आग्याकारी माँ - 14
उसने एक हाथ ऊपर करके स्टैंडबार से लपेट के पकड़ रखा था. श्वेता स्टैंड बार पर पीठ का सहारा दे कर खड़ी थी. इस स्थिति में उसने अपना बायां पैर झूले पे टिका रखा था … जिससे श्वेता की चुत साफ खुल के नजर आ रही थी. सतीश ने उसी स्थिति में लंड श्वेता की चुत में फिट किया और धक्के लगाना शुरू कर दिया.
सतीश उसके चेहरे को देख पा रहा था, उसके चेहरे पे कामुक भाव थे … माथे पे हल्की सी शिकन थी. श्वेता लंड की हर थाप के साथ
‘उम्म्मम्म हूम्म हम्म उम्ममम…’ की आवाजें निकालते हुए चुदाई का मजा ले रही थी. उसके बॉब्स हर धक्के के साथ उछल कूद कर रहे थे.
सतीश ने उसे कुछ देर ऐसे चोदने के बाद उसके बाएं पैर को उठा लिया और चोदने लगा. बीच बीच में सतीश उसके होंठों पर जीभ फेर देता. श्वेता ने अपने दोनों हाथो को सर के पीछे करके स्टैंड को पकड़ रखा था. जिससे श्वेता की नंगी बगलें सतीश की तरफ खुल गई थीं.
सतीश उसे चोदते हुए श्वेता की बगलों पे जीभ फेर देता, तो श्वेता और गर्म हो जाती.
कुछ देर ऐसे ही चुदने के बाद श्वेता सतीश की कमर में अपने पैर को लपेटने लगी. श्वेता की सांसें तेज हो गईं … उसका बदन अकड़ने लगा. तभी श्वेता की पकड़ ढीली हुई और श्वेता सतीश के ऊपर आ गिरी. श्वेता सतीश के बदन से चिपक गयी और सतीश को अपने बाहों में लेकर झड़ने लगी.
श्वेता ‘आह हम्मम्मय सीसीईई हम्ममम हम्म…’ की आवाजें निकलते हुए जर्क लेते हुए झड़ रही थी … इस वक्त श्वेता कांपते हुए झड़ रही थी. श्वेता सतीश की गर्दन में हाथ डाले हुए थी और अपने पैर सतीश की कमर से लपेटे सतीश के बदन से चिपकी हुयी थी. सतीश उसे उठाकर अपने सीने से चिपकाये बेडरूम में लाया और बेड पे पटक दिया. इस दौरान सतीश का लंड श्वेता की चुत में ही था.
श्वेता कमर से ऊपर तक पीठ के बल बेड पे लेटी थी. सतीश का लंड श्वेता की चुत में था. श्वेता आंखें बंद किये अपनी तेज चलती सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी. सतीश झुका और उसके होंठों पे होंठ रख दिए. अब सतीश अपनी रंडी बहन के होंठों को चूसने लगा. श्वेता भी सतीश का पूरा साथ दे रही थी. श्वेता की उंगलियां सतीश के बालों में थीं. श्वेता सतीश के सर को पकड़ के उस के होंठों को जोर से चूस रही थी. श्वेता इतनी जोर से चूस रही थी, लग रहा था मानो खा जाएगी.
कुछ ही पलों में श्वेता फिर से गर्म हो रही थी. श्वेता अब फिर से गांड हिलाने लगी. सतीश उससे अलग हुआ और उसके दोनों हाथों को उसी अवस्था में सर के तरफ ले जाके क्रमशः अपने दोनों हाथों से पकड़ के बेड में दबा दिया. इससे उसे एक पोजीशन मिली. उसने कमर पे पैरों की पकड़ थोड़ी ढीली कर दी. सतीश ने श्वेता की कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया. श्वेता की चुत अब लंड खाने की पोजीशन में आ गयी थी. सतीश ने धक्के लगाना चालू किए.
श्वेता बस ‘आह हम्म आह एससस्स हम्मम यसस्स हम्म…’ की आवाज निकाल रही थी.
सतीश के धक्कों की गति बढ़ी … तो श्वेता की भाषा बदल गई. अब श्वेता तेज स्वर में बोलने लगी- उम्म्ह… अहह… हय…चोदो चोदो चोदो और तेज चोदो…!!
सतीश और तेज धक्के देने लगा.
श्वेता और तेज चिल्लाने लगी.
श्वेता- “चोद दे … आह और जोर से चोद दे यस … भुर्ता बना दे मेरी चुत का, सॉरी मास्टर उम्म्म अपनी इस छोटी सी रंडी को और जोर से चोदो”
सतीश ने उसके बॉब्स मसलते हुए चुदाई तेज कर दी.
श्वेता- “ओह्ह आह हम्म आई एम योर स्लट सिस्टर मास्टर. … फ़क मी! आपकी रंडी बहन हूँ मास्टर, चोद डाले मुझे”
सतीश श्वेता की इन सब बातों से उत्तेजित हो रहा था. उत्तेजना में सतीश जल्दी झड़ना नही चाहता है. इसलिये सतीशने अपना एक हाथ उसके बांहों से हटा के श्वेता के मुँह पे लाया और उसके मुँह को दबा दिया. अब श्वेता कुछ बोल नहीं पा रही थी. सतीश ने फुल स्पीड बढ़ा दी, सतीश की ताकत जबाव देने लगी थी. सतीश उससे बोला- आह मैं गया.
अगले 15 मिनट में सतीश झड़ गया. सतीश उसके बदन पे निढाल सा गिर गया. सतीश हांफ रहा था. श्वेता सतीश के नीचे दबी थी. उसने सतीश को धकेल के अपने ऊपर से हटाया. सतीश हट उसके बगल में बेड पे पीठ के बल लेट गया. सतीश अपने सांसों पे काबू पाने की कोशिश ही रहा था.
तभी श्वेता उठी और बोली- “लेकिन अभी मेरा नहीं हुआ”
श्वेता सतीश के टपकते लंड को मुँह में लेके चूसने लगी. जब कुछ देर में सतीश सामान्य हुआ तो सतीश ने देखा. वह बेड पे पीठ के सहारे लेटा था. श्वेता अपनी गांड सतीश की तरफ किये लौड़े को चूस रही थी. श्वेता की खुली हुई चुत का लाल सुराख़ उसे दिख रहा था.
क्या मस्त पाव रोटी की तरह थी श्वेता की चुत. श्वेता की चुत से सतीश का और उसका सम्मलित रस टपक रहा था. श्वेता की गुलाबी चुत चमक रही थी. सतीश ने एक उंगली डाल के श्वेता की चुत का मुआयना किया. कोई हलचल नहीं हुई. श्वेता अपने काम में लगी हुई थी.
सतीश ने देखा श्वेता की चुत एकदम गीली हो चुकी थी. सतीश ने 2 उंगलियां डाल दी कोई फर्क नहीं पड़ा. सतीश ने चार उंगलिया पेल दीं, उसने लंड मुँह से निकाला और चीख उठी
“आह आहह आहह …!!
उसका एक हाथ सतीश के लौड़े पे अभी भी चल रहा था. सतीश ने उंगलियां निकालीं, जो उसके रस से भीगी हुई थीं. सतीश उंगलियों को उसके मुँह के पास ले गया. श्वेता चाट गयी और उसे एक कामुक स्माइल दी.
सतीश ने भी श्वेता की चुत रस को चाटा. चुत रस सेक्स में एनर्जी ड्रिंक की तरह काम करता है. उसकी बहन की चूत का रस तो उसके लाइफ का सबसे टेस्टी जूस था.
अब श्वेता आगे झुक गयी और लौड़े को वापस मुँह में ले लिया और चूसने लगी. उसकी फूली तथा उभरी हुई गांड उसे साफ नजर आ रही थी. सतीश ने एक हल्की सी चपत उसके गांड पे लगा दी. उसकी गांड में कम्पन हुआ, तो सतीश को बड़ा मजा आया. सतीश ऐसे ही धीरे धीरे उसके गांड पे चपत लगाता रहा. उसके गांड कामुक अंदाज में हिलते.
श्वेता आगे की तरफ झुकी, सतीश के लौड़े को फिर से खड़ा करने के मशक्कत में जुटी थी. कभी श्वेता लंड को पूरा मुँह में ले के चूसती, सतीश के बॉल्स को चाटती. श्वेता पूरे मन से लंड चूस रही थी.
कुछ मिनट बाद श्वेता की मेहनत रंग लाई. सतीश का लंड फिर से फुंफकारने लगा. सतीश का लंड फिर रॉड की तरह टाइट हो गया. लंड फिर से तैयार था, श्वेता की चुत के परखच्चे उड़ाने के लिए.
सतीश उसके गांड पे किस करते हुए उठा और सतीश ने उसे वहीं बेड पे ही घोड़ी बना दिया. सतीश खुद घुटने के बल बेड पे खड़ा हुआ और लंड पीछे से श्वेता की चुत पे सैट करके एक झटके में पेल दिया. इस झटके से श्वेता थोड़ा आगे खिसक गई. श्वेता की चुत गीली थी, वह दोनों एक बार झड़ चुके थे. लंड सरसराते हुए श्वेता की चुत के अन्दर घुस गया. श्वेता की चीखें निकल गईं
श्वेता- “आहह आहह आहह उफफ सीईईई … मार डाला रे”
उसने दांत भींच लिए सतीश ने उसके बाल पकड़ के धक्के लगाना चालू किए. श्वेता हर धक्के के साथ मस्त हो रही थी, श्वेता की ‘आह आह … आहह ओह हम्मम फ़क फ़क हम्म..’
की आवाजें निकल रही थीं. सतीश उसके बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींच कर उसे ऐसे धक्के लगा रहा था जैसे कि श्वेता सतीश की घोड़ी है और सतीश श्वेता की सवारी कर रहा है.
सतीश कुछ देर ऐसे ही धक्के लगाता रहा. फिर सतीश बेड के नीचे उतर गया.
अब श्वेता की स्थिति यह थी, श्वेता बेड पे कोहनी के सहारे थी, बाकी उसका पूरा शरीर हवा में था.
सतीश ने श्वेता की दोनों जांघें कमर के नीचे पकड़ के उसे उठा रखा था. श्वेता लगभग हवा में लटकी पोजीशन में थी.
श्वेता की कोहनियों को छोड़ के उसका पूरा शरीर हवा में था. सतीश का लंड श्वेता की चुत में सैट था. सतीश श्वेता की टांगें उठा कर चुदाई कर रहा था.
सतीश तेज धक्के लगाने लगा. श्वेता सर को बेड के गद्दे में घुसाये मादक चीखें निकाल रही थी-
‘आह आह ओओ … फक आहह’
श्वेता की नंगी पीठ सतीश के सामने थी. सतीश जब भी श्वेता की नंगी पीठ को देखता है, तो वह उत्तेजित हो रहा था. सतीश जंगली हो रहा था. जैसा कि श्वेता उसे देखना चाहती थी.
सतीश का मन करता है श्वेता की मखमली सॉफ्ट पीठ को खूब चूमूं, चाटूं, काटूं, खाऊं. लेकिन यहां इस पोजीशन में यह अभी संभव नहीं था.
सतीश ने उसे खड़ी किया और एक पैर मोड़ के बेड पर रखवा दिया. श्वेता की नंगी पीठ पे चूमते हुए सतीश उससे चिपक गया और अपना लंड श्वेता की चुत में डाल दिया. अब सतीश श्वेता की नंगी पीठ को अपने सीने पे महसूस कर सकता था.
सतीश ने हाथ आगे ले जाकर उसके बॉब्स को मुठ्ठी में भींच कर अपने से चिपका रखा था. सतीश का मुँह उसके दाएं कंधे पे था. उसने दाएं हाथ को ऊपर करके श्वेता के गर्दन को सहारे के लिए पकड़ रखा था. सतीश उसे ऐसे ही पेलने लगा.
सतीश लंड श्वेता की चुत में बराबर घुसा के चोद रहा था. उसका बदन गर्म था. चुदाई का एक राउंड हो चुका था. श्वेता की गर्दन पे पसीने की बूंदें थीं. उसके हाथ ऊपर थे, जिससे श्वेता की बगलों से आती हुई खुशबू उस पागल कर रही थी.
सतीश और जोर जोर से चोदने लगा. सतीश उसे साइड से देख सकता था. श्वेता आंख मूंदे थी, मुँह खुला था. श्वेता कामुक की आवाजें निकाल रही थी-
‘आह आहह ओह फक आआह’.
सतीश ने उसके बाल पकड़ के खींचा और ले जाकर दीवार के सहारे झुका दिया. श्वेता हाथ से सहारा लिए दीवार से हल्की झुकी थी. सतीश ने छोटा वाला स्टूल पैर से खींचा और श्वेता के दाएं पैर को स्टूल पे रखवा दिया.
इससे श्वेता की गांड उठ गई. सतीश ने लंड पेल दिया और चुदाई करने लगा. श्वेता होंठों को भींचे जोर जोर से कामुक आवाजें निकाल रही थी.
फिर सतीश ने उसे विंग चेयर पे पटक दिया. श्वेता पिछले भाग से आगे की तरफ टांगें उठाए हुए चुदाई का मजा ले रही थी.
बीस मिनट की धकापेल चुदाई के बाद सतीश ने श्वेता से आँख मिलाई, तो श्वेता समझ गई और सतीश की कमर से लिपट कर बिना लंड निकाले लटक गई.
सतीश ने उसे यूं ही लेकर बिस्तर पर लेट गया. श्वेता सतीश के ऊपर थी और बॉब्स हिलाते हुए सतीश को चोदने लगी थी.
कुछ ही देर में श्वेता स्खलित हो गई और सतीश के ऊपर ही झड़ गई. उसके साथ ही सतीश भी झड़ गया.
सतीश की रंडी बहन चुद कर सतीश के सीने पर पड़ी थी.
सतीश अपनी बहन के चुदाई करके उसे अपने सीने से लिपटाए हुए सो गया था
सुबह हो गई थी तभी दरवाजे की घंटी ने सतीश की नींद खोल दी. सतीश जल्दी से अपने कमरे में गया. शॉर्ट्स, बनियान डाली और दरवाजा खोला.
ये वाचमैन था- “ये आपका पार्सल है, कल शाम घर में कोई नहीं था, तो मैंने रख लिया था”.
उसने बॉक्स सतीश को थमाते हुए कहा.
सतीश ने उसे धन्यवाद किया.
वह बोला- “और हां भईया, आपके पापा का फोन आया था. उन्होंने बात करने को बोला है”.
सतीश को याद आया कि उसने फोन तो कमरे में ही छोड़ दिया था. आज पापा आने वाले थे. सतीश दौड़ कर कमरे में गया. सतीश ने फोन देखा, तो 10 मिस कॉल्स थीं.
सतीश ने दीदी का फोन देखा, उनके मोबाइल पे भी उस के 6 मिस कॉल थे. सतीश ने कॉल बैक किया.
किसी ने रिसीव नहीं किया. अब उसे चिंता होने लगी. अगर पापा आये होंगे तो. वह रिसीव करने नहीं गया … तो काफी डांट पड़ेगी … और अगर वे घर पहुंच गए … तो सतीश क्या करेगा. अपने रूम की दुर्दशा और अपनी बेटी को अपने बेड पर नंगी पा कर तो वे उसे मार ही डालेंगे.
सतीश ने लैंड लाइन पर कॉल किया. मम्मी ने कॉल उठाया.
सोनाली- “तुम्हारे पापा आ रहे हैं, तेरे पापा को तुझसे कुछ काम है, ले बात कर ले”
पापा ने मुझे पार्सल, जो वाचमैन ने दिया था, को लेकर एयरपोर्ट आने को कहा. उनकी बंगलौर में कोई मीटिंग थी.
सतीश- “आप घर नहीं आ रहे क्या”?
पापा- “नहीं ये मीटिंग बहुत इम्पॉर्टेन्ट है … मुझे जाना होगा”.
सतीश- “आप वापस कब आओगे”?
पापा-“नही मैं वापस पुणे ही जाऊंगा तुम भी तीन चार दिन में वापस आओ”
सतीश- “क्यों मेरी छुट्टियां चल रही है,मैं कुछ दिन दीदी के साथ रहना चाहता हु दो साल बाद तो मिला हु दीदी से”
पापा- “अरे तेरी मम्मी और मैं दिल्ली जाने वाले है जरूरी काम से तो शिप्रा घर मे अकेली रहेगी उसका ट्यूशन चालू है वह नही आ सकती तो तुम घर जाओ”
अब क्या किया जा सकता है सतीश श्वेता को छोड़कर नही जाना चाहता था पर शिप्रा भी अकेली थी तो दिल पर पत्थर रखकर उसे कहना ही पड़ा,
सतीश- “जी पापा मैं तीन चार दिन में आ जाऊंगा”
तीन दिन और … इतने में तो वह दीदी के चुत का भुर्ता बना देगा.
सतीश ने फोन रखा. उन्होंने बस कहा- “अच्छे से रहना, अपनी बहन का ख्याल रखना”.
सतीश ने मन ही मन कहा कि मैं तो श्वेता का खयाल बहुत अच्छे से रख रहा हूँ.
जल्दी से सतीश ये खबर दीदी को देना चाहता था.
सतीश ऊपर बेडरूम में गया. दीदी अभी तक सो रही थी. सतीश कमरे में दाखिल हुआ, तो सतीश ने देखा. दीदी करवट लिए सो रही थी.
उसने पैर एक तरफ मोड़ रखे थे. श्वेता की गांड उभरी हुई मस्त लग रही थी. सतीश उसके पास गया, उसके चेहरे पे हल्की रोशनी पड़ रह थी.
उसका श्वेता मासूम प्यारा सा चेहरा. श्वेता सोते हुए बिल्कुल किसी बच्चे की तरह लग रही थी. उसने सतीश की कल वाली वाइट शर्ट पहन रखी थी.
सतीश ने श्वेता की चेहरे पर से बालों को हटाया. कुछ देर तक उसे ऐसे निहराता रहा, जैसे सतीश ने उसे पहली बार देखा हो.
फिर सतीश उसके गाल पे किस करके बोला सतीश- “गुड मॉर्निंग बेबी”.
श्वेता- “गुड मॉर्निंग.” उसने आंखें बंद किए हुए ही बोला.
सतीश - “उठ जाओ बेबी”
श्वेता- “उम्म… ह्म्म…”
मतलब अभी नहीं.
सतीश- “क्या हुआ बेबी को?”
सतीश ने उसे फिर से किस करते हुए पूछा.
श्वेता- “मुझे नींद आ रही है”
सतीश- “उठ जाओ यार … काफी दिन चढ़ गया है, बाद में सो लेना”
थोड़ी देर में श्वेता उठी और आंखें मलते हुए बोली- “गुड मॉर्निंग”
सुबह सुबह लड़कियां कितनी क्यूट हो जाती हैं. बिल्कुल छोटे बच्चों की तरह. उसने अपनी बांहें फैला कर सतीश को करीब बुलाया.
श्वेता- “कम!”
सतीश उसके करीब हो गया. श्वेता ने सतीश को जोर से हग किया, फिर बोली
श्वेता- “आई लव यू”
सतीश- “ आई लव यू टू दीदी”
सतीश ने उसके माथे पर चूमते हुए कहा.
सतीश- “तुम फ्रेश हो जाओ, मैं ब्रेकफास्ट लाता हूँ.”
श्वेता- “ओके.”
श्वेता बाथरूम जाने के लिए उठी … लेकिन लड़खड़ा के बेड पे गिर गयी. सतीश ने उसे सम्भाला.
सतीश- “क्या हुआ दीदी”?
सतीश ने चिंता से पूछा.
श्वेता- “पता नहीं … सर दर्द से फटा जा रहा है.”
सतीश- “हैंग ओवर है शायद.”
श्वेता- “हो सकता है”
श्वेता अपना सर पकड़ते हुए बोली,
उसने कल रात काफी शराब पी थी. हैंगओवर तो होना ही था. करीब आधी से बोतल सतीश ने उसे पिला दी थी.
सतीश ने श्वेता की पीठ के पीछे तकिया लगा दिया
सतीश- “तुम यहां आराम से बैठो, मैं अभी निम्बू पानी लेके आता हूँ”
सतीश झट से नींबू पानी लेके आया … उसे पिलाया. कुछ देर में उसे आराम हुआ. जब उसे थोड़ा आराम हुआ.
कुछ देर बाद.
सतीश- “आर यू ओके”?
श्वेता- “यस..”
सतीश- “तुम फ्रेश होके नाश्ता कर लो, फिर एक एस्प्रिन खा लेना.”
उसने हां में सर हिलाया. सतीश ने उसे बाथरूम तक छोड़ा.
श्वेता मन मे सोचने लगी.
“यह जंगली चुदाई का आईडिया मुझे काफी महँगा पड़ा था. कल सतीश ने मुझे इतनी बेदर्दी से चोदा था कि मेरे बदन के हर कोने में दर्द था, चुत भी सूज गयी थी.
लेकिन सच कहूं तो मुझे सतीश की रखैल बनने में बड़ा मजा आया. कल की चुदाई से मैं तृप्त हो गयी. एक आनंददायक चुदाई हुई थी मेरी. मैं सतीश की दीवानी हो गई थी. क्या मस्त अंदाज है उसका. मैं तो जिंदगी भर के लिए सतीश की रखैल बनने के लिए तैयार हूँ”.
सतीश को ज्यादा कुछ बनाना नहीं आता, लेकिन सतीश कुछ डिशेस बना लेता था जैसे कि ऑमलेट एंड कॉफी. ये सब उसने ने घर पे सीखा था. सतीश एक अच्छा शेफ है, उसे ब्रेकफास्ट तैयार करने में 30 मिनट लगे.
सतीश ब्रेकफास्ट लेके कमरे में पहुंचा. श्वेता बेड पे बैठी मोबाइल में घुसी हुई थी.
सतीश- “ब्रेकफास्ट तैयार है!”
श्वेता- “पापा के मिस कॉल्स हैं.” उसने परेशानी से बोला.
सतीश- “कोई नहीं, बात हो गयी है?कब आ रहे हैं वे लोग? ब्रेकफास्ट कर लो, मैं सब बताता हूँ.”
श्वेता- “ओके”
सतीश- “अब कैसा लग रहा है?
सतीश ने ब्रेकफ़ास्ट सर्व करते हुए पूछा.
श्वेता- “मत पूछो … पूरे बदन में दर्द है”
सतीश ने उसे अपने हाथों से ब्रेकफ़ास्ट कराया.
श्वेता- “बस मेरा हो गया”
उसने मोबाइल दोबारा उठाते हुए बोला और मोबाइल पे लग गयी.
सतीश ने ट्रे को साइड में रखा,
सतीश- “लेकिन मेरा नहीं हुआ”
उसने आश्चर्य से सतीश की तरफ देखा.
सतीश उसके सामने गया, उसके होंठों पे किस करते हुए बोला
सतीश- “अगले तीन दिनों तक तुम कोई कपड़े नहीं पहनोगी”.
श्वेता समझ नहीं पायी, सतीश ने उसे बताया कि पापा नहीं आ रहे हैं और क्यों नहीं आ रहे हैं, ये भी बताया.
श्वेता- “सच!”
श्वेता की आंखें ख़ुशी से चमक गईं.
सतीश ने हां में सर हिलाया.
श्वेता उठी सतीश के होंठों पे होंठों को जड़ कर बोली-
श्वेता- “आई लव यू”
सतीश- “लव यू टू.”
उसके माथे पे किस करते हुए सतीश ने बोला.
सतीश- “याद रखना, अगले तीन दिनों के लिए कोई कपड़े नहीं”
सतीश के इस मास्टर वाले अंदाज पे श्वेता शायद उत्तेजित हो गयी. श्वेता घुटने के बल बेड पे खड़ी हुई.
हाथ से शर्ट के आस्तीन को पकड़ा और एक झटके में खींचा. उस शर्ट के सारे बटन टूट के अलग हो गए और शर्ट उसके बदन से अलग हो गयी.
उसके बॉब्स उछल के सतीश के सामने आ गए. उसने शर्ट को बड़े मादक अंदाज से सतीश की आंखों में देखते हुए बेड के नीचे गिरा दिया. फिर उसने हाथ पीछे ले जाके ब्रा का हुक खोला और उसे भी वैसे ही बेड के नीचे गिरा दिया.
श्वेता- “टेक मी मास्टर.”
उसने नशीली आवाज में कहा.
उसका यह रूप देख के सतीश का तो लंड खड़ा हो गया. लेकिन सतीश ने खुद को कंट्रोल किया, क्योंकि अभी श्वेता को आराम की जरूरत थी, चुदाई की नहीं.
हालांकि सतीश अभी चोदने को कहता, तो श्वेता मना नहीं करती. लेकिन उसका ख्याल रखना भी तो सतीश की ही जिम्मेदारी है ना.
सतीश-“हम्म गुड..”
सतीश ने ट्रे से दूध का ग्लास उठाते हुए कहा.
सतीश- “पर अभी मैं अपना ब्रेकफास्ट पूरा करूंगा”.
सतीश ने उसे ग्लास थमाते हुए कहा.
श्वेता समझ गयी कि क्या करना है. उसने बॉब्स के ऊपर दूध गिराना शुरू किया. सतीश ने उसके निपल्स में मुँह लगा दिया. दूध उसके गले के नीचे बॉब्स से बहता हुआ नीचे आता. सतीश उसे निपल्स चूसते हुए पी जाता. सतीश ब्रेकफास्ट करके अलग हुआ.
सतीश- “तुम शावर ले लो, फिर तुम्हारे बदन दर्द का इलाज करता हूं”
श्वेता- “कौन सा इलाज?”
उसने पूछा, ये पूछते समय उसके चेहरे पे कातिल मुस्कान थी.
सतीश ने मुस्कुरा कर श्वेता की बात टाल दी. श्वेता बाथरूम चली गयी.
कुछ देर बाद…
श्वेता बेड पे पेट के बल बिल्कुल नंगी लेटी थी. सतीश उसकी मालिश कर रहा था, श्वेता को मसाज की जरूरत भी थी. उस की बॉडी का हर पार्ट दर्द कर रहा था. यह कल रात की घमासान चुदाई का असर था.
सतीश ने ढेर सारा तेल श्वेता की नंगी पीठ पे डाला और हाथों से पूरी पीठ पे फैला दिया. सतीश उसकी पीठ की मालिश कर रहा था. कमर से लेकर श्वेता की गर्दन तक के पूरे भाग पे मालिश कर रहा था.
तेल की वजह से सतीशके हाथ फिसलते हुए आगे बढ़ रहे थे. सतीश काफी अच्छी मालिश कर रहा था. बिल्कुल किसी प्रोफेशनल मसाज करने वाले की तरह.
उसने ढेर सारा तेल श्वेता की कमर पर गांड के ठीक ऊपर डाला और कमर की अच्छे से मालिश करने लगा. कल कई घंटों तक सतीश ने श्वेता को कई तरीकों से चोदा था. उसके तरीके आरामदेह तो होते नहीं … इसलिए श्वेता की कमर लचक गयी थी.
सतीश की मालिश से श्वेता को काफी आराम मिल रहा था. तभी सतीश के हाथ ऊपर की तरफ बढ़े, उसने श्वेता के कंधे को मुट्ठी में भींच लिया. श्वेता सिहर उठी. भाई का स्पर्श श्वेता की वासना जगा देता था. श्वेता के मन में फिर से चुदाई के ख्याल आने लगे. सतीश श्वेता के कंधों को दबा दबा के अच्छी तरह मसाज कर रहा था. श्वेता के कंधों और हाथों में भी काफी दर्द था.
घंटों तक श्वेता ने अपने हाथ पी.टी की पोजीशन में ऊपर कर रखे थे. फिर घंटों तक पुल बार से बंधी रही थी. ये सब उसी का नतीजा था. सतीश श्वेता की गर्दन से कंधों तक अच्छी तरह मालिश कर रहा था. उसे इसकी अच्छी समझ थी.
श्वेता का दर्द कम हो रहा था. सतीश श्वेता के काँख के नीचे से पीठ तक मालिश कर रहा था. अब सतीश श्वेता की पीठ की मालिश कर रहा था. श्वेता की पीठ पे जख्म थे, जो कल रात सतीश ने श्वेता को दिए थे.
जब सतीश उन जख्मों को हाथों से छेड़ता, तो श्वेता को मीठा सा दर्द होता. लेकिन श्वेता कुछ नहीं बोलती, दर्द की तो अब उसे आदत हो गयी थी. अब उसे दर्द में मजा आता था. भाई के द्वारा दिया गया हर दर्द उस के लिए अनमोल था.
श्वेता की मखमली पीठ तेल की वजह से और भी सॉफ्ट हो गयी थी. सतीश के हाथ फिसलते हुए आगे बढ़ते गए. सतीश ने देखा श्वेता की पीठ पे कल की चुदाई के जख्म थे. उसे बड़ी आत्मग्लानि हुई, इस फूल से जिस्म को, जिसे वह इतना चाहता है … उसे उस ने कितने सारे जख्म दिए है. सतीश रुक गया.
सतीश के रुक जाने पे.
श्वेता- “क्या हुआ रुक क्यों गया”?
सतीश- “सॉरी दीदी.”
श्वेता- “किस चीज के लिए”?
सतीश- “मैंने आपके साथ काफी बुरा बर्ताव किया.”
श्वेता- “जख्मों को देख के बोल रहा है?” उसने पूछा
सतीश- “हम्म..”
श्वेता- “धत पगले, ये तो तेरे प्यार की निशानियां है जो मेरे जिस्म की सुन्दरता को बढ़ा देती हैं.”
सतीश चुप रहा.
श्वेता- “और कल की चुदाई अब तक की बेस्ट चुदाई थी, मैंने सच में बहुत एन्जॉय किया.”
सतीश- “सच दीदी!”
श्वेता- “और नहीं तो क्या! अगले तीन दिनों तक तू मुझे ऐसे ही चोदना.”
सतीश- “आई लव यू दीदी.”
सतीश ने श्वेता की पीठ पे पड़े जख्म पे ऊपर किस करते हुए कहा.
श्वेता- “आई लव यू टू जान.” दीदी ने जबाव में बोला.
उसके लबों के स्पर्श से श्वेता सिहर गयी थी. श्वेता के जिस्म में एक करेंट सा दौड़ गया था. सतीश के हाथ नीचे की तरफ बढ़ रहे थे. उसने श्वेता की कमर की दोबारा मालिश की, फिर गांड की तरफ बढ़ा. उसने ढेर सारा तेल श्वेता की गांड और टांगों पे उड़ेल दिया. सतीश श्वेता की गांड को मसल रहा था. तेल की वजह से श्वेता की त्वचा मुलायम हो गयी थी. सतीश बड़े ही सही तरीके से श्वेता की कमर व गांड की मालिश कर रहा था. ऐसी मसाज श्वेता ने कभी किसी स्पा में भी नहीं ली थी. सतीश की मालिश से श्वेता का दर्द कम हो रहा था.
उधर श्वेता की जांघों से सरकते हुए सतीशके हाथ श्वेता की टांगों की तरफ बढ़े. उसने अच्छे से श्वेता के टांगों की मालिश की. उसने श्वेता के अंगूठे को चूम लिया और उसे बेड पे घुमा दिया. श्वेता पीठ के बल हो गयी थी और श्वेता का चेहरा सतीशके सामने हो गया था. उसने श्वेता के माथे पे किस किया और ढेर सारा तेल श्वेता के बॉब्स पे उड़ेल दिया. श्वेता की सांसे तेज हो गयीं. श्वेता के बॉब्स ऊपर नीचे हो रहे थे. श्वेता भाई के स्पर्श से गर्म हो चुकी थी.
आजकल श्वेता बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाती थी. सतीश के जिक्र मात्र से श्वेता की चुत पानी छोड़ने लगती. श्वेता बस दिन रात उससे चुदना चाहती थी. सतीश चाहता तो श्वेता को अभी भी चोद सकता था. लेकिन नहीं, सतीश श्वेता के बदन को आराम देने में लगा हुआ था.
श्वेता सतीश की इसी अदा की तो कायल थी. सतीश श्वेता का बहुत ज्यादा ख्याल रखता था. इसी लिए श्वेता को उसे खुद को सौंप देने में तनिक भी संकोच नहीं होता था.
ऐसा नहीं था सतीश सिर्फ सेक्स क्रियाओं में ऐसा था. सतीश हमेशा हर जगह अपनी बहनों का ख्याल रखता था. अपनी बहनों के लिए किसी से भी लड़ने को तैयार रहता था.
श्वेता की जिंदगी को उसने खुशियां और रोमांच से भर दिया था.
उसके हाथ श्वेता के बॉब्स पे थे. सतीश उनकी भी अच्छी तरह मालिश कर रहा था. उसके हाथ श्वेता के सीने पे हर जगह घूम रहे थे, श्वेता के कंधों तक पहुँच रहे थे, सतीश श्वेता के कंधों और गले की भी मालिश कर रहा था.
अब तक श्वेता के निप्पल सेंसटिव हो गए थे. हर बार उसके स्पर्श से श्वेता सिहर उठती और श्वेता के पूरे जिस्म में वासना की लहर दौड़ जाती.
श्वेता के मुख से हल्की मदभरी सिसिकारियां निकल रही थीं
“उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
उसने श्वेता की नाभि पे तेल गिराया … तो श्वेता के बदन में झुरझुरी पैदा हो गयी. गर्म तेल को श्वेता अपने पेट पे महसूस कर पा रही थी. उसने श्वेता की कमर की अच्छी तरह मालिश की और फिर से टांगों की तरफ बढ़ा. उसने श्वेता की टांगों की भी तबियत से मालिश की. इधर श्वेता की हालत अब खराब हो रही थी.
श्वेता काफी गर्म हो चुकी थी. सतीश ने बचा हुआ सारा तेल श्वेता की चुत पे उड़ेल दिया. मालिश की जरूरत तो उसे भी थी, कल बुरी तरह चुदी जो थी.
श्वेता की चूत पाव रोटी की तरह सूज के लाल हो गयी थी. चुत पे सतीश के स्पर्श को पाते ही श्वेता वासना से भर उठी, श्वेता छटपटाने लगी.
सतीश का मालिश करना मुश्किल हो रहा था. उसने हार मान के अपना मुँह श्वेता की चुत पे रख दिया.
जैसे ही सतीश ने श्वेता की चुत पे जीभ को फेरा, श्वेता छटपटा गयी. कामुक और गर्म तो श्वेता पहले से ही थी.
श्वेता ने उसके बाल पकड़ के उसके मुँह को चुत में दबा लिया. सतीश की जीभ श्वेता के चुत के अन्दर गहराई में कमाल कर रही थी. श्वेता सतीश की जीभ पे ही झड़ गयी. सतीश ने सारा रस चूस लिया,अब जाकर श्वेता शांत हुई.
सतीश ने चाट के श्वेता की चुत साफ की. फिर सतीश उठा और उसने मालिश फिर से शुरू की. उसने अच्छी तरह से श्वेता की चुत और गांड की मालिश की.
उसने बड़े अच्छे तरीके से श्वेता के जबड़ों और चेहरे की मालिश की. श्वेता के जबड़े का भी दर्द गायब हो गया … जो कि उसके मूसल जैसे लंड को चूसने की वजह से हो रहा था.
उसने बर्फ से श्वेता की सूजी हुई चुत की सिकाई भी की व श्वेता के सर की भी मालिश की.
सतीश- “तैयार रहना अपनी अगली चुदाई के लिए.”
मालिश के बाद उसने श्वेता को धमकाया.
श्वेता- “मैं हमेशा रहती हूँ”
श्वेता ने मुस्कुरा के जवाब दिया.
सतीश के मसाज ने तो जादू का काम किया,श्वेता का दर्द तो जैसे गायब ही हो गया. श्वेता को कब नींद आ गयी, उसे पता भी नहीं चला.
सतीश का उसे चोदने का बड़ा मन कर रहा था लेकिन सतीश ने उसे आराम करने दिया. उसे पापा का पार्सल लेकर एयरपोर्ट जाना था, तो सतीश एयरपोर्ट निकल गया. यहां कुछ खास नहीं हुआ.
पापा को एयरपोर्ट पे मिला. उन्हें पार्सल दिया. सतीश के पर्सनल कुछ काम थे. आते आते उसे शाम हो गयी. शाम को सतीश जब घर पहुंचा, तो श्वेता किचन में खाना बना रही थी.
शाम को जब सतीश वापस आया तो किचन में गया. सतीश की बहन श्वेता खाना बना रही थी. सतीश उसे दरवाजे पे खड़ा होकरउसे निहार रहा था. उसने लाल रंग की एक टी-शर्ट पहन रखी थी. टी-शर्ट मुश्किल से उसके उछलते हुए बॉब्स को ढक पा रही थी. उसके तने हुए बॉब्स टी-शर्ट के ऊपर साफ नजर आ रहे थे. श्वेता की नंगी चिकनी टांगों की तरफ निगाह गई … तो उसने नीचे मिनी स्कर्ट पहन रखी थी. जो काफी छोटी थी. इससे श्वेता की उभरी हुई गांड उसे साफ नजर आ रही थी.
उसका प्यारा सा चेहरा, उन पे बिखरे हुए बाल … आह … उसे देखते हुए सतीश सोच रहा था. क्या माल है यार मेरी बहन. श्वेता की सुंदरता कमाल की थी. सतीश उसे निहारते हुए ही गर्म हो चुका था.
सतीश बनावटी गुस्से में किचन में घुसा.
“ये क्या है?” सतीश ने गैस ऑफ करते हुए पूछा.
श्वेता- “क्या?
सतीश- “ये क्या है, तुमने कपड़े पहन रखे हैं”?
श्वेता सोचने लगी.’मास्टर ने क्या कहा था? भूल गयी?
श्वेता- “क्या कहा था मास्टर ने”?”
श्वेता मुस्कुराते हुए सतीश की तरफ आते हुए बोली.
सतीश- “कोई कपड़े नहीं … याद करो”
सतीश उसे नाराजगी दिखाते हुए बोला.
(आप को याद होगा सुबह सतीश ने उसे क्या कहा था, कहानी का पिछला भाग पढ़ें)
श्वेता- “अच्छा जी.”
सतीश- “हां और तुमने मास्टर को फॉलो नहीं किया, इस लिए तुम्हें दण्डित किया जाएगा.”
श्वेता- “तूम मुझे पनिश करोगे?”
श्वेता मुस्कुराते हुए बोली.
सतीश- “हम्म..”
श्वेता- “तो आ … कर ना..”
श्वेता सतीश का कॉलर पकड़ के खींचते हुए बोली.
सतीश- “दीदी क्या कर रही हो, मैं कैरेक्टर में हूँ”?
श्वेता- “और मैं रियलिटी में हूँ, तू मुझे बिना कपड़ों के देखना चाहता है ना”?
उसने सतीश के गर्दन में अपने बांहें डालते हुए उसे अपनी बांहों में कसा.
सतीश ने हां में सर हिलाया.
श्वेता- “तो अपने अंदाज में निकाल दे ना मेरे कपड़े…”
श्वेता मुस्कुराती हुई बोली. सतीश ने उसे कमर से खींच के खुद से चिपका लिया और उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए. उसके रसीले होंठों का रसपान करने लगा. कुछ देर बाद एक दूसरे में खोये रहने के बाद. उसने आंखें खोलीं. उन दोनों की आंखें मिलीं, सतीश ने श्वेता की आंखों में प्यार समर्पण और अटूट विश्वास देखा.
श्वेता सतीश के से गले लगी हुई थी. सतीश ने हाथ पीछे उसके पीठ पे ले गया. श्वेता की टी-शर्ट पकड़ी और एक झटके में फाड़ दी, उसके बदन से अलग कर दी. श्वेता सर झुकाए दोनों हाथों से अपने स्तनों को छुपाने की नाकाम कोशिश कर रही थी.
सतीश ने उसके हाथों को पकड़ के हटाया और ऊपर कर दिए. उसने शर्माने की एक्टिंग करते हुए आसानी से हाथ ऊपर कर लिए.
श्वेता की लाल रंग की ब्रा में उसके फूले हुए बॉब्स सतीश के सामने थे. सतीश ने उसे ध्यान से देखा. उसके बॉब्स पहले से काफी बढ़ गए थे. श्वेता की यह पुरानी ब्रा अब उसमें टाइट होने लगी थी. ब्रा उसके चूचों से ऐसे चिपकी थी, जैसे अब फटे तब फटे.
सतीश ने श्वेता के बॉब्स पे हाथ फेरा. श्वेता के बॉब्स की गोलाई का जायजा लिया. आगे निप्पल के पास से दोनों कोने पकड़ कर एक झटके में श्वेता की ब्रा फाड़ दी.
श्वेता थोड़ी सी कसमसाई. लेकिन हिली नहीं. उसने एक अच्छी प्रेमिका की तरह हाथ ऊपर करके अपनी पूरी जवानी को सतीश को परोस रखी थी. सतीश ने उसके बाल पकड़ के खींचे और पकड़ के स्लैब के सहारे झुक दिया. सतीश ने उसके बॉब्स को दबोच लिया. उसके निपल्स को उंगलियों के बीच दबा दिया.
श्वेता दर्द से बिलबिला उठी- ‘आहह आहह आहह’!
सतीश- (कानो में)‘मैंने क्या कहा था’?
श्वेता- “आहह आहहह सीईईई … कपड़े नहीं पहनना है”
सतीश- “यस.”
सतीश ने उसके बालों को सही किया और उसके कान के पीछे सरका दिया.
सतीश नीचे बढ़ा, सतीश ने उसके गांड पे हाथ फेरा. सतीश ने श्वेता की स्कर्ट खींची. श्वेता एक झटके में अलग हो गयी. जैसे उसने स्कर्ट को अटका रखा हो बस. उसने पैंटी नहीं पहनी थी. चुदाई की पूरी तैयारी थी श्वेता की. सतीश के सामने उसके नंगे गदराए हुई गांड थी. सतीश ने उसकी गांड पे एक जोरदार चपत लगाई. श्वेता थोड़ी सी कसमसाई, लेकिन सामान्य रही.
अब शायद उसे झापड़ की आदत हो गयी थी. अब श्वेता इसका आनन्द उठाती थी. सतीश ने लगातार 5-7 चपत लगाये. श्वेता बस दांत भींचे मजे लेती रही. श्वेता की “हम्म आआहहह हम्मम..” की आवाजें निकलती रहीं.
अब सतीश ने एक मोटा खीरा उठाया और पीछे से श्वेता की चुत में घुसाने लगा. ये खीरा सतीश के लौड़े से भी मोटा था. सतीश ने धीरे धीरे सरकाते हुए पूरा खीरा श्वेता की चुत में घुसा दिया. श्वेता दर्द से बिलबिला उठी. दर्द होगा ही, खीरा सतीश के लौड़े से भी मोटा था ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’
श्वेता टांगें चौड़ी करके गांड उचकाए स्लैब के सहारे झुकी थी. श्वेता इस हालत में थी कि हिल डुल भी नहीं सकती थी. हिलने डुलने पे उसे असहनीय पीड़ा होती. सतीश ने आगे जाके उसके निप्पल को फिर से भींच लिया. श्वेता फिर से दर्द से चिल्ला उठी, उसने “आहह आह आह..” करके दांत भींच लिए. श्वेता की आंखों में आंसू आ गए.
सतीश-“ऐसा दोबारा करोगी”?
उसने बस ना में सर हिलाया,
सतीश ने उसके कंधों पे किस किया. उसके बॉब्स मसलते हुए बड़े ही कामुक अंदाज में सतीश श्वेता की गर्दन पे हर जगह किस करता … तो श्वेता वासना से तिलमिला उठती. सतीश ने उसके बाल पकड़ के ऊपर कर दिए. श्वेता की गर्दन पे बाल के नीचे किस किया. श्वेता की गर्दन पे जीभ फेरा, श्वेता सिहर उठी और उसे बड़ा मजा आया.
सतीश श्वेता की कंधों से गर्दन पे होते हुए गालों तक किस करता गया. श्वेता गर्म हो रही थी. सतीश उसके सर को वैसे ही बाल पकड़े हुए हल्का सा घुमा के होंठों का रसपान करने लगा. श्वेता सतीश का पूरा साथ देती रही.
सतीश चाहे जब भी उसे किस करता. श्वेता पूरे शिद्दत से सतीश का साथ देती थी. ऐसा लड़की तभी करती है, जब वह आप से बहुत ज्यादा प्यार करती हो.
सतीश श्वेता की नंगी पीठ पे किस करता हुआ नीचे आने लगा. श्वेता की नंगी पीठ एकदम गोरी और चिकनी थी. उसके जिस्म पे सतीश के होठो के स्पर्श मात्र से ही श्वेता सिहर उठ जाती. श्वेता की नंगी पीठ सतीश की कमजोरी थी. सतीश खुद को उसे चूमने से रोक नहीं पाता था. सतीश जीभ श्वेता की नंगी पीठ पे फेर रहा था.
श्वेता ‘आहह उम्म्मम हम्म’ की आवाजें निकाल रही थी.
उसके गदराए गांड को चाटते हुए सतीश ने चुत से खीरा निकाला, वह उसके रस से भीग चुका था. सतीश वह खीरा उसके मुँह में देने लगा. बड़ी मुश्किल से श्वेता उसे मुँह में ले पा रही थी. उससे टपकते अपने ही रस को चूस रही थी. सतीश भी चूस रहा था.
सतीश ने श्वेता की टांगें चौड़ी करके स्लैब पे बैठा दिया. श्वेता की टांगें खुली हुई थीं. गोरी मस्त चिकनी जाघें देख कर सतीश मस्त हो गया. सतीश श्वेता की मखमली जांघों पे किस करता हुआ चुत के पास पहुंचा. श्वेता बस स्लैब पर गांड टिकाये खड़ी थी और मजे ले रही थी. श्वेता की चुत से बहते रस की खुशबू, जिसे सतीश ने एक लंबी सांस के साथ अन्दर उतार लिया. सतीश ने हल्की सी जीभ फेरी, श्वेता वासना से सिहर गयी. सतीश श्वेता की चुत चाटने लगा. श्वेता सतीश के बाल नोंच-नोंच के अपनी चुत में घुसा रही थी. सतीश उसे झड़ने देना नहीं चाहता था … सतीश को तो उसे तड़पाना था.
सतीश कुछ देर चुत चाटने के बाद ऊपर आया. श्वेता की आंखें अभी तक बंद थीं. सतीश ने हाथ उसके बालों को कान के पीछे किया … तो उसने आंखें खोलीं. उसके आंखों में प्यार चेहरे पे वासना थी. सतीश ने उसके होंठों पे बड़े प्यार से किस किया. श्वेता तो सतीश के होंठों को चबा रही थी. श्वेता हांफ रही थी. श्वेता की वासना चरम सीमा पे थी.
सतीश ने उसे गांड से पकड़ कर गोद में उठा लिया. सतीश की गर्दन में बांहें डाले श्वेता सतीश के सीने से चिपक गयी. उन दोनों के होंठ भी चिपके हुए थे और वह जोर से किस कर रहे थे. उसे वैसे ही उठाए हुए सतीश हॉल में ले आया और डाइनिंग टेबल पे लिटा दिया. इसके बाद सतीश ने चुम्बनों की बारिश कर दी. सतीश उसके रसीले होंठों का रसपान कर रहा था. श्वेता सतीश के होंठों को चूमते हुए जल्दी जल्दी सतीश के शर्ट का बटन खोलने लगी थी. वह दोनों अपनी मस्ती में मदहोश हो चुके थे.
तभी डोर बेल बजी … वह दोनों एकदम से हड़बड़ा गए. बाद में देखा कि उनका आर्डर किया हुआ डिनर आ गया था.
श्वेता जल्दी से बाथरूम में घुसने को हुई. इधर सतीश ने अपने कपड़े सही किए और हजार का नोट दीदी के मुँह में ठूंसते हुए उसे डिनर का पैकेट लाने को बोल दिया. श्वेता समझ गई कि क्या करना है. श्वेता मुस्कुराते हुए कपड़े पहनने को चल दी.
सतीश ने उसे चेताया- “कोई कपड़े नहीं”
सतीश का आवाज सुन कर श्वेता रुकी. श्वेता सोच में पड़ गयी. ये बात सोचने वाली भी थी सतीश उसको डिलीवरी बॉय के सामने नंगी ही जाने को कह रहा था.
कुछ सोच कर श्वेता दरवाजे की तरफ मुड़ी. और हल्की डरी हुई नंगी ही गेट की तरफ चलने लगी … श्वेता की चाल में लड़खड़ाहट थी. श्वेता हिम्मत करके आगे बढ़ रही थी.
सतीश- “स्टॉप”
श्वेता रुकी, सतीश ने टॉवल उसके मुँह पे फेंका. उसने मुस्कुराते हुए टॉवल उठा कर झट से लपेट लिया और दरवाजा खोलने चली गयी.
श्वेता तो सुन्न पड़ गई थी, जब उसके भाई ने उसे नंगी ही डिलीवरी बॉय के सामने जाने को कहा. लेकिन वह उसके लिए समर्पित थी. उसने तन मन से उसे खुद को सौंप दिया था. श्वेता के जिस्म पे उसका अधिकार था … सतीश जो कहेगा, श्वेता करने को राजी थी. सतीश उसे जहां कहेगा, श्वेता वहा नंगी हो जायेगी. सतीश जहा चुदने को कहेगा, उससे वहा चुद जाएगी. बस उसे अपने भाई से ज्यादा कुछ नहीं दिखता. श्वेता अपने भाई की दीवानी हो गई थी.
जब श्वेता ने दरवाजा खोला. एक अधेड़ उम्र का आदमी था, जो पैकेट लिए खड़ा था. श्वेता ने भी बस टॉवल लपेटा हुआ था, जो बस श्वेता के बॉब्स के निपल्स को छुपा पा रहा था. ये तौलिया भी श्वेता की गांड को आधा छुपा पा रहा था. बाकी श्वेता का पूरा जिस्म नंगा था.
वह आदमी श्वेता को ऐसे घूर रहा था … जैसे उसने नंगी औरत पहली बार देखी हो. उसकी नजर श्वेता के अधनंगे बॉब्स पे गड़ी हुई थी. श्वेता ने उसे तिरछी नजर से देखा. श्वेत के माथे पे पसीना देख कर वह सब कुछ समझ चुका था.
उसने श्वेता से धीरे से पूछा- “रेट क्या है”?
वह श्वेता को कोई रंडी समझ रहा था. श्वेता ने उसे इग्नोर किया. श्वेता ने उससे पैकट लिया और जाने लगी.
वह श्वेता को अपना कार्ड देने लगा और बोला- “मेरे पास भी मालदार पार्टी है”.
श्वेता- “क्या बकवास है”
श्वेता ने पैसे उसे दिए और बोली- “दफ़ा हो जाओ”
आदमी- “सॉरी मैडम, आप तो नाराज हो गईं”
श्वेता- “आई सेड … गेट लॉस्ट.”
आदमी- “सॉरी मैडम,..’ बोल के चला गया
सतीश- “क्या हुआ जान?”
सतीश ने उसे मुस्कुराते हुए पूछा. उसने खाना टेबल पे रखा.
श्वेता- “साला कुत्ता! कमीना..!
श्वेता झल्लाते हुए बोली थी.
सतीश ने उसके हाथ पकड़ कर उसे अपने गोद में बिठा लिया. सतीश ने उसके गाल पे किस करते हुए पूछा-
सतीश- “क्या बोला उसने”?
श्वेता नाराजगी में बोली- “वह मुझे कोई कॉलगर्ल समझ रहा था”.
सतीश ने उसके गालों पे किस करते हुए और उसे छेड़ते हुए पूछा- “कॉलगर्ल मतलब क्या”?
उसने सतीश की तरफ गुस्से से देखा, सतीश उसे देख के मुस्कुरा रहा था.
श्वेता- “रंडी.”
उसने गुस्से में बोला.
कुछ भी हो लड़कियां गुस्से में और भी प्यारी हो जाती हैं.
सतीश- “तो तुम नहीं हो”?
उसने दोबारा गुस्से से सतीश की तरफ देखा.
सतीश-“मेरी भी नहीं?”
सतीश की इस बात पर श्वेता हंस पड़ी और उसने सतीश के सीने में मुक्का दे मारा.
श्वेता- “स्टुपिड.”
सतीश ने उसके होंठों को चूम लिया.
श्वेता- “चलो पहले डिनर कर लें, खाना ठंडा हो जाएगा”.
श्वेता सतीश के गले में बांहें डाले सतीश की गोद बैठी थी. सतीश रोटियों का निवाला बना कर उसे खिलाता. इस वक्त श्वेता उसे बिल्कुल किसी छोटे बच्चे की तरह लग रही थी. जब सतीश उसे खाना खिला रहा था.
वह दोनों ने एक दूसरे के नंगे जिस्म से चिपक कर खाना खाया. सतीश ने उसे पानी भी पिलाया. सतीश ने ही उसका मुँह भी पौंछा. श्वेता बस सतीश की गर्दन में बांहें डाले गोद में बैठी रही थी.
खाना खत्म करते ही उसने सतीश के होंठों पे होंठों जड़ दिए और किस करने लगी. सतीश का लंड भी खड़ा हो चुका था. बस 5 मिनट किस करने के बाद श्वेता रुकी और सतीश के आंखों में आंखें डाल के बोली- “पैसे दिए हैं … तो चोदेगा भी या बस खिलायेगा ही”!
(आपको याद होगा टेबल का वह सिन, जब सतीश ने उसके मुँह में नोट ठूँसा था.)
श्वेता पक्की रंडी की तरह बर्ताव कर रही थी. यह सब श्वेता उसे उत्तेजित करने के लिए कर रही थी.
श्वेता- “आजा मेरे राजा.”
एक पेशेवर रंडी की तरह कह कर श्वेता खड़ी हुई. उसने बड़े कामुक अंदाज में हाथ ऊपर करके पोज दिया. उसने सतीश को आंख मारते हुए ऐसे दोनों हाथ ऊपर करके अंगड़ाई ली कि उसका सीना फूल गया. उसके बॉब्स पे अटकी श्वेता की टॉवल खुल के नीचे गिर गयी. श्वेता फिर से नंगी हो गयी.
अब सतीश उठा और श्वेता की कमर पे दोनों हाथों को रख दिया. फिर हाथ सरकाते हुए ऊपर की तरफ ले जाने लगा. सतीश उसके बदन पे हाथ फेरते हुए ऊपर आ रहा था. सतीश के स्पर्श से उसके बदन में झुरझुरी सी आ गयी. श्वेता हाथ के स्पर्श से उम्म्म हम्मम करके सिहरे जा रही थी. श्वेता कांप जा रही थी.
श्वेता हाथ ऊपर किये हुए खड़ी थी. सतीश ने हाथ पीछे ले जाके उसे अपनी तरफ खींचा. श्वेता सतीश के सीने से चिपक गयी. उसके हाथ अभी भी ऊपर थे. सतीश ने उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए.
कुछ देर बाद सतीश अलग हुआ.
किस करते हुए सतीश ने उसे घुमाया और डाइनिंग टेबल पे झुका दिया. श्वेता टेबल पकड़ कर झुकी थी. सतीश ने एक झटके में लंड श्वेता की चुत में पेल दिया.
श्वेता चिल्ला दी- “आहह … मार डाला रे”
सतीश रुक गया. सतीश ने उसके बाल एक तरफ किए … और श्वेता की नंगी पीठ पे चुम्बन करने लगा. सतीश ने दूसरा धक्का लगाया.
श्वेता- “उम्म्ह… अहह… हय… याह…”
सतीश श्वेता की कमर पकड़ के धक्के लगाने लगा. सतीश के हर धक्के के साथ श्वेता की कामुक आहहहह निकल जाती.
सतीश लंड चूत से पूरा निकाल के फिर से डाल रहा था. वह दोनों पूरी तरह से गर्म थे. सतीश ने धक्के तेज कर दिए. उसके बाल पकड़ के टेबल पे दबा दिया और ताबड़तोड़ चुदाई करने लगा. सतीश फुल स्पीड में श्वेता की चुदाई कर रहा था.
श्वेता “आहह ओह … हम्मम..” की आवाजें निकाल रही थी. दस मिनट बाद सतीश ने उसे टेबल पे बिठा दिया. आगे से उसके बॉब्स को चूसते हुए लंड चुत में पेल दिया और चुदाई करने लगा.
सतीश ने उसके चेहरे की तरफ देखा, श्वेता की आंखें तृप्त होने जैसी अवस्था में बंद थीं. श्वेता बस मस्ती में “आहह ओह्ह..” की आवाजें निकाल रही थी. सतीश ने चोदने की स्पीड बढ़ा दी और बीस मिनट के बाद श्वेता की चुत में ही झड़ गया.
झड़ने के बाद सतीश उसके ऊपर गिर पड़ा, श्वेता भी सतीश के कमर से पैर लपेटे झड़ रही थी. सतीश ने उसके होंठों पे होंठों जड़ दिए. उन्होंने गहरा किस किया.
सेक्स के बाद डीप लिप किस करना एक बहुत ही बढ़िया स्टेप है. इससे आपके पार्टनर को ये अहसास होता है कि आप उससे बहुत प्यार करते हो. वह आपके लिए कितना महत्व रखता है.
चुदने के बाद श्वेता के चेहरे पे सन्तुष्टि का भाव था … एक सुकून था. सतीश ने उसके माथे पे किस किया और उसे गोद में उठा लिया. श्वेता सतीश की आंखों में बड़े प्यार से देख रही थी. आज कुछ अलग था. जिसे वह शब्दों में नहीं बयान कर पा रही थी. सतीश ने फिर से उसके होंठों को चूमा. उसने आंखें बंद करके सतीश का स्वागत किया.
सतीश उसे गोद में उठाए उनके कमरे की तरफ बढ़ा. सतीश ने उसे बेड पे पटक दिया.
फिर क्या एक बार और चुदाई हुई श्वेता की. उस रात सतीश ने श्वेता को 4 बार चोदा.
कहानी जारी रहेगी

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