गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे - 4

 गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे - 4

गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे - 4


 गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे - 3

आश्रम पहुँचते पहुँचते काफ़ी देर हो चुकी थी. मैं अपने कमरे में आकर सीधे बाथरूम गयी और नहाने लगी. अपने सभी ओर्गास्म के बाद मेरा यही रुटीन था, दो दिनों में ये चौथी बार मुझे ओर्गास्म आया था. मेरा मन बहुत प्रफुल्लित था क्यूंकी पिछले 48 घंटो में मैं बहुत बार कामोत्तेजना के चरम पर पहुंची थी. मुझे इतना अच्छा महसूस हो रहा था की मेरी बेशर्मी से की गयी हरकतों पर भी मुझे कोई अपराधबोध नहीं हो रहा था. मेरी शादीशुदा जिंदगी में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ था की इतने कम समय में इतनी ज़्यादा बार चरम उत्तेजना से कामसुख मिला हो. मन ही मन मैंने इसके लिए गुरुजी को धन्यवाद दिया और मुझे आशा थी की उनके उपचार से मेरी गर्भवती होने की चाह ज़रूर पूरी होगी. 

जब मैं नहाते समय नीचे झुकी तो मुझे गांड के छेद में दर्द हुआ . विकास ने तेल लगाकर मुझे बहुत ज़ोर से चोदा था पर शायद कामोत्तेजना की वजह से उस समय मुझे ज़्यादा दर्द नहीं महसूस हुआ था. पर अब मुझे गांड में थोड़ा दर्द महसूस हो रहा था. मैंने सोचा रात में अच्छी नींद आ जाएगी तो सुबह तक दर्द ठीक हो जाएगा. इसलिए मैंने जल्दी से डिनर किया और फिर सो गयी.

डिनर से पहले मंजू मेरा पैड लेने आई थी. उसने याद दिलाया की सुबह 6: 30 बजे गुरुजी के पास जाना होगा और फिर वो मुझे देखकर मुस्कुराते हुए चली गयी. मैं शरमा गयी , ऐसा लग रहा था जैसे मंजू मेरी आँखों में झाँककर सब जान चुकी है. डिनर करने के बाद मैंने नाइटी पहन ली और लाइट ऑफ करके सो गयी.

“खट……..खट…….खट ….”

सुबह किसी के दरवाज़ा खटखटाने से मेरी नींद खुली. मैं थोड़ी देर और सोना चाह रही थी. मैंने चिड़चिड़ाते हुए जवाब दिया.

“ठीक है. मैं उठ गयी हूँ. आधे घंटे बाद गुरुजी के पास आती हूँ.”

वो लोग मुझे आधा घंटा पहले उठा देते थे, ताकि गुरुजी के पास जाने से पहले तब तक मैं बाथरूम जाकर फ्रेश हो जाऊँ. इसलिए मैंने वही समझा और बिना पूछे की दरवाज़े पर कौन है, जवाब दे दिया.

“खट……..खट…….खट ….”

“अरे बोल तो दिया अभी आ रही हूँ.”

“खट……..खट…….खट ….”

अब मैं हैरान हुई. ये कौन है जो मेरी बात नहीं सुन रहा है ? अब मुझे बेड से उठना ही पड़ा. मैंने नाइटी के अंदर कुछ भी नहीं पहना हुआ था. मैंने सोचा मंजू या परिमल मुझे उठाने आया होगा . मैंने ब्रा और पैंटी पहनने की ज़रूरत नहीं समझी और नाइटी को नीचे को खींचकर सीधा कर लिया.

“कौन है ?”

बिना लाइट्स ऑन किए हुए दरवाज़ा खोलते हुए मैं बुदबुदाई. मेरे कुछ समझने से पहले ही मैं किसी के आलिंगन में थी और उसने मेरे होठों का चुंबन ले लिया. अब मेरी नींद पूरी तरह से खुल गयी, बाहर अभी भी हल्का अंधेरा था इसलिए मैं देख नहीं पाई की कौन था. मैं अभी अभी गहरी नींद से उठी थी इसलिए कमज़ोरी महसूस कर रही थी. इससे पहले की मैं कुछ विरोध कर पाती उस आदमी ने अपने दाएं हाथ से मेरी कमर पकड़ ली और बाएं हाथ से मेरी दायीं चूची को पकड़ लिया. नाइटी के अंदर मैंने ब्रा नहीं पहनी थी इसलिए मेरी चूचियाँ हिल रही थीं. उसने मेरी चूची को दबाना शुरू कर दिया. वो जो भी था मजबूत बदन वाला था.

“आहह…….. ..कौन हो तुम. रूको……..”

विकास – मैडम , मैं हूँ. विकास. तुमने मुझे नहीं पहचाना ?

विकास के वहां होने की तो मैं सोच भी नहीं सकती थी क्यूंकी वो तो आश्रम से बाहर ले जाने ही आता था. मुझे हैरानी भी हुई पर साथ ही साथ मैं रोमांचित भी हुई. दरवाज़ा खोलते ही जैसे उसने मुझे आलिंगन कर लिया था और मेरा चुंबन ले लिया , उससे मुझे ये देखने का भी मौका नहीं मिला था की कौन है. विकास है जानकर मैंने राहत की सांस ली.

“अभी तो बाहर अंधेरा है. वो लोग तो मुझे 6 बजे उठाने आते हैं.”

विकास – हाँ मैडम. अभी सिर्फ़ 5 बजा है. मुझे बेचैनी हो रही थी इसलिए मैं तुम्हारे पास आ गया.

“अच्छा. तो ये तरीका है तुम्हारा किसी औरत से मिलने का ?”

अब हम दोनों मेरे कमरे में एक दूसरे के आलिंगन में थे और कमरे की लाइट्स अभी भी ऑफ ही थी. विकास के होंठ मेरे चेहरे के करीब थे और उसके हाथ मेरी कमर और पीठ पर थे. कभी कभी वो मेरे नितंबों को नाइटी के ऊपर से सहला रहा था.

“नहीं. सिर्फ़ तुमसे मिलने का. तुम मेरे लिए ख़ास हो.”

“हम्म्म ……..तुम भी मेरे लिए खास हो डियर…..”

हम दोनों ने एक दूसरे का देर तक चुंबन लिया. हमारी जीभों ने एक दूसरे के मुँह का स्वाद लिया. मैंने उसको कसकर अपने आलिंगन में लिया हुआ था और उसके हाथ मेरे बड़े नितंबों को दबा रहे थे.

विकास – मैडम, नाव में एक चीज़ अधूरी रह गयी . मैं उसे पूरा करना चाहता हूँ.

“क्या चीज़ ..?”

मैं विकास के कान में फुसफुसाई. मुझे समझ नहीं आया वो क्या चाहता है.

विकास – मैडम, नाव में बाबूलाल भी था इसलिए मैं तुम्हें पूरी नंगी नहीं देख पाया. 

विकास के मेरे बदन से छेड़छाड़ करने से मैं उत्तेजना महसूस कर रही थी. मैं उसके साथ और वक़्त बिताना चाहती थी. उसकी इच्छा सुनकर मैं खुश हुई पर ये बात मैंने उस पर जाहिर नहीं होने दी.

“लेकिन विकास तुमने नाव में मेरा पूरा बदन देख तो लिया था.”

विकास – नहीं मैडम, बाबूलाल की वजह से मैंने तुम्हारी पैंटी नहीं उतारी थी. लेकिन अभी यहाँ कोई नहीं है, मैं तुम्हें पूरी नंगी देखना चाहता हूँ. तुमने अभी पैंटी पहनी है, मैडम ?

उसने मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया और दोनों हाथों से मेरी नाइटी के ऊपर से मेरे नितंबों पर हाथ फेरा, उन्हें सहलाया और दबाया , जैसे अंदाज़ कर रहा हो की पैंटी पहनी है या नहीं.

विकास – मैडम, पैंटी के बिना तुम्हारी गांड मसलने में बहुत अच्छा लग रहा है.

वो मेरे कान में फुसफुसाया. मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उसकी हरकतों का मज़ा लेती रही. मेरे नितंबों को मलते हुए उसने मेरी नाइटी को मेरे नितंबों तक ऊपर उठा दिया. नाइटी छोटी थी और उसके ऐसे ऊपर उठाने से मेरी टाँगें और जाँघें पूरी नंगी हो गयीं , मैं उस पोज़ में बहुत नटखट लग रही थी. 

विकास थोड़ा झुका और मुझे अपनी गोद में उठा लिया , मेरी दोनों टाँगें उसकी कमर के दोनों तरफ थीं. मुझे ऐसे गोद में उठाकर उसने गोल गोल घुमाया जैसे फिल्मों में हीरो हीरोइन को घुमाता है. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था . मेरे पति ने कभी मुझे ऐसे गोद में लेकर प्यार नहीं किया, ना हनीमून में और ना ही घर में. विकास अच्छी तरह से जानता था की एक औरत को कैसे खुश करना है.

“विकास, प्लीज़ मुझे नीचे उतारो.”

विकास – मैडम , नीचे कहाँ ? बेड में ?

हम दोनों हँसे. उसने मुझे थोड़ी देर अपनी गोद में बिठाये रखा. अपने हाथों और चेहरे से मेरे अंगों को महसूस करता रहा. फिर मुझे नीचे उतार दिया. अब वो मेरे होठों को चूमने लगा और उसके हाथ मेरी नाइटी को ऊपर उठाने लगे. मुझे महसूस हुआ की नाइटी मेरे नितंबों तक उठ गयी है और मेरे नितंब खुली हवा में नंगे हो गये हैं. उन पर विकास के हाथों का स्पर्श मैंने महसूस किया . मैंने विकास के होठों से अपने होंठ अलग किए और उसे रोकने की कोशिश की.

“विकास, प्लीज़…...”

विकास – हाँ मैडम , मैं तुम्हें खुश ही तो कर रहा हूँ.

उसने मेरी नाइटी को पेट तक उठा दिया और मेरी चूत देखने के लिए झुक गया. फिर उसने मेरी नंगी चूत के पास मुँह लगाया और उसे चूमने लगा. मैं शरमाने के बावज़ूद उत्तेजना से कांप रही थी. वो मेरे प्यूबिक हेयर्स में अपनी नाक रगड़ रहा था और वहाँ की तीखी गंध को गहरी साँसें लेकर अपने नथुनों में भर रहा था. अब उसकी जीभ मेरी चूत के होठों को छेड़ने लगी , मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी. दोनों हाथों से उसने मेरे सुडौल नितंबों को पकड़ा हुआ था. मेरे पति ने भी मेरी चूत को चूमा था पर हमेशा बेड पर. मैं बिना पैंटी के नाइटी में थी और नाइटी मेरी कमर तक उठी हुई थी और एक मर्द जो की मेरा पति नहीं था , मेरी चूत को चूम रहा था , ऐसा तो मेरी जिंदगी में पहली बार हुआ था.

कुछ ही देर में मुझे ओर्गास्म आ गया और मेरे रस से विकास का चेहरा भीग गया. मेरी चूत को चूसने के बाद वो उठ खड़ा हुआ . फिर उसने अपने दाएं हाथ की बड़ी अंगुली को मेरी चूत में डाल दिया और अंदर बाहर करने लगा. मैंने भी मौका देखकर उसकी धोती में मोटा कड़ा लंड पकड़ लिया और अपने हाथों से उसे सहलाने और उसके कड़ेपन का एहसास करने लगी . विकास मुझे बहुत काम सुख दे रहा था , अब मैं उसके साथ चुदाई का आनंद लेना चाहती थी. कल मैं जड़ी बूटियों के प्रभाव में थी लेकिन आज तो मैं अपने होशोहवास में थी और मेरा मन हो रहा था की विकास मुझे रगड़कर चोदे. मेरे मन के किसी कोने में ये बात जरूर थी की मैं शादीशुदा औरत हूँ और मुझे विकास के साथ ऐसा नहीं करना चाहिए. लेकिन मुझे इतना मज़ा आ रहा था की मैंने अपनी सारी शरम एक तरफ रख दी और एक रंडी की तरह विकास से चुदाई के लिए विनती की.

“ विकास, प्लीज़ अब करो ना. मैं तुम्हें अपने अंदर लेने को मरी जा रही हूँ.”

तब तक विकास ने मेरी नाइटी को चूचियों के ऊपर उठा दिया था और अब नाइटी सिर्फ़ मेरे कंधों को ढक रही थी. मेरा बाकी सारा बदन विकास के सामने नंगा था. मेरी चूचियाँ दो बड़े गोलों की तरह थीं जो मेरे हिलने डुलने से ऊपर नीचे उछल रही थीं और विकास का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित कर रही थीं. मेरे गुलाबी निपल्स उत्तेजना से कड़े हो चुके थे और अंगूर की तरह बड़े दिख रहे थे. विकास ने उन्हें चूमा, चाटा और चूसा और अपनी लार से उन्हें गीला कर दिया. अब मैं इतनी गरम हो चुकी थी की मैंने खुद अपनी नाइटी सर से निकालकर फेंक दी और विकास के सामने पूरी नंगी हो गयी.

मैं पहली बार किसी गैर मर्द के सामने पूरी नंगी खड़ी थी. मुझे बिल्कुल भी शरम नहीं महसूस हो रही थी बल्कि मुझे चुदाई की बहुत इच्छा हो रही थी.

विकास – मैडम , चलो बेड में .

वो मेरे कान में फुसफुसाया और तभी जैसे वो प्यारा सपना टूट गया.

“खट……..खट…….”

विकास एक झटके से मुझसे अलग होकर दूर खड़ा हो गया और अपने होठों पर अंगुली रखकर मुझसे चुप रहने का इशारा करने लगा.

विकास – मैडम , दरवाज़ा मत खोलना. मैं परेशानी में पड़ जाऊँगा. ऐसे ही बात कर लो.

“हाँ , कौन है ?”

मैंने उनीदी आवाज़ में जवाब देकर ऐसा दिखाने की कोशिश की जैसे मैं गहरी नींद में हूँ और दरवाज़ा खटखटाने से अभी अभी मेरी नींद खुली है. मेरा दिल ज़ोरों से धड़क रहा था. मैं अभी भी पूरी नंगी खड़ी थी.

परिमल – मैडम , मैं हूँ परिमल. 6 बज गये हैं.

“ठीक है. मैं उठ रही हूँ. आधे घंटे में तैयार होकर गुरुजी के पास चली जाऊँगी. उठाने के लिए धन्यवाद."

परिमल – ठीक है मैडम.

फिर परिमल के जाने की आवाज़ आई और हम दोनों ने राहत की सांस ली.

विकास – उफ …..बाल बाल बच गये. मैडम अब मुझे जाना चाहिए.

“लेकिन विकास मुझे इस हालत में छोड़कर ….”

मैं बहुत उत्तेजित हो रखी थी और मेरे पूरे बदन में गर्मी चढ़ी हुई थी. मैं गहरी साँसें ले रही थी और मेरी चूत से रस टपक रहा था. और विकास मुझे ऐसी हालत में छोड़कर जाने की बात कर रहा था.

विकास – मैडम समझने की कोशिश करो. अब मुझे जाना ही होगा. किसी ने यहाँ पकड़ लिया तो मैं परेशानी में पड़ जाऊँगा. क्यूंकी मैंने आश्रम का नियम तोड़ा है.

विकास ने मेरे जवाब का इंतज़ार नहीं किया और दरवाज़ा थोड़ा सा खोलकर इधर उधर देखने लगा. और फिर दरवाज़ा बंद करके चला गया. मुझे उस उत्तेजित हालत में अकेला छोड़ गया. मेरी ऐसी हालत हो रखी थी की उसके चले जाने के बाद मैं बेड में बैठकर अपनी चूचियों को दबाने लगी और अपनी चूत में अंगुली करने लगी.

कुछ देर बाद मुझे एहसास हुआ की ऐसे कब तक बैठी रहूंगी. फिर मैं बाथरूम चली गयी. अभी भी मेरी चूत से रस निकल रहा था. जैसे तैसे मैंने नहाया पर मेरे बदन की गर्मी नहीं निकल पाई. नहाने के बाद मैंने नयी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिए, अपनी दवा ली और फिर गुरुजी के कमरे में चली गयी.

नहाने के बाद मैंने नयी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट पहन लिए, अपनी दवा ली और फिर गुरुजी के कमरे में चली गयी.

गुरुजी – आओ रश्मि. दो दिन पूरे हो गये. अब कैसा महसूस कर रही हो ?

“अच्छा महसूस कर रही हूँ गुरुजी. ऐसा लग रहा है की आपके उपचार से मुझे फायदा हो रहा है. मैं शारीरिक और मानसिक रूप से तरोताजा और ज़्यादा ऊर्जावान महसूस कर रही हूँ."

गुरुजी – बहुत अच्छा.

“गुरुजी , वो …वो मेरे …..मेरा मतलब……. मेरे पैड्स का क्या नतीजा आया ?”

गुरुजी – रश्मि, नतीजे खराब नहीं हैं पर बहुत अच्छे भी नहीं हैं. बाद के दो पैड्स में तुम्हें पहले से बेहतर स्खलन हुआ है पर अभी भी ये पर्याप्त नहीं है.

गुरुजी की बात सुनकर मुझे निराशा हुई. मुझे पूरी उम्मीद थी की पैड्स के नतीजे अच्छे आएँगे क्यूंकी पिछले दो दिनों में मुझे कई बार चरम कामोत्तेजना हुई थी और मेरे चूतरस से पैड्स पूरे भीग गये थे. पर यहाँ गुरुजी कह रहे थे की ये पर्याप्त नहीं है. शायद गुरुजी ने मेरी निराशा को भाँप लिया.

गुरुजी – रश्मि तुम्हें इस बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है. मैं किसलिए हूँ यहाँ ? तुम बस पूरे मन से वो किए जाओ जो मैं तुम्हें करने को कहूँ. ठीक है ?

मैं निराश तो थी पर मैंने गुरुजी की बात पर हाँ में सर हिला दिया. मैं सोचने लगी पैड तो दो दिन के लिए थे , पता नहीं गुरुजी अब क्या उपचार करेंगे.

गुरुजी – अब मैं लिंगा महाराज की पूजा करूँगा . तुम भी मेरे साथ पूजा करना. उसके बाद मैं तुम्हारा चेकअप करूँगा. क्यूंकी मैं जानना चाहता हूँ की चरम उत्तेजना के बाद भी तुम्हें पर्याप्त स्खलन क्यूँ नहीं हो रहा है ?

गुरुजी थोड़ा रुके. वो सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे.

गुरुजी – रश्मि, ये बताओ तुम्हारे ये दोनों मंदिर वाले ओर्गास्म कैसे रहे ?

मुझे झूठ बोलना पड़ा क्यूंकी शाम को तो मैं मंदिर की बजाय विकास के साथ नाव में थी.

“ठीक ही रहे गुरुजी. लेकिन वो पांडेजी का व्यवहार थोड़ा ग़लत था.”

गुरुजी – वो मैं समझ सकता हूँ. पांडेजी को भी कसूरवार नहीं ठहरा सकते क्यूंकी तुम्हारा बदन है ही इतना आकर्षक. 

गुरुजी के मुँह से ऐसी बात सुनकर मुझे झटका लगा पर गुरुजी ने जल्दी से बात सँभाल ली.

गुरुजी – मेरे कहने का मतलब है की पांडेज़ी और बाकी सभी लोग तुम्हारे उपचार का ही एक हिस्सा हैं. इसलिए अगर कोई बहक भी गये तो तुम्हें बुरा नहीं मानना चाहिए और उन्हें माफ़ कर दो. तुम अपना सारा ध्यान मेरे उपचार द्वारा अपने गर्भवती होने के लक्ष्य पर केंद्रित करो. ठीक है रश्मि ?

“हाँ गुरुजी, इसीलिए तो मैंने अपने को काबू में रखा और सब कुछ सहन किया.”

गुरुजी – हाँ , यही तो तुम्हें करना है. अपने दिमाग को अपने वश में करना है. माइंड कंट्रोल इसी को कहते हैं.

मेरे मन में गुरुजी की यही बात घूम रही थी की मुझे पर्याप्त स्खलन नहीं हुआ है. जबकि मुझे लगा था की अपने पति के साथ संभोग के दौरान भी मुझे इतना ज़्यादा स्खलन नहीं होता था जितना यहाँ हुआ था.

“लेकिन गुरुजी , सच में मुझे चरम उत्तेजना हुई थी और इतना ….

गुरुजी ने मेरी बात बीच में ही काट दी.

गुरुजी – रश्मि , सिर्फ़ उत्तेजना की ही बात नहीं है, इसमें कुछ और चीज़ें भी शामिल रहती हैं. मुझे तुम्हारे पल्स रेट, प्रेशर , हार्ट रेट और ऐसी ही खास बातों को जानना पड़ेगा इसीलिए मैं तुम्हारा डॉक्टर के जैसे चेकअप करूँगा. समझ लो मैं भी एक डॉक्टर ही हूँ , बस मेरे उपचार का तरीका थोड़ा अलग है.

मैं बिना पलक झपकाए गुरुजी की बातें सुन रही थी.

गुरुजी – कभी कभी ऐसा होता है की किसी अंग में कोई खराबी आने से योनि में स्खलन की मात्रा पर्याप्त नहीं हो पाती. उदाहरण के लिए अगर योनि मार्ग में कोई बाधा है या किसी और अंग में कुछ समस्या है. इसलिए तुम्हारे आगे के उपचार से पहले तुम्हारा चेकअप करना ज़रूरी है. जब मुझे पता होगा की क्या कमी है उसी हिसाब से तो मैं तुम्हें दवा दूँगा.

“हाँ गुरुजी ये तो है.

गुरुजी – लिंगा महाराज में भरोसा रखो. वो तुम्हारी नैय्या पार लगा देंगे. रश्मि तुम्हें फिकर करने की कोई ज़रूरत नहीं. आज से तुम्हारी दवाइयाँ शुरू होंगी और तुम्हारे शरीर से सारी नकारात्मक चीज़ों को हटाने के लिए कल ‘महायज्ञ’होगा , जिसके बाद तुम गर्भवती होने के अपने लक्ष्य को अवश्य प्राप्त कर सकोगी.

गुरुजी थोड़ा रुके. मैं आगे सुनने को उत्सुक थी.

गुरुजी – महायज्ञ दो दिन में पूर्ण होगा. रश्मि ये बहुत कठिन और थका देने वाला यज्ञ है परंतु इसका फल अमृत के समान मीठा होगा. लेकिन सिर्फ़ यज्ञ से ही सब कुछ नहीं होगा, दवाइयाँ भी खानी होंगी तब असर होगा. और अगर तुम लिंगा महाराज को महायज्ञ के ज़रिए संतुष्ट कर दोगी तो वो तुम्हारी माँ बनने की इच्छा को अवश्य पूर्ण करेंगे , जिसके लिए तुम कबसे तरस रही हो. जय लिंगा महाराज.

“मैं अपना पूरा प्रयास करूँगी गुरुजी. जय लिंगा महाराज.”

गुरुजी – चलो अब पूजा करते हैं फिर मैं तुम्हारा चेकअप करूँगा.

“ठीक है गुरुजी.”

मैंने चेकअप के लिए हामी भर दी पर मुझे क्या पता था की चेकअप के नाम पर गुरुजी बड़ी चालाकी से और बड़ी सूक्ष्मता से मेरी जवानी का उलट पुलटकर हर तरह से भरपूर मज़ा लेंगे.

अब गुरुजी ने आँखें बंद कर ली और मंत्र पढ़ने शुरू कर दिए. मैंने भी हाथ जोड़ लिए और लिंगा महाराज की पूजा करने लगी. 15 मिनट तक पूजा चली. उसके बाद गुरुजी उठ खड़े हुए और हाथ धोने के लिए बाथरूम चले गये. वो भगवा वस्त्रा पहने हुए थे. जब वो उठ के बाथरूम जाने लगे तो लाइट उनके शरीर के पिछले हिस्से में पड़ी. मैं ये देखकर शॉक्ड रह गयी की गुरुजी अपनी धोती के अंदर चड्डी नहीं पहने हैं. जब वो थोड़ा साइड में मुड़े तो लाइट उनकी धोती में ऐसे पड़ी की मुझे उनका केले जैसे लटका हुआ लंड दिख गया. मैंने तुरंत अपनी नज़रें मोड़ ली पर उस एक पल में जो कुछ मैंने देखा उससे मेरे निप्पल तन गये.

पूजा के बाद गुरुजी कमरे से बाहर चले गये और मुझे भी आने को कहा. हम बगल वाले कमरे में आ गये, यहाँ मैं पहले कभी नहीं आई थी. आज वहाँ गुरुजी का कोई शिष्य भी नहीं दिख रहा था शायद सब आश्रम के कार्यों में व्यस्त थे. उस कमरे में एक बड़ी टेबल थी जो शायद एग्जामिनेशन टेबल थी. एक और टेबल में डॉक्टर के उपकरण जैसे स्टेथेस्कोप, चिमटे , वगैरह रखे हुए थे.

गुरुजी – रश्मि टेबल में लेट जाओ. मैं चेकअप के लिए उपकरणों को लाता हूँ.

मैं टेबल के पास गयी पर वो थोड़ी ऊँची थी. चेकअप करने वेल की सुविधा के लिए वो टेबल ऊँची बनाई गयी होगी , क्यूंकी गुरुजी काफ़ी लंबे थे पर मेरे लिए उसमें चढ़ना मुश्किल था. मैंने एक दो बार चढ़ने की कोशिश की. मैंने अपनी साड़ी का पल्लू कमर में खोसा और दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा , फिर अपना दायां पैर टेबल पर चढ़ने के लिए ऊपर उठाया. लेकिन मैंने देखा ऐसा करने से मेरी साड़ी बहुत ऊपर उठ जा रही है और मेरी गोरी टाँगें नंगी हो जा रही हैं. तो मैंने टेबल में चढ़ने की कोशिश बंद कर दी. फिर मैं कमरे में इधर उधर देखने लगी शायद कोई स्टूल मिल जाए पर कुछ नहीं था.

“गुरुजी , ये टेबल तो बहुत ऊँची है और यहाँ पर कोई स्टूल भी नहीं है.”

गुरुजी – ओह…..तुम ऊपर चढ़ नहीं पा रही हो. असल में ये एग्जामिनेशन टेबल है इसलिए इसकी ऊँचाई थोड़ी ज़्यादा है. ….रश्मि , एक मिनट रूको.

मैं टेबल के पास खड़ी रही और कुछ पल बाद गुरुजी मेरे पास आ गये.

गुरुजी – रश्मि तुम चढ़ने की कोशिश करो, मैं तुम्हें टेबल तक पहुँचने में मदद करूँगा.

“ठीक है गुरुजी.”

मैंने दोनों हाथों से टेबल को पकड़ा और अपने पंजो के बल ऊपर उठने की कोशिश की. मैंने अपनी जांघों के पिछले हिस्से पर गुरुजी के हाथों को महसूस किया. उन्होंने वहाँ पर पकड़ा और मुझे ऊपर को उठाया . मुझे उस पोज़िशन में बहुत अटपटा लग रहा था क्यूंकी मेरी बड़ी गांड ठीक उनके चेहरे के सामने थी. इसलिए मैंने जल्दी से टेबल पर चढ़ने की कोशिश की पर आश्चर्यजनक रूप से गुरुजी ने मुझे और ऊपर उठाना बंद कर दिया और मैं उसी पोज़िशन में रह गयी. अगर मैं अपना पैर टेबल पर रखती तो मेरी साड़ी बहुत ऊपर उठ जाती इसलिए मुझे गुरुजी से ही मदद के लिए कहना पड़ा.

“गुरुजी थोड़ा और ऊपर उठाइए, मैं ऊपर नहीं चढ़ पा रही हूँ.”

गुरुजी – ओह....मुझे लगा अब तुम चढ़ जाओगी.

मेरी बड़ी गांड गुरुजी के चेहरे के सामने थी और अब उन्होंने मेरे दोनों नितंबों को पकड़कर मुझे टेबल पर चढ़ाने की कोशिश की. मुझे उनकी इस हरकत पर हैरानी हुई क्यूंकी वो ऊपर को धक्का नहीं दे रहे थे बल्कि उन्होंने मेरे मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ज़ोर से दबा दिया.

“आउच….”

मेरे मुँह से अपनेआप ही निकल गया क्यूंकी मुझे गुरुजी से ऐसे व्यवहार की उम्मीद नहीं थी.

गुरुजी – ओह…..सॉरी रश्मि , वो क्या है की मैं थोड़ा फिसल गया था.

“ओह…..कोई बात नहीं गुरुजी….”

मुझे ऐसा कहना पड़ा पर मैं श्योर थी की गुरुजी ने जानबूझकर मेरे नितंबों को दबाया था. फिर उन्होंने मुझे पीछे से धक्का दिया और मैं टेबल तक पहुँच गयी. मुझे ऐसा लगा की जब तक मैं पूरी तरह से टेबल पर नहीं चढ़ गयी तब तक गुरुजी ने मेरे नितंबों से अपने हाथ नहीं हटाए और वो साड़ी से ढके हुए मेरे निचले बदन को महसूस करते रहे. 

विकास ने सुबह सवेरे मुझे उत्तेजित कर दिया था पर नहाने के बाद मैं थोड़ी शांत हो गयी थी. अब फिर से गुरुजी ने मेरे नितंबों को दबाकर मुझे गरम कर दिया था. मुझे एहसास हुआ की मेरी पैंटी गीली होने लगी थी. इस तरह से टेबल पर चढ़ने में मुझे बहुत अटपटा लगा था की मेरी गांड एक मर्द के चेहरे के सामने थी और फिर वो मेरे नितंबों को धक्का देकर मुझे ऊपर चढ़ा रहा था. शरम से मेरे कान लाल हो गये और मेरी साँसें भारी हो गयी थीं. गुरुजी के ऐसे व्यवहार से मैं थोड़ा अनकंफर्टेबल फील कर रही थी पर मुझे अभी भी पूरा भरोसा नहीं था की उन्होंने जानबूझकर ऐसा किया होगा. मैं सोच रही थी की कहीं गुरुजी सचमुच तो नहीं फिसल गये थे. या फिर जानबूझकर उन्होंने मेरी गांड दबाई थी ? वो मुझे टाँगों को पकड़कर भी तो उठा सकते थे जैसा की उन्होंने शुरू में किया था . मैं कन्फ्यूज़ सी थी .

अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये.

अब मैं टेबल में बैठ गयी और गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये. मैंने अपनी कमर से साड़ी का पल्लू निकाला और साड़ी ठीक ठाक करके पीठ के बल लेट गयी. लेटने से पल्लू मेरी छाती के ऊपर खिंच गया , मैंने देखा मेरी चूचियाँ दो बड़े पहाड़ों की तरह , मेरी साँसों के साथ ऊपर नीचे हिल रही हैं. मैंने पल्लू को ब्लाउज के ऊपर फैलाकर उन्हें ढकने की कोशिश की. 

अब गुरुजी मेरी टेबल के पास आ गये थे. दूसरी टेबल से वो बीपी नापने वाला मीटर, स्टेथेस्कोप और कुछ अन्य उपकरण ले आए थे. 

गुरुजी – रश्मि तुम तैयार हो ?

“हाँ गुरुजी.”

गुरुजी – सबसे पहले मैं तुम्हारा बीपी चेक करूँगा. तुम्हें अपने बीपी की रेंज मालूम है ?

“नहीं गुरुजी.”

गुरुजी – ठीक है. अपनी बाई बाँह को थोड़ा ऊपर उठाओ.

मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी ऊपर उठाई. गुरुजी ने मेरी बाँह में बीपी नापने के लिए मीटर का काला कपड़ा कस के बाँध दिया और पंप करने लगे. मेरा बीपी 130/80 आया , गुरुजी ने कहा नॉर्मल ही है . वैसे ऊपर की रीडिंग थोड़ी ज्यादा है . फिर वो मेरी बाँह से मीटर का कपड़ा खोलने लगे. मैंने देखा बीच बीच में उनकी नज़रें मेरी ऊपर नीचे हिलती हुई चूचियों पर पड़ रही थी.

गुरुजी – अब तुम्हारी नाड़ी देखता हूँ.

ऐसा कहते हुए उन्होंने मेरी बायीं कलाई पकड़ ली. उनके गरम हाथों का स्पर्श मेरी कलाई पर हुआ , पता नहीं क्यूँ पर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. शायद कुछ ही देर पहले विकास ने जो मुझे अधूरा गरम करके छोड़ दिया था उस वजह से ऐसा हुआ हो.

गुरुजी – अरे …..

“क्या हुआ गुरुजी ..?”

गुरुजी – रश्मि , तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज चल रही है , जैसे की तुम बहुत एक्साइटेड हो . लेकिन तुम तो अभी अभी पूजा करके आई हो , ऐसा होना तो नहीं चाहिए था…...फिर से देखता हूँ.

गुरुजी ने मेरी कलाई को अपनी दो अंगुलियों से दबाया. मुझे मालूम था की मेरी नाड़ी तेज क्यूँ चल रही है. मैं उनके नाड़ी नापने का इंतज़ार करने लगी, पर मुझे फिकर होने लगी की कहीं कुछ और ना पूछ दें की इतनी तेज क्यूँ चल रही है .

गुरुजी – क्या बात है रश्मि ? तुम शांत दिख रही हो पर तुम्हारी नाड़ी तो बहुत तेज भाग रही है.

“मुझे नहीं मालूम गुरुजी.”

मैंने झूठ बोलने की कोशिश की पर गुरुजी सीधे मेरी आँखों में देख रहे थे .

गुरुजी – तुम्हारी हृदयगति देखता हूँ.

कहते हुए उन्होंने मेरी कलाई छोड़ दी. फिर स्टेथेस्कोप को अपने कानों में लगाकर उसका नॉब मेरी छाती में लगा दिया. उनका हाथ पल्लू के ऊपर से मेरी चूचियों को छू गया. मुझे थोड़ा असहज महसूस हो रहा था. . गुरुजी मेरी छाती के ऊपर झुके हुए थे पर मेरी आँखों में देख रहे थे. मेरा गला सूखने लगा और मेरा दिल और भी ज़ोर से धड़कने लगा. अब गुरुजी ने नॉब को थोड़ा सा नीचे खिसकाया , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी. वो पल्लू के ऊपर से मेरी बायीं चूची के ऊपर नॉब को दबा रहे थे. मेरी साँसें भारी हो गयीं.

गुरुजी – रश्मि तुम्हारी हृदयगति भी तेज है. कुछ तो बात है.

मैंने मासूम बनने की कोशिश की.

“गुरुजी , पता नहीं ऐसा क्यूँ हो रहा है ?”

गुरुजी ने अभी भी नॉब को मेरी बायीं चूची के ऊपर दबाया हुआ था. उनके ऐसे दबाने से अब ब्लाउज के अंदर मेरी चूचियाँ टाइट होने लगीं. फिर उन्होंने मेरी छाती से स्टेथेस्कोप हटा लिया लेकिन उनकी नज़रें मेरी चूचियों पर ही थीं. औरत की स्वाभाविक शरम से मैंने चूचियों के ऊपर पल्लू ठीक करने की कोशिश की पर ठीक करने को कुछ था ही नहीं क्यूंकी गुरुजी ने पल्लू नहीं हटाया था.

गुरुजी –रश्मि तुम कोई छोटी बच्ची नहीं हो की तुम्हें मालूम ही ना हो की तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति तेज क्यूँ हैं. तुम एक परिपक़्व औरत हो और तुम्हें मुझसे कुछ भी छुपाना नहीं चाहिए.

अब मैं दुविधा में थी की क्या कहूँ और कैसे कहूँ ? गुरुजी से कुछ तो कहना ही था . मैंने बात को घुमा दिया.

“गुरुजी वो …मेरा मतलब……मुझे रात में थोड़ा वैसा सपना आया था शायद उसका ही प्रभाव हो …”

गुरुजी – लेकिन तुम कम से कम एक घंटा पहले उठ गयी होगी. अब तक उस सपने का प्रभाव इतना ज़्यादा तो नहीं हो सकता .

मैं ठीक से जवाब नहीं दे पा रही थी. इस सब के दौरान मैं टेबल पर लेटी हुई थी और गुरुजी मेरी छाती के पास खड़े थे.

गुरुजी – रश्मि जिस तरह से तुम्हारी चूचियाँ ऊपर नीचे उठ रही हैं , मुझे लगता है कुछ और बात है.

अपनी चूचियों के ऊपर गुरुजी के डाइरेक्ट कमेंट करने से मैं शरमा गयी . मैंने उनका ध्यान मोड़ने की भरसक कोशिश की.

“नहीं नहीं गुरुजी. ये तो आपके …”

मैंने जानबूझकर अपनी बात अधूरी छोड़ दी और अपने दाएं हाथ से इशारा करके बताया की उनके मेरी चूची पर स्टेथेस्कोप लगाने से ये हुआ है. मेरे इशारों को देखकर गुरुजी का मनोरंजन हुआ और वो ज़ोर से हंस पड़े.

गुरुजी – अगर इस बेजान स्टेथेस्कोप के छूने से तुम्हारी हृदयगति इतनी बढ़ गयी तो किसी मर्द के छूने से तो तुम बेहोश ही हो जाओगी.

वो हंसते रहे. मैं भी मुस्कुरा दी.

गुरुजी – ठीक है रश्मि . मैं तुम्हारी बात मान लेता हूँ की तुम्हें रात में उत्तेजक सपना आया था. और अब मेरे चेकअप करने से तुम थोड़ी एक्साइटेड हो गयी.

ये सुनकर मैंने राहत की साँस ली.

गुरुजी –लेकिन मैं तुम्हें बता दूं की ये अच्छे लक्षण नहीं हैं. तुम्हारी नाड़ी और हृदयगति इतनी तेज चल रही हैं की अगर तुम संभोग कर रही होती तब भी इतनी नहीं होनी चाहिए थी.

मैंने गुरुजी को प्रश्नवाचक नज़रों से देखा क्यूंकी मेरी समझ में नहीं आया की इसके दुष्परिणाम क्या हैं ?

गुरुजी – अब मैं तुम्हारे शरीर का तापमान लूँगा. इसको अपनी बायीं कांख में लगाओ.

कहते हुए गुरुजी ने थर्मामीटर दिया. अब मेरे लिए मुश्किल हो गयी. घर में तो मैं मुँह में थर्मामीटर लगाती थी पर यहाँ गुरुजी कांख में लगाने को बोल रहे थे. लेकिन मैं तो साड़ी ब्लाउज पहने हुए थी और कांख में लगाने के लिए तो मुझे ब्लाउज उतारना पड़ता.

“गुरुजी , इसको मुँह में रख लूँ ?”

गुरुजी – नहीं नहीं रश्मि. ये साफ नहीं है और अभी यहाँ डेटोल भी नहीं है. मुँह में डालने से तुम्हें इन्फेक्शन हो सकता है.

अब मेरे पास कोई चारा नहीं था और मुझे कांख में ही थर्मामीटर लगाना था.

गुरुजी – अपने ब्लाउज के दो तीन हुक खोल दो और ….

गुरुजी ने अपनी बात अधूरी छोड़ दी . पूरी करने की ज़रूरत भी नहीं थी. मैं उठ कर बैठ गयी और पल्लू की ओट में अपने ब्लाउज के हुक खोलने लगी. गुरुजी सिर्फ़ एक फुट दूर खड़े थे और मुझे ब्लाउज खोलते हुए देख रहे थे. मैंने ब्लाउज के ऊपर के दो हुक खोले और थर्मामीटर को कांख में लगाने को पकड़ा.

गुरुजी – रश्मि एक हुक और खोलो नहीं तो थर्मामीटर ठीक से नहीं लगेगा. और फिर ग़लत रीडिंग आएगी.

मेरे ब्लाउज के हुक्स के ऊपर उनके डाइरेक्ट कमेंट से मैं चौंक गयी . मेरे पति को मेरे ब्लाउज को खोलने का बड़ा शौक़ था. अक्सर वो मेरे ब्लाउज के हुक खुद खोलने की ज़िद करते थे. मुझे हैरानी होती थी की मेरी चूचियों से भी ज़्यादा मेरा ब्लाउज क्यूँ उनको आकर्षित करता है .

मैं गुरुजी को मना नहीं कर सकती थी. मैंने थर्मामीटर टेबल में रख दिया और पल्लू के अंदर हाथ डालकर ब्लाउज का तीसरा हुक खोलने लगी. मैंने देखा पल्लू के बाहर से मेरी गोरी गोरी चूचियों का ऊपरी भाग साफ दिख रहा था. मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा गुरुजी की नज़रें वहीं पर थी. मुझे मालूम था की अगर मैं ब्लाउज का तीसरा हुक भी खोल दूं तो मेरे अधखुले ब्लाउज से ब्रा भी दिखने लगेगी. लेकिन मेरे पास कोई और चारा नही था और मुझे तीसरा हुक भी खोलना पड़ा.

गुरुजी – हाँ अब ठीक है. अब थर्मामीटर लगा लो.

मैंने अपनी बायीं बाँह थोड़ी उठाई और आधे खुले ब्लाउज के अंदर से थर्मामीटर कांख में लगा लिया. फिर मैंने पल्लू को एडजस्ट करके गुरुजी की नज़रों से अपनी चूचियों को छुपाने की कोशिश की.

गुरुजी – दो मिनट तक लगाए रखो.

ये मेरे लिए बड़ा अटपटा था की मैं आधे खुले ब्लाउज में एक मर्द के सामने ऐसे बैठी हूँ. इसीलिए मैं चेकअप वगैरह के लिए लेडी डॉक्टर को दिखाना ही पसंद करती थी. वैसे मैं गुरुजी के सामने ज़्यादा शरम नहीं महसूस कर रही थी ख़ासकर की पिछले दो दिनों में मैंने जितनी बेशर्मी दिखाई थी उसकी वजह से. वरना पहले तो मैं बहुत ही शरमाती थी.

गुरुजी – टाइम हो गया. रश्मि अब निकाल लो.

मैंने थर्मामीटर निकाल लिया और गुरुजी को दे दिया. फिर फटाफट अपने ब्लाउज के हुक लगाने लगी , मुझे क्या पता था कुछ ही देर में फिर से खोलना पड़ेगा.

गुरुजी –तापमान तो ठीक है. लेकिन इतनी सुबह तुम्हें पसीना बहुत आया है.

ऐसा कहते हुए उन्होंने थर्मामीटर के बल्ब में अंगुली लगाकर मेरे पसीने को फील किया. मुझे शरम आई और मेरे पास जवाब देने लायक कुछ नहीं था.

फिर मैंने जो देखा उससे मैं शॉक्ड रह गयी. गुरुजी ने थर्मामीटर के बल्ब को अपनी नाक के पास लगाया और मेरी कांख के पसीने की गंध को अपने नथुनों में भरने लगे. उनकी इस हरकत से मेरी भौंहे तन गयीं पर उनके पास हर बात का जवाब था.

गुरुजी – रश्मि, तुम्हें ज़रूर हैरानी हो रही होगी की मैं ऐसे क्यूँ सूंघ रहा हूँ. लेकिन गंध से इस बात का पता चलता है की हमारे शरीर का उपापचन (मेटाबॉलिज़म) कैसा है. अगर दुर्गंध आ रही है तो समझ लो उपापचन ठीक से नहीं हो रहा है. इसीलिए मुझे ये भी चेक करना पड़ता है.

ये सुनकर मैंने राहत की साँस ली. अब गुरुजी ने थर्मामीटर , बीपी मीटर एक तरफ रख दिए. मैं टेबल में बैठी हुई थी. गुरुजी अब मेरे अंगों का चेकअप करने लगे. पहले उन्होंने मेरी आँख, कान और गले को देखा. उनकी गरम अंगुलियों से मुझे बहुत असहज महसूस हो रहा था. उनके ऐसे छूने से मुझे कुछ देर पहले विकास के अपने बदन को छूने की याद आ जा रही थी. गुरुजी का चेहरा मेरे चेहरे के बिल्कुल पास था और किसी किसी समय उनकी गरम साँसें मुझे अपने चेहरे पर महसूस हो रही थी , जिससे मेरे बदन में कंपकपी दौड़ जा रही थी. उसके बाद उन्होंने मेरी गर्दन और कंधों की जाँच की. कंधों को जाँचने के लिए उन्होंने वहाँ पर से साड़ी हटा दी. मुझे ऐसा लग रहा था विकास के अधूरे काम को ही गुरुजी आगे बढ़ा रहे हैं. मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था पर मैंने बाहर से नॉर्मल दिखने की भरसक कोशिश की.

गुरुजी – रश्मि अब तुम लेट जाओ. मुझे तुम्हारे पेट की जाँच करनी है.

गुरुजी – रश्मि अब तुम लेट जाओ. मुझे तुम्हारे पेट की जाँच करनी है.

मैं फिर से टेबल में लेट गयी. गुरुजी बिना मुझसे पूछे मेरे पेट के ऊपर से साड़ी हटाने लगे. स्वाभाविक शरम से मेरे हाथों ने अपनेआप ही साड़ी को फिर से पेट के ऊपर फैलाने की कोशिश की पर गुरुजी ने ज़ोर लगाकर साड़ी को मेरे पेट के ऊपर से हटा दिया. मेरे पल्लू के एक तरफ हो जाने से ब्लाउज के ऊपर से साड़ी हट गयी और चूचियों का निचला भाग एक्सपोज़ हो गया. 

गुरुजी ने मेरे पेट को अपनी अंगुलियों से महसूस किया और हथेली से पेट को दबाकर देखा. मैंने अपने पेट की मुलायम त्वचा पर उनके गरम हाथ महसूस किए. उनके ऐसे छूने से मेरे बदन में कंपकपी सी हो रही थी. मेरे पेट को दबाकर उन्होंने लिवर आदि अंदरूनी अंगों को टटोला. फिर अचानक गुरुजी मेरी नाभि में उंगली घुमाने लगे, उससे मुझे गुदगुदी होने लगी . गुदगुदी होने से मैं खी खी कर हंसने लगी और लेटे लेटे ही मेरे पैर एक दूसरे के ऊपर आ गये.

गुरुजी – हँसो मत रश्मि. मैं जाँच कर रहा हूँ. और अपने पैर अलग अलग करो.

“गुरुजी , मैं वहाँ पर बहुत सेन्सिटिव हूँ.”

मैंने साड़ी के अंदर अपने पैर फिर से अलग कर लिए. पर उनके ऐसे मेरी नाभि में उंगली करने से गुदगुदी की वजह से मैं अपने नितंबों को हिलाने लगी और मुझे हँसी आती रही.

गुरुजी – ठीक है. हो गया. 

मैंने राहत की साँस ली पर उनकी ऐसी जाँच से मेरी पैंटी गीली हो गयी थी.

गुरुजी – रश्मि अब पलटकर नीचे को मुँह कर लो.

ये एक औरत ही जानती है की किसी मर्द के सामने ऐसे उल्टा लेटना कितना अटपटा लगता है. मैं टेबल में अपने पेट के बल लेट गयी. अब मेरे बड़े नितंब गुरुजी की आँखों के सामने ऊपर को थे और मेरी चूचियाँ मेरे बदन से दबकर साइड को फैल गयी थीं. अब गुरुजी ने स्टेथेस्कोप लगाकर मेरी पीठ में जाँच की. उन्होंने एक हाथ से स्टेथो के नॉब को मेरे ब्लाउज के ऊपर दबाया हुआ था और दूसरा हाथ मेरी पीठ के ऊपर रखा हुआ था. मैंने महसूस किया की उनका हाथ ब्लाउज के ऊपर से मेरी ब्रा को टटोल रहा था. 

गुरुजी – रश्मि एक गहरी साँस लो.

मैंने उनके निर्देशानुसार लंबी साँस ली. लेकिन तभी उनकी अँगुलियाँ मुझे ब्रा के हुक के ऊपर महसूस हुई . उनकी इस हरकत से मैं साँस रोक नहीं पाई और मेरी साँस टूट गयी. 

गुरुजी – क्या हुआ ?

“क…..क…..कुछ नहीं गुरुजी. मैं फिर से कोशिश करती हूँ.”

मेरा दिल इतनी ज़ोर ज़ोर से धड़क रहा था की शायद उन्हें भी सुनाई दे रहा होगा. मैंने अपने को संयत करने की कोशिश की. गुरुजी ने भी मेरी ब्रा के ऊपर से अपनी अँगुलियाँ हटा ली . मैंने फिर से लंबी साँस ली.

स्टेथो से जाँच पूरी होने के बाद , मैंने गुरुजी के हाथ ब्लाउज और साड़ी के बीच अपनी नंगी कमर पर महसूस किए. मुझे नहीं मालूम वहाँ पर गुरुजी क्या चेक कर रहे थे पर ऐसा लगा जैसे वो कमर में मसाज कर रहे हैं. गुरुजी की अँगुलियाँ मुझे अपने ब्लाउज के नीचे से अंदर घुसती महसूस हुई. मैं कांप सी गयी. मेरी कमर की नंगी त्वचा पर और ब्लाउज के अंदर उनके हाथ के स्पर्श से मेरे बदन की गर्मी बढ़ने लगी.

मैं सोचने लगी अब गुरुजी कहीं नीचे को भी ऐसे ही अँगुलियाँ ना घुसा दें और ठीक वैसा ही हुआ. गुरुजी ने मेरे ब्लाउज के अंदर से अँगुलियाँ निकालकर अब नीचे को ले जानी शुरू की. और फिर साड़ी और पेटीकोट के अंदर डाल दी. उनकी अँगुलियाँ पेटीकोट के अंदर मेरी पैंटी तक पहुँच गयी.

“आईईईईई…….”

मेरे मुँह से एक अजीब सी आवाज़ निकल गयी. उस आवाज़ का कोई मतलब नहीं था वो बस गुरुजी के हाथों में मेरी असहाय स्थिति को दर्शा रही थी. 

गुरुजी – सॉरी रश्मि. आगे की जाँच के लिए मुझे तुमसे साड़ी उतारने को कहना चाहिए था.

उन्होंने मेरी कमर से हाथ हटा लिए. और मुझसे साड़ी उतारने को कहने लगे.

गुरुजी – रश्मि , साड़ी उतार दो. मैं तुम्हारे श्रोणि प्रदेश (पेल्विक रीजन) की जाँच के लिए ल्यूब, टॉर्च और स्पैचुला (मलहम फैलाने का चपटा औजार) लाता हूँ.

ऐसा कहकर गुरुजी दूसरी टेबल के पास चले गये. अब मैं दुविधा में पड़ गयी, साड़ी कैसे उतारूँ ? टेबल बहुत ऊँची थी. अगर टेबल से नीचे उतरकर साड़ी उतारूँ तो फिर से गुरुजी की मदद लेकर ऊपर चढ़ना पड़ेगा. मैं फिर से उनके हाथों अपने नितंबों को मसलवाना नहीं चाहती थी जैसा की पहली बार टेबल में चढ़ते वक़्त हुआ था. दूसरा रास्ता ये था की मैं टेबल में खड़ी होकर साड़ी उतारूँ. मैंने यही करने का फ़ैसला किया.

गुरुजी – रश्मि देर मत करो. फिर मुझे अपने एक भक्त के घर ‘यज्ञ’ करवाने भी जाना है.

मैं टेबल में खड़ी हो गयी . उतनी ऊँची टेबल में खड़े होना बड़ा अजीब लग रहा था. मैंने साड़ी उतारनी शुरू की और देखा की गुरुजी की नज़रें भी मुझ पर हैं , इससे मुझे बहुत शरम आई. अब ऐसे टेबल में खड़े होकर कौन औरत अपने कपड़े उतारती है, बड़ा अटपटा लग रहा था. साड़ी उतारने के बाद मैं सिर्फ़ ब्लाउज और पेटीकोट में टेबल में खड़ी थी और मुझे लग रहा था की जरूर मैं बहुत अश्लील लग रही हूँगी.

गुरुजी – ठीक है रश्मि. अगर तुमने पैंटी पहनी है तो उसे भी उतार दो क्यूंकी मुझे तुम्हारी योनि की जाँच करनी है.

गुरुजी ने योनि शब्द ज़ोर देते हुए बोला, शरम से मेरी आँखें बंद हो गयी. उन्होंने ये भी कहा की अगर चाहो तो पेटीकोट रहने दो और इसके अंदर से सिर्फ़ पैंटी उतार दो. मैंने पैंटी उतारने के लिए अपने पेटीकोट को ऊपर उठाया, शरम से मेरा मुँह लाल हो गया था. फिर मैंने पेटीकोट के अंदर हाथ डालकर अपनी पैंटी को नितंबों से नीचे खींचने की कोशिश की. टेबल में खड़ी होकर पेटीकोट उठाकर पैंटी नीचे करती हुई मैं बहुत भद्दी दिख रही हूँगी और एक हाउसवाइफ की बजाय रंडी लग रही हूँगी. तब तक गुरुजी भी अपने उपकरण लेकर मेरी टेबल के पास आ गये थे. और वो नीचे से मेरी पेटीकोट के अंदर पैंटी उतारने का नज़ारा देखने लगे. लेकिन मैं असहाय थी और मुझे उनके सामने ही पैंटी उतारनी पड़ी.

गुरुजी – रश्मि , अपनी साड़ी और पैंटी मुझे दो. मैं यहाँ रख देता हूँ.

ऐसा कहकर उन्होंने मेरे कुछ कहने का इंतज़ार किए बिना टेबल से मेरी साड़ी उठाई और मेरे हाथों से पैंटी छीनकर दूसरी टेबल के पास रख दी. मैं फिर से टेबल में लेट गयी. अब गुरुजी का व्यवहार कुछ बदला हुआ था . उन्होंने मुझसे कहने की बजाय सीधे खुद ही मेरे पेटीकोट को मेरी कमर तक ऊपर खींच दिया और मेरी टाँगों को फैला दिया. उसके बाद उन्होंने मेरी टाँगों को उठाकर टेबल में बने हुए खाँचो में रख दिया. अब मैं लेटी हुई थी और मेरी दोनों टाँगें ऊपर उठी हुई थी. मेरी गोरी जाँघें और चूत गुरुजी की आँखों के सामने बिल्कुल नंगी थी. शरम और घबराहट से मेरे दाँत भींच गये. 

मैं लेटे लेटे गुरुजी को देख रही थी. अब गुरुजी ने मेरी चूत के होठों को अपनी अंगुलियों से अलग किया. गुरुजी ने मेरी चूत के होठों पर अपनी अंगुली फिराई और फिर उन्हें फैलाकर खोल दिया. उसके बाद उन्होंने अपनी तर्जनी अंगुली (दूसरी वाली) में ल्यूब लगाकर धीरे से मेरी चूत के अंदर घुसायी. मेरी चूत पहले से ही गीली हो रखी थी, पहले विकास की छेड़छाड़ से और अब चेकअप के नाम पर गुरुजी के मेरे बदन को छूने से . मेरी चूत के होंठ गीले हो रखे थे और गुरुजी की अंगुली आराम से मेरी चूत में गहराई तक घुसती चली गयी.

“ओओओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…..”

मेरी सिसकारी निकल गयी.

गुरुजी – रश्मि रिलैक्स ,ये सिर्फ़ जाँच हो रही है. मुझे गर्भाशय ग्रीवा (सर्विक्स) की जाँच करनी है. 

गुरुजी ने अपनी अंगुली मेरी चूत से बाहर निकाल ली , मैंने देखा वो मेरे चूतरस से सनी हुई थी. उन्होंने फिर से अंगुली चूत में डाली और गर्भाशय ग्रीवा को धीरे से दबाया. गुरुजी के मेरी चूत में अंगुली घुमाने से मैं उत्तेजना से टेबल में लेटे हुए कसमसाने लगी. गुरुजी अपनी जाँच करते रहे. फिर मैंने महसूस किया की अब उन्होंने मेरी चूत में दो अँगुलियाँ डाल दी थी.

गुरुजी – मुझे तुम्हारे गर्भाशय (यूटरस) और अंडाशय (ओवारीस) की भी जाँच करनी है की उनमे कोई गड़बड़ी तो नहीं है.

गुरुजी के हाथ बड़े बड़े थे और उनकी अँगुलियाँ भी मोटी और लंबी थीं. उनके अँगुलियाँ घुमाने से ऐसा लग रहा था जैसे कोई मोटा लंड मेरी चूत में घुस गया हो. मुझे साफ समझ आ रहा था की गुरुजी जाँच के नाम पर मेरी चूत में अँगुलियाँ ऐसे अंदर बाहर कर रहे थे जैसे मुझे अंगुलियों से चोद रहे हों. मेरा पेटीकोट कमर तक उठा हुआ था और मेरा निचला बदन बिल्कुल नंगा था. मेरी चूत उस उम्रदराज बाबा की आँखों के सामने नंगी थी. ऐसी हालत में लेटी हुई मैं उनकी हरकतों से उत्तेजना से कसमसा रही थी.

“ओओओओऊओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह…...गुरुजी….”

मुझे अपनी चूत के अंदर गुरुजी की अँगुलियाँ हर तरफ घूमती महसूस हो रही थीं. गुरुजी ने एक हाथ की अँगुलियाँ चूत में डाली हुई थीं और दूसरे हाथ से मेरी चूत के ऊपर के काले बालों को सहला रहे थे. फिर उन्होंने एक हाथ में स्पैचुला को पकड़ा और दूसरे हाथ से चूत के होठों को फैलाकर स्पैचुला को मेरी चूत में डाल दिया.

…….गुरुजी प्लीज़ रुकिये . मैं इसे नहीं ले पाऊँगी.”

मैं बेशर्मी से चिल्लाई. मेरे निप्पल तन गये और ब्रा के अंदर चूचियाँ टाइट हो गयीं. ठंडे स्पैचुला के मेरी चूत में घुसने से मैं कसमसाने लगी. उत्तेजना से मैं तड़पने लगी. स्पैचुला ने मेरी चूत के छेद को फैला रखा था . इससे गुरुजी को चूत के अंदर गहराई तक दिख रहा होगा. कुछ देर तक जाँच करने के बाद गुरुजी ने स्पैचुला को बाहर निकाल लिया.

गुरुजी – ठीक है रश्मि. इसकी जाँच हो गयी. अब तुम अपनी टाँगें मिला सकती हो.

लेकिन मैं ऐसा करने की हालत में नहीं थी. मैं एक मर्द के सामने अपनी टाँगें, जांघों और चूत को बिल्कुल नंगी किए हुए थोड़ी देर तक उसी पोजीशन में पड़ी रही. फिर कुछ पलों बाद मैंने अपने को संयत किया और अपने पेटीकोट को नीचे करके चूत को ढकने की कोशिश की.

गुरुजी – रश्मि पेटीकोट नीचे मत करो. अब मुझे तुम्हारी गुदा (रेक्टम) की जाँच करनी है.

मैं इसकी अपेक्षा नहीं कर रही थी पर क्या कर सकती थी.

गुरुजी – रश्मि पेट के बल लेट जाओ. जल्दी करो मेरे पास समय कम है.

मुझे उस कामुक अवस्था में टेबल में पलटते हुए देखकर गुरुजी की आँखों में चमक आ गयी . उन्होंने पेटीकोट को जल्दी से ऊपर उठाकर मेरी बड़ी गांड को पूरी नंगी कर दिया. मुझे मालूम था की मेरी सुडौल गांड मर्दों को आकर्षित करती है , उसको ऐसे ऊपर को उठी हुई नंगी देखना गुरुजी के लिए क्या नज़ारा रहा होगा. अब गुरुजी ने मेरी जांघों को फैलाया , इससे मेरी चूत भी पीछे से साफ दिख रही होगी. मुझे उस शर्मनाक पोजीशन में छोड़कर गुरुजी फिर से दूसरी टेबल के पास चले गये. 

फिर वो हाथों में लेटेक्स के दस्ताने पहन कर आए. अपनी तर्जनी अंगुली के ऊपर उन्होंने थोड़ा ल्यूब लगाया. फिर गुरुजी ने अपने बाएं हाथ से मेरे नितंबों को फैलाया और दाएं हाथ की तर्जनी अंगुली मेरी गांड के छेद में धीरे से घुसा दी.

“ओओओओऊऊह्ह्ह्ह्ह…..”

मैं हाँफने लगी और मैंने टेबल के सिरों को दोनों हाथों से कसकर पकड़ लिया.

गुरुजी – रिलैक्स रश्मि. तुम्हें कोई परेशानी नहीं होगी.

गुरुजी मुझसे रिलैक्स होने को कह रहे थे पर मुझे कल रात विकास के साथ नाव में गांड चुदाई की याद आ गयी थी. सुबह पहले विकास के साथ और अब गुरुजी के मेरे बदन को हर जगह छूने से मैं बहुत उत्तेजित हो चुकी थी. मेरी चूत से रस बहने लगा. उनके मेरी गांड में ऐसे अंगुली घुमाने से मुझे मज़ा आने लगा था , पर ये वाली जाँच जल्दी ही खत्म हो गयी. अंगुली अंदर घुमाते वक़्त गुरुजी दूसरे हाथ से मेरे नंगे मांसल नितंबों को दबाना नहीं भूले.

जाँच पूरी होने के बाद मैं टेबल में सीधी हो गयी और पेटीकोट को नीचे करके अपने गुप्तांगो को ढक लिया. फिर गुरुजी ने मुझे टेबल से नीचे उतरने में मदद की. मैं इतनी उत्तेजित हो रखी थी की जब मैं टेबल से नीचे उतरी तो मैंने सहारे के बहाने गुरुजी को आलिंगन कर लिया. और जानबूझकर अपनी तनी हुई चूचियाँ उनकी छाती और बाँह से दबा दी. मुझे हैरानी हुई की बाकी मर्दों की तरह गुरुजी ने फायदा उठाकर मुझे आलिंगन करने या मेरी चूचियों को दबाने की कोशिश नहीं की और सीधे सीधे मुझे टेबल से नीचे उतार दिया. मुझे एहसास हुआ की गुरुजी जल्दी में हैं, पर उनका चेहरा बता रहा था की मेरे गुप्तांगों को देखकर वो संतुष्ट हैं.

गुरुजी – रश्मि साड़ी पहनकर अपने कमरे में चली जाओ. चेकअप के नतीजे मैं तुम्हें शाम को बताऊँगा.

मैंने सर हिलाकर हामी भर दी और गुरुजी कमरे से बाहर चले गये. मैं एक बार फिर से अधूरी उत्तेजित होकर रह गयी. मुझे बहुत फ्रस्ट्रेशन फील हो रही थी . विकास और गुरुजी दोनों ने ही मुझे उत्तेजना की चरम सीमा तक पहुँचाया और बिना चोदे ही छोड़ दिया. सच्ची बताऊँ तो अब मैं चुदाई के लिए तड़प रही थी. मैं विकास को कोसने लगी की सुबह मेरे कमरे में आया ही क्यूँ और मुझे गरम करके तड़पता छोड़ गया. 

मैं अपने कमरे में चली आई और दरवाज़ा बंद करके बेड में लेट गयी. मेरा दिल अभी भी जोरो से धड़क रहा था और अधूरे ओर्गास्म से मुझे बहुत बेचैनी हो रही थी. मैंने तकिये को कसकर अपनी छाती से लगा लिया और ये सोचकर उसे दबाने लगी की मैं विकास को आलिंगन कर रही हूँ. वो तकिया लंबा नहीं था इसलिए मैं तकिये में अपनी टाँगें नहीं लपेट पा रही थी और मुझे काल्पनिक एहसास भी सही से नहीं हो पा रहा था. मेरी फ्रस्ट्रेशन और भी बढ़ गयी. मुझे चूत में बहुत खुजली हो रही थी जैसा की औरतों को चुदाई की जबरदस्त इच्छा के समय होती है. मैंने अपनी साड़ी उतार कर बदन से अलग कर दी. मेरे निप्पल सुबह से तने हुए थे और अब दर्द करने लगे थे. मैंने अपना ब्लाउज भी खोल दिया और ब्रा को खोलकर चूचियों को आज़ाद कर दिया. अब मैं ऊपर से नंगी होकर बेड में लेटी हुई थी और एक हाथ से अपनी चूचियों को सहला रही थी और दूसरे हाथ से पेटीकोट के ऊपर से अपनी चूत को खुज़ला रही थी. मैं बहुत चुदासी हो रखी थी. 

मेरी बेचैनी बढ़ती गयी और अपने बदन की आग को मैं सहन नहीं कर पा रही थी. मैंने अपना पेटीकोट भी उतार दिया और गीली पैंटी को फर्श में फेंक दिया. अब मैं बिल्कुल नंगी थी. मैं बाथरूम में गयी और अपने बदन को उस बड़े शीशे में देखा. मैं शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बदन से खेलने लगी और कल्पना करने लगी की विकास मेरे बदन से खेल रहा है. लेकिन मुझे हैरानी हुई की मेरे मन में वो दृश्य घूमने लगा की जब कुछ देर पहले गुरुजी मेरी चूत में अपनी अँगुलियाँ घुमा रहे थे. मेरी चूत से फिर से रस बहने लगा. मैंने अपने तने हुए निपल्स को मरोड़ा और दोनों हाथों से अपनी चूचियों को मसला. लेकिन इससे मेरी बेचैनी शांत नहीं हुई.

अब मैं शीशे के बिल्कुल नज़दीक़ खड़ी हो गयी और अपनी बाँहों को ऊपर उठाकर शीशे को पकड़ लिया और अपनी नंगी चूचियों को शीशे में रगड़ने लगी. मैं अपने चेहरे और गालों को भी शीशे से रगड़ने लगी. मैं पूरी तरह से बेकाबू हो चुकी थी. ऐसे अपने नंगे बदन को शीशे से रगड़ते हुए मैं बेशर्मी से अपनी बड़ी गांड को मटका रही थी. फिर मैंने नल की टोंटी से अपनी चूत को रगड़ना शुरू किया. मैं इतनी बेकरार थी की ऐसे रगड़कर ही मैंने आनंद लेने की कोशिश की. मैंने अपनी जांघों के संवेदनशील अंदरूनी हिस्से को अपने हाथों से मसला . फिर अपनी तर्जनी अंगुली को गीली चूत में घुसाकर तेज़ी से अंदर बाहर करने लगी और अपनी क्लिट को बुरी तरह मसलकर ओर्गास्म लाने की कोशिश की. कुछ देर बाद मुझे ओर्गास्म आ गया और मैं थकान से पस्त हो गयी.

मैंने जैसे तैसे अपने बदन को बाथरूम से बाहर धकेला और बिस्तर में गिर गयी. मेरे बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था. ऐसे ही मुझे गहरी नींद आ गयी , सुबह विकास ने मुझे जल्दी उठा दिया था इसलिए मेरी नींद भी पूरी नहीं हो पाई थी. पता नहीं कितनी देर बाद मेरी नींद खुली . ऐसे नंगी बिस्तर में पड़ी देखकर मुझे अपनेआप पर बहुत शरम आई. मैं बिस्तर से उठी और बाथरूम जाकर अपने को अच्छी तरह से धोया और फिर कपड़े पहन लिए. 

मैं सोचने लगी सिर्फ़ दो तीन दिनों में ही मैं कितनी बोल्ड और बेशरम हो गयी हूँ. मैं अपने कमरे में आराम से नंगी घूम रही थी , मेरी बड़ी चूचियाँ उछल रही थीं और मेरे हिलते हुए नंगे नितंब मेरी बेशर्मी को बयान कर रहे थे. सिर्फ़ कुछ दिन पहले मैं ऐसा सोच भी नहीं सकती थी. जब मैं अपने पति के साथ बेडरूम में होती थी और मुझे बेड से उतरना होता था तो मैं पैंटी ज़रूर पहन लेती थी और अक्सर ब्रा से अपनी चूचियों को ढक लेती थी. कभी अपने बेडरूम में ऐसे नंगी नहीं घूमती थी. कितना परिवर्तन आ गया था मुझमें. मुझे खुद ही अपने आप से हैरानी हो रही थी. 

अब 11:30 बज गये थे और मैं नहाने की सोच रही थी . तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया.

अब 11:30 बज गये थे और मैं नहाने की सोच रही थी . तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया.

“कौन है ?”

जवाब देने वाले को मैं पहचान नहीं पाई. मैं सोचने लगी ये किसकी आवाज़ है , सुनी हुई तो लग रही है. मैंने दरवाजा खोला तो बाहर राजकमल खड़ा था. 

राजकमल – मैडम , मैं मालिश के लिए आया हूँ. गुरुजी ने आपको इसके बारे में जरूर बताया होगा.

मैंने कुछ पल के लिए सोचा फिर मुझे याद आया की उस दिन गुरुजी ने तेल देते समय कहा था की राजकमल मालिश का तरीका बताएगा.

“अरे हाँ हाँ. अंदर आ जाओ.”

राजकमल - थैंक्स , मैडम.

राजकमल गुरुजी के शिष्यों में सबसे छोटा था , करीब 21 – 22 बरस का होगा. वो दुबला पतला था और इस वजह से और भी कम उम्र का दिखता था. वो आश्रम के भगवा वस्त्र पहने हुआ था. उसके हाथ में एक बैग था जिसमें से चटाई का एक कोना बाहर निकला हुआ था.

राजकमल - मैडम , आप अभी मालिश के लिए तैयार हो ?

मुझे थोड़ी उलझन हुई. क्या ये मेरी मालिश करेगा ? गुरुजी की बातों से तो मुझे लगा था की ये मुझे बताएगा की कैसे करनी है और मालिश मुझे खुद करनी होगी.

“तुम मुझे बताओगे नहीं की मालिश कैसे करनी है ?”

राजकमल - मैडम , ये तो जड़ी बूटी वाले तेलों से पूरे बदन की खास किस्म की मालिश है. आप अपनेआप नहीं कर पाओगी. मैं आपको तरीका सीखा दूँगा लेकिन फिर भी आपको मेरी मदद की ज़रूरत तो पड़ेगी ही.

लेकिन उस जवान लड़के से मालिश के लिए मेरा मन राज़ी नहीं हो पा रहा था.

“अच्छा ये बताओ की तुम्हारी उम्र क्या है ? और तुम कब से इस आश्रम में हो ?”

राजकमल - मैं 21 साल का हूँ मैडम. जब मैं बहुत छोटा था तबसे गुरुजी के आश्रम में हूँ.

हे भगवान ! मैंने बिल्कुल सही अनुमान लगाया था. वो सिर्फ़ 21 बरस का था और मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत. मैं सोचने लगी इस लड़के से मैं कैसे मालिश करवा सकती हूँ ?

राजकमल – मैडम , मुझे गुरुजी ने प्रशिक्षित किया है. आप चिंता मत करो. मेरी मालिश से आपको पूर्ण संतुष्टि मिलेगी.

ये लड़का मेरे जवान बदन की मालिश करेगा, सोचकर मेरी नज़रें औरत की स्वाभाविक शरम से झुक गयीं. मैंने कोई और तरीका सोचने की कोशिश की.

“अगर तुम मंजू को मालिश का तरीका बता दो तो मंजू मेरी मालिश कर देगी. ऐसा हो सकता है ?”

राजकमल - मैडम, मंजू दीदी भी कर सकती है और आप खुद भी कर सकती हो. लेकिन मैडम ये तो महज खानापूर्ति वाली बात होगी. मालिश का असली फायदा तो तभी होगा जब वो मेरे प्रशिक्षित हाथों से होगी. 

“हाँ ये तो है.”

राजकमल – जड़ी बूटी वाले तेलों का भी मालिश में अहम रोल है और मेरे प्रशिक्षित हाथों का भी.

“हम्म्म …..मैं समझ रही हूँ.”

राजकमल की बातों से मैं मालिश के लिए राज़ी हो गयी.



“इसमें कितना समय लगेगा ?”

राजकमल - मैडम, आधा घंटा लगेगा, अगर आप सहयोग करोगी तो.

मेरी भौंहे तन गयीं.

“सहयोग ? क्या मतलब है तुम्हारा ?”

राजकमल – मैडम, मैं पिछले एक साल से ये मालिश कर रहा हूँ. मैंने आश्रम में बहुत सी औरतों की मालिश की है लेकिन उनमें से कुछ औरतों ने मालिश के तरीके पर ऐतराज किया और बेवजह मालिश में देर कर दी.

“मैं समझी नहीं ….”

राजकमल – मैडम , अगर आप उन क़िस्सों को सुनोगी तो हंस पड़ोगी. एक औरत आई थी आश्रम में, मुझसे कहने लगी पीठ की मालिश ब्लाउज के ऊपर से करो. ज़रा कल्पना करो , सोच के भी हँसी आती है.

वो थोड़ा रुका और मेरे रिएक्शन को भाँपने की कोशिश की.

राजकमल - पिछले महीने की बात है ये. ऐसा कैसे संभव है ? एक औरत आई थी , उसने मालिश के लिए मुझे अपनी टाँगें छूने से मना कर दिया. एक औरत ने अपने बालों में जड़ी बूटी वाला तेल लगाने से इनकार कर दिया. मैडम , ऐसी औरतों को समझाने में बहुत वक़्त बर्बाद हो जाता है और मालिश में बेवजह देर हो जाती है. इसलिए मैंने सहयोग के लिए कहा.

मैं थोड़ा हँसी, जैसे की ये बता रही हूँ की मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ. राजकमल ने मुझे देखा और वो भी मुस्कुराया , जैसे की वो समझ गया हो की मैं उससे इस तरह के ऐतराज नहीं करूँगी.

उसने फर्श में चटाई बिछा दी. फिर वो मुड़ा और दरवाज़े को बंद करके अंदर से कुण्डी लगा दी. उसके अंदर से दरवाज़ा बंद करने से मैं थोड़ा घबरा गयी और बेवक़ूफी भरा सवाल कर बैठी.

“तुमने दरवाज़े में कुण्डी क्यूँ लगा दी ?”

शायद राजकमल को मेरे सवाल से और भी ज़्यादा आश्चर्य हुआ और कुछ पलों के लिए उसे जवाब नहीं सूझा.

राजकमल – वो….वो....मेरा मतलब आपके लिए बंद किया मैडम. आपको कपड़े उतारने होंगे ना …..इसलिए.

“ओह्ह ……ठीक है. असल में मैंने कभी ऐसे मालिश नहीं करवाई है ना इसलिए मुझे अंदाज़ा नहीं है.”

राजकमल - आश्रम में आने वाली सभी औरतें ऐसा ही कहती हैं मैडम. लेकिन मालिश के बाद वो कहती हैं की ऐसी संतुष्टि उन्हें कभी नहीं मिली.

वो अर्थपूर्ण अर्थपूर्ण तरीके से मुस्कुराया.

“हम्म्म …..”

मैंने सोचा इसकी मालिश से मुझे कुछ आराम मिल जाएगा . विकास और गुरुजी ने जो संभोग की इच्छा जगा दी थी , मालिश से मुझे थोड़ी मानसिक शांति मिल जाएगी. वैसे गहरी नींद आ जाने से बेचैनी अब काफ़ी हद तक कम हो गयी थी.

राजकमल – मैडम , गुरुजी के जड़ी बूटी वाले तेल जादुई असर करते हैं. आप देख लेना.

मैंने सर हिला कर हामी भर दी और उम्मीद की ऐसा ही हो.

राजकमल – आप इस चटाई में बैठो , मैं तेलों को तैयार करता हूँ.

एक अच्छी बात ये थी की राजकमल बाकी मर्दों की तरह मेरे बदन को लालच भरी निगाहों से नहीं घूर रहा था और इससे मुझे सहज महसूस हो रहा था. लेकिन ये लड़का मेरे बदन की मालिश करेगा , इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर तन गये थे. राजकमल अब और वक़्त बर्बाद करने के मूड में नहीं था और उसने एक सुगंधित तेल की बोतल खोलकर थोड़ा तेल अपनी हथेली में डाल लिया.

राजकमल – मैडम , मैं आपके बालों से शुरू करूँगा. आप अपना जूड़ा खोलकर बाल पीठ में फैला दो.

मैं भगवा रंग की सूती साड़ी और ब्लाउज में चटाई में बैठी हुई थी. राजकमल मेरे पीछे बैठा था. मैंने अपने लंबे बाल खोल दिए. उसने बालों वाला तेल मेरे बालों में लगाना शुरू किया और वास्तव में उस तेल की सुगंध मदहोश करने वाली थी. मैंने गहरी साँस ली और मुझे अच्छा महसूस हो रहा था. 

राजकमल – मैडम , आपके बाल बहुत अच्छे हैं.

मुझे उसकी तारीफ का जवाब देने का मन नहीं हुआ. पूरे कमरे में तेल की सुगंध फैल गयी थी. उसने सावधानी से मेरे सर में तेल लगाया और फिर अपनी अंगुलियों से मेरे लंबे बालों में लगाया.

मैं अभी भी थोड़ी नर्वस हो रखी थी क्यूंकी एक मर्द के हाथों से अपने बदन की मालिश करवाने में मैं कंफर्टेबल फील नहीं कर रही थी , वो भी अपने से छोटे लड़के से. . जब वो मेरे सर में तेल लगा रहा था तो मैं कल्पना कर रही थी की वो मेरी पीठ की मालिश कैसे करेगा ? मुझे अपना ब्लाउज खोलना पड़ेगा और बदन ढकने के लिए कमरे में कुछ नहीं था. टॉवेल भी बाथरूम में छोड़ आई थी. मुझे ध्यान रखना चाहिए था. तभी राजकमल के घुटने मेरे गोल नितंबों से छू गये , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी.

पिछले कुछ दिनों में दिखाई बेशर्मी के बावजूद , इस मालिश को लेकर मेरे मन में शरम, घबराहट और असहजता के मिले जुले भाव आ रहे थे. अब मेरे सर की मालिश खत्म होने को आई थी, मेरे दिल ने ज़ोर से धड़कना शुरू कर दिया.

राजकमल – मैडम , आपने ख्याल किया होगा की मैं कैसे आपके बालों को फैला रहा था और आपके सर की मालिश कर रहा था. आपको भी ऐसे ही करना होगा , जब आप खुद करोगी या किसी और से करवाओगी.

“ठीक है.”

राजकमल ने अब मालिश का तेल अपनी दोनों हथेलियों में लगाया और मेरे माथे पर मलने लगा.

राजकमल – मैडम , एक अच्छी मालिश हमेशा बदन के ऊपरी हिस्से से शुरू होनी चाहिए और धीरे धीरे नीचे को जानी चाहिए. और हर हिस्से के लिए अलग अलग तेल होते हैं. ये तेल चेहरे के लिए है. 

मैंने सहमति में सर हिलाया और मालिश का आनंद लेने लगी. वास्तव में अच्छा महसूस कर रही थी. राजकमल की अंगुलियों ने मेरे माथे की मालिश की और फिर मेरे नरम गालों की. जब वो अपनी अंगुलियों से मेरे गालों को किसी छोटी लड़की के जैसे दबा रहा था तो मुझे बहुत शरम आ रही थी. उसने मेरे गालों में देर तक गोल गोल करके मालिश की , इससे मेरे गाल लाल हो गये थे. पर मुझे नहीं मालूम वो कितना मेरे शरमाने से लाल हुए थे और कितना उसके मलने से.

चेहरे की मालिश के बाद उसके हाथ मेरे कानो के पास आए. उसने अपने बैग में से रुई लगी हुई कान साफ करने वाली तिल्ली निकाली और मेरे कानों को सावधानी से साफ किया. उसके बाद मेरे कानों में तेल लगाया.

“आआअहह….”

मैंने संतुष्टि से आह भरी. मुझे बहुत रिलैक्स फील हो रहा था और बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने मन ही मन गुरुजी को मालिश के लिए धन्यवाद दिया. मैं चाह रही थी की कुछ देर और मेरे चेहरे की मालिश होती रहे पर राजकमल को और जगह भी मालिश करनी थी. उसने एक दूसरी बोतल निकाली और अपने हाथों में तेल लगा लिया. अब वो मेरी गर्दन में और गले में तेल लगाने लगा. उसने ध्यान रखा की तेल से मेरा ब्लाउज खराब ना हो.

राजकमल – मैडम, ये तेल गर्दन और पीठ के लिए है. वैसे बोतल में ये लिखा हुआ है.

फिर उसने मेरी दायीं हथेली को पकड़ा और उसमें मालिश करने लगा. एक मर्द के ऐसे मेरी हथेली को मलने से मुझे फिर से शरम आने लगी. राजकमल ने मेरी हर एक नाज़ुक अंगुली में एक एक करके मालिश की और फिर ऐसा ही बायीं हथेली में भी किया. वो बीच बीच में बातें भी कर रहा था जिससे माहौल थोड़ा सहज हो जा रहा था. मेरे नाखूनों में गुलाबी नेलपॉलिश लगी हुई थी . तेल लगने से मेरे नाख़ून चमकने लगे .

उसके बाद राजकमल ने मेरे गोरे हाथों की मालिश शुरू की. वो ज़ोर से मालिश कर रहा था और कभी कभी हाथों को दबा भी रहा था. मेरे खून का दौरा बढ़ने लगा और मुझे गर्मी महसूस होने लगी. मेरा ब्लाउज कोहनी से थोड़ा ऊपर तक था , वहाँ तक राजकमल मेरी मालिश कर रहा था. फिर उसकी अंगुलियां मेरे ब्लाउज तक पहुँच गयी. उसने धीरे से मेरे कान में कहा ….

राजकमल – मैडम , आपका ब्लाउज ….

अब 11:30 बज गये थे और मैं नहाने की सोच रही थी . तभी किसी ने मेरा दरवाज़ा खटखटाया.

“कौन है ?”

जवाब देने वाले को मैं पहचान नहीं पाई. मैं सोचने लगी ये किसकी आवाज़ है , सुनी हुई तो लग रही है. मैंने दरवाजा खोला तो बाहर राजकमल खड़ा था. 

राजकमल – मैडम , मैं मालिश के लिए आया हूँ. गुरुजी ने आपको इसके बारे में जरूर बताया होगा.

मैंने कुछ पल के लिए सोचा फिर मुझे याद आया की उस दिन गुरुजी ने तेल देते समय कहा था की राजकमल मालिश का तरीका बताएगा.

“अरे हाँ हाँ. अंदर आ जाओ.”



राजकमल - थैंक्स , मैडम.

राजकमल गुरुजी के शिष्यों में सबसे छोटा था , करीब 21 – 22 बरस का होगा. वो दुबला पतला था और इस वजह से और भी कम उम्र का दिखता था. वो आश्रम के भगवा वस्त्र पहने हुआ था. उसके हाथ में एक बैग था जिसमें से चटाई का एक कोना बाहर निकला हुआ था.

राजकमल - मैडम , आप अभी मालिश के लिए तैयार हो ?

मुझे थोड़ी उलझन हुई. क्या ये मेरी मालिश करेगा ? गुरुजी की बातों से तो मुझे लगा था की ये मुझे बताएगा की कैसे करनी है और मालिश मुझे खुद करनी होगी.

“तुम मुझे बताओगे नहीं की मालिश कैसे करनी है ?”

राजकमल - मैडम , ये तो जड़ी बूटी वाले तेलों से पूरे बदन की खास किस्म की मालिश है. आप अपनेआप नहीं कर पाओगी. मैं आपको तरीका सीखा दूँगा लेकिन फिर भी आपको मेरी मदद की ज़रूरत तो पड़ेगी ही.

लेकिन उस जवान लड़के से मालिश के लिए मेरा मन राज़ी नहीं हो पा रहा था.

“अच्छा ये बताओ की तुम्हारी उम्र क्या है ? और तुम कब से इस आश्रम में हो ?”

राजकमल - मैं 21 साल का हूँ मैडम. जब मैं बहुत छोटा था तबसे गुरुजी के आश्रम में हूँ.

हे भगवान ! मैंने बिल्कुल सही अनुमान लगाया था. वो सिर्फ़ 21 बरस का था और मैं 28 बरस की शादीशुदा औरत. मैं सोचने लगी इस लड़के से मैं कैसे मालिश करवा सकती हूँ ?

राजकमल – मैडम , मुझे गुरुजी ने प्रशिक्षित किया है. आप चिंता मत करो. मेरी मालिश से आपको पूर्ण संतुष्टि मिलेगी.

ये लड़का मेरे जवान बदन की मालिश करेगा, सोचकर मेरी नज़रें औरत की स्वाभाविक शरम से झुक गयीं. मैंने कोई और तरीका सोचने की कोशिश की.

“अगर तुम मंजू को मालिश का तरीका बता दो तो मंजू मेरी मालिश कर देगी. ऐसा हो सकता है ?”

राजकमल - मैडम, मंजू दीदी भी कर सकती है और आप खुद भी कर सकती हो. लेकिन मैडम ये तो महज खानापूर्ति वाली बात होगी. मालिश का असली फायदा तो तभी होगा जब वो मेरे प्रशिक्षित हाथों से होगी. 

“हाँ ये तो है.”

राजकमल – जड़ी बूटी वाले तेलों का भी मालिश में अहम रोल है और मेरे प्रशिक्षित हाथों का भी.

“हम्म्म …..मैं समझ रही हूँ.”

राजकमल की बातों से मैं मालिश के लिए राज़ी हो गयी.

“इसमें कितना समय लगेगा ?”

राजकमल - मैडम, आधा घंटा लगेगा, अगर आप सहयोग करोगी तो.

मेरी भौंहे तन गयीं.

“सहयोग ? क्या मतलब है तुम्हारा ?”

राजकमल – मैडम, मैं पिछले एक साल से ये मालिश कर रहा हूँ. मैंने आश्रम में बहुत सी औरतों की मालिश की है लेकिन उनमें से कुछ औरतों ने मालिश के तरीके पर ऐतराज किया और बेवजह मालिश में देर कर दी.

“मैं समझी नहीं ….”

राजकमल – मैडम , अगर आप उन क़िस्सों को सुनोगी तो हंस पड़ोगी. एक औरत आई थी आश्रम में, मुझसे कहने लगी पीठ की मालिश ब्लाउज के ऊपर से करो. ज़रा कल्पना करो , सोच के भी हँसी आती है.

वो थोड़ा रुका और मेरे रिएक्शन को भाँपने की कोशिश की.

राजकमल - पिछले महीने की बात है ये. ऐसा कैसे संभव है ? एक औरत आई थी , उसने मालिश के लिए मुझे अपनी टाँगें छूने से मना कर दिया. एक औरत ने अपने बालों में जड़ी बूटी वाला तेल लगाने से इनकार कर दिया. मैडम , ऐसी औरतों को समझाने में बहुत वक़्त बर्बाद हो जाता है और मालिश में बेवजह देर हो जाती है. इसलिए मैंने सहयोग के लिए कहा.

मैं थोड़ा हँसी, जैसे की ये बता रही हूँ की मैं उन औरतों जैसी नहीं हूँ. राजकमल ने मुझे देखा और वो भी मुस्कुराया , जैसे की वो समझ गया हो की मैं उससे इस तरह के ऐतराज नहीं करूँगी.

उसने फर्श में चटाई बिछा दी. फिर वो मुड़ा और दरवाज़े को बंद करके अंदर से कुण्डी लगा दी. उसके अंदर से दरवाज़ा बंद करने से मैं थोड़ा घबरा गयी और बेवक़ूफी भरा सवाल कर बैठी.

“तुमने दरवाज़े में कुण्डी क्यूँ लगा दी ?”

शायद राजकमल को मेरे सवाल से और भी ज़्यादा आश्चर्य हुआ और कुछ पलों के लिए उसे जवाब नहीं सूझा.

राजकमल – वो….वो....मेरा मतलब आपके लिए बंद किया मैडम. आपको कपड़े उतारने होंगे ना …..इसलिए.

“ओह्ह ……ठीक है. असल में मैंने कभी ऐसे मालिश नहीं करवाई है ना इसलिए मुझे अंदाज़ा नहीं है.”

राजकमल - आश्रम में आने वाली सभी औरतें ऐसा ही कहती हैं मैडम. लेकिन मालिश के बाद वो कहती हैं की ऐसी संतुष्टि उन्हें कभी नहीं मिली.

वो अर्थपूर्ण अर्थपूर्ण तरीके से मुस्कुराया.

“हम्म्म …..”

मैंने सोचा इसकी मालिश से मुझे कुछ आराम मिल जाएगा . विकास और गुरुजी ने जो संभोग की इच्छा जगा दी थी , मालिश से मुझे थोड़ी मानसिक शांति मिल जाएगी. वैसे गहरी नींद आ जाने से बेचैनी अब काफ़ी हद तक कम हो गयी थी.

राजकमल – मैडम , गुरुजी के जड़ी बूटी वाले तेल जादुई असर करते हैं. आप देख लेना.

मैंने सर हिला कर हामी भर दी और उम्मीद की ऐसा ही हो.

राजकमल – आप इस चटाई में बैठो , मैं तेलों को तैयार करता हूँ.

एक अच्छी बात ये थी की राजकमल बाकी मर्दों की तरह मेरे बदन को लालच भरी निगाहों से नहीं घूर रहा था और इससे मुझे सहज महसूस हो रहा था. लेकिन ये लड़का मेरे बदन की मालिश करेगा , इस ख्याल से ही मेरे निप्पल ब्रा के अंदर तन गये थे. राजकमल अब और वक़्त बर्बाद करने के मूड में नहीं था और उसने एक सुगंधित तेल की बोतल खोलकर थोड़ा तेल अपनी हथेली में डाल लिया.

राजकमल – मैडम , मैं आपके बालों से शुरू करूँगा. आप अपना जूड़ा खोलकर बाल पीठ में फैला दो.

मैं भगवा रंग की सूती साड़ी और ब्लाउज में चटाई में बैठी हुई थी. राजकमल मेरे पीछे बैठा था. मैंने अपने लंबे बाल खोल दिए. उसने बालों वाला तेल मेरे बालों में लगाना शुरू किया और वास्तव में उस तेल की सुगंध मदहोश करने वाली थी. मैंने गहरी साँस ली और मुझे अच्छा महसूस हो रहा था. 

राजकमल – मैडम , आपके बाल बहुत अच्छे हैं.

मुझे उसकी तारीफ का जवाब देने का मन नहीं हुआ. पूरे कमरे में तेल की सुगंध फैल गयी थी. उसने सावधानी से मेरे सर में तेल लगाया और फिर अपनी अंगुलियों से मेरे लंबे बालों में लगाया.

मैं अभी भी थोड़ी नर्वस हो रखी थी क्यूंकी एक मर्द के हाथों से अपने बदन की मालिश करवाने में मैं कंफर्टेबल फील नहीं कर रही थी , वो भी अपने से छोटे लड़के से. . जब वो मेरे सर में तेल लगा रहा था तो मैं कल्पना कर रही थी की वो मेरी पीठ की मालिश कैसे करेगा ? मुझे अपना ब्लाउज खोलना पड़ेगा और बदन ढकने के लिए कमरे में कुछ नहीं था. टॉवेल भी बाथरूम में छोड़ आई थी. मुझे ध्यान रखना चाहिए था. तभी राजकमल के घुटने मेरे गोल नितंबों से छू गये , मेरे बदन में कंपकपी सी दौड़ गयी.

पिछले कुछ दिनों में दिखाई बेशर्मी के बावजूद , इस मालिश को लेकर मेरे मन में शरम, घबराहट और असहजता के मिले जुले भाव आ रहे थे. अब मेरे सर की मालिश खत्म होने को आई थी, मेरे दिल ने ज़ोर से धड़कना शुरू कर दिया.

राजकमल – मैडम , आपने ख्याल किया होगा की मैं कैसे आपके बालों को फैला रहा था और आपके सर की मालिश कर रहा था. आपको भी ऐसे ही करना होगा , जब आप खुद करोगी या किसी और से करवाओगी.

“ठीक है.”

राजकमल ने अब मालिश का तेल अपनी दोनों हथेलियों में लगाया और मेरे माथे पर मलने लगा.

राजकमल – मैडम , एक अच्छी मालिश हमेशा बदन के ऊपरी हिस्से से शुरू होनी चाहिए और धीरे धीरे नीचे को जानी चाहिए. और हर हिस्से के लिए अलग अलग तेल होते हैं. ये तेल चेहरे के लिए है. 

मैंने सहमति में सर हिलाया और मालिश का आनंद लेने लगी. वास्तव में अच्छा महसूस कर रही थी. राजकमल की अंगुलियों ने मेरे माथे की मालिश की और फिर मेरे नरम गालों की. जब वो अपनी अंगुलियों से मेरे गालों को किसी छोटी लड़की के जैसे दबा रहा था तो मुझे बहुत शरम आ रही थी. उसने मेरे गालों में देर तक गोल गोल करके मालिश की , इससे मेरे गाल लाल हो गये थे. पर मुझे नहीं मालूम वो कितना मेरे शरमाने से लाल हुए थे और कितना उसके मलने से.

चेहरे की मालिश के बाद उसके हाथ मेरे कानो के पास आए. उसने अपने बैग में से रुई लगी हुई कान साफ करने वाली तिल्ली निकाली और मेरे कानों को सावधानी से साफ किया. उसके बाद मेरे कानों में तेल लगाया.

“आआअहह….”

मैंने संतुष्टि से आह भरी. मुझे बहुत रिलैक्स फील हो रहा था और बहुत मज़ा आ रहा था. मैंने मन ही मन गुरुजी को मालिश के लिए धन्यवाद दिया. मैं चाह रही थी की कुछ देर और मेरे चेहरे की मालिश होती रहे पर राजकमल को और जगह भी मालिश करनी थी. उसने एक दूसरी बोतल निकाली और अपने हाथों में तेल लगा लिया. अब वो मेरी गर्दन में और गले में तेल लगाने लगा. उसने ध्यान रखा की तेल से मेरा ब्लाउज खराब ना हो.

राजकमल – मैडम, ये तेल गर्दन और पीठ के लिए है. वैसे बोतल में ये लिखा हुआ है.

फिर उसने मेरी दायीं हथेली को पकड़ा और उसमें मालिश करने लगा. एक मर्द के ऐसे मेरी हथेली को मलने से मुझे फिर से शरम आने लगी. राजकमल ने मेरी हर एक नाज़ुक अंगुली में एक एक करके मालिश की और फिर ऐसा ही बायीं हथेली में भी किया. वो बीच बीच में बातें भी कर रहा था जिससे माहौल थोड़ा सहज हो जा रहा था. मेरे नाखूनों में गुलाबी नेलपॉलिश लगी हुई थी . तेल लगने से मेरे नाख़ून चमकने लगे .

उसके बाद राजकमल ने मेरे गोरे हाथों की मालिश शुरू की. वो ज़ोर से मालिश कर रहा था और कभी कभी हाथों को दबा भी रहा था. मेरे खून का दौरा बढ़ने लगा और मुझे गर्मी महसूस होने लगी. मेरा ब्लाउज कोहनी से थोड़ा ऊपर तक था , वहाँ तक राजकमल मेरी मालिश कर रहा था. फिर उसकी अंगुलियां मेरे ब्लाउज तक पहुँच गयी. उसने धीरे से मेरे कान में कहा ….

राजकमल – मैडम , आपका ब्लाउज ….

तभी राजकमल की आवाज़ ने मेरा ध्यान भंग किया.

राजकमल – मैडम , आपके ऊपरी बदन की मालिश पूरी हो गयी है. मैं अब सर से कमर तक संक्षिप्त मालिश करूँगा. इसलिए अगर आप…………..

मुझे उसकी बात समझ नहीं आयी. मैं लेटी हुई थी , क्या वो मुझे फिर से बैठने को कह रहा था ?

“अगर क्या ? फिर से बैठना है क्या ?”

राजकमल – नहीं नहीं मैडम. आप ऐसे ही लेटी रहो. मैं आपके सर से कमर तक मालिश करूँगा , इसलिए ……..



उसने फिर से अपनी बात अधूरी छोड़ दी. पर इस बार उसका इशारा स्पष्ट था. वो चाहता था की मैं अपनी चूचियों के ऊपर से साड़ी का पल्लू हटा दूं ताकि वो सर से कमर तक मालिश कर सके. मुझे अपनी छाती से पल्लू हटाना ही पड़ा और अब मैं उसके सामने टॉपलेस होकर लेटी थी. मेरी नंगी रसीली चूचियों को देखकर राजकमल की आँखें बाहर निकल आई , उसके मालिश करने से चूचियाँ गरम और लाल हो रखी थीं. मेरी पूरी नंगी छाती तेल से चमक रही थी. राजकमल ने वहाँ कोई भी हिस्सा नहीं छोड़ा था , उसकी अंगुलियों ने मुझे हर जगह पर छुआ था. उस लड़के के सामने ऐसी टॉपलेस होकर लेटे हुए मुझे बहुत शरम आ रही थी और मैंने आँखें बंद कर लीं.

जब थोड़ी देर तक उसने मुझे नहीं छुआ तो मुझे फिर से आँखें खोलनी पड़ी . मैंने देखा वो नयी बोतल से तेल निकालकर अपनी हथेलियों में मल रहा था. मैंने अपनी आँखों के कोने से देखा की मुझे ऐसे खुले बदन में देखकर वो कुछ टेन्स लग रहा है , मुझे उसकी धोती में देखने की उत्सुकता हुई. मैंने देखा उसके लंड ने धोती में खड़े होकर तंबू सा बनाया हुआ है और वहाँ पर कुछ गीले धब्बे से भी दिख रहे थे. वो राजकमल का प्री-कम था. सच कहूँ तो अब मैं अपने ऊपर काबू खोती जा रही थी. उस जवान लड़के के बड़े लंड को छूने के लिए मेरे हाथ बेताब होने लगे थे पर मेरे मन में कहीं हिचकिचाहट भी थी. मेरी गीली चूत में खुजली होने लगी थी और मैंने अपने मन से हिचकिचाहट को हटाने की कोशिश की.

मैं मालिश के बहाने अपनी हवस को पनपने देना चाहती थी. अब उसने मेरे सर के बालों को धीरे से खींचकर मालिश शुरू की. फिर मेरे गालों को मला , उसके बाद मेरी गर्दन और फिर मेरी हिलती डुलती चूचियों पर उसके हाथ आ गये. वो मेरे कड़े तने हुए निपल्स को मरोड़ने लगा , जैसा की संभोग के दौरान मेरे पति करते थे. मैंने ज़ोर से सिसकारी ली और अपनी कामोत्तेजना जाहिर होने दी. अब राजकमल मेरी चूचियों को ज़ोर से मसलने लगा. मुझे ऐसा लगा जैसे मेरा पूरा बदन उसकी मालिश की आग में जल रहा हो.

“ओह्ह …….और करो……....”

मेरी बात सुनकर राजकमल उत्तेजित हो गया और मेरी तेल लगी हुई चूचियों को और भी ज़्यादा ताक़त लगाकर दबाने और मसलने लगा. मेरी टाँगें अपनेआप पेटीकोट के अंदर अलग अलग होने लगीं. अभी तक वो मेरी साइड में बैठा था पर अब उसकी हिम्मत बढ़ने लगी. मैंने ख्याल किया अब उसने मेरी नंगी चूचियों पर बेहतर पकड़ बनाने के लिए अपना एक घुटना मेरी जांघों पर रख दिया था. थोड़ी देर तक ऐसा चलता रहा और फिर शायद वो उत्तेजना बर्दाश्त नहीं कर पाया और उसने मालिश रोक दी. मैंने देखा वो बुरी तरह हाँफ रहा था और मेरा भी यही हाल था. फिर उसने अपने बैग से एक कपड़ा निकाला और अपनी हथेलियां पोंछ दी.

राजकमल – मैडम , अब निचले बदन की मालिश करनी है. आपकी साड़ी……..

“हाँ, तुम उसे उतार दो प्लीज़. अब मुझसे बैठा नहीं जा रहा.”

वास्तव में मुझमें उठने की ताक़त नहीं थी. मेरा पूरा बदन उत्तेजना से कांप रहा था. एक शादीशुदा औरत की साड़ी उतारने का मौका मिलने से वो लड़का खुश लग रहा था. 

राजकमल – ठीक है मैडम. आप बस आराम से लेटी रहो.

उसने मेरी कमर को देखा जहाँ पर साड़ी बँधी थी और पल्लू चटाई में पड़ा हुआ था.

राजकमल – मैडम , आप अपने पेट को थोड़ा नीचे कर लो ताकि मैं साड़ी के फोल्ड निकाल सकूँ.

मैंने वैसा ही किया और उसने मेरे पेटीकोट से साड़ी के फोल्ड निकाल दिए.

राजकमल – मैडम, थोड़ा अपने वो …..मेरा मतलब नितंबों को उठा दो जिससे मैं आपके नीचे से साड़ी निकाल सकूँ.

मुझे वैसा ही करना पड़ा. मुझे एहसास हुआ वो बड़ा अश्लील दृश्य था, एक गदराये हुए बदन वाली हाउसवाइफ टॉपलेस लेटी हुई है और अपनी गांड ऊपर को उठा रही है और एक जवान लड़का उसकी साड़ी उतार रहा है. मैंने अपने भारी नितंबों को थोड़ा उठाया और राजकमल ने एक झटके में मेरे नीचे से साड़ी खींच ली. मैंने सोचा राजकमल ने पहले भी और औरतों की मालिश करते हुए ऐसा किया होगा. अब मेरे निचले बदन को सिर्फ़ पेटीकोट ढक रहा था.

राजकमल – मैडम अब पेट के बल लेट जाओ.

“ठीक है.”

मैंने फिर से उसका कहना माना, बल्कि मेरी नंगी हिलती हुई चूचियों को अपने बदन के नीचे ढककर मुझे बेहतर महसूस हुआ. लेकिन राजकुमार के प्लान कुछ और ही थे.

राजकमल – मैडम, अगर मैं आपका पेटीकोट भी उतार दूँ तो बेहतर रहेगा वरना ये तेल से खराब हो जाएगा.

मेरा मुँह चटाई की तरफ था और मेरे नितंब ऊपर को थे. मैंने वैसे ही जवाब दिया.

“मैं अपना पेटीकोट खराब नहीं करना चाहती.”

मैंने शांत स्वर में जवाब दिया और अप्रत्यक्ष रूप से (इनडाइरेक्ट्ली) उसे मेरा पेटीकोट उतारने की अनुमति दे दी.

राजकमल – ठीक है मैडम. आप बस आराम से लेटी रहो , मैं उतारता हूँ.

ऐसा कहकर उसने मेरे बदन के नीचे अपने हाथ डाल दिए, जगह बनाने के लिए मुझे अपना पेट ऊपर को उठाना पड़ा. उसकी अँगुलियाँ मेरे पेटीकोट के नाड़े में पहुँच गयी , नाड़ा खोलने में मैंने मदद की. लेकिन मुझे क्या मालूम था की वो मेरे पेटीकोट के साथ पैंटी भी नीचे खींच देगा. मेरे को जब तक मालूम पड़ता तब तक वो पेटीकोट के साथ पैंटी भी कमर से नीचे को खींचने लगा.

“अरे अरे , ये क्या कर रहे हो …???”

राजकमल एक मासूम लड़के की तरह भोला बनने का नाटक करने लगा.

राजकमल – क्या हुआ मैडम ? मैंने कुछ ग़लत किया क्या ?

ये हमारी बातचीत मेरी उस हालत में हो रही थी जब पैंटी उतरने से मेरी गांड की आधी दरार दिखने लगी थी और राजकमल की अँगुलियाँ अब भी मेरी पैंटी के एलास्टिक में थी.

“उसको क्यूँ नीचे कर रहे हो ?”

राजकमल अब बदमाशी पर उतर आया था.

राजकमल – किसको मैडम ?

“मेरी पैंटी को और किसको, बेवक़ूफ़.”

अब मुझे थोड़ा गुस्सा आ गया था. 

राजकमल – लेकिन मैडम , निचले बदन में मालिश के लिए तो आपको नंगा होना ही पड़ेगा.

“लेकिन तुम्हें पहले मुझसे पूछना तो चाहिए था ना ?”

राजकमल – सॉरी मैडम, मैंने सोचा……

उसने अपनी बात अधूरी छोड़ दी और इससे मैं और ज़्यादा खीझ गयी. लेकिन उस नंगी हालत में मैं सीधे चटाई में बैठ भी तो नहीं सकती थी.

“क्या सोचा तुमने ?”

राजकमल – मैडम , मैंने देखा है की ज़्यादातर औरतें अपनी ब्रा और पैंटी को उतारने में शरमाती हैं. इसलिए मैंने अलग से पैंटी का नाम नहीं लिया. फिर से सॉरी मैडम.

“ह्म्म्म्म………..”

उसके माफी माँगने से मैं थोड़ी शांत हो गयी.

राजकमल – मैडम, क्या करूँ फिर ?

वाह क्या सवाल पूछा है.

“आधी तो उतार ही दी है , बाकी भी उतार दो. और क्या.”

मैंने थोड़ा कड़े स्वर में जवाब दिया. राजकमल ने एक सेकेंड भी बर्बाद नहीं किया और मेरे पेटीकोट के साथ पैंटी को भी मेरे गोल नितंबों से नीचे खींचने लगा. उसने मेरी मांसल जांघों , फिर टाँगों और फिर पंजों से होते हुए पेटीकोट और पैंटी निकाल दिए. अब मैं उस 21 बरस के लड़के के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी.

राजकमल ने एक सेकेंड भी बर्बाद नहीं किया और मेरे पेटीकोट के साथ पैंटी को भी मेरे गोल नितंबों से नीचे खींचने लगा. उसने मेरी मांसल जांघों , फिर टाँगों और फिर पंजों से होते हुए पेटीकोट और पैंटी निकाल दिए. अब मैं उस 21 बरस के लड़के के सामने बिल्कुल नंगी लेटी हुई थी.

मैं उस मालिश वाले लड़के से बातें कर रही थी लेकिन मेरी चूत में अलग ही कंपन हो रहा था , मुझे लग रहा था जैसे उसमें से रस की बाढ़ आने को है. कामोत्तेजना से मैं अपनी सारी शरम छोड़कर एक नयी स्थिति में पहुँच गयी , जहाँ उस जवान लड़के के सामने अपनी नग्नता का मैंने आनंद उठाया और इससे मेरी उत्तेजना और भी बढ़ गयी. मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उस जवान मालिश वाले के आगे पूर्ण समर्पण कर दिया.

राजकमल के हाथ मुझे अपने सुडौल नितंबों में महसूस हुए. वो दोनों हाथों से मेरे बड़े नितंबों को मसलने लगा.

“आहह…………...उम्म्म्ममममम……………….... ओह्ह ……….”

राजकमल मेरे नितंबों में तेल लगा रहा था और मैं कामोत्तेजना से सिसकारियाँ ले रही थी. वो मेरे नंगे नितंबों को कभी थपथपा रहा था , कभी मल रहा था , कभी दबा रहा था और क्या क्या नहीं कर रहा था. यहाँ तक की एक बार वो मेरे नितंबों पर थप्पड़ भी मारने लगा.

“आउच………....आआआहह..……..”

मुझे वास्तव में बहुत मज़ा आ रहा था. आज तक किसी मर्द ने मुझे वहाँ पर थप्पड़ मारने की जुर्रत नहीं की थी और ये लड़का मालिश के नाम पर बड़े आराम से ऐसा कर रहा था. राजकमल मेरे गोल मांसल नितंबों को दोनों हाथों में पकड़कर ऐसे दबा रहा था की जैसे वो कचौड़ी बनाने के लिए मैदा गूंद रहा हो.

“अच्छे से करो ……हर तरफ. ”

मैंने उससे कहा पर हर तरफ का मतलब नहीं बताया. वो और ज़ोर ज़ोर से मेरे नितंबों को निचोड़ने लगा , मुझे अपनी चूत से ज़्यादा रस निकलता महसूस हुआ. मेरा हाथ अपनेआप ही मेरी चूत में चला गया और मैंने दाएं हाथ की बड़ी अंगुली गीली चूत के अंदर डाल दी. राजकमल की ओर देखने की मेरी हिम्मत नहीं हुई , पता नहीं उसकी क्या हालत हो रखी थी. मैंने अनुमान लगाया की उसका लंड पूरी तरह तन गया होगा और ज़रूर वो झड़ने के करीब होगा. वो अपनी कामोत्तेजना पर काबू पाने की कोशिश कर रहा होगा ताकि धोती खराब होने से मेरे सामने उसको शर्मिंदा ना होना पड़े. राजकमल की तेल लगी हुई हथेलियां मेरे नितंबों के शिखर तक गयी और धीरे धीरे ढलान से नीचे को उतरी.

“आआआआअहह………...”

बहुत ही अच्छा महसूस हो रहा था. उसकी आधी हथेली मेरी गांड की गहरी दरार में घुसी हुई थी. मुझे मालूम पड़ रहा था की वो मेरी गांड के छेद को ढूँढने की कोशिश कर रहा है. उसको ढूँढने के बाद राजकमल ने छेद पर तेल भी लगाया. उसमें भी एक अजीब सा नाजायज किस्म का आनंद था की मेरे देवर की उमर का एक लड़का मेरी गांड के छेद में तेल मल रहा है. 

फिर वो मेरी मांसल जाँघों के पिछले हिस्से की मालिश करने लगा. उसकी अँगुलियाँ लगातार मेरे बदन में फिसल रही थीं. वो बिल्कुल भी थका हुआ नहीं लग रहा था बल्कि उसके हाथों की ताक़त और भी बढ़ गयी थी. उसके बाद वो नीचे को बढ़ा और मेरे घुटनों, टाँगों और मेरे पैरों की अंगुलियों की मालिश की. मैं बता नहीं सकती की कितनी अच्छी तरह से उसने ये सब किया. जिसने पूरे नंगे बदन की मालिश ना करवाई हो वो इसके रोमांच को नहीं समझ सकता. मेरा रोम रोम आनंद से कांप रहा था और ऐसा मैंने पहले कभी अनुभव नहीं किया था. संभोग करने से जो आनंद मिलता है और इस मालिश से जो आनंद मुझे मिला था , उन दोनों में अंतर था.

ईमानदारी से कहूँ तो अब मैं एक तने हुए कड़े लंड से रगड़कर चुदाई को बेताब थी. सुबह भी मुझे ऐसी इच्छा हुई थी जब विकास मुझे कामोत्तेजित करके चला गया था. फिर एग्जामिनेशन टेबल में गुरुजी के सामने भी मुझे ऐसी ही इच्छा हुई थी.

मेरे पैरों के अंगूठो की मालिश करके राजकमल रुक गया. हम दोनों ही अवाक थे , कोई कुछ नहीं बोला. कमरे में अजीब सी बेचैनी भरी शांति थी . 

मेरे जवान बदन में कोई भी ऐसा हिस्सा नहीं बचा था जहाँ मालिश ना हुई हो सिर्फ़ बालों से भरे त्रिकोणीय भाग को छोड़कर. और मैं उस भाग को यों ही छोड़ने के लिए तैयार नहीं थी. शायद राजकमल भी बेसब्री से मेरे इशारे का इंतज़ार कर रहा था. मेरे से कोई संकेत ना पाकर उसने फिर से मेरी पीठ और नितंबों की मालिश करनी शुरू कर दी. मैंने अपनी आँखों के कोनों से देखा वो अब नीचे झुककर मालिश कर रहा था. तभी मेरे कानों में उसकी फुसफुसाहट सुनाई पड़ी……...

राजकमल – मैडम , वो……...

राजकमल क्या कहना चाहता था , उसकी बात अधूरी रह गयी क्यूंकी किसी ने दरवाज़ा खटखटा दिया.

खट खट से मैं हड़बड़ा गयी. मुझे याद आया की कैसे सुबह दरवाज़े पर खट खट से विकास मुझे अधूरी उत्तेजित करके छोड़ गया था , मैं फिर से वही सब नहीं होने देना चाहती थी. मैं इतना रिलैक्स फील कर रही थी की मैं वहाँ से उठना ही नहीं चाह रही थी. लेकिन मुझे कुछ तो जवाब देना ही था पर राजकमल ने पहले पूछ लिया.

राजकमल – कौन है ?



परिमल – राजकमल, कोई मैडम से मिलने आया है.

मुझसे मिलने ? यहाँ आश्रम में ? मैं हैरान हुई. लेकिन मैं राजकमल की मालिश से इतनी रोमांचित थी की परिमल की बात का जवाब नहीं दे सकी.

परिमल – राजकमल, मैडम की मालिश हो गयी क्या ?

राजकमल – वो …. हाँ.

परिमल – ठीक है फिर . मैडम को भेज दो , उनका इंतज़ार हो रहा है.

अब तो मुझे कुछ बोलना ही पड़ा. मैंने काँपती आवाज़ में पूछा.

“ कौन है परिमल ? मेरा मतलब आदमी है या औरत ?”

परिमल – कोई बड़ी उमर का आदमी है मैडम. आप आ जाना , मैं जा रहा हूँ.

कौन हो सकता है ? मैं सोचने लगी. मैं चटाई में नंगी लेटी हुई थी और अब मुझे उठना ही पड़ रहा था. व्यवधान पड़ जाने से राजकमल का हाल अब एक गूंगे की तरह हो गया था क्यूंकी उसकी आँखों में बेताबी को मैं देख सकती थी और उसकी धोती में खड़ा लंड उसकी हालत बयान कर रहा था. मैं कन्फ्यूज्ड थी की क्या करूँ ? 

जब मैं चटाई में उठकर बैठ गयी तो मैंने देखा चटाई में गीले धब्बे लगे हैं जो मेरे चूतरस से लगे थे. राजकमल भी उनको ही देख रहा था. शर्मिंदगी से मैंने अपनी नज़रें झुका ली जबकि मैं बेशर्मी से उसके सामने नंगी बैठी हुई थी और मैंने अपनी जवानी को ढकने की कोई कोशिश नहीं की थी.

काम वासना से मेरा बदन तप रहा था और राजकमल भली भाँति ये बात समझ रहा था. लेकिन हम दोनों ही थोड़ी शालीनता बनाए रखने की कोशिश कर रहे थे ना की एकदम से भोंडा व्यवहार . लेकिन मुझे लगा की ऐसे तो मेरी यौन इच्छा पूरी नहीं होने वाली . आज सुबह से ये तीसरा मौका है जब मैं बिना चुदे इतनी ज़्यादा कामोत्तेजित हो गयी हूँ. पिछले दो दिन तो मैं जड़ी बूटी के प्रभाव में थी इसलिए कामोत्तेजित होने के बावजूद मुझे अपनी चूत में लंड लेने की इतनी तीव्र इच्छा नहीं हुई थी. 

अब मैंने अपनी सारी शरम , संकोच , अंतर्बाधा और शालीनता के पर्दों को फाड़ डाला और राजकमल के नज़दीक़ खिसक गयी. 

राजकमल – मैडम , कोई आपका इंतज़ार………...

“अपना मुँह बंद रखो और मेरी मालिश पूरी करो. तुम मुझे ऐसे छोड़ के नहीं जा सकते.”

मैं उस जवान लड़के को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही थी.

राजकमल – लेकिन मैडम , आपकी मालिश तो पूरी हो गयी है इसलिए …….

“मैंने कहा ना की अपना मुँह बंद रखो वरना मैं तुम्हारे होंठ सिल दूँगी समझे.”

मैं बोल्ड होते जा रही थी और ना जाने कहाँ से मुझमें इतनी हिम्मत आ गयी थी की मैं उस जवान लड़के को अपने काबू में करने की कोशिश कर रही थी और बेशर्मी की नयी ऊँचाइयों को छू रही थी. मैं बैठे बैठे ही उसके एकदम करीब आ गयी और उसको अपने आलिंगन में लेकर उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए. अब मैंने उसके होंठ चूसने शुरू कर दिए पर वो मेरे आलिंगन से छूटने की कोशिश करने लगा. मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ.

राजकमल – मैडम , ये ठीक नहीं है. मैं गुरुजी के निर्देशों से नहीं भटक सकता.

मैं उस लड़के के रवैये से (एटिट्यूड ) इतना गुस्सा हो गयी की अपने ऊपर काबू नहीं रख पाई.

“ तुम्हारे गुरुजी ने तुम्हें क्या सिखाया है ? यही की एक औरत को नंगा करो और फिर उसके बदन की मालिश करो और फिर वैसी हालत में उसको छोड़कर चले जाओ ?”

राजकमल – मैडम , प्लीज़ धैर्य रखो.

“तो फिर ये क्यूँ खड़ा हो गया है ?”

मैंने सीधे उसका तना हुआ लंड पकड़ लिया और खींच दिया. वो दर्द से चिल्ला पड़ा. फिर उसने मुझे धक्का दिया और खड़ा हो गया. मैं अभी भी चटाई पर नंगी बैठी थी , मेरा पूरा बदन तेल से चमक रहा था. अब मैं निराशा से गुस्सा छोड़कर विनती करने लगी.

“प्लीज़, मुझे ऐसी हालत में छोड़कर मत जाओ. प्लीज़……..”

राजकमल – बाथरूम में आओ.

मैं चटाई में खड़ी हो गयी. मेरी चूत बहुत गीली थी पर अब रस नहीं टपका रही थी. मेरा बालों से भरा त्रिकोण उसकी नज़रों के सामने था. मैं उस नंगी हालत में उसके पीछे वफादार कुत्ते की तरह चलने लगी.

राजकमल – मैडम , मैं आपकी ज़रूरत समझ रहा हूँ लेकिन मैं असहाय हूँ और चाहकर भी आपकी इच्छा पूरी नहीं कर सकता. और वैसे भी कोई आपका इंतज़ार कर रहा है. मैं जल्दी से आपको कुछ राहत देने की कोशिश करता हूँ.

वो मेरे नज़दीक़ आया और पहली बार मुझे आलिंगन किया. उसका दुबला पतला शरीर मेरी इच्छा को पूरा नहीं कर पा रहा था. मेरी मुलायम चूचियाँ उसकी सपाट छाती से दब रही थीं . फिर एक झटके में उसने मुझे पलट दिया और अब मेरी गांड पर उसका लंड चुभ रहा था. अब उसने अपने दाएं हाथ की बड़ी अंगुली मेरी गीली चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. उसकी अँगुलियाँ पतली थीं तो उसने आराम से दो अँगुलियाँ मेरी चूत के छेद में डाल दीं. 

“आआआआआआह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह………………………..उन्न्ञननननननगगगगग………………..और करो …………आआआअहह…………….”

मैं कामोत्तेजना में बेशर्मी से ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ लेने लगी . अब राजकमल ने दूसरे हाथ से मेरी चूचियों को पकड़ लिया और निप्पल को मरोड़ने लगा. सुबह से मैं कई बार कामोत्तेजित हो चुकी थी इसलिए जल्दी ही मैं चरम उत्तेजना पर पहुँच गयी और मुझे ओर्गास्म आ गया. मेरी चूत से रस बहने लगा . राजकमल अपनी अंगुलियों से मेरी चूत को चोद रहा था , उसकी अँगुलियाँ मेरे रस से सन गयी. मैं उसकी अंगुलियों को ही लंड समझकर अपनी चुदाई की प्यास को बुझाने की कोशिश कर रही थी. ओर्गास्म आने से उसकी बाँहों में मेरा बदन ऐंठ गया .

मुझे इतनी कमज़ोरी महसूस हो रही थी की मैं बाथरूम के फर्श में ही बैठ गयी. मेरा नंगा बदन तेल और पसीने से चमक कर अदभुत लग रहा था, मैंने खुद अपने मन में उसकी सराहना की. राजकमल ने मेरे ऊपर ठंडा पानी डालकर मुझे ताज़गी देने की कोशिश की. कुछ देर बाद मैं अपने पूरे होशोहवास में आ गयी और मुझे अपनी नंगी हालत का अंदाज़ा हुआ. मैं किसी की पत्नी थी और अंगुलियों से चुदाई के बाद अब इस आश्रम के बाथरूम के फर्श में बैठी हुई थी . मेरे जवान बदन में कपड़े का एक टुकड़ा भी नहीं था , मेरी बड़ी चूचियाँ , मेरी बालों वाली चूत , मेरे बड़े नितंब, मेरी मांसल गोरी जाँघें सब कुछ एक जवान लड़के के सामने नंगा था. 

हे भगवान ! मेरी होश वापस ला दो.

एक झटके में मैं बाथरूम के फर्श से उठ खड़ी हुई और जल्दी से अपने बदन को टॉवेल से ढक लिया. मैंने देखा राजकमल मेरी इस हरकत पर मुस्कुरा रहा है. वो बाथरूम से बाहर निकल गया और कमरे से मेरी साड़ी , पेटीकोट, ब्लाउज , ब्रा और पैंटी लाकर दी. फिर उसने मेरे मुँह पर बाथरूम का दरवाज़ा बंद कर दिया और मुझे और भी ज़्यादा शर्मिंदा कर दिया. 

मैंने जल्दी से टॉवेल से अपने बदन से तेल को पोछा और फटाफट कपड़े पहन लिए. अब मेरी यौन इच्छा कुछ हद तक शांत हो गयी थी और ओर्गास्म आने से मैं पूरी स्खलित हो गयी थी. अब मेरा ध्यान इस बात पर गया की आख़िर इस आश्रम में मुझसे मिलने कौन आया है ?

राजकमल ने अपने बैग में तेल की बॉटल्स और चटाई रखी और मेरे बाथरूम से बाहर आने तक वो कमरे से बाहर जा चुका था. उलझन भरे मन से मैं आश्रम के गेस्ट हाउस की तरफ चल दी. मैंने अंदाज़ा लगाने की कोशिश की कौन हो सकता है ? पर ऐसा कोई भी परिचित मुझे याद नहीं आया जो यहाँ आस पास रहता हो

उलझन भरे मन से मैं आश्रम के गेस्ट रूम की तरफ चल दी. मैंने अंदाज़ा लगाने की कोशिश की कौन हो सकता है ? पर ऐसा कोई भी परिचित मुझे याद नहीं आया जो यहाँ आस पास रहता हो. मैं कमरे के अंदर गयी और वहाँ बैठे आदमी को देखकर मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ. वो मेरी सास के छोटे भाई थे और इस नाते मेरे ममिया ससुरजी लगते थे.

“अरे आप ? यहाँ ?”

ममिया ससुरजी – हाँ , बहू.

उनकी उम्र करीब 50 -52 की होगी और उन्होंने शादी नहीं की थी. मेरी शादी के दिनों में मैंने उन्हें देखा था. उसके बाद एक दो बार और मुलाकात हुई थी. लेकिन काफ़ी लंबे समय से वो हमारे घर नहीं आए थे. उन्हें कैसे मालूम पड़ा की मैं यहाँ हूँ ?

ममिया ससुरजी – असल में मेरा घर यहाँ से ज़्यादा दूर नहीं है , करीब 80 किमी पड़ता है, डेढ़ दो घंटे का रास्ता है. जब तुम्हारी सास ने मुझे फोन पे बताया तो मैंने कहा की मैं बहू से मिलने ज़रूर जाऊँगा.

अब मेरी समझ में पूरी बात आ गयी. मैंने उनके चरण छूकर प्रणाम किया. उन्होंने मेरे सर पे हाथ रखकर आशीर्वाद दिया.

ममिया ससुरजी – कैसा चल रहा है फिर यहाँ, बहू ?



“ठीक ही चल रहा है , मैंने दीक्षा ले ली है.”

ममिया ससुरजी – वाह. मैं आशा करता हूँ की गुरुजी के आशीर्वाद से तुम्हें ज़रूर संतान प्राप्त होगी.

वो मुस्कुराए और उनका चेहरा देखकर मेरा दिल जोरों से धड़कने लगा. मैं सोचने लगी ससुरजी आश्रम के बारे में कितना जानते हैं ? क्या वो जानते हैं की यहाँ क्या होता है ? क्या वो आश्रम के उपचार के तरीके के बारे में जानते हैं ? गुरुजी के बारे में उन्हें क्या मालूम है ? 

मैं भी मुस्कुरा दी और नॉर्मल दिखने की कोशिश की. लेकिन मुझे बड़ी उत्सुकता हो रही थी की आख़िर वो आश्रम के बारे में कितना जानते हैं.

“आप यहाँ कैसे पहुँचे ? आपको मालूम थी यहाँ की लोकेशन ?” 

मैं उनके सामने खड़ी थी. उनका जवाब सुनकर मेरे बदन में कंपकपी दौड़ गयी.

ममिया ससुरजी – हाँ , दो साल पहले मैं यहाँ आया था. गुरुजी के बारे में तो मैंने बहुत पहले से सुन रखा था पर मैं इन चीज़ों में विश्वास नहीं करता था. उस समय मेरी नौकरानी को कुछ समस्या थी और उसने मुझसे यहाँ ले चलने को कहा. शायद तीसरी या चौथी बार आज मैं यहाँ आया हूँ.

“अच्छा ……..”

मैंने नॉर्मल दिखने की कोशिश की पर उनकी बात सुनकर मेरे हाथ पैर ठंडे पड़ गये थे. मैंने थोड़ा और जानने की कोशिश की.

“क्या समस्या थी आपकी नौकरानी को ?”

ममिया ससुरजी – बहू , तुम तो जानती होगी इन लोवर क्लास लोगों को. इनके घरों में कोई ना कोई समस्या होते रहती है. मेरी नौकरानी के पति के किसी दूसरी औरत से शारीरिक संबंध थे. वो अपने पति का उस औरत से संबंध खत्म करवाना चाहती थी.

“क्या हुआ फिर ? समस्या सुलझी की नहीं ?”

ममिया ससुरजी – हाँ बहू , सुलझ गयी पर वो एक लंबी कहानी है.

उसी समय वहाँ परिमल आ गया. वो संतरे का जूस लेकर आया था. अब हम सोफे में बैठ गये और ससुरजी जूस पीने लगे. 

ममिया ससुरजी – तुम्हारी सास ने कहा था की बहू से पूछ लेना उसको कुछ चाहिए तो नहीं ? अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो मैं बाजार से ले आता हूँ.

“नहीं . कुछ नहीं चाहिए.”

अब परिमल ट्रे और ग्लास लेकर चला गया.

ममिया ससुरजी – बहू , जब मैं पुष्पा की शादी में तुम्हारे घर आया था तब तुम्हें देखा था , तब से आज देख रहा हूँ. है ना ?

ससुरजी की घरेलू बातों से मैं नॉर्मल होने लगी. मैंने सोचा और उम्मीद की ससुरजी को शायद गुरुजी के उपचार के तरीके के बारे में पता ना हो.

“हाँ , दो साल हो गये. आपकी याददाश्त अच्छी है.”

ममिया ससुरजी – दो साल से भी ज़्यादा हो गया. लेकिन देखकर अच्छा लगा की तुम्हारी सास अच्छे से तुम्हारा ख्याल रख रही है.

वो हंसते हुए बोले.

“आप ऐसा क्यों कह रहे हो ?”

उन्हें हंसते देख मैं भी मुस्कुरायी.

ममिया ससुरजी – बहू, शीशे में देखो तुम्हें खुद ही पता चल जाएगा. बदन भर गया है तुम्हारा.

वो फिर हंस पड़े और धीरे से अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख दिया. मैंने उसका बुरा नहीं माना और उनकी बात से शरमाकर मुस्कुराने लगी. अब मैं उनकी बातों से बिल्कुल नॉर्मल हो गयी थी और मेरे मन से ये डर निकल गया था की ना जाने वो इस आश्रम के बारे में कितना जानते हैं. अब मैं उनके साथ बातों में मशगूल हो गयी थी.

“मोटी दिख रही हूँ क्या मैं ?”

ससुरजी ने मुझे देखा और उनके होठों पर मुस्कान आ गयी.

“बताइए ना प्लीज़. आपने मुझे लंबे समय से नहीं देखा है, आप सही सही बता सकते हो.”

ममिया ससुरजी – नहीं नहीं. मोटी नहीं दिख रही हो लेकिन………..

“लेकिन क्या ? पूरी बात बताइए ना. आप सभी मर्द एक जैसे होते हो. राजेश से पूछती हूँ तो वो भी ऐसा ही करते हैं. आधी अधूरी बात.”

हे भगवान ! शुक्र है मुझे अपने पति का नाम अभी तक याद है. पिछले तीन दिनों में इतने मर्दों के साथ क्या कुछ नहीं किया उसको देखते हुए तो ये भी किसी चमत्कार से कम नहीं की मुझे ये याद है की मेरा कोई पति भी है.

ममिया ससुरजी – बहू, एक बार खड़ी हो जाओ.

मैं सोफे से उठकर उनके सामने साइड से खड़ी हो गयी. उन्होंने मेरे दाएं नितंब पर हाथ रखा और बोले…....

ममिया ससुरजी – बहूरानी, यहाँ पर तो तुमने माँस चढ़ा लिया है. पिछली बार जब मैंने तुम्हें देखा था तब ये इतने बड़े नहीं थे.

मुझे तुरंत ध्यान आया की मैंने पैंटी नहीं पहनी है. जब राजकमल ने मुझे बाथरूम में कपड़े लाकर दिए थे तो उनमें पैंटी नहीं थी पर उस समय मुझे ओर्गास्म की वजह से उतनी होश नहीं थी. ससुरजी का हाथ मेरे दाएं नितंब पर था और साड़ी और पेटीकोट के बाहर से मेरे सुडौल नितंबों की गोलाई का अंदाज़ा उन्हें हो रहा होगा.

“हाँ, मुझे मालूम है.”

ममिया ससुरजी – और तुम्हारा पेट भी थोड़ा बढ़ गया है. ये अच्छी बात नहीं है.

मैंने ससुरजी की नज़रों को देखा, मुझे पता चला की मेरा पल्लू थोड़ा खिसक गया है और उनको मेरे ब्लाउज से ढकी चूचियों के निचले हिस्से और पेट का नज़ारा दिख रहा है. वो सोफे में बैठे हुए थे और मैं उनके सामने साइड से खड़ी थी . मैं एकदम से उनके सामने से नहीं हट सकती थी क्यूंकी उन्हें बुरा लग सकता था. इसलिए मैंने साड़ी के पल्लू को नीचे करके अपनी चूचियों और पेट को ढक दिया.

ममिया ससुरजी – बहू, बच्चा होने के बाद तो तुम्हारा वजन बढ़ जाएगा. इसलिए तुम्हें ध्यान रखना चाहिए. राजेश क्या करता है ? उसने तुम्हें एक्सरसाइज करवानी चाहिए ……….

वो एक पल को रुके और फिर धीरे से बोले – “सिर्फ़ बेड पर ही नहीं……….”

वो ज़ोर से हंस पड़े और मैं बहुत शरमा गयी. मुझे शरमाते देखकर उन्होंने हंसते हंसते मेरे नितंबों में धीरे से एक चपत लगा दी. उनका हाथ मेरी गांड की दरार के ऊपर पड़ा , मैंने पैंटी पहनी नहीं थी , वहाँ चपत लगने से एक पल के लिए मेरे दिल की धड़कनें बंद हो गयीं. वो ऐसे नॉर्मली हँसी मज़ाक कर रहे थे , मैं कुछ कह भी नहीं सकती थी.

“आप बड़े …….”

मैं आगे बोल नहीं पाई. वो ज़ोर से हँसे और मेरी बाँह पकड़कर मुझे अपने साथ सोफे पर बिठा लिया. मेरी बाँह पकड़ने से उन्हें तेल महसूस हुआ. वैसे तो मैंने टॉवेल से पोंछ दिया था पर चिकनाहट तो थी ही.

ममिया ससुरजी – तुम्हारी बाँह इतनी चिपचिपी क्यूँ हो रही है ? कुछ लगाया है क्या ?

“हाँ, तेल लगाया है.”

मैंने जानबूझकर उनको अपनी मालिश के बारे में नहीं बताया पर जो जवाब उन्होंने दिया उससे मैं सन्न रह गयी.

ममिया ससुरजी – ओह. लगता है गुरुजी ने सालों से अपने उपचार का तरीका नहीं बदला है. मुझे याद है उन्होंने मेरी नौकरानी को भी कुछ मालिश वाले तेल दिए थे. तुमने भी मालिश करवाई ?

मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा और मुझे समझ नहीं आया क्या बोलूँ ? वो उम्रदराज आदमी थे तो उनके सामने अपनी मालिश की बात करने में मुझे शरम आ रही थी . वो मेरे पति की तरफ के रिश्तेदार थे तो और भी अजीब लग रहा था. मेरी ससुरालवाले तो सोच भी नहीं सकते थे की मेरे साथ यहाँ क्या क्या हो रहा है. और कौन औरत चाहेगी की ऐसी बातें उसके घरवालों को पता लगें.

“नहीं……....मेरा मतलब मैं खुद तेल मालिश करती हूँ.”

ममिया ससुरजी – अजीब बात है. मुझे अच्छी तरह याद है की जब मेरी नौकरानी यहाँ आई थी तो गुरुजी ने उसे बताया था की मालिश खुद नहीं करनी है. बल्कि एक दिन जब उसकी बहन कहीं गयी हुई थी तो मेरी नौकरानी ने मुझसे कहा था मालिश के लिए.

मैं उनकी बात सुनकर काँप गयी. मुझे बड़ी चिंता होने लगी की ससुरजी तो मालिश के बारे में इतना कुछ जानते हैं. पर औरत होने की वजह से मुझे ये जानने की भी उत्सुकता हो रही थी की ससुरजी ने नौकरानी के साथ क्या किया ? क्या उन्होंने नौकरानी के पूरे बदन में तेल लगाया ? कितनी उमर थी उसकी ? वो शादीशुदा थी इसलिए 18 से तो ऊपर की होगी. मालिश के समय वो क्या पहने थी ? क्या वो मालिश के लिये ससुरजी के सामने नंगी हुई , जैसे मैं राजकमल के सामने हुई थी ? ससुरजी ने मालिश के बाद उसे चोदे बिना छोड़ दिया होगा ? हे भगवान ! इन सब बातों को सोचकर मेरी गर्मी बढ़ने लगी. ससुरजी ने शादी नहीं की थी लेकिन उनके किसी कांड के बारे में मैंने कभी नहीं सुना था. 

थोड़ी देर के लिए ऐसी बातों पर मेरा ध्यान गया फिर मैंने अपने को मन ही मन फटकारा की मैं ऐसे उम्रदराज और सम्मानित आदमी के बारे में उल्टा सीधा सोच रही हूँ.

ममिया ससुरजी – बहू , तुम्हारा बदन तेल से चिपचिपा हो रहा है , तुम्हें नहा लेना चाहिए.

“कोई बात नहीं . आप बैठिए ना. आपसे इतने लंबे समय बाद मुलाकात हो रही है .”

वो सोफे से उठ गये. मैं समझ गयी अब वो जाना चाहते हैं. मैं भी सोफे से उठ गयी.

ससुरजी सोफे से उठ गये. मैं समझ गयी अब वो जाना चाहते हैं. मैं भी सोफे से उठ गयी.

ममिया ससुरजी – अभी तुम यहाँ कितने दिन और रहोगी ? गुरुजी ने कुछ कहा इस बारे में ?

“हाँ. यहाँ 6 दिन रहने का बताया है. सोमवार को आश्रम आई थी, आज चौथा दिन है.”

ममिया ससुरजी – ठीक है फिर मैं शनिवार को दुबारा आऊँगा. ताकि तुम्हें आश्रम में अकेले बोरियत ना हो और तुम्हें अच्छा भी लगेगा.

मैंने मुस्कुराते हुए हामी भर दी.

ममिया ससुरजी – ठीक है बहूरानी , मैं चलता हूँ.

मैंने रिवाज़ के अनुसार जाते समय उनके पैर छू लिए. जब आते समय मैंने झुककर ससुरजी के पैर छुए थे तो उन्होंने मुझे बाँह पकड़कर उठाया था पर इस बार उन्होंने मेरी कमर पर हाथ रख दिए. उनकी अँगुलियाँ मुझे अपने मुलायम नितंबों पर महसूस हुई , मैं जल्दी से उनके पैर छूकर सीधी खड़ी हो गयी.

ममिया ससुरजी – खुश रहो बहू. मैं भगवान से प्रार्थना करूँगा की राजेश और तुम्हें जल्दी ही एक सुंदर सा बच्चा हो जाए.

ऐसा कहते हुए उन्होंने मुझे आलिंगन कर लिया. मैं भी थोड़ी भावुक हो गयी , उनके हाथ मेरी कमर में थे. ये कोई पहली बार नहीं था की किसी उम्रदराज रिश्तेदार ने मुझे आलिंगन किया हो , लेकिन मुझे अजीब लग रहा था. सभी औरतों के पास छठी चेतना होती है और हम औरतें किसी मर्द के स्नेह भरे आलिंगन और किसी दूसरे इरादे से किए आलिंगन में भेद कर लेती हैं. ससुरजी ने पहले तो मुझे कमर से पकड़कर उठाया और फिर आलिंगन कर लिया और अब मैं उनकी छाती से लगी हुई थी. मुझे मालूम पड़ रहा था की उनकी अँगुलियाँ मेरी पीठ में धीरे धीरेऊपर को बढ़ रही हैं. मैंने अपनी चूचियों के आगे अपनी बाँह लगा रखी थी ताकि वो ससुरजी की छाती से ना छू जाए. अब उन्होंने दोनों हाथों से मेरा सर पकड़ा और मेरे माथे का चुंबन ले लिया.

अगर कोई ये सब देख रहा होता तो उसको लगता की ससुरजी बहू को स्नेह दे रहे हैं. लेकिन मुझे उनके स्नेह पर भरोसा नहीं हो रहा था. मेरे माथे को चूमकर अपना स्नेह दिखाने के बाद उन्होंने मुझे छोड़ देना चाहिए था क्यूंकी अब और कुछ करने को तो था नहीं. लेकिन वो मुस्कुराए और अपने हाथों को मेरे सर से कंधों पर ले आए. मुझे तो कुछ कहना ही नहीं आया , उनकी अँगुलियाँ मेरी गर्दन को सहलाती हुई मेरे कंधों पर आ गयीं.

ममिया ससुरजी – अपने ऊपर भरोसा रखो बहू. सब ठीक होगा.

उनकी अँगुलियाँ मेरे कंधों पर ब्लाउज के ऊपर से ब्रा स्ट्रैप को टटोल रही थीं. अब वो मेरे कंधों को पकड़कर मुझसे बात कर रहे थे तो मुझे भी अपनी बाँहें नीचे करनी पड़ी. उससे पहले जब वो मुझे आलिंगन कर रहे थे तो मैंने अपनी छाती के ऊपर बाँह आड़ी करके रख ली थी. पर अब मेरी तनी हुई चूचियाँ ससुरजी की छाती से कुछ ही इंच दूर थीं.

ममिया ससुरजी – बहूरानी फिकर मत करना. अगर तुम्हें कुछ चाहिए तो मुझसे कहो. मैं अपना फोन नंबर आश्रम के ऑफिस में दे जाऊँगा ताकि अगर तुम्हें किसी चीज़ की ज़रूरत पड़े तो वो मुझे फोन कर देंगे.

ये सब बोलते वक़्त ससुरजी ने मेरे कंधों को धीरे से अपनी ओर खींचा और अब मेरी चूचियाँ उनकी छाती से छूने लगी थीं. ये मेरे लिए बड़ी अटपटी स्थिति थी, ससुरजी मेरे कंधों को छोड़ नहीं रहे थे बल्कि मुझे अपने नज़दीक़ खींच रहे थे, और अब मैं उनके सामने खड़ी थी और मेरी नुकीली चूचियाँ उनकी सपाट छाती को छूने लगी थीं. ससुरजी ने मुझे वैसे ही पकड़े रखा और बातें करते रहे.

ममिया ससुरजी – मैंने तुम्हारी सास को कह दिया है की बिल्कुल चिंता मत करो और गुरुजी पर भरोसा रखो. तुम्हें तो मालूम ही होगा वो कितनी चिंतित रहती है.

ससुरजी की छाती से रगड़ खाने से मेरे निप्पल कड़े होने लगे . उस पोज़िशन में मेरी चूचियाँ उनकी छाती से दब नहीं रही थीं बल्कि छू जा रही थीं. मैंने थोड़ा पीछे हटने की कोशिश की पर मेरे कंधों पर ससुरजी की मजबूत पकड़ होने से मैं ऐसा ना कर सकी. मेरी 28 बरस की जवान चूचियाँ साड़ी ब्लाउज के अंदर सांस लेने से ऊपर नीचे हिल रही थीं और 50 बरस के ससुरजी की शर्ट से ढकी छाती से रगड़ खाते रहीं.

ममिया ससुरजी – बहूरानी , आज मैं तुम्हारे घर फोन करूँगा और उन्हें तुम्हारी खबर दूँगा.

“ठीक है ससुरजी. आप भी अपना ध्यान रखना.”

मैंने जल्दी से बातचीत को खत्म करने की कोशिश की क्यूंकी उनके साथ उस पोज़िशन में खड़े खड़े मुझे बहुत अटपटा लग रहा था पर ससुरजी ने मुझे नहीं छोड़ा.

ममिया ससुरजी – बहू तुम भी अपना ख्याल रखना………………..

ऐसा कहते हुए उन्होंने अपना दायां हाथ मेरे कंधे से हटा लिया और मेरे मुलायम गाल पर चिकोटी काट ली. मैं उनसे ऐसे व्यवहार की अपेक्षा नहीं कर रही थी और एक मंदबुद्धि की तरह चुपचाप खड़ी रही. मेरे बाएं कंधे को पकड़कर उन्होंने अभी भी मुझे अपने नज़दीक़ खड़े रखा था. फिर उन्होंने मेरे बदन से अपने हाथ हटा लिए और मेरे सुडौल नितंबों में एक चपत लगा दी.

ममिया ससुरजी – ………….ख़ासकर यहाँ पर.

ससुरजी की चपत हल्की नहीं थी और उनकी इस हरकत से मेरे नितंब साड़ी के अंदर हिल गये. मैंने महसूस किया था की चपत लगाकर उन्होंने अपने हाथ से मेरे बिना पैंटी के नितंबों को थोड़ा दबा दिया था. अब तक मेरी ब्रा के अंदर निप्पल उत्तेजना से पूरे तन चुके थे और ससुरजी की छाती में चुभ रहे थे. मुझे अब बहुत अनकंफर्टेबल फील हो रहा था , और कोई चारा ना देख मुझे उनके सामने ही अपनी ब्रा एडजस्ट करनी पड़ी. मैंने अपने दोनों हाथों से अपनी चूचियों को साइड से थोड़ा ऊपर को धक्का दिया और फिर जल्दी से अपना दायां हाथ पल्लू के अंदर डालकर ब्रा के कप को थोड़ा खींच दिया ताकि मेरी तनी हुई चूचियाँ ठीक से एडजस्ट हो जाएँ.

आख़िरकार ससुरजी ने मेरे कंधे से हाथ हटा लिया और दुबारा आऊँगा बोलकर चले गये. मैं भी ससुरजी के व्यवहार को लेकर उलझन भरे मन से अपने कमरे में वापस आ गयी. मुझे पूरा यकीन था की उनकी हरकतें जैसे की मेरे कंधों पर ब्रा स्ट्रैप को टटोलना, मेरे नितंबों में दो बार चपत लगाना और वहाँ पर दबाना , ये सब जानबूझकर ही किया गया था. लेकिन वो तो मुझे बहूरानी कह रहे थे और लगभग मुझसे दुगनी उमर के थे , फिर उन्हें मेरी जवानी की हवस कैसे हो सकती है ? क्या पिछले कुछ दिनों की घटनाओ से मैं कुछ ज़्यादा ही सोचने लगी हूँ ? लेकिन उनका वैसे छूना ? कुछ तो गड़बड़ थी.

मैं बाथरूम चली गयी और देर तक नहाया क्यूंकी बदन से तेल हटाने में समय लग गया , ख़ासकर की मेरी पीठ और नितंबों पर से. फिर मैंने लंच किया और नींद लेने की सोच रही थी तभी समीर आ गया.

समीर – मैडम, अभी आपको डिस्टर्ब करने के लिए सॉरी. लेकिन गुरुजी आपसे तुरंत मिलना चाहते हैं.

मुझे समीर की बात सुनकर हैरानी हुई क्यूंकी गुरुजी ने मेरे चेकअप के बाद कहा था की वो मुझसे शाम को मिलेंगे.

“लेकिन गुरुजी ने तो कहा था की वो चेकअप के नतीजे शाम को बताएँगे.”

समीर – हाँ मैडम, लेकिन शाम को गुरुजी को शहर में गुप्ताजी के घर जाना है. असल में उनकी श्रीमतीजी अपनी बेटी के लिए आज ही यज्ञ करवाना चाहती हैं. 

“अच्छा. गुरुजी दूसरों के घरों में भी यज्ञ करवाने जाते हैं क्या ?”

समीर – ना ना. वैसे तो नहीं जाते लेकिन गुप्ताजी गुरुजी के पुराने भक्त हैं और दुर्भाग्यवश वो विकलांग हैं इसलिए ………..

“ओह अच्छा , मैं समझ गयी.”

ये सुनकर गुरुजी के लिए मेरी रेस्पेक्ट बढ़ गयी. 



“गुरुजी ये यज्ञ क्यूँ कर रहे हैं ?”

समीर – असल में गुप्ताजी की लड़की पिछले साल १२वीं के बोर्ड एग्जाम्स में फेल हो गयी थी. इस बार भी क्लास टेस्ट में बड़ी मुश्किल से पास हुई है . इसलिए श्रीमती गुप्ता उसके बोर्ड एग्जाम्स से पहले यज्ञ करवाना चाहती हैं.

“अच्छा, लेकिन उनको इतनी जल्दी क्यूँ है ? मतलब यज्ञ आज ही क्यूँ करवाना है ?”

समीर – मैडम, गुप्ताजी को चेकअप के लिए दो हफ्ते के लिए मुंबई जाना है. इसलिए उनको यज्ञ की जल्दी है. 

“अच्छा…...”

फिर मैंने ज़्यादा समय बर्बाद नहीं किया क्यूंकी मुझे भी चेकअप के नतीजे जानने की उत्सुकता हो रही थी. और मैं समीर के पीछे पीछे गुरुजी के कमरे की ओर चल दी. गुरुजी अपने भगवा वस्त्रों में लिंगा महाराज की मूर्ति के सामने बैठे हुए थे.

गुरुजी – आओ रश्मि.

मैंने गुरुजी को प्रणाम किया और नीचे बैठ गयी . समीर मेरे पास खड़ा रहा.

गुरुजी – रश्मि , मुझे शाम को शहर जाना है.

“हाँ गुरुजी, समीर ने मुझे बताया था.”

गुरुजी – असल में मैं आज गुप्ताजी के घर ही ठहरूँगा , वहाँ यज्ञ करवाना है. समीर और मंजू भी मेरे साथ जाएँगे.

वो थोड़ा रुके और फिर बोले……...

गुरुजी – इसलिए मैं तुम्हें चेकअप के नतीजे अभी बता देता हूँ और आगे क्या करना है वो भी.

चेकअप के नतीजों की बात से मुझे चिंता होने लगी.

“गुरुजी क्या पता चला आपको ?”

गुरुजी – समीर मेरी नोटबुक ले आओ. रश्मि , नतीजे बहुत उत्साहवर्धक नहीं हैं लेकिन बहुत खराब भी नहीं हैं.

मेरा दिल डर से ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा. गुरुजी को मुझमें ना जाने क्या खराबी मिली है.

“गुरुजी………..”

मैं आगे नहीं बोल पाई और मेरी आँख से आँसू की एक बूँद टपक गयी.

गुरुजी – रश्मि , तुम औरतों की यही समस्या है. तुम पूरी बात सुनती नहीं हो और सीधे निष्कर्ष निकाल लेती हो.

उनके शब्द कड़े थे. मैंने अपनेआप को सम्हाला. समीर ने उन्हें नोटबुक लाकर दी और गुरुजी ने उसमें एक पन्ना खोलकर देखा और फिर मेरी ओर देखा.

गुरुजी – देखो रश्मि, तुम्हारे योनिमार्ग में कुछ रुकावट है और गुदाद्वार के अंत में जो शिराएं होती हैं उनमें सूजन है . 

मुझे मेडिकल की नालेज नहीं थी इसलिए मैंने कन्फ्यूज़्ड सा मुँह बनाकर गुरुजी को देखा.

गुरुजी – देखो रश्मि, तुम्हें ऐसी कोई बड़ी शारीरिक समस्या नहीं है जिससे तुम गर्भ धारण ना कर सको. पर कभी कभी छोटी बाधायें बड़ी समस्या पैदा कर देती हैं. महायज्ञ से तुम्हारे शरीर की सभी बाधायें दूर हो जाएँगी जैसा की मैंने तुम्हें पहले भी बताया है. वास्तव में महायज्ञ तुम्हें शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से , गर्भधारण के लिए तैयार होने में मदद करेगा और तुम्हारे योनिमार्ग को सभी बाधाओं से मुक्त कर देगा.

एक यज्ञ मेरे योनिमार्ग को बाधारहित बना देगा ? पर कैसे ? मुझे उनकी इस बात से उलझन हुई. 

“लेकिन गुरुजी एक यज्ञ मुझे कैसे ठीक कर सकता है ?

गुरुजी – रश्मि, तुम क्या सोच रही हो की महायज्ञ में अग्नि के सामने बैठकर सिर्फ मंत्र पढ़े जाएँगे और पूजा करनी होगी ? इसमें और भी बहुत कुछ होता है और तुमको पूरी तरह समर्पण से ये करना होगा. तुम सिर्फ़ मुझ पर भरोसा रखो और बाकी लिंगा महाराज पर छोड़ दो.

ये सुनकर मुझे बहुत राहत हुई.

“जय लिंगा महाराज. “

गुरुजी – जय लिंगा महाराज.

“लेकिन गुरुजी आप कुछ शिराओं के बारे में भी बता रहे थे …”

गुरुजी – हाँ, गुदाद्वार के अंत में जो शिराएं होती है उनमें सूजन आ जाने को बवासीर कहते हैं. मैं उसमें आयुर्वेदिक लेप लगा दूँगा. तुम उसकी चिंता मत करो रश्मि.

गुदाद्वार में लेप लगाने की बात सुनकर मैं शरमा गयी और मुझे अपनी नज़रें झुकानी पड़ी.

गुरुजी – रश्मि अब तुम अपने कमरे में जाओ और आराम करो. कल और परसों तुम्हारे लिए महायज्ञ होगा. तब तक तुम जो दवाइयाँ दी हैं उन्हें लेती रहो.

“ठीक है गुरुजी.”

 गुरुजी के आश्रम में रश्मि के जलवे - 5

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