एक रात की बात- Brother Sister

एक रात की बात- Brother Sister

एक रात की बात- Brother Sister

यह कहानी उस रात की है जिसे कोई भी मुम्बईकर(मुंबई शहर मैं रहनेवाला) नहीं भुला सकता. जी हाँ २६ जुलाई २००५ एक ऐसी काली रात जिस दिन इंद्रदेव(लार्ड इंद्रा) ने ना रुकनेवाली भीषण बारिश बरसाकर मुंबई शहर पर वार किया था कई ज़िन्दगियों को परेशां कर दिया था. लेकिन उस दिन तोह कामदेव(क्यूपिड) ने भी मुझपर वार किया था इस बारे में आगे.

अब में कुछ अपने बारे में बताता हूँ. मेरा नाम शशांक वालिए है. देखने में साधारण लेकिन काढ़(हाइट) मैं लम्बा. मैं सीप्झ मैं एक सॉफ्टवेयर मंच मैं काम करता हूँ. मेरे माँ-बाप मेरे बड़े-भाई के साथ दिल्ली में रहते हैं मुंबई उन्हें पसंद नहीं. में हमेशा से इंट्रोवर्ट(कम बोलनेवाला) रहा हूँ इसलिए जब में नौकरी करने मुंबई आया गर्ल फ्रेंड तोह दूर की बात ४ दोस्त भी नहीं बने.मुंबई में मेरे पहचान का अगर कोई था तोह सिर्फ- मेरी  कजिन दीदी संजना(इस कहानी की हीरोइन).

संजना दीदी मुझसे उम्र में १० साल बड़ी थी उन्होंने मेरे बचपन में मुझे अपनी गोद में खिलाया था. बहुत ही खूबसूरत. रंग- गोरा फेस-ओवल फिगर-ज़बरदस्त. देकने में वह एक टीवी एक्ट्रेस की तरह लगती हैं| पढ़ाई में वह हमेशा तेज़ रही थी ब थी. अपने डैम पर मुंबई में नौकरी कर रही थी सेल-मेड-वुमन थी इंडिपेंडेंट स्ट्रांग , अच्छी सैलरी कमा रही थी अपने पैसे से कार खरीदी थी जुहू मैं एक काफी मेहेंगे बड़े फ्लैट  में किराये पे रहती थी. और इन्ही सब के कारण उन में ज़्यादा सेल्फ-रेस्पेक्ट आ गया था. जब भी उनके माँ-बाप उनके रिश्ते की बात करते तोह हर लड़के को किसी न किसी बात पर रिजेक्ट कर देती.माँ-बाप परेशां होते तोह उनसे कहती की उन्हें किसी मर्द की ज़रुरत नहीं. उनके ऑफिस में भी २ लड़कों ने उनपर लाइन मारा था.पर कुछ दिन डेट करके उनको भी मन कर दिया.

संजना दीदी मेरी पर्सनालिटी से बिलकुल अलग थी में इंट्रोवर्ट(शांत) तोह वह एक्सट्रोवर्ट(बिंदास) मैं सावला तोह वह गोरी. सिर्फ एक बात में हमारी चॉइस मिलती थी –फिल्म्स. हम दोनों को फिल्में देखना बहुत पसंद था. हम अक्सर सैटरडे’स या संडे’स को मल्टीप्लेक्स में मूवीज देखने जाते. जुलाई २००५ में मेरे घर अँधेरी के पास(वाकिंग डिस्टन्स) एक नया सिनेमा हॉल खुला था.

मैंने दीदी को कहा की अगली फिल्म देखने वह यहीं आएं. सैटरडे २३ जुलाई का प्लान मैंने बनाया पर दीदी की कोई ज़रूरी मीटिंग की वजह से प्लान कैंसिल करना पड़ा. बहुत बुरा लगा फ़ोन पर उनसे झगड़ा भी हुआ गुस्से में मैंने भी फिल्म नहीं देखि. उन दिनों दीदी कुछ फ़्रस्टेटेड(चिड़चिड़ी) हो गयी थी फ़्रस्टेटेड (सेक्सुअली) तोह में भी था २५ साल की उम्र पार कर चूका था और अब तक कोई लड़की नहीं पता पाया था. दीदी भी ३५ साल के ऊपर थी अब तक कुंवारी.

अब में कहानी शुरू करता हूँ. २६ जुलाई को सुबह से ही लगातार बारिश हो रही थी मेरा ऑफिस जाने का मन न हुआ बुखार बता कर मैंने सीनियर से लीव मांग ली. दोपहर तक आराम किया अख़बार पढ़ा टीवी देखा. फिर अचानक शाम को ५ बजे मुझे मोबाइल पर कॉल आया. सोचा ऑफिस से ही होगा पर कॉलर का नाम देख कर सरप्राइज हो गया- संजना दीदी. फ़ोन उठाने पर दीदी ने कहा की वह अँधेरी में ही किसी मीटिंग के लिए अपनी गाडी से आयीं थी लेकिन तेज़ बारिश की वजह से मीटिंग कैंसिल हो गयी (वह क्या जानती थी की उस दिन वह मीटिंग नहीं मैटिंग/सेक्स के लिए आयीं थी). तोह उन्होंने मेरे घर के पास खुले सिनेमा हॉल में फिल्म देखने का प्लान बनाया.

फिल्म देखने के लिए तोह मैं हमेशा तैयार रहता था मैं भी मान गया. मेरे सोसाइटी में आकर उन्होंने अपनी गाडी पार्क की और हम दोनों चल कर सिनेमा हॉल चले गए. उस दिन संजना दीदी ने नीले(ब्लू) रंग का सलवार-कमीज पहना था बहुत ही सेक्सी लग रही थी खिल रही थी. टिकट्स मिल गयी और हम दोनों ६-९ फिल्म देखने हॉल के अंदर चले गए. बहार लगातार तेज़ बारिश के वजह से सड़कों में पानी भरने लगा मेरे सोसाइटी के अंदर भी पानी भर गया था.

 हम दोनों फिल्म देखर बाहर निकले तोह कमर (वैस्ट) तक पानी सड़क पर भर गया था. इतने में सेल फ़ोन पर स्टेट हाई अलर्ट मैसेज आया की- जोह जहाँ भी है किसी सेफ जगह जाकर रुक जाए तेज़ बारिश के वजह से मुंबई में फ्लड हो रहा है. दीदी ने कहा की ऐसी हालत में वह गाडी चलकर जुहू नहीं पहुंच पेंगी. उन्हें रात मेरे १ भक undefined में गुज़ारनी पड़ेगी. मैंने भी एहि ठीक समझा. मैं क्या जानता था की कुदरत(नेचर) मेरे ज़िन्दगी की कहानी लिख रही है. हम दोनों मेरी सोसाइटी की तरफ चल पड़े. बारिश में भीगने से दीदी की सलवार-कमीज उनके जिस्म पर चिपक गयी थी उनके ब्रेअस्ट्स(स्तन) ब्रा बुट्टोक(गांड) साफ़(क्लेअर्ल्य) दिख रहे थे. मेरी बिल्डिंग का वॉचमन दीदी को हवस भरी नज़र से देखने लगा- दीदी सुपर-सेक्सी जो लग रही थी. हम दोनों मेरे फ्लैट पहुंचे, घर घुसते ही दीदी को चींख आने लगी.

मैं: “क्यों दीदी आपको सर्दी लग गयी ?

दीदी: “हाँ! भीगने से अक्सर मुझे सर्दी हो जाती है”

मैं: “आप अपने गीले कपडे उतर कर बदल लीजिये”

दीदी: “हाँ पर मेरे पास एक्स्ट्रा कपडे कहाँ है , यह मेरा घर थोड़ी न है.”

मैं: “अर्र्रे हाँ भूल गया. पर ऐसे तोह आप बीमार पद जाएँगी. रुकिए मैं आपके और अपने लिए चाय या कॉफ़ी बना कर लता हूँ”

दीदी: “चाय-कॉफ़ी छोड़ो , घर में व्हिस्की/बियर/ ब्रांडी/रम हो तोह ले आयो.”

घर में 6 महीने पहले मेरी बड़े भाई ने व्हिस्की की बॉटल्स लेकर राखी थी. मैंने बाथरूम में अपने कपडे बदले और किचन जाकर व्हिस्की की बोतल और २ गिलास लेकर लौटा तोह दीदी हॉल में नहीं थी. मैं उनको ढूंढ़ने बीएड रूम गया , तोह देखा की दरवाज़ा थोड़ा खुला है. दरवाज़ा थोड़ा और खोला तोह यह मैंने क्या देख लिया.

दीदी अपनी गीली कमीज उतर चुकी थी और अपनी ब्रा खोल रही थी. किसी औरत को नंगी तोह मैंने सिर्फ ब्लू फिल्मों में ही देखा था पर अपने सामने किसी नंगी लड़की को नहीं देखा था. मैंने उनको अपनी ब्रा सलवार पंतय उतारते हुआ देखा. अब तक दीदी की नज़र मुझपर नहीं पड़ी थी. उनके बड़े-बड़े ब्रेअस्ट्स सेक्सी गांड गोरी चमड़ी देखकर उत्तेजना (एक्ससिटेमेंट) में मेरा लिंग/लुंड(पेनिस) खड़ा  हो गया. दीदी आईने(मिरर) में अपनी फिगर देख रही थी बाल सेट कर रही थी. अचानक उन्होंने मुड़कर मुझे देखा. वह चौक गयी और तुरंत उन्होंने टॉवल अपने जिस्म पर लपेट लिया.

दीदी: “ट्ट्टुम्म्मम्म……. तुमने दरवाज़े पर नॉक क्यों नहीं किया ?”

मैं: “मैं तोह आपको बुलाने आया था”

दीदी: “जाओ मैं आती हूँ”

मैं हॉल में गया और मैंने थोड़ी-थोड़ी व्हिस्की दोनों गिलास में भर दी और सेण्टर टेबल पर रख दिया.इतने में संजना दीदी आयीं और सोफे पर बैठ गयीं मैं भी उनके सामनेवाले सोफे पर बैठ गया. वह मुझे कुछ अजीब नज़र से देख रही थी हमने अपनी-अपनी व्हिस्की ख़तम की. दीदी उठी और उन्होंने अपनी और मेरी गिलास व्हिस्की से पूरी भर दी. मैं चौक गया.

मैं: दीदी मैं एक गिलास से ज़्यादा नहीं पी सकता”

दीदी: “मेरा साथ देने के लिए तुम्हे पीना पड़ेगा”

मैं: “लेकिन ज़्यादा शराब पीने से मैं बेकाबू हो जाता हूँ”.

दीदी मुस्करायीं और बोली दीदी: यही तोह मैं चाहती हूँ”

फिर हम दोनों ने व्हिस्की की बोतल पीकर ख़तम कर दी. उन्होंने मुझसे किचन से एक बोतल और मंगवाई हु बोतल भी हमने आधी ख़तम कर दी.अब मैं और दीदी दोनों नशे मैं आ गए थे. दीदी नशे मैं बहुत कुछ बोलने लगी.दीदी: “तोह तुमने आज तक किसी लड़की को नंगी नहीं देखा है ?”

मैं: “मुझे माफ़ कर दीजिये मैंने जान-बूझ कर ऐसा नहीं किया”

दीदी: “तुम जिस तरह मुझे देख रहे थे लगता है तुम भी मेरी तरह सेक्सुअली फ़्रस्टेटेड हो”वह बोलती ही जा रही थी.

दीदी: “मैं सोचती थी की मुझे अपनी ज़िन्दगी में किसी मर्द की ज़रुरत नहीं है.पर में गलत थी.३५ साल की उम्र पर कर चुकी हूँ और अब मेरा जिस्म हवस की आग में जल रहा है. जब में अपनी सहेलियों को उनके पतियों के साथ देखती हूँ तोह मुझे उनसे जलन होती है. मैं तड़प रही हूँ.”यह कहकर वह रोने लगी. मैं तुरंत उठकर उनके आंसू पोछने गया. मैंने कहमें: “दीदी प्लीज मत रोइये मैं आपके रोते हुए नैन देख सकता”

दीदी मेरी तरफ देखते हुए बोली

दीदी: “इस मुसीबत से मुझे सिर्फ तुम निकल सकते हो”

मैं: “बताइये मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ”

वह मेरी तरफ झुकीं और उन्होंने मेरे कान में कहा

दीदी: “आज की रात तुम मुझे पूरी औरत बना दो अपनी वाइफ बना लो”हम दोनों का हाल तोह आप सब जानते ही हैं नशे में धुत हम अपने होश खो बैठे थे. यह शराब बुरी चीज़ है. उसी वक़्त मुझपर कामदेव ने वार किया और मैं अपनी टॉवल से लिपटी दीदी को अपनी बाँहों में उठाकर अपने बैडरूम ले गया.

मैंने उनकी टॉवल खोल दी और उन्होंने भी मेरा नाईट-सूट उतर दिया और मेरे कड़क लुंड को पकड़ कर महसूस किया. मैं कुछ देर तक उनके नंगे जिस्म को देखता रहा बहुत खूबसूरत चिकनी गोरी चमड़ी बड़े-बड़े ब्रेअस्ट्स , नाभि(नैवेल) बाल साफ़ की हुई चूत(वागिना). मैं उनके पूरे जिस्म को चूमने लगा उनके तइस उनकी चूत उनकी नाभि , उनके ब्रेअस्ट्स. वह भी मुझे चूमने लगी.फिर हमने लिप-तो-लिप किश किया उन्होंने मेरे हाथ अपने ब्रेअस्ट्स पर रख दिए.

मेरा लिंग/लुंड(पेनिस) पूरा खड़ा हो गया और बहुत कड़क हो गया था कड़क पहले कभी नहीं हुआ था बहुत दर्द भी कर रहा था. हम दोनों पागलों की तरह एक दुसरे को किश और स्मूच कर रहे थे. कुछ देर और किश करने के बाद उन्होंने मुझसे कहा बस अब मुझे बिस्तर पर ले चलो और मेरी चूत की प्यास भुजा दो” नशे में किसी भी तरह के प्रोटेक्शन/कंडोम के बारे में हमने सोचा ही नहीं और आगे जाकर(२ महीने बाद) इसका मुझे बहुत पछतावा/अफ़सोस हुआ.

मैंने उनको उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया उनके पेअर(लेग्स) फेहलाये और अपना लैंड उनकी चूत के लिप्स पर रख दिया उनकी चूत से पहले से ही रास निकल रहा था (लुब्रिकेटेड हो गया था) मेरा लैंड बस थोड़ा ज़ोर लगाने से ही थोड़ा अंदर चला गया. उनके मुहसे हलकी सी चीख निकल गयी  आअह्ह!”

उन्होंने मुझे लुंड और अंदर डालने को कहा मैंने एक और ढाका दिया और पूरा लैंड उनकी चूत के अंदर घुस गया वह मेरे गालों को चूमने लगीं और उन्होंने मुझे कसकर पकड़ लिया. फिर हम दोनों लिप-तो-लिप किश और स्मूच करने लगे मेरे हाथ उनके ब्रेअस्ट्स सहलाते रहे साथ-साथ मैं लैंड से ज़ोर के धक्के भी मरता रहा ना जाने कितनी देर तक मैंने उनको धक्के मारे होंगे.

बहार अब भी ज़ोर-ज़ोर से बारिश हो रही थी और मेरे लुंड से वीर्य(सीमेन/स्पर्म) की बारिश भी होने वाली थी. शराब के नशे की हालत में मैंने उनकी चूत में ही अपना वीर्य छोड़ दिया. इतना वीर्य निकला जितना कभी मूठ मरने(मस्टुर्बते) पर भी नहीं निकला करता था कुछ तोह मेरे लुंड के निचे से सरकता हुआ महसूस हुआ. कई बार में मेरा स्पर्म निकलता ही रहा किसी भी फर्टाइल लड़की या औरत को इतना वीर्य(स्पर्म) गर्भ-वती(प्रेग्नेंट) बनाने के लिए काफी रहा होगा. सारा वीर्य निकलने के बाद हम दोनों लिपट कर सो गए.

अगली दिन जब नींद खुली तोह बहार बारिश अब तक हो रही थी. मेरे सर में कल की शराब से बहुत दर्द हो रहा था. कुछ देर के लिए लगा की कल रात मेरे और दीदी के बीच जो भी हुआ सब एक सपना था कमरे में दीदी भी नहीं थी. पर जब मेरी आँखें पूरी तरह खुली तोह मैंने बीएड रूम के एक कोने में दीदी के उतारी हुई गीली सलवार कमीज दुपट्टा ब्रा और पेंटी  देखि.और दूसरी तरफ टॉवल और मेरा नाईट-सूट फ्लोर पर घिरा पड़ा था और मैं भी नंगा(नेकेड) था. बीएड शीट की जो हालत थी उसे देख कर कोई भी कह सकता था की इस बिस्तर पर सुहाग-रात मनाई गयी है. इतने में दीदी नंगी(नुदे) हालत में हाथों में ट्रे (जिसमे २ कप की केतली और बिस्किट्स) थी कमरे में घुसी और मुस्कुराते हुए बोली “गुड मॉर्निंग! चाय तैयार है,  मैंने कहा “ओह नो!!!!!! यह मैंने क्या कर दिया”……..

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