका स्वभाव भी बढ़िया है।

तो वो बोली- दिखने में कैसी है?

मैंने बोला- अच्छी है और गोरी भी.. पर ये किसी भी तरह आप

उसे मत बताना या पूछना.. नहीं तो विनोद को बुरा लगेगा..

हम तीनों के सिवा किसी को ये पता नहीं है.. पर लड़की के

घर वालों को सब पता है और वक़्त आने पर वो आपके घर भी

आएंगे।

बोली- चलो बढ़िया है.. वैसे भी जब बच्चे बड़े हो जाएं.. तो

उन्हें थोड़ी छूट देना ही चाहिए।

मैंने ‘हाँ’ में सर हिलाया।

फिर उसने पूछा- अच्छा एक बात बताओ.. उन दोनों के बीच

‘कुछ’ हुआ कि नहीं?

तो मैंने बोला- हाँ.. हुआ है.. विनोद इस मामले में मुझसे अधिक

भाग्यशाली रहा है।

तो उसने पूछा- क्यों?

मैंने उसके चेहरे के भाव देखे और बात बनाई.. और बोला- अरे उसने

अपना कौमार्य एक कुँवारी लड़की के साथ खोया…

तो इस पर माया रोने लगी और मुझसे रूठ कर दूसरी ओर बैठ गई।

मैंने फिर उसके गालों पर चुम्बन करते हुए बोला- यार तुम भी न..

रोने क्यों लगीं?

तो उसने बोला- सॉरी.. मैं तुम्हें वो ख़ुशी नहीं दे पाई।

मैंने बोला- अरे तो क्या हुआ.. माना कि तुमने ऐसा नहीं

किया, पर तुमने मुझे उससे ज्यादा दिया है और तुम उससे कहीं

ज्यादा खूबसूरत और आनन्द देने वाली लगती हो।

यह कहते हुए मैं उसके होंठों का रसपान करने लगा.. जिसमें

माया ने मेरा पूरा साथ दिया।

करीब पांच मिनट बाद माया बोली- तुम परेशान मत होना..

अब मैं ही तुमसे एक कुँवारी लड़की चुदवाऊँगी।

कहते हुए झड़ गई,

जिससे मेरी ऊँगलियाँ उसके कामरस से तर-बतर हो गईं..

पर मैं उसकी चूत के दाने को अभी भी धीरे-धीरे मसलता ही

रहा और उसकी पीठ पर चुम्बन करते हुए उसे एक बार फिर से

लण्ड खाने के लिए मज़बूर कर दिया।



इस तरह जैसे ही मैंने दुबारा माया की तड़प बढ़ाई तो माया से

रहा नहीं गया और ऊँचे स्वर में मुझसे बोली- जान और न

तड़पाओ अब.. बुझा दो मेरी प्यास को..

तो मैंने भी देर न करते हुए थोड़ा सा उसे अपने ठोकने के

मुताबिक़ ठीक किया और अपने लौड़े को हाथ से पकड़ कर

उसकी चूत के ऊपर ही ऊपर घिसने लगा.. ताकि उसके कामरस

से मेरे लण्ड में थोड़ी चिकनाई आ जाए..

अब माया और बेहाल हो गई और गिड़गिड़ाते स्वर में मुझसे

जल्दी चोदने की याचना करने लगी।

जिसके बाद मैंने उसके सुन्दर कोमल नितम्ब पर एक चांटा जड़

दिया और उससे बोला- बस अभी शुरू करता हूँ।

मेरे द्वारा उसके नितम्ब पर चांटा मारने से उसका नितम्ब

लाल पड़ गया था और उसके मुख से एक दर्द भरी ‘आह्ह्ह ह्ह्ह’

सिसकारी निकल गई जो कि काफी आनन्दभरी थी।

मुझे उसकी इस ‘आह’ पर बहुत आनन्द आया था.. इसीलिए मैंने

बिना सोचे-समझे.. उसके दोनों चूतड़ों पर एक बार फिर से चांटे

मारे.. जिससे उसकी फिर से मस्त ‘आआआअह’ निकल गई।

वो बोलने लगी- प्लीज़ अब और न तरसाओ.. जल्दी से पेल दो..

फिर मैंने अपने लौड़े को धीरे से उसकी चूत के छेद पर सैट किया

और उसके चूतड़ को नीचे की ओर दबा कर अपने लण्ड को

उसकी चूत में धकेला जिससे माया के मुख से एक सिसकारी

‘श्ह्ह्ह्ह्ह्ह’ निकल गई और मेरा लौड़ा लगभग आधा.. माया

की चूत में सरकता हुआ चला गया और मैंने फिर से अपने लौड़े

को थोड़ा बाहर निकाल कर फिर थोड़ा तेज़ अन्दर को धकेल

दिया..

जिसे माया बर्दास्त न कर पाई और फिर से उसके मुख से एक

चीख निकल गई।

‘आआअह्हा आआआ हाआआआ श्ह्ह्ह्ह’

मैंने इस बार बिना रुके माया की चुदाई चालू रखी। मुझे बहुत

आनन्द आ रहा था मैंने फिल्म देखते वक़्त भी सोचा था कि

जीवन में इस तरह एक बार जरूर चोदूँगा.. पर मेरी इच्छा इतनी

जल्द पूरी हो जाएगी, इसकी कल्पना न की थी।

अब मैं धीरे-धीरे माया की चूत में अपना लण्ड आगे-पीछे करने

लगा.. जिससे माया को भी थोड़ी देर में आनन्द आने लगा और

वो भी प्रतिक्रिया में अपनी गाण्ड पीछे दबा-दबा कर

सिसियाते चुदवाने लगी ‘अह्ह्हह्ह्ह्ह उउउह्ह्ह्ह्ह् श्ह्ह्ह्ह’

यार.. सच में मुझे बहुत अच्छा लग रहा था मैंने आनन्द को और

बढ़ाने के लिए उसके चूतड़ों पर फिर से चांटे मारे.. जिससे

माया कराह उठती ‘आआआह दर्द होता है जान..’

इस मरमरी अदा से उसने अपनी गर्दन घुमा कर मेरी ओर देखा

था कि मैं तो उसका दीवाना हो गया और मैंने अपने हाथों

को उसके स्तनों पर रख दिया और उन्हें धीरे-धीरे सहलाते हुए

दबाने लगा और कभी-कभी उसके टिप्पों (निप्पलों) को अपने

अंगूठों से दबा देता.. जिससे माया का कामजोश दुगना हो

जाता और वो तेज़-तेज़ से चुदवाने लगती।

फिर माया को मैंने उतारा और अब मैं सोफे पर बैठ गया और उसे

मैंने अपने ऊपर बैठने को बोला।

वो समझ गई और मेरी ओर पीठ करके मेरे लण्ड को हाथ से अपनी

चूत पर सैट करके धीरे से पूरा लण्ड निगल गई.. जैसे कोई अजगर

अपने शिकार को निगल जाता है।

फिर मैंने उसके चूचों को रगड़ना और मसलना चालू किया..

जिससे वो अपने आप का काबू खो बैठी और तेज़-तेज़ से चुदाई

करने लगी।

मुझे इतना आनन्द आ रहा था कि पता ही न चला कि हम

दोनों का रस कब एक-दूसरे की कैद से आज़ाद होकर मिलन की

ओर चल दिया।

उसकी और मेरी.. हम दोनों की साँसें इतनी तेज़ चल रही थीं

कि दोनों की साँसों को थमने में 10 मिनट लग गए और फिर

हम दोनों एक-दूसरे को चुम्बन करने लगे।

फिर उसने मेरी ओर बहुत ही प्यार भरी नज़रों से देखते हुए एक

संतुष्टि भरी मुस्कान फेंकी.. तो मैंने भी उसकी इस अदा का

जवाब उसकी आँखों को चूम कर दिया और पूछा- तुम्हें कैसा

लगा?

तो वो बोली- सच राहुल… आज तक मुझे ऐसी फीलिंग कभी

नहीं हुई.. तुमने तो सच में मुझे बहुत आनन्द दे दिया.. मैं आज बहुत

खुश हूँ.. आई लव यू राहुल

वो ये सब बोलते हुए मेरे लौड़े को सहलाने लगी जो कि उस

वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई घोड़ा लम्बी दौड़ लगाकर

सुस्ता रहा हो और मैं भी उसके शरीर में अपनी ऊँगलियां

दौड़ा रहा था.. जिससे दोनों को अच्छा लग रहा था।

मैंने माया से बोला- अच्छा मेरे इस खेल में तो तुम मज़ा ले चुकी

और तुमने मेरी बात मानकर मेरी इच्छा भी पूरी की है.. तो अब

मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि तुम जो कहो मैं वो करूँ।

तो माया बोली- यार मुझे क्या पता था इसमें उससे कहीं

ज्यादा मज़ा आएगा.. पर तुम अगर जानना चाहते हो कि मेरी

इच्छा क्या थी.. तो तुम मेरे साथ मेरे कमरे में चलो..

इतना कहकर माया उठी और मेरा हाथ थाम कर साथ चलने का

इशारा किया.. तो मैं भी खड़ा हो गया और मैंने अपना

बायाँ हाथ उसकी पीठ की तरफ से कन्धों के नीचे ले जाकर

उसके बाएं चूचे को पकड़ लिया।

उसने मेरी इस हरकत पर प्यार से अपने दायें हाथ से मेरे गाल पर

एक हलकी थाप देकर बोली- बहुत बदमाश हो गए हो.. कोई

मौका नहीं छोड़ते..

तो मैंने धीरे से बोला- तुम हो ही इतनी मस्त.. कि मेरी जगह

कोई भी होता तो यही करता..

यह कहते हुए एक बार फिर से मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में

भर कर जोरदार तरीके से चूसा.. जिससे उसके होंठ लाल हो

गए।

होंठ छूटते ही माया बोली- सच राहुल तुम्हारी यही अदा मुझे

तुम्हारा दीवाना बनने में मजबूर कर देती है.. खूब अच्छे से रगड़

लेते हो.. लगता नहीं है कि तुम इस खेल में नए हो।

तब तक हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों

वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया।

अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है..

तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया?

तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है।

तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा?

तो वो बोली- सच राहुल… आज तक मुझे ऐसी फीलिंग कभी

नहीं हुई.. तुमने तो सच में मुझे बहुत आनन्द दे दिया.. मैं आज बहुत

खुश हूँ.. आई लव यू राहुल

वो ये सब बोलते हुए मेरे लौड़े को सहलाने लगी जो कि उस

वक़्त ऐसा लग रहा था जैसे कोई घोड़ा लम्बी दौड़ लगाकर

सुस्ता रहा हो और मैं भी उसके शरीर में अपनी ऊँगलियां

दौड़ा रहा था.. जिससे दोनों को अच्छा लग रहा था।

मैंने माया से बोला- अच्छा मेरे इस खेल में तो तुम मज़ा ले चुकी

और तुमने मेरी बात मानकर मेरी इच्छा भी पूरी की है.. तो अब

मेरा भी फ़र्ज़ बनता है कि तुम जो कहो मैं वो करूँ।

तो माया बोली- यार मुझे क्या पता था इसमें उससे कहीं

ज्यादा मज़ा आएगा.. पर तुम अगर जानना चाहते हो कि मेरी

इच्छा क्या थी.. तो तुम मेरे साथ मेरे कमरे में चलो..

इतना कहकर माया उठी और मेरा हाथ थाम कर साथ चलने का

इशारा किया.. तो मैं भी खड़ा हो गया और मैंने अपना

बायाँ हाथ उसकी पीठ की तरफ से कन्धों के नीचे ले जाकर

उसके बाएं चूचे को पकड़ लिया।

उसने मेरी इस हरकत पर प्यार से अपने दायें हाथ से मेरे गाल पर

एक हलकी थाप देकर बोली- बहुत बदमाश हो गए हो.. कोई

मौका नहीं छोड़ते..

तो मैंने धीरे से बोला- तुम हो ही इतनी मस्त.. कि मेरी जगह

कोई भी होता तो यही करता..

यह कहते हुए एक बार फिर से मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में

भर कर जोरदार तरीके से चूसा.. जिससे उसके होंठ लाल हो

गए।

होंठ छूटते ही माया बोली- सच राहुल तुम्हारी यही अदा मुझे

तुम्हारा दीवाना बनने में मजबूर कर देती है.. खूब अच्छे से रगड़

लेते हो.. लगता नहीं है कि तुम इस खेल में नए हो।

तब तक हम दोनों कमरे में आ चुके थे.. फिर माया और मैं दोनों

वाशरूम गए.. वहाँ उसने गीजर ऑन किया।

अब तब मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि ये चाहती क्या है..

तो मैंने उससे पूछा- गीजर क्यों ऑन किया?

तो बोली- आज मुझे भी अपनी एक इच्छा पूरी करनी है।

तो मैंने आश्चर्य से उससे पूछा- कैसी इच्छा?

उसने फिर से अपने हाथों से लौड़ा पकड़ा और एक ही झटके में

मेरे ऊपर बैठ गई.. जिससे मुझे ऐसा लग रहा था जैसे ठन्ड में रज़ाई

का काम होता है.. ठीक वैसे ही उसकी चूत मेरे लौड़े पर अपनी

गर्मी बरसा रही थी।

यह काफी आनन्ददायक आसन था और मैं जोश में भरकर उसके

टिप्पों को नोंचने और रगड़ने लगा.. जिससे उसकी दर्द भरी

मादक ‘आआआह’ निकलने लगी।

थोड़ी देर में ही मैंने महसूस किया मेरे लौड़े पर उसकी चूत ने

बारिश कर दी और देखते ही देखते वो आँखें बंद करके मेरी बाँहों

में सिकुड़ गई.. जैसे उसमें दम ही न बची हो।

अब वो मुझे अपनी बाँहों में जकड़ कर मेरे सीने पर चुम्बन करने

लगी..

पर मेरी बरसात होनी अभी बाकी थी..

तो मैंने धीरे से उसके नितम्ब को थोड़ा सा ऊपर उठाया

ताकि मैं अपने सामान को नीचे से ही आराम से उसकी चूत में

पेल सकूँ..

माया भी बहुत खुश थी उसने बिना देर लगाए.. वैसा ही

किया तो मैंने धीरे-धीरे कमर उठा-उठा कर उसकी ठुकाई चालू

कर दी.. जिससे उसकी चूत फिर से पनियाने लगी और मेरा

सामान एक बार फिर से आनन्द रस के सागर में गोते लगाने

लगा।

माया के मुँह से भी चुदासी लौन्डिया जैसी आवाज़ निकलने

लगी।

‘आअह्ह्ह्ह आआह बहुत अच्छा लग रहा है जान.. आई लव यू ऐसे

ही करते रहो.. दे दो मुझे अपना सब कुछ.. आआआहह आआअह

म्मम्म..’

मैं भी बुदबुदाते हुए बोलने लगा- हाँ जान.. तुम्हारा ही है ये..

तुम बस मज़े लो..

और ऐसे ही देखते ही देखते हम दोनों की एक तेज ‘अह्ह्ह’ के

साथ-साथ माया और मेरे सामान का पानी छूटने लगा और हम

दोनों इतना थक गए कि उठने की हिम्मत ही न बची थी।

कुछ देर माया मेरी बाँहों में जकड़ी हुई ऐसे लेटी रही.. जैसे कि

उसमें जान ही न बची हो।

फिर मैंने धीरे से उसे उठाया और दोनों ने शावर लिया और एक-

दूसरे के अंगों को पोंछ कर कमरे में आ गए।

मुझे और माया दोनों को ही काफी थकान आ गई थी तो मैंने

माया को लिटाया और उससे चाय के लिए पूछा तो उसने

‘हाँ’ बोला।

यार.. कुछ भी बोलो पर मुझे चाय पीने का बहाना चाहिए

रहता है बस..

फिर मैं रसोई में गया और उसके और अपने लिए एक अच्छी सी

अदरक वाली चाय बना ली और हम दोनों ने साथ-साथ चाय

की चुस्कियों का आनन्द लिया।

कुछ देर में हम दोनों की थकान मिट गई और उस रात हमने कई

बार चुदाई की..

जो कि सुबह के 7 बजे तक चली..

ऐसा लग रहा था जैसे हमारी सुहागरात हो..

हम दोनों की जांघें दर्द से भर गई थीं तो मैंने और उसने एक-एक

दर्द निवारक गोली खाई और एक-दूसरे को बाँहों में लेकर

प्यार करते हुए कब नींद की आगोश में चले गए पता ही न चला।

फिर करीब 2 से 3 बजे के आसपास मेरी आँख खुली तो मैंने अपने

बगल में माया को भी सोते हुए पाया.. शायद वो भी थक गई

थी।

वो मेरे करीब कुछ इस तरह से सो रही थी कि उसकी नग्न पीठ

मेरी ओर थी और उसके चिकने नितम्ब मेरे पेट से चिपके हुए थे..

मैंने उसे हल्के से आवाज़ लगाई- उठो माया.. उठो बहुत देर हो

गई है.. पर इस सबका जब असर नहीं हुआ तो मैं उसके हॉर्न (चूचों)

को मसल कर उसके गालों पर चुम्बन करने लगा..

जिससे वो थोड़ा होश में आई और बोली- सोने दो प्लीज़..

मुझे अभी नहीं उठना.. परेशान मत करो प्लीज़..

मैंने बोला- अरे 3 बज रहे हैं.. उठो।

तो बोली- हाय रे.. सच्ची 3 बज गया।

मैंने उसको घड़ी दिखाई और बोला- खुद देख लो…

तो बोली- यार आज इतनी अच्छी नींद आई कि मेरा अभी

भी उठने का मन नहीं हो रहा है.. पर अब उठना भी पड़ेगा..

चलो तुम फ्रेश हो जाओ.. मैं बस पांच मिनट में उठती हूँ।

मैंने उसके गाल पर एक चुम्बन किया और बाथरूम चला गया।

करीब तीस मिनट बाद जब बाहर निकला तो देखा माया

फिर से सो रही थी।

उसके चूचे कसे होने के कारण ऐसे लग रहे थे जैसे केक के ऊपर

किसी ने चैरी रख दी हो।

मैं उसके नशीले बदन को देखकर इतना कामुक हो गया कि मेरे

दिमाग में ही उसकी चुदाई होने लगी और मेरा हाथ अपने आप

ही मेरे लौड़े पर चला गया था।

देखते ही देखते मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।

मैंने भी देर न करते हुए उसके ऊपर जाकर उसके होंठों की चुसाई

चालू कर दी, जिससे उसकी नींद टूट गई और वो मेरा साथ देने

लगी।

फिर करीब पांच मिनट बाद वो बोली- चलो अब मैं उठती हूँ..

तुम्हारे लिए नाश्ता वगैरह भी बनाना है।

पर मेरा ध्यान तो उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था।

मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए लगातार उसके चूचों को

दबा रहा था और बीच-बीच में उसके टिप्पों को मसल भी

देता..

जिससे माया एक आनन्दमयी सिसकारी “स्स्स्स्स्शह” के

साथ कसमसा उठती।

मैं उसकी गर्दन और गालों पर चुम्बन भी कर रहा था, जिसे

माया भी एन्जॉय करने लगी थी।

फिर मैं थोड़ा नीचे की ओर बढ़ा और उसके चूचों को मुँह में भर

कर बारी-बारी से चूसने लगा.. जिससे माया ने अपने हाथों

को मेरे सर पर रख कर अपने चूचों पर दबाने लगी।

‘आआह्ह्ह उउम्म्म श्ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ के साथ बोलने लगी-

मेरी जान.. खा जाओ इन्हें.. बहुत अच्छा लग रहा है.. हाँ.. ऐसे

ही बस चूस लो इनका सारा रस…

मेरा लण्ड उसकी जाँघों पर ऐसे रगड़ खा रहा था.. जैसे कोई

अपना सर दीवार पर पटक रहा हो।

फिर मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसेड़ कर उसे

अपनी उँगलियों से चोदने लगा.. जिससे माया बुरी तरह

सिसिया उठी।

‘श्ह्ह्ह… अह्ह्ह.. ऊऊओह्ह्ह.. उउम्म्म…’

वो तड़पने लगी.. पर मैं भी अब सब कुछ समझ गया था कि

किसी को कैसे मज़ा दिया जा सकता है।

तो मैं उसके निप्पलों को कभी चूसता तो कभी उसके होंठों

को चूसता.. जिससे माया की कामाग्नि बढ़ती ही चली गई

और मुझसे बार-बार लौड़े को अन्दर डालने के लिए बोलने

लगी।

वो मेरी इस क्रिया से इतना आनन्द में हो चुकी थी कि वो

खुद ही अपनी कमर उठा-उठा कर मेरी उँगलियों को अपनी चूत

में निगलते हुए- अह्हह्ह उउउउम.. बहुत दिनों बाद ऐसा सुख मिल

रहा है आह्ह्ह्ह्ह राहुल आई लव यू ऐसे ही बस मुझे अपना प्यार देते

रहना आआह उउउम्म्म…

फिर करीब 2 से 3 बजे के आसपास मेरी आँख खुली तो मैंने अपने

बगल में माया को भी सोते हुए पाया.. शायद वो भी थक गई

थी।

वो मेरे करीब कुछ इस तरह से सो रही थी कि उसकी नग्न पीठ

मेरी ओर थी और उसके चिकने नितम्ब मेरे पेट से चिपके हुए थे..

मैंने उसे हल्के से आवाज़ लगाई- उठो माया.. उठो बहुत देर हो

गई है.. पर इस सबका जब असर नहीं हुआ तो मैं उसके हॉर्न (चूचों)

को मसल कर उसके गालों पर चुम्बन करने लगा..

जिससे वो थोड़ा होश में आई और बोली- सोने दो प्लीज़..

मुझे अभी नहीं उठना.. परेशान मत करो प्लीज़..

मैंने बोला- अरे 3 बज रहे हैं.. उठो।

तो बोली- हाय रे.. सच्ची 3 बज गया।

मैंने उसको घड़ी दिखाई और बोला- खुद देख लो…

तो बोली- यार आज इतनी अच्छी नींद आई कि मेरा अभी

भी उठने का मन नहीं हो रहा है.. पर अब उठना भी पड़ेगा..

चलो तुम फ्रेश हो जाओ.. मैं बस पांच मिनट में उठती हूँ।

मैंने उसके गाल पर एक चुम्बन किया और बाथरूम चला गया।

करीब तीस मिनट बाद जब बाहर निकला तो देखा माया

फिर से सो रही थी।

उसके चूचे कसे होने के कारण ऐसे लग रहे थे जैसे केक के ऊपर

किसी ने चैरी रख दी हो।

मैं उसके नशीले बदन को देखकर इतना कामुक हो गया कि मेरे

दिमाग में ही उसकी चुदाई होने लगी और मेरा हाथ अपने आप

ही मेरे लौड़े पर चला गया था।

देखते ही देखते मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया।

मैंने भी देर न करते हुए उसके ऊपर जाकर उसके होंठों की चुसाई

चालू कर दी, जिससे उसकी नींद टूट गई और वो मेरा साथ देने

लगी।

फिर करीब पांच मिनट बाद वो बोली- चलो अब मैं उठती हूँ..

तुम्हारे लिए नाश्ता वगैरह भी बनाना है।

पर मेरा ध्यान तो उसकी चुदाई करने में लगा हुआ था।

मैं उसकी बात को अनसुना करते हुए लगातार उसके चूचों को

दबा रहा था और बीच-बीच में उसके टिप्पों को मसल भी

देता..

जिससे माया एक आनन्दमयी सिसकारी “स्स्स्स्स्शह” के

साथ कसमसा उठती।

मैं उसकी गर्दन और गालों पर चुम्बन भी कर रहा था, जिसे

माया भी एन्जॉय करने लगी थी।

फिर मैं थोड़ा नीचे की ओर बढ़ा और उसके चूचों को मुँह में भर

कर बारी-बारी से चूसने लगा.. जिससे माया ने अपने हाथों

को मेरे सर पर रख कर अपने चूचों पर दबाने लगी।

‘आआह्ह्ह उउम्म्म श्ह्ह्ह्ह्ह्ह…’ की आवाज़ के साथ बोलने लगी-

मेरी जान.. खा जाओ इन्हें.. बहुत अच्छा लग रहा है.. हाँ.. ऐसे

ही बस चूस लो इनका सारा रस…

मेरा लण्ड उसकी जाँघों पर ऐसे रगड़ खा रहा था.. जैसे कोई

अपना सर दीवार पर पटक रहा हो।

फिर मैंने धीरे से उसकी चूत में अपनी दो ऊँगलियाँ घुसेड़ कर उसे

अपनी उँगलियों से चोदने लगा.. जिससे माया बुरी तरह

सिसिया उठी।

‘श्ह्ह्ह… अह्ह्ह.. ऊऊओह्ह्ह.. उउम्म्म…’

वो तड़पने लगी.. पर मैं भी अब सब कुछ समझ गया था कि

किसी को कैसे मज़ा दिया जा सकता है।

तो मैं उसके निप्पलों को कभी चूसता तो कभी उसके होंठों

को चूसता.. जिससे माया की कामाग्नि बढ़ती ही चली गई

और मुझसे बार-बार लौड़े को अन्दर डालने के लिए बोलने

लगी।

वो मेरी इस क्रिया से इतना आनन्द में हो चुकी थी कि वो

खुद ही अपनी कमर उठा-उठा कर मेरी उँगलियों को अपनी चूत

में निगलते हुए- अह्हह्ह उउउउम.. बहुत दिनों बाद ऐसा सुख मिल

रहा है आह्ह्ह्ह्ह राहुल आई लव यू ऐसे ही बस मुझे अपना प्यार देते

रहना आआह उउउम्म्म…

मैंने उसकी ये बात सुन कर उसे ‘आई लव यू’ बोला और पहले उसे हर्ट

करने के लिए माफ़ी भी मांगी..

पर उसने जवाब में बोला- नहीं यार.. होता है कोई बात नहीं..

मुझे बुरा नहीं लगा।

फिर मैंने भी देर न करते हुए उसकी गांड के छेद पर उसके थूक से

सनी ऊँगली को चलाने लगा.. जिससे उसे भी अच्छा लग रहा

था।

थोड़ी देर बाद मैंने फिर से उसे ऊँगलियां चुसवाईं और अबकी

बार मैंने एक ऊँगली गांड के अन्दर डालने लगा।

उसकी गांड बहुत ही तंग और संकरी थी.. जिससे वो थोड़ा

‘आआआह’ के साथ ऊपर को उचक गई और मेरे दांतों से भी उसके

गुलाबी टिप्पे रगड़ गए।

वो दर्द से भर उठी ‘अह्ह्हह्ह आउच’ के साथ बोली- अन्दर क्यों

डाल रहे थे.. लगती है न..

तो मैंने बोला- थोड़ा साथ दो.. मज़ा आ जाएगा।

फिर से उसके चूचों को अपने मुँह की गिरफ्त में लेकर चूसने लगा

और अपनी ऊँगली को उसकी गांड की दरार में फंसा कर अन्दर

की ओर दाब देने लगा।

इस बार माया ने भी साथ देते हुए अपने छेद को थोड़ा सा

खोल दिया, जिससे मेरी ऊँगली आराम से उसकी गांड में आने-

जाने लगी.. पर सच यार उसके चेहरे के भावों से लग रहा था कि

उसे असहनीय दर्द हो रहा है।

पर मैंने भी ठान रखा था.. होगा तो देखा जाएगा।

फिर उसे प्यार से चूमने-चाटने लगा और देखते ही देखते उसकी

गांड ने मेरी ऊँगली को एडजस्ट कर लिया।

जिससे अब मेरी ऊँगली आराम से अन्दर-बाहर होने लगी और

माया भी मज़े से सिसियाने ‘श्ह्ह्ह्ह’ लगी थी।

मैंने फिर से उसके मुँह में ऊँगलियों को गीला करने के लिए

डाला और उसने भी बिना देर किए ऐसा ही किया।

फिर मैंने अपनी एक ऊँगली उसकी गांड में डाली तो वो

बिना विरोध के आराम से चली गई तो मैंने उसका छेद फ़ैलाने

के लिए फिर से ऊँगली बाहर निकाली और अबकी बार दो

ऊँगलियां उसकी गांड में डालने लगा तो माया फिर से दर्द

भरी “आआअह आउच” और कराह के साथ बोली- राहुल.. दो

नहीं, एक से कर.. मुझे दर्द हो रहा है।

तो मैंने बोला- अभी थोड़ी देर पहले तो एक से भी हो रहा

था.. पर तुम परेशान मत हो.. मैं आराम से करूँगा।

मैं फिर से धीरे-धीरे उसकी गांड की गहराई में अपनी दो

उँगलियों से बोरिंग करने लगा और उसके निप्पलों को चूसने-

चाटने लगा, जिससे माया की चूत से कामरस की धार बहने

लगी।

देखते ही देखते उसकी दर्द भरी ‘आआआआह’ मादक सिसकियों

में परिवर्तित हो गई।

‘श्ह्ह्ह्ह आह्ह्ह्ह ऊऊम’

वो अपनी कमर ऊपर-नीचे करने लगी और अपने मम्मों खुद

सहलाने लगी।

अब वो कंपकंपाती हुई आवाज़ में मुझसे लण्ड चूत में डालने के

लिए बोलने लगी, पर मैंने उससे कहा- मेरा एक कहना मानोगी।

वो बोली- एक नहीं.. सब मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग

शांत तो कर दे बस।

मैंने बोला- पक्का..

तो वो बोली- अब क्या लिख के दूँ.. प्रोमिस.. मैं नहीं

पलटूंगी.. पर जल्दी कर.. अब मुझसे और नहीं रहा जाता।

तो मैंने भी बिना देर किए हुए उसके ऊपर आ गया और उसकी

टांगों को फैलाकर उसकी चूत पर अपना लौड़ा सैट करके

थोड़ा सा अन्दर दबा दिया ताकि निकले न और फिर अपनी

कोहनी को उसके कंधों के अगल-बगल रख कर उसके होंठों को

चूसते हुए उसे चोदने लगा।

अब माया को बहुत अच्छा लग रहा था.. वो भी अपनी कमर

को जवाब में हिलाते हुए चुदाई का भरपूर आनन्द ले रही थी।

जब मैं उसकी चूत में थोड़ा तेज-तेज से लौड़े को अन्दर करता..

तो उसके मुँह से मादक ‘गूं-गू’ की आवाज़ आने लगती.. क्योंकि

उसके होंठ मेरे होंठों की गिरफ्त में थे।

अब माया अपने दोनों मम्मों को खुद ही अपने हाथों से रगड़ने

लगी.. जिससे उसका जोश बढ़ गया और वो जोर-जोर से कमर

हिलाते-हिलाते शांत हो गई।

उसकी चूत इतना अधिक पनिया गई थी कि मेरा लौड़ा

फिसल कर बाहर निकल गया।

मैंने फिर से अपने लौड़े को अन्दर डाला और अब हाथों से उसके

मम्मों को भींचते हुए उसकी चुदाई चालू कर दी.. जिससे वो

एक बार फिर से जोश में आ गई।

अब कुछ देर की शंटिंग के बाद मेरा भी होने वाला था तो मैंने

उसे तेज रफ़्तार से चोदना चालू कर दिया।

मेरी हर ठोकर पर उसके मुँह से मादक आवाज़ आने लगी।

‘अह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्म्म ऊऊओह’ मैं बस कुछ ही देर में उसकी चूत में

स्खलित होने लगा..

मेरे गर्म लावे की गर्मी से चूत ने भी फिर से कामरस की

बौछार कर दी, मैं उसके ऊपर झुक कर उसके गले को चूमने लगा

और निढाल होकर उसके ऊपर ही लेट गया।

थोड़ी देर बाद जब फिर से घड़ी पर निगाह गई तो देखा पांच

बज चुके थे।

माया को मैंने जैसे ही समय बताया तो वो होश में आकर

हड़बड़ा कर उठते हुए बोली- यार तुम्हारे साथ तो पता ही न

चला.. कल तुम कब आए और इतनी देर मैंने तुम्हारे साथ एक ही

बिस्तर पर गुजार दिए… पता नहीं दूध वाला आया होगा और

घंटी बजा कर चला भी गया होगा..

इस तरह की बातों को बोल कर वो परेशान होने लगी.. तो मैंने

बोला- मैं हूँ न.. परेशान मत हो.. हम आज रात बाहर ही डिनर

करेंगे और दूध वगैरह साथ लेते आएंगे।

मैंने उसके मम्मे दबाते हुए बोला- वैसे भी मुझे ये दूध बहुत पसंद है।

तो वो भी चुटकी लेते हुए बोली- ये बस दबाए, रगड़े और चूसे जा

सकते हैं इनसे मैं अपने जानू को चाय नहीं दे सकती।

तो मैंने ताली बजाई और बोला- ये बात.. समझदार हो

काफी।

फिर मैंने उसे याद दिलाया- अभी कुछ देर पहले कुछ बोला था

तुमने.. याद है या भूल गईं?

तो बोली- बता न.. कहना क्या चाहते हो?

तब मैंने कहा- अभी कुछ देर पहले मैंने बोला था कि मेरा एक

कहना मानोगी.. तो तुम बोली थीं कि एक नहीं सब

मानूंगी.. पर पहले इस चूत की आग शांत कर दे।

तो माया बोली- अरे यार तुम बोलो तो सही.. क्या कहना

चाहते थे?

तो मैंने उससे उसकी गांड मारने की इच्छा बता दी।

वो बोली- राहुल मुझे बहुत दर्द होगा.. सुना है, पहली बार के

बाद चलने में भी तकलीफ होती है.. पर तुझे इसी से खुशी

मिलेगी तो मैं तैयार हूँ.. मैं तुझे अब खोना नहीं चाहती.. तू जो

चाहे वो कर..

उसके इस समर्पण भाव को देखकर मैं पिघल गया और उसे अपनी

बाँहों में चिपका लिया। उसके बदन की गर्मी बहुत अच्छी लग

रही थी।

थोड़ी देर ऐसे ही खड़े रहने के कुछ ही देर बाद माया बोली- अब

ऐसे ही खड़े रखना चाहते हो.. या मुझे तैयार होने के लिए जाने

दोगे.. नहीं तो हम बाहर कैसे जायेंगे?

तब तक माया के फ़ोन पर बेल बजी जो कि विनोद की थी।

माया ने झट से फ़ोन रिसीव किया और स्पीकर ऑन करके बात

करते हुए नाइटी पहनने लगी।

उधर से विनोद बोला- क्या माँ.. इतनी बार तुम्हारा फ़ोन

लगाया तुमने एक बार भी नहीं देखा.. मैं बहुत परेशान हो गया

था और राहुल का फ़ोन ऑफ जा रहा था.. वो है कहाँ? आंटी

का भी फोन आया था.. उसके बारे में जानने के लिए.. मैं उन्हें

क्या बताता.. वैसे वो है कहाँ?

माया बहुत घबरा गई.. उसकी कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि

वो क्या बोले.. पर उसने बहुत ही समझदारी के साथ काम

लिया और बोला- अरे फोन तो साइलेंट पर लगा हुआ था अभी

बस केवल लाइट जल रही थी.. तो मैंने उठाया.. तब पता चला

कि तुम्हारा फोन आया है और राहुल का फोन बैटरी खत्म

होने की वजह से ऑफ हो गया था और अभी वो सब्जी लेने

गया है रात के लिए… ख़त्म हो गई थी.. आता है तो उसे बोल

दूँगी कि घर पर बात कर ले और यह बता कल कितने बजे तक आ

रहा है?

तो उसने बोला- यही कोई 11 बज जाएँगे..

बस फिर इधर-उधर की बात के साथ फोन काट दिया।

फिर मुझसे बोली- जा पहले तू भी अपनी माँ से बात कर ले..

तो मैंने बोला- फोन तो ऑफ है अभी आप ने बोला है.. कहीं

माँ ने फिर विनोद से बात की.. तो गड़बड़ हो सकती है।

तो मैं अब घर होकर आता हूँ और मैं भी कपड़े पहनने लगा और

जाते-जाते उससे पूछा- हाँ.. तो आज गांड मारने दोगी न?

तो बोली- बस रात तक वेट करो और घर होकर जल्दी से आओ..

मैं तुम्हारा इन्तजार करुँगी।

कहानी जारी रहेगी

दोस्त की माँ और बहन को चोदने की इच्छा - 3

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