भाभी ने कहा कि तुम बड़े शैतान हो
मेरा नाम राजू है.. मैं हरिद्वार का रहने वाला हूँ। मेरी हाईट 5 फुट 6 इंच है.. रंग गेहुंआ है। मेरी उम्र 23 साल है।
मेरे दोस्तों का कहना है कि मैं दिखने मैं बहुत स्मार्ट हूँ।
मैं आपके साथ अपनी लाइफ का पहला अनुभव शेयर करने जा रहा हूँ.. जो एक साल पहले की बात है।
किरायेदार मस्त भाभी
उस वक्त मैं दिल्ली मैं जॉब करता था अब आपको उस बाला के बारे में बताने जा रहा हूँ.. जिसने मुझे जिंदगी का पहला मजा दिया।
उसका नाम सोनिया था.. वो हमारे यहाँ किरायेदार थी!
उसकी उम्र 20 साल की रही होगी, उसकी कम उम्र में ही शादी हो गई थी। वो खूब गोरी-चिट्टी और सेक्सी है। उसका कद 5 फुट 2 इंच था। उसका फिगर 32-24-34 का रहा होगा।
वो दिखने में बहुत सेक्सी है कोई भी उसे देखे तो उसका मन उसे चोदने का हो जाए।
उसके पति का नाम विकी है वो किसी कोस्मैटिक की दुकान पर काम करता है।
हुआ यूं कि जब मैं दिल्ली में था.. तो मुझे मेरी बेस्ट फ्रेंड अंजू का हरिद्वार से फोन आया कि अगले रविवार को मेरी शादी है और तुमको जरूर आना है।
मैंने उसे मना कर दिया ये कह कर कि ऑफिस से छुट्टी नहीं मिलेगी। वो नहीं मानी.. तो मैंने आने के लिए ‘हाँ’ कर दी।
मैंने सोचा कि रात की शादी में शामिल हो कर रात में ही फिर से दिल्ली के लिए निकल आऊँगा.. और सुबह ऑफिस चला जाऊँगा।
पर किस्मत को तो कुछ और ही मंजूर था।
शनिवार को मेरा हाफ डे होता है.. मैं हाफ डे के बाद ही दिल्ली से हरिद्वार के लिए निकल पड़ा और 5 घन्टे में हरिद्वार पहुँच गया। अपने घर में सामान आदि रख कर मैं आराम करने लगा।
पिछले एक साल से जब से मैं दिल्ली गया था। वैसे तो मैं उससे कई बार मिल चुका हूँ.. पर कोई बात नहीं की.. क्योंकि मैं थोड़ा शर्मीले स्वभाव का हूँ.. पर वो शाम कुछ खास थी।
मेरी मम्मी और बहन गंगा आरती के लिए चली गईं। घर में सिर्फ़ मैं और सोनिया ही थे।
मैं बालकनी में आ गया और वो भी आ गई।
आज वो मुझे कुछ अलग ही लग रही थी वो मुझे बड़ी ही कामुक नजर से देख रही थी।
मेरा भी मन अब मचलने लगा और मैंने सोचा कि क्यों ना एक ट्राइ मार लिया जाए.. शायद किस्मत खुल जाए।
मैं उसके पास जा कर बैठ गया और इधर-उधर की बातें करने लगा.. तो जो कुछ हुआ.. वो लिख रहा हूँ।
भाभी की सेक्सी बातें
सोनिया- तुम्हारी मम्मी कहती हैं कि तुम बड़े शरीफ हो..
मैं- शरीफ हूँ भी और नहीं भी!
सोनिया- मतलब?
मैं- घर वालों के सामने तो सब ही शरीफ रहते हैं.. हाँ बस मैं किसी लड़की को तंग नहीं करता हूँ।
सोनिया- क्यों क्या तुम्हें लड़कियां पसन्द नहीं हैं.. क्या तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैं- नहीं.. मैं गर्लफ्रेंड की बीमारी नहीं पालता.. मुझे लड़कियों को धोखा देना अच्छा नहीं लगता। मैं तो उन्हें साफ साफ कह देता हूँ कि अगर मेरे साथ रहना है.. तो रहो.. मेरे साथ कुछ क्वालिटी टाइम स्पेंड करो और फ़ालतू के प्यार-व्यार के चक्कर में मत पड़ो।
सोनिया- पर ऐसी लड़कियों को तो लड़के गलत कहते हैं?
मैं- मैं नहीं मानता, हर किसी की शरीर की जरूरत होती है और उसे पूरा करने में कोई बुराई नहीं है।
सोनिया- पर लड़के बड़े गंदे होते हैं.. वो मजे करने के बाद सारी बातें उड़ा देते हैं।
मैं- मैं ऐसा नहीं हूँ। मैं हर बात को गुप्त रखता हूँ.. ताकि हमारी लाइफ पर असर ना पड़े.. क्योंकि इसमें कुछ गलत नहीं होता है।
फिर वो मुझे देख कर मुस्कुराने लगी इतने में मम्मी और बहन आ गईं और हमारी बातें वहीं खत्म हो गईं।
अगले दिन नाश्ता करने के बाद 10 बजे मम्मी और बहन कुछ काम से मार्केट चले गए। मैं घर में अकेला बोर हो रहा था.. तो मैं बालकनी में आ गया।
मैंने देखा कि सोनिया भाभी भी बालकनी में अपने बेबी के साथ में आ गई थी। मैं आपको बताना ही भूल गया उसका एक 6-7 महीने का बेबी भी है।
हमने फिर से बातें करना शुरू कर दीं। बातों ही बातों में उसने अपने बेबी को मेरी गोद में दे दिया और कहा- जाओ चाचा की गोद में..
भाभी के चूचे
गोद में उसको लेते समय मेरा हाथ सोनिया के मम्मों में लग गया, मेरे पूरे शरीर में करंट सा दौड़ गया।
वो बेबी मेरी गोद में आकर रोने लगा.. तो मैंने कहा- जाओ मम्मी के पास..
उसे देते टाइम मैंने जानबूझ कर उसके मम्मों फिर से टच कर दिए।
उसके चेहरे से साफ दिख रहा था कि उसे भी मजा आ रहा था। मैंने बेबी वापस दिया ही था कि.. ये क्या.. उसने फिर से बेबी को मेरी तरफ दे दिया।
इस बार मैंने बेबी को पूरी तरह से हाथ में नहीं लिया। मेरा हाथ उसके मम्मों पर था और मैंने ऐसे ही रहने दिया। कुछ मिनट तक सोनिया ने भी कुछ नहीं कहा.. बस मुझे बड़ी कामुक नजरों से देख रही थी।
पर बेबी रो रहा था तब मैंने सोनिया से कहा- मेरे कमरे में चलते हैं.. बेबी रो रहा है.. उसे टीवी दिखा देंगे.. वो चुप हो जाएगा।
वो मान गई और दीवार की साइड में आ कर खड़ी हो गई।
मैं उसे और वो मुझे देख रहे थी। उसने फिर से मुझे बेबी देना चाहा.. पर मैंने बेबी को बीच में रखते हुआ उसकी पतली कमर पर हाथ फेर दिया और उसके कान के नीचे एक किस कर दिया..
वो सिहर उठी।
भाभी गर्म हो गई
मुझे तो मानो हरी झण्डी मिल गई। मैं उसके गले पर.. गालों पर किस करने लगा। वो भी पागलों की तरह सिसकारियां भर रही थी.
फिर मैंने उसके होंठ पर होंठ रख रख दिए और पागलों की तरह उसे किस करने लगा, वो भी मेरा साथ दे रही थी।
हम तो भूल ही गए थे कि वो बेबी हमारे बीच में है।
जब वो रोने लगा.. तब हमें होश आया।
वो एकदम से शर्मा गई।
उसने मुझसे कहा- तुम तो बड़े शैतान हो।
मैंने कहा- वो तो मैं हूँ..
इतना कह कर वो अपने कमरे में भाग गई और अपने कमरे की लाइट बंद करके अंधेरे में लेट गई।
मैंने अपने आपको सम्भाला और इधर-उधर देखने के बाद उसके कमरे में चला गया और उसे किस करने लगा। हम दोनों एक-दूसरे को पागलों की तरह चूम रहे थे।
मैं तो पूरा पागल हो गया था। मैं सोनिया के मम्मों को दबा रहा था।
वो कह रही थी- आराम से करो.. दर्द हो रहा है।
पर मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने उसे अपना कमीज उतारने को कहा पर उसने मना कर दिया और कहा- अभी यहाँ से चले जाओ.. कोई आ जाएगा।
मुझे भी यह बात सही लगी और मैं अपने कमरे में आ गया।
दोस्तो, सोनिया का साथ मुझे इतना अच्छा लगने लगा था कि मैं किस काम से दिल्ली से हरिद्वार आया था..
सोनिया के साथ कुछ पल की चूमा चाटी ने मेरे मन मस्तिष्क को हिला कर रख दिया था और मैं उस कामुक सोनिया को भोगने की फिराक में आ गया था।
अब आगे..
कुछ देर बाद मम्मी भी मार्केट से आ गईं। उसके बाद मैंने शाम तक मौका देखता रहा.. पर कोई मौका नहीं मिला।
मैं बड़ा निराश हुआ.. क्योंकि मुझे आज रात को ही दिल्ली जाना था।
शाम को मैंने अपनी फ्रेंड की शादी अटेण्ड की और रात 11 बजे घर आ गया।
पर अब मैंने मन बना लिया था कि यह मौका नहीं जाने दूँगा, मैंने एक दिन और हरिद्वार में रुकने का फैसला किया।
मैंने मम्मी से कहा- मैं नहीं जा रहा हूँ.. थक गया हूँ कल जाऊँगा।
फिर मैं सो गया।
सुबह उठते ही मैं सोनिया को चोदने का मौका तलाशने लगा.. पर वो मुझे दिख नहीं रही थी।
मुझे थोड़ी देर बाद पता चला कि वो अपनी सास के यहाँ गई है.. जो पास में ही रहती है।
मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था।
मेरे ताई जी की लड़की गाँव से आई हुई थी.. तो मेरी बहन और मम्मी उनसे मिलने चली गईं।
मैं घर में ही इस इंतज़ार में था.. कि कब वो आएगी।
दोपहर के 2 बज गए थे.. पर वो नहीं आई।
दोपहर बाद मौक़ा मिला
फिर थोड़ी देर बाद देखा कि वो आ रही है.. मैं खुश हो गया।
वो अपना बेबी अपनी सास के पास छोड़ कर आई थी।
मुझे देख कर वो मुस्कुराई और अपने कमरे में चली गई।
उसने दरवाजा खुला छोड़ दिया था।
मैं भी आहिस्ता से उसके कमरे के नजदीक चला गया और दरवाजे पर खड़ा हो गया। उसने कहा- गेट पर क्यों खड़े हो.. अन्दर आ जाओ?
मेरे अन्दर जाते ही वो मुझ पर टूट पड़ी.. जैसे बरसों की प्यासी हो। मैं भी उसे किस कर रहा था।
लगभग 5 मिनट तक मैं उसे किस करता रहा.. उसके बाद मैंने उसकी कुरती निकाल दी।
अब वो गुलाबी ब्रा में मेरे सामने थी।
मैं उस कामुक मंजर का बयान नहीं कर सकता कि वो कितनी सेक्सी लग रही थी।
मेरा मन कर रहा था कि उसकी चूत अभी फाड़ दूँ.. पर मैंने अपने आप पर संयम किया।
मैं धीरे-धीरे नीचे आया और उसके मम्मों को चूसने लगा। उसके मम्मों से दूध आ रहा था.. जो मेरे मजे को दुगना कर रहा था।
कभी मैं उसका दायाँ निप्पल चूसता.. तो कभी बायाँ.. वो तो पूरी तरह से गर्म हो गई थी।
अब चोद दो मुझे.. मैं बहुत प्यासी हूँ
वो कह रही थी- बस करो राजू.. अब चोद दो मुझे.. मैं बहुत प्यासी हूँ।
पर मैं नहीं माना.. मैं उसे और तड़पाना चाहता था।
अब मैं उसकी कमर पर किस करने लगा और पजामी के ऊपर से ही उसकी चूत को रगड़ने लगा।
वो पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
फिर मैं उसे होंठ पर फिर से किस करने लगा। उसकी सिसकारियां पूरे कमरे में गूँज रही थीं।
उसे चुम्बन करते-करते मैंने उसकी पजामी खोल दी।
अब वो केवल लाल पैन्टी में मेरे सामने थी, मैंने उसकी पैन्टी में हाथ डाल दिया और उसे किस करता रहा।
धीरे-धीरे सोनिया की चूत में उंगली घुसेड़ने लगा। जैसे ही उसकी चूत से मेरी उंगली टच हुई वो एकदम से उछल पड़ी।
वो कहने लगी- प्लीज़ राजू, मुझे चोद दो.. मैं बहुत प्यासी हूँ.. मेरा पति मुझे हफ़्ते में एक बार ही चोदता है.. वो भी सीधे ऊपर चढ़ जाता है और अपना काम होने के बाद हट जाता है। मैं प्यासी ही रह जाती हूँ।
मैंने कुछ नहीं कहा बस उसकी पैन्टी भी नीचे सरका दी। अब वो पूरी तरह से मेरे सामने नंगी खड़ी थी।
मैंने पहली बार किसी लड़की को नंगी देखा था।
उसकी वो गुलाबी छोटी सी चूत देख कर मेरे तो होश ही उड़ गए।
मैंने उसे बिस्तर पर पैर जमीन पर रख कर बैठा दिया और खुद नीचे बैठ कर उसकी चूत की खुशबू का मजा लेने लगा। क्या खुशबू थी उसकी चूत की.. मैंने उस पर चुम्बन कर दिया।
वो चिहुंक उठी।
फिर मैं धीरे-धीरे उसकी चूत को जीभ से ही चोदने लगा। वो तो कामोत्तेजना में अपना होश खो चुकी थी और मेरे सिर को अपनी चूत में घुसा रही थी.. जैसे उसे अन्दर ले ही लेगी।
मैं उसकी चूत को चाटता रहा.. साथ ही बीच-बीच में मैं उसके दाने को धीरे से काट भी लेता था जिससे वो उछल पड़ती थी।
अब उसका शरीर अकड़ने लगा.. उसने मेरा सिर को दबा दिया और झड़ गई। मैं उसका सारा माल पीता चला गया। अजीब सा स्वाद था.. पर मुझे अच्छा लग रहा था।
फिर मैंने उठ कर अपना पजामा नीचे किया।
मेरा लण्ड बुरी तरह से अकड़ा हुआ खड़ा हुआ था, मेरा लण्ड ख़ासा लंबा और मोटा है।
वो मेरे मोटे और लम्बे लौड़े को देख खुश हो गई, कहने लगी- डाल दो इसे मेरी चूत में.. और बुझा दो मेरी प्यास।
मैंने उससे कहा- मेरे लण्ड को चूसो।
पर उसने मना कर दिया।
फिर मैंने भी ज़ोर नहीं दिया और उसे चुम्बन करने लगा। वो फिर से गर्म हो गई और मैं तो फटा जा रहा था।
वो भी अब गिड़गिड़ाने लगी- प्लीज़.. पेल दो इसे मेरी चूत में.. वरना मैं मर जाऊँगी।
अब मुझसे भी नहीं रहा जा रहा था, मैंने अपने सारे कपड़े उतार दिए और अपना लण्ड उसकी चूत पर रगड़ने लगा।
उसने अपनी आँख बंद कर लीं और कहने लगी- आह्ह.. फाड़ दो आज मेरी चूत..
मैंने धीरे-धीरे अपना लण्ड उसकी चूत में डाल दिया। मुझे उसकी चूत काफ़ी टाइट लग रही थी। वो कह रही थी- आराम से डालो.. तुम्हारा मेरे पति से बड़ा है।
मैंने फिर एक झटका लगाया और मेरा पूरा लण्ड उसकी चूत में समा गया। उसकी चूत भट्टी की तरह गर्म थी.. मैं तो पागल हो गया और ज़ोर-ज़ोर से झटके लगाने लगा।
यह मेरा फर्स्ट टाइम होने की वजह से 12-15 झटकों में ही मेरा माल निकल गया। मुझे शर्म आने लगी.. सोनिया समझ गई, उसने कहा- कोई बात नहीं पहली बार में ऐसा ही होता है।
फिर वो मुझे किस करने लगी और मेरे लण्ड को हाथ से पकड़ कर हिलाने लगी। फिर नीचे बैठ कर उसने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
मेरा लण्ड 5 मिनट में फिर से खड़ा हो गया।
मैंने उसे बिस्तर पर धकेल दिया और उसे घोड़ी बनने को कहा।
वो घोड़ी बन गई, फिर मैंने पीछे से अपना लण्ड उसकी चूत में घुसा दिया और ज़ोर-ज़ोर से शॉट लगाने शुरू कर दिए।
वो भी उछल-उछल कर उसका जवाब देने लगी।
फिर मैंने उसे पोजीशन बदल-बदल कर पूरे 20 मिनट तक चोदा। इस बीच वो 3 बार झड़ चुकी थी।
फिर मेरा शरीर भी अकड़ने लगा और वो भी झड़ने के करीब थी, मैंने उसकी कमर पकड़ ली और पूरी दम से शॉट लगाता हुआ उसकी चूत में ही झड़ गया। वो भी झड़ गई।
मैं और सोनिया पूरी तरह पसीने से तर - बतर थे । हम दोनों ही बहुत थक गए थे । फिर हम थोड़ी देर ऐसे ही लेटे रहे और कोई आ ना जाए इसके डर से अपने कपड़े ठीक करके मैं अपने कमरे में आ गया । मैं बहुत खुश था और वो भी । उसी शाम उसने मुझे बताया कि उसका पति बहुत दारू पीता है .. और उसकी शारीरिक जरूरत पूरी नहीं कर पाता है । यह कह कर उसकी आँख से आंसू आने लगे । मैंने उसे समझाया और कहा- चिंता मत करो .. अब मैं जब भी आऊँगा .. तुम्हारी जरूरत पूरी करूंगा । वो खुश हो गई ।
फिर मैं उस रात दिल्ली वापस आ गया । अब जब मैं फिर से वापस हरिद्वार में स्थाई तौर पर रहने आया हूँ .. तो उसने अपना कमरा बदल लिया । मैं अब उसको बहुत मिस करता हूँ । तब से अब तक मैं सिर्फ़ मुठ मार कर ही काम चला रहा हूँ । दोस्तो , ये था मेरा पहले अनुभव .. आपको कैसा लगा । आप अपनी राय जरूर दें ।

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