कुंवारी स्टूडेंट की चुत चुदाई

दोस्तो, आप सभी का हिंदी हॉट सेक्स स्टोरीज पर एक बार फिर से स्वागत है।
मैं हरजिंदर सिंह रोपड़, पंजाब से एक बार फिर से अपनी एक और मिस्ती से भरी हुई चुदाई की कहानी के बारे में हस्सिर हुआ हूँ।

अब आज का मजा है।

मेरी 10 वीं कक्षा तक की पढ़ाई गांव के स्कूल में ही हुई थी। दसवीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए मैंने रोपड़ के एक प्राथमिक विद्यालय में एडमिशन ले लिया था।

इधर नए स्कूल में मेरी कक्षा में कुल 9 छात्र ही थे। जिसमें 5 लड़कियां और चार लड़के थे।

शुरू शुरू में तो मैं किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। धीरे धीरे मेरी बात क्लास के सभी स्टूडेंट्स से होने लगी।

उन पांचों लड़कियों में कोमल (बदला हुआ नाम) नाम की एक लड़की थी, जो कुछ अलग थी।

कोमल का रंग ज्यादा साफ नहीं था। शिय वह पढ़ने में बहुत होशियार थी।
पढ़ाई के मामले में मैं भी ठीक था। मेरे 10 वें में 75% नंबर आए थे।

अब हम दोनों एक दूसरे से स्टडी को लेकर अपने सवाल आपस में डिस्कस कर लिया करते थे।

ऐसे ही हमें इस कक्षा में पूरा साल हो गया और हमारा फाइनल पेपर हो गया।

कुछ दिनों के बाद हमारा अंतिम रिजल्ट घोषित हुआ, कोमल फर्स्ट आई और मैं दूसरे स्थान पर आया।
मैंने उसे और उसने मुझे दी जीत।

हम दोनों रिजल्ट के बाद कैंटीन में गए और कोल्ड ड्रिंक और कुरकुरे से पार्टी की।

हमने अगली कक्षा में दाखिला किया और हमारी 12 वीं की पढ़ाई शुरू हो गई।

ऐसे ही कक्षा में मैं और उसके बीच में थोड़ा बहुत नौंक-झौंक भी होता है।
कभी कभी कुछ लेते या देते समय हाथ भी इधर उधर स्पर्श हो जाता था।

एक बार ऐसे ही मैं मैं अपनी नेविगेशन में कुछ लिख रहा था।
उसने मेरी नोट बुक मुझसे छीनने की कोशिश की।

मैंने विरोध किया और मेरा हाथ उसके मम्मों पर चला गया।
वह अपने चूंचे पर मेरे हाथ पाकर एकदम से रुक गया।

मैंने अपने हाथ को उसके एक दूध पर ही रहने दिया।
मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूं।

अभी मुझे लग रहा था कि यह अभी भी फिर से हमला करेगा।
इसलिए मैंने अपने हाथ से उसके दूध को दबा दिया।

इससे उसका गदल का रंग लाल हो गया।
इस बार उसकी आंखों में लज्जा साफ देखी जा सकती थी।
वह तेज तेज सांसें लेने लगी। इससे मुझे उसके दिल की धड़कन साफ ​​सुनाई दे रही थी।

फिर मुझे समझ में आया, तो मैंने अपना हाथ उसकी चुची पर रख दिया और उसके साइड में बैठ गया।

उस दिन के बाद से मेरा या उसकी नज़रिया बदल गया।
उसका भी मेरे साथ कुछ रवैया अलग सा हो गया है।

वह अब कभी भी बैठे बैठे मेरे कहीं भी चिकोटी काट लेती थी।
कभी कभी तो मान कर मेरे सामने ज्यादा झुक जाता था, जिससे उसके चूचे मुझे दिखायी दे जाते थे।

मैं भी उसे इधर उधर स्पर्श करने लगा था।
मतलब ये कि हम दोनों में एक चिंगारी सी फूट चुके थे और अब बस इस आग में घी डालने की जरूरत थी।

कुछ दिन बाद मैं अपनी कक्षा में समय से थोड़ा पहले पहुंच गया।
संयोगवश वो भी उस दिन थोड़ा जल्दी आ गया।
लगभग 15 मिनट पहले हम दोनों क्लास में आ गए थे।

उसके क्लास में आने के बाद हम दोनों बैठ कर बातें करने लगे और एक दूसरे को इधर उधर टच करने लगे।

पाँच मिनट में ही हम दोनों के होंठ एक दूसरे के होंठों से जुड़ चुके थे।
यह मेरी जिंदगी का पहला कौन था।
मैं उस पल को कभी भी नहीं भूल पाया, जब उसके गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठ मेरे होंठों से टच हुए थे।

इस पहले किस का नशा ऐसा था कि हम भूल गए कि हम कहां हैं।

जब हमारी कक्षा समाप्त हुई, जब हमारी कक्षा की एक और लड़की नेहा क्लास में आकर बोली- ओ हल्ला ... ये तुम लोग क्या कर रहे हो?

उसके सामने पाकर हम दोनों बहुत डर गए।
मैंने उससे कहा- प्लीज़ यह बात को लेकर आप किसी को कुछ नोज़ करते हैं।
उन्होंने हंस कर ओके बोल दिया।

उसकी मुस्कराहट से हमारी जान में जान आई।

फिर भी कहीं न कहीं ये डर था कि वो किसी को बताए न दे।
लेकिन उन्होंने ऐसा कुछ नहीं किया।

मैंने स्कूल खत्म होने के बाद नेहा को थैंक्स भी बोला।
उसने मुझे वेलकम बोला और बोला- कोई हेल्प चाहिए, तो बोलना।

नेहा की बात सुनकर मेरी हिम्मत बढ़ गई और अब जब मुझे भी समय मिलता है, तो मैं कोमल को किस कर लेता था।
लेकिन उससे ज्यादा कुछ हो नहीं पाता था।

इसी दौरान मैंने कोमल को सेक्स के लिए तैयार कर लिया था।
वो बोल रही थी कि कोई सेफ जगह हो, तो मैं सेक्स कर सकती हूँ। पर मैं किसी होटल वगैरह में नहीं जाऊंगी।

मुझे कोई सिफ जगह नहीं मिल रही थी।
मैंने एक दिन ऐसे ही नेहा से बात की, तो उसने बोला- मैं तुम दोनों के लिए कुछ करने की कोशिश करूंगी।

तीन दिन बाद नेहा ने कहा- कल तुम्हें मेरे घर चलना होगा।
मैंने पूछा- क्यों?

वो बोली- मेरे मम्मी पापा और भाई आज शाम को कहीं बाहर जा रहे हैं और वो दो दिन के बाद लौटेंगे।
मैंने कहा- मैं कोमल को लेकर तुम्हारे घर आ जाऊं न!
वो बोली- हाँ।

उस दिन मैंने और कोमल ने अगले दिन क्लास बंक करके मिलने का प्लान बनाया।

अगले दिन हम सुबह ही नेहा के घर पहुंच गए। उसका घर दो मंजिल का था और उसमें 4 कमरे थे।

दो कमरे ग्राऊंड फ्लोर पर और दो कमरे फर्स्ट फ्लोर पर थे। नेहा ने और हमने साथ में बैठ कर चाय पानी किया और उसने हम दोनों से ऊपर की मंजिल वाले कमरे में जाने के लिए इशारा किया।

मैं और नेहा फर्स्ट फ्लोर पर आ गए।

कमरे में जाते ही मैंने दरवाज़ा लॉक किया और कोम पकड़ कर किस करने लगा।
मैंने लगातार 20 मिनट तक उसके होंठों का रसपान किया।
वो भी मेरा पूरा साथ दे रहा था।

उसके बाद मैंने उसके कपड़े निकालने शुरू कर दिए।

चूंकि वह स्कूल वर्दी में था। मैंने उसकी कमीज निकाली और उसकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए।
वह एकदम से मेरे से लिपट गई और उसकी आंखें बंद हो गईं ... सांसें भर चलने लगीं।

लगभग पाँच मिनट बाद मैंने अपने होंठ उसकी गर्दन पर से हटाए और उसकी सलवार भी उतार दी।
साथ ही मैंने अपने कपड़े भी उतार दिए।
मैं केवल अंडरवियर में था और वो पिंक कलर की ब्रा और पेंटी में थी।

वह बहुत सुंदर दिख रही थी।
मैंने लगभग दो मिनट तक उसके खूबसूरत बदन को निहारा।

वो शर्मा कर बोली- इस तरह न देखो… मुझे कुछ हो रहा है।

मेरा लंड अंडरवियर में पूरी तरह टाइट था ही था।
अभी हम दोनों आपे से बाहर हो चुके थे।
वो भी मुझे पागलों की तरह किस कर रही थी।

कोमल ने अपने एक हाथ से मेरा लंड अंडरवियर के ऊपर से ही पकड़ लिया और सहलाने लगी।

हम इतने मस्त हो चुके थे कि हम दोनों के बाकी बचे कपड़े कब उतर गए, हमें कुछ पता ही नहीं चला।

वो टाइम ऐसा था कि न तो हम दोनों कोई बात कर रहे थे… और ना ही हमें कोई होश था।
दोनों इस खेल में नए थे, पर किसी को भी दूसरे को कुछ भी नुकसान की जरूरत नहीं पड़ रही थी।

मैं उसके एक बूब को मुंह में ले लिया और चूसने लगा। वह सी बलात्कार करने लगी।
मुझे इतना मज़ा आ रहा था, जिसका बयान में शब्दों में नहीं कर सकता था।

उसके बाद कभी उसके होंठों पर, कभी दाएं बुब, कभी बाएं बुब को चूसता रहा।

फिर मैंने उसे छोड़ दिया और साइड में लेट गया।
वह बैठ कर मुझे किस करने लगा।

अब मुझसे केश नहीं हो रहा था।
मैंने उसे मुंह में लंड लेने को बोला, लेकिन वो जश्न मनाने लगी।
फिर मेरे थोड़े फ़ोर्स करने पर वह मान गयी।

कोमल ने मेरे लंड का सुपारा अपने मुँह में लिया और चूसने लगी।
शायद उसे मेरे लंड का स्वाद अच्छा लगने लगा था, इसलिए थोड़ी देर बाद वो लंड को जितना अंदर मुँह में ले सकती थी, उतना लंड मुँह में ले कर चूसने लगी।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। अब मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था।
मैंने उसे लेटाया और उसकी गांड के नीचे तकिया लगा दिया।

मैं उसके ऊपर चढ़ गया और मेरा लंड उसकी जांघों से टकराने लगा।

उन्होंने अपनी टांगें खोल दी थीं। मैंने हाथ से पकड़कर लंड उसकी चूत के द्वार पर घिसना चालू किया, तो उन बिन पानी के मछली जैसे तड़फने लगी।

वो बोली- अब कपडे नहीं होते… जल्दी से अंदर डाल दो।

मैंने अपना लंड उसकी चूत के मुँह पर सैट किया और उसके मुँह को अपने होंठों से लॉक कर दिया।
फिर मैंने झटका लगाया, लेकिन लंड फिसल गया।

मैंने फिर से लंड उसकी चूत पर सैट किया और फिर से उसके लिप लॉक से जोर से झटका मारा।
इस बार मेरा झटका मारते ही उसकी आँखों से आंसू आने लगे और वह मुझे धकेलने लगी।

मेरा लगभग आधा लंड उसकी चूत में जा चुका था और मुझे अपने लंड पर कुछ गीला गीला लग रहा था।
मैंने थोड़ी देर हिल-डुल नहीं की और उसकी आँखों से आंसू साफ किए।

थोड़ी देर बाद वो नंगेलाल हो गए, तो मैंने उसके होंठ छोड़ दिए।

वो लम्बी सांस लेकर बोली- बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने उसे बताया कि ये मैंने सिखाया है कि फर्स्ट टाइम दर्द ही होता है, तुम्हें थोड़ी देर में मज़ा आने लगेगा और दर्द भी गायब हो जाएगा।

वह कुछ बोली नहीं।

अब मेरा जितना लंड उसकी चूत में था, उतने को ही मैं धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा। उसको भी अच्छा लगने लगा और उसने अपना गांड हिलाना शुरू कर दिया।

मैंने लंड बाहर खींचा और अपना एक हाथ उसके मुँह पर रख कर एक झटका जोर से मारा। वो दर्द से तड़फने लगी।

लेकिन इस बार कुछ देर बाद ही वो नंगेलाल हो गए और हम चुप रहने का मज़ा लेने लगे।
वह भी मेरा पूरा सहयोग कर रहा था।

मेरा लंड उसकी चुत में पिस्टन की तरह फिट था और हमारी चुदाई चलती रही।
कमरे में की ठप ठप… चाप चाप .. ’की आवाज़ों के साथ उसकी मादक ध्वनि भी गूंज रही थी।

मैंने उसे एक ही पोजिशन में चोदा।
दस मिनट बाद हम दोनों अपने चरम सुख पर पहुंचने वाले थे।
आई स्पीड बूम की ... और वह भी अपने नाखून मेरी पीठ पर मिटाने लगी।

लगभग दो मिनट बाद हम दोनों एक साथ स्खित हो गए। मैंने उसकी चूत अपने वीर्य से भर दी। उसने भी अपने अंदर गिरते वीर्य को महसूस किया और आंखें बंद करके उस सुखद एहसास का मज़ा लिया।

पांच मिनट बाद में उसके ऊपर से हटा दिया गया, तो उसकी चूत से उसका खून और मेरे लंड का अमृत एक साथ निकल रहा था।

मैंने उससे पूछा- मज़ा आया?
उसने कोई जवाब नहीं दिया और मुझे कसकर अपनी बांहों में ले लिया।

यह सब करते हुए हमें लगभग 11 बज चुके थे।
वो बाथरूम में गई और अपनी चूत को साफ करके वापिस आकर बिस्तर पर लेट गई।

मैं भी बाथरूम में गया और अपना लंड साफ करके वापिस आकर उसके साथ लेट गया।

हमने थोड़ी देर बातें की और एक दूसरे को किस करते रहे।

लगभग एक घण्टे के बाद मैंने उसके मम्मों को फिर से चूसना शुरू कर दिया।
वो भी मस्ती में आ गई और अपने एक हाथ से दूसरे दूध मसलने लगी।

मैंने लगभग पंद्रह मिनट तक उसके मम्मों को चूसा। वह बहुत मिस्त्री में आ चुकी थी। मैंने उसे लंड चूसने को बोला तो इस बार वो बिना किसी देरी के मेरे लंड पर टूट पड़ी और ज्यादा से ज्यादा मुँह में डाल दिया।

मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।
उसके थूक से मेरा लंड पूरा गीला हो चुका था।

मैंने उसे डॉगी स्टाइल में होने को बोला, वो तुरंत डॉगी स्टाइल में चली गई। मैंने पीछे से उसकी चुत में लंड धीरे धीरे करके पूरा डाल दिया और झटके लगाने लगा।
उसके मुंह से मुँह आह आआह .. ’जैसी आवाज़ निकलना शुरू हो गई।

मैंने स्पीड बूम कर दी और फुल स्पीड से उसे चोदना शुरू कर दिया।
वो भी अपनी गांड आगे पीछे करकर मेरा साथ दे रही थी।

पाँच मिनट बाद मैंने लंड उसकी चूत में से निकाल लिया और बिस्तर पर लेट गया।

वह मेरी तरफ भूखी बिल्ली की तरह देखने लगी।
मैंने उससे कहा कि लंड के ऊपर बैठ कर इसका मज़ा ले लो।

उसने मेरे इशारे को समझा और अपनी टांगें मेरी टांगों के दोनों ओर से मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़कर अपनी चुत पर सैट कर लिया। वो लंड को घुसाते हुए नीचे बैठने लगी। अगले कुछ पलों में उसकी चूत मेरा पूरा लंड खड़ा हो चुका था।

, जैसे ही वह ऊपर होता है, तो लंड छूट से बाहर आ जाता है।

ऐसा चार पांच बार हुआ। लेकिन बाद में उसने अपना बैल इस तरह बनाया कि वह लंड पर उछले, तो मेरा लंड चुत से बाहर नहीं निकल पाया।

पांच मिनट बाद वो हांफने लगी और बोली- मुझसे नहीं होगा, तुम ऊपर आ जाओ।

मैंने उसे लेटाया और उसकी दोनों टांगे मोड़कर अपने कंधों पर रख कर अपना लंड उसकी चुत की गहराई में उतार दिया।
लंड अंदर पेलते ही मैं फुल स्पीड से उसको चोदने लगा।

थोड़ी देर बाद उसकी चुत का रस बह गया और वो बिल्कुल बेजान सी हो गई।

मेरा भी होने वाला था, तो मैंने भी उसको पूरी ताकत से चोदना शुरू कर दिया।

कोई 20-25 धक्कों के बाद मेरे लंड से निकलती वीर्य की धार ने उसकी चूत की सिकाई की… और उसकी चूत को वीर्य से भर दिया।

झड़ जाने के बाद मैं उसके ऊपर से उतरा और साइड में लेट गया।

इस दो बार की चुदाई से हम दोनों थक गए थे और बुरी तरह हांफ रहे थे।

लगभग 15 मिनट बाद हमारी सांस सामान्य हुई।
हम ऐसे ही नंगे ही लेटे रहे।

लगभग आधे घंटे बाद मैं बाथरूम गया और नहा कर वापिस आ गया।

मेरे बाद वो भी चली गई और नहा कर वापिस आ गई।

अब हमने कपड़े पहने और नीचे आ गए।

नीचे नेहा ने खाना तैयार किया हुआ था। कोमल अपनी नजरें नेहा से मिला नहीं पा रही थी।

हम तीनों ने एक साथ खाना खाया।

नेहा ने पूछा- कैसा रहा तुम दोनों का सुहागरात!
उसकी इस बात से हम दोनों शर्मा गए।
फिर कोमल बोली- बहुत मज़ा आया।

हम दोनों ने नेहा को थैंक्स बोला।
वो बोली कि दोस्ती में तो इतना चलता है।

उस दिन के बाद कोमल ने सेक्स के लिए मुझे कभी भी मनाया नहीं।
हम हर महीने तीन बार सेक्स करते थे।
अब तो उसको भी सेक्स में मज़ा आता है इसलिए वो होटल रूम में जाने लगी थी

दो महीने बाद मुझे मेरे प्रिंसिपल मैडम ने दफ्तर में बुलाया और बोलीं- हरजिंदर तुम्हारी एब्सेंट बहुत ज्यादा है, क्या चक्कर है?
मैंने मैडम से बोला- मैडम घर पर काम करने जाती है।

वो बोलीं- ठीक है लेकिन कोमल भी उसी दिन स्कूल नहीं आती है, जिस दिन तुम नहीं आते, ऐसा क्यों!
मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दूं।

मैडम बोलीं- अगर कोई चक्कर है, तो अभी बता दो, मैं कुछ नहीं बोलूंगी।
मैंने मैडम से कहा- ऐसी कोई बात नहीं है।
मैडम बोलीं कि मैं कल कोमल के पेरेंट्स को स्कूल में बुला रही हूं और उनके साथ एब्सेंट रहने का कारण पूछूँगी।

मुझे लगा कि अब पकड़े गए। तो मैं उचित समझा। मैंने मैडम को सब बताया।

दोस्तो, यहां मैं यह बताना जरूरी समझता हूं कि जो हमारी प्रिंसिपल मैडम हैं, उनकी शादी को 7 साल हो चुके थे।
उनके हस्बैंड ऑस्ट्रेलिया में थे। वो भारत कभी भी आते थे।
वह लगभग तीस साल की पूरी हुई मस्त पंजाबन थीं।

मैडम बोलीं- तब तो आप दोनों को स्कूल से निकाल लेंगे।
मैंने मैडम के पैर पकड़ लिए और कहा- कि मैडम आप प्लीज़ ऐसा न करें। हमारी बदनामी हो जाएगी और एक साल भी पूरी हो जाएगी।

लेकिन मैडम नहीं मान रहे थे।

मेरे पैर लड़खड़ाने लगे थे और मुँह रुआंसा सा हो गया था।
मैडम बहुत फ़र्ज़ी थीं। वो मुझे सुलझा रहे थे।

मेरी हालत खेरे में बंद शेर जैसी थी, मुझे गुस्सा भी आ रहा था, पर मैं कुछ भी नहीं कर सकता था।

थोड़ी देर बाद मैडम मेरे पास आई और मेरी छाती पर हाथ फिराने लगी।

मैडम की ये हरकत देख कर मुझे कुछ समझ ही नहीं आया कि ये सब क्या हो रहा है।

वे बोलीं- तुझे भी खुश कर दूंगी।
मैंने मैडम से बोला- मैं कुछ समझा नहीं।

मैडम ने दूसरे हाथ से मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ा और बोलीं- अपने इस मूसल से तुमको मुझे भी खुश कर देंगे।
मैंने मैडम को बोला- ठीक है। मैं तुम्हारे साथ भी चुदाई करूँगा, पर मैं कोमल को नहीं छोडूँगा।
मैडम बोलीं- ठीक है।

अब बस हमारे प्यार की गाड़ी चल निकली थी।

तो दोस्तो, कैसी लगी मेरी सेक्स स्टोरी। अपनी राय जरूर देना।

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